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Fantasy गेंदामल हलवाई का चुदक्कड़ परिवार
#39
भाग - 38

राजू ने अपने होंठों को लता के होंठों पर रख दिया, लता एकदम से पीछे हट गई और बिस्तर से खड़ी होकर बाहर को जाने लगी.. राजू ने उससे पकड़ने के लिए हाथ आगे बढ़ाया.. तो लता का शाल उसके हाथ में आ गया और वो उसके बदन से अलग हो गया।

अब लता सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में राजू के सामने खड़ी थी। उसके ब्लाउज में कसी हुई चूचियां ऊपर-नीचे हो रही थीं। ये देख कर राजू का लण्ड पजामे में एकदम तन कर खड़ा हो गया.. उसने आगे बढ़ कर लता को अपनी बाँहों में भर लिया और उसके होंठों को एक बार फिर से अपने होंठों में भर कर चूसने लगा।

राजू का लण्ड लता के पेटीकोट के ऊपर से उसकी चूत के ऊपर जा लगा।

लता के पूरे बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई। उसका बदन ढीला पड़ने लगा.. मौका देख राजू ने लता को बिस्तर के पास ले जाकर उसको बिस्तर पर धकेल दिया और पागलों की तरह लता पर टूट पड़ा।

वो उसके होंठों गालों और गर्दन और चूचियों के ऊपर हिस्से को चूमने लगा… लता एकदम मदहोश सी हो गई।

लता- आह ओह्ह राजू बेटा.. कुसुम आ जाएगी ओह.. छोड़ मुझे क्या कर रहा है।

लता भले ही राजू को छोड़ने के लिए कह रही थी, पर वो उसका विरोध बिल्कुल भी नहीं कर रही थी। राजू बुरी तरह उसकी चूचियों को मसलते हुए.. उसके पूरे बदन को अपनी जीभ से चाट रहा था और लता अब कामविभोर होकर ‘आहह.. ओह्ह’ कर रही थी।

राजू ने दोनों हाथों से लता के ब्लाउज के हुक खोल दिए और उसके ब्लाउज को थोड़ी सी मेहनत के बाद लता के बदन से अलग कर दिया।

अब राजू के सामने लता के दोनों बड़ी-बड़ी चूचियां बेपर्दा हो चुकी थीं.. जिसे देख कर राजू की आँखों में वासना का भूत का सवार हो गया और वो अपने दोनों हाथों में लता के दोनों पपीतों को भर कर ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा। जैसे वो उसका सारा दूध निचोड़ लेना चाहता हो, “आह्ह.. राजू कुसुम आ जाएगी बेटा आह.. मेरे बात सुन ले छोरे…।”

राजू ने लता की चूचियों को निचोड़ते हुए.. झुक कर उसके एक चूचुक को मुँह में भर लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा और एक हाथ नीचे ले जाकर लता का पेटीकोट ऊपर उठाने लगा।

लता ने अपना हाथ नीचे ले जाकर राजू को रोकने की नाकामयाब कोशिश की और आखिर राजू ने उसके पेटीकोट को ऊपर उठा ही दिया। फिर राजू ने अपने पजामे के नाड़े को खोल कर अपना पजामा बाहर निकाल दिया।

राजू ने ये सब इतनी फुर्ती से किया कि लता को संभलने का मौका भी नहीं मिला और अगले ही पल राजू के लण्ड का दहकता हुआ सुपारा लता की चूत की फांकों को फैला कर चूत के छेद पर जा लगा।

लता के पूरे बदन मैं बिजली सी कौंध गई.. उसकी आँखें मस्ती में बंद हो गईं और लता ने अपने दोनों हाथों को ऊपर ले जाकर अपने सर के नीचे रखे तकिए को कस कर पकड़ लिया।

लता राजू के लण्ड के गरमी को अपनी चूत के छेद पर महसूस करके बेहाल हो चुकी थी। उसने अपने हथियार राजू के सामने डाल दिए, ये देख कर राजू घुटनों के बल बैठ गया और पास पड़े लता के ब्लाउज को उठा कर बिस्तर की दूसरे तरफ फेंक दिया और फिर लता की टांगों को घुटनों से मोड़ कर ऊपर उठा कर फैला दिया। राजू ने देखा लता लेटी हुई तेज़ी से साँसें ले रही थी।

उसकी बड़ी-बड़ी गुंदाज चूचियां साँस लेने से ऊपर-नीचे हो रही थीं। जब राजू की तरफ से कोई हरकत नहीं हुई.. तो लता एकदम से मचल उठी और अपनी गाण्ड को धीरे-धीरे ऊपर उठाने लगी।

ये देख कर राजू के होंठों पर मुस्कान फ़ैल गई.. राजू के लण्ड का मोटा सुपारा लता की चूत के छेद फ़ैलाता हुआ अन्दर घुसने लगा।

ओह्ह चोद ना..आ राजू रुक्ककक.. क्यों गया ओह… मेरी चूत मैं आग लगा दी… आह्ह..।”

राजू ने भी ज्यादा देर नहीं की और एक जोरदार धक्का मार कर अपना पूरा लण्ड एक ही बार में लता की चूत की गहराईयों में उतार दिया।

लता- आह्ह.. राजू मेरी चूतततत्त.. फाड़ दी…ए ओह..।

राजू लता के ऊपर झुक गया और उसकी टांगों को अपने कंधों पर रख कर जोरदार धक्के लगाने लगा। हर धक्के के साथ राजू के लण्ड का सुपारा उसकी बच्चेदानी के मुँह से जा टकराता और लता की चूत में मस्ती की लहर दौड़ जाती। वो भी अपनी गाण्ड को ऊपर की ओर उछाल कर अपनी चूत की गहराईयों में राजू के लण्ड को लेने के कोशिश करती और जब राजू की जाँघों की जड़ें.. लता के भारी और मोटे चूतड़ों से टकरातीं.. लता की गाण्ड वापिस बिस्तर से आ टकराती।

तभी अचानक से कमरे का दरवाजा खुला और कुसुम अन्दर आ गई। अन्दर का नज़ारा देख कुसुम एकदम से चौंक गई। दरवाजा खुलने की आवाज़ सुन कर दोनों दरवाजे की तरफ देखने लगे।

यहाँ पर कुसुम खड़ी थी। कुसुम बुरी तरह से झेंप गई और कमरे से बाहर जाने लगी.. लता ने भी अपने बेपर्दा हुई चूचियों को ढकने के लिए ब्लाउज को ढूँढना शुरू कर दिया.. पर जब राजू ने ब्लाउज को बिस्तर के दूसरी तरफ फेंका तो लता की आँखें बंद थीं।

राजू ने अपने लण्ड को लता की चूत से बाहर निकाला और बिजली की फुर्ती के साथ बिस्तर से नीचे उतर कर कुसुम को पीछे से पकड़ लिया और बिस्तर के पास ले आया।

“ये ये क्या कर रहा है राजू.. तू छोड़.. छोड़ मुझे….।” कुसुम ने शरमाते हुए कहा।

“नहीं मालकिन आज मैं तुम दोनों को एक साथ चोदूँगा… ये हमारी आख़िर रात है यहाँ पर…।”

कुसुम ने शर्मा कर नीचे की ओर देखते हुए कहा- नहीं राजू.. छोड़ मुझे मुझसे नहीं होगा ये सब माँ के सामने… जाने दे मुझे राजू, देख मुझे शर्मिंदा ना कर।

बिस्तर पर बैठी लता को कुछ समझ में नहीं आ रहा था.. वो अपने दोनों हाथों से अपनी बड़ी-बड़ी चूचियों को छुपाने की कोशिश कर रही थी। लता ने बिस्तर से नीचे उतरने की कोशिश की पर राजू ने उससे वापिस बिस्तर पर धकेल दिया।

लता को इससे पहले कि कुछ समझ आता.. राजू बिस्तर पर चढ़ गया.. उसने एक हाथ से कुसुम का हाथ पकड़ा हुआ था। जैसे ही राजू बिस्तर पर चढ़ा, उसने कुसुम को बिस्तर पर खींच लिया। कुसुम गिरते हुए बिस्तर पर आ लेटी।

अब लता और कुसुम दोनों एक-दूसरे के बगल में लेटी हुई थीं। कुसुम ने उठना चाहा तो राजू ने ये कह कर उससे रोक दिया कि अगर वो उससे प्यार करती है.. तो उसका साथ दे..।

कुसुम वहाँ आँखें बंद करके लेट गई।

राजू लता की जाँघों के बीच में बैठा हुआ था.. उसने लता के पेटीकोट को पकड़ कर ऊपर उठा दिया। लता ने एक बार कुसुम की तरफ देखा जो कि आँखें बंद किए हुए उसकी बगल में लेटी हुई थी।

राजू ने पलक झपकते ही अपने लण्ड के मोटे सुपारे को लता की चूत के छेद पर लगा दिया.. लता की चूत पहले से ही कामरस से सनी हुई थी।

अपनी चूत के छेद पर राजू के लण्ड के मोटे और गरम सुपारे को महसूस करते ही.. लता की आँखें मस्ती में बंद हो गईं.. उसने अपने होंठों को अपने दाँतों में दबा लिया, ताकि उसकी मस्ती भरी सिसकारियां उसकी बेटी कुसुम के कानों में ना पड़ें। उसका चेहरा शरम से लाल होकर दहक रहा था। राजू ने लता के पैरों को घुटनों से मोड़ कर टाँगों को ऊपर उठा कर एक जोरदार धक्का मारा।

राजू का लण्ड पूरी रफ्तार के साथ एक ही बार में लता की चूत की गहराईयों में जा घुसा.. लता के मुँह से घुटी हुई हल्की सी ‘आह’ निकल गई.. जिसे सुन कर कुसुम की चूत की फाँकें भी कुलबुलाने लगीं।

उसने अपनी आँखों को थोड़ा सा खोल कर राजू की तरफ देखा.. राजू लता की टांगों के बीच घुटनों के बल बैठा हुआ था और उसकी माँ लता के टाँगें हवा में झूल रही थीं।

राजू का लण्ड पूरा का पूरा लता की चूत की गहराईयों में समाया हुआ था।

राजू ने अपने हाथ को आगे बढ़ा कर कुसुम के हाथ को पकड़ कर उठा दिया.. जैसे कुसुम ठीक उसके बराबर में आकर बैठ गई। राजू ने अपना एक हाथ उसके पीछे से ले जाकर दूसरी तरफ वाले कंधे पर रख कर कुसुम को अपने से सटा लिया।

“आह मालिकन.. देखो ना बड़ी मालकिन की चूत कैसे पानी टपका रही है।”

ये बात सुनते ही दोनों को चेहरे शरम से लाल हो गईं।

राजू के धक्कों की रफ़्तार लगातार बढ़ती जा रही थी और वो पूरी ताक़त के साथ अपनी गाण्ड को हिला-हिला कर अपना लण्ड लता की चूत में पेल रहा था। राजू के ताबड़तोड़ धक्कों ने लता की चूत की दीवारों को हिला कर रख दिया। मस्ती में आकर लता अब अपनी मस्ती भरी सिसकारियों को चाह कर भी ना दबा पा रही थी।

“आहह.. ऊंहह आह धीरे ओह ओह्ह से..इई..”

अपनी माँ की मस्ती भरी सिसकियां सुन कर कुसुम की चूत भी पसीजने लगी। चूत में लण्ड लेने की खुजली और बढ़ गई। कुसुम ने अपनी आँखों को थोड़ा सा खोल कर लता की टाँगों के बीच में देखा, तो उसके दिल की धड़कनें और बढ़ गईं।

राजू का 3 इंच मोटा और 8 इंच लंबा लण्ड लता की चूत की फांकों को फैलाए हुए तेज़ी से अन्दर-बाहर हो रहा था, उसका लण्ड लता की चूत के रस से भीग कर चमक रहा था। लण्ड ‘फच-फच’ की आवाज़ करता हुआ तेज़ी से उसकी चूत के अन्दर-बाहर हो रहा था.. जिसे देख कुसुम की चूत भी पूरी तरह पनिया गई।
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RE: गेंदामल हलवाई का चुदक्कड़ परिवार - by Starocks - 03-01-2019, 09:22 PM



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