09-07-2019, 07:38 PM
Update 17
"इसका मतलब है आपको गांड मरवाने की कामना थी ?"
जानकी दीदी सुरेश चाचा की बाहों में मचल गयी, "मैं तो सिर्फ आप का दिल रखने के लिए रवि भैया से अपनी गांड मरवा रहीं हूँ। क्या कोई भी समझदार लड़की आपके और रवि भैया के घोड़े जैसे लंड से इकट्ठे अपनी गांड और चूत फटवाना चाहेगी?"
बड़े मामा ने हंस कर अपने लंड को जानकी दीदी की गांड में और भी अंदर तक धकेल दिया। जानकी दीदी चिहुक उठी। सुरेश चाचा ने जानकी दीदी को अपने बहुशाली हाथों से जकड़ कर स्थिर कर रखा था। बड़े मामा ने जानकी दीदी की मुलायम गोल भरी कमर को कस कर तीन चार भयंकर धक्कों से अपना विशाल खम्बे जैसा लंड जड़ तक बिलखती जानकी दीदी की गांड में ठूंस दिया। बड़े मामा और सुरेश चाचा पहले धीरे धीरे बिलखती सिसकती जानकी दीदी की दोहरी चुदाई करनी प्रारंभ की। थोड़ी देर में ही जानकी दीदी की सिसकियाँ ने दूसरा रूप अंगीकृत कर लिया। उनकी सिस्कारियों में अब दर्द कम और कामवासना का अधिकाय हो उठा था। बड़े मामा और सुरेश चाचा ने जानकी दीदी की गांड और चूत इकट्ठे मारने की लय बना कर चुदाई की रफ़्तार बड़ा दी।
बड़े मामा के लंड की रगड़ जानकी दीदी की गांड को अब बहुत भा रही थे। उनकी गांड और चूत की भीषण चुदाई उन्हें शीघ्र एक बार फिर से चर्म-आनंद के द्वार पर ले आयी। जानकी दीदी जोर से सीत्कार कर चिल्लायी, "भैया मैं झड़ने वाली हूँ।" सुरेश चाचा ने उनकी चूत को को और भी निर्मम रफ़्तार से मारना शुरू कर दिया। बड़े मामा ने जानकी दीदी के दोनों उरोज़ों को बेदर्दी से मसल मसल कर अपने अमानवीय विकराल लंड से उनकी रेशमी मुलायम गांड का मर्दन और भी हिंसक धक्कों से करना शुरू कर दिया। जानकी दीदी दो भाइयों के वृहत लंडों के निर्मम धक्कों से सर से पैर तक हिल रहीं थीं। बड़े मामा और सुरेश चाचा को जानकी दीदी की चुदाई करने का पहले से बहुत अभ्यास था और दोनों जानकी दीदी के अस्थिपंजर हिला देने वाले धक्कों से चोदने लगे। जानकी दीदी दोनों भाइयों की बेदर्द चुदाई से पूरे तरह परिचित थीं। उनके रति-विसर्जन एक के बाद एक उनके शरीर में पटाकों की तरह विस्फोटित होने लगे।
जानकी दीदी हर नए चर्म -आनंद के अतिरेक से कपकपा उठीं। उन्होंने वासना से अभिभूत हो अनर्गल बोलना शुरू कर दिया, "अपनी की चूत फाड़ दो भैया। आः आह ...ऊँ .... ऊँ ...ऊँ ...आं ....आं ....उम्म्म ..... मर गयी माँ मैं तो। और ज़ोर से चोदिये मुझे भैया। रवि भैया आप मेरी मेरी गांड अपने मोटे लंड से फाड़ दीजिये। मेरी गांड में कितना दर्द कर रहे हैं आप। ऊई माँ .... चोदिये मुझे .... मुझे फिर से झाड़ दीजिये। जानकी दीदी अब लगातार कुछ ही मिनटों में बार बार झड़ रहीं थीं। सुरेश चाचा ने जानकी दीदी की चूत को और भी ज़ोरों से मारने लगे। गंगा बाबा अपनी प्यारी बेटी की निर्मम चुदाई कर उत्तेजित हो उठे। उनका बड़े मामा जैसा विकराल मोटा लंड मेरी चूत में लोहे के खम्बे से भी सख्त हो मेरी चूत को और भी चौड़ा कर दिया। नम्रता चाची अब अपनी चुदाई की थकान से जग गयीं थीं। गंगा बाबा ने उन्हें उनके हाथ से मेरे नीचे खींच लिया। नम्रता चाची ने शीघ्र ही गंगा बाबा की इच्छा समझ ली। उनका मूंह लालची से मेरी चूत से चुपक गया। गंगा बाबा ने अपना धड़कता हुआ लंड मेरी वीर्य और रति से भरी चूत से बाहर निकाल लिया। नम्रता चाची ने लपक कर सारा स्वादिष्ट मिश्रण नदीदेपन से सटक लिया। मैंने गंगा बाबा के लंड के मोटे सुपाड़े को अपनी छोटी सी गांड के ऊपर महसूस किया। जानकी दीदी अपने रतिनिश्पति की प्रबलता से अभिभूत हो कर अत्यंत शिथिल हो गयी। सुरेश चाचा के अगले भयंकर धक्के से उनकी चूत में अपना लंड जड़ तक फांस कर अपना गर्म जननक्षम वीर्य की बौछार उनके गर्भाशय के ऊपर खोल दी। । बड़े मामा ने बिना लय तोड़े अपने लंड से जानकी दीदी की गांड अविरत मारते रहे। अचानक सुरेश चाचा गले से गुर्राहट के अव्वाज़ उबली और उनके हाथों ने जानकी दीदी चूचुक और भग-शिश्न बेदर्दी से मसल दिया। उनके लंड की हर धड़कन और उसके पेशाब के छिद्र से उबलता गरम जननक्षम मरदाना शहद तेज़ फव्वारों के सामान उनकी चूत की कोमल दीवारों को नहलाने लगा। जानकी दीदी की आँखे वासना की संतुष्टी की थकान से बंद कर सुरेश चाचा के लंड के वीर्य की पिचकारियों का मीठा आनंद लेने लगी | सुरेश चाचा भी भारी भारी साँसें ले रहे थे। उनके सशक्त बाहों ने जानकी दीदी को अपने शरीर से कस कर जकड़ लिया। मेरे जैसे ही जानकी दीदी सम्भोग
के बाद बड़े मामा और सुरेश चाचा से लिपटना बहुत अच्छा लगता प्रतीत हो रहा था।बड़े मामा भी अचानक जानकी दीदी की गांड में झड़ उठे। सुरेश चाचा और जानकी दीदी बड़ी देर तक अपने चरमोत्कर्ष का आनंद में डूबे रहे। बड़े मामा ने जानकी दीदी पकड़ कर करवट पर लेट गए। जानकी
दीदी की चूत सुरेश चाचा के लंड से 'सपक' की आवाज़ कर मुक्त हो गयी।वो अभी भी बड़े मामा लंड के खूंटे के ऊपर अपनी गांड से अटकी हुई थी। आखिर में बड़े मामा ने उनके चूचुकों को मज़ाक में चुटकी से भींच कर पूछा, "जानकी, क्या गांड मरवाने की शुरूआत का दर्द बाद के मज़े से बुरा था?" जानकी दीदी शर्म से लाल हो गयी, "भैया, आपको मेरा जवाब पता है। आप मुझे बस चिड़ा रहे हैं" "जानकी , तुम्हारे मूंह से सुन कर हमें और भी प्रसन्नता होगी," बड़े मामा ने उनका मूंह अपनी तरफ मोड़ कर जानकी दीदी लाल होंठों को चूम लिया। "भैया , गांड मरवाने में मुझे बाद में बहुत ही आनंद आया। आपका लंड जब बहुत तेज़ी से मेरी गांड के अंदर बाहर जा रहा था तो वो बहुत ही विशाल और शक्तिशाली लग रहा था। मेरी तो सांस भी मुश्किल से आ रही थी," जानकी दीदी ने बड़े मामा के हांथों को प्यार से चूमा।
"भैया , क्या आप अभी भी नहीं थके? आपका लंड अभी भी पूरा शिथिल नहीं हुआ," जानकी दीदी अपनी करुण गांड की छल्ली को उनके लंड के ऊपर कसने की कोशिश की। "जानकी, यदि आप ऐसे ही करतीं रहीं तो मेरा लंड शीघ्र ही फिर से तैयार हो जाएगा," बड़े मामा ने जानकी दीदी के कान की लोलकी [इअर लोब] को मूंह में ले कर चूसने लगे। लगता था की जानकी दीदी के कान मेरी तरह अत्यंत कामोत्तेजक हैं। बड़े मामा के चूसने से उनकी सिसकारी निकल गयी, "रवि भैया, अपना लंड मेरी गांड के अंदर ही रखिये। कम से कम अंदर डालने का दरद तो नहीं होगा।" इधर जैसे ही नम्रता चाची के मूंह ने मेरी बेहत चुदी चूत के ऊपर कब्ज़ा कर लिया गंगा बाबा ने मेरे फूले हुए नितिम्बों को चौड़ा कट मेरी अत्यंत कसी हुई मलाशय के छोटे से द्वार के ऊपर अपना अविश्विस्नीय मोटा सुपाड़ा रख कर उसे मेरी गांड के छेद पर कस कर दबाने लगे।
मैं कसमसा उठी। गंगा बाबा ने बेदर्दी से अपने लंड की शक्ती से मेरी कोमल गांड के नन्हे से द्वार के प्रतिरोध को अभिभूत कर लिया। जैसे ही नम्रता चाची ने मेरी गांड के समर्पण का अहसास किया उन्होंने मेरी भग-शिश्न को अपने होंठों में कस कर जकड़ लिया। उसी समय गंगा बाबा का अमानवीय लंड ने मेरी गांड को चौड़ा कर उसके प्रतिरोध को विव्हल कर अपने विकराल लंड की विजय की पताका की घोषणा करते हुए मेरी कमसिन गांड में बिना विरोध के रेलगाड़ी के इंजन की तरह अंदर दाखिल हो गए। मेरी दर्द भरी चीख से शयनकक्ष गूँज उठा। बड़े मामा का लंड थोड़ी चुहल बाजी से थोड़े ही क्षणों में तनतना के लोहे के खम्बे की तरह जानकी दीदी की गांड में फड़कने लगा। बड़े मामा ने उन्हें अपनी और खींच कर अपना लंड फिर से उनकी गांड में फिसलाने लगे। इस बार उन्होंने जानकी दीदी की गांड धीमे, प्यार भरे रीति से मारी। बड़े मामा का लंड उनकी गांड में अब आसानी से अपना लंबा सफ़र तय करने लगा।
मेरी गांड में उपजे अविश्नायी दर्द से मैं तड़प उठी। पर गंगा बाबा ने एक बार अपने पूरे लंड को मेरी गांड में जड़ तक नहीं गाड़ दिया तक उन्होंने बेदर्दी से एक के बाद और भी ज़ोर से दूसरा धक्का लगाया। थोड़ी देर में ही उनका लंड मेरी गांड की गहराइयां नापने लगा। मैं कुछ ही देर में सिसकने लगी। गंगा बाबा अपने हांथों से मेरी चूचियों और नम्रता चाची ने मेरे भग-शिश्न को छेड़ मेरी गांड के चुदाई के आनंद को और भी आल्हादित कर दिया। उधर बड़े मामा ने जानकी दीदी की गांड तेज़ी से मारनी शुरू कर दी। उनकी सिस्कारियां मेरी सिस्कारियों से प्रतिस्पर्धा कर रहीं थीं। आधे घंटे में हम दोनों तीन बार झड़ गयीं । बड़े मामा ने भी अपना बच्चे पैदा करने में सक्षम वीर्य से जानकी दीदी की गांड में बारिश कर दी।
उसी समय गंगा बाबा ने मेरी गांड में अपने प्रचुर बच्चे पैदा करने में अत्यंत सक्षम वीर्य की फुव्व्हार मेरी गांड में खोल दी। हम दोनो आँखे बंद कर एक बार फिर कामानंद की संतुष्टि से भर गए। काम वासना भी अत्यंत चंचल आनंद है। कभी तो लगता है कि हम सब संतुष्टि से सराबोर हो गए पर थोड़ी से देर में अधीर कामोत्तेजना अपना सर फिर से उठा कर हम सब के शरीर में बिजली सी दौड़ा देती थी। एक घंटे के भीतर ही गंगा का लंड मेरी गांड के अंदर फिर से फड़कने लगा। इस बार बड़े मामा ने जानकी दीदी को पेट के बल पलट कर उनके ऊपर अपना सारा भार डाल कर उनकी गांड मारने लेगे। ठीक उसी तरह गंगा बाबा ने मुझे नम्रता चाची के ऊपर से खींच कर पलंग पर चित पटक कर मेरे नितिम्बों को फैला कर फिर से अपना लंड मेरी दर्द भरी गांड में तीन जान-लेवा धक्कों से जड़ तक डाल कर मेरी सांस बंद कर देने वाली तेज़ी से गांड मारने लगे। मुझे अपने शरीर के ऊपर उनके भारीभरकम शरीर के वज़न बहुत ही अच्छा लग रहा था। गंगा ने शुरू में लम्बे और धीरे धक्कों से मेरी गांड का मर्दन किया। जब मैं दो बार झड़ गयी तो उन्होंने अपने धक्कों की रफ़्तार बड़ा दी। जब मैं तीसरी बार झड़ रही थी तो उनके लंड ने भी अपनी गरम गाड़ा फलदायक उर्वर मर्दानी मलाई से मेरी गांड को निहाल कर दिया। मैंने गंगा बाबा से न हिलने का निवेदन किया। सम्भोग के बाद उनके लंड को अपने शरीर में रख कर उनके भरी बदन के भार के नीचे लेटने में भी मुझे एक विचित्र सा सुख मिल रहा था। हम दोनो की आँख न जाने कब लग गयी।
हम सब वासना की अग्नि के ही रति सम्भोग की मीठी थकान के आलिंगन में समा कर गए। मैं सुबह देर से उठी। मेरे सारे शरीर में फैला मीठा-मीठा दर्द मुझे रात की प्रचंड चुदाई की याद दिलाने लगा। मेरे होंठों पर स्वतः हल्की सी मुस्कान चमक उठी। ख़िड़की से देर सुबह की मंद हवा ने चमेली, रजनीगंधा और अनेक बनैले फूलों की महक से मेरा शयनकक्ष महका दिया। मैंने गहरी सांस भर कर ज़ोर से अंगड़ाई भरी। कमरे में पुष्पों की सुगंध के साथ रति रस और सम्भोग की महक भी मिल गयी। मेरा अविकसित कमसिन शरीर में उठी मदमस्त ऐंठन ने मेरे अपरिपक्व मस्तिष्क में एक बार फिर से सिवाए संसर्ग और काम-क्रिया के अलावा कोई और विचार के लिए कोइ अंश नहीं बचा था। नासमझ नेहा की जगह अब मैं स्त्रीपन की ओर लपक रही थी। मैं अपने ख्यालों में इतनी डूबी हुई थी कि कब मीनू कमरे में प्रविष्ट हो गयी। उसने मेरे बिस्तर में कूद कर मुझे सपनों से वापिस यथार्थ में खींच लिया। मीनू खिलखिला कर हंस रही थी, "क्या नेहा दीदी? अभी तक रात की चुदायी याद आ रही है? कोइ फ़िक्र की बात नहीं अब तो पापा, चाचा और गंगा बाबा गंगा बाबा के अलावा नानू, संजू और राजन भैया भी हैं। आपके लिए अब लंड की कोई कमी नहीं है। " मैंने भी हँसते हुए मीनू को अपनी बाँहों में जकड़ लिया, "मीनू की बच्ची तू कैसी गंदी बातें करने लगी है ? तू तो ऐसे कह रही है जैसे न जाने कितने सालों से चुद रही है ?" मीनू ने मेरे होंठों को चूम लिया, "नेहा दीदी, आपकी छोटी बहन का कौमार्य तो तीन साल पहले ही भंग हो गया था। आप आखिरी कुंवारी थीं सारे परिवार में।" मीनू नम्रता चाची की बड़ी बेटी है. मीनू मुझसे छोटी है. उसका छरहरा शरीर देख कर कोई सोच भी नहीं सकता था कि मीनू इतनी चुदक्कर है। उसके लड़कपन जैसे शरीर पे अभी स्तन भी अच्छी तरह नहीं विकसित हुए थे। लेकिन नम्रता चाची और ऋतु दीदी की तरह मीनू का शरीर अपनी मम्मी और मौसी के जैसे ही भरा गदराया हुआ हो जायेगा। उन दोनों का भी विकास देर किशोर अवस्था में हुआ था। "अच्छा मीनू की बच्ची यह बता कि अपने डैडी का लंड अभी तक नहीं मिस किया," मैंने मीनू को कस कर भींच ज़ोर से उसकी नाक की नोक को काट कर उसे छेड़ा। "नेहा दीदी डैडी के लंड का ख़याल तो रहीं थीं। मुझे और ऋतु दीदी को तीन लंडों की सेवा करनी पड़ी थी। अब तो संजू का लंड भी चला है। " मीनू मेरे दोनों उरोज़ों को मसल कर मेरे होठों को चूसने लगी। संजू मीनू से डेढ़ साल छोटा है। मुझे संजू शुरू से ही बहुत प्यारा लगता है। उसके अविकसित शरीर से जुड़े वृहत लंड के विचार से ही मैं रोमांचित हो गयी। मीनू ने मेरे सूजे खड़े चूचुकों को मसल कर कुछ बेसब्री से बोली, "अरे मैं तो सबसे ज़रूरी बात तो भूल गयी। दीदी संजू को जबसे आपके कौमार्यभंग के बारे में पता चला है तबसे मेरा प्यारा छोटा नन्हा भाई अपनी नेहा दीदी को चोदने के विचार से मानों पागल हो गया है। बेचारा सारे रास्ते आपको चोदने की आकांशा से मचल रहा था। उसने मुझे आपसे पूछने के लिए बहुत गुहार की है। " मेरी योनि जो पहले से ही मीनू से छेड़छाड़ कर के गीली हो गयी थी अब नन्हे संजू की मुझे चोदने की भावुक और तीव्र तृष्णा से मानों सैलाब से भर उठी। मीनू ने मेरे गालों को कस कर चूम कर फिर से कहा, "दीदी चुप क्यों हो। हाँ कर दो ना," मीनू ने धीरे से फुसफुसाई, "बेचारा संजू बाहर ही खड़ा है। " मैं अब तक कामोन्माद से मचल उठी थी। मैंने धीरे से मीनू को संजू को अंदर बुलाने को कहा. "संजूऊऊ," मीनू चहक कर ज़ोर से चिल्लायी," नेहा दीदी मान गयीं हैं। " संजू कमरे के अंदर प्रविष्ट हो गया। उसकी कोमल आयु के बावज़ूद उसका कद काफी लम्बा हो गया था। उसका देवदूत जैसा सुंदर चेहरा कुछ लज्जा और कुछ वासना से दमक रहा था। संजू शर्मा कर मुस्कराया और हलके से बोला, "हेलो नेहा दीदी। "
मीनू बेताबी से बोली, "संजू अब काठ के घोड़े की तरह निचल खड़े ना रहो। जल्दी से अपने उतारो और अपनी नेहा दीदी की चूत ले लो। कितने दिनों से इस दिन का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हो।" मीनू बेताबी से बोली, "संजू अब काठ के घोड़े की तरह निष्चल खड़े ना रहो। जल्दी से अपने उतारो और अपनी नेहा दीदी की चूत ले लो। कितने दिनों से इस दिन का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हो।" संजू ने शर्माते हुए पर लपक कर अपने कपड़े उतार कर फर्श पर दिए। उसका गोरा लम्बा शरीर उस समय बिलकुल बालहीन था। मेरी आँखे अपने आप ही संजू के खम्बे जैसे सख्त मोटे गोरे लंड पर टिक गयीं। उसके अंडकोष के ऊपर अभी झांटों का आगमन नहीं हुआ था। मेरा मुँह संजू के जैसे गोरे औए मक्खन जैसे चिकने लंड को देख कर लार से भर गया। "संजू, जल्दी से बिस्तर पर आ जाओ न अब, " मुझसे भी अब सब्र नहीं हो रहा था। संजू को हाथ से पकड़ कर मैंने उसे बिस्तर पर बैठ दिया। मैंने उसके दमकते सुंदर चेहरे को कोमल चुम्बनों से भर दिया। संजू अब अपने पहले झिझकपन से मुक्त हो चला। संजू ने मुझे अपनी बाँहों में कस कर पकड़ कर अपने खुले मुँह को मेरे भरी साँसों से भभकते मुँह के ऊपर कस कर चिपका दिया। संजू के मीठे थूक से लिसी जीभ मेरे लार से भरे मुँह में प्रविष्ट हो गयी। मीनू मेरी फड़कती चूचियों को मसलने लगी। मेरा एक हाथ संजू के मोटे लंड को सहलाने को उत्सुक था। मेरी तड़पती उंगलियां उसके धड़कते लंड की कोतलकश को नापने लंगी। मेरा नाज़ुक हाथ संजू के मोटे लंड के इर्दगिर्द पूरा नहीं जा पा रहा था। पर फिर भी मैं उसके लम्बे चिकने स्तम्भ को हौले-हौले सहलाने लगी। संजू ने मेरे मुँह में एक हल्की से सिसकारी भर दी। मैं संजू के लंड को चूसने के लिए बेताब थी। मैंने हलके से अपने को संजू के चुम्बन और आलिंगन से मुक्त कर उसके लंड के तरफ अपना लार से भरा मुँह ले कर उसे प्यार से चूम लिया। संजू का लंड इस कमसिन उम्र में इतना बड़ा था। इस परिवार के मर्दों की विकराल लंड के अनुवांशिक श्रेष्ठता के आधिक्य से वो सबको पीछे छोड़ देगा। मैंने संजू के गोरे लंड के लाल टोपे को अपने मुँह में भर लिया। मीनू मेरे उरोज़ों को छोड़ कर मेरे उठे हुए नीतिमबोन को चूमने और चूसने लगी। मीनू मेरे भरे भरे चूतड़ों को मसलने के साथ साथ मेरे गांड की दरार को अपने गरम गीली जीभ से चाटने भी लगी। मेरी लपकती उन्माद से भरी सिसकी ने दोनों भाई बहिन को और भी उत्तेजित कर दिया। संजू ने मेरे सर तो पकड़ कर अपने लंड के ऊपर दबा कर मापने मोटे लंड को मेरे हलक में ढूंस दिया। मेरे घुटी-घुटी कराहट को उनसुना कर संजू ने अपने लंड से मेरे मुँह को चोदने लगा। मीनू ने मेरी गुदा-छिद्र को अपनी जीभ की नोक से चाट कर ढीला कर दिया था और उसकी जीभ मेरी गांड के गरम अंधेरी गुफा में दाखिल हो गयी।
मीनू ने ज़ोर से सांस भर कर मेरी गांड की सुगंध से अपने नथुने भर लिए। "दीदी, अब मुझे आपको चोदना है," संजू धीरे से बोला। मैंने अनिच्छा से उसके मीठे चिकने पर लोहे के खम्बे जैसे सख्त लंड तो अपने लालची मुँह से मुक्त कर बिस्तर पे अपनी जांघें फैला कर लेट गयी। संजू घुटनो के बल खिसक कर मेरी टांगों के बीच में मानों पूजा करने की के लिए घुटनों पर बैठा था। मीनू घोड़ी बन कर मेरे होंठों को चूस थी। पर उसकी आँखे आँखें अपने भाई के मोटे लम्बे चिकने लंड पर टिकी थीं।
संजू का मोटा फड़कता सुपाड़ा मेरी गुलाबी चूत के द्वार पे खटखटा रहा था। मेरी चूत पे पिछले दो सालों में कुछ रेशम मुलायम घुंघराले उग गए थे। संजू ने सिसकी मार कर अपने मोटे लम्बे हल्लवी लंड के सुपाड़े को मेरी गीली योनि की तंग दरार पर रगड़ा। मेरी भगशिश्न सूज कर मोटी और लम्बी हो गयी थी। संजू के लंड ने उसे रगड़ कर और भी संवेदनशील कर दिया। मेरी हल्की सी सिसकारी और भी ऊंची हो चली। "संजू मेरी चूत में अपना लंड अंदर तक दाल दो, मेरे प्यारे छोटे भैया। अपनी बड़ी बहिन की चूत को अब और तरसाओ," मैं अपनी कामाग्नि से जल उठी थी। संजू ने मेरे दोनों थरकते चूचियों को अपने बड़े हाथों में भर कर अपने मोटे सुपाड़े को हौले हौले मेरी नाजुक चूत में धकेल दिया। मेरी तंग योनि की सुरंग संजू के मोटे लंड के स्वागत करने के लिए फैलने लगी। संजू ने एक एक इंच करके अपना लम्बा मोटा लंड मेरी चूत में जड़ तक ठूंस दिया। मैं संजू के कमसिन लंड को अपनी चूत में समा पा कर सिहर उठी। मेरा प्यारा छोटा सा भैया अब इतने बड़े लंड का स्वामी हो गया था। "संजू, तेरा लंड कितना बड़ा है। अब अपनी बहिन को इस लम्बे मोटे खम्बे जैसे लंड से चोद डाल," मैं वासना के अतिरेक से व्याकुल हो कर बिलबिला उठी। मीनू ने भी मेरी तरफदारी की, "संजू, कितने दिनों से नेहा दीदी की चूत के लिए तड़प रहे थे। अब वो खुद कह रहीं हैं की उनकी चूत को चोद कर फाड़ दो। संजू नेहा दीदी की चूत तुम्हारे लंडे के लिए तड़प रही है। " संजू ने हम दोनों को उनसुना कर अपने लंड को इंच इंच कर मेरी फड़कती तड़पती चूत के बाहर निकल उतनी ही बेदर्दी से आहिस्ता-आहिस्ता अंदर बाहर करने लगा।
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"इसका मतलब है आपको गांड मरवाने की कामना थी ?"
जानकी दीदी सुरेश चाचा की बाहों में मचल गयी, "मैं तो सिर्फ आप का दिल रखने के लिए रवि भैया से अपनी गांड मरवा रहीं हूँ। क्या कोई भी समझदार लड़की आपके और रवि भैया के घोड़े जैसे लंड से इकट्ठे अपनी गांड और चूत फटवाना चाहेगी?"
बड़े मामा ने हंस कर अपने लंड को जानकी दीदी की गांड में और भी अंदर तक धकेल दिया। जानकी दीदी चिहुक उठी। सुरेश चाचा ने जानकी दीदी को अपने बहुशाली हाथों से जकड़ कर स्थिर कर रखा था। बड़े मामा ने जानकी दीदी की मुलायम गोल भरी कमर को कस कर तीन चार भयंकर धक्कों से अपना विशाल खम्बे जैसा लंड जड़ तक बिलखती जानकी दीदी की गांड में ठूंस दिया। बड़े मामा और सुरेश चाचा पहले धीरे धीरे बिलखती सिसकती जानकी दीदी की दोहरी चुदाई करनी प्रारंभ की। थोड़ी देर में ही जानकी दीदी की सिसकियाँ ने दूसरा रूप अंगीकृत कर लिया। उनकी सिस्कारियों में अब दर्द कम और कामवासना का अधिकाय हो उठा था। बड़े मामा और सुरेश चाचा ने जानकी दीदी की गांड और चूत इकट्ठे मारने की लय बना कर चुदाई की रफ़्तार बड़ा दी।
बड़े मामा के लंड की रगड़ जानकी दीदी की गांड को अब बहुत भा रही थे। उनकी गांड और चूत की भीषण चुदाई उन्हें शीघ्र एक बार फिर से चर्म-आनंद के द्वार पर ले आयी। जानकी दीदी जोर से सीत्कार कर चिल्लायी, "भैया मैं झड़ने वाली हूँ।" सुरेश चाचा ने उनकी चूत को को और भी निर्मम रफ़्तार से मारना शुरू कर दिया। बड़े मामा ने जानकी दीदी के दोनों उरोज़ों को बेदर्दी से मसल मसल कर अपने अमानवीय विकराल लंड से उनकी रेशमी मुलायम गांड का मर्दन और भी हिंसक धक्कों से करना शुरू कर दिया। जानकी दीदी दो भाइयों के वृहत लंडों के निर्मम धक्कों से सर से पैर तक हिल रहीं थीं। बड़े मामा और सुरेश चाचा को जानकी दीदी की चुदाई करने का पहले से बहुत अभ्यास था और दोनों जानकी दीदी के अस्थिपंजर हिला देने वाले धक्कों से चोदने लगे। जानकी दीदी दोनों भाइयों की बेदर्द चुदाई से पूरे तरह परिचित थीं। उनके रति-विसर्जन एक के बाद एक उनके शरीर में पटाकों की तरह विस्फोटित होने लगे।
जानकी दीदी हर नए चर्म -आनंद के अतिरेक से कपकपा उठीं। उन्होंने वासना से अभिभूत हो अनर्गल बोलना शुरू कर दिया, "अपनी की चूत फाड़ दो भैया। आः आह ...ऊँ .... ऊँ ...ऊँ ...आं ....आं ....उम्म्म ..... मर गयी माँ मैं तो। और ज़ोर से चोदिये मुझे भैया। रवि भैया आप मेरी मेरी गांड अपने मोटे लंड से फाड़ दीजिये। मेरी गांड में कितना दर्द कर रहे हैं आप। ऊई माँ .... चोदिये मुझे .... मुझे फिर से झाड़ दीजिये। जानकी दीदी अब लगातार कुछ ही मिनटों में बार बार झड़ रहीं थीं। सुरेश चाचा ने जानकी दीदी की चूत को और भी ज़ोरों से मारने लगे। गंगा बाबा अपनी प्यारी बेटी की निर्मम चुदाई कर उत्तेजित हो उठे। उनका बड़े मामा जैसा विकराल मोटा लंड मेरी चूत में लोहे के खम्बे से भी सख्त हो मेरी चूत को और भी चौड़ा कर दिया। नम्रता चाची अब अपनी चुदाई की थकान से जग गयीं थीं। गंगा बाबा ने उन्हें उनके हाथ से मेरे नीचे खींच लिया। नम्रता चाची ने शीघ्र ही गंगा बाबा की इच्छा समझ ली। उनका मूंह लालची से मेरी चूत से चुपक गया। गंगा बाबा ने अपना धड़कता हुआ लंड मेरी वीर्य और रति से भरी चूत से बाहर निकाल लिया। नम्रता चाची ने लपक कर सारा स्वादिष्ट मिश्रण नदीदेपन से सटक लिया। मैंने गंगा बाबा के लंड के मोटे सुपाड़े को अपनी छोटी सी गांड के ऊपर महसूस किया। जानकी दीदी अपने रतिनिश्पति की प्रबलता से अभिभूत हो कर अत्यंत शिथिल हो गयी। सुरेश चाचा के अगले भयंकर धक्के से उनकी चूत में अपना लंड जड़ तक फांस कर अपना गर्म जननक्षम वीर्य की बौछार उनके गर्भाशय के ऊपर खोल दी। । बड़े मामा ने बिना लय तोड़े अपने लंड से जानकी दीदी की गांड अविरत मारते रहे। अचानक सुरेश चाचा गले से गुर्राहट के अव्वाज़ उबली और उनके हाथों ने जानकी दीदी चूचुक और भग-शिश्न बेदर्दी से मसल दिया। उनके लंड की हर धड़कन और उसके पेशाब के छिद्र से उबलता गरम जननक्षम मरदाना शहद तेज़ फव्वारों के सामान उनकी चूत की कोमल दीवारों को नहलाने लगा। जानकी दीदी की आँखे वासना की संतुष्टी की थकान से बंद कर सुरेश चाचा के लंड के वीर्य की पिचकारियों का मीठा आनंद लेने लगी | सुरेश चाचा भी भारी भारी साँसें ले रहे थे। उनके सशक्त बाहों ने जानकी दीदी को अपने शरीर से कस कर जकड़ लिया। मेरे जैसे ही जानकी दीदी सम्भोग
के बाद बड़े मामा और सुरेश चाचा से लिपटना बहुत अच्छा लगता प्रतीत हो रहा था।बड़े मामा भी अचानक जानकी दीदी की गांड में झड़ उठे। सुरेश चाचा और जानकी दीदी बड़ी देर तक अपने चरमोत्कर्ष का आनंद में डूबे रहे। बड़े मामा ने जानकी दीदी पकड़ कर करवट पर लेट गए। जानकी
दीदी की चूत सुरेश चाचा के लंड से 'सपक' की आवाज़ कर मुक्त हो गयी।वो अभी भी बड़े मामा लंड के खूंटे के ऊपर अपनी गांड से अटकी हुई थी। आखिर में बड़े मामा ने उनके चूचुकों को मज़ाक में चुटकी से भींच कर पूछा, "जानकी, क्या गांड मरवाने की शुरूआत का दर्द बाद के मज़े से बुरा था?" जानकी दीदी शर्म से लाल हो गयी, "भैया, आपको मेरा जवाब पता है। आप मुझे बस चिड़ा रहे हैं" "जानकी , तुम्हारे मूंह से सुन कर हमें और भी प्रसन्नता होगी," बड़े मामा ने उनका मूंह अपनी तरफ मोड़ कर जानकी दीदी लाल होंठों को चूम लिया। "भैया , गांड मरवाने में मुझे बाद में बहुत ही आनंद आया। आपका लंड जब बहुत तेज़ी से मेरी गांड के अंदर बाहर जा रहा था तो वो बहुत ही विशाल और शक्तिशाली लग रहा था। मेरी तो सांस भी मुश्किल से आ रही थी," जानकी दीदी ने बड़े मामा के हांथों को प्यार से चूमा।
"भैया , क्या आप अभी भी नहीं थके? आपका लंड अभी भी पूरा शिथिल नहीं हुआ," जानकी दीदी अपनी करुण गांड की छल्ली को उनके लंड के ऊपर कसने की कोशिश की। "जानकी, यदि आप ऐसे ही करतीं रहीं तो मेरा लंड शीघ्र ही फिर से तैयार हो जाएगा," बड़े मामा ने जानकी दीदी के कान की लोलकी [इअर लोब] को मूंह में ले कर चूसने लगे। लगता था की जानकी दीदी के कान मेरी तरह अत्यंत कामोत्तेजक हैं। बड़े मामा के चूसने से उनकी सिसकारी निकल गयी, "रवि भैया, अपना लंड मेरी गांड के अंदर ही रखिये। कम से कम अंदर डालने का दरद तो नहीं होगा।" इधर जैसे ही नम्रता चाची के मूंह ने मेरी बेहत चुदी चूत के ऊपर कब्ज़ा कर लिया गंगा बाबा ने मेरे फूले हुए नितिम्बों को चौड़ा कट मेरी अत्यंत कसी हुई मलाशय के छोटे से द्वार के ऊपर अपना अविश्विस्नीय मोटा सुपाड़ा रख कर उसे मेरी गांड के छेद पर कस कर दबाने लगे।
मैं कसमसा उठी। गंगा बाबा ने बेदर्दी से अपने लंड की शक्ती से मेरी कोमल गांड के नन्हे से द्वार के प्रतिरोध को अभिभूत कर लिया। जैसे ही नम्रता चाची ने मेरी गांड के समर्पण का अहसास किया उन्होंने मेरी भग-शिश्न को अपने होंठों में कस कर जकड़ लिया। उसी समय गंगा बाबा का अमानवीय लंड ने मेरी गांड को चौड़ा कर उसके प्रतिरोध को विव्हल कर अपने विकराल लंड की विजय की पताका की घोषणा करते हुए मेरी कमसिन गांड में बिना विरोध के रेलगाड़ी के इंजन की तरह अंदर दाखिल हो गए। मेरी दर्द भरी चीख से शयनकक्ष गूँज उठा। बड़े मामा का लंड थोड़ी चुहल बाजी से थोड़े ही क्षणों में तनतना के लोहे के खम्बे की तरह जानकी दीदी की गांड में फड़कने लगा। बड़े मामा ने उन्हें अपनी और खींच कर अपना लंड फिर से उनकी गांड में फिसलाने लगे। इस बार उन्होंने जानकी दीदी की गांड धीमे, प्यार भरे रीति से मारी। बड़े मामा का लंड उनकी गांड में अब आसानी से अपना लंबा सफ़र तय करने लगा।
मेरी गांड में उपजे अविश्नायी दर्द से मैं तड़प उठी। पर गंगा बाबा ने एक बार अपने पूरे लंड को मेरी गांड में जड़ तक नहीं गाड़ दिया तक उन्होंने बेदर्दी से एक के बाद और भी ज़ोर से दूसरा धक्का लगाया। थोड़ी देर में ही उनका लंड मेरी गांड की गहराइयां नापने लगा। मैं कुछ ही देर में सिसकने लगी। गंगा बाबा अपने हांथों से मेरी चूचियों और नम्रता चाची ने मेरे भग-शिश्न को छेड़ मेरी गांड के चुदाई के आनंद को और भी आल्हादित कर दिया। उधर बड़े मामा ने जानकी दीदी की गांड तेज़ी से मारनी शुरू कर दी। उनकी सिस्कारियां मेरी सिस्कारियों से प्रतिस्पर्धा कर रहीं थीं। आधे घंटे में हम दोनों तीन बार झड़ गयीं । बड़े मामा ने भी अपना बच्चे पैदा करने में सक्षम वीर्य से जानकी दीदी की गांड में बारिश कर दी।
उसी समय गंगा बाबा ने मेरी गांड में अपने प्रचुर बच्चे पैदा करने में अत्यंत सक्षम वीर्य की फुव्व्हार मेरी गांड में खोल दी। हम दोनो आँखे बंद कर एक बार फिर कामानंद की संतुष्टि से भर गए। काम वासना भी अत्यंत चंचल आनंद है। कभी तो लगता है कि हम सब संतुष्टि से सराबोर हो गए पर थोड़ी से देर में अधीर कामोत्तेजना अपना सर फिर से उठा कर हम सब के शरीर में बिजली सी दौड़ा देती थी। एक घंटे के भीतर ही गंगा का लंड मेरी गांड के अंदर फिर से फड़कने लगा। इस बार बड़े मामा ने जानकी दीदी को पेट के बल पलट कर उनके ऊपर अपना सारा भार डाल कर उनकी गांड मारने लेगे। ठीक उसी तरह गंगा बाबा ने मुझे नम्रता चाची के ऊपर से खींच कर पलंग पर चित पटक कर मेरे नितिम्बों को फैला कर फिर से अपना लंड मेरी दर्द भरी गांड में तीन जान-लेवा धक्कों से जड़ तक डाल कर मेरी सांस बंद कर देने वाली तेज़ी से गांड मारने लगे। मुझे अपने शरीर के ऊपर उनके भारीभरकम शरीर के वज़न बहुत ही अच्छा लग रहा था। गंगा ने शुरू में लम्बे और धीरे धक्कों से मेरी गांड का मर्दन किया। जब मैं दो बार झड़ गयी तो उन्होंने अपने धक्कों की रफ़्तार बड़ा दी। जब मैं तीसरी बार झड़ रही थी तो उनके लंड ने भी अपनी गरम गाड़ा फलदायक उर्वर मर्दानी मलाई से मेरी गांड को निहाल कर दिया। मैंने गंगा बाबा से न हिलने का निवेदन किया। सम्भोग के बाद उनके लंड को अपने शरीर में रख कर उनके भरी बदन के भार के नीचे लेटने में भी मुझे एक विचित्र सा सुख मिल रहा था। हम दोनो की आँख न जाने कब लग गयी।
हम सब वासना की अग्नि के ही रति सम्भोग की मीठी थकान के आलिंगन में समा कर गए। मैं सुबह देर से उठी। मेरे सारे शरीर में फैला मीठा-मीठा दर्द मुझे रात की प्रचंड चुदाई की याद दिलाने लगा। मेरे होंठों पर स्वतः हल्की सी मुस्कान चमक उठी। ख़िड़की से देर सुबह की मंद हवा ने चमेली, रजनीगंधा और अनेक बनैले फूलों की महक से मेरा शयनकक्ष महका दिया। मैंने गहरी सांस भर कर ज़ोर से अंगड़ाई भरी। कमरे में पुष्पों की सुगंध के साथ रति रस और सम्भोग की महक भी मिल गयी। मेरा अविकसित कमसिन शरीर में उठी मदमस्त ऐंठन ने मेरे अपरिपक्व मस्तिष्क में एक बार फिर से सिवाए संसर्ग और काम-क्रिया के अलावा कोई और विचार के लिए कोइ अंश नहीं बचा था। नासमझ नेहा की जगह अब मैं स्त्रीपन की ओर लपक रही थी। मैं अपने ख्यालों में इतनी डूबी हुई थी कि कब मीनू कमरे में प्रविष्ट हो गयी। उसने मेरे बिस्तर में कूद कर मुझे सपनों से वापिस यथार्थ में खींच लिया। मीनू खिलखिला कर हंस रही थी, "क्या नेहा दीदी? अभी तक रात की चुदायी याद आ रही है? कोइ फ़िक्र की बात नहीं अब तो पापा, चाचा और गंगा बाबा गंगा बाबा के अलावा नानू, संजू और राजन भैया भी हैं। आपके लिए अब लंड की कोई कमी नहीं है। " मैंने भी हँसते हुए मीनू को अपनी बाँहों में जकड़ लिया, "मीनू की बच्ची तू कैसी गंदी बातें करने लगी है ? तू तो ऐसे कह रही है जैसे न जाने कितने सालों से चुद रही है ?" मीनू ने मेरे होंठों को चूम लिया, "नेहा दीदी, आपकी छोटी बहन का कौमार्य तो तीन साल पहले ही भंग हो गया था। आप आखिरी कुंवारी थीं सारे परिवार में।" मीनू नम्रता चाची की बड़ी बेटी है. मीनू मुझसे छोटी है. उसका छरहरा शरीर देख कर कोई सोच भी नहीं सकता था कि मीनू इतनी चुदक्कर है। उसके लड़कपन जैसे शरीर पे अभी स्तन भी अच्छी तरह नहीं विकसित हुए थे। लेकिन नम्रता चाची और ऋतु दीदी की तरह मीनू का शरीर अपनी मम्मी और मौसी के जैसे ही भरा गदराया हुआ हो जायेगा। उन दोनों का भी विकास देर किशोर अवस्था में हुआ था। "अच्छा मीनू की बच्ची यह बता कि अपने डैडी का लंड अभी तक नहीं मिस किया," मैंने मीनू को कस कर भींच ज़ोर से उसकी नाक की नोक को काट कर उसे छेड़ा। "नेहा दीदी डैडी के लंड का ख़याल तो रहीं थीं। मुझे और ऋतु दीदी को तीन लंडों की सेवा करनी पड़ी थी। अब तो संजू का लंड भी चला है। " मीनू मेरे दोनों उरोज़ों को मसल कर मेरे होठों को चूसने लगी। संजू मीनू से डेढ़ साल छोटा है। मुझे संजू शुरू से ही बहुत प्यारा लगता है। उसके अविकसित शरीर से जुड़े वृहत लंड के विचार से ही मैं रोमांचित हो गयी। मीनू ने मेरे सूजे खड़े चूचुकों को मसल कर कुछ बेसब्री से बोली, "अरे मैं तो सबसे ज़रूरी बात तो भूल गयी। दीदी संजू को जबसे आपके कौमार्यभंग के बारे में पता चला है तबसे मेरा प्यारा छोटा नन्हा भाई अपनी नेहा दीदी को चोदने के विचार से मानों पागल हो गया है। बेचारा सारे रास्ते आपको चोदने की आकांशा से मचल रहा था। उसने मुझे आपसे पूछने के लिए बहुत गुहार की है। " मेरी योनि जो पहले से ही मीनू से छेड़छाड़ कर के गीली हो गयी थी अब नन्हे संजू की मुझे चोदने की भावुक और तीव्र तृष्णा से मानों सैलाब से भर उठी। मीनू ने मेरे गालों को कस कर चूम कर फिर से कहा, "दीदी चुप क्यों हो। हाँ कर दो ना," मीनू ने धीरे से फुसफुसाई, "बेचारा संजू बाहर ही खड़ा है। " मैं अब तक कामोन्माद से मचल उठी थी। मैंने धीरे से मीनू को संजू को अंदर बुलाने को कहा. "संजूऊऊ," मीनू चहक कर ज़ोर से चिल्लायी," नेहा दीदी मान गयीं हैं। " संजू कमरे के अंदर प्रविष्ट हो गया। उसकी कोमल आयु के बावज़ूद उसका कद काफी लम्बा हो गया था। उसका देवदूत जैसा सुंदर चेहरा कुछ लज्जा और कुछ वासना से दमक रहा था। संजू शर्मा कर मुस्कराया और हलके से बोला, "हेलो नेहा दीदी। "
मीनू बेताबी से बोली, "संजू अब काठ के घोड़े की तरह निचल खड़े ना रहो। जल्दी से अपने उतारो और अपनी नेहा दीदी की चूत ले लो। कितने दिनों से इस दिन का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हो।" मीनू बेताबी से बोली, "संजू अब काठ के घोड़े की तरह निष्चल खड़े ना रहो। जल्दी से अपने उतारो और अपनी नेहा दीदी की चूत ले लो। कितने दिनों से इस दिन का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हो।" संजू ने शर्माते हुए पर लपक कर अपने कपड़े उतार कर फर्श पर दिए। उसका गोरा लम्बा शरीर उस समय बिलकुल बालहीन था। मेरी आँखे अपने आप ही संजू के खम्बे जैसे सख्त मोटे गोरे लंड पर टिक गयीं। उसके अंडकोष के ऊपर अभी झांटों का आगमन नहीं हुआ था। मेरा मुँह संजू के जैसे गोरे औए मक्खन जैसे चिकने लंड को देख कर लार से भर गया। "संजू, जल्दी से बिस्तर पर आ जाओ न अब, " मुझसे भी अब सब्र नहीं हो रहा था। संजू को हाथ से पकड़ कर मैंने उसे बिस्तर पर बैठ दिया। मैंने उसके दमकते सुंदर चेहरे को कोमल चुम्बनों से भर दिया। संजू अब अपने पहले झिझकपन से मुक्त हो चला। संजू ने मुझे अपनी बाँहों में कस कर पकड़ कर अपने खुले मुँह को मेरे भरी साँसों से भभकते मुँह के ऊपर कस कर चिपका दिया। संजू के मीठे थूक से लिसी जीभ मेरे लार से भरे मुँह में प्रविष्ट हो गयी। मीनू मेरी फड़कती चूचियों को मसलने लगी। मेरा एक हाथ संजू के मोटे लंड को सहलाने को उत्सुक था। मेरी तड़पती उंगलियां उसके धड़कते लंड की कोतलकश को नापने लंगी। मेरा नाज़ुक हाथ संजू के मोटे लंड के इर्दगिर्द पूरा नहीं जा पा रहा था। पर फिर भी मैं उसके लम्बे चिकने स्तम्भ को हौले-हौले सहलाने लगी। संजू ने मेरे मुँह में एक हल्की से सिसकारी भर दी। मैं संजू के लंड को चूसने के लिए बेताब थी। मैंने हलके से अपने को संजू के चुम्बन और आलिंगन से मुक्त कर उसके लंड के तरफ अपना लार से भरा मुँह ले कर उसे प्यार से चूम लिया। संजू का लंड इस कमसिन उम्र में इतना बड़ा था। इस परिवार के मर्दों की विकराल लंड के अनुवांशिक श्रेष्ठता के आधिक्य से वो सबको पीछे छोड़ देगा। मैंने संजू के गोरे लंड के लाल टोपे को अपने मुँह में भर लिया। मीनू मेरे उरोज़ों को छोड़ कर मेरे उठे हुए नीतिमबोन को चूमने और चूसने लगी। मीनू मेरे भरे भरे चूतड़ों को मसलने के साथ साथ मेरे गांड की दरार को अपने गरम गीली जीभ से चाटने भी लगी। मेरी लपकती उन्माद से भरी सिसकी ने दोनों भाई बहिन को और भी उत्तेजित कर दिया। संजू ने मेरे सर तो पकड़ कर अपने लंड के ऊपर दबा कर मापने मोटे लंड को मेरे हलक में ढूंस दिया। मेरे घुटी-घुटी कराहट को उनसुना कर संजू ने अपने लंड से मेरे मुँह को चोदने लगा। मीनू ने मेरी गुदा-छिद्र को अपनी जीभ की नोक से चाट कर ढीला कर दिया था और उसकी जीभ मेरी गांड के गरम अंधेरी गुफा में दाखिल हो गयी।
मीनू ने ज़ोर से सांस भर कर मेरी गांड की सुगंध से अपने नथुने भर लिए। "दीदी, अब मुझे आपको चोदना है," संजू धीरे से बोला। मैंने अनिच्छा से उसके मीठे चिकने पर लोहे के खम्बे जैसे सख्त लंड तो अपने लालची मुँह से मुक्त कर बिस्तर पे अपनी जांघें फैला कर लेट गयी। संजू घुटनो के बल खिसक कर मेरी टांगों के बीच में मानों पूजा करने की के लिए घुटनों पर बैठा था। मीनू घोड़ी बन कर मेरे होंठों को चूस थी। पर उसकी आँखे आँखें अपने भाई के मोटे लम्बे चिकने लंड पर टिकी थीं।
संजू का मोटा फड़कता सुपाड़ा मेरी गुलाबी चूत के द्वार पे खटखटा रहा था। मेरी चूत पे पिछले दो सालों में कुछ रेशम मुलायम घुंघराले उग गए थे। संजू ने सिसकी मार कर अपने मोटे लम्बे हल्लवी लंड के सुपाड़े को मेरी गीली योनि की तंग दरार पर रगड़ा। मेरी भगशिश्न सूज कर मोटी और लम्बी हो गयी थी। संजू के लंड ने उसे रगड़ कर और भी संवेदनशील कर दिया। मेरी हल्की सी सिसकारी और भी ऊंची हो चली। "संजू मेरी चूत में अपना लंड अंदर तक दाल दो, मेरे प्यारे छोटे भैया। अपनी बड़ी बहिन की चूत को अब और तरसाओ," मैं अपनी कामाग्नि से जल उठी थी। संजू ने मेरे दोनों थरकते चूचियों को अपने बड़े हाथों में भर कर अपने मोटे सुपाड़े को हौले हौले मेरी नाजुक चूत में धकेल दिया। मेरी तंग योनि की सुरंग संजू के मोटे लंड के स्वागत करने के लिए फैलने लगी। संजू ने एक एक इंच करके अपना लम्बा मोटा लंड मेरी चूत में जड़ तक ठूंस दिया। मैं संजू के कमसिन लंड को अपनी चूत में समा पा कर सिहर उठी। मेरा प्यारा छोटा सा भैया अब इतने बड़े लंड का स्वामी हो गया था। "संजू, तेरा लंड कितना बड़ा है। अब अपनी बहिन को इस लम्बे मोटे खम्बे जैसे लंड से चोद डाल," मैं वासना के अतिरेक से व्याकुल हो कर बिलबिला उठी। मीनू ने भी मेरी तरफदारी की, "संजू, कितने दिनों से नेहा दीदी की चूत के लिए तड़प रहे थे। अब वो खुद कह रहीं हैं की उनकी चूत को चोद कर फाड़ दो। संजू नेहा दीदी की चूत तुम्हारे लंडे के लिए तड़प रही है। " संजू ने हम दोनों को उनसुना कर अपने लंड को इंच इंच कर मेरी फड़कती तड़पती चूत के बाहर निकल उतनी ही बेदर्दी से आहिस्ता-आहिस्ता अंदर बाहर करने लगा।
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