18-07-2019, 03:09 PM
नीलम ने मेरे होंठो को चूमना शुरू कर दिया। एक तरीके से वह मेरी जीभ का भी रसास्वादन कर रही थी।
रसास्वादन करते-करते नीलम बोली- शरद आज मैं तुमसे चुदने ही आई हूँ, आज मुझे जी भर के चोदो… मेरी जन्म-जन्म की प्यास बुझा दो।
मैं अगर अपनी बात कहूँ तो नीलम के अलावा उस तरह का सेक्स का मजा मुझे फिर कभी नहीं आया।
नीलम धीरे से मेरे निप्पल को चाट रही थी और बीच-बीच में वो दाँत गड़ा देती जिसका असर यह होता कि मैं भी उसके निप्पल को पकड़ कर मरोड़ देता, जिससे वो सिसकारने लग जाती।
‘शरद मेरी एक बात मानोगे?’
‘हाँ बोलो…’
‘जैसा-जैसा मैं कहूँ, वैसा-वैसा तुम करना, मैं तुम्हें स्वर्ग का आनन्द दूँगी। और यह मत बोलना यह गन्दा है, वो गन्दा है… बस करते जाना।’
रसास्वादन करते-करते नीलम बोली- शरद आज मैं तुमसे चुदने ही आई हूँ, आज मुझे जी भर के चोदो… मेरी जन्म-जन्म की प्यास बुझा दो।
मैं अगर अपनी बात कहूँ तो नीलम के अलावा उस तरह का सेक्स का मजा मुझे फिर कभी नहीं आया।
नीलम धीरे से मेरे निप्पल को चाट रही थी और बीच-बीच में वो दाँत गड़ा देती जिसका असर यह होता कि मैं भी उसके निप्पल को पकड़ कर मरोड़ देता, जिससे वो सिसकारने लग जाती।
‘शरद मेरी एक बात मानोगे?’
‘हाँ बोलो…’
‘जैसा-जैसा मैं कहूँ, वैसा-वैसा तुम करना, मैं तुम्हें स्वर्ग का आनन्द दूँगी। और यह मत बोलना यह गन्दा है, वो गन्दा है… बस करते जाना।’
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.