04-01-2019, 06:06 AM
अचानक आँटी ने उसका लण्ड मुँह से निकाला और अपने दुपट्टे से उसकी आँखें बाँधने लगी।
आकाश चौंकते हुए. “क्या कर रही हो सोनाली डार्लिंग?”
आँटी ने उससे कहा- “तुम चुपचाप सोए रहो और अपनी पट्टी मत खोलना...” और सोनाली आँटी उठकर दरवाजे की तरफ बढ़ने लगी।
मेरी साँसें ऊपर-नीचे होने लगी। आँटी दरवाजा खोलकर मुझे आधा नंगा देखकर मुश्कुराते हुए कहने लगी- “मेरी धन्नो, तुम तो मुझसे भी ज्यादा गर्म हो। आओ मेरे साथ मैं तुम्हें जिंदगी का सबसे ज्यादा मजा दिलाती हूँ...” और मेरी चूत पर एक चुटकी काट दी।
मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगी। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की क्या हो रहा है? आँटी ने मुझे बेड पर आकाश के साइड में बिठाया और मेरा हाथ पकड़कर उसके लण्ड पर रख दिया। मेरे सारे जिम में सुरसुरी होने लगी। आँटी ने मेरी टाँगों को चौड़ा किया और अपनी जीभ से मेरी चूत चाटने लगी।
मैं इसके लिए तैयार नहीं थी। मैं ‘आअह्ह्ह' करते हुए झड़ने लगी और मेरे हाथ की पकड़ आकाश के लण्ड पर मजबूत हो गई। सोनाली आँटी मेरी झड़ती हुए चूत का पानी चूसने लगी और अपनी जीभ निकालकर चूत में पेल दी। मेरा झड़ना जब बंद हुआ तो मैंने अपनी आँखें खोली। मेरा हाथ अब भी आकाश के लण्ड पर था। आँटी ने मुझपर नजर डाली और अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगी।
मैं फिर से गर्म होने लगी और अपना हाथ आकाश के लण्ड पर ऊपर-नीचे फेरने लगी। आकाश का लण्ड इतना नजदीक से देखकर मेरी साँसें बहुत तेजी से ऊपर-नीचे हो रही थी। आँटी ने उठकर आकाश की आँखों पे बँधे हुए कपड़े को निकाल दिया।
आकाश की आँखें खुलते ही फटी की फटी रह गई। वोह मेरी तरफ गौर से देखने लगा और आँटी से कहा- “यह खूबसूरत परी कौन है?”
आँटी ने कहा- “यह मेरी भांजी धन्नो है और यह मुझे जय के साथ देख चुकी है, और आज हमें भी देख रही थी, यह बहुत ही गरम चीज है। मैंने सोचा इसको भी अपने खेल में शामिल कर लेते हैं...”
आकाश ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होंठों को चूसने लगा। मेरी चूचियां उसके मजबूत सीने में दबी हुई थी और उसका लण्ड मुझे अपने पेट पर महसूस हो रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं बहुत गर्म हो चुकी थी। मैंने अपनी जीभ निकालकर आकाश के मुँह में डाल दी। आकाश मेरी जीभ चूसते हुए अपने हाथों से मेरे चूतड़ों को सहलाने लगा। अचानक आकाश ने मुझे अपने ऊपर से उठाया और मेरी कमीज निकालकर मेरी ब्रा के हुक भी खोल दिए और मुझे बेड पर लिटा दिया। मेरी ब्रा अब भी चूचियों के ऊपर पड़ी थी।
आकाश चौंकते हुए. “क्या कर रही हो सोनाली डार्लिंग?”
आँटी ने उससे कहा- “तुम चुपचाप सोए रहो और अपनी पट्टी मत खोलना...” और सोनाली आँटी उठकर दरवाजे की तरफ बढ़ने लगी।
मेरी साँसें ऊपर-नीचे होने लगी। आँटी दरवाजा खोलकर मुझे आधा नंगा देखकर मुश्कुराते हुए कहने लगी- “मेरी धन्नो, तुम तो मुझसे भी ज्यादा गर्म हो। आओ मेरे साथ मैं तुम्हें जिंदगी का सबसे ज्यादा मजा दिलाती हूँ...” और मेरी चूत पर एक चुटकी काट दी।
मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित होने लगी। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था की क्या हो रहा है? आँटी ने मुझे बेड पर आकाश के साइड में बिठाया और मेरा हाथ पकड़कर उसके लण्ड पर रख दिया। मेरे सारे जिम में सुरसुरी होने लगी। आँटी ने मेरी टाँगों को चौड़ा किया और अपनी जीभ से मेरी चूत चाटने लगी।
मैं इसके लिए तैयार नहीं थी। मैं ‘आअह्ह्ह' करते हुए झड़ने लगी और मेरे हाथ की पकड़ आकाश के लण्ड पर मजबूत हो गई। सोनाली आँटी मेरी झड़ती हुए चूत का पानी चूसने लगी और अपनी जीभ निकालकर चूत में पेल दी। मेरा झड़ना जब बंद हुआ तो मैंने अपनी आँखें खोली। मेरा हाथ अब भी आकाश के लण्ड पर था। आँटी ने मुझपर नजर डाली और अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल दी और अंदर-बाहर करने लगी।
मैं फिर से गर्म होने लगी और अपना हाथ आकाश के लण्ड पर ऊपर-नीचे फेरने लगी। आकाश का लण्ड इतना नजदीक से देखकर मेरी साँसें बहुत तेजी से ऊपर-नीचे हो रही थी। आँटी ने उठकर आकाश की आँखों पे बँधे हुए कपड़े को निकाल दिया।
आकाश की आँखें खुलते ही फटी की फटी रह गई। वोह मेरी तरफ गौर से देखने लगा और आँटी से कहा- “यह खूबसूरत परी कौन है?”
आँटी ने कहा- “यह मेरी भांजी धन्नो है और यह मुझे जय के साथ देख चुकी है, और आज हमें भी देख रही थी, यह बहुत ही गरम चीज है। मैंने सोचा इसको भी अपने खेल में शामिल कर लेते हैं...”
आकाश ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होंठों को चूसने लगा। मेरी चूचियां उसके मजबूत सीने में दबी हुई थी और उसका लण्ड मुझे अपने पेट पर महसूस हो रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं बहुत गर्म हो चुकी थी। मैंने अपनी जीभ निकालकर आकाश के मुँह में डाल दी। आकाश मेरी जीभ चूसते हुए अपने हाथों से मेरे चूतड़ों को सहलाने लगा। अचानक आकाश ने मुझे अपने ऊपर से उठाया और मेरी कमीज निकालकर मेरी ब्रा के हुक भी खोल दिए और मुझे बेड पर लिटा दिया। मेरी ब्रा अब भी चूचियों के ऊपर पड़ी थी।