11-07-2019, 09:56 PM
रीमा भी वासना से भरी अदा से बोली - मान न मान मै तेरा मेहमान | मैंने क्या किया है जो मेरी चूत के प्यासे हो गए |
अनिल - तुमने ही तो सब किया है, इतना खूबसूरत बदन, इसकी कोई एक हल्की सी झलक देख ले तो पागल हो जाये, तुमने तो सब कुछ दिखा दिया | अब तो ये ११ इंची लंड पागल हुआ जा रहा है |
रीमा अफ़सोस जाहिर करती हुई - इसमें मेरी क्या गलती है, मैंने थोड़े इसे खड़ा किया है |
अनिल - तुमारी कोई गलती नहीं लेकिन ऐसे तो तड़प तड़प कर मर जायेगा ये | कुछ दया करो इस पर, रहम खावो इस पर |
रीमा -अच्छा फिर जो ये मेरी चूत का फालूदा बना देगा |
अनिल तो अब बस रीमा के पांव में पड़ने की हालत में आ गए - अब तुम या तो इसका गला घोट दो या फिर इसे स्वर्ग की सैर करा दो | इस हालत में अब और नहीं जीना चाहता है ये |
रीमा - उफ्फ्फफ्फ्फ़.................ठीक है, मै नहीं चाहती कोई मेरी वजह से शहीद हो जाये | आपका है तो बहुत भरी भरकम, पता नहीं कैसे ले पाऊँगी अपनी नाजुक सी संकरी चूत में फिर भी ये पैंटी मै उतार देती हूँ उसके बाद पहले मैं तुम्हारा लंड चुसुंगी और तब तक चुसुंगी जब तक इसका सुपाडा मेरे मुहँ में नहीं समां जाता, क्योंकि अगर मुहँ में इसका सुपाडा नहीं आया तो ये मेरी चूत में भी नहीं घुसेगा |
अनिल - सब आ जायेगा तुमारी चूत में, ऐसा कोई लंड नहीं बना दुनिया में जिसे चूत घोंट न सके |
रीमा - हर मर्द यही कहता है लेकिन चीखे तो हमारी उबल पड़ती है लंड घोटते समय | फिर भी जब इतना तड़प रहे है तो आप जमकर मुझे चोदना लेना , घंटे दो घंटे रात भर दिन रात महीने भर कर चोदना | तब तक चोदते ही रहना जब तक आपके लंड की प्यास न बुझ जाये | मेरी चूत अपनी गाढ़ी मलाई से लबालब भर देना, ताकि आपका लंड फिर कभी मेरी चूत के लिए प्यासा नहीं रहे |
अनिल उत्साह से - हा हा रीमा हहा बिलकुल सही कह रही है, बस जल्दी से कपड़े उतार दो अब |
इतना कहकर रीमा ने अपनी जिस्म का सफ़ेद कपड़ा भी उतार दिया | और जब वो अनिल की तरफ घूमी तो अनिल चौक गए, अरे ये तो बिलकुल वही पोज है जब रीमा ने मुझे कमरे से देखा था | वो कंफ्यूज हो गए ये क्या हो रहा है उनके साथ | रीमा अपनी जगह ही खड़ी रही और अनिल को अपनी चुदाई करने का आमंत्रण देती रही लेकिन न चाहते हुए भी अनिल पता नहीं क्यों अपना लंड थामे उससे दूर जाते रहे | कुछ भी अनिल के नियंत्रण में नहीं था | उनके हाथ में आई रीमा फिसलती जा रही थी, रीमा वही की वही कड़ी थी लेकिन वो खुद बखुद उससे दूर जाते रहे और इससे पहले वो वो इतनी दूर पहुँच जाये की रीमा उनकी आखो से ओझल हो जाये उनकी आंख खुल गयी |
आंखे खुलते ही वो हकीकत से रूबरू हुए | उनका लंड अकड़कर पत्थर बन चूका था उर वो फिर से रीमा के बारे में एक बुरा सपना देख रहे थे | बाथरूम में जाकर हाथ मुहँ धुले और ढेर सारा पानी पिया | कुछ देर तक शांत होकर बैठे रहे | धीरे धीरे उनका लंड नरम हो गया | फिर से सोने की कोशिश करने लगे |
अगले दिन जब सुबह उठे तो उन्होंने इन बेतुके सपनो का इलाज निकालने की सोची | उन्हें पता था रीमा बार बार क्यों उनके सपनों में आती है क्योंकि आजकल उनके अन्दर की सारी वासना इकठ्ठा होकर उनके दिमाग में रीमा को भर देती है | आज वो ऐसा नहीं होने देगें, इसलिए उन्होंने पत्नी के साथ बाहर जाने का प्लान बना लिया और रात में वापस आने के बाद उसको चोदने का प्लान बना लिया | उसके बाद देखते है कैसे रीमा के सपने उन्हें आते है | उन्हें हकीकत का सामना करना ही होगा, रीमा उनकी जिदगी की हकीकत नहीं है | उसको चोदने के फालतू के फितूर से उसे बाहर निकलना होगा | दिन भर वो पत्नी के साथ अलग अलग जगहों पर घूमने गए और शाम को एक बेहरतीन से रेस्टोरेंट में कैंडल लाइट डिनर किया | घर आते आते दोनों थक गए थे लेकिन अनिल ने घर आते ही अपने इरादे जाहिर कर दिए और कपड़े उतारकर सीधे बाथरूम में घुस गए | वहां से नहाकर ताज फ्रेश होकर निकले | रोहिणी ने गौर से देखा और समझ गयी आज पतिदेव का मिजाज बना हुआ है | वो भी रात के दस बजे नहा धोकर तैयार होकर आ गयी | दोनों ने जमकर चुदाई करी, एक बार में अनिल का जी नहीं भरा तो रोहिणी को दूसरी बार के लिए मनाने लगे | रोहिनी भी आज पुरे मूड में थी इसलिए उसने भी ज्यादा न नुकुर नहीं करी | दिन भर घूमने के बाद दो बार चुदाई करके अनिल बुरी तरह से थक गए और अपनी नंगी बीबी की बांहों में ही सिमटकर सो गए | आज रात गहरी नीद सोये और कोई सपना भी नहीं आया | दो चार दिन तक सब ठीक रहा फिर एक दिन सोते हुए रीमा का सपना देखने लगे | उनकी तरह ही रीमा भी बिस्तर पर उलटा लेती सो रही थी | हालाँकि रीमाँ के जिस्म पर हमेशा की तरह कोई कपडे नहीं थे | और चादर उसके चुताड़ो के नीचे तक खिसकी पड़ी थी | उसकी रेशमी जुल्फे बिस्तर पर फैली हुई थी | उसकी चिकनी गोरी पीठ उसके जिस्म की रंगत की चमक का एक नमूना दे रही थी |
अनिल रीमा के बेड के करीब पंहुच गए और उसके पास खड़े होकर उसके खूबसूरत जिस्म को अपने दिलो दिमाग में उतारने लगे | तभी बिना किसी के आवाज के भी रीमा जाग गयी, अपनी चिर परिचित मुस्कराहट के साथ उसने अनिल की तरफ देखा | अनिल दुखी दुखी अपना काला लंड अपने हाथ में थामे बड़ी उम्मीदों के साथ रीमा की तरफ देख रहे थे | ये देखते ही रीमा हंसने लगी | अनिल झेप गए, उन्हें समझ आ गया रीमा क्यों हंस रही है | उन्हें भी ऐसा बचपना नहीं करना चाहिए | उन्हें लगा रीमा इसलिए हंस रही है जैस उनसे कह रही हो अभी तक अपने लंड को पकडे पकडे ही घूम रहे हो | आगे बढ़ो, अगर मेरी चूत चोदने को नहीं मिलेगी तो क्या इसी तरह से लंड पकड़े पकड़े घुमते रहोगे | अनिल को बहुत शर्म महसूस हो रही थी ऐसा लग रहा था वो रीमा के सामने किसी 15 साल के बच्चे की तरह चूत चोदने की जिद लेकर बैठे है | चोदुगा तो तुम्हे ही नहीं तो हाथ में लिए इस लंड को घूमता रहूगां | अनिल को लग रहा था बस धरती फट जाये और वो उसमे समां जाये | वो वहां से तेजी से बाहर आ जाये | बाहर गली में ढेर सारी भीड़ थे, आसपास के सारे लोग गली में खड़े थे इसमें उसके बीबी और बच्चे भी थे | सभी उनको देखकर हंस रहे थे, उन्हें समझ नहीं आ रहा था क्यों, वो तेजी से गली में आगे बढ़ने लगते है लेकिन सभी के सभी उन्हें देखते ही हंसने लगते है | तभी उनका ध्यान नीचे जाता है, उनकी पेंट से उनका ११ इंची लंड बाहर निकला हुआ है और वो तेजी से उसका मुठ मार रहे है और उन्होंने अपने सुपाडे पर रीमा का टैटू भी बनवाया है |
ये सब देखते ही अनिल जल्दी से गली से भागकर फिर से रीमा के कमरे में घुस आये | रीमा के गोर जिस्म पर सर से पैरो तक कपड़ो का कोई नामो निशान नहीं था, ऊपर से उसने चादर भी पैरो के नीचे तक खिसका दी थी | रीमा पीठ के बल बिस्तर पर पड़ी थी इसलिए उसके चूतड़ ऊपर की तरफ हवा में उठे हुए थे | और उसके पहाड़ी की तरह उठे हुए मांसल चुताड़ो के बीच से उसकी चूत की दरार साफ़ दिख रही थी | उसकी चूत के ओंठ आपस में चिपके हुए थे, उसकी चिकनी चूत की गुलाबी लालिमा देख अनिल समोहित से हो गए | ऐसा लग रहा था जैसे रीमा प्रणय का खुला आमंत्रण दे रही हो | स्त्री पुरुष के बीच खेला जाने वाला वासना का सबसे प्राकृतिक खुला खेल ...............जिसे चुदाई कहा जाता है | आखिर एक औरत पूरी तरह से नंगी होकर किसी अबोध पुरुष को अपने जिस्म का सबसे वर्जित हिस्सा क्यों दिखाएगी | ये आमंत्रण था हवस के नंगे नाच का, ये आमंत्रण था वासना के खुले खेल का | आवो चोदो मुझे, मै तैयार हूँ | मै तैयार हूँ तुमारा लंड लेने के लिए, तुमारा लंड अपनी चूत में लेने के लिए, अपनी चूत की मखमली गहराई में लेने के लिए | अपन लंड की अकड़न और मेरी चूत की खुजली एक साथ मिटा दो | मुझे चोद दो अनिल, अब और इन्तजार न करावो | अब बस मुझे चोद दो, बस जमकर चोद दो, इस चूत में घुसेड दो अपना ११ इंची लंड | रीमा की मादक आँखे बिना कुछ कहे कहे ही सब कुछ कह रही थी | अनिल का लंड पूरी तरह से अकड़ चूका था | उन्हें बस अब उसे रीमा की चूत में घुसेड़ने की देर थी |
रीमा पूरी तरह से नंगी थी, बिस्तर पर लेती थी खामोश थी, बड़ी आस से अनिल को देख रही, जैसे मौन आमंत्रण दे रही हो | लेकिन अनिल के तो जैसे पैर जाम हो गए, वो आगे बढ़ना चाहते थे लेकिन जैसे किसी ने उनके पैर धरती से फविकोल से चिपका दिए हो | वो बेतहाशा अपने लंड को मसल रहे थे | रीमा उनके सामने थी, पूरी तरह से नंगी लेटी थी, उसकी गुलाबी चूत भी उनकी तरफ थी, उन्हें बस कुछ कदम चल कर आगे जाना था और अपने लंड का मोटा सुपाडा रीमा के चूत के गुलाबी ओंठो को फैलाकर उसकी मखमली गुलाबी चूत सुरंग पर लगाकर अन्दर पेल देना था | अनिल इतना भी कर पाने में खुद असमर्थ पा रहे थे, आखिर क्या हो गया उनके पैरो को | आखिर ये आगे क्यों नहीं बढ़ रहे | उनके जीवन की सबसे खूबसूरत औरत, उनके जीवन की सबसे कामुक फैंटसी रीमा उसनके सामने नंगी होकर उन्हें चोदने का आमंत्रण दे रही है लेकिन ऐसा लगा रहा है जैसे उन्हें किसी ने बुत बना दिया हो |
अनिल अपने हाथ पाँव मार रहे थे लेकिन सब व्यर्थ | आखिरकार रीमा को नंगी देखकर अनिल तेजी से अपने लंड को मुठीयाने लगे | लेकिन यहाँ तो उससे भी उलटा हो रहा था | अरे उनका लंड मुरझाने लगा, ये क्या हो रहा था उनके साथ | वो और तेजी से लंड मुठीयाने लगे लेकिन लंड का मुरझाना नहीं रुका | रीमा का नंगा बदन भी उनके लंड में खून का दौरान बढ़ाने में असफल प्रतीत हो रहा था | उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था आखिर ये सब हो क्या रहा है | अचानक पलक झपकते ही वो आसमान में पहुँच गए | रीमा बिलकुल उसी तरह से अनिल को देखते हुए कातिल मुस्कान से मुस्काने लगी | रीमा उसी अंदाज में खड़ी थी उसी पोज में कड़ी थी उसी तेवर के साथ कड़ी थी | उसके चूतड़ वैसे ही उठे हुए थे, अनिल को एक बारगी यकीन नहीं हुआ, कही वो कोई मूरत तो नहीं देख रहे | बिलकुल ऐसे ही रीमा को उन्होंने रीमा के घर में देखा था | अनिल हैरान थे ये दुबारा कैसे हो सकता है |
रीमा अनिल की दुविधा देख हंसने लगी और हंसती ही रही | अनिल को समझ नहीं आया रीमा क्यों हंस रही है वो अपने मुरझाये लंड को और जोर जोर से मुठीयाने लगे | जीतनी जोर से अनिल अपने ११ इंची लंड को मुठियाते उतनी ही तेज रीमा की हंसी होती जा रही थी |
आखिर अनिल ने झुंझलाकर पूछ ही लिया - आखिर ये सब मेरे साथ हो क्या रहा है, तुम हंस क्यों रही हो, मेरा लंड खड़ा क्यों नहीं हो रहा | तुमारे नंगे गोरे गुलाबी बदन की महक मेरे लंड में खून का दौरान क्यों नहीं बढ़ा रही |
रीमा बस हंसती ही रही |
अनिल की झुन्झुलाहट और बढ़ गयी - कुछ बोलोगी या ऐसे ही हंसती रहोगी |
रीमा - अब तुमारे बस का नहीं है मेरी चूत की प्यास बुझा पाना | तुम बूढ़े हो गये हो, तुमारे लंड में अब इतनी जान नहीं रही जो मेरी चूत की दीवारों की खुजली मिटा सके | अब इसे सिर्फ मुतने का काम लो |
अनिल - अभी मै इतना बुढा नहीं हुआ हूँ | मेरे लंड में बहुत जान है, अभी चोदना शुरू करूगां तुझे तो सुबह तक नहीं रुकुंगा | अभी पत्थर की कड़क हो जाता है, जब तेरी चूत में घुसेड़कर तुम्हे चोदुंगा, तो चीखे उबल पड़ेगें तेरे मुहँ से | रात भर चोदूगा, और रात भर तेरे मुहँ से चीखे निकलेगी |
रीमा फिर से ठहाका लगाने लगी |
अनिल - हंस मत, अभी मुझे समझ नहीं आ रहा है की मेरे साथ हो क्या रहा है | जैसे ही इस माया जाल से निक्लूगा, फिर तू रहम की भीख मांगेगी | रात रात भर चोदकर तेरी मख्खन मलाई जैसी चूत का कीमा बना दूंगा | तब देखूगना कौन ठहाके लगाता है |
रीमा - बस बाते करवा लो, डींगे मरवा लो, यहाँ चुदने को तरस रही हूँ, चूत में आग लगी है और तुम बातो से मेरी चूत चोदकर उसकी प्यास बुझा रहे हो |
अनिल झुंझलाते हुए - पता नहीं मेरे साथ क्या हो रहा है, कही मेरे पैर जाम हो जाते है कही मेरा खाद लंड मुरझा जाता है |
रीमा हंसती हुई अपनी कमर मटकाती हुई आगे की तरफ चल दी | अनिल उसे रुकने की आवाज लगाते रहे - रीमा रीमा रीमा |
तभी पसीने से लथपथ शरीर के साथ अनिल की आंख खुल गयी और उनका सपना टूट गया | अनिल माथा पकड़कर बैठ गए आखिरकार ये रीमा उसके दिमाग से कब जाएगी | असल जिदंगी में वो रीमा को लेकर इतने आकर्षित नहीं थे जितना उन्हें अब उसके सपने परेशान कर रहे थे | उन्हें इससे निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था |
अनिल - तुमने ही तो सब किया है, इतना खूबसूरत बदन, इसकी कोई एक हल्की सी झलक देख ले तो पागल हो जाये, तुमने तो सब कुछ दिखा दिया | अब तो ये ११ इंची लंड पागल हुआ जा रहा है |
रीमा अफ़सोस जाहिर करती हुई - इसमें मेरी क्या गलती है, मैंने थोड़े इसे खड़ा किया है |
अनिल - तुमारी कोई गलती नहीं लेकिन ऐसे तो तड़प तड़प कर मर जायेगा ये | कुछ दया करो इस पर, रहम खावो इस पर |
रीमा -अच्छा फिर जो ये मेरी चूत का फालूदा बना देगा |
अनिल तो अब बस रीमा के पांव में पड़ने की हालत में आ गए - अब तुम या तो इसका गला घोट दो या फिर इसे स्वर्ग की सैर करा दो | इस हालत में अब और नहीं जीना चाहता है ये |
रीमा - उफ्फ्फफ्फ्फ़.................ठीक है, मै नहीं चाहती कोई मेरी वजह से शहीद हो जाये | आपका है तो बहुत भरी भरकम, पता नहीं कैसे ले पाऊँगी अपनी नाजुक सी संकरी चूत में फिर भी ये पैंटी मै उतार देती हूँ उसके बाद पहले मैं तुम्हारा लंड चुसुंगी और तब तक चुसुंगी जब तक इसका सुपाडा मेरे मुहँ में नहीं समां जाता, क्योंकि अगर मुहँ में इसका सुपाडा नहीं आया तो ये मेरी चूत में भी नहीं घुसेगा |
अनिल - सब आ जायेगा तुमारी चूत में, ऐसा कोई लंड नहीं बना दुनिया में जिसे चूत घोंट न सके |
रीमा - हर मर्द यही कहता है लेकिन चीखे तो हमारी उबल पड़ती है लंड घोटते समय | फिर भी जब इतना तड़प रहे है तो आप जमकर मुझे चोदना लेना , घंटे दो घंटे रात भर दिन रात महीने भर कर चोदना | तब तक चोदते ही रहना जब तक आपके लंड की प्यास न बुझ जाये | मेरी चूत अपनी गाढ़ी मलाई से लबालब भर देना, ताकि आपका लंड फिर कभी मेरी चूत के लिए प्यासा नहीं रहे |
अनिल उत्साह से - हा हा रीमा हहा बिलकुल सही कह रही है, बस जल्दी से कपड़े उतार दो अब |
इतना कहकर रीमा ने अपनी जिस्म का सफ़ेद कपड़ा भी उतार दिया | और जब वो अनिल की तरफ घूमी तो अनिल चौक गए, अरे ये तो बिलकुल वही पोज है जब रीमा ने मुझे कमरे से देखा था | वो कंफ्यूज हो गए ये क्या हो रहा है उनके साथ | रीमा अपनी जगह ही खड़ी रही और अनिल को अपनी चुदाई करने का आमंत्रण देती रही लेकिन न चाहते हुए भी अनिल पता नहीं क्यों अपना लंड थामे उससे दूर जाते रहे | कुछ भी अनिल के नियंत्रण में नहीं था | उनके हाथ में आई रीमा फिसलती जा रही थी, रीमा वही की वही कड़ी थी लेकिन वो खुद बखुद उससे दूर जाते रहे और इससे पहले वो वो इतनी दूर पहुँच जाये की रीमा उनकी आखो से ओझल हो जाये उनकी आंख खुल गयी |
आंखे खुलते ही वो हकीकत से रूबरू हुए | उनका लंड अकड़कर पत्थर बन चूका था उर वो फिर से रीमा के बारे में एक बुरा सपना देख रहे थे | बाथरूम में जाकर हाथ मुहँ धुले और ढेर सारा पानी पिया | कुछ देर तक शांत होकर बैठे रहे | धीरे धीरे उनका लंड नरम हो गया | फिर से सोने की कोशिश करने लगे |
अगले दिन जब सुबह उठे तो उन्होंने इन बेतुके सपनो का इलाज निकालने की सोची | उन्हें पता था रीमा बार बार क्यों उनके सपनों में आती है क्योंकि आजकल उनके अन्दर की सारी वासना इकठ्ठा होकर उनके दिमाग में रीमा को भर देती है | आज वो ऐसा नहीं होने देगें, इसलिए उन्होंने पत्नी के साथ बाहर जाने का प्लान बना लिया और रात में वापस आने के बाद उसको चोदने का प्लान बना लिया | उसके बाद देखते है कैसे रीमा के सपने उन्हें आते है | उन्हें हकीकत का सामना करना ही होगा, रीमा उनकी जिदगी की हकीकत नहीं है | उसको चोदने के फालतू के फितूर से उसे बाहर निकलना होगा | दिन भर वो पत्नी के साथ अलग अलग जगहों पर घूमने गए और शाम को एक बेहरतीन से रेस्टोरेंट में कैंडल लाइट डिनर किया | घर आते आते दोनों थक गए थे लेकिन अनिल ने घर आते ही अपने इरादे जाहिर कर दिए और कपड़े उतारकर सीधे बाथरूम में घुस गए | वहां से नहाकर ताज फ्रेश होकर निकले | रोहिणी ने गौर से देखा और समझ गयी आज पतिदेव का मिजाज बना हुआ है | वो भी रात के दस बजे नहा धोकर तैयार होकर आ गयी | दोनों ने जमकर चुदाई करी, एक बार में अनिल का जी नहीं भरा तो रोहिणी को दूसरी बार के लिए मनाने लगे | रोहिनी भी आज पुरे मूड में थी इसलिए उसने भी ज्यादा न नुकुर नहीं करी | दिन भर घूमने के बाद दो बार चुदाई करके अनिल बुरी तरह से थक गए और अपनी नंगी बीबी की बांहों में ही सिमटकर सो गए | आज रात गहरी नीद सोये और कोई सपना भी नहीं आया | दो चार दिन तक सब ठीक रहा फिर एक दिन सोते हुए रीमा का सपना देखने लगे | उनकी तरह ही रीमा भी बिस्तर पर उलटा लेती सो रही थी | हालाँकि रीमाँ के जिस्म पर हमेशा की तरह कोई कपडे नहीं थे | और चादर उसके चुताड़ो के नीचे तक खिसकी पड़ी थी | उसकी रेशमी जुल्फे बिस्तर पर फैली हुई थी | उसकी चिकनी गोरी पीठ उसके जिस्म की रंगत की चमक का एक नमूना दे रही थी |
अनिल रीमा के बेड के करीब पंहुच गए और उसके पास खड़े होकर उसके खूबसूरत जिस्म को अपने दिलो दिमाग में उतारने लगे | तभी बिना किसी के आवाज के भी रीमा जाग गयी, अपनी चिर परिचित मुस्कराहट के साथ उसने अनिल की तरफ देखा | अनिल दुखी दुखी अपना काला लंड अपने हाथ में थामे बड़ी उम्मीदों के साथ रीमा की तरफ देख रहे थे | ये देखते ही रीमा हंसने लगी | अनिल झेप गए, उन्हें समझ आ गया रीमा क्यों हंस रही है | उन्हें भी ऐसा बचपना नहीं करना चाहिए | उन्हें लगा रीमा इसलिए हंस रही है जैस उनसे कह रही हो अभी तक अपने लंड को पकडे पकडे ही घूम रहे हो | आगे बढ़ो, अगर मेरी चूत चोदने को नहीं मिलेगी तो क्या इसी तरह से लंड पकड़े पकड़े घुमते रहोगे | अनिल को बहुत शर्म महसूस हो रही थी ऐसा लग रहा था वो रीमा के सामने किसी 15 साल के बच्चे की तरह चूत चोदने की जिद लेकर बैठे है | चोदुगा तो तुम्हे ही नहीं तो हाथ में लिए इस लंड को घूमता रहूगां | अनिल को लग रहा था बस धरती फट जाये और वो उसमे समां जाये | वो वहां से तेजी से बाहर आ जाये | बाहर गली में ढेर सारी भीड़ थे, आसपास के सारे लोग गली में खड़े थे इसमें उसके बीबी और बच्चे भी थे | सभी उनको देखकर हंस रहे थे, उन्हें समझ नहीं आ रहा था क्यों, वो तेजी से गली में आगे बढ़ने लगते है लेकिन सभी के सभी उन्हें देखते ही हंसने लगते है | तभी उनका ध्यान नीचे जाता है, उनकी पेंट से उनका ११ इंची लंड बाहर निकला हुआ है और वो तेजी से उसका मुठ मार रहे है और उन्होंने अपने सुपाडे पर रीमा का टैटू भी बनवाया है |
ये सब देखते ही अनिल जल्दी से गली से भागकर फिर से रीमा के कमरे में घुस आये | रीमा के गोर जिस्म पर सर से पैरो तक कपड़ो का कोई नामो निशान नहीं था, ऊपर से उसने चादर भी पैरो के नीचे तक खिसका दी थी | रीमा पीठ के बल बिस्तर पर पड़ी थी इसलिए उसके चूतड़ ऊपर की तरफ हवा में उठे हुए थे | और उसके पहाड़ी की तरह उठे हुए मांसल चुताड़ो के बीच से उसकी चूत की दरार साफ़ दिख रही थी | उसकी चूत के ओंठ आपस में चिपके हुए थे, उसकी चिकनी चूत की गुलाबी लालिमा देख अनिल समोहित से हो गए | ऐसा लग रहा था जैसे रीमा प्रणय का खुला आमंत्रण दे रही हो | स्त्री पुरुष के बीच खेला जाने वाला वासना का सबसे प्राकृतिक खुला खेल ...............जिसे चुदाई कहा जाता है | आखिर एक औरत पूरी तरह से नंगी होकर किसी अबोध पुरुष को अपने जिस्म का सबसे वर्जित हिस्सा क्यों दिखाएगी | ये आमंत्रण था हवस के नंगे नाच का, ये आमंत्रण था वासना के खुले खेल का | आवो चोदो मुझे, मै तैयार हूँ | मै तैयार हूँ तुमारा लंड लेने के लिए, तुमारा लंड अपनी चूत में लेने के लिए, अपनी चूत की मखमली गहराई में लेने के लिए | अपन लंड की अकड़न और मेरी चूत की खुजली एक साथ मिटा दो | मुझे चोद दो अनिल, अब और इन्तजार न करावो | अब बस मुझे चोद दो, बस जमकर चोद दो, इस चूत में घुसेड दो अपना ११ इंची लंड | रीमा की मादक आँखे बिना कुछ कहे कहे ही सब कुछ कह रही थी | अनिल का लंड पूरी तरह से अकड़ चूका था | उन्हें बस अब उसे रीमा की चूत में घुसेड़ने की देर थी |
रीमा पूरी तरह से नंगी थी, बिस्तर पर लेती थी खामोश थी, बड़ी आस से अनिल को देख रही, जैसे मौन आमंत्रण दे रही हो | लेकिन अनिल के तो जैसे पैर जाम हो गए, वो आगे बढ़ना चाहते थे लेकिन जैसे किसी ने उनके पैर धरती से फविकोल से चिपका दिए हो | वो बेतहाशा अपने लंड को मसल रहे थे | रीमा उनके सामने थी, पूरी तरह से नंगी लेटी थी, उसकी गुलाबी चूत भी उनकी तरफ थी, उन्हें बस कुछ कदम चल कर आगे जाना था और अपने लंड का मोटा सुपाडा रीमा के चूत के गुलाबी ओंठो को फैलाकर उसकी मखमली गुलाबी चूत सुरंग पर लगाकर अन्दर पेल देना था | अनिल इतना भी कर पाने में खुद असमर्थ पा रहे थे, आखिर क्या हो गया उनके पैरो को | आखिर ये आगे क्यों नहीं बढ़ रहे | उनके जीवन की सबसे खूबसूरत औरत, उनके जीवन की सबसे कामुक फैंटसी रीमा उसनके सामने नंगी होकर उन्हें चोदने का आमंत्रण दे रही है लेकिन ऐसा लगा रहा है जैसे उन्हें किसी ने बुत बना दिया हो |
अनिल अपने हाथ पाँव मार रहे थे लेकिन सब व्यर्थ | आखिरकार रीमा को नंगी देखकर अनिल तेजी से अपने लंड को मुठीयाने लगे | लेकिन यहाँ तो उससे भी उलटा हो रहा था | अरे उनका लंड मुरझाने लगा, ये क्या हो रहा था उनके साथ | वो और तेजी से लंड मुठीयाने लगे लेकिन लंड का मुरझाना नहीं रुका | रीमा का नंगा बदन भी उनके लंड में खून का दौरान बढ़ाने में असफल प्रतीत हो रहा था | उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था आखिर ये सब हो क्या रहा है | अचानक पलक झपकते ही वो आसमान में पहुँच गए | रीमा बिलकुल उसी तरह से अनिल को देखते हुए कातिल मुस्कान से मुस्काने लगी | रीमा उसी अंदाज में खड़ी थी उसी पोज में कड़ी थी उसी तेवर के साथ कड़ी थी | उसके चूतड़ वैसे ही उठे हुए थे, अनिल को एक बारगी यकीन नहीं हुआ, कही वो कोई मूरत तो नहीं देख रहे | बिलकुल ऐसे ही रीमा को उन्होंने रीमा के घर में देखा था | अनिल हैरान थे ये दुबारा कैसे हो सकता है |
रीमा अनिल की दुविधा देख हंसने लगी और हंसती ही रही | अनिल को समझ नहीं आया रीमा क्यों हंस रही है वो अपने मुरझाये लंड को और जोर जोर से मुठीयाने लगे | जीतनी जोर से अनिल अपने ११ इंची लंड को मुठियाते उतनी ही तेज रीमा की हंसी होती जा रही थी |
आखिर अनिल ने झुंझलाकर पूछ ही लिया - आखिर ये सब मेरे साथ हो क्या रहा है, तुम हंस क्यों रही हो, मेरा लंड खड़ा क्यों नहीं हो रहा | तुमारे नंगे गोरे गुलाबी बदन की महक मेरे लंड में खून का दौरान क्यों नहीं बढ़ा रही |
रीमा बस हंसती ही रही |
अनिल की झुन्झुलाहट और बढ़ गयी - कुछ बोलोगी या ऐसे ही हंसती रहोगी |
रीमा - अब तुमारे बस का नहीं है मेरी चूत की प्यास बुझा पाना | तुम बूढ़े हो गये हो, तुमारे लंड में अब इतनी जान नहीं रही जो मेरी चूत की दीवारों की खुजली मिटा सके | अब इसे सिर्फ मुतने का काम लो |
अनिल - अभी मै इतना बुढा नहीं हुआ हूँ | मेरे लंड में बहुत जान है, अभी चोदना शुरू करूगां तुझे तो सुबह तक नहीं रुकुंगा | अभी पत्थर की कड़क हो जाता है, जब तेरी चूत में घुसेड़कर तुम्हे चोदुंगा, तो चीखे उबल पड़ेगें तेरे मुहँ से | रात भर चोदूगा, और रात भर तेरे मुहँ से चीखे निकलेगी |
रीमा फिर से ठहाका लगाने लगी |
अनिल - हंस मत, अभी मुझे समझ नहीं आ रहा है की मेरे साथ हो क्या रहा है | जैसे ही इस माया जाल से निक्लूगा, फिर तू रहम की भीख मांगेगी | रात रात भर चोदकर तेरी मख्खन मलाई जैसी चूत का कीमा बना दूंगा | तब देखूगना कौन ठहाके लगाता है |
रीमा - बस बाते करवा लो, डींगे मरवा लो, यहाँ चुदने को तरस रही हूँ, चूत में आग लगी है और तुम बातो से मेरी चूत चोदकर उसकी प्यास बुझा रहे हो |
अनिल झुंझलाते हुए - पता नहीं मेरे साथ क्या हो रहा है, कही मेरे पैर जाम हो जाते है कही मेरा खाद लंड मुरझा जाता है |
रीमा हंसती हुई अपनी कमर मटकाती हुई आगे की तरफ चल दी | अनिल उसे रुकने की आवाज लगाते रहे - रीमा रीमा रीमा |
तभी पसीने से लथपथ शरीर के साथ अनिल की आंख खुल गयी और उनका सपना टूट गया | अनिल माथा पकड़कर बैठ गए आखिरकार ये रीमा उसके दिमाग से कब जाएगी | असल जिदंगी में वो रीमा को लेकर इतने आकर्षित नहीं थे जितना उन्हें अब उसके सपने परेशान कर रहे थे | उन्हें इससे निकलने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा था |