11-07-2019, 09:54 PM
उस दिन के बाद से अनिल के ऊपर तो जैसे रीमा का बुखार ही चढ़ गया | सुबह शाम दिन रात उनके दिमाग में वही रीमा का नंगा गोरा गुलाबी बदन ही आगे पीछे घूमता रहता था | रात में सोते तो भी रीमा उनको सपने में दिखाई देती थी | उस दिन जब अनिल रात को घर वापस गए तो उन्होंने और रोहिणी दोनों ने शराब पी रखी थी | उसके बाद जब वो मोबाईल लेने वापस रीमा के घर गए और वहां से वापस लौटे | जब तक वो घर पहुंचे रोहिणी लगभग लगभग नींद के आगोश में जा चुकी थी लेकिन अनिल बेचैन थे रीमा ने उनके अंदर वो आग लगा दी थी की वो समझ ही नहीं पा रहे थे की इसे कैसे बुझाये | क्या करें क्या न करें की पैंट के अंदर उनका काला मोटा लंड अभी भी उनकी पेंट में मीनार की तरह खड़ा हुआ था | अब पछता रहे थे क्यों वो फ़ोन वापस लेने गए थे | वहां जाकर जो जो कुछ भी देखा उसको देखकर अभी तक अनिल के दिलों दिमाग में बस वही छाया हुआ था | अनिल ने कपड़े उतार कर के सोने की कोशिश करी और चुपचाप बिस्तर में घुस गए | शराब का भरपूर नशा था फिर भी नींद आंखों से बहुत दूर थी बार-बार घूमकर उनके दिलो-दिमाग पर रीमा का नंगा गोरा बदन आ जाता था रीमा के भारी-भारी चूतड़ , उसकी गोरी छाती के उठे हुए उरोज, गोरी चिकनी पीठ, मांसल भरी भरकम चूतड़, गुलाबी कमसिन चिकनी चूत..................अनिल तो पूरी तरह से रीमा के गुलाबी गोर जिस्म के आकर्षण के मोह जाल में फंस चुके थे उनकी आंखों से नींद मीलो दूर थी फिर भी जबरदस्ती किसी तरह से वह अपना सर तकिये में घुसा कर सोने की कोशिश करने लगे | बहुत हाथ पाँव मारने के बाद, ढेर सारा पानी पीने के बाद, किसी तरह से सोने की गोली खाकर बहुत ही ज्यादा मुश्किल के बाद अपने आप को काबू करके आखिरकार अनिल सो गए | ये अनिल के लिए हाल के एक दशक की सबसे मुश्किल रात में बदल गयी |
सुबह जब उठे तो पहला विचार जो दिमाग में आया वह रीमा का ही था | अपने दिल का हाल किस्से काहे क्या काहे, अभी तो रोहित भी यहाँ नहीं था | कल तो रोहिणी शराब के नशे में थी इसलिए सब कुछ उसे मंजूर था लेकिन अब अगर उन्होंने गलती से भी रीमा का नाम भी अपनी जुबान पर ला दिया तो उनका सर काट कर उनके हाथ में दे देगी | अजीब सी दुविधा और पशोपेश से घिर गए थे |
अनिल कहां यहां पर छुट्टियां मनाने आए थे एंजॉय करने आए थे लेकिन यहाँ आकर तो रीमा नाम की एक अजीब सी नई मुसीबत में फंस गए थे | रीमा को पाने की लालसा, उसको चोदने की लालसा उनके अन्दर बलवती होती जा रही थी अब तो न सहा जा रहा था और ना ही रुका जा रहा था आखिर करे तो क्या करें चूत है ही ऐसी बीमारी जिसको लग जाए, उसको जब तक मिल न जाये तब तक उसकी भूख प्यास सब मर जाती है | अनिल अनुभवी इंसान थे सुबह का अशांत मन शाम तक शांत होने लगा | उनका दिमाग काम करने लगा | भावनाए और अन्दर का काम वेग थोडा सा थम गया | एक दो दिन इसी उधेड़बुन में निकल गए और इसी बीच अनिल के मस्तिस्क में पहले से ज्यादा स्थिरता आ गयी | दिन में तो खुद को संयमित कर लेटे लेकिन रात में रीमा के सपने आकर उन्हें बुरी तरह से परेशान करने लगे | एक दिन अपनी पत्नी के साथ गहरी नीद में सो रहे थे और उन्हें रीमा का सपना आ रहा था जिसमें रीमा बार-बार जालीदार कपड़े बदल बदल कर के पहनकर के वॉक करते हुए उनकी तरफ आ रही थी और वो उसको देखते ही जोर-जोर से तालियां बजा रहे थे और अपनी पेंट से अपना मोटा काला लंड निकाल कर के उसे जोर जोर से मुठिया रहे थे | रीमा ने एक पूरी तरह से जालीदार बॉडीसूट टीडी पहन रखा था जिसके अंदर से उसका पूरा नंगा शरीर झांक रहा था | दोनों कंधे के ऊपर पतली पतली काली
स्ट्रिप उस जालीदार पारदर्शी बॉडीसूट टेडी को उसके नंगे बदन पर लटकाए थी | और उसके नीचे उसके बड़े बड़े स्तनों को सहेजे पारदर्शी ब्रा से उसकी चुचियाँ झांक रही थी , वो नीचे जाकर जालीदार net से जुडी हुई थी | उस काली पारदर्शी बॉडीसूट टेडी से उसके बड़े बड़े बड़े उरोज जो उसके अन्दर संभाल कर छुपे हुए थे साफ़ साफ़ झलक रहे थे |
रीमा ने जालीदार बॉडीसूट टेडी छोटा सा स्कर्ट पहन रखा था जिसने बमुश्किल ही उसका बदन चुताड़ो तक ढक पा रहा था सब कुछ तो साफ बाहर झलक रहा था | रीमा के बड़े-बड़े दूधों को देख कर के किसी का भी लंड आराम से खड़ा हो सकता था | ब्रा ख़त्म होते ही काले धागे की जाली शुरू हो गयी थी, जो उसके कमर के निचले हिस्से कमर के निचले हिस्से तक गई हुई थी | जिसका पहनना न पहनना बराबर था | उसमें से रीमा का पूरा नंगा सफेद गोरा गुलाबी बदन साफ़ साफ़ झलक रहा था नीचे की तरफ को सपाट पेट दिख रहा था उसमें गोल गोल सुघड़ नाभि भी दिख रही थी और उसके नीचे जाने के बाद रीमा की निचली मखमली घाटी का इलाका शुरू हो जाता है | रीमा का चूत त्रिकोण बिलकुल चिकना सफाचट गोरा गुलाबी रंगत लिए हुए उसके हुस्न में चार चाँद लगा रहा था | जब रीमा चलती तो उसकी नाजुक गोरी जांघे आपस में रगड़ खाती, और उसके साथ उसकी चूत के कसे ओंठ आपस में रगड़ खा जाते | उस जालीदार सूट से रीमा की खूबसूरत मखमली चूत का हल्का सा चीरा हल्का सा दिख रहा था | हर कदम के साथ उसकी मटकती कमर और उठते गिरते कुल्हे, थलर थलर होते उसे पहाड़ी भारी भरकम मांसल चूतड़ | अनिल के लंड में तो जैसे किसी ने पंप से खून भरना शुरू कर दिया हो | इस तरह से फूलकर कांपने लगा जैसे कोई गुस्स्से से लाल काला नाग फुफकारता है | हर अनिल की तरफ बढ़ते कदम के साथ उसकी जांघें आपस में आपस में एक दूसरे को क्रॉस कर रही थी और उसके उसकी चूत के सख्त कसे हुए ओंठ आपस में रगड़ खा रहे थे | रीमा ने भारी मेकअप किया हुआ था और उसने बाल भी बनाए हुए थे उसकी काली काली कजरारी आंखें उसके लिपिस्टिक लगाए हुए लाल लाल होंठ उसके गुलाबी छटा बिखेरते हुए नरम नरम गाल और उसका गोरा दमकता हुआ बदन | रीमा किसी परी से कम नहीं लग रही थी | यह सब सपने में देखते देखते अनिल का लंड फटने की कगार पर पंहुच गया था | उनके लंड की अकडन अब बर्दाश्त से बाहर हो रही थी | उन्होंने आगे बढ़कर रीमा पकड़ने की कोशिश की लेकिन रीमा खिल्किलाती हुई पीछे हट गयी और अपने काले लंड को मुठियाते अनिल मन मसोस कर रह गए | सपने में बुरी तरह से खोये अनिल ने अपनी बीवी रोहिणी को कस कर पकड़ लिया था रोहिणी भी गहरी नींद में थी लेकिन जैसे ही अनिल ने उसे खीचा वो अनिल की बांहों में समाती चली गयी | उसका एक हाथ अपने आप ही अनिल के लंड पर चला गया | वो सोते सोते अनिल के लंड को मुठीयाने लगी | रोहिणी अनिल का लंड सहला रही थी और अनिल रीमा के गुलाबी खूबसूरत हसीन जिस्म का सपना देख रहे थे | अनिल तो रीमा की गुलाबी चूत के चीरे पर ही अटक कर रह गए | सपने में भी बार-बार उनकी नजर बस रीमा के चूत त्रिकोण की निचली दरार जो उन्होंने पारदर्शी जाली के अंदर देखी थी उस पर जाकर अटक जाती | रीमा की मखमली चूत का वो चीरा जब इतना खूबसूरत है तो रीमा की गुलाबी कमसिन चूत कितनी खूबसूरत होगी | क्या खूबसूरत चूत त्रिकोण है क्या चिकना बदन है क्या चिकनी चूत है क्या कमाल का जिस्म है है उपरवाले ने कैसे बनाया होगा इतनी कमसिन हसीना को | मैंने तो अपनी जिंदगी में देखी नहीं ऐसी औरत | अब मुझसे रहा नहीं जाता है अब तो साला रीमा को चोदना ही होगा | उपरवाले अब रीमा को बस मेरे पास भेज दो, इतना कहना था कि रीमा एक और पारदर्शी लिबास में अदा से कैटवॉक करते हुए उनकी तरफ बढ़ती हुई चली आ रही थी उसको देखकर अनिल की सांसे और खून का दौरान अपने आप ही बढ़ने लगा था | जैसे-जैसे रीमा उनके करीब आती जा रही थी वो अपनी जालीदार कपड़ा उतारती जा रही थी | अनिल के पास तक आते आते रीमा ने वो जालीदार कपड़ा पूरी तरह से उतार दिया | रीमा अब पूरी तरह से नंगी थी अनिल आगे बढ़े और आगे बढ़ के जल्दी से रीमा के दोनों बड़े बड़े स्तनों को कस कर पकड़ लिया और पूरी ताकत से मसलने लगे | अनिल के मजबूत हाथों की जकड़न से रीमा के मुंह से दर्द भरी चीत्कार निकल गई | अनिल बिलकुल वहशी होकर रीमा के स्तनों को मसलने लगे | रीमा को तेज दर्द होने लगा था, वो अनिल को मना करने लगी लेकिन अनिल तो जैसे जानवरों की तरह उसके उरोज को मसल रहे थे रीमा ने अनिल के हाथ से अपनी नरम नाजुक छातियाँ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन अनिल तो पूरी तरह से वैसी जानवर बन चुके थे उन्होंने रीमा के नरम नाजुक स्तन और कसकर भींच लिए | रीमा ने हर कोशिश कर ली इस दर्द से बचने की लेकिन असफल रहने पर रीमा ने एक झन्नाटेदार झापड़ अनिल के मुंह पर जड़ दिया | अनिल का सपना सच में टूट गया, उसके हाथ अपनी बीबी रोहिणी के उरोर्जो को बुरी तरह से अपनी गिरफ्त में लिए हुए है उन्होंने देखा कि वह अपनी बीवी रोहिणी के बड़े बड़े स्तनों को मसल रहे थे और रीमा नहीं रोहिणी ने ही उन्हें झापड़ मारा है | भारी नीद से भरी आँखों के साथ अनिल माथा पकड़ कर बैठ गए, यह तो सपना था बस | उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़, रीमा क्या करवा डाले मुझसे |
अनिल को काफी शर्मिंदगी महसूस हुई उस रात को | उसके बाद में उन्होंने इसी में भलाई समझी कि वह रोहिणी से अलग कमरे में सोये | वो नहीं चाहते थे की रीमा के नशे में वो रोहिणी को कोई नुकसान पंहुचा बैठे | अलग कमरे में सोने के के बाद भी उनके दिम्माग में आने वाले सपने उनका पीछा नहीं छोड़ रहे थे जैसे ही वो नींद के आगोश में गए उन्होंने देखा आसमान में बादलों के बीच में रीमा तैरती हुई उनके पास आ रही है उसने सफ़ेद रंग की एक बिकनी पहन रखी है अपनी तरफ आते देख अनिल ने निश्चिंत करना चाहा की कही ये भी तो सपना नहीं है लेकिन जिस अदा से रीमा उनकी तरफ बढ़ती हुई आ रही थी उनको लगा ये सपना नहीं है इस बार सच में रीमा ही है बड़ी अदा से कमर मटकाती हुई सफेद बिकनी पहने हुए अपनी जुल्फें लहराते हुए अपनी कजरारी आंखें मटकाती हुई उनकी तरफ आ रही थी उसको देखते ही अनिल के जिस्म में फिर से खून का दौरान बढ़ने लगा था उनके लंड में फिर से अकड़न आने लगी थी अब तक रीमा उनके काफी नजदीक आ चुकी थी जैसे ही वह उनके थोड़ा नजदीक आई उसने अपने कंधों से वह बिकनी नीचे खिसका दी और उसके बड़े बड़े दूध जैसे गोरे गोरे उरोज हवा में झूल गए , अनिल की आँखों के सामने नुमाया हो गए | रीमा अपनी जुल्फें इधर उधर लहरा रही थी कभी इस कंधे पर डालती कभी उस कंधे पर डाल दी इसी बीच में उसके बड़े बड़े उरोज ऊपर नीचे जोर-जोर से हिल रहे थे | रीमा का कमर के नीचे का हिस्सा अभी भी उसी सफ़ेद बिकनी से ढका हुआ था |
नंगे बदन रीमा कभी मुस्कुराती कभी बलखाती कभी अपने भारी भरकम चूतड़ हिलाती कभी अपनी छाती हिलाती और यह सब देखकर एक बार फिर से अनिल का लंड पूरी तरह से तन गया था | अनिल से अब बर्दाश्त से बाहर हो गया था |
आखिर वो बोल ही पड़े - मेरे पास आवो रीमा अब बर्दाश्त से बाहर हो रहा है, कितना तड़पातीहो तुम, दिल दिमाग शरीर आत्मा सब बेचैन है तुमारे गोरे बदन का नरम मखमली स्पर्श पाने के लिए | मेरा लंड देखो कितना अकड़ गया है |
रीमा मटकती हुई बोली - तो मै क्या करू |
अनिल बेबस होते हुए - इसकी प्यास बुझावो , ये तुमारे लिए तड़प रहा है |
रीमा खिलखिलाते हुए - अरे तो मैंने थोड़े कहा था तड़पने के लिए |
अनिल - रीमा अब और न तडपाओ नहीं तो मै मर ही जाऊंगा | अब मेरे पास आ जावो, अब बस मै तुमको चोदना चाहता हूँ | बस चोदना चाहता हूँ |
सुबह जब उठे तो पहला विचार जो दिमाग में आया वह रीमा का ही था | अपने दिल का हाल किस्से काहे क्या काहे, अभी तो रोहित भी यहाँ नहीं था | कल तो रोहिणी शराब के नशे में थी इसलिए सब कुछ उसे मंजूर था लेकिन अब अगर उन्होंने गलती से भी रीमा का नाम भी अपनी जुबान पर ला दिया तो उनका सर काट कर उनके हाथ में दे देगी | अजीब सी दुविधा और पशोपेश से घिर गए थे |
अनिल कहां यहां पर छुट्टियां मनाने आए थे एंजॉय करने आए थे लेकिन यहाँ आकर तो रीमा नाम की एक अजीब सी नई मुसीबत में फंस गए थे | रीमा को पाने की लालसा, उसको चोदने की लालसा उनके अन्दर बलवती होती जा रही थी अब तो न सहा जा रहा था और ना ही रुका जा रहा था आखिर करे तो क्या करें चूत है ही ऐसी बीमारी जिसको लग जाए, उसको जब तक मिल न जाये तब तक उसकी भूख प्यास सब मर जाती है | अनिल अनुभवी इंसान थे सुबह का अशांत मन शाम तक शांत होने लगा | उनका दिमाग काम करने लगा | भावनाए और अन्दर का काम वेग थोडा सा थम गया | एक दो दिन इसी उधेड़बुन में निकल गए और इसी बीच अनिल के मस्तिस्क में पहले से ज्यादा स्थिरता आ गयी | दिन में तो खुद को संयमित कर लेटे लेकिन रात में रीमा के सपने आकर उन्हें बुरी तरह से परेशान करने लगे | एक दिन अपनी पत्नी के साथ गहरी नीद में सो रहे थे और उन्हें रीमा का सपना आ रहा था जिसमें रीमा बार-बार जालीदार कपड़े बदल बदल कर के पहनकर के वॉक करते हुए उनकी तरफ आ रही थी और वो उसको देखते ही जोर-जोर से तालियां बजा रहे थे और अपनी पेंट से अपना मोटा काला लंड निकाल कर के उसे जोर जोर से मुठिया रहे थे | रीमा ने एक पूरी तरह से जालीदार बॉडीसूट टीडी पहन रखा था जिसके अंदर से उसका पूरा नंगा शरीर झांक रहा था | दोनों कंधे के ऊपर पतली पतली काली
स्ट्रिप उस जालीदार पारदर्शी बॉडीसूट टेडी को उसके नंगे बदन पर लटकाए थी | और उसके नीचे उसके बड़े बड़े स्तनों को सहेजे पारदर्शी ब्रा से उसकी चुचियाँ झांक रही थी , वो नीचे जाकर जालीदार net से जुडी हुई थी | उस काली पारदर्शी बॉडीसूट टेडी से उसके बड़े बड़े बड़े उरोज जो उसके अन्दर संभाल कर छुपे हुए थे साफ़ साफ़ झलक रहे थे |
रीमा ने जालीदार बॉडीसूट टेडी छोटा सा स्कर्ट पहन रखा था जिसने बमुश्किल ही उसका बदन चुताड़ो तक ढक पा रहा था सब कुछ तो साफ बाहर झलक रहा था | रीमा के बड़े-बड़े दूधों को देख कर के किसी का भी लंड आराम से खड़ा हो सकता था | ब्रा ख़त्म होते ही काले धागे की जाली शुरू हो गयी थी, जो उसके कमर के निचले हिस्से कमर के निचले हिस्से तक गई हुई थी | जिसका पहनना न पहनना बराबर था | उसमें से रीमा का पूरा नंगा सफेद गोरा गुलाबी बदन साफ़ साफ़ झलक रहा था नीचे की तरफ को सपाट पेट दिख रहा था उसमें गोल गोल सुघड़ नाभि भी दिख रही थी और उसके नीचे जाने के बाद रीमा की निचली मखमली घाटी का इलाका शुरू हो जाता है | रीमा का चूत त्रिकोण बिलकुल चिकना सफाचट गोरा गुलाबी रंगत लिए हुए उसके हुस्न में चार चाँद लगा रहा था | जब रीमा चलती तो उसकी नाजुक गोरी जांघे आपस में रगड़ खाती, और उसके साथ उसकी चूत के कसे ओंठ आपस में रगड़ खा जाते | उस जालीदार सूट से रीमा की खूबसूरत मखमली चूत का हल्का सा चीरा हल्का सा दिख रहा था | हर कदम के साथ उसकी मटकती कमर और उठते गिरते कुल्हे, थलर थलर होते उसे पहाड़ी भारी भरकम मांसल चूतड़ | अनिल के लंड में तो जैसे किसी ने पंप से खून भरना शुरू कर दिया हो | इस तरह से फूलकर कांपने लगा जैसे कोई गुस्स्से से लाल काला नाग फुफकारता है | हर अनिल की तरफ बढ़ते कदम के साथ उसकी जांघें आपस में आपस में एक दूसरे को क्रॉस कर रही थी और उसके उसकी चूत के सख्त कसे हुए ओंठ आपस में रगड़ खा रहे थे | रीमा ने भारी मेकअप किया हुआ था और उसने बाल भी बनाए हुए थे उसकी काली काली कजरारी आंखें उसके लिपिस्टिक लगाए हुए लाल लाल होंठ उसके गुलाबी छटा बिखेरते हुए नरम नरम गाल और उसका गोरा दमकता हुआ बदन | रीमा किसी परी से कम नहीं लग रही थी | यह सब सपने में देखते देखते अनिल का लंड फटने की कगार पर पंहुच गया था | उनके लंड की अकडन अब बर्दाश्त से बाहर हो रही थी | उन्होंने आगे बढ़कर रीमा पकड़ने की कोशिश की लेकिन रीमा खिल्किलाती हुई पीछे हट गयी और अपने काले लंड को मुठियाते अनिल मन मसोस कर रह गए | सपने में बुरी तरह से खोये अनिल ने अपनी बीवी रोहिणी को कस कर पकड़ लिया था रोहिणी भी गहरी नींद में थी लेकिन जैसे ही अनिल ने उसे खीचा वो अनिल की बांहों में समाती चली गयी | उसका एक हाथ अपने आप ही अनिल के लंड पर चला गया | वो सोते सोते अनिल के लंड को मुठीयाने लगी | रोहिणी अनिल का लंड सहला रही थी और अनिल रीमा के गुलाबी खूबसूरत हसीन जिस्म का सपना देख रहे थे | अनिल तो रीमा की गुलाबी चूत के चीरे पर ही अटक कर रह गए | सपने में भी बार-बार उनकी नजर बस रीमा के चूत त्रिकोण की निचली दरार जो उन्होंने पारदर्शी जाली के अंदर देखी थी उस पर जाकर अटक जाती | रीमा की मखमली चूत का वो चीरा जब इतना खूबसूरत है तो रीमा की गुलाबी कमसिन चूत कितनी खूबसूरत होगी | क्या खूबसूरत चूत त्रिकोण है क्या चिकना बदन है क्या चिकनी चूत है क्या कमाल का जिस्म है है उपरवाले ने कैसे बनाया होगा इतनी कमसिन हसीना को | मैंने तो अपनी जिंदगी में देखी नहीं ऐसी औरत | अब मुझसे रहा नहीं जाता है अब तो साला रीमा को चोदना ही होगा | उपरवाले अब रीमा को बस मेरे पास भेज दो, इतना कहना था कि रीमा एक और पारदर्शी लिबास में अदा से कैटवॉक करते हुए उनकी तरफ बढ़ती हुई चली आ रही थी उसको देखकर अनिल की सांसे और खून का दौरान अपने आप ही बढ़ने लगा था | जैसे-जैसे रीमा उनके करीब आती जा रही थी वो अपनी जालीदार कपड़ा उतारती जा रही थी | अनिल के पास तक आते आते रीमा ने वो जालीदार कपड़ा पूरी तरह से उतार दिया | रीमा अब पूरी तरह से नंगी थी अनिल आगे बढ़े और आगे बढ़ के जल्दी से रीमा के दोनों बड़े बड़े स्तनों को कस कर पकड़ लिया और पूरी ताकत से मसलने लगे | अनिल के मजबूत हाथों की जकड़न से रीमा के मुंह से दर्द भरी चीत्कार निकल गई | अनिल बिलकुल वहशी होकर रीमा के स्तनों को मसलने लगे | रीमा को तेज दर्द होने लगा था, वो अनिल को मना करने लगी लेकिन अनिल तो जैसे जानवरों की तरह उसके उरोज को मसल रहे थे रीमा ने अनिल के हाथ से अपनी नरम नाजुक छातियाँ छुड़ाने की कोशिश की लेकिन अनिल तो पूरी तरह से वैसी जानवर बन चुके थे उन्होंने रीमा के नरम नाजुक स्तन और कसकर भींच लिए | रीमा ने हर कोशिश कर ली इस दर्द से बचने की लेकिन असफल रहने पर रीमा ने एक झन्नाटेदार झापड़ अनिल के मुंह पर जड़ दिया | अनिल का सपना सच में टूट गया, उसके हाथ अपनी बीबी रोहिणी के उरोर्जो को बुरी तरह से अपनी गिरफ्त में लिए हुए है उन्होंने देखा कि वह अपनी बीवी रोहिणी के बड़े बड़े स्तनों को मसल रहे थे और रीमा नहीं रोहिणी ने ही उन्हें झापड़ मारा है | भारी नीद से भरी आँखों के साथ अनिल माथा पकड़ कर बैठ गए, यह तो सपना था बस | उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़, रीमा क्या करवा डाले मुझसे |
अनिल को काफी शर्मिंदगी महसूस हुई उस रात को | उसके बाद में उन्होंने इसी में भलाई समझी कि वह रोहिणी से अलग कमरे में सोये | वो नहीं चाहते थे की रीमा के नशे में वो रोहिणी को कोई नुकसान पंहुचा बैठे | अलग कमरे में सोने के के बाद भी उनके दिम्माग में आने वाले सपने उनका पीछा नहीं छोड़ रहे थे जैसे ही वो नींद के आगोश में गए उन्होंने देखा आसमान में बादलों के बीच में रीमा तैरती हुई उनके पास आ रही है उसने सफ़ेद रंग की एक बिकनी पहन रखी है अपनी तरफ आते देख अनिल ने निश्चिंत करना चाहा की कही ये भी तो सपना नहीं है लेकिन जिस अदा से रीमा उनकी तरफ बढ़ती हुई आ रही थी उनको लगा ये सपना नहीं है इस बार सच में रीमा ही है बड़ी अदा से कमर मटकाती हुई सफेद बिकनी पहने हुए अपनी जुल्फें लहराते हुए अपनी कजरारी आंखें मटकाती हुई उनकी तरफ आ रही थी उसको देखते ही अनिल के जिस्म में फिर से खून का दौरान बढ़ने लगा था उनके लंड में फिर से अकड़न आने लगी थी अब तक रीमा उनके काफी नजदीक आ चुकी थी जैसे ही वह उनके थोड़ा नजदीक आई उसने अपने कंधों से वह बिकनी नीचे खिसका दी और उसके बड़े बड़े दूध जैसे गोरे गोरे उरोज हवा में झूल गए , अनिल की आँखों के सामने नुमाया हो गए | रीमा अपनी जुल्फें इधर उधर लहरा रही थी कभी इस कंधे पर डालती कभी उस कंधे पर डाल दी इसी बीच में उसके बड़े बड़े उरोज ऊपर नीचे जोर-जोर से हिल रहे थे | रीमा का कमर के नीचे का हिस्सा अभी भी उसी सफ़ेद बिकनी से ढका हुआ था |
नंगे बदन रीमा कभी मुस्कुराती कभी बलखाती कभी अपने भारी भरकम चूतड़ हिलाती कभी अपनी छाती हिलाती और यह सब देखकर एक बार फिर से अनिल का लंड पूरी तरह से तन गया था | अनिल से अब बर्दाश्त से बाहर हो गया था |
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रीमा मटकती हुई बोली - तो मै क्या करू |
अनिल बेबस होते हुए - इसकी प्यास बुझावो , ये तुमारे लिए तड़प रहा है |
रीमा खिलखिलाते हुए - अरे तो मैंने थोड़े कहा था तड़पने के लिए |
अनिल - रीमा अब और न तडपाओ नहीं तो मै मर ही जाऊंगा | अब मेरे पास आ जावो, अब बस मै तुमको चोदना चाहता हूँ | बस चोदना चाहता हूँ |