18-07-2019, 03:05 PM
मेरे लौड़े से अपने मुख को चोद रही थी। उसके इस तरह के मुख चोदन से मुझे लग रहा था कि मैं अब झड़ा कि तब झड़ा।
करीब पंद्रह मिनट के बाद मैं उसके मुँह में झड़ गया। नीलम ने भी मेरे वीर्य की एक-एक बूँद ठीक उसी प्रकार चूस की जैसा कि मैंने उसके किया था।
जब उसने मेरे लौड़े को छोड़ा तो लौड़ा इस प्रकार दिखाई पड़ रहा था कि जैसे बच्चे की छुन्नी। मेरे लौड़े या यूँ कहें कि छुन्नी को देख कर हँसने लगी और कहने लगी- देख तो शरद मैंने तेरे लौड़े का क्या हाल कर दिया।
मैंने कहा- तू इतन अच्छा चूसती है, इसका तो ये हाल होना ही था। कहाँ से सीखा ये सब?
नंगी नीलम मुझसे बोली- यह बताओ कि तेरे को मजा आया या नहीं?
‘अरे बहुत मजा आया। पर तुम तो बड़ी पक्की खिलाड़ी हो और मुझसे तो कह रही थी कि आदमी का लण्ड देखने की तुम्हारी बहुत जिज्ञासा है?
‘अरे वो तो मैं मजाक कर रही थी। मैंने तो तुम्हारी जिज्ञासा को शान्त करने के लिये ये सब किया था।’
करीब पंद्रह मिनट के बाद मैं उसके मुँह में झड़ गया। नीलम ने भी मेरे वीर्य की एक-एक बूँद ठीक उसी प्रकार चूस की जैसा कि मैंने उसके किया था।
जब उसने मेरे लौड़े को छोड़ा तो लौड़ा इस प्रकार दिखाई पड़ रहा था कि जैसे बच्चे की छुन्नी। मेरे लौड़े या यूँ कहें कि छुन्नी को देख कर हँसने लगी और कहने लगी- देख तो शरद मैंने तेरे लौड़े का क्या हाल कर दिया।
मैंने कहा- तू इतन अच्छा चूसती है, इसका तो ये हाल होना ही था। कहाँ से सीखा ये सब?
नंगी नीलम मुझसे बोली- यह बताओ कि तेरे को मजा आया या नहीं?
‘अरे बहुत मजा आया। पर तुम तो बड़ी पक्की खिलाड़ी हो और मुझसे तो कह रही थी कि आदमी का लण्ड देखने की तुम्हारी बहुत जिज्ञासा है?
‘अरे वो तो मैं मजाक कर रही थी। मैंने तो तुम्हारी जिज्ञासा को शान्त करने के लिये ये सब किया था।’
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
