18-07-2019, 03:00 PM
‘और इसको?’ अब उसने अपनी गाण्ड पर हाथ फिराते हुए बोली।
‘गाण्ड!!’
‘क्यों? इसको गाण्ड क्यों कहते हैं?’
मैंने पूछा- क्या मतलब?
तो वो बोली- कि जब तुम्हारा ये लण्ड और मेरी ये बुर है तो फिर हमारी और तुम्हारी गाण्ड का एक नाम क्यों?
मैंने कहा- अरे पगली, ये दोनों एक जैसी है और इन दोनों का आकार अलग-अलग है न इसलिए!!
‘इन दोनों का आकार अलग-अलग क्यों है?’
फिर मैंने उसे समझाया कि जिस प्रकार बिजली से बल्ब जलाने के लिये साकेट और टाप का आकार अलग-अलग होता है उसी प्रकार आदमी और औरत का यह अंग अलग-अलग होता है। और जानती हो, इसको क्या कहते हैं उसकी चूची की घुंडी को दबाते हुए मैंने कहा- इसको चूची कहते हैं।
‘गाण्ड!!’
‘क्यों? इसको गाण्ड क्यों कहते हैं?’
मैंने पूछा- क्या मतलब?
तो वो बोली- कि जब तुम्हारा ये लण्ड और मेरी ये बुर है तो फिर हमारी और तुम्हारी गाण्ड का एक नाम क्यों?
मैंने कहा- अरे पगली, ये दोनों एक जैसी है और इन दोनों का आकार अलग-अलग है न इसलिए!!
‘इन दोनों का आकार अलग-अलग क्यों है?’
फिर मैंने उसे समझाया कि जिस प्रकार बिजली से बल्ब जलाने के लिये साकेट और टाप का आकार अलग-अलग होता है उसी प्रकार आदमी और औरत का यह अंग अलग-अलग होता है। और जानती हो, इसको क्या कहते हैं उसकी चूची की घुंडी को दबाते हुए मैंने कहा- इसको चूची कहते हैं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
