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Fantasy गेंदामल हलवाई का चुदक्कड़ परिवार
#36
भाग - 35

वो थोड़ी हिचकी और आगे को सरकी, पर ठीक उसके आगे आग जल रही थी।

शब्बो ने सोचा अभी इस बच्चे से क्या शरमाना और कंबल को आगे से बंद कर दिया.. दोनों एकटक इसी हालत में बाहर खिड़की के ओर झाँक रहे थे कि कब बारिश बंद हो।

राजू एक मस्त और गदराए हुए बदन की औरत के इतने करीब होते हुए भी उसका ध्यान घर की तरफ था कि कुसुम चिंता कर रही होगी।

अनजाने में ही राजू का हाथ शब्बो की कमर पर जा लगा और उसने अपना हाथ वहीं रख दिया। राजू से अनजाने में हुई इस हरकत ने शब्बो के बदन को झिंझोड़ कर रख दिया। राजू के गरम हाथ के स्पर्श को अपनी कमर पर महसूस करके उसके पूरे बदन में मदहोशी छाने लगी और उसके बदन ने एक झटका खाया.. जिसे राजू ने भी महसूस किया।

राजू ने झट से अपना हाथ शब्बो की कमर से हटा लिया। इतने में बाहर जोरों से बदल गरजे। जिसकी आवाज़ सुन कर शब्बो एकदम सहम गई और पीछे को हो गई। उसकी पीठ अब पूरी तरह से राजू की छाती से चिपक गई थी।

इससे राजू का लण्ड अब उसके पजामे में फूलने लगा और वो तन कर शब्बो की कमर के नीचे चुभने लगा। जिससे महसूस करके शब्बो एकदम से चौंक गई। शब्बो के जिस्म की गरमी को महसूस करके राजू भी अपना आपा खोने लगा और शब्बो को जब उसका लण्ड अपनी कमर में चुभता सा महसूस हुआ.. तो उसने इस तरह बैठे रहना ठीक नहीं समझा और खड़ी होने लगी.. पर इससे पहले कि शब्बो खड़ी होती..

राजू ने अपना एक हाथ आगे ले जाकर शब्बो की मांसल जांघ पर रख दिया। शब्बो के पूरे बदन में करेंट सा दौड़ गया। उसने चौंकते हुए पीछे मुड़ कर राजू की तरफ देखा और दोनों की नजरें आपस में जा टकराईं।

वक़्त मानो कुछ पलों के लिए थम गया हो, राजू ने अपने हाथ से उसकी जांघ को मसलना चालू कर दिया, जिससे शब्बो का हाथ फ़ौरन राजू के हाथ के ऊपर आ गया और उसके हाथ को अपनी जांघ के ऊपर रेंगने से रोकने की कोशिश करने लगी। वो अब भी राजू की आँखों में देख रही थी.. जैसे कह रही हो… ना बाबू ऐसा मत करो…।

इससे पहले कि शब्बो कुछ और कर पाती.. राजू ने अपना दूसरा हाथ आगे ले जाकर शब्बो के बाईं चूची को दबोच लिया। शब्बो की चूचियां ज्यादा बड़ी नहीं थीं। उसकी चूची लगभग राजू के हाथ में समा गई थीं।

“अई.. ये.. क्या कर रहे हो बाबू हटो..।” शब्बो ने हड़बड़ाते हुए कहा।

पर राजू तो जैसे अपने होश में ही नहीं था.. वो एक हाथ से शब्बो की चूची दबाए हुए था और दूसरे हाथ से उसकी जांघ को सहला रहा था। शब्बो ना चाहते हुए भी मदहोश हुई जा रही थी।

वो, “बस ना करो बाबू..” बड़बड़ाए जा रही थी।

तभी शब्बो की मानो जैसे सांस हलक में अटक गई हो…उसकी चूत में तेज सरसराहट हुई और उसने अपनी दोनों जाँघों को भींच लिया।

क्योंकि राजू ने अपना हाथ सरका कर उसकी चूत पर रख कर सहलाना शुरू कर दिया था। शब्बो एकदम से हड़बड़ा गई और उठ कर खड़ी हो गई। उसने एक बार राजू की तरफ देखा। उसकी साँसें चढ़ी हुई थीं और उसकी चूचियां ऊपर-नीचे हो रही थीं। जिसे राजू अपनी खा जाने वाली नजरों से देख रहा था।

शब्बो ने नजरें नीचे झुका लीं और खिड़की पास जाकर खड़ी होकर बाहर देखने लगी। उसकी साँसें अभी भी तेज चल रही थीं। तभी उसको राजू के क़दमों की आहट अपने पास आती हुई महसूस हुई, शब्बो का दिल जोरों से धड़कने लगा। राजू शब्बो के पीछे जाकर खड़ा हो गया, शब्बो ने आगे सरकने की कोशिश की.. पर आगे जगह नहीं थी।

राजू ने आगे बढ़ कर शब्बो की गर्दन पर अपने दहकते होंठों को रख दिया। शब्बो के मुँह से मस्ती भरी ‘आह’ निकल गई।

उसकी आँखें मस्ती में धीरे-धीरे बंद होने लगीं। राजू के हाथ फिर से उसके खुली हुई जाँघों के ऊपर आ गए और वो उसके बदन को सहलाने लगा। शब्बो के पूरे बदन में मस्ती की लहर दौड़ गई।

राजू का खड़ा लण्ड शब्बो के लहँगे के ऊपर उसकी गाण्ड के छेद पर दस्तक देने लगा। जिसे महसूस करके शब्बो का पूरा बदन मस्ती में कांपने लगा। उसकी चूत की फाँकें फड़फड़ाने लगीं।

शब्बो ने राजू को पीछे धकेला और तेजी से चलते हुए फिर उसी घास के ढेर के पास आ गई और झुक कर वहाँ पड़े कम्बल को बिछा दिया। राजू खिड़की पास खड़ा हैरान सा शब्बो की तरफ देख रहा था।

कंबल बिछाने के बाद शब्बो उस पर खड़ी हो गई। उसने एक बार राजू की ओर देखा और फिर अपने नज़रें नीचे कर लीं और अपने कुर्ते को पकड़ कर एक झटके से अपने बदन से अलग कर फेंक दिया, उसने नीचे कुछ नहीं पहना हुआ था।

आग की रोशनी में उसका नंगा जिस्म चमक उठा.. उसकी चूचियां एकदम कसी हुई और तनी हुई थीं। दो बच्चे पैदा करने के बाद भी उसकी चूचियां ज़रा भी ढीली नहीं पड़ी थीं।

फिर उसने एक बार राजू की तरफ देखा और कम्बल पर लेट गई। राजू ये सब देख कर एकदम से पागल हो गया.. उसने अपना पजामा उतार कर एक तरफ फेंक दिया और शब्बो की तरफ बढ़ा।

राजू का 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लण्ड देख शब्बो के दिल के धड़कनें बढ़ गईं.. उसने अपने लहँगे को अपनी कमर से ऊपर उठा लिया। उसकी झांटों से भरी चूत राजू की आँखों के सामने आ गई।

राजू सीधा जाकर शब्बो की टांगों के बीच में बैठ गया। लण्ड को अपनी चूत में लेने के चाहत के कारण शब्बो की टाँगें खुद ब खुद फ़ैल गईं।

राजू ने उसकी जाँघों को घुटनों से मोड़ कर अपने लण्ड के सुपारे को शब्बो की चूत के छेद पर टिका दिया। शब्बो की चूत ने राजू के गरम लण्ड के सुपारे को महसूस करते ही पानी बहाना शुरू कर दिया। राजू ने एक बार शब्बो की मदहोशी भरी आँखों में देखा। जैसे वो लौड़ा घुसेड़ने की उससे इजाज़त लेना चाह रहा हो।

शब्बो ने काँपती हुई आवाज़ में कहा- आह.. बाबू रुक क्यों गए.. चोदो ना मुझे.. चोद नाअ साले..।

राजू ने मुस्कुराते हुए एक ज़ोरदार धक्का मारा। राजू का आधे से ज्यादा लण्ड उसकी चूत में पेवस्त हो गया।

“आह्ह.. ओह्ह तू तो बड़ा चोदू है…रेई.. पहली चोट में ही हिला कर रख दिया..आह…।”

राजू ने एक और जोरदार ठाप मारी और उसका पूरा लण्ड शब्बो की चूत में समा गया। मस्ती में शब्बो की टाँगें और उँची हो गईं और वो राजू की पीठ पर अपनी बाँहों को कस कर अपनी गाण्ड को ऊपर की ओर उछाल कर राजू का लण्ड लेने लगी। शब्बो की चूत पूरी पनिया गई थी.. जिससे राजू का लण्ड चिकना होकर तेज़ी से उसकी चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था।

शब्बो ने मस्ती में अपनी गाण्ड को ऊपर की ओर उछालते हुए कहा- आह ह.. छोड़ बाबू मुझे..अए आह.. बहुत मोटा लौड़ा है तेरा..अ ह.. पूरा अन्दर तक.. जा रहा है.. ओह हाआँ चोद मुझे ऐसे ही..ईए माआ मर..गइई..।

राजू ने हाँफते हुए कहा- आह्ह.. आह यकीन नहीं होता तूने इस चूत से दो बच्चों को बाहर निकाला है साली.. बहुत कसी है तेरी चूत ओह..।

शब्बो- हाआँ… तो फाड़ दे..ईए ना मेरी ..भोसड़ी को आह्ह..।

राजू झुक कर शब्बो की एक चूची को मुँह में भर लिया और उसकी चूची को ज़ोर-ज़ोर से चूसते हुए पूरी रफ़्तार के साथ धक्के लगाने लगा। शब्बो भी मस्ती में अपनी चूत को ऊपर की तरफ उछाल कर राजू का लण्ड अपनी चूत की गहराईयों में पूरा ले रही थी।

राजू तेज़ी से धक्के लगाते हुए झड़ने के करीब पहुँच गया था।

“आह.. साली देख अब मेरा लण्ड पानी छोड़ने वाला है..।”

“आ..ह.. तो निकाल ना साले.. मेरी चूत में निकाल दे.. बरसों से प्यासी है.. मेरी बुर आह.. निकाल साले..।”

राजू के लण्ड ने शब्बो की चूत की चूत में वीर्य की बौछार कर दी.. शब्बो भी आँखें बंद करके राजू के लण्ड से निकाल रहे गरम वीर्य को महसूस करके झड़ने लगी।

थोड़ी देर बाद राजू शब्बो के ऊपर से उठ गया और अपना पजामा पहनने लगा। शब्बो भी खड़ी हो गई और अपनी जाँघों को फैला कर अपनी चूत को देखने लगी। राजू का वीर्य उसकी चूत से निकल कर उसकी जाँघों को भिगो रहा था। शब्बो ने एक नज़र राजू की तरफ डाली और जैसे ही राजू ने उसकी तरफ देखा, उसने शरमा कर नजरें झुका लीं।

शब्बो ने शरमाते हुए कहा- छोरे.. तेरे लण्ड ने सच में मेरी चूत की तबियत खुश कर दी.. कितने दिन और है यहाँ पर…?

राजू- शायद 3-4 दिन..।

शब्बो- फिर मिलोगे मुझे….? मेरी चूत अब तेरा लण्ड खाए बिना नहीं मानेगी।

राजू- कोशिश करूँगा.. अगर वक्त निकाल पाया तो..।

शब्बो ने बाहर देखा.. बारिश अभी भी हो रही थी, पर अब सिर्फ़ बूँदा-बांदी थी।

शब्बो- अब तू घर जा सकता है.. बारिश भी धीमी पड़ गई है।

राजू- हाँ.. वो तो देख रहा हूँ।

उसके बाद दोनों अपने-अपने ठिकानों की तरफ चल पड़े। जब राजू घर पहुँचा तो कुसुम उसके लिए बहुत परेशान थी। राजू ने उससे बताया कि वो बारिश की वजह से रुक गया था। कुसुम ने उससे ऊपर जाने के लिए कहा और खुद चाय बना कर राजू के लिए ऊपर कमरे में ले आई। चाय पीते हुए दोनों आपस में बातें करने लगे।
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RE: गेंदामल हलवाई का चुदक्कड़ परिवार - by Starocks - 03-01-2019, 12:05 PM



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