18-07-2019, 03:06 PM
‘वो कैसे?’ मैंने पूछा, तो वो बोली- वैसे तो जब भी कभी मैं अपने सवाल तुमसे पूछती थी, तो तुम मेरी तरफ देखे बिना मेरे सवाल बता देते थे। पर जब मैं उस दिन फ्राक पहन कर आई थी, और गलती से मेरे टांगों की तरफ तुमने देखा और उसी वक्त मुझे तख्त पर बैठने को कहा, उस समय तो में नहीं समझ पाई पर जब मैं घर गई और कपड़े बदलने लगी तभी मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ। मुझे लगा कि मुझे फ्राक पहन कर तुम्हारे पास नहीं आना चाहिये था और उस पर यह कि मैंने पैन्टी भी नहीं पहनी थी।
मैं तुम्हें देखना चाहती थी यदि मैं दूसरे दिन भी फ्राक पहन कर जाऊँ तो तुम्हारा रिएक्शन क्या होगा। लेकिन जब उस दिन भी तुमने मुझे पलंग पर बैठने के लिये कहा तो मैं समझ गई कि तुम क्या चाहते हो। इसलिये मैं उस दिन से इंतजार कर रही थी कि कब तुमको मैं घर में अकेला पाऊँ और तुम्हारी जिज्ञासा को शान्त करूँ।
मैं तुम्हें देखना चाहती थी यदि मैं दूसरे दिन भी फ्राक पहन कर जाऊँ तो तुम्हारा रिएक्शन क्या होगा। लेकिन जब उस दिन भी तुमने मुझे पलंग पर बैठने के लिये कहा तो मैं समझ गई कि तुम क्या चाहते हो। इसलिये मैं उस दिन से इंतजार कर रही थी कि कब तुमको मैं घर में अकेला पाऊँ और तुम्हारी जिज्ञासा को शान्त करूँ।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
