18-07-2019, 03:04 PM
जैसे ही उसकी पकड़ ढीली पड़ी मैंने उसकी बुर कि पुत्ती को पकड़ कर जोर से मसल दिया, वो चीख पड़ी और बोली- यह क्या कर दिया? दर्द हो रहा है।
‘तुम भी तो अपने बुर से मेरा मुख से नहीं हटा रही थी! अपने रस की एक-एक बूँद पिला दी।’
‘अच्छा यह बताओ कि मेरे रस कैसा लगा?’
‘यह तो मैं नहीं बताऊँगा। तुम मेरा लौड़ा चूसो और इसके स्वाद को अपने आप जान नाओ।’
‘अरे इतनी सी बात… ये लो मेरे राजा!’ इतना कहकर नंगी नीलम घुटने के बल बैठ गई और मेरे लोड़े को पकड़ कर आगे की चमड़ी को हटा कर अपने जीभ से उस भाग को चाटने लगी।
वो इस प्रकार उस हिस्से को चाट रही थी जैसे छोटा बच्चा खाना खाने के बाद अपने जीभ से अपने हथेली को चाटता है, ठीक उसी प्रकार से वो मेरे लण्ड को चाट रही थी।
‘तुम भी तो अपने बुर से मेरा मुख से नहीं हटा रही थी! अपने रस की एक-एक बूँद पिला दी।’
‘अच्छा यह बताओ कि मेरे रस कैसा लगा?’
‘यह तो मैं नहीं बताऊँगा। तुम मेरा लौड़ा चूसो और इसके स्वाद को अपने आप जान नाओ।’
‘अरे इतनी सी बात… ये लो मेरे राजा!’ इतना कहकर नंगी नीलम घुटने के बल बैठ गई और मेरे लोड़े को पकड़ कर आगे की चमड़ी को हटा कर अपने जीभ से उस भाग को चाटने लगी।
वो इस प्रकार उस हिस्से को चाट रही थी जैसे छोटा बच्चा खाना खाने के बाद अपने जीभ से अपने हथेली को चाटता है, ठीक उसी प्रकार से वो मेरे लण्ड को चाट रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.