13-07-2019, 09:35 PM
MEGAUPDATE 13
मुझे कोई थप्पड़ मारेगा उसकी उम्मीद नही थी
मुझे तो गुस्सा आया
जिसने मुझे थप्पड़ मारा उसको मैं थप्पड़ मारने वाला था कि रुक गया
क्यूँ कि मुझे थप्पड़ रेशमा ने मारा था
मेरी पड़ोसन ने मुझे थप्पड़ मारा था
रेशमा यहाँ क्या कर रही है
रेशमा कब लिफ्ट मे आई
कही इसने सब सुन तो नही लिया
लेकिन इसने थप्पड़ क्यूँ मारा
रेशमा थप्पड़ मारने के बाद मुझे गुस्से से देख रही थी
मैं तो समझ ही नही पाया कि थप्पड़ क्यूँ मारा
मैं तो हॅंग हो गया था
मुझे गुस्सा तो आ रहा था
सोचा कि इस थप्पड़ का बदला लूँ
लेकिन उसकी खूबसूरती को देखते ही मैं कमज़ोर पड़ गया
वो मेरे सपनो की रानी थी
ऐसे मे मैं उसको कैसे मार सकता हूँ
उसको तो बस प्यार करने के बारे में सोच सकता हूँ
रेशमा थप्पड़ मारने के बाद कुछ बोलना चाह रही थी कि लिफ्ट रुक गयी
मतलब मेरी मंज़िल आ गयी
मैं भी उसको कुछ पूछना चाहता था
लेकिन लिफ्ट रुकते ही मिस्टर मिसेज़ गुप्ता वही खड़े थे
उनको देखते ही मैं ने बात बढ़ानी ठीक नही समझी
फिर कभी इस थप्पड़ के बारे पूछूँगा
रेशमा भी मिस्टर मिसेज़ गुप्ता के सामने चुप रही
मैं वहाँ से निकल कर अपने अपार्टमेंट मे चला गया
रेशमा मुझे गुस्से से देखते हुए अपने रूम मे चली गयी
अपार्टमेंट मे आते ही मैं सोचने लगा कि रेशमा ने क्यूँ मुझे थप्पड़ मारा होगा
अगर बिना वजा मारा होगा तो उसको इसकी कीमत चुकानी होगी
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
रेशमा ने मुझे थप्पड़ मार दिया
अच्छा हुआ वहाँ कोई और नही था
पर कुछ बाते होती तो पता चलता कि ऐसे अचानक थप्पड़ क्यूँ मारा
पर अच्छा हुआ कि मैं वहाँ नही रुका वरना बात और बढ़ जाती
पर थप्पड़ क्यूँ मारा था
मैं सोचने लगा था कि मुझे समझ मे आ गया
मैं रेशमा की बात कर रहा था अपने हिसाब से और रेशमा को लगा कि उसकी बात कर रहा हूँ
तो ये बात है , सब ग़लतफहमी से हुआ है
पर रेशमा जब लिफ्ट मे आई
शायद मैं उसको लड़के की माँ समझ रहा था वो रेशमा थी , लड़का तो पहले उतर गया और
मुझे लगा कि लिफ्ट खाली है
दोस्त के साथ बात करते हुए इतना खो गया कि कुछ याद ही नही रहा
मुझे रेशमा से बात करनी होगी
पर अब अगर उसके सामने भी गया तो वो क्या क्या कहेगी क्या करेगी सोच भी नही सकता
मैं ने कितना कुछ बोला दोस्त से , ऐसे मे रेशमा का थप्पड़ मारना सही था
उसकी जगह कोई और होती तो वो भी थप्पड़ मारती
अब तो मैं यहाँ रहा तो बिना वजह कचरा हो जाएगा , यहाँ की बात ऑफीस फिर मेरे घर भी जा सकती
है
मुझे यहाँ से दूसरी जगह शिफ्ट होना होगा वरना गंद लग जाएगी
रेशमा के सामने आते ही वो तो मेरी जान ले लेगी
रेशमा अगर सोसायटी के सेक्रेटरी को थप्पड़ मारने से नही डर सकती तो मैं क्या चीज़ हूँ
मैं सेक्रेटरी से बात करता हूँ , देखता हूँ उनसे बात करके की दूसरी वंग मे कोई अपार्टमेंट खाली
हो तो मेरे लिए बात करे
अब तो रेशमा दूर दूर तक मुझे नही मिल सकती
वो रात तो आराम से निकल गयी
दूसरी दिन मैं ने सेक्रेटरी से बात की तो उसने कहा कि यहाँ तो कोई अपार्टमेंट नही मिलेगा ,
ऑफीस वाले भी कह रहे थे दूसरी जगह जाने की वजह क्या है
ऐसे मे मुझे वही रहना पड़ेगा एक साल
पता नही अब क्या होगा
मेरी पड़ोसन के साथ मैं क्या क्या करूँगा ये सच था
कितने रंगीन सपने देखे थे
और अब तो उसके सामने जाते ही मेरा कचरा हो जाएगा
मैं अब सीडियो से ही अपने अपार्टमेंट मे जाने लगा
क्यूँ कि अब मेरा दिमाग़ चल ही नही रहा था
इस बीच मिस्टर गुप्ता जो मेरे सामने वाले अपार्टमेंट मे रहते है उननो मुझे डिन्नर के लिए बुलाया
उनके शादी की सालगिरह थी
वो हर साल उनके फ्लोर के पड़ोसी को बुलाते है
अब तो बस मैं और रेशमा ही थे
तो उन्होने मुझे इन्वाइट किया , मुझे समझ मे आया कि वहाँ रेशमा भी होगी तो मैं जाने वाला नही
था
बस उनको हाँ बोल दिया
लेकिन शाम तक मैं भूल ही गया और सीधा अपएटमेंट मे आया , पहले सोचा था कि शाम को देर
से अपार्टमेंट मे जाउन्गा जिस से मिस्टर गुप्ता के घर जाना नही पड़ेगा
लेकिन फिर से ग़लती हो गयी ,जैसे मैं अपने रूम का डोर खोलने लगा तो मिस्टर गुप्ता ने आवज़ दी और
जल्दी आने को कहा
अब तो बुरी तरह से फस गया
अब तो जाना ही होगा
मैं फ्रेश होकर मिस्टर गुप्ता के घर गया तो वहाँ रेशमा नही थी
रेशमा को ना देख कर मैं रिलॅक्स हो गया
मैं ने मिस्टर मिसेज़ गुप्ता को विश किया
फिर डिन्नर शुरू हुआ
जैसे डिन्नर लग गया तो रेशमा भी आ गयी
बस इसी की कमी थी
मैं चुप छाप वैसे बैठा रहा
रेशमा ने भी उनको विश किया और डिन्नर टेबल पर आ गयी
जैसे उसकी नज़र मुझपर पड़ी तो उसको गुस्सा आ गया
पर वो मिस्टर मिसेज़ गुप्ता के सामने सीन क्रियेट नही करना चाहती थी
हमारा डिन्नर शुरू हो गया
मिस्टर गुप्ता- रेशमा बेटी तुम इसको जानती हो
रेशमा- नही , कौन है
मिसेज़ गुप्ता- ये रूमारे पड़ोस मे ही तो रहता है , अवी नाम है इसका
अवी-नमस्ते
रेशमा ने घूर कर देखा जैसे मुझे कच्चा खा जाएगी
मिस्टर गुप्ता- अवी तुम को यहाँ कोई जानता ही नही , तुम्हें क्या लोगो से मिलना पसंद नही है
अवी- ऐसी कोई बात नही है , वो क्या हैना मैं पहली बार अपनी फॅमिली से दूर रह रहा हूँ ,
मिसेज़ गुप्ता- तो क्या हुआ
अवी- तो मैं ने यहाँ आने से पहले सोचा कि एक साल यहाँ रहूँगा फिर वापस चला जाउन्गा क्यूँ कि
मैं अपनी फॅमिली के बिना नही रह पाता
मिस्टर गुप्ता- तुम वापस जाने वाले हो क्यूँ ये जगह पसंद नही आई
अवी- यहाँ तो सब अच्छा है पर मैं यहाँ टिक नही पाउन्गा , और मेरी फॅमिली शहर मे तो मैं यहाँ
नही रह सकता
मिस्टर गुप्ता-क्यूँ क्या हुआ , किसी ने कुछ कहा तुम्हें ,
मिसेज़ गुप्ता- तुम तो किसी से बात भी नही करते , अपनी ही दुनिया मे खोए रहते हो ऐसे मे क्या हुआ
अवी- ग़लतफहमी
रेशमा ने मेरी तरफ देखा
मिस्टर गुप्ता- कैसी ग़लतफहमी
अवी- लंबी कहानी है फिर किसी दिन बताउन्गा वैसे आप की शादी तो लंबी चल रही है बहुत प्यार
होगा आप दोनो मे
मिस्टर गुप्ता- हमारा प्यार ही तो हमे साथ रख पाया है
मिसेज़ गुप्ता- बच्चों ने कहा कि उनके पास आ जाउ पर हम दोनो साथ रहना चाहते है
अवी- शादी के बाद से ही आप साथ हो
मिस्टर गुप्ता- हाँ , एक दिन भी मैं अपनी बीवी से दूर नही रहा
ये बात सुनते ही रेशमा को अपने पति की याद आ गयी
वो शादी के बाद भी अकेली है
अवी- मैं भी जल्दी शादी करने वाला हूँ
मिसेज़ गुप्ता- ये तो अच्छी बात है
मिस्टर गुप्ता- तो इस लिए वापस अपने शहर जाना चाहते हो
अवी- हाँ ,
मिसेज़ गुप्ता-लड़की देखी है
अवी- हाँ ,मेरी गर्लफ्रेंड से शादी करने वाला हूँ
मिस्टर गुप्ता- क्या नाम है उसका
अवी- मुझे ना दो लड़की पसंद है , बस मेरी माँ जिसको फाइनल करेंगी उस से शादी होगी
मिस्टर गुप्ता- 2 गर्लफ्रेंड है
अवी- पहले तो एक ही थी लेकिन मुंबई मे आते ही दूसरी बन गयी , अब कन्फ्यूज़ हूँ
मिसेज़ गुप्ता- तुम किस से प्यार करते हो
अवी- माला से , 4 साल से उस से प्यार कर रहा हूँ
मिस्टर गुप्ता- और दूसरी
अवी- अभी 3 महीने मिली है , रेशमा नाम है
अपना नाम सुनते ही रेशमा ने खाना खाना रोक दिया
मिसेज़ गुप्ता- रेशमा तो शादी शुदा है , हैना रेशमा
अवी- इनका नाम.भी रेशमा है
मिस्टर गुप्ता- मतलब कोई और रेशमा है हमे लगा कि हमारी रेशमा की बात कर रहे हो
और दोनो हँसने लगे
अवी-रेशमा नाम बहुत कॉमन है जिस से हर जगह रेशमा नाम सुनने को मिलता है , जिस से
ग़लतफहमी बहुत हो जाती है , मैं तो मेरे ऑफीस की रेशमा की बात कर रहा हूँ , मेरे ऑफीस मे
काम करती है , अच्छी लड़की है , कुछ महीनो मे ही मेरे करीब आ गयी
मिसेज़ गुप्ता- मुझसे पूछो तो तुम्हें माला से शादी करनी चाहिए
अवी- मैं भी यही सोच रहा हूँ ,
मिस्टर गुप्ता- माला ठीक रहेगी ,
अवी- ये तो मेरी माँ ही फ़ैसला करेंगी ,
मिस्टर गुप्ता- आजकल के लड़के तो माँ बाप की बात नही सुनते पर तुम वैसे नही हो , तुमसे मिलके अच्छा
लगा
मिसेज़ गुप्ता- अच्छे लड़के हो तुम , मुझे तो लगा कि पता नही कौन यहाँ रहने आया होगा लेकिन तुम
अच्छे लड़के को अपने काम से काम रखते हो
अवी- मुझे भी लोगो से मिलना अच्छा लगता है पर यहाँ तो हर कोई घर के अंदर ही रहते है , डोर
बंद करके जीना जानते है ,जिस से किसी से बात ही नही हुई है ,
मिस्टर गुप्ता-वैसे सेक्रेटरी बोल रहा था कि तुम ये बिल्डिंग छोड़ना चाहते हो
अवी- हाँ , मुझे ऐसा लगता है कि किसी को मेरा यहाँ रहना पसंद माही है , तो मैं बात बढ़ने से
पहले यहाँ से जाना चाहता हूँ , बिना वजह मेरी वजह से किसी को प्राब्लम हो ये मैं नही चाहता
मिस्टर गुप्ता- कोई परेशनी हो तो मुझे बताओ , मैं मदद कर दूँगा
अवी- कभी कभी कुछ बाते ऐसी होती है कि जो दिखता है वैसा होता नही ,
मिसेज़ गुप्ता- तुम्हारी बाते तो समझ मे नही आ रही
मिस्टर गुप्ता- रेशमा बेटी तुम क्यूँ चुप चाप खाना खा रही हो
रेशमा- कुछ नही , ऑफीस से सीधा यहाँ आई तो थोड़ी थकि हुई हूँ
मिसेज़ गुप्ता- बेटी तू अपना भी ख़याल रखा कर
रेशमा- मुझे क्या हुआ है मैं ठीक हूँ आंटी
मिस्टर गुप्ता- तुम्हारा हज़्बेंड कब आने वाला है
रेशमा- उनको अभी टाइम है , अच्छा अब मैं चलती हूँ
मिसेज़ गुप्ता- इतनी जल्दी क्या है , कभी तो हमारे साथ भी बैठ कर बाते किया करो
रेशमा- जी
और रेशमा मिसेज़ गुप्ता से बाते करने लगी
और मैं मिस्टर गुप्ता से बात करने लगा
चलो अच्छा हुआ जो रेशमा को इनडाइरेक्ट्ली बात बता दी
अब कहीं जाके वो मेरी बात पे कुछ सोचेगी
उसको ये भी पता चला कि मैं यहाँ से वापस जाने वाला हूँ
और सिर्फ़ उसका नाम ही रेशमा नही दूसरो का भी नाम रेशमा होता है
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रेशमा से इनडाइरेक्ट्ली बात हो गयी
शायद मेरी बात से उसका गुस्सा कम.हो जाए
फिर भी मैं रेशमा से दूर ही रहा
मिस्टर मिसेज़ गुप्ता के घर के डिन्नर से कुछ बात बन गयी
लेकिन जब तक आमने सामने बात ना हो कुछ बोल नही सकते
लेकिन इस से बात बन गयी
उस दिन के बाद नेक्स्ट सनडे को मैं फिर से गार्डन मे घूमने लगा
मुझे कोई थप्पड़ मारेगा उसकी उम्मीद नही थी
मुझे तो गुस्सा आया
जिसने मुझे थप्पड़ मारा उसको मैं थप्पड़ मारने वाला था कि रुक गया
क्यूँ कि मुझे थप्पड़ रेशमा ने मारा था
मेरी पड़ोसन ने मुझे थप्पड़ मारा था
रेशमा यहाँ क्या कर रही है
रेशमा कब लिफ्ट मे आई
कही इसने सब सुन तो नही लिया
लेकिन इसने थप्पड़ क्यूँ मारा
रेशमा थप्पड़ मारने के बाद मुझे गुस्से से देख रही थी
मैं तो समझ ही नही पाया कि थप्पड़ क्यूँ मारा
मैं तो हॅंग हो गया था
मुझे गुस्सा तो आ रहा था
सोचा कि इस थप्पड़ का बदला लूँ
लेकिन उसकी खूबसूरती को देखते ही मैं कमज़ोर पड़ गया
वो मेरे सपनो की रानी थी
ऐसे मे मैं उसको कैसे मार सकता हूँ
उसको तो बस प्यार करने के बारे में सोच सकता हूँ
रेशमा थप्पड़ मारने के बाद कुछ बोलना चाह रही थी कि लिफ्ट रुक गयी
मतलब मेरी मंज़िल आ गयी
मैं भी उसको कुछ पूछना चाहता था
लेकिन लिफ्ट रुकते ही मिस्टर मिसेज़ गुप्ता वही खड़े थे
उनको देखते ही मैं ने बात बढ़ानी ठीक नही समझी
फिर कभी इस थप्पड़ के बारे पूछूँगा
रेशमा भी मिस्टर मिसेज़ गुप्ता के सामने चुप रही
मैं वहाँ से निकल कर अपने अपार्टमेंट मे चला गया
रेशमा मुझे गुस्से से देखते हुए अपने रूम मे चली गयी
अपार्टमेंट मे आते ही मैं सोचने लगा कि रेशमा ने क्यूँ मुझे थप्पड़ मारा होगा
अगर बिना वजा मारा होगा तो उसको इसकी कीमत चुकानी होगी
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रेशमा ने मुझे थप्पड़ मार दिया
अच्छा हुआ वहाँ कोई और नही था
पर कुछ बाते होती तो पता चलता कि ऐसे अचानक थप्पड़ क्यूँ मारा
पर अच्छा हुआ कि मैं वहाँ नही रुका वरना बात और बढ़ जाती
पर थप्पड़ क्यूँ मारा था
मैं सोचने लगा था कि मुझे समझ मे आ गया
मैं रेशमा की बात कर रहा था अपने हिसाब से और रेशमा को लगा कि उसकी बात कर रहा हूँ
तो ये बात है , सब ग़लतफहमी से हुआ है
पर रेशमा जब लिफ्ट मे आई
शायद मैं उसको लड़के की माँ समझ रहा था वो रेशमा थी , लड़का तो पहले उतर गया और
मुझे लगा कि लिफ्ट खाली है
दोस्त के साथ बात करते हुए इतना खो गया कि कुछ याद ही नही रहा
मुझे रेशमा से बात करनी होगी
पर अब अगर उसके सामने भी गया तो वो क्या क्या कहेगी क्या करेगी सोच भी नही सकता
मैं ने कितना कुछ बोला दोस्त से , ऐसे मे रेशमा का थप्पड़ मारना सही था
उसकी जगह कोई और होती तो वो भी थप्पड़ मारती
अब तो मैं यहाँ रहा तो बिना वजह कचरा हो जाएगा , यहाँ की बात ऑफीस फिर मेरे घर भी जा सकती
है
मुझे यहाँ से दूसरी जगह शिफ्ट होना होगा वरना गंद लग जाएगी
रेशमा के सामने आते ही वो तो मेरी जान ले लेगी
रेशमा अगर सोसायटी के सेक्रेटरी को थप्पड़ मारने से नही डर सकती तो मैं क्या चीज़ हूँ
मैं सेक्रेटरी से बात करता हूँ , देखता हूँ उनसे बात करके की दूसरी वंग मे कोई अपार्टमेंट खाली
हो तो मेरे लिए बात करे
अब तो रेशमा दूर दूर तक मुझे नही मिल सकती
वो रात तो आराम से निकल गयी
दूसरी दिन मैं ने सेक्रेटरी से बात की तो उसने कहा कि यहाँ तो कोई अपार्टमेंट नही मिलेगा ,
ऑफीस वाले भी कह रहे थे दूसरी जगह जाने की वजह क्या है
ऐसे मे मुझे वही रहना पड़ेगा एक साल
पता नही अब क्या होगा
मेरी पड़ोसन के साथ मैं क्या क्या करूँगा ये सच था
कितने रंगीन सपने देखे थे
और अब तो उसके सामने जाते ही मेरा कचरा हो जाएगा
मैं अब सीडियो से ही अपने अपार्टमेंट मे जाने लगा
क्यूँ कि अब मेरा दिमाग़ चल ही नही रहा था
इस बीच मिस्टर गुप्ता जो मेरे सामने वाले अपार्टमेंट मे रहते है उननो मुझे डिन्नर के लिए बुलाया
उनके शादी की सालगिरह थी
वो हर साल उनके फ्लोर के पड़ोसी को बुलाते है
अब तो बस मैं और रेशमा ही थे
तो उन्होने मुझे इन्वाइट किया , मुझे समझ मे आया कि वहाँ रेशमा भी होगी तो मैं जाने वाला नही
था
बस उनको हाँ बोल दिया
लेकिन शाम तक मैं भूल ही गया और सीधा अपएटमेंट मे आया , पहले सोचा था कि शाम को देर
से अपार्टमेंट मे जाउन्गा जिस से मिस्टर गुप्ता के घर जाना नही पड़ेगा
लेकिन फिर से ग़लती हो गयी ,जैसे मैं अपने रूम का डोर खोलने लगा तो मिस्टर गुप्ता ने आवज़ दी और
जल्दी आने को कहा
अब तो बुरी तरह से फस गया
अब तो जाना ही होगा
मैं फ्रेश होकर मिस्टर गुप्ता के घर गया तो वहाँ रेशमा नही थी
रेशमा को ना देख कर मैं रिलॅक्स हो गया
मैं ने मिस्टर मिसेज़ गुप्ता को विश किया
फिर डिन्नर शुरू हुआ
जैसे डिन्नर लग गया तो रेशमा भी आ गयी
बस इसी की कमी थी
मैं चुप छाप वैसे बैठा रहा
रेशमा ने भी उनको विश किया और डिन्नर टेबल पर आ गयी
जैसे उसकी नज़र मुझपर पड़ी तो उसको गुस्सा आ गया
पर वो मिस्टर मिसेज़ गुप्ता के सामने सीन क्रियेट नही करना चाहती थी
हमारा डिन्नर शुरू हो गया
मिस्टर गुप्ता- रेशमा बेटी तुम इसको जानती हो
रेशमा- नही , कौन है
मिसेज़ गुप्ता- ये रूमारे पड़ोस मे ही तो रहता है , अवी नाम है इसका
अवी-नमस्ते
रेशमा ने घूर कर देखा जैसे मुझे कच्चा खा जाएगी
मिस्टर गुप्ता- अवी तुम को यहाँ कोई जानता ही नही , तुम्हें क्या लोगो से मिलना पसंद नही है
अवी- ऐसी कोई बात नही है , वो क्या हैना मैं पहली बार अपनी फॅमिली से दूर रह रहा हूँ ,
मिसेज़ गुप्ता- तो क्या हुआ
अवी- तो मैं ने यहाँ आने से पहले सोचा कि एक साल यहाँ रहूँगा फिर वापस चला जाउन्गा क्यूँ कि
मैं अपनी फॅमिली के बिना नही रह पाता
मिस्टर गुप्ता- तुम वापस जाने वाले हो क्यूँ ये जगह पसंद नही आई
अवी- यहाँ तो सब अच्छा है पर मैं यहाँ टिक नही पाउन्गा , और मेरी फॅमिली शहर मे तो मैं यहाँ
नही रह सकता
मिस्टर गुप्ता-क्यूँ क्या हुआ , किसी ने कुछ कहा तुम्हें ,
मिसेज़ गुप्ता- तुम तो किसी से बात भी नही करते , अपनी ही दुनिया मे खोए रहते हो ऐसे मे क्या हुआ
अवी- ग़लतफहमी
रेशमा ने मेरी तरफ देखा
मिस्टर गुप्ता- कैसी ग़लतफहमी
अवी- लंबी कहानी है फिर किसी दिन बताउन्गा वैसे आप की शादी तो लंबी चल रही है बहुत प्यार
होगा आप दोनो मे
मिस्टर गुप्ता- हमारा प्यार ही तो हमे साथ रख पाया है
मिसेज़ गुप्ता- बच्चों ने कहा कि उनके पास आ जाउ पर हम दोनो साथ रहना चाहते है
अवी- शादी के बाद से ही आप साथ हो
मिस्टर गुप्ता- हाँ , एक दिन भी मैं अपनी बीवी से दूर नही रहा
ये बात सुनते ही रेशमा को अपने पति की याद आ गयी
वो शादी के बाद भी अकेली है
अवी- मैं भी जल्दी शादी करने वाला हूँ
मिसेज़ गुप्ता- ये तो अच्छी बात है
मिस्टर गुप्ता- तो इस लिए वापस अपने शहर जाना चाहते हो
अवी- हाँ ,
मिसेज़ गुप्ता-लड़की देखी है
अवी- हाँ ,मेरी गर्लफ्रेंड से शादी करने वाला हूँ
मिस्टर गुप्ता- क्या नाम है उसका
अवी- मुझे ना दो लड़की पसंद है , बस मेरी माँ जिसको फाइनल करेंगी उस से शादी होगी
मिस्टर गुप्ता- 2 गर्लफ्रेंड है
अवी- पहले तो एक ही थी लेकिन मुंबई मे आते ही दूसरी बन गयी , अब कन्फ्यूज़ हूँ
मिसेज़ गुप्ता- तुम किस से प्यार करते हो
अवी- माला से , 4 साल से उस से प्यार कर रहा हूँ
मिस्टर गुप्ता- और दूसरी
अवी- अभी 3 महीने मिली है , रेशमा नाम है
अपना नाम सुनते ही रेशमा ने खाना खाना रोक दिया
मिसेज़ गुप्ता- रेशमा तो शादी शुदा है , हैना रेशमा
अवी- इनका नाम.भी रेशमा है
मिस्टर गुप्ता- मतलब कोई और रेशमा है हमे लगा कि हमारी रेशमा की बात कर रहे हो
और दोनो हँसने लगे
अवी-रेशमा नाम बहुत कॉमन है जिस से हर जगह रेशमा नाम सुनने को मिलता है , जिस से
ग़लतफहमी बहुत हो जाती है , मैं तो मेरे ऑफीस की रेशमा की बात कर रहा हूँ , मेरे ऑफीस मे
काम करती है , अच्छी लड़की है , कुछ महीनो मे ही मेरे करीब आ गयी
मिसेज़ गुप्ता- मुझसे पूछो तो तुम्हें माला से शादी करनी चाहिए
अवी- मैं भी यही सोच रहा हूँ ,
मिस्टर गुप्ता- माला ठीक रहेगी ,
अवी- ये तो मेरी माँ ही फ़ैसला करेंगी ,
मिस्टर गुप्ता- आजकल के लड़के तो माँ बाप की बात नही सुनते पर तुम वैसे नही हो , तुमसे मिलके अच्छा
लगा
मिसेज़ गुप्ता- अच्छे लड़के हो तुम , मुझे तो लगा कि पता नही कौन यहाँ रहने आया होगा लेकिन तुम
अच्छे लड़के को अपने काम से काम रखते हो
अवी- मुझे भी लोगो से मिलना अच्छा लगता है पर यहाँ तो हर कोई घर के अंदर ही रहते है , डोर
बंद करके जीना जानते है ,जिस से किसी से बात ही नही हुई है ,
मिस्टर गुप्ता-वैसे सेक्रेटरी बोल रहा था कि तुम ये बिल्डिंग छोड़ना चाहते हो
अवी- हाँ , मुझे ऐसा लगता है कि किसी को मेरा यहाँ रहना पसंद माही है , तो मैं बात बढ़ने से
पहले यहाँ से जाना चाहता हूँ , बिना वजह मेरी वजह से किसी को प्राब्लम हो ये मैं नही चाहता
मिस्टर गुप्ता- कोई परेशनी हो तो मुझे बताओ , मैं मदद कर दूँगा
अवी- कभी कभी कुछ बाते ऐसी होती है कि जो दिखता है वैसा होता नही ,
मिसेज़ गुप्ता- तुम्हारी बाते तो समझ मे नही आ रही
मिस्टर गुप्ता- रेशमा बेटी तुम क्यूँ चुप चाप खाना खा रही हो
रेशमा- कुछ नही , ऑफीस से सीधा यहाँ आई तो थोड़ी थकि हुई हूँ
मिसेज़ गुप्ता- बेटी तू अपना भी ख़याल रखा कर
रेशमा- मुझे क्या हुआ है मैं ठीक हूँ आंटी
मिस्टर गुप्ता- तुम्हारा हज़्बेंड कब आने वाला है
रेशमा- उनको अभी टाइम है , अच्छा अब मैं चलती हूँ
मिसेज़ गुप्ता- इतनी जल्दी क्या है , कभी तो हमारे साथ भी बैठ कर बाते किया करो
रेशमा- जी
और रेशमा मिसेज़ गुप्ता से बाते करने लगी
और मैं मिस्टर गुप्ता से बात करने लगा
चलो अच्छा हुआ जो रेशमा को इनडाइरेक्ट्ली बात बता दी
अब कहीं जाके वो मेरी बात पे कुछ सोचेगी
उसको ये भी पता चला कि मैं यहाँ से वापस जाने वाला हूँ
और सिर्फ़ उसका नाम ही रेशमा नही दूसरो का भी नाम रेशमा होता है
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रेशमा से इनडाइरेक्ट्ली बात हो गयी
शायद मेरी बात से उसका गुस्सा कम.हो जाए
फिर भी मैं रेशमा से दूर ही रहा
मिस्टर मिसेज़ गुप्ता के घर के डिन्नर से कुछ बात बन गयी
लेकिन जब तक आमने सामने बात ना हो कुछ बोल नही सकते
लेकिन इस से बात बन गयी
उस दिन के बाद नेक्स्ट सनडे को मैं फिर से गार्डन मे घूमने लगा