04-01-2019, 06:03 AM
करिश्मा ने कृष्णा का अंडरवेर उतारा और उसका लण्ड अपनी मुट्ठी में लेकर आगे-पीछे करने लगी। इतना करीब से लण्ड देखकर मेरी साँसें भी ऊपर-नीचे होने लगी। वो लड़की कृष्णा के लण्ड का सुपाड़ा खोलकर अपनी जीभ से किसी लालीपाप की तरह चाट रही थी। अचानक वो लड़की उठी और मुझसे कहा- “इतनी दूर क्यों बैठी हो... चलो नजदीक से देखो..” और मुझे खींचते हुए बेड पर बिठा दिया।
अब करिश्मा ने अपना मुँह खोला और कृष्णा का लण्ड अपने मुँह में भरकर चाटने लगी, और उसके अंडों से खेलने लगी। वो लड़की लण्ड चूसने में माहिर थी क्योंकी वो कृष्णा का पूरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी। कुछ देर चूसने के बाद उसने कृष्णा का लण्ड अपने मुँह से निकाला, तो उसका लण्ड चमक रहा था।
मेरे मुँह में पानी आने लगा, मेरा दिल कर रहा था की उस लड़की को दूर करके खुद कृष्णा के लण्ड का स्वाद चखें, मगर डर भी लग रहा था इसीलिए कुछ नहीं कर पा रही थी।
अचानक करिश्मा ने मेरा हाथ पकड़कर कृष्णा के लण्ड पर रख दिया। मेरा सारा शरीर काँपने लगा। मैंने अपना हाथ उसके लण्ड पर से उठा लिया।
करिश्मा ने कहा- “की तुम डरती बहुत हो? हाथ लगाने से और चाटने से कुछ नहीं होता। तुम यहाँ मजे लेने आई हो तो डरती क्यों हो? इसे अपने हाथ में लेकर देखो बहुत मजा आएगा..” कहकर करिश्मा ने फिर से मेरा हाथ कृष्णा के लण्ड पर रख दिया।
इस बार मैंने हाथ नहीं हटाया। कृष्णा का लण्ड बहुत गर्म और सख्त था।
करिश्मा ने कहा- “इसे आगे-पीछे करो, मजा आएगा..."
मैं अपना हाथ उसके लण्ड पर आगे-पीछे करने लगी, मेरा सारा शरीर उत्तेजना के मारे काँप रहा था और मेरी साँसें बहुत तेज चल रही थी। कृष्णा के लण्ड से एक बूंद वीर्य की निकल रही थी। मुझे जाने क्या हो गया, मैंने अपनी जीभ निकालकर उसे चाट लिया। कृष्णा के मुँह से सिसकी निकल गई। उसके लण्ड से अजीब खुश्बू आ रही थी, मुझे कुछ अजीब स्वाद लगा मगर मैं अपने काबू में नहीं थी। मैं अपनी जीभ से उसके लण्ड को ऊपर से नीचे चाटने लगी। मेरी चूत उत्तेजना के मारे पानी की नदियां बहा रही थी। मैंने अपना मुँह खोला और कृष्णा के लण्ड को मुँह में भर लिया और चाटने लगी।
कृष्णा के मुँह से ‘ओह' निकल गई। उसने कहा- “अपने मुँह को पूरा खोलो, तुम्हारे दाँत लग रहे हैं। अपने होंठों और जीभ से चाटो...”
मैंने अपना पूरा मुँह खोला, कुछ देर चाटने के बाद मेरा मुँह दुखने लगा। मैंने उसका लण्ड बाहर निकाल लिया। कृष्णा ने उठकर मुझे सीधा लेटा दिया और मेरी कमीज के ऊपर से चूचियों को अपने हाथों से सहलाने लगा। उसके सख़्त हाथ पाते ही मेरे मुँह से एक सिसकी निकल गई। मैं मजे से हवा में उड़ने लगी। उसने मेरे गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसते हुए अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मैं बहुत गर्म थी। मैं उसकी जीभ को पकड़कर चाटने लगी। वो अब मेरे नीचे वाले होंठ को चूसने लगा और हल्का काट भी रहा था।
अब करिश्मा ने अपना मुँह खोला और कृष्णा का लण्ड अपने मुँह में भरकर चाटने लगी, और उसके अंडों से खेलने लगी। वो लड़की लण्ड चूसने में माहिर थी क्योंकी वो कृष्णा का पूरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी। कुछ देर चूसने के बाद उसने कृष्णा का लण्ड अपने मुँह से निकाला, तो उसका लण्ड चमक रहा था।
मेरे मुँह में पानी आने लगा, मेरा दिल कर रहा था की उस लड़की को दूर करके खुद कृष्णा के लण्ड का स्वाद चखें, मगर डर भी लग रहा था इसीलिए कुछ नहीं कर पा रही थी।
अचानक करिश्मा ने मेरा हाथ पकड़कर कृष्णा के लण्ड पर रख दिया। मेरा सारा शरीर काँपने लगा। मैंने अपना हाथ उसके लण्ड पर से उठा लिया।
करिश्मा ने कहा- “की तुम डरती बहुत हो? हाथ लगाने से और चाटने से कुछ नहीं होता। तुम यहाँ मजे लेने आई हो तो डरती क्यों हो? इसे अपने हाथ में लेकर देखो बहुत मजा आएगा..” कहकर करिश्मा ने फिर से मेरा हाथ कृष्णा के लण्ड पर रख दिया।
इस बार मैंने हाथ नहीं हटाया। कृष्णा का लण्ड बहुत गर्म और सख्त था।
करिश्मा ने कहा- “इसे आगे-पीछे करो, मजा आएगा..."
मैं अपना हाथ उसके लण्ड पर आगे-पीछे करने लगी, मेरा सारा शरीर उत्तेजना के मारे काँप रहा था और मेरी साँसें बहुत तेज चल रही थी। कृष्णा के लण्ड से एक बूंद वीर्य की निकल रही थी। मुझे जाने क्या हो गया, मैंने अपनी जीभ निकालकर उसे चाट लिया। कृष्णा के मुँह से सिसकी निकल गई। उसके लण्ड से अजीब खुश्बू आ रही थी, मुझे कुछ अजीब स्वाद लगा मगर मैं अपने काबू में नहीं थी। मैं अपनी जीभ से उसके लण्ड को ऊपर से नीचे चाटने लगी। मेरी चूत उत्तेजना के मारे पानी की नदियां बहा रही थी। मैंने अपना मुँह खोला और कृष्णा के लण्ड को मुँह में भर लिया और चाटने लगी।
कृष्णा के मुँह से ‘ओह' निकल गई। उसने कहा- “अपने मुँह को पूरा खोलो, तुम्हारे दाँत लग रहे हैं। अपने होंठों और जीभ से चाटो...”
मैंने अपना पूरा मुँह खोला, कुछ देर चाटने के बाद मेरा मुँह दुखने लगा। मैंने उसका लण्ड बाहर निकाल लिया। कृष्णा ने उठकर मुझे सीधा लेटा दिया और मेरी कमीज के ऊपर से चूचियों को अपने हाथों से सहलाने लगा। उसके सख़्त हाथ पाते ही मेरे मुँह से एक सिसकी निकल गई। मैं मजे से हवा में उड़ने लगी। उसने मेरे गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसते हुए अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मैं बहुत गर्म थी। मैं उसकी जीभ को पकड़कर चाटने लगी। वो अब मेरे नीचे वाले होंठ को चूसने लगा और हल्का काट भी रहा था।