18-07-2019, 03:02 PM
थोड़ी देर बात नीलम बोली- शरद, मुझे पेशाब लगा है।
मैंने उसे अपने से अलग करते हुए उससे कहा- जाओ, करके आओ।
‘अरे पागल… इस नंगी हालत में मैं बाहर कैसे जा सकती हूँ?’
‘अरे तो कपड़े पहन लो…’
‘अरे बहुत तेज से लगी है, जब तक़ मैं कपड़े पहनूँगी तब तक तो यहीं निकल जायेगा।
‘तो यहीं कर लो, फिर बाद में साफ कर लिया जायेगा।’
नीलम बैठ कर मूतने लगी, सीटी जैसी आवाज उसके मूत से आ रही थी, जिसकी वजह से मुझसे रहा नहीं गया और पता नहीं मुझे क्या हुआ मेरा हाथ उसकी बुर पर चला गया और मैं उसकी बुर सहलाने लगा, मेरा हाथ उसके पेशाब से गीला हो रहा था पर मेरा गीला हाथ उसकी बुर पर पड़ता तो एक छपाक की आवाज आती…
पता नहीं मुझे क्या हुआ, मैंने उसको खड़ा कर दिया क्योंकि मैं उसको खड़े होकर मूतते देखना चहता था।
जब वो खड़ी हुई तो मैंने अपनी मध्यिका उँगली उसके योनि द्वार पर रखकर अन्दर की तरफ़ धकेलने लगा, जिसके कारण उसकी पेशाब की बूँदें मेरे बदन पर आ रही थी।
मैंने उसे अपने से अलग करते हुए उससे कहा- जाओ, करके आओ।
‘अरे पागल… इस नंगी हालत में मैं बाहर कैसे जा सकती हूँ?’
‘अरे तो कपड़े पहन लो…’
‘अरे बहुत तेज से लगी है, जब तक़ मैं कपड़े पहनूँगी तब तक तो यहीं निकल जायेगा।
‘तो यहीं कर लो, फिर बाद में साफ कर लिया जायेगा।’
नीलम बैठ कर मूतने लगी, सीटी जैसी आवाज उसके मूत से आ रही थी, जिसकी वजह से मुझसे रहा नहीं गया और पता नहीं मुझे क्या हुआ मेरा हाथ उसकी बुर पर चला गया और मैं उसकी बुर सहलाने लगा, मेरा हाथ उसके पेशाब से गीला हो रहा था पर मेरा गीला हाथ उसकी बुर पर पड़ता तो एक छपाक की आवाज आती…
पता नहीं मुझे क्या हुआ, मैंने उसको खड़ा कर दिया क्योंकि मैं उसको खड़े होकर मूतते देखना चहता था।
जब वो खड़ी हुई तो मैंने अपनी मध्यिका उँगली उसके योनि द्वार पर रखकर अन्दर की तरफ़ धकेलने लगा, जिसके कारण उसकी पेशाब की बूँदें मेरे बदन पर आ रही थी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.