18-07-2019, 12:59 PM
रफीक रस्सी से एक कुर्सी पर बंधा था और कमरे की धीमी रोशनी में वो अपनी आंख को खोलने की कोशिस कर रहा था उसे अंतिम बात यही याद थी की गौरव ने उसे दबोचा था और खिड़की से बाहर छलांग लगा दी थी ,किसी भारी चीज से सर टकराने के कारण वो अपना होश भी खो चुका था..
जैसे ही उसके शरीर में जान आयी उसके ऊपर पूरा बाल्टी पानी उड़ेल दिया गया..
वो चौक कर सचेत हो चुका था,पास ही खड़े गौरव को ऐसे देख रहा था जैसे वो उसकी मौत हो ..
“मुझे यंहा क्यो लाये हो “उसने अपनी पूरी ताकत लगाकर कहा,बदले में गौरव बस पास रखे एक कुर्सी को सरकाते हुए उसके पास पहुच गया..
और उसके सामने ही बैठ गया…
“कविता के बारे में क्या जानता है तू,और तेरे बाप ने तुझे यंहा क्यो भेजा है “
रफीक को मामला समझ आ चुका था गौरव रफीक को शेख का बेटा समझ रहा था..
“तुम्हे गलतफहमी हुई है गौरव मैं कोई शेख का बेटा नही हु “
चटाक
एक जोर का थप्पड़ उसके गालों में पड़ा…
“मैं जानता हु की तू सीधे तरीके से नही बताएगा तुझे टॉर्चर करने के मेरे पास बहुत सारे तरीके है “
गौरव की शैतानी मुस्कान को देखकर रफीक जैसे सख्त जान इंसान भी कांप गया..
“मैं मैं सही कह रहा हु गौरव मैं शेख का बेटा नही हु मैं तो ...मुझे तो डॉ चूतिया ने पैसे देखकर यंहा बुलाया है..”
इस बार गौरव गुस्सा नही हुआ बल्कि कुछ सोच में पड़ गया
“चूतिया ने ??,आखिर क्यो??”
“वो तो मुझे नही पता लेकिन उसने बस जो कहा हमने बस उतना ही किया “
गौरव बहुत देर तक सोचता ही रहा
“ओह तो ये उस साले चूतिया का किया धरा है ,कोई बात नही सब मरेंगे जो भी मेरे रास्ते में आएगा वो सब मरेंगे “
गौरव की बात में एक जुनून था ………
“और पूर्वी ...पूर्वी का क्या “रफीक की आवाज में फिक्र थी ..
“ह्म्म्म पूर्वी मेरी है और वो मेरी ही रहेगी ,चाहे वो डॉ चूतिया कितनी भी कोशिस कर ले वो मेरी पूर्वी को मुझसे नही छीन सकता ,जैसे वो मुझसे मेरी कविता को छिनने की कोशिस की ,लेकिन कविता ….कविता आज भी मेरी है …”
गौरव ने अपनी उंगली एक तरफ उठाई ,रफीक ने उस उंगली का पीछा किया और उसका मुह खुला का खुला रह गया...
जैसे ही उसके शरीर में जान आयी उसके ऊपर पूरा बाल्टी पानी उड़ेल दिया गया..
वो चौक कर सचेत हो चुका था,पास ही खड़े गौरव को ऐसे देख रहा था जैसे वो उसकी मौत हो ..
“मुझे यंहा क्यो लाये हो “उसने अपनी पूरी ताकत लगाकर कहा,बदले में गौरव बस पास रखे एक कुर्सी को सरकाते हुए उसके पास पहुच गया..
और उसके सामने ही बैठ गया…
“कविता के बारे में क्या जानता है तू,और तेरे बाप ने तुझे यंहा क्यो भेजा है “
रफीक को मामला समझ आ चुका था गौरव रफीक को शेख का बेटा समझ रहा था..
“तुम्हे गलतफहमी हुई है गौरव मैं कोई शेख का बेटा नही हु “
चटाक
एक जोर का थप्पड़ उसके गालों में पड़ा…
“मैं जानता हु की तू सीधे तरीके से नही बताएगा तुझे टॉर्चर करने के मेरे पास बहुत सारे तरीके है “
गौरव की शैतानी मुस्कान को देखकर रफीक जैसे सख्त जान इंसान भी कांप गया..
“मैं मैं सही कह रहा हु गौरव मैं शेख का बेटा नही हु मैं तो ...मुझे तो डॉ चूतिया ने पैसे देखकर यंहा बुलाया है..”
इस बार गौरव गुस्सा नही हुआ बल्कि कुछ सोच में पड़ गया
“चूतिया ने ??,आखिर क्यो??”
“वो तो मुझे नही पता लेकिन उसने बस जो कहा हमने बस उतना ही किया “
गौरव बहुत देर तक सोचता ही रहा
“ओह तो ये उस साले चूतिया का किया धरा है ,कोई बात नही सब मरेंगे जो भी मेरे रास्ते में आएगा वो सब मरेंगे “
गौरव की बात में एक जुनून था ………
“और पूर्वी ...पूर्वी का क्या “रफीक की आवाज में फिक्र थी ..
“ह्म्म्म पूर्वी मेरी है और वो मेरी ही रहेगी ,चाहे वो डॉ चूतिया कितनी भी कोशिस कर ले वो मेरी पूर्वी को मुझसे नही छीन सकता ,जैसे वो मुझसे मेरी कविता को छिनने की कोशिस की ,लेकिन कविता ….कविता आज भी मेरी है …”
गौरव ने अपनी उंगली एक तरफ उठाई ,रफीक ने उस उंगली का पीछा किया और उसका मुह खुला का खुला रह गया...
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प्यार या धोखा
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