04-01-2019, 06:07 AM
आकाश मेरे ऊपर आया और मेरे होंठों को चूसते हुए अपना मुँह नीचे लेजाकर मेरे कंधे को चूमने लगा। आकाश ने अपनी जीभ निकाली और मेरे कान को चूसते हुए अंदर घुमाने लगा, मैं मजे से हवा में उड़ रही थी। मैंने अपना हाथ नीचे लेजाकर उसके लण्ड को पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी।
आकाश ने अब और नीचे होते हुए मेरी ब्रा को उठाकर बेड पर रख दिया और मेरी चूचियों को गौर से देखने लगा। आकाश ने अपनी जीभ निकाली और मेरी एक चूची के गुलाबी दाने पे फिराने लगा। मेरे मुँह से अब सिसकियां निकलने लगी। आकाश ने अपना मुँह खोला और मेरी पूरी चूची को अपने मुँह में भर लिया और उसे चाटने लगा। मैंने आकाश के सिर को पकड़ लिया और 'अहह' करते हुए अपनी चूची चुसवाने लगी।
आकाश ने मेरी एक चूची को चूस लेने के बाद दूसरी चूची को अपने मुँह में भर लिया और पहले वाली को हाथों से मसलने लगा। आकाश अब अपना मुँह नीचे ले जाते हुए मेरी नाभि पे आकर रुक गया और अपनी जीभ से उसे चाटने लगा।
मेरा तो मजे के मारे बुरा हाल था। मेरी साँसें फूल रही थी। आकाश और नीचे होता हुआ अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया मेरे मुँह से 'आह' निकल गई और मैंने अपनी टाँगें फैला दी। आकाश ने मेरी गुलाबी चूत के दाने को अपने मुँह में भरकर थोड़ा काट दिया।
मैं उछल पड़ी- “ओईईई.. आह्ह... दर्द हो रहा है...”
आकाश ने मेरे दाने को छोड़कर अपनी जीभ मेरी चूत के होंठों पर फिराने लगा। मैं अपने चूतड़ उछालकर उसकी जीभ को अपनी चूत पर महसूस करने लगी।
आकाश ने अपने हाथ से मेरी चूत के होंठों को अलग किया और अपनी जीभ मेरी चूत के लाल छेद में डाल दी। मजे से मेरे मुँह से आह्ह... ओह्ह...' की आवाजें निकलने लगी। आकाश अपनी जीभ को घुसा करके पूरा अंदरबाहर कर रहा था। मैं भी अपने चूतड़ उछाल-उछालकर उसकी जीभ अंदर ले रही थी। मेरे सारे बदन में चींटियां रेंगती महसूस हो रही थी।
आकाश अपनी जीभ अंदर-बाहर करते हुए अपने हाथ से मेरी चूत के दाने को सहलाने लगा। मेरी आँखें मजे से बंद हो गई और ‘अह' करते हुए मैं दूसरी बार झड़ गई। आकाश ने मेरा सारा पानी चाटकर साफ कर दिया। जब मैंने आँखें खोली तो आकाश बेड पर लेटा हुआ अपना लण्ड सहला रहा था।
आँटी ने मुझसे कहा- “अगर मजा लेना चाहती है तो उठ और इसके लण्ड की सेवा कर...”
मैं उठकर उसके लण्ड के पास बैठ गई और उसे अपने दोनों हाथों से पकड़कर आगे-पीछे करने लगी। मेरा हाथ उसके लण्ड पर पड़ते ही मेरी साँसें फिर से तेज होने लगी। अचानक मुझे ना जाने क्या सूझा की मैं अपनी जीभ निकालकर आकाश के लण्ड के सुपाड़े पर फेरने लगी। आकाश के मुँह से 'आह' निकल गई। आकाश का लण्ड बहुत गर्म था मुझे उसके लण्ड से अजीब गंध महसूस हो रही थी जो मुझे और मदहोश कर रही थी। मैं अब अपनी जीभ से उसके पूरे लण्ड को ऊपर से नीचे तक चाट रही थी।
आकाश ने अब और नीचे होते हुए मेरी ब्रा को उठाकर बेड पर रख दिया और मेरी चूचियों को गौर से देखने लगा। आकाश ने अपनी जीभ निकाली और मेरी एक चूची के गुलाबी दाने पे फिराने लगा। मेरे मुँह से अब सिसकियां निकलने लगी। आकाश ने अपना मुँह खोला और मेरी पूरी चूची को अपने मुँह में भर लिया और उसे चाटने लगा। मैंने आकाश के सिर को पकड़ लिया और 'अहह' करते हुए अपनी चूची चुसवाने लगी।
आकाश ने मेरी एक चूची को चूस लेने के बाद दूसरी चूची को अपने मुँह में भर लिया और पहले वाली को हाथों से मसलने लगा। आकाश अब अपना मुँह नीचे ले जाते हुए मेरी नाभि पे आकर रुक गया और अपनी जीभ से उसे चाटने लगा।
मेरा तो मजे के मारे बुरा हाल था। मेरी साँसें फूल रही थी। आकाश और नीचे होता हुआ अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया मेरे मुँह से 'आह' निकल गई और मैंने अपनी टाँगें फैला दी। आकाश ने मेरी गुलाबी चूत के दाने को अपने मुँह में भरकर थोड़ा काट दिया।
मैं उछल पड़ी- “ओईईई.. आह्ह... दर्द हो रहा है...”
आकाश ने मेरे दाने को छोड़कर अपनी जीभ मेरी चूत के होंठों पर फिराने लगा। मैं अपने चूतड़ उछालकर उसकी जीभ को अपनी चूत पर महसूस करने लगी।
आकाश ने अपने हाथ से मेरी चूत के होंठों को अलग किया और अपनी जीभ मेरी चूत के लाल छेद में डाल दी। मजे से मेरे मुँह से आह्ह... ओह्ह...' की आवाजें निकलने लगी। आकाश अपनी जीभ को घुसा करके पूरा अंदरबाहर कर रहा था। मैं भी अपने चूतड़ उछाल-उछालकर उसकी जीभ अंदर ले रही थी। मेरे सारे बदन में चींटियां रेंगती महसूस हो रही थी।
आकाश अपनी जीभ अंदर-बाहर करते हुए अपने हाथ से मेरी चूत के दाने को सहलाने लगा। मेरी आँखें मजे से बंद हो गई और ‘अह' करते हुए मैं दूसरी बार झड़ गई। आकाश ने मेरा सारा पानी चाटकर साफ कर दिया। जब मैंने आँखें खोली तो आकाश बेड पर लेटा हुआ अपना लण्ड सहला रहा था।
आँटी ने मुझसे कहा- “अगर मजा लेना चाहती है तो उठ और इसके लण्ड की सेवा कर...”
मैं उठकर उसके लण्ड के पास बैठ गई और उसे अपने दोनों हाथों से पकड़कर आगे-पीछे करने लगी। मेरा हाथ उसके लण्ड पर पड़ते ही मेरी साँसें फिर से तेज होने लगी। अचानक मुझे ना जाने क्या सूझा की मैं अपनी जीभ निकालकर आकाश के लण्ड के सुपाड़े पर फेरने लगी। आकाश के मुँह से 'आह' निकल गई। आकाश का लण्ड बहुत गर्म था मुझे उसके लण्ड से अजीब गंध महसूस हो रही थी जो मुझे और मदहोश कर रही थी। मैं अब अपनी जीभ से उसके पूरे लण्ड को ऊपर से नीचे तक चाट रही थी।