18-07-2019, 02:56 PM
मैंने कहा- मेरी एक अधूरी जिज्ञासा है, बस उस जिज्ञासा को शांत कर दो।
नीलम बोली- कैसी जिज्ञासा?
‘लेकिन एक वादा करो…’
उसने कहा- कैसा वादा?
मैंने कहा- जो मैं तुमसे कहूँगा, वो तुम किसी से नहीं कहोगी।
‘लो, मैं वादा कर रही हूँ, कि किसी से नहीं कहूँगी, अब तुम अपनी जिज्ञासा बोलो।’
‘नीलम मैं तुम्हें…’
मेरे ग़ला सूख रहा था।
वो बोली- हाँ-हाँ मैं तुम्हें…?
नीलम बोली- कैसी जिज्ञासा?
‘लेकिन एक वादा करो…’
उसने कहा- कैसा वादा?
मैंने कहा- जो मैं तुमसे कहूँगा, वो तुम किसी से नहीं कहोगी।
‘लो, मैं वादा कर रही हूँ, कि किसी से नहीं कहूँगी, अब तुम अपनी जिज्ञासा बोलो।’
‘नीलम मैं तुम्हें…’
मेरे ग़ला सूख रहा था।
वो बोली- हाँ-हाँ मैं तुम्हें…?
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
