18-07-2019, 03:11 PM
नीलम मुझसे बिल्कुल सट कर लेटी थी और अपनी एक टांग मेरे जांघों के ऊपर रखे हुए थी।
कभी-कभी तो मेरे सुपाड़े के आवरण को बड़ी बेदर्दी से इस प्रकार नीचे की ओर करती थी कि मेरे मुँह से हल्की सी सीत्कार निकल जाती थी और फिर अपने नाखून से उस कटी हुई जगह को कुरेदती थी।
उसकी इस हरकत से जहाँ मीठा-मीठा दर्द होता था वहीं एक अजीब सी उत्तेजना बढ़ती जाती थी और इस कारण मेरा लण्ड फिर से खड़ा होकर के अकड़ने लगा।
लण्ड महराज को अकड़ता देख वो धीरे से मुस्कुराई और बोली- बड़ा अकड़ रहा है, रूक जा थोड़ी देर मैं तेरी अकड़ निकालती हूँ।
इतना कहते ही नीलम उठी और तेजी से रसोई की ओर गई और वहाँ से एक कटोरी में तेल ले आई, धार बनाकर मेरे लण्ड पर तेल उड़ेली और लण्ड को तेल से सरोबार कर दिया।
फिर खुद भी जमीन पर लेट कर अपनी टांगों को उठा कर अपने सर से मिलाते हुए बोली- मेरे राजा, अपनी उँगली से तेल ले-ले कर मेरे चूत के छेद में डालो ताकि यह भी चिकनी हो जाये।
कभी-कभी तो मेरे सुपाड़े के आवरण को बड़ी बेदर्दी से इस प्रकार नीचे की ओर करती थी कि मेरे मुँह से हल्की सी सीत्कार निकल जाती थी और फिर अपने नाखून से उस कटी हुई जगह को कुरेदती थी।
उसकी इस हरकत से जहाँ मीठा-मीठा दर्द होता था वहीं एक अजीब सी उत्तेजना बढ़ती जाती थी और इस कारण मेरा लण्ड फिर से खड़ा होकर के अकड़ने लगा।
लण्ड महराज को अकड़ता देख वो धीरे से मुस्कुराई और बोली- बड़ा अकड़ रहा है, रूक जा थोड़ी देर मैं तेरी अकड़ निकालती हूँ।
इतना कहते ही नीलम उठी और तेजी से रसोई की ओर गई और वहाँ से एक कटोरी में तेल ले आई, धार बनाकर मेरे लण्ड पर तेल उड़ेली और लण्ड को तेल से सरोबार कर दिया।
फिर खुद भी जमीन पर लेट कर अपनी टांगों को उठा कर अपने सर से मिलाते हुए बोली- मेरे राजा, अपनी उँगली से तेल ले-ले कर मेरे चूत के छेद में डालो ताकि यह भी चिकनी हो जाये।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.