10-07-2019, 02:47 AM
(This post was last modified: 10-07-2019, 04:25 PM by babasandy. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मैं खुद कामदेव आकर समा गए थे जुनैद के अंदर..... तकरीबन 15 मिनट तक उसने मेरी रूपाली दीदी को कामशास्त्र के सारे पाठ से परिचय करवाया...... उसने मेरी दीदी दीदी को लगभग हर आसन में चोदा..... कभी मेरी दीदी की दोनों टांगे उसके कंधों पर थी और उनकी चूचियां उसकी हाथों की मजबूत पकड़ में.... कभी मेरी दीदी की एक टांग उसके कंधे पर और दीदी की चूची उतनी ही बेरहमी से दबाई जा रही थी... उसने मेरी रूपाली दीदी को कभी घोड़ी बनाया तो कभी कुत्तिया... उसने मेरी दीदी को करवट लिटा के उनकी एक टांग हवा में उठा के पीछे से चोदा... फिर उनको दोहरी करके भी चोदा.. सच तो यह है कि उसके "लण्ड" ने मेरी रूपाली दीदी के आगे वाले छेद का कचुंबर निकाल दिया था.... पर मेरे लिए सबसे आश्चर्य की बात यह थी कि मेरी दीदी भी उसका पूरा सहयोग दे रही थी... एक काम पीड़ित स्त्री की तरह मेरी दीदी सिसकियां ले रही थी... बल्कि सच कहूं तो उन्हें बेहद आनंद आ रहा था... मेरी दीदी भूल चुकी थी कि वह किस अवस्था में.... अपने यौन सुख के उन्माद में मेरी दीदी को यह भी याद नहीं रहा कि उनका भाई उनके सामने बैठा हुआ सब कुछ देख रहा है.... ना जाने कितनी बार मेरी दीदी झड़ चुकी थी.... झड़ते समय उनके मुंह से ऐसी आवाज निकलती थी कि मैं समझ जा रहा था कि मेरी दीदी झड़ रही है.... सच तो यह है कि मैं भी झड़ने की कगार पर था... अपनी सगी सुहागन दीदी की "चुदाई एक गैर मर्द से देखते हुए.... आखिरी समय में मेरी रूपाली दीदी जुनैद के बदन से बिल्कुल चिपकी हुई थी.. उनकी दोनों टांगे जुनैद के कमर से लिपटी हुई थी.. जुनैद का लंबा मोटा लण्ड मेरी दीदी की कोख में अंदर बाहर बड़ी तेजी से हो रहा था... और उसका चेहरा मेरी दीदी की चूचियों के बीच में धंसा हुआ था... मेरी दीदी की कामुक चीखे और सिसकियां... ऊपर से जुनैद की हुंकार भरी आवाज सुनके मुझे समझने में देर नहीं लगी अब समय आ गया है.... जुनैद ने अपने लण्ड का माल मेरी दीदी की कोख में फिर भर दिया.... मेरी दीदी की बच्चेदानी जुनैद के लोड़े की मलाई से भर गई... कुछ देर तक दोनों कांपते रहे... दोनों पसीने से भीग चुके थे... मेरी रूपाली दीदी के चेहरे पर संतुष्टि थी.... ऐसा लग रहा था जैसे अभी अभी उनके पति ने यानी मेरे जीजू ने मेरी दीदी को भरपूर यौन सुख दिया हो...... दीदी के चेहरे पर कोई भी ग्लानि के बाद दिखाई नहीं दे रहे थे... उनकी आंखें आधी खुली आधी बंद थी.... कामुकता की कठिन अग्नि में जलने के बाद मेरी दीदी का चेहरा शांत लग रहा था.... जुनैद के लण्ड ने मेरी दीदी को भरपूर सुख दिया था... और मेरी घरेलू संस्कारी रूपाली दीदी बिना किसी संकोच के आनंद उठा रही थी.... जुनैद अभी भी अपने आधे खड़े लण्ड से मेरी दीदी को चोदे जा रहा था..... माल गिराने के बाद भी उसका मुसल शांत नहीं हो रहा था... शायद यह मेरी रूपाली दीदी कि हुस्न का ही कमाल रहा होगा... झड़ने के बावजूद भी हार नहीं मान रहा था जुनैद.... बीच-बीच में मेरी दीदी भी चूतड़ उठा उठा के उसको सहयोग दे रही थी.... और ज्यादा से ज्यादा योन सुख लेने का प्रयास कर रही थी... कुछ ही देर में जुनैद मेरी रूपाली दीदी के ऊपर लाश की तरह लेट गया.... उसका लोड़ा मेरी दीदी की योनि के भीतर घुसा हुआ था पर उसके लोड़े में जान बची नहीं थी.... मेरी दीदी की योनि ने उसका सारा रस निचोड़ लिया था..
अचानक जंगल में ऑटो की आवाज सुनाई दी.... और मेरी फट गई..
ऑटो वाला सुरेश वापस आ चुका था.... और वह बेहद नजदीक था..
जुनेद मेरी रूपाली दीदी के नंगे बदन के ऊपर से उतरने को बिल्कुल तैयार नहीं था.. बल्कि वह तो बिल्कुल होश में नहीं था.... फिर भी इतने कम होश में भी जुनैद मेरी रूपाली दीदी की चूचियों को पिए जा रहा था... बारी-बारी से दोनों निप्पल्स अपने मुंह में लेकर.... मेरी दीदी एक दुधारू गाय की तरह दूध दे रही थी और जुनैद पिए जा रहा था... उसका मोटा लंबा मुसल लण्ड झड़ने के बाद आधा हो गया था और खुद ब खुद मेरी दीदी की योनि से बाहर निकल गया... पर वह अभी भी मेरी दीदी के ऊपर सवार था.... जंगल के सन्नाटे में ऑटो की आवाज साफ सुनाई दे रही थी और वह बिल्कुल पास आ चुकी थी. ऑटो झोपड़ी के बिल्कुल पास आकर बंद हो गई... यानी सुरेश पहुंच चुका था... और मेरी गांड भी फट गई... मुझे लगने लगा कि सुरेश अब मेरी रूपाली दीदी को इस हालत में देखेगा... वह भी इतना नीच... एक सड़क का ऑटो वाला... मेरा खड़ा हुआ लोड़ा भी बैठ गया... दोस्तों अगर मैं आप लोगों से सच बोलूं जो कि बेहद शर्मिंदगी की बात है.... मेरा लण्ड भी खड़ा हो गया था मेरी रूपाली दीदी की ठुकाई देखकर ... बिना हाथ लगाए ही मैं झड़ने की कगार पर पहुंच चुका था... पर ऑटोवाले सुरेश को झोपड़ी के अंदर आने का अंदेशा पाकर मेरा लण्ड मुरझा गया.... एक बार फिर मैं बहुत ग्लानि में समा गया..
जुनैद भाई मैं हाथ जोड़ता हूं प्लीज अब मेरी दीदी को छोड़ दो... ऑटो वाला सुरेश भैया आ चुका है... प्लीज हमारी इज्जत कम से कम हो उसके सामने तो रख लो.... अपना पूरा साहस जोड़कर मैंने जुनैद से विनती की और असलम की तरफ भी देखा जो अपने लण्ड को हिला रहा था मेरी दीदी को घूरते हुए... उसका एक बार फिर से पूरा खड़ा हो गया था.... क्या फिर से मेरी दीदी को चोदने वाला था वह? मैं लगभग रो रहा था असलम की तरफ देखते हुए...
अचानक जंगल में ऑटो की आवाज सुनाई दी.... और मेरी फट गई..
ऑटो वाला सुरेश वापस आ चुका था.... और वह बेहद नजदीक था..
जुनेद मेरी रूपाली दीदी के नंगे बदन के ऊपर से उतरने को बिल्कुल तैयार नहीं था.. बल्कि वह तो बिल्कुल होश में नहीं था.... फिर भी इतने कम होश में भी जुनैद मेरी रूपाली दीदी की चूचियों को पिए जा रहा था... बारी-बारी से दोनों निप्पल्स अपने मुंह में लेकर.... मेरी दीदी एक दुधारू गाय की तरह दूध दे रही थी और जुनैद पिए जा रहा था... उसका मोटा लंबा मुसल लण्ड झड़ने के बाद आधा हो गया था और खुद ब खुद मेरी दीदी की योनि से बाहर निकल गया... पर वह अभी भी मेरी दीदी के ऊपर सवार था.... जंगल के सन्नाटे में ऑटो की आवाज साफ सुनाई दे रही थी और वह बिल्कुल पास आ चुकी थी. ऑटो झोपड़ी के बिल्कुल पास आकर बंद हो गई... यानी सुरेश पहुंच चुका था... और मेरी गांड भी फट गई... मुझे लगने लगा कि सुरेश अब मेरी रूपाली दीदी को इस हालत में देखेगा... वह भी इतना नीच... एक सड़क का ऑटो वाला... मेरा खड़ा हुआ लोड़ा भी बैठ गया... दोस्तों अगर मैं आप लोगों से सच बोलूं जो कि बेहद शर्मिंदगी की बात है.... मेरा लण्ड भी खड़ा हो गया था मेरी रूपाली दीदी की ठुकाई देखकर ... बिना हाथ लगाए ही मैं झड़ने की कगार पर पहुंच चुका था... पर ऑटोवाले सुरेश को झोपड़ी के अंदर आने का अंदेशा पाकर मेरा लण्ड मुरझा गया.... एक बार फिर मैं बहुत ग्लानि में समा गया..
जुनैद भाई मैं हाथ जोड़ता हूं प्लीज अब मेरी दीदी को छोड़ दो... ऑटो वाला सुरेश भैया आ चुका है... प्लीज हमारी इज्जत कम से कम हो उसके सामने तो रख लो.... अपना पूरा साहस जोड़कर मैंने जुनैद से विनती की और असलम की तरफ भी देखा जो अपने लण्ड को हिला रहा था मेरी दीदी को घूरते हुए... उसका एक बार फिर से पूरा खड़ा हो गया था.... क्या फिर से मेरी दीदी को चोदने वाला था वह? मैं लगभग रो रहा था असलम की तरफ देखते हुए...