03-01-2019, 11:28 AM
Part - 10
उस झटके के बाद गाड़ी रुक गयी, नीतू मेरी गोद से उतर गयी और दूसरी तरफ की सीट पर बैठ गयी, थोड़ी ही देर में हम लोग घर पहुँच गए,
घर आते ही मैंने गाड़ी रोकी और सामान उतरने लगा लेकिन, वो उतर के सीधे ही बिना कुछ बोले घर में घुसी,
मैंने सोचा भाई से मिलने की जल्दी में वो भाग गयी
तभी राज मेरे पास आया और बोला “अकेला ही आ गया क्या नीतू दी कहा है”
मैंने कहा “ अभी तो जल्दी से उतर कर अन्दर गयी है”
राज बोला “ मुझे तो नहीं दिखाई दी” ठीक है चल अंदर चाय पीते है,”
मैं और राज सामान ले के घर के अंदर आ गए तो नीतू अन्दर भी नहीं थी,
मेरी और राज की नजरे उससे ही ढून्ढ रही थी,
मैं बोला “ मैं बाथरूम जाके आता हु”
जैसे ही मैं बाथरूम के पास गया तो अन्दर से सिस्कारियो की आवाज आ रही थी, मैं समझ गया ये नीतू ही है,
मैंने जल्दी से रोशनदान में से देखा तो, उसने साड़ी और घाघरा उपर उठा लिया था और अपनी पेंटी को साइड पर कर दी थी. उसकी एक ऊँगली बुर में डाली हुई थी. और वो एक हाथ से अपने बूब्स मसल रही थी और दुसरे हाथ की ऊँगली से बुर हिला रही थी. एक मिनिट में उसकी चूत ने कामरस छोड़ दिया था जिसे उसने चाट लिया.
मैं वहां से हट गया. और वापस आ के राज से बोला “ बाथरूम तो लॉक है” शायद नीतू दी है अन्दर”
तभी राज की बीवी रजनी भाभी चाय ले के आ गयी और बोली “ हाँ वो नीतू दी है अन्दर”
हम लोग बैठे बैठे चाय पी रहे थे तभी नीतू भी आ गयी और बोली “सॉरी में जरा जल्दी में थी”
मैंने देखा उसके चेहरे पर वासना साफ़ नजर आ रही थी, और थोड़ी सी थकी हुई
मैं चाय पी के सबको शाम में मिलने के लिए बोलके अपने घर पर आ गया, रस्ते में मैंने कामिनी को दुकान पर देखा, हम दोनों की निगाहे टकराई और आँखों ही आँखों में उसने इतने सवाल पूछ लिए कि क्या बताऊ? मैंने भी उस्सी तरह से जवाब दिया और शाम को मिलने का इशारा करके अपने घर आ गया,
मेरी माँ घर के बरामदे में बैठी किसी से फोन पर बात कर रही थे,
मैं बोला “माँ मैं बहुत थक गया हु, सोने जा रह हु,
माँ बोली “ठीक है “
मैं सीधा कमरे में गया, कपडे बदले और पलंग पर गिर के पजामे के अन्दर हाथ डाल नीतू को याद करके कर मुठ मार रहा था, और रहा नहीं गया तो लंड को पजामे से बाहर निकल कर मुठ मारने लगा, तभी मुझे लगा जैसे दरवाजे के पास से कोई मुझे देखा रहा है, मैंने देखा तो वह कोई नहीं था,
मैं फिर से मुठ मारने लगा, और फिर नीतू को याद करते करते झड गया और की क्या कहू साला इतना माल पहले कभी नहीं निकला, मुझे फिर से लगा दरवाजे पर कोई है तो मैं उठा कर दरवाजे के पास गया, वहाँ कोई नहीं था,
तभी माँ के पास से आवाज आयी, मैं जब माँ के पास गया तो देखा कि माँ के पास अब मेरी भाभी रीना, नेहा भाभी और मेरी बहन भी बैठी थी, अब कैसे पता चले कौन थी जो दरवाजे के पास से मुझे मुठ मरते देख रही थी,
मैं चुपचाप कमरे में आके सो गया,
शाम को भाभी ने आ के जगाया और बोली “ चाय पी लो”
मैंने उठ कर देखा तो वह कोई नहीं था और साथ ही टेबल पर चाय रखी थी,
मैं चाय पीने लगा, और फिर कपडे बदल कर राज के घर की कामिनी की दुकान पर चला गया, सब दोस्त उधर ही थे,
श्याम बोला “ यार तू ये कामिनी पर कोनसा जादू करके गया था, जब देखो तेरे बारे में ही पूछती रहती थी, अबे हमे भी बता,
मैं बोला “ भाई ऐसा कुछ है है, इसका पति भी दुबई में है और मेरे भैया भी, इसलिए पूछती होगी”
बाकी कुछ खास बाते हुई नहीं, इसलिए मैं वापस अपने घर आ गया,
घर आते भाभी ने खाना ला दिया और मैं कहने लगा,
भाभी मुझे छेड़ते हुवे बोली “बड़ी देर तक सोये दोपहर में, इतने ज्यादा कैसे थक गए” अभी तो शादी होनी बाकी है, अभी से ऐसे थकने लगे तो हो गया काम,
मैं बोला “इतनी देर तक गाड़ी चलाई थी न और आप तो जानते हो कि हर किसी के घर मुझे नींद भी नहीं आती इसलिए कल रात को भी बराबर नहीं सो पाया, “
जाने मुझे ऐसा क्यू लग रहा था कि दोपहर में मुझे मुठ मारते समय भाभी ही देख रही थी,
खाना खाने के बाद मैं माँ को बोलकर राज से मिलने उसके घर आ गया, वह कोई नजर नहीं आ रहा था, मैंने देखा राज के कमरे का दरवाजा बंद है, अन्दर से आवाजें आ रही थी, और अगर ये कहूँ की चुदाई की आवाजें आ रही थी तो गलत नहीं होगा,
मैंने घडी में देखा 9.30 ही हुवे है और ये लोग शुरू भी हो गए, बिना कोई आवाज किये मैं वापस जाने लगा तो सोच एक बार नीतू को देख लेता हु वो क्या कर रही है
फिर मैं उस कमरे की तरफ गया, देखा तो वो पलंग में उलटी लेटी हुई थी.
उसकी सेक्सी गांड देख के मेरा लंड फिर से टाईट हो गया.
तभी नीतू ने मुझे बिना देखे बोला “ बड़ी देर लगा दी आने में”
मैं बोला “ अरे आप बोलो तो सही सन्नी में बहुत हिम्मत है”
उस झटके के बाद गाड़ी रुक गयी, नीतू मेरी गोद से उतर गयी और दूसरी तरफ की सीट पर बैठ गयी, थोड़ी ही देर में हम लोग घर पहुँच गए,
घर आते ही मैंने गाड़ी रोकी और सामान उतरने लगा लेकिन, वो उतर के सीधे ही बिना कुछ बोले घर में घुसी,
मैंने सोचा भाई से मिलने की जल्दी में वो भाग गयी
तभी राज मेरे पास आया और बोला “अकेला ही आ गया क्या नीतू दी कहा है”
मैंने कहा “ अभी तो जल्दी से उतर कर अन्दर गयी है”
राज बोला “ मुझे तो नहीं दिखाई दी” ठीक है चल अंदर चाय पीते है,”
मैं और राज सामान ले के घर के अंदर आ गए तो नीतू अन्दर भी नहीं थी,
मेरी और राज की नजरे उससे ही ढून्ढ रही थी,
मैं बोला “ मैं बाथरूम जाके आता हु”
जैसे ही मैं बाथरूम के पास गया तो अन्दर से सिस्कारियो की आवाज आ रही थी, मैं समझ गया ये नीतू ही है,
मैंने जल्दी से रोशनदान में से देखा तो, उसने साड़ी और घाघरा उपर उठा लिया था और अपनी पेंटी को साइड पर कर दी थी. उसकी एक ऊँगली बुर में डाली हुई थी. और वो एक हाथ से अपने बूब्स मसल रही थी और दुसरे हाथ की ऊँगली से बुर हिला रही थी. एक मिनिट में उसकी चूत ने कामरस छोड़ दिया था जिसे उसने चाट लिया.
मैं वहां से हट गया. और वापस आ के राज से बोला “ बाथरूम तो लॉक है” शायद नीतू दी है अन्दर”
तभी राज की बीवी रजनी भाभी चाय ले के आ गयी और बोली “ हाँ वो नीतू दी है अन्दर”
हम लोग बैठे बैठे चाय पी रहे थे तभी नीतू भी आ गयी और बोली “सॉरी में जरा जल्दी में थी”
मैंने देखा उसके चेहरे पर वासना साफ़ नजर आ रही थी, और थोड़ी सी थकी हुई
मैं चाय पी के सबको शाम में मिलने के लिए बोलके अपने घर पर आ गया, रस्ते में मैंने कामिनी को दुकान पर देखा, हम दोनों की निगाहे टकराई और आँखों ही आँखों में उसने इतने सवाल पूछ लिए कि क्या बताऊ? मैंने भी उस्सी तरह से जवाब दिया और शाम को मिलने का इशारा करके अपने घर आ गया,
मेरी माँ घर के बरामदे में बैठी किसी से फोन पर बात कर रही थे,
मैं बोला “माँ मैं बहुत थक गया हु, सोने जा रह हु,
माँ बोली “ठीक है “
मैं सीधा कमरे में गया, कपडे बदले और पलंग पर गिर के पजामे के अन्दर हाथ डाल नीतू को याद करके कर मुठ मार रहा था, और रहा नहीं गया तो लंड को पजामे से बाहर निकल कर मुठ मारने लगा, तभी मुझे लगा जैसे दरवाजे के पास से कोई मुझे देखा रहा है, मैंने देखा तो वह कोई नहीं था,
मैं फिर से मुठ मारने लगा, और फिर नीतू को याद करते करते झड गया और की क्या कहू साला इतना माल पहले कभी नहीं निकला, मुझे फिर से लगा दरवाजे पर कोई है तो मैं उठा कर दरवाजे के पास गया, वहाँ कोई नहीं था,
तभी माँ के पास से आवाज आयी, मैं जब माँ के पास गया तो देखा कि माँ के पास अब मेरी भाभी रीना, नेहा भाभी और मेरी बहन भी बैठी थी, अब कैसे पता चले कौन थी जो दरवाजे के पास से मुझे मुठ मरते देख रही थी,
मैं चुपचाप कमरे में आके सो गया,
शाम को भाभी ने आ के जगाया और बोली “ चाय पी लो”
मैंने उठ कर देखा तो वह कोई नहीं था और साथ ही टेबल पर चाय रखी थी,
मैं चाय पीने लगा, और फिर कपडे बदल कर राज के घर की कामिनी की दुकान पर चला गया, सब दोस्त उधर ही थे,
श्याम बोला “ यार तू ये कामिनी पर कोनसा जादू करके गया था, जब देखो तेरे बारे में ही पूछती रहती थी, अबे हमे भी बता,
मैं बोला “ भाई ऐसा कुछ है है, इसका पति भी दुबई में है और मेरे भैया भी, इसलिए पूछती होगी”
बाकी कुछ खास बाते हुई नहीं, इसलिए मैं वापस अपने घर आ गया,
घर आते भाभी ने खाना ला दिया और मैं कहने लगा,
भाभी मुझे छेड़ते हुवे बोली “बड़ी देर तक सोये दोपहर में, इतने ज्यादा कैसे थक गए” अभी तो शादी होनी बाकी है, अभी से ऐसे थकने लगे तो हो गया काम,
मैं बोला “इतनी देर तक गाड़ी चलाई थी न और आप तो जानते हो कि हर किसी के घर मुझे नींद भी नहीं आती इसलिए कल रात को भी बराबर नहीं सो पाया, “
जाने मुझे ऐसा क्यू लग रहा था कि दोपहर में मुझे मुठ मारते समय भाभी ही देख रही थी,
खाना खाने के बाद मैं माँ को बोलकर राज से मिलने उसके घर आ गया, वह कोई नजर नहीं आ रहा था, मैंने देखा राज के कमरे का दरवाजा बंद है, अन्दर से आवाजें आ रही थी, और अगर ये कहूँ की चुदाई की आवाजें आ रही थी तो गलत नहीं होगा,
मैंने घडी में देखा 9.30 ही हुवे है और ये लोग शुरू भी हो गए, बिना कोई आवाज किये मैं वापस जाने लगा तो सोच एक बार नीतू को देख लेता हु वो क्या कर रही है
फिर मैं उस कमरे की तरफ गया, देखा तो वो पलंग में उलटी लेटी हुई थी.
उसकी सेक्सी गांड देख के मेरा लंड फिर से टाईट हो गया.
तभी नीतू ने मुझे बिना देखे बोला “ बड़ी देर लगा दी आने में”
मैं बोला “क्या, आपको कैसे पता की मैं ही हु और मैं जरूर आऊंगा ??”
नीतू एक पुराना गाना गाते हुवे बोली “मेरा जलवा जिसने देखा वो मेरा हो गया”
मैंने वही दरवाजे पे खड़े हुवे बोला “, क्या हुआ नीतू दी, कार ड्राइव करने में मजा आया की नहीं.”
उसने पलटते हुवे मुझे देखा और अपने कपडे सही करने लगी,
नीतू एक स्माइल देते हुवे बोली “मजा तो बहुत आया लेकिन”
मैं बोला “ लेकिन “?????
नीतू बोली “दरवाजा बंद कर दे ठण्ड बहुत है “
मैं फिर बोला “ लेकिन क्या नीतू दी ??“
नीतू बोली “क्या लेकिन लेकिन कर रहा है तू “
मैं बोला “ आपने ही तो बोला लेकिन” और आप रुक गयी”
नीतू बोली “तुझे में सुन ने की हिम्मत नहीं है इसलिए रुक गयी “
मैं बोला “ अरे आप बोलो तो सही सन्नी में बहुत हिम्मत है”