18-07-2019, 03:13 PM
लेकिन मुझे लगा कि मैं अपना लण्ड निकाल नहीं सकता हूँ, इसलिए मैं थोड़ा रूक कर उसके दूध के निप्पल को चूसने लगा।
जब कुछ देर बाद उसका दर्द कम हुआ तो अपने चूतड़ को उठाकर मेरे लण्ड को अन्दर लेने की कोशिश करने लगी और मेरे कान में बोली- मेरे राजा, इसको फाड़ दो।
उसकी इस बात को सुनकर मैं भी लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगा।
धीरे-धीरे वो बड़बड़ाने लगी- चोद मेरे को चोद, फाड़ दे मेरी बुर को। कब से तड़पा रही थी ये मादरचोद।
और पता नहीं क्या-क्या बोले जा रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.