14-07-2019, 08:21 PM
MEGAUPDATE 14
बच्चे- भैया चलो फुटबॉल खेलते है
अवी- तुम सब खेलो , मैं बस आज खेल देखूँगा
बच्चे - भैया वो देखो आंटी जिसको आपने बॉल मारा था
अवी- चुप रहो वरना फिर मुझपर गुस्सा करेंगी
रेशमा हमारे तरफ ही देख रही थी
बच्चे खेल रहे थे पर मुझे चुप चाप बैठा डेक कर पता नही क्या सोच रही होगी
मैं कुछ देर वैसे खेल देखता रहा फिर वॉचमन से मिलने चला गया
वॉचमन से बात करके वापस आया तो बच्चे मेरे पास आ गये
अवी- खेलना बंद क्यो किया
बच्चे- भैया देखो हमारी बॉल वापस मिल गयी
अवी- किसने की वापस
बच्चे- वही आंटी जिसको आपने बॉल मारी थी
अवी- आंटी ने वापस की बॉल , मेरे बारे कुछ कहा
बच्चे- आंटी पूछ रही थी कि उस दिन क्या हुआ था ,
अवी- तुमने क्या बताया
बच्चे- हमने कहा कि बॉल मैं ने मारा था पर पिटाई से बचने के लिए आपका नाम बताया
अवी- झूठ क्यूँ बोला
बच्चा- झूठ बोला तभी तो बॉल वापस मिल गयी , और अब आंटी आप पर भी गुस्सा नही करेंगी
बच्चा- चलो भैया अब खेलते है , अब तो आंटी भी आप पर गुस्सा नही है
बच्चों ने तो मुझे बचा लिया
फिर क्या था
मैं भी खेलने लगा
रेशमा जब शॉप से कुछ खरीदी करके वापस आई तो मुझे खेलते हुए देखा
रेशमा समझ गयी होगी कि ग़लतफहमी थी
मेरे लिए ये अच्छी बात थी
ऐसे धीरे धीरे दूरिया ख़तम होगी तो अच्छा होगा
अब मैं फिर से रेशमा के बारे में सोचने लगा
रेशमा को फिर से मेरे लिए नॉर्मल देख कर मेरे अंदर भी फीलिंग पैदा हो रही थी
अब कुछ बात बन सकती है
मैं ने तो आज रेशमा के नाम पर गोल पर गोल किए
और बच्चों को जूस पिलाने भी ले गया
अब जाके मुझे चैन आया
अब रेशमा से नज़र मिलती तो उसके आँख मे गुस्सा नही दिखाई देता
मैं मिस्टर मिसेज़ गुप्ता के घर भी आने जाने लगा था
मिस्टर गुप्ता के साथ ड्रिंक भी कर लेता और दो चार बाते हो जाती
कभी कभी जब मैं मिस्टर गुप्ता के घर मे होता तो रेशमा भी आ जाती तो हाई हेलो हो जाती
हाई हेलो से धीरे धीरे बातों की शुरुआत ही हो जाएगी
मिस्टर मिसेज़ गुप्ता को भी अब अच्छा लगने लगा कि उनसे मिलने कोई आता है
एक बार तो चेस का गेम बहुत लंबा चला गुप्ता और मेरे बीच मे
ऐसी छोटी मोटी बातों से रेशमा और मेरे बीच मे थोड़ी बहुत बाते हो जाती
मैं कोई चान्स नही छोड़ता रेशमा से मिलने का
रेशमा भी मिसेज़ गुप्ता के घर अब ज़्यादा ही आने लगी थी
मिस्टर गुप्ता तो मुझे बेटे जैसा मानने लगी
पर अब तक ठीक से बात नही हुई थी रेशमा से
ऐसे मे एक दिन सेक्रेटरी हमारे फ्लोर पर आया
और कहने लगा कि बाल्कनी पर लगी हुई ग्रिल निकालनी है
हम तो उस बात को समझ ही नही पाए
तब सेक्रेटरी ने बताया कि पास के बिल्डिंग मे बाल्कनी की ग्रिल एक लड़के के उपर गिरने से मौत हुई
है तो हम ने डिसाइड किया है कि 4 5 6 7 फ्लोर की ग्रिल निकाल देंगे
इतने उपर बाल्कनी से चोर थोड़ी आएगा
इस लिए ग्रिल निकाल ने को हम ने इजाज़त दे दी
बाल्कनी की ग्रिल निकल जाएगी तो मैं रेशमा के अपार्टमेंट मे आराम से जा पाउन्गा
अब तो मेरे और रेशमा के मिलन के रास्ते क्लियर हो रहे थे
ये तो मेरे लिए अच्छा ही था
जब से रेशमा का गुस्सा कम हुआ तब से मैं ने रेशमा और उसकी सहेली की चुदाई कम कर दी थी
कम क्या बंद ही कर दी थी
अब मेरा फोकस वापस मेरी पड़ोसन रेशमा थी
ऐसा लग रहा था कि जैसे अब हमारा मिलन जल्दी हो जाएगा
सारे रास्ते अपने आप खुल रहे थे
ऐसे मे मैं पिछली बार की तरह मिस्टेक नही कर रहा था
हर कदम आराम से रख रहा था
अब तक रेशमा के घर मे कोई एंट्री नही मिली थी
एक बार उसके घर मे एंट्री मिली तो रेशमा के दिल मे एंट्री कर लूँगा
एक बार रेशमा से बात हुई तो शीष्कारियाँ भी निकालना सिखा दूँगा उसको
बस कोई अच्छा मोका मिल जाए
या फिर कोई प्लान बन जाए तो अच्छा होगा
और एक दिन मैं लोकल से ऑफीस जा रहा था तो मेरे पास दो औरते खड़ी हो गयी
बच्चे- भैया चलो फुटबॉल खेलते है
अवी- तुम सब खेलो , मैं बस आज खेल देखूँगा
बच्चे - भैया वो देखो आंटी जिसको आपने बॉल मारा था
अवी- चुप रहो वरना फिर मुझपर गुस्सा करेंगी
रेशमा हमारे तरफ ही देख रही थी
बच्चे खेल रहे थे पर मुझे चुप चाप बैठा डेक कर पता नही क्या सोच रही होगी
मैं कुछ देर वैसे खेल देखता रहा फिर वॉचमन से मिलने चला गया
वॉचमन से बात करके वापस आया तो बच्चे मेरे पास आ गये
अवी- खेलना बंद क्यो किया
बच्चे- भैया देखो हमारी बॉल वापस मिल गयी
अवी- किसने की वापस
बच्चे- वही आंटी जिसको आपने बॉल मारी थी
अवी- आंटी ने वापस की बॉल , मेरे बारे कुछ कहा
बच्चे- आंटी पूछ रही थी कि उस दिन क्या हुआ था ,
अवी- तुमने क्या बताया
बच्चे- हमने कहा कि बॉल मैं ने मारा था पर पिटाई से बचने के लिए आपका नाम बताया
अवी- झूठ क्यूँ बोला
बच्चा- झूठ बोला तभी तो बॉल वापस मिल गयी , और अब आंटी आप पर भी गुस्सा नही करेंगी
बच्चा- चलो भैया अब खेलते है , अब तो आंटी भी आप पर गुस्सा नही है
बच्चों ने तो मुझे बचा लिया
फिर क्या था
मैं भी खेलने लगा
रेशमा जब शॉप से कुछ खरीदी करके वापस आई तो मुझे खेलते हुए देखा
रेशमा समझ गयी होगी कि ग़लतफहमी थी
मेरे लिए ये अच्छी बात थी
ऐसे धीरे धीरे दूरिया ख़तम होगी तो अच्छा होगा
अब मैं फिर से रेशमा के बारे में सोचने लगा
रेशमा को फिर से मेरे लिए नॉर्मल देख कर मेरे अंदर भी फीलिंग पैदा हो रही थी
अब कुछ बात बन सकती है
मैं ने तो आज रेशमा के नाम पर गोल पर गोल किए
और बच्चों को जूस पिलाने भी ले गया
अब जाके मुझे चैन आया
अब रेशमा से नज़र मिलती तो उसके आँख मे गुस्सा नही दिखाई देता
मैं मिस्टर मिसेज़ गुप्ता के घर भी आने जाने लगा था
मिस्टर गुप्ता के साथ ड्रिंक भी कर लेता और दो चार बाते हो जाती
कभी कभी जब मैं मिस्टर गुप्ता के घर मे होता तो रेशमा भी आ जाती तो हाई हेलो हो जाती
हाई हेलो से धीरे धीरे बातों की शुरुआत ही हो जाएगी
मिस्टर मिसेज़ गुप्ता को भी अब अच्छा लगने लगा कि उनसे मिलने कोई आता है
एक बार तो चेस का गेम बहुत लंबा चला गुप्ता और मेरे बीच मे
ऐसी छोटी मोटी बातों से रेशमा और मेरे बीच मे थोड़ी बहुत बाते हो जाती
मैं कोई चान्स नही छोड़ता रेशमा से मिलने का
रेशमा भी मिसेज़ गुप्ता के घर अब ज़्यादा ही आने लगी थी
मिस्टर गुप्ता तो मुझे बेटे जैसा मानने लगी
पर अब तक ठीक से बात नही हुई थी रेशमा से
ऐसे मे एक दिन सेक्रेटरी हमारे फ्लोर पर आया
और कहने लगा कि बाल्कनी पर लगी हुई ग्रिल निकालनी है
हम तो उस बात को समझ ही नही पाए
तब सेक्रेटरी ने बताया कि पास के बिल्डिंग मे बाल्कनी की ग्रिल एक लड़के के उपर गिरने से मौत हुई
है तो हम ने डिसाइड किया है कि 4 5 6 7 फ्लोर की ग्रिल निकाल देंगे
इतने उपर बाल्कनी से चोर थोड़ी आएगा
इस लिए ग्रिल निकाल ने को हम ने इजाज़त दे दी
बाल्कनी की ग्रिल निकल जाएगी तो मैं रेशमा के अपार्टमेंट मे आराम से जा पाउन्गा
अब तो मेरे और रेशमा के मिलन के रास्ते क्लियर हो रहे थे
ये तो मेरे लिए अच्छा ही था
जब से रेशमा का गुस्सा कम हुआ तब से मैं ने रेशमा और उसकी सहेली की चुदाई कम कर दी थी
कम क्या बंद ही कर दी थी
अब मेरा फोकस वापस मेरी पड़ोसन रेशमा थी
ऐसा लग रहा था कि जैसे अब हमारा मिलन जल्दी हो जाएगा
सारे रास्ते अपने आप खुल रहे थे
ऐसे मे मैं पिछली बार की तरह मिस्टेक नही कर रहा था
हर कदम आराम से रख रहा था
अब तक रेशमा के घर मे कोई एंट्री नही मिली थी
एक बार उसके घर मे एंट्री मिली तो रेशमा के दिल मे एंट्री कर लूँगा
एक बार रेशमा से बात हुई तो शीष्कारियाँ भी निकालना सिखा दूँगा उसको
बस कोई अच्छा मोका मिल जाए
या फिर कोई प्लान बन जाए तो अच्छा होगा
और एक दिन मैं लोकल से ऑफीस जा रहा था तो मेरे पास दो औरते खड़ी हो गयी