04-01-2019, 06:04 AM
मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे ‘अह्ह.. ओहह... निकल रही थी। वो अब मेरी कमीज उतारने लगा। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। मेरा सारा जिम सेक्स की आग में जल रहा था। मैंने उसका साथ देते हुए अपनी कमीज उतारने में उसकी मदद की। कमीज उतरते ही ब्रा में कैद मेरी गोरी गोल और सख़्त चूचियों को देखकर कृष्णा की आँखों में चमक आ गई। वो अपना हाथ बढ़ाकर मेरी ब्रा उतारने लगा। ब्रा उतरते ही मेरी नंगी चूचियां कृष्णा के सामने थी।
मैंने आज तक किसी मर्द को अपना बदन नहीं दिखाया था। कृष्णा को मुझे ऐसा घूरते हुए देखकर मैं शर्मा गई
और अपने हाथों से अपनी चूचियां ढकने की नाकाम कोशिश करने लगी। कृष्णा ने आगे बढ़कर मेरे हाथों को। पकड़कर मेरी चूचियों से दूर किया और अपने होंठ मेरी चूचियों के ऊपर रख दिए। मेरे सारे जिश्म में सनसनाहट होने लगी।
कृष्णा ने अपने मुँह से मेरी चूचियों को ऊपर से चाटते हुए मेरी एक चूची के गुलाबी निपल को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा। मेरा मजे के मारे बुरा हाल था। मैंने कृष्णा के सिर को पकड़ लिया, कृष्णा मेरी चूची को बहुत जोर से चूस रहा था। मुझे उसके चूसने से बहुत मजा आ रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूची के अंदर से कोई कुछ खिंच रहा हो। वो चूची को चूसते हुए मेरी सलवार का नाड़ा खोला और अपने हाथ से पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को सहलाने लगा।
कृष्णा ने मेरी चूची को अपने मुँह से निकालते हुए कहा- “वाह... मजा आ गया। तुम्हारी चूचियां तो बहुत मीठी हैं..." और वो फिर से मेरी चूचियों को एक-एक करके चाटने लगा और अचानक उसने मेरी दूसरी चूची को मुँह में लेकर उसे काट दिया।
मेरे मुँह से हल्की चीख निकल गई- “ओह... दर्द होता है..” और वो अपना मुँह नीचे लेजाकर मेरे पेट पर आ । गया, और अपनी जीभ निकालकर मेरी नाभि को चाटने लगा। मुझे गुदगुदी और मजे का मिला-जुला अहसास हो। रहा था।
कृष्णा और नीचे जाने लगा और मेरी सलवार को उतारकर मेरी पैंटी के ऊपर मुँह रखकर सूंघा और कहा- “वाह धन्नो.. तुम्हारी चूत की खुश्बू तो बहुत बढ़िया है...”
कृष्णा पैंटी के ऊपर से ही अपने मुँह से मेरी चूत को चाट रहा था। मैं मजे से सिसक रही थी, कृष्णा ने मेरी पैंटी में हाथ डाला और उसे उतारने लगा। मेरी साँसें तेज होने लगी, मैंने अपने चूतड़ उठा दिए और उसे पैंटी उतारने में मदद की। पैंटी उतरते ही वो मेरी गुलाबी चूत को देखकर अपने होंठों पर जीभ फेरने लगा। उसने मेरी हल्के बलों वाली चूत पे अपना हाथ रखा और उसे ऊपर से नीचे तक सहलाने लगा।
मेरे मुँह से ‘आअहहह' निकल गई।
कृष्णा अपना मुँह नीचे लेजाकर मेरी चूत को सँघने लगा और अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत के दाने पर फेरने लगा। मैं उत्तेजना के मारे अपने चूतड़ उछालने लगी। कृष्णा दाने को चूसते हुए नीचे जाने लगा और मेरी चूत के होंठों पे किस करते हुए उसे अपने मुँह में भर लिया।
मेरी साँसें रुक गई और मेरे मुँह से चीख निकल गई- “अह्ह... ओहह...” और उसके सिर को जोर से अपनी चूत पर दबा दिया और अपने चूतड़ उठा दिए।
मेरी पूरी चूत कृष्णा के मुँह में थी। उसने अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत में डाल दी। मैं उसकी जीभ को बर्दाश्त नहीं कर सकी और “आहहह' करते हुए झड़ने लगी। कृष्णा ने मेरा सारा रस चाट लिया। मैं कुछ देर तक शांत पड़ी रही। कृष्णा ऊपर उठते हुए मेरी चूचियों को फिर से चाटने लगा और अपने हाथ नीचे लेजाकर अपनी उंगली मेरी चूत पे रगड़ने लगा। मैं फिर से गर्म होने लगी और मेरी चूत में बहुत सुरसुरी हो रही थी। कृष्णा ने चूत को सहलाते हुए उंगली मेरी चूत में घुसा दी।
मेरे मुँह से एक हल्की चीख निकल गई- “ओईई... ओहह..”
कृष्णा अपनी उंगली को अंदर-बाहर करने लगा। कुछ ही देर में मुझे इतना मजा आने लगा की मैं बता नहीं सकती। मैं अपने चूतड़ उछालकर उसकी उंगली अंदर ले रही थी। कृष्णा ने अपनी उंगली निकाली और फिर दो उंगलियां मेरी चूत में डाल दी।
मैं उछल पड़ी, मेरे मुँह से एक बड़ी चीख निकल गई- “कृष्णा बहुत दर्द हो रहा है, निकालो...”
मगर कृष्णा मेरी बात सुने बगैर अपनी उंगलियां अंदर-बाहर करने लगा। कुछ ही देर में मुझे मजा आना शुरू हो गया और मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे सिसकियां निकलने लगी। कृष्णा अपने होंठों से मुझे चूमने लगा। मैं भी अब गर्म हो चुकी थी, मैं भी उसका भरपूर साथ देने लगी और उसके होंठों को काटने लगी।
मैंने आज तक किसी मर्द को अपना बदन नहीं दिखाया था। कृष्णा को मुझे ऐसा घूरते हुए देखकर मैं शर्मा गई
और अपने हाथों से अपनी चूचियां ढकने की नाकाम कोशिश करने लगी। कृष्णा ने आगे बढ़कर मेरे हाथों को। पकड़कर मेरी चूचियों से दूर किया और अपने होंठ मेरी चूचियों के ऊपर रख दिए। मेरे सारे जिश्म में सनसनाहट होने लगी।
कृष्णा ने अपने मुँह से मेरी चूचियों को ऊपर से चाटते हुए मेरी एक चूची के गुलाबी निपल को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा। मेरा मजे के मारे बुरा हाल था। मैंने कृष्णा के सिर को पकड़ लिया, कृष्णा मेरी चूची को बहुत जोर से चूस रहा था। मुझे उसके चूसने से बहुत मजा आ रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूची के अंदर से कोई कुछ खिंच रहा हो। वो चूची को चूसते हुए मेरी सलवार का नाड़ा खोला और अपने हाथ से पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को सहलाने लगा।
कृष्णा ने मेरी चूची को अपने मुँह से निकालते हुए कहा- “वाह... मजा आ गया। तुम्हारी चूचियां तो बहुत मीठी हैं..." और वो फिर से मेरी चूचियों को एक-एक करके चाटने लगा और अचानक उसने मेरी दूसरी चूची को मुँह में लेकर उसे काट दिया।
मेरे मुँह से हल्की चीख निकल गई- “ओह... दर्द होता है..” और वो अपना मुँह नीचे लेजाकर मेरे पेट पर आ । गया, और अपनी जीभ निकालकर मेरी नाभि को चाटने लगा। मुझे गुदगुदी और मजे का मिला-जुला अहसास हो। रहा था।
कृष्णा और नीचे जाने लगा और मेरी सलवार को उतारकर मेरी पैंटी के ऊपर मुँह रखकर सूंघा और कहा- “वाह धन्नो.. तुम्हारी चूत की खुश्बू तो बहुत बढ़िया है...”
कृष्णा पैंटी के ऊपर से ही अपने मुँह से मेरी चूत को चाट रहा था। मैं मजे से सिसक रही थी, कृष्णा ने मेरी पैंटी में हाथ डाला और उसे उतारने लगा। मेरी साँसें तेज होने लगी, मैंने अपने चूतड़ उठा दिए और उसे पैंटी उतारने में मदद की। पैंटी उतरते ही वो मेरी गुलाबी चूत को देखकर अपने होंठों पर जीभ फेरने लगा। उसने मेरी हल्के बलों वाली चूत पे अपना हाथ रखा और उसे ऊपर से नीचे तक सहलाने लगा।
मेरे मुँह से ‘आअहहह' निकल गई।
कृष्णा अपना मुँह नीचे लेजाकर मेरी चूत को सँघने लगा और अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत के दाने पर फेरने लगा। मैं उत्तेजना के मारे अपने चूतड़ उछालने लगी। कृष्णा दाने को चूसते हुए नीचे जाने लगा और मेरी चूत के होंठों पे किस करते हुए उसे अपने मुँह में भर लिया।
मेरी साँसें रुक गई और मेरे मुँह से चीख निकल गई- “अह्ह... ओहह...” और उसके सिर को जोर से अपनी चूत पर दबा दिया और अपने चूतड़ उठा दिए।
मेरी पूरी चूत कृष्णा के मुँह में थी। उसने अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत में डाल दी। मैं उसकी जीभ को बर्दाश्त नहीं कर सकी और “आहहह' करते हुए झड़ने लगी। कृष्णा ने मेरा सारा रस चाट लिया। मैं कुछ देर तक शांत पड़ी रही। कृष्णा ऊपर उठते हुए मेरी चूचियों को फिर से चाटने लगा और अपने हाथ नीचे लेजाकर अपनी उंगली मेरी चूत पे रगड़ने लगा। मैं फिर से गर्म होने लगी और मेरी चूत में बहुत सुरसुरी हो रही थी। कृष्णा ने चूत को सहलाते हुए उंगली मेरी चूत में घुसा दी।
मेरे मुँह से एक हल्की चीख निकल गई- “ओईई... ओहह..”
कृष्णा अपनी उंगली को अंदर-बाहर करने लगा। कुछ ही देर में मुझे इतना मजा आने लगा की मैं बता नहीं सकती। मैं अपने चूतड़ उछालकर उसकी उंगली अंदर ले रही थी। कृष्णा ने अपनी उंगली निकाली और फिर दो उंगलियां मेरी चूत में डाल दी।
मैं उछल पड़ी, मेरे मुँह से एक बड़ी चीख निकल गई- “कृष्णा बहुत दर्द हो रहा है, निकालो...”
मगर कृष्णा मेरी बात सुने बगैर अपनी उंगलियां अंदर-बाहर करने लगा। कुछ ही देर में मुझे मजा आना शुरू हो गया और मेरे मुँह से उत्तेजना के मारे सिसकियां निकलने लगी। कृष्णा अपने होंठों से मुझे चूमने लगा। मैं भी अब गर्म हो चुकी थी, मैं भी उसका भरपूर साथ देने लगी और उसके होंठों को काटने लगी।