04-01-2019, 06:05 AM
सोनाली और धन्नो आकाश के साथ
सोनाली के कमरे में रोहन ने आज फिर हम दोनों को घर तक छोड़ दिया। मगर आज सोनाली आँटी ने रोहन को देख लिया और पूछा- “यह कौन है?”
बिंदिया ने कहा- “यह मेरा दोस्त है मेरे साथ कालेज में पढ़ता है और बहुत इंटेलीजेंट है पढ़ाई में मेरी बहुत मदद करता है...”
सोनाली आँटी ने रोहन को कहा- “अंदर आ जाओ, तुम चाय पीकर जाना...”
रोहन ने कहा- “नहीं आँटी मुझे देर हो रही है फिर कभी आऊँगा...”
हम सबने लंच किया और फिर मैं अपने कमरे में जाकर सो गई। मुझे बदन में बहुत थकावट महसूस हो रही थी। शाम को मैं उठकर फ्रेश होने बाथरूम में चली गई। रात को खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे में जाकर सो गई। मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं कृष्णा को याद करके अपनी चूत सहला रही थी। मेरी चूत में खुजली हो रही थी। कुछ देर बाद दरवाजा खुलने की आवाज आई। मैं जल्दी से उठकर छेद से बाहर देखने लगी।
आज आँटी के साथ आज जय नहीं था, कोई दूसरा आदमी था जिसे मैं नहीं पहचानती थी। आँटी ने उसे अंदर आते ही अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठों को चूसने लगी।
सोनाली- “आकाश आज तुमने मेरी बड़ी ख्वाहिश पूरी कर दी। तुमने जय को इंगलैंड टूर पे भेजकर हमारा रास्ता साफ कर दिया..."
आकाश ने कहा- “मगर तुमने तो कहा था की आज मेरे लिए सरप्राइज है.”
सोनाली- “हाँ सरप्राइज तो है। मगर इतनी जल्दी क्या है?” और वो दोनों कमरे में चले गये।
काश का लण्ड
मैं भी बाहर आकर खिड़की के साइड में खड़ी हो गई, आज खिड़की कुछ ज्यादा ही खुली हुई थी। अंदर जाते ही सोनाली आँटी ने पहले आकाश के पूरे कपड़े निकाल दिए और फिर खुद भी नंगी हो गई। आकाश का लण्ड । देखकर मेरी साँसें रुक गई। उसका लण्ड बहुत मोटा और बड़ा था, कृष्णा के लण्ड से दोगुना। मेरे हाथ अपने आप मेरी सलवार के ऊपर चूत पर चले गये।
आँटी उसके लण्ड को अपने दोनों हाथों से पकड़कर आगे-पीछे करने लगी। उसका लण्ड आँटी के दोनों हाथों में मुश्किल से समा रहा था। आँटी ने उसको बेड पर लेटा दिया, उसका लण्ड खंभे की तरह खड़ा था। आँटी उसके लण्ड के मोटे सुपाड़े पे अपनी जीभ निकालकर फिराने लगी। आकाश के मुँह से सिसकियां निकलने लगी।
मैंने अपनी सलवार का नाड़ा खोलकर नीचे उतार दिया और अपनी पैंटी को नीचे करके अपनी चूत में उंगली डालकर अंदर-बाहर करने लगी।
आँटी ने आकाश का लण्ड चूसते हुए खिड़की की तरफ देखते हुए मुझे आँख मार दी। मेरे हौसले खता हो गये। आँटी मुझे देख रही थी। आँटी ने अपना मुँह खोलकर आकाश के लण्ड का सुपाड़ा अपने मुँह में ले लिया और मुझे देखते हुए उसे लालीपाप की तरह चाटने लगी।
मेरी साँसे ऊपर-नीचे हो रही थी। मैं सोच रही थी की अब क्या होगा?
सोनाली के कमरे में रोहन ने आज फिर हम दोनों को घर तक छोड़ दिया। मगर आज सोनाली आँटी ने रोहन को देख लिया और पूछा- “यह कौन है?”
बिंदिया ने कहा- “यह मेरा दोस्त है मेरे साथ कालेज में पढ़ता है और बहुत इंटेलीजेंट है पढ़ाई में मेरी बहुत मदद करता है...”
सोनाली आँटी ने रोहन को कहा- “अंदर आ जाओ, तुम चाय पीकर जाना...”
रोहन ने कहा- “नहीं आँटी मुझे देर हो रही है फिर कभी आऊँगा...”
हम सबने लंच किया और फिर मैं अपने कमरे में जाकर सो गई। मुझे बदन में बहुत थकावट महसूस हो रही थी। शाम को मैं उठकर फ्रेश होने बाथरूम में चली गई। रात को खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे में जाकर सो गई। मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं कृष्णा को याद करके अपनी चूत सहला रही थी। मेरी चूत में खुजली हो रही थी। कुछ देर बाद दरवाजा खुलने की आवाज आई। मैं जल्दी से उठकर छेद से बाहर देखने लगी।
आज आँटी के साथ आज जय नहीं था, कोई दूसरा आदमी था जिसे मैं नहीं पहचानती थी। आँटी ने उसे अंदर आते ही अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठों को चूसने लगी।
सोनाली- “आकाश आज तुमने मेरी बड़ी ख्वाहिश पूरी कर दी। तुमने जय को इंगलैंड टूर पे भेजकर हमारा रास्ता साफ कर दिया..."
आकाश ने कहा- “मगर तुमने तो कहा था की आज मेरे लिए सरप्राइज है.”
सोनाली- “हाँ सरप्राइज तो है। मगर इतनी जल्दी क्या है?” और वो दोनों कमरे में चले गये।
काश का लण्ड
मैं भी बाहर आकर खिड़की के साइड में खड़ी हो गई, आज खिड़की कुछ ज्यादा ही खुली हुई थी। अंदर जाते ही सोनाली आँटी ने पहले आकाश के पूरे कपड़े निकाल दिए और फिर खुद भी नंगी हो गई। आकाश का लण्ड । देखकर मेरी साँसें रुक गई। उसका लण्ड बहुत मोटा और बड़ा था, कृष्णा के लण्ड से दोगुना। मेरे हाथ अपने आप मेरी सलवार के ऊपर चूत पर चले गये।
आँटी उसके लण्ड को अपने दोनों हाथों से पकड़कर आगे-पीछे करने लगी। उसका लण्ड आँटी के दोनों हाथों में मुश्किल से समा रहा था। आँटी ने उसको बेड पर लेटा दिया, उसका लण्ड खंभे की तरह खड़ा था। आँटी उसके लण्ड के मोटे सुपाड़े पे अपनी जीभ निकालकर फिराने लगी। आकाश के मुँह से सिसकियां निकलने लगी।
मैंने अपनी सलवार का नाड़ा खोलकर नीचे उतार दिया और अपनी पैंटी को नीचे करके अपनी चूत में उंगली डालकर अंदर-बाहर करने लगी।
आँटी ने आकाश का लण्ड चूसते हुए खिड़की की तरफ देखते हुए मुझे आँख मार दी। मेरे हौसले खता हो गये। आँटी मुझे देख रही थी। आँटी ने अपना मुँह खोलकर आकाश के लण्ड का सुपाड़ा अपने मुँह में ले लिया और मुझे देखते हुए उसे लालीपाप की तरह चाटने लगी।
मेरी साँसे ऊपर-नीचे हो रही थी। मैं सोच रही थी की अब क्या होगा?