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Adultery रीमा की दबी वासना
इधर जग्गू के बाप ने  रीमा के बारे में सब कुछ पता लगा लिया | उसने दुसरे शहर के दो भाड़े के गुंडे हायर किये और रीमा का अपहरण करने की योजना बनायीं | वो रीमा को सबक सीखना चाहता था, रीमा ने उसके बेटे की गांड मरी थी वो खुद रीमा की गांड मारकर उसका घमंड चूर चूर करेगा | इसलिए उनसे दो प्रोफेशनल किडनैपर को हायर किया | वो कई दिनों तक रीमा के रूटीन का बारीकी से अध्ययन करते रहे | फिर एक दिन जब रीमा जनरल स्टोर से कुछ सामान खरीद कर लौट रही थी, तो सुनसान पार्किंग में उसे किडनैप करने की कोशिश की | रीमा की किस्मत बहुत अच्छी थी की वो जनरल स्टोर अभी अभी चिली स्प्रे खरीद कर निकली थी और वो उनसे हाथो में थे | रीमा अपनी कार के करीब पंहुची, उसने दरवाजा खोला, तभी एक आदमी ने उसके दरवाजे के पास आकर चाकू लगा दिया | इससे पहले वो कुछ करता रीमा ने उसके चेहरे पर  स्प्रे  दबा दिया | वो हवा में इधर उधर चाकू चलाने लगा | दूसरा आदमी जो पिछले दरवाजे से car में घुसकर रीमा को गन पॉइंट पर लेना चाहता था उसका प्लान फ़ैल हो गया | वो न तो कार के अन्दर था और न ही बाहर | उसका साथी अपनी आँखों की जलन के कारन जमीं पर लुढ़क गया था | अगर वो गोली चलाएगा तो बात बिगड़ सकती है | उसने रीमा को काबू करने के लिए तेजी से ड्राईवर के दरवाजे की तरफ बढ़ा तब तक रीमा ने कार स्टार्ट कर दी थी |   वो चार आगे बढ़ाने वाली ही थी दुसरे आदमी ने रीमा के बाल पकड़ लिए | रीमा को ब्रेक लगाना पड़ गया | उसने स्प्रे को दुसरे आदमी पर चलाया लेकिन वो चालाक निकाला और उसने रीमा के बाल खीच एक जोरदार चमाट रीमा को जड़ दी | रीमा चिल्लाने लगी | दूसरा आदमी सतर्क हो गया, इतने में रीमा उसके पेट पर जोरदार लात मारी, लेकिन उसके हाथ में रीमा की कार की चाबी आ गयी थी | रीमा दूसरी तरफ पलटी और बिजली की फुर्ती से दूसरा दरवाजा खोलकर बाहर निकल गयी | जब तक वो रीमा को लपकने की कोशिश करता रीमा वहां से भाग निकली और और पूरी जान लगाकर स्टोर की तरफ भागी | सिचुएशन बिगडती देख उसने अपने दुसरे साथी को पकड़ा और अपनी बाइक स्टार्ट कर किसी तरह से वहां से भाग निकला | रीमा का बदहवास चेहरा देख स्टोर के सभी लोग भौचक्के रह गए | स्टोर का मालिक भागकर रीमा के पास आ गया | रीमा के सांसे तेज थी, वो बहुत तेज हाफ रही थी और उसके चेहरे की पर दर्द और दहसत की हवाइयां उड़ रह थी | 

स्टोर मालिक ने पुछा - क्या हुआ ??
रीमा कुछ बोल नहीं पाई, हांफते हुए बस इतना ही मुहँ से निकला  - गुंडे गुंडे ..........|
स्टोर मालिक ने रीमा के लिए पानी मंगाया - उसे चेहरे पर किडनैपेर द्वारा किये गए हमले के निशान थे | उसका चेहरा लाल हो गया था | किस्मत अच्छी थी कही कोई कट नहीं था | 
[Image: leaked-video-johnny-depp-beating-wife-amber-heard.png]

रीमा एक झटके में ही पूरा गिलास खाली कर गयी | फिर एक लम्बी साँस लेकर बोली - कुछ गुंडे मुझे गन दिखाकर लूटना चाहते थे |
उसे उनके बारे में कुछ नहीं पता था इसलिए उसे लगा वे उसे लूटना चाहते थे | 
स्टोर मालिक ने ही सिक्युरिटी को फ़ोन किया | रीमा का नाम सुनते ही सिक्युरिटी फटाफट आ गयी | रीमा के स्वर्गीय पति का दोस्त सिक्युरिटी महकमे में इस समय नंबर दो था | सिक्युरिटी ने तुरंत छानबीन शुरू कर दी | 
रीमा को सिक्युरिटी अस्पताल ले गयी, डाक्टर ने एक दो दवाइयां दी क्योंकि चोट कुछ खास थी नहीं | उसके बाद रीमा को सिक्युरिटी घर तक छोड़ गयी | और सुरक्षा के लिए एक सिपाही को भी लगा दिया | अनिल को जैसे पता चला, पति पत्नी दोनों भागते हुए आये | रीमा ने अनिल को फ़ोन नहीं किया था, रोहित की बात अलग थी लेकिन अनिल रीमा के इतने करीब नहीं थे इसलिए उसने उन्हें परेशानी में डालना ठीक नहीं समझा |  हालाँकि आते ही रोहिणी ने शिकवे शिकायते दर्ज करानी शुरू कर दी |
रोहिणी - रीमा हमे एक फ़ोन ही कर देती, इतना सब कुछ हो गया उअर तुमने हमें भनक तक नहीं लगाने दी |
रीमा - क्यों परेशान हो रही है दीदी, कुछ भी तो नहीं हुआ | सिक्युरिटी जल्दी ही आ गयी थी इसलिए क्या बताती | आप लोग बेवजह परेशान होते |
रोहिणी - अच्छा तो हम गैर है |
रीमा - नहीं दीदी ऐसा कुछ नहीं है, सब ठीक है |
रोहिणी - वो तो दिख रहा है | 
रीमा - दीदी प्लीज ............ सब ठीक है |
रीमा के अन्दर डर भरा हुआ था लेकिन ऊपर से मजबूत बनने की कोशिश कर रही थी | कोई था भी तो नहीं जिसके कंधे पर सर रखकर रो सके | सारे दर्द खुद ही बर्दाश्त करने थे | अनिल और रोहिणी काफी देर तक उसके साथ ही बैठे रहे | 
उसके बाद रोहिणी कमरे से बाहर आई और अनिल को बच्चो के जाने को बोल दिया और आज रात उसने रीमा के साथ भी रुकने का फैसला किया | अनिल भी यही रुकना चाहते थे लेकिन रोहिणी ने कहाँ बच्चो को अकेले मत छोड़ो | अनिल ने जवाब दिया प्रियम की केयर टेकर को बुला लेते है आज रात वो रुक जाएगी | दोनों इस वक्त रीमा को अकेला नहीं छोड़ना चाहते थे | रीमा कितना भी मजबूत दिखने की कोशिश करे लेकिन अन्दर से वो बहुत ही ज्यादा डर गयी थी | दोनों बच्चो को अभी तक कुछ भी नहीं बताया था, प्रियम को भी कुछ नहीं पता था |
अनिल ने प्रियम की केयर टेकर को बुला लिया | अनिल गेस्ट रूम में ये कहकर सोने चले गए की कोई जरुरत हो तो बुला लेना | 
रोहिणी रीमा के कमरे में आ गयी | अनिल के जाने के बाद रोहिणी रीमा के पास आकर बैठ गयी और उसके चेहरे पर के चोट के निशान देखने लगी | उसके बाल सहलाने लगी, रीमा उन्हें आत्मीयता से देखने लगी | रोहिणी थोडा सा भावुक होते हुए - एक बात पूछु मेरी कट्टो रानी |
रीमा - हूऊऊऊऊ | 
रोहिणी  - अरे पगली, मुझसे इतना हिचकती क्यों है, मै कोई गैर हूँ, तुझसे थोडा सा ही तो बड़ी हूँ फिर भी तू ऐसे जताती है जैसे मै तेरी माँ की उम्र की हूँ |
रीमा - ऐसा कुछ नहीं है दीदी |
रोहिणी - तो तूने फ़ोन क्यों नहीं किया |
रीमा - दीदी ऐसी कोई बात नहीं है, फ़ोन car में ही रह गया था, फिर सिक्युरिटी आ गयी और पूछताक्ष शुरू हो गयी | उसमे इतना उलझ गयी की आपको बताने का मौका नहीं मिला |
रोहिणी - जब घर आ गयी थी तब तो बता सकती थी |
रीमा - दीदी गलती हो गयी मुझसे माफ़ कर दो ....................प्लीज | माफ़ी मांगने की मुद्रा बनाती हुई |
रोहिणी - उपरवाले की दया से कुछ अनहोनी नहीं हुई, उसका लाख लाख धन्यवाद | 
कुछ देर शांत रहने के बाद  रीमा से पूछने लगी -  एक बात बता कुछ पीयेगी, मुझे तो अभी नीद आ नहीं रही | 
रीमा - डाक्टर ने तो मना किया है |
रोहिणी - डाक्टर की तो ऐसी की तैसी |
रीमा खिलखिलाने लगी | रोहिणी दो स्ट्रोंग पैग बनाकर लायी | फिर रीमा से सटकर बैठ गयी और पीने लगी | 
रीमा ने भी मना नहीं किया, उसने भी शराब पीना शुरू कर दिया | पैग का सिप मारते मारते रोहिणी आज के घटनाक्रम के बारे में पूछने लगी | रीमा ने भी सब कुछ जैसे जैसे घटित हुआ वैसे ही बयां करती चली गयी | पैग के बाद पैग बनते रहे और खाली होते रहे | 
रोहिणी और रीमा को अब शराब का शुरुर चढने लगा | आज दिन भर की आप बीती बताकर रीमा का मन काफी हल्का हो गया | उसे लग रहा जैसे रोहित ही उसके पास आ गया हो | वही अपनापन, वही लगाव, वही स्नेह | रीमा के अन्दर की असुरक्षा का डर तो जैसे गायब हो गया |
[Image: download%2B%25289%2529.jpg]

रीमा थोड़ी सी मदहोश सी भावुक सी हो गयी - मै बता नहीं सकती अभी मै कितना हल्का महसूस कर रही हूँ | 
रोहिणी ने आत्मीयता से उसके सर पर हाथ फेरा, उसके माथे को चूम लिया |
रीमा - आपने मेरे अन्दर का सारा डर गायब कर दिया, एक बारगी को तो मै भी डर गयी थी, और मेरे अन्दर भी अकेलेपन के अहसास के कारन वो डर घर कर गया था लेकिन आप जादूगर है बिलकुल अपने भाई की तरह |
रोहिणी थोड़ा सा चौकते हुए - मतलब ..............तेरा मतलब रोहित .............|
रीमा - दीदी आप एक औरत को अच्छे से समझती है, बाकि का तो पता नहीं लेकिन आप मुझे अन्दर तक समझती है  |
रोहिणी - बिलकुल रोहित की तरह |
रीमा भावनाओं में जो कह गयी उसे ही रोहिणी ने पकड़ लिया | रीमा के लब सिल गए, अन्दर तक झेंप गयी, क्या बोले, क्या न बोले | रोहिणी से एक बार नजरे मिलायी और फिर नीचे कर ली |
रोहीणी - अरी बोल न, इतना शर्मा क्यों रही है, तुझे क्या लगा मुझे कुछ पता नहीं चलेगा | मै भी एक औरत हूँ, दो बच्चो की माँ हूँ | सब अच्छे से समझती हूँ | 
रीमा और ज्यादा सकपका गयी, क्या रोहित ने सब कुछ बता दिया, इस रोहित के मुहँ में भी कोई बात रुकती नहीं | रीमा खुद बखुद शर्म से गड़ी जा रही थी | अन्दर ही अन्दर उसकी धड़कने तेज हो गयी | पता नहीं आगे दीदी और क्या क्या बोलने वाली है, उससे बढ़कर ये था की दीदी को आखिर क्या क्या पता है | 
रोहिणी रीमा को ताड़ गयी, उसे रीमा की चुप्पी अखरने लगी | उसे लगा उसने शायद कोई गलत बात बोल दी है |
रोहिणी - देख अगर कुछ बुरा लगा हो तो बता दे, वो क्या है मै मुहफट हूँ कुछ भी बोल देती हूँ | मेरी बात का बुरा न मानना |
रीमा छुप ही रही और सने छुप रहने में ही अपनी भलाई समझी | पता नहीं एक बार बात खुल गयी तो कहाँ तक जाएगी | दीदी को जो पता है वो रहे लेकिन मै अपनी जबान नहीं खोलूंगी | नहीं तो एक मिनट में कुलटा बदचलन पता नहीं क्या क्या मेरे माथे पर चिपका दिया जायेगा | रोहिणी भी भांप गयी की उसकी कोई बात रीमा को बुरी लग गयी है | उसके हाथ से खाली गिलास लेते हुए एक और पैग बनाने चली गयी | 
पैग बनाकर जब वापस आई तो थोडा आत्मविश्वास भरकर खुद ही कहने लगी - देख रीमा मेरी बात का बुरा मत मानना, तेरा तो पता नहीं लेकिन रोहित तुझे चाहता है ये बात मै बहुत पहले ही ताड़ गयी थी | अकसर जब तेरे बारे में बात करता था तो खो सा जाता था | जब मै तेरे मन के बारे में पूछती तो हमेशा टाल जाता था | मुझे पता था रोहित की फीलिंग्स के बारे में तुझे नहीं पता और रोहित को लेकर तू क्या सोचती है ये भी नहीं पता | इसलिए उसने तुझसे आजतक इस  बारे में कभी बात नहीं करी | उसे भी लगता था अगर वो तुमसे इस बारे में पूछेगा तो तू इसी तरह से चुप्पी ओढ़ लेगी और कभी न टूटने वाली चुप्पी | 
मुझे पता है तू दूसरी कुलटा औरतो की तरह नहीं है, लेकिन शरीर की भी तो जरूरते होती है, चल मान लिया शरीर को तो तू काबू कर लेगी लेकिन मन का क्या | इस चचल मन को कैसे नियंत्रित करेगी |  पहाड़ जैसी जिंदगी कटाने को कोई अच्छा हमसफ़र मिल जाये तो अतीत को भुला देना चाहिए |
रीमा अपलक रोहिणी को देखने लगी | रोहिणी रीमा की आँखे पढने लगी, हल्का हल्का शुरुर तो दोनों के दिलो दिमाग में छा चूका था |
रोहिणी को एक शरारत सूझी - मेरा कोई अन्य मतलब नहीं था | बस इसी सन्दर्भ में कही थी मैंने ये बात, अन्यथा मत लेना मेरी कट्टो रानी |  इतना कहकर रोहिणी के रीमा का एक स्तन हाथ में लेकर दबा दिया |
रीमा चौक गयी, आश्चर्यचकित होकर रोहिणी को देखने लगी | 
रोहिणी - आरी हंस न, मै कोई मर्द थोड़े हूँ जो तेरी इज्जत लूट लूंगी | नन्द भौजाई के बीच तो ये चलता रहता है | 
रीमा अन्दर ही अन्दर मुस्कुरा उठी और आत्मीयता से रोहिणी के आंचल पर पसर गयी | उसका गिलास लेकर रोहिणी ने किनारे रख दिया | रोहिणी का हाथ अभी भी रीमा के स्तन पर था, रीमा ने छत की तरफ अपने हाथ उठा दिए और रोहिणी के सर को उसमे फंसाकर अपनी ओंठो के करीब  लाती चली गयी | रोहिणी भी नहीं रुकी, दोनों की सांसे एक दुसरे के चेहरे को भिगोने लगी | रीमा ने आंखे बंद कर ली, उसके गरम ओंठो से निकलती भाप, रोहिणी के नथुनों में घुसने लगी | रीमा ने हल्का सा अपने हाथो को नीचे दबाया और रोहिणी के गुलाबी ओंठ रीमा के रस बहरे ओंठो से चिपक गए | रोहिणी भौरा बन रीमा की गुलाबी पंखुडियो का रस पीने लगी और रीमा अपने कमसिन कली जैसे गुलाबी का रसपान अपनी नन्द को कराने लगी |
रोहिणी की जुल्फों ने चारो तरफ से परदा गिरा दिया था और उस परदे के अन्दर रीमा और रोहिणी अपने अपने कोने में दबे अरमानो को पंख दे रही थी | रोहिणी के बाद अब रीमा की बारी थी, रीमा रोहिणी की  कोमल गुलाबी पंखुडियो को लेकर रस पान करने लगी | दोनों की गरम होती सांसे और गरम होने लगी और एक दुसरे में घुलने लगी |
दोनों के दुसरे में ऐसे खो गयी जैसे नव युगल खो जाते है | दोनों की तन्द्रा नहीं टूटती अगर उन्हें अहसास नहीं होता की दरवाजे पर कोई खड़ा है | दरवाजे पर और कोई नहीं अनिल थे | उन्हें नीद नहीं आ रही थी इसलिए अपना मोबाईल लेने आये थे | 
असल में जब से रोहिणी ने उन्हें सोने भेजा था उन्हें नीद ही नहीं आ रही थी | वो रीमा के घर में थे और उन्हें नीद आ गए ऐसा भला कैसे हो सकता था | इधर उधर करवाते बदलते रहे, बीच बीच में रीमा के कमरे की जलती लाइट और कभी कभार उसके कमरे से आने वाली खिलखिलाहट उस पुरे मकान के सन्नाटे को तोड़ जाती थी | नीद तो वैसे भी अनिल को नहीं थी ऊपर से रीमा के ख्याल | उनका पूरा ध्यान बस कमरे से निकलने वाली आवाजो पर ही टिका था | एक घंटा बीता, दो घन्टे बीतने को थे लेकिन उनकी आँखों से नीद कोसो दूर थी | ऊपर से कमरे से आती स्त्रियों की खिलखिलाहट उनकी मुसीबत और बढ़ा रही थी | इसलिए उठकर मोबाईल और हैडफ़ोन लेने चले आये | दरवाजे पर आकर जो नजारा देखा तो आवाज हलक में ही दब कर रह गयी | रोहिणी के बारे में तो उन्हें पता था, मैडम कुछ कर सकती है लेकिन रीमा .......................... उनका तो जैसे दिल ही टूट गया | इतने खूबसूरत औरत, जो अपने हुस्न के दम पर आपकी रातो की नीद हराम किये हो | जिसके सपने देख देख आप रात रात भर सो नहीं पाते हो अगर उसकी दिलचस्पी औरतो में निकल जाये तो फिर तो खड़े लंड पर बर्फ का पहाड़ टूटने जैसा ही था | एक तो जो देखा वो बिलकुल ही अप्रत्याशित था क्योंकि दिन में जो कुछ रीमा के साथ हुआ उसके बाद रात में शायद ही कोई होगा जिसके दिमाग में वासना के ख्याल आयेंगे | ऊपर से एक औरत के साथ रीमा के होने के ख्याल ने ही अनिल को बहुत गहरी चोट पहुंचा दी | उस सदमे से ही कुछ देर तक मूर्तिवत वो वही खड़े रहे | जब रोहिणी और रीमा का मोमेंट ख़तम हुआ तो रोहिणी को अहसास हुआ कोई शायद उन्हें देख रहा है | रोहिणी ने जैसे ही नजरे सीधी करी मारे शर्म के पानी पानी हो गयी लेकिन अगले ही पल उलटा अनिल को धमकाते हुए - यहाँ क्या कर रहे आप | आपको गेस्ट रूम में सोने के लिए भेजा था | चुपचाप बुत बने खड़े है श्रम भी नहीं आती तो खांस खखार दे, नॉक ही कर देते दरवाजे पर |
अनिल को भी लगा उलटा चोर कोतवाल को डांटे - अच्छा, ये जो यहाँ हो रहा था वो क्या था |
रोहिणी - तुमसे मतलब, ये हमारा आपस का मामला है |
रीमा तो शर्म से पानी पानी हो गयी, उसकी नजरे नहीं उठ पा रही थी उसकी हिम्मत नहीं थी जो अनिल से नजरे मिलाये | 
अनिल भी तेवर में आ गए - हाँ मुझसे कोई मतलब नहीं है कुछ भी करोगी, उस बेचारी को तो छोड़ देती |
रोहिणी - तुमारी गुलाम नहीं हूँ समझ गए, मै तो उसकी गर्दन की चोट देख रही थी | 
अनिल - वो तो साफ़ दिख रहा था कौन सी चोट देख रही थी | 
रोहिणी ने और जोरदार पलटवार किया, जिससे मर्द का चित होना निश्चित है - मुझे सब पता है यहाँ बुत बनकर क्यों खड़े थे | नियति...... तुमारी नियति ख़राब हो गयी है  रीमा को देखकर, रात में भी पता नहीं क्या क्या बडबडाते रहते हो | अब तो लाटरी लग गयी है, मुझे सब पता है |
अनिल -अब पकड़ी गयी हो तो ......तो  कुछ भी बकोगी |
रीमा - दीदी बिना वजह आप जीजा जी पर ........................|
रोहिणी - तू चुप कर, सब दिखता है सब समझती हूँ .............वरना इतनी रात दो औरतो के कमरे के दरवाजे पर क्या कर रहे हो | 
अनिल - नीद नहीं आ रही थी, अपना मोबाईल और हैडफ़ोन लेने आया था |
रोहिणी - बड़ा मोबाईल भूलने लगे हो आजकल, वैसे तो कलेजे से चिपकाए रहते थे | बेवखूफ़किसी और को बनाना |
रोहिणी तेजी से उठी और उनका मोबाईल और हैडफ़ोन उनके हाथ में जोर से पटकते हुए बोली - अब फुट लो यहाँ से |
अनिल ने रोहिणी को घूरा, रोहिणी ने भी और ज्यादा जोर से घूरा | उसके बाद कमरे का दरवाजा जोर से बंद कर दिया | अनिल टूटे हुए दिल के साथ अपने कमरे में लौट आये | अनिल उदास थे की रीमा के बारे में उनकी पत्नी को शक हो गया है | कही इसलिए तो रोहिणी ये सब तो नहीं कर रही | बुझे मन से मुकेश के गाने लगाकर सुनने लगे |

रोहिणी के दरवाजा बंद किया और आँखे बंद कर खुद को संयत किया | फिर रीमा के पास आकार बैठ गयी | उसे देख मुस्कुरायी | 

रीमा को अभी भी बहुत शर्म महसूस हो रही थी, भला जीजा जी क्या सोचेगें, मेरी तो सारी इमेज ही मटियामेट हो गयी | रीमा खामोश थी लेकिन उसके अन्दर उमड़ रहे सवालो के सैलाब उसके चेहरे पर पढ़े जा सकते थे | 

रोहिणी उसके दोनों हाथ अपने हाथो में लेटे हुए - क्या सोच रही है पगली, ये तो मोमेंट है कही भी कभी भी बन जाते है | इसमें इतना सोचना क्या | 

रीमा - जीजा जी मेरे बारे में क्या सोचेगे ???

रोहिणी डाँटते हुए - कुछ नही सोचेगें, तू परेशान न हो |

रीमा - पता नहीं क्या क्या गलत ख्याल आयेगें उनके दिमाग में मेरे बारे |

रोहिणी इस बार थोडा जोर से डाटते हुए - तू अपने दिम्माग से ये उल्टा सीधे ख्याल निकाल दे | कुछ नहीं सोचगे वो, उनका क्या है, जहाँ खूबसूरत औरत देखि नहीं वही लट्टू ही गए | तुझे उस आदमी की हरकतों के बारे में पता नहीं, मै ही हूँ जो उसे बर्दास्त कर रही हूँ | और कोई होती तो अब तक दूध की मख्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया होता |

रीमा अनभिज्ञता दर्शाते हुए - जी मै कुछ समझी नहीं | 

रूहिनी - इस आदमी को तू इतना सीधा मत समझ | जब इससे मिली थी तब ये गाय था गाय | मेरे अलावा कही मुहँ मारना तो छोड़ो देखता भी नहीं था | फिर मेरी ही बुद्धि भ्रष्ट थी जो इसे सारी दुनियादारी का ज्ञान सिखाया | फिर ये तो गुरु से आगे निकल गया, गुरु गुड ही रह गए चेला शक्कर हो गया |

रीमा रोहिणी की बाते सुनकर मुस्कुराने लगी - जी दीदी मै कुछ समझी नहीं |

रोहिणी - बड़ा मजा आ रहा तुझे, तू भी न है पूरी की पूरी कट्टो ही, बस मुहँ से नहीं बोलती |

रीमा रोहिणी के और करीब आ गयी | दोनों लगभग एक में ही चिपक गयी |

रोहिणी - तू बहुत खूबसूरत है री, मर्दों की छोड़ तेरे पर तो औरते कुर्बान जावे | एक पैग पीने दे फिर बताती हूँ | कलुये ने सारा मजा ख़राब कर दिया | रीमा और रोहिणी ने एक ही गिलास से अब शराब पीनी शुरू कर दी थी | 

रोहिणी - पता है ये आदमी मेरी शादी होते होते इतना दुष्ट हो गया था, की जब हम हनीमून के लिए लन्दन गये थे | तो वहां भी इसने threesome किया था | 

रीमा - threesome |

रोहिणी - हाँ, पता नहीं क्या खास है इसमें, वहां होटल में खाना सर्वे करने वाली को पटा लिया, फिर उसने चूसा और जमकर चूसा | एक नहीं दो दो बार | मै भी जवानी के नशे में थी मुझे भी कोई ऐतराज नहीं था, आखिर पेल तो मुझे ही रहा था चुसवाने के बाद | वैसे भी मुझे तब तक कोई ऐतराज नहीं है जब तक सामने वाला कुछ छुपाये न | मै भी अपनी जरूरते पूरी कर आती हूँ | मै इस कलुये का मुहँ नहीं तकती बैठकर | मेरा शरीर है मेरी जरूरते है | रिश्ते नातो की बात अलग है | 

रीमा हैरान थी दीदी इतनी ज्यादा ओपन ख्यालो की है | उसे तो बड़ी हैरानी हो रही थी | रोहिणी की झुल्झुलाहत इस बात से हो रही थी की वो रीमा जैसे सुशील उसकी नन्द पर लाइन मार रहा था | रोहिणी उसी दिन अनिल को ताड़ गयी थी जब तीनो बैठे आपस में शराब पी रहे थे | लेकिन तब उसे लगा था, बस अनचाहा आकर्षण है कुछ पल, कुछ घंटे या कुछ दिन में ख़त्म हो जायेगा लेकिन तब से एक हफ्ता होने को आया, अनिल का नशा कम होने की बजाय और बढ़ गया | रीमा के साथ ये हादसा न हुआ होता तो शायद रोहिणी अब कभी रीमा के घर आती भी नहीं | वो नहीं चाहती थी अनिल घर में भी मुहँ मारने लगे | दुसरे रोहिणी को अनिल से ज्यादा रीमा की परवाह थी | 

रीमा - दीदी गलती हमारी ही थी, आपको इस तरह से जीजा को मेरे सामने बेज्जती नहीं करनी थी |

रोहिणी - तू बहुत भोली है रीमा, तुझे पता नहीं, उस दिन जब हम तीनो बैठे शराब पी रहे थे | ये आदमी तुझे देख देख के ही अपना खून का दौरान बढ़ा रहा था | वो जो पेंट के अन्दर तम्बू बना हुआ था वो इसलिए नहीं की इसने शराब पी थी, बल्कि इसलिए क्योंकि वो तेरे बारे में सोच सोचकर अपने मन में ही लड्डू फोड़ रहा था | तेरे जिस्म के हर हिस्से को वो घूर रहा था | उसकी आँखों में तेरे लिए हवस साफ़ साफ़ देख पा रही थी |

रीमा हैरान सी - क्या बात कर रही है दीदी | लेकिन मैंने तो ..................|

रोहिणी - मैंने बोला न तू बहुत भोली है, तेरी निश्छल निष्कपट आंखे तो मैंने उसी दिन ताड़ ली थी,तूने वैसा कोई वासना का भाव लाना तो दूर उसकी एक झलक तो आसपास नहीं थी | ये कलुवा ही तुझे घूरे जा रहा था | तभी मैंने इसे शराब बनाने के लिए भेजा था | इसे लगता है ज्यादा पीने के बाद मुझे होश नहीं रहता, जबकि मै तो इसकी हर एक हरकत पर नजर रखती हूँ | 

रीमा - जीजा जी बड़े छुपे खिलाडी निकले, मै भी चौकान्नी रहती हूँ लेकिन जीजा जी के इरादे भांप ही नहीं पाई | मुझे भी आपको एक बात बतानी है | उस दिन के बाद आतक मौका नहीं मिला |

रोहिणी - बोल |

रीमा - उस दिन जीजा जी यहाँ जानबूझकर अपना फ़ोन भूल गए थे | मैंने सोफे पर से उठकर मेज पर रख दिया था | सोचा था सुबह जाकर दे आउंगी |

रोहिणी - मुझे पता था इसने जानबूझकर ही किया होगा |

रीमा - दीदी आप नाराज तो नहीं होगी अगर मै कुछ और भी बताऊ |

रोहिणी - मै तू अलग है क्या, जो भी बताना है दिल खोलकर बोल |

रीमा - जीजा जी जब वापस आये तब तक मै अपने कपडे निकालकर शीशे के सामने खड़ी थी, और सोने से पहले बस खुद को देख रही थी | बाहर डायनिंग हाल में अँधेरा था और कमरे में लाइट जल रही थी | उन्होंने मुझे पूरा का पूरा नंगा देख लिया | सब कुछ देख लिया मेरा | जब मुझे अहसास हुआ शायद कोई बाहर है, तो मै बाहर आई, पिछला दरवाजा बंद किया उअर फिर बेड पर जाकर सो गयी | सुबह उठी तो पिछले दरवाजे की अन्दर से बंद बेलन खुला हुआ था |  जीजा जी का फ़ोन मेज पर से गायब था |

दीदी उन्होंने मुझे पूरा का पूरा नंगा देख लिया | सुबह जब अहसास हुआ तो बड़ी शर्म आई मुझे, इसलिए इधर प्रियम का हाल चाल लेने भी नहीं आई |

रोहिणी - अरे कितनी भोली है तू, मुझे तो पता था | इसलिए उस दिन के बाद से बौराया बौराया घूम रहा है | रात में तेरे सपने देखता है, और मुझ पर तू समझकर चढ़ने की कोशिश करता है | एक दिन फटकार कर मैंने भगा दिया, तबसे अलग कमरे में सुलाती हूँ इस कलुये को |

रीमा - इसलिए आज भी मुझे बड़ी शर्म आ रही थी |

रोहिणी रीमा को घूरते हुए, उसको अपनी बांहों में भीचते हुए  - तू भी कम न है मेरी कट्टो रानी, बहुत ही घाघ है, पक्का है तूने हिला हिलाकर अपने चूतड़ इनको दिखाए होंगे |

रीमा एक दम से झेंप गयी, जैसे किसी ने उसकी चोरी पकड़ ली हो | वो शर्म से दोहरी हो गयी | रोहिणी ने उसे और कसकर बेंच लिया - क्यों सही कहा न मेरी खूबसूरत परी जैसी कट्टो रानी |

रोहिणी आंखे मटकाते हुए - बोल न सच है की नहीं, तभी धतुरा खाने वाले इंसान की तरह बौराए घूम रहे है | 

रीमा शर्म और लाज से दोहरी होकर रोहिनिकी बांहों में समाती चली गयी | उसका एक हाथ रोहिणी के कुल्हो तक चला गया |

रीमा भी अब कुछ हद तक बेशर्म बन गयी थी - दीदी एक बात पूछु |

रोहिणी - पुछु पुछु क्या लगा रखा है, जो पूछना है पूछ न |
रीमा थोडा लजाते हुए - ये आपका बोनट कुछ ज्यादा ही ..............................|


रोहिणी - धत्त बेशर्म, अब तू बेहयाई पर उतर आई है |

रीमा छोटे बच्चे की तरह जिद करती हुई - बतावो न दीदी |

रोहिणी - क्या सुनना चाहती है, जब ११  लम्बे काले मुसल की [b]जबरदस्त ठोकर पिंडलियों पर लगेगी, तब चूतड़ अपने आप चौड़े हो जाते है | और कुछ सुनना है |[/b]

रीमा - सच में इतना बड़ा है क्या, कभी आपने इंची टेप लेकर नापा है क्या ?

रोहिणी उसका कान खीचते हुए - कट्टो रानी को शैतानी आ रही है, बुलाऊ, एक आवाज पर हाजिर हो जायेगे, फिर नाप लेना |

रोहिणी - अरे सुनते .................................| 

रीमा ने रोहिणी के मुहँ पर हाथ रख दिया - क्या कर रही है दीदी मरवाएगी क्या ?
रोहिणी - तू ही तो नाप पूछ रही थी, मैंने सोचा यही बुलाकर नाप लेती हूँ |
रीमा बनावटी गुस्सा दिखाते हुए - आप नाराज हो जाती हो मुझे आपसे बात नहीं करनी |
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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 11-07-2019, 10:04 PM



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