09-07-2019, 04:56 PM
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Update 12
गंगा बाबा की पत्नी का देहांत १२ साल पहले हो गया. जानकी सिर्फ दस साल की थी. जानकी का शारीरिक विकास अत्यंत कालपूर्व हो रहा था.उस उम्र में भी उनका वक्षस्थल किसी पन्द्रह साल की लड़की के सामान गर्व से उनके ब्लाउज़ को भर देता था. गंगा बाबा और जानकी एक दुसरे के बहुत नज़दीक और संलग्न थे. बाप बेटी का रिश्ता इस दुःखद घटना के बाद, गंगा बाबा के शोक में डूब गया. जानकी अपने पिता को हर दिन ज्यादा शराब पीते देखती. तीन साल तक गंगा बाबा अपने विधुर्ता के दुःख में भूल गए कि उनकी बेटी का शोक अपनी माँ को खोने में उतना ही दुःख दाई था. जानकी के धैर्य ने अस्त्र फैंक दिये । अत्यंत में हार मान कर जानकी ने मेरे मम्मी से अपना दर्द बांटा. एक रात को जब गंगा बाबा ने काफी शराब पी रखी थी तब जानकी अपनी मम्मी की साड़ी में अपने पिता जी के कमरे गयीं. गंगा बाबा नशे में अपनी सुंदर अर्धांग्नी को देख कर पागल हो गए. गंगा बाबा ने जानकी के कपडे फाड़ कर उन्हें बिस्तर पर पटक दिया. गंगा बाबा ने अपने विशाल स्थूल लंड से जानकी की कुंवारी चूत की बेदर्दी से चुदाई की. गंगा बाबा ने जानकी को उस रात चार बार चोद कर बेहोश कर दिया. सुबह जब दोनों पिता-पुत्री जगे तो गंगा बाबा को समझने में कुछ देर नहीं लगी कि उनकी प्यारी इकलौती बेटी उन्हें कितना प्यार करती है. अपने पिता के महाकाय लंड से चुदवाने के बाद जानकी दीदी और उनका प्यार अपने पिता की तरफ और भी मज़बूत हो गया. तब से दोनों बाप-बेटी रोज़ अगम्यगामी रतिक्रिया के सुख में डूबे रहते थे. गंगा बाबा ने समाज की फ़िक्र से जानकी दीद का विवाह एक साल पहले एक अमीर घर में कर दिया. पर कुछ महीनों के बाद सब को साफ़ हो गया कि जानकी का पति आलसी और निकम्बा था. जानकी की तरफ उसका व्यवहार भी अस्वीकार्य था. तब से जानकी दीदी सिर्फ नाम के लिए विवाहित थीं.
बड़े मामा ने समाप्ती में कहा, "मैंने दोनों को सलाह दी है कि इस विवाह के नाटक में छुप कर दोनों अपना परिवार शुरू कर सकते हैं. फिर जानकी अपने पति से कानूनी तौर से अलग हो सकती है. उनके लिए इस घर से जुड़ा ५ शयनकक्ष का घर बना तैयार है." मैंने बड़े मामा के लंड तो चूस कर साफ़ कर दिया. बड़े मामा ने मेरा मूत्र्पान किया. बड़े मामा ने मेरी स्नान के बीच एक बार फिर से मनमोहक पर भयंकर चुदाई की. नाश्ते के बाद बड़े मामा और मैं झील की तरफ घूमने चल दिए. मुझे सारी रात और सुबह चोद कर भी बे मामा का मन नहीं भरा था। उन्होंने झील के किनारे की सैर के बीच मुझे तीन बार और चोदा।
गंगा बाबा ने सुरेश अंकल और नम्रता चाची के आगमन की इत्तिला दी. अंकल आंटी कमरे में अपने कपडे अलमारी में रख रहे थे. सुरेश शर्मा अंकल ६ फुट ऊंचे ४९ साल के बहुत मोटे मर्द थे. उनकी तोंद का मज़ाक हम सब लोग बनाते थे. नम्रता शर्मा आंटी भी , ५'५" के ४५ साल की उम्र की, थोड़ी मोटी स्त्री थीं.उनका गदराया हुए शरीर और अत्यंत सुंदर चेहेरा किसी भी मर्द को आकर्षित कर सकता था. मैं खुशी से चीख कर दौड़ कर सुरेश अंकल की खुली बाँहों में समा गयी. अंकल ने मुझे बाँहों में उठा कर मेरा मूंह चुम्बनों से भर दिया. बड़े मामा ने आंटी को गले लगाया,"नम्रता भाभी आप हमेशा की तरह किसी अप्सरा जैसी सुंदर लग रहीं है." आंटी शर्म से लाल हो गयीं, " रवि भैया आप तो मेरी प्रशंसा बस अपने प्यार के वजह से करते हैं." मैंने खुशी से किलकारी मारते हुए आंटी के आलिंगन में समा गयी. आंटी ने मेरे चेहरे को चूम चूम कर गीला कर दिया, फिर मेरे कान में फुसफुसा कर पूछा, "नेहा बेटी, रवि भैया ने तुम्हारी चूत की पूरी देखबाल की ना? मैं तो तुम्हे बिस्तर में कराहते हुए देखने की अपेक्षा कर रही थी." मैं शर्म से लाल हो गयी. अंकल आंटी दोनों को बड़े मामा और मेरे कौटुम्बिक व्यभिचार के बारे में पता था. मैंने शरमाते हुए पर इठला कर कहा कहा,"आंटी बड़े मामा ने हमें बहुत बेदर्दी से चोदा है." "रवि भैया, नेहा बेटी पर थोड़ा तो रहम करना था ना. अभी बेचारी कमसिन है और आपका लंड घोड़े से भी बड़ा है," नम्रता आंटी ने बड़े मामा को प्यार से धक्का दिया, "पर नेहा बेटी अब आप किसी भी लंड से चुदवाने के लिए तैयार हो." मैं शर्मा गयी. "नम्रता भाभी, नेहा बेटी ने हमसे कोई शिकायत नहीं की." बड़े मामा ने मुझे अपनी बाँहों में भर कर प्यार से चूमा. सुरेश अंकल ने बड़े मामा की तरफदारी की, "नेहा बेटी आप जैसी अप्सरा सुन्दरी का कौमार्य-भंग कर स्त्री बनाना कोई आसान काम नहीं है. मुझे विश्वास है कि रवि ने ज़रुरत से ज्यादा दर्द नहीं किया होगा."
"सुरेश अंकल आप बड़े मामा की तरफदारी क्यों कर रहें है. आंटी आप अंकल को कहें ना?" मैंने प्यार से अंकल के पेट में घूँसा मारा. अंकल ने मुझे हंस कर गले से लगा लिया. "नेहा बेटी, लगता है तुम्हारे अंकल तुम्हारी चूत में घुसने की योजना बना रहे है. इस लिए वो तुम्हारे दर्द को नज़रंदाज़ करने के कोशिश कर रहें है. ये भी रवि भैया के साथ मिल गए हैं." नम्रता आंटी बड़े मामा की बाँहों में समा कर बोलीं. मैंने शर्मा कर अपना मुंह अंकल के सीने में छुपा लिया.मुझे बड़े मामा पर तरस आ गया. मैंने अंकल के सीने से लगे हुए कहा, "नहीं मेरे बड़े मामा ने मेरी चुदाई बहुत अच्छे से की है. आंटी आप उनको कुछ नहीं कहें." "देखा भाभी नेहा बेटी ने मुझे माफ़ कर दिया है," बड़े मामा ठहाका लगा कर हंस दिए. बड़े मामा ने हम सबके सामने नम्रता आंटी को प्यार से चूम लिया. "रवि भैया,आज सिर्फ चुम्बन से काम नहीं चलेगा. मुझे आप से एक चुम्बन से बहुत ज़्यादा चाहिए." आंटी ने बड़े मामा की चौड़ी कमर के इर्द-गिर्द बाहें डाल कर उनसे कस कर लिपट गयीं. बड़े मामा ने अपने विशाल हाथों में आंटी के बड़े-बड़े गुदाज़ चूतड़ों को भर कर जोर से मसला और कहा, "भाभी, हम तो आप के देवी जैसे सौन्दर्य की सेवा करने के लिए तैयार हैं यदि सुरेश और नेहा को कोई आपत्ती नहीं हो तो." अंकल ने मेरी तरफ देखा. मैंने शर्म से लाल अपना मुंह अंकल के सीने में फिर से छुपा लिया और सिर्फ अपना सर हिला कर अनुमति दे दी. हम सब भोजन कक्ष की तरफ चल पड़े. अंकल-आंटी गंगा बाबा और जानकी दीदी से गले मिले. "आंटी, यदि आप एक दिन और रुक सकते हों तो रुक जाइये," जानकी दीदी ने आंटी से अनुरोध किया. अंकल ने जल्दी से सिर हिला कर आंटी को अपनी अनुमती देदी. आंटी ने भी हामी भर कर जानकी के चेहरा खुशी से भर दिया. खाना ख़त्म होते ही गंगा बाबा ने सब नौकरों को विदा कर दिया. हम सब मदिरापान करने बैठक में चले गए. दो गिलास मदिरा के बाद गंगा बाबा ने जानकी की बाजू पकड़ कर उठाया और विदा मांगी. "जानकी, लगता है आज रात तुम्हारी चूत की खैर नहीं है. गंगा, की बेसब्री छुप नहीं पा रही". आंटी ने जानकी की चुटकी ली. जानकी शर्मा कर लाल हो गयी,"पापा तो रोज़ मेरी हालत बुरी कर देतें है.पर मुझे भी उनके बिना चैन नहीं पड़ता." हम सब हंस दिए और दोनों को शुभ-रात्री की कामना के साथ विदा किया. अंकल 'सुधा' के कौटुम्बिक-व्यभिचार के दूसरी किश्त ले कर आये थे. हम सब चलचित्र-गृह की तरफ चल दिए. बड़े मामा ने नम्रता आंटी का हाथ खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया. आंटी ने भी अपनी बाहें बड़े मामा की गर्दन पर दाल दीं मैं बड़े मामा और आंटी के बीच खुली संभोग पूर्व क्रीड़ा से प्रभावित हो गयी. जब अंकल ने मेरा हाथ पकड़ा तो मै स्वतः उनकी गोद में समा गयी. अंकल ने रिमोट से फिल्म शुरू कर दी.
सुधा अपने ससुर की हिंसक चुदाई के बाद थोड़ी देर आराम करने के लिए लेट गयी थी. बेचारी सुधा तीन परिवार के लंड से चुदवा कर बहुत थक गयी थी और वो देर तक सोती रही. नीचे एक करीब ६० साल का एक हृष्ट-पुष्ट पुरुष सूटकेस के साथ हॉल में खड़ा था. उसकी शक्ल काफी सुधा से मिलती-जुलती थी. उसने सूटकेस फर्श पर रख कर सुधा को ढूँढने लगा. अपनी बेटी को नीचे ना पा कर सुधा के पिताजी ऊपर चल पड़े. विश्राम-गृह में उनकी प्यारी बेटी नग्न बिस्तर में सो रही थी. पिता ने प्यार भरी निगाह से अपनी सोती बेटी को निहारा. सुधा के विशाल नर्म उरोज़ उसकी गहरी सांसों से ऊपर-नीचे हो रहे थे. उसकी गोल कमर और फूले हुए बड़े नितिम्ब अत्यंत सुंदर थे. सुधा की खुली जांघों के बीच घनी झांटों से ढका योनिद्वार मानो उसके पिता को निमंत्रित कर रहा था. सुधा के पिता ने अपने कपडे जल्दी से उतार दिए. सुधा के पिता का लंड कुछ ही क्षणों में तन कर खड़ा हो गया. उनका लंड दस इंच लम्बा और बहुत मोटा था. सुधा की आँख अचानक खुल गयी. अपने पिता को कमरे में देख कर सुधा का चेहरा खुशी से खिल उठा," सॉरी, पापा में आपके लिए पूरी तैयार होना चाहती थी पर मेरी आँख ही नहीं खुली." सुधा के पिता लपक कर बिस्तर पर चढ़ गए और अपनी नग्न बेटी को बाँहों में भर लिया, "बेटा, आप इस से और अच्छी तरह मेरे लिए तैयार नहीं हो सकते थे." सुधा ने अपना आधा खुला मुंह अपने पिता को अर्पण कर दिया. सुधा के पिता अपनी बेटी के खुले मुंह से अपना भूखा मुंह लगा कर सुधा के मुंह का रसास्वादन करने लगे. उनके दोनों हाथ अपनी बेटी के उरोज़ों को मसलने में व्यस्त हो गए. सुधा ने सिसकारी मार कर अपने पिता के मूसल लंड को अपने छोटे-छोटे हाथों से सहलाना शुरू कर दिया. सुधा ने अपने पिता का विशाल शरीर को प्यार से धक्का दे कर बिस्तर पर चित लिटा दिया। सुधा ने अपना खुला मुंह अपने पिता के लोहे जसे सख्त विशाल लंड के सुपाड़े के ऊपर रख दिया। सुधा का हृदय अपने पिता की मीठी सिसकारी सुन कर प्रसन्न हो गया। उसने प्यार से धीरे-धीरे अपने जीभ से अपने पिता के पूरे सुपाड़े को चाटना शुरू कर दिया। अपनी बेटी की जीभ की मीठी यातना से उसके पिता का लंड थरथरा उठा। सुधा के पिताजी को वो दिन साफ़ साफ़ याद था जब उन्होंने अपनी बेटी की कुंवारी चूत पहली बार चोदी थी। इतने सालों के बाद भी उन्हें अपनी बेटी की चूत की भूख बिलकुल भी कम नहीं हुई थी। सुधा ने अपने पिता के लंड के सुपाड़े को चाट कर अपने जीभ की नोक उसके पेशाब-छिद्र में डाल दी। उसके पिता ने अपना भारी हाथ सुधा के सर के पीछे रख कर अपने लंड के ऊपर दबाने लगे। सुधा ने आज्ञाकारी बेटी की तरह अपना मुंह पूरा खोल कर अपने पिताजी का मोटा लंड अपने मुंह में ले लिया। पिताजी ने सिकारते हुए सुधा को और भी उत्साहित किया, "सुधा बेटी, मेरा लंड चूसो। मेरा लंड और भी अपने मुंह के भीतर डालो। सुधा ने अपने पिता का जितना हो सकता था उतना भारी-भरकम मूसल जैसा लंड अपने मुंह में ले कर अपने थूक से गीला कर दिया। उसने अपना मुंह पिता के लंड से उठा कर अपने मुंह को थूक से भर कर उनके लंड के ऊपर उलेढ़ दिया। सुधा के पिताजी का सारा वृहत लंड अपनी बेटी के मीठी लार से सराबोर हो गया। सुधा ने अपने पिताजी का भीमकाय लंड एक बार फिर से अपने मुंह में ले लिया और अपना मुंह ऊपर नीच कर उनके लंड को चूसने लगी। उसके नाज़ुक छोटे छोटे हाथ हाथ अपने पिता के थूक से गीले मोटे लंड के ऊपर नीचे फिरकने लगे। सुधा के पिता जी के मुंह से सिकारियां फूटने लगीं। उन्होंने बेसब्री से अपनी बेटी की भारी गुदगुदी गांड को अपने मजबूत हाथों से खींच कर उसकी चूत अपने मुंह के ऊपर लागा ली। जैसे ही सुधा के पिताजी की जीभ ने उसकी झांटों को फैला कर उसकी चूत की दरार को अपनी जीभ से खोल कर चाटना शुरू कर दिया। सुधा के मुंह से निकली सिसकारी अपने पिताजी के लंड के ऊपर घुट कर रह गयी। दोनों पिता और बेटी एक दुसरे को अपने मुंह से सुख देने लगे। सुधा के पिताजी ने अपनी बेटी की मीठी चूत हज़ारों बार चाट रखी थी फिर भी उसकी महक और स्वाद ने उन्हें बिलकुल पागल कर दिया। सुधा भी अपने पिताजी के मीठे लंड को मुंह में ले लालची भूखी स्त्री की तरह चूसने लगी। उसके पिता का लंड उसकी वासना को कुछ ही क्षण में भड़काने में अभ्यस्त था। पिता और बेटी बड़ी देर तक एक दुसरे के लंड और चूत को अपने मुंह से चाट और चूस कर एक दुसरे के शरीर में कामुकता के तूफ़ान को जगाने लगे।
दोनों पिता-पुत्री अगम्यागमन के अनाचार में लिप्त प्रेमी शीघ्र अत्यंत उत्तेजित हो गए, "पापा मुझे आपका लंड अपनी चूत में चाहिए. मुझे अपने घोड़े जैसे लंड से चोदिये," सुधा ने कामंग्नी में मस्त वासना भरी आवाज़ से अपने पिताजी को उसे चोदने के लिए उत्साहित किया. सुधा के पिता बेसब्री से अपनी बेटी के फ़ैली जांघों के बीच में बैठ कर अपना लंड का मोटा सुपाड़ा अपनी बेटी की योनी के दरार पर रगड़ने लगे. सुधा की सिस्कारियों ने उन्हें अपनी बेटी की चुदाई के लिए और भी उत्साहित कर दिया. आखिर में सुधा के पिता ने अपने लंड के सुपाड़े को अपनी बेटी की योनी द्वार में घुसेड़ दिया. पिता ने सुधा के दोनों उरोज़ों को कस कर अपने शक्तिशाली हाथों में भर कर तीन भयंकर धक्कों से अपना लम्बा मोटा लंड जड़ तक अपनी बेटी की चूत में दाल दिया. सुधा के वासना भरी चीख से कमरा गूँज उठा, “आह, पिताजी .. ई .. धीरे चोद ...ई आह दर्द मत कीजिये," सुधा की चूत बिलबिला उठी अपने पिताजी के मूसल को अंदर लेने से।
सुधा के पिता शीघ्र अपने मोटे लंड से अपनी बेटी को किसी वहशी की तरह चोदने लगे. सुधा के मुंह से अविरत सिस्कारियां निकलने लगी.
सुधा की चूचियां का मर्दन और उसकी भयंकर चुदाई ने मेरी चूत भी गीली कर दी. मेरे गांड में अंकल का सख्त लंड चुभ रहा था. अंकल के दोनों हाथ मेरे उरोज़ों को मसल रहे थे.
फिल्म में सुधा की चुदाई की रफ़्तार और भी तेज़ हो गयी. सुधा के सिस्कारियां और चीखें उसके पिता को और भी उत्साहित कर रहीं थी. सुधा थोड़ी देर में चरमोत्कर्ष के प्रभाव में चीख कर अपने रति-विसर्जन से कांपने लगी. सुधा के पिता अपनी बेटी के ऊपर लेट गए और उसके कांपते हुए शरीर को अपनी बाँहों में भर कर उसके भरी भरी सांस लेते आधे खुले मुंह को अपने होंठो से चूमने लगे। कुछ देर में सुधा के थोड़ा संतुलित होते ही उसके पिता ने अपनी बेटी को घोड़ी बना कर पीछे से उसकी चूत मारना शुरू कर दिया. सुधा के पिताजी ने अपने सेब जैसे सुपाड़े को एक ही झटके में अपनी बेटी की मादक रेशम से मुलायम चूत में घुसेड़ कर भयंकर धक्कों से अपना सारा लंड अपनी सिसकती हुई बेटी की चूत में डाल दिया। सुधा कराह उठी, "आह, पिताजी, आपका लंड आह ... कितना आह ... मोटा आह ... है ...आन्न्न्न्ह्ह्ह्ह्ह्ह, मार डाला आपने अपनी बेटी को आआह ....ऊन्न्नग्ग।" सुधा के विशाल उरोज़ पिता के लंड के भीषण धक्कों से बड़े-बड़े गुब्बारों जैसे हिल रहे थे. सुधा के पिताजी अपनी बेटी की वासना की परिधियों से पूरी तरह परिचित थे। उन्हें पता था कि वो चाहें जितनी ज़ोर से अपनी बेटी की चूत मार कर उसे दर्द करें उनकी बेटी अपनी चूत मरवाने से कभी भी पीछे नहीं हटेगी। सुधा के पिताजी ने अपनी बेटी के भारी, मुलायम विशाल मटकते हुए स्तनों को अपने हाथों में भर लिया और उसकी मादक चूचियों को ज़ोर से मसलने लगे। उनके अन्गुंठे और तर्जनी ने अपनी बेटी के सख्त तनतनाये हुए निप्पलों को कस कर भींच कर मड़ोड़ दिया। उन्हें अपनी बेटी के गले से दर्द और आनंद की मिली जुली चीख ने और भी उत्तेजित कर दिया। उन्होंने अपनी बेटी की कोमल चूचियों का मर्दन और भी बेदर्दी से करना आरंभ कर दिया। उनके पहले से ही भीषण लंड के धक्के और भी विध्वंसक हो चले। सुधा की सांस अब अटक अटक कर आ रही थी। वो अपने पिताजी की निर्मम वासनामयी चुदाई के कारण फिर से झड़ने वाली थी। सुधा एक घुटी घुटी चीख मार कर झड़ने लगी। उसका मीठा सुगन्धित चूतरस उसके पिता के रेल के पिस्टन के जैसे मोटे लंड को नहलाने लगा। सुधा के पिताजी अपनी बेटी को झड़ते देख कर और भी तेजी से उसकी चूत में अपना भयंकर लंड मूसल की तरह पेलने लगे। सुधा दस मिनट में फिर से स्खलित हो गयी. इस बार उसके पिता ने भी अपना लंड अपनी बेटी की चूत में खोल दिया. सुधा निढाल बिस्तर में पसर गयी.पर उसके पिता अभी पूरे संतुष्ट नहीं हुए थे. उनका लंड अभी भी खड़ा था. उन्होंने अपनी बेटी को पलट कर एक बार फिर उसकी कमर पर लिटा दिया। उन्होंने अपनी निढाल बेटी की दोनों टांगें ऊपर उठा कर अपना विशाल लंड उसकी छोटी से गांड के छिद्र पर लगा दिया. जैसे ही उसके पिता का मोटा अमानवीय लंड उसकी गांड के छल्ले के अंडर गया सुधा के गले से हल्की चीख उबल पड़ी. सुधा के पिता ने तीन-चार धक्कों में पूरा लंड बेटी की गांड में डाल दिया. सुधा की गांड की चुदाई पहले धीरे-धीरे शुरू की और थोड़ी देर में ही उसके पिता का विशाल लंड सटासट सुधा की गांड मार रहा था.
इस दौरान सुधा के दोनों बेटे वापस आ गए. दोनों तभी खेल कर वापस आ रहे थे। उहोने नीचे हाल में अपने नानाजी का सूटकेस देख के बिना देर लगाए अपनी माँ के शयनकक्ष की और दौड़ लगा दी। दोनों पसीने से भीगे हुए थे। रोज़मर्रा वाले दिन दोनों पहले नहाने जाते पर उस दिन अनिल और सुनील नानाजी को अपने मां की चुदाई करते देख कर जल्दी से नंगे हो कर बिस्तर पर कूद पड़े. नाना ने दोनों का मुस्करा कर स्वागत किया. दोनों ने जल्दी से नानजी को चूम कर नमस्ते की। अपने बेटों के पसीने की महक ने सुधा की वासना को और भी बुलंद कर दिया। दोनों भी अपनी माँ के मुंह के दोनों तरफ घुटनों पर बैठ गए। दोनों बड़ी एकाग्रता से नानाजी को अपनी माँ की गांड मारते हुए देख रहे थे। दोनों अपनी माँ की तंग गुदा को नानाजी के मोटे मूसल पर चौड़ी होते देख कर उत्तेजित हो गए। सुधा के पिताजी लम्बे जोरदार धक्कों से अपनी बेटी की गांड बड़ी तन्मयता से चोद रहे थे। उन्होंने अपने धेवतों की वासना का भी अहसास था। सुधा ने सिसकते हुए अपने बेटों के लंड को चूस कर पूरा सख्त कर दिया. सुधा के पिता ने अपना मल-लिप्त लंड अपनी बेटी की गांड से निकाल कर उसकी चूत में ढूंस दिया. सुधा के बेटे अपने माँ की चूचियों का मर्दन कर रहे थे. सुधा के पिता ने दस-बीस भयंकर धक्कों से अपने बेटी की चूत को चोदा और फिर सुधा की चूत से अपना लंड निकाल कर सुधा की गांड में हिंसक ताकत से डाल दिया. सुधा के पिता ने अपनी बेटी को जकड़ कर अपनी कमर पर पलट गए. अब सुधा की चूत उसके बेटों के लिए प्रस्तुत थी. अनिल ने अपना ८इन्च का मोटा लंड अपनी माँ की चूत में बेदर्दी से ढूंस दिया. सुधा की सिस्कारियां और चीखें अविरत कमरे में गूँज रही थी. सुनील ने अपने दोनों टाँगे अपनी माँ के सीने के दोनों तरफ रखी कर उसकी चूचियों पर बैठ गया. सुनील ने अपना मोटा लंड अपनी बिलखती माँ के खुले मुंह में डाल दिया. सुधा के तीन जान से भी प्यारे मर्द उसकी चूत और गांड को विध्वंस रूप से चोद रहे थे. सुधा का अपने परिवार के पुरुषों से प्यार का इस से अच्छा और कोई प्रमाण नहीं हो सकता था. तीनो ने सुधा को चार बार झाड़ कर अपने लंड का वीर्य-स्खलन कर दिया. चारों अनाचारी प्रेमी बिस्तर पर थोड़ी देर आराम करने को लेट गए. पर कुछ ही क्षणों में सुधा के बेटों का लंड फिर से तन गया. सुधा मुसकराई और अपने बेटों को अपनी बाँहों में भर लिया. तभी सुधा के पति और ससुर ने कमरे में प्रवेश किया. दोनों बिस्तर के दृश्य से प्रसन्न हो गए. दोनों ने अपने कपडे उतार कर अपने मोटे लम्बे लंड को तैयार करने लगे. सुधा के पिता अपनी बेटी को बाँहों में उठा कर कालीन पर ले आये, जिस से पाँचों मर्दों को सुधा को चोदने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके.
थोड़ी देर बाद लम्बी चुदाई की थकान गायब हो गयी और सुधा अपने पांच पुरुषों को प्यार से अपनी हल्की भूरी आँखों से देख कर उन्हें चुदाई का निमंत्रण देने लगी। सुधा के ससुर कालीन पर लेट गए और उन्होंने अपनी बहु को अपने खड़े मोटे लम्बे लंड के ऊपर खींच लिया। सुधा ने जल्दी से अपनी गीली छूट को अपने ससुर के खम्बे जैसे लंड के ऊपर लगाकर अपनी गांड नीचे दबाने लगी। उसकी मीठी सिसकारी के साथ उसकी मीठी सुगन्धित चूत इंच-इंच कर के ससुरजी के विशाल लंड को निगलने लगी। जैसे ही उसकी चूत के मुलायम भगोष्ट अपने ससुर के वृहत लंड की जड़ पर पहुंचे सुधा ने उनके लंड को अपने संकरी चूत की मांसपेशियों से जकड़ लिया। ससुर जी की हल्की सिसकारी ने सुधा के अत्यंत वासना से लिप्त सुंदर चेरे पर मुस्कान ला दी। सुधा को थोड़ा अहसास था कि पीछे खड़े उसके परिवार के पुरुष क्या प्लान बना रहे थे। जैसा सुधा ने सोचा था, उसके पति, उमेश, ने अपना मोटा लम्बा लंड अपनी पत्नी की छोटी सी गांड के छल्ले पर लगा कर अंडर डालने के लिए दबाने लगे। सुधा की सिसकारी ने उसके गांड में उपजे दर्द की घोषणा कर दी। सुधा अभी अपने को अपने पति के जानदार धक्के के लिए तैयार कर रहे थी कि उसका छोटा बेटा, अनिल, उसके मुंह के सामने आ गया। सुधा ने बिना देर लगाए अपने बेटे का खड़ा मोटा लंड अपने मुंह में ले लिया। उमेश ने पूरी ताकत से अपने पत्नी की कोमल गांड को फाड़ने के काबिल भयंकर धक्के से अपनी लंड उसकी गांड में बेदर्दी से घुसेड़ दिया। अनिल के लंड ने अपनी माँ की चीख को दबा दिया अनिल ने भी अपनी माँ के चेहरे को कास कर पकड़ कर अपने लंड से सुधा के कोमल मुंह को चोदना शुरू कर दिया। सुधा के मुंह से सिर्फ 'गोंगों ' की आवाज़ें निकल पा रहीं थी। सुधा के पति का लंड अपने पिता जैसे ही लम्बा और मोटा था। सुधा को दोनों भीमकाय लंड एक साथ लेते हुए शुरू की चुदाई में बहुत दर्द होता था। पर जब उसकी गांड और चूत मोटे लंदों के इर्द-गिर्द फ़ैल जाती थी तो उसके आनंद की कोई सीमा नहीं थी। थोड़ी देर बाद लम्बी चुदाई की थकान गायब हो गयी और सुधा अपने पांच पुरुषों को प्यार से देख कर उन्हें चुदाई का निमंत्रण अपनी हल्की भूरी आँखों से देने लगी। सुधा के ससुर कालीन पर लेट गए और उन्होंने अपनी बहु को अपने खड़े मोटे लम्बे लंड के ऊपर खींच लिया। सुधा ने जल्दी से अपनी गीली छूट को अपने ससुर के खम्बे जैसे लंड के ऊपर लगाकर अपनी गांड नीचे दबाने लगी। उसकी मीठी सिसकारी के साथ उसकी मीठी सुगन्धित चूत इंच-इंच कर के ससुरजी के विशाल लंड को निगलने लगी। जैसे ही उसकी चूत के मुलायम भगोष्ट अपने ससुर के वृहत लंड की जड़ पर पहुंचे सुधा ने उनके लंड को अपने संकरी चूत की मांसपेशियों से जकड़ लिया। ससुर जी की हल्की सिसकारी ने सुधा के अत्यंत वासना से लिप्त सुंदर चेरे पर मुस्कान ला दी। सुधा को थोड़ा अहसास था कि पीछे खड़े उसके परिवार के पुरुष क्या प्लान बना रहे थे। जैसा सुधा ने सोचा था, उसके पति, उमेश, ने अपना मोटा लम्बा लंड अपनी पत्नी की छोटी सी गांड के छल्ले पर लगा कर अंडर डालने के लिए दबाने लगे। सुधा की सिसकारी ने उसके गांड में उपजे दर्द की घोषणा कर दी। सुधा अभी अपने को अपने पति के जानदार धक्के के लिए तैयार कर रहे थी कि उसका छोटा बेटा, अनिल, उसके मुंह के सामने आ गया। सुधा ने बिना देर लगाए अपने बेटे का खड़ा मोटा लंड अपने मुंह में ले लिया। उमेश ने पूरी ताकत से अपने पत्नी की कोमल गांड को फाड़ने के काबिल भयंकर धक्के से अपनी लंड उसकी गांड में बेदर्दी से घुसेड़ दिया। अनिल के लंड ने अपनी माँ की चीख को दबा दिया अनिल ने भी अपनी माँ के चेहरे को कास कर पकड़ कर अपने लंड से सुधा के कोमल मुंह को चोदना शुरू कर दिया। सुधा के मुंह से सिर्फ 'गोंगों ' की आवाज़ें निकल पा रहीं थी। सुधा के पति का लंड अपने पिता जैसे ही लम्बा और मोटा था। सुधा को दोनों भीमकाय लंड एक साथ लेते हुए शुरू की चुदाई में बहुत दर्द होता था। पर जब उसकी गांड और चूत मोटे लंदों के इर्द-गिर्द फ़ैल जाती थी तो उसके आनंद की कोई सीमा नहीं थी।
पांच दस मिनट में सुधा की बेदर्दी से चुदती गांड और चूत का दर्द बिलकुल गायब सा हो गया और वो अपनी कमर और चूतड़ को हिला-हिला कर दोनों लंदों की अपनी चूत और गांड मारने के लिए पूरी सहायता कर रही थी। सुनील और सुधा के पिताजी अपने लोहे जैसे सख्त लंडो से सुधा के कोमल हाथों को भर दिया। सुधा अपने सारे परिवार के पाँचों पुरुषों के लंडों को सुख देने लगी। सुधा अगले दस मिनट में फिर से झड़ गयी। उमेश ने अपना लंड अपनी पत्नी की गांड में से निकाल लिया और अपनी जगह अपने ससुर को दे दी। अनिल ने अपना लंड अपनी माँ के मुंह से निकाल कर उसे अपने पितजी के माँ की गांड से निकले लंड के लिए खाली कर दिया। सुधा ने अपने पति का उसकी गांड के रस से सुगन्धित लंड को अपने मुंह में भर कर चाटने और साफ़ करने लगी। अनिल ने अपने लंड अपनी माँ के खाली हाथ में भर दिया। सुधा के परिवार के पांच पुरुष सुधा की चूत और गांड को मिल कर चेन बना कर अपने विशाल लंडों से चोदने लगे। सुधा की चूत बार बार झड़ रही थी। क्योंकि हर लंड को चूत और गांड के बाहर शांत होने का अवसर मिल रहा था इसकी वजह से पाँचों लंड बिना झड़े
अगले दो घंटों तक सुधा की गांड और चूत को रगड़-रगड़ कर निर्ममता से चोदते रहे। सुधा का शरीर अनगिनत रति-विसर्जन से थकने लगा। सुधा का मुंह भी अपनी मलाशय से निकले मोटे लंडों को चूस चूस कर थक गया था। पांच मर्द अपने खड़े मोटे लंड को सहला कर और भी सख्त करनी का प्रयास कर रहे थे। सुनील ने सबको अपनी माँ की आगे की चुदाई के लिए कोई बहुत ही अच्छा सुझाव दिया। सबने उसकी पीठ थपकी। सुधा की उन दस मिनटों में साँसे काबू में होने लगीं। सुधा को पता था कि जब उसका सारा परिवार इकट्ठे हो कर चोदता था तो वो कई बार कामानंद से अभिभूत हो बेहोश हो जाते थी। इस बार सुनील और अनिल दोनों कालीन पर विपरीत दिशा में लेट गए. सुनील ने अपनी जांघें अपने भाई की जांघों पर फैला दी. इस तरह दोनों के लंड बिलकुल करीब थे. सुधा ने मुस्करा कर सिसकी भरी और अपनी चूत को अपने दोनों बेटों के लंड पर टिका कर उनके मोटे लंड को इकट्ठे अपनी यौन-द्वार में फंसा लिया. सुधा के मुंह से जोर की दर्द भरी सिसकारी निकल गयी. उसका सुंदर चेहरा दर्द से पीला पड़ गया था. सुधा के पति ने अपने बेटों के लंड को पकड़ कर सुधा की चूत में फिट करने लगे. सुधा के ससुर और पिता ने उसकी दोनों बाहें संभाल कर उसके शरीर को नीचे दबाने लगे जिस से उसके बेटों के लंड सुधा की चूत में समा जाएँ. सुनील और अनिल अपने नितिम्बो को ऊपर उठा कर अपनी माँ की चूत में दो मोटे लंड को धकेलने में मदद कर रहे थे. सुधा ने अपने होठों को दातों में दबा कर दर्द बर्दाश्त करने का प्रयास करते हुए अपने बेटों के आधे लंड इकट्ठे अपनी चूत में ले लिए. सुनील और अनिल के लंड आधार की तरफ और भी मोटे थे. सुधा का माथा पसीने की बूंदों से भर गया. सुधा के पिता ने सुधा की पीठ के पीछे खड़े हो कर अपनी बेटी की जांघों को अपने मज़बूत हाथों में भर कर उसके पैर कालीन से ऊपर उठा लिए. अब सुधा का पूरा वज़न उसके पिता के हाथों में था. उसकी चूत अपने बेटों के लंड पर स्थिर थी. सुधा के पिता ने अपने समधी और दामाद को संकेत दिया. सुधा के पति ने अपने बेटों के लंड को अपने हाथों से संभल लिया. सुधा के ससुर ने दोनों हाथ अपने बहू के कन्धों पर रख दिए.
सुधा के पिता ने अचानक अपनी बेटी का पूरा वज़न अपने हाथों से मुक्त कर दिया, उसी समय सुधा के ससुर अपना पूरा वज़न अपनी बहू के कन्धों पर डाल कर उसे नीचे धकेलने लगे. सुधा के हलक से निकली दर्द भरी चीख से कमरा गूँज उठा. एक भयंकर धक्के में सुधा की चूत में उसके बेटों के लंड जड़ तक अंदर चले गए. सुधा सुबकते हुए अपने छोटे बेटे सुनील के ऊपर गिर पड़ी. सुनील ने अपने माँ को अपनी बाँहों में भर कर उसके मुंह पर अपना मुंह लगा दिया. सब मर्दों ने सुधा को कुछ मिनट दो मोटे लंड को अपनी चूत में समायोजित करने के लिए दिए. सुधा के पति ने सुबकती पत्नी का मुंह अपने मूसल लंड से भर दिया. सुधा के ससुर ने अपना तना हुआ मोटा लंड अपने बहू की गांड में बेदर्दी से जड़ तक अंदर डाल दिया. अगले एक घंटे पांचो मर्दों ने सुधा की बेदर्दी से चुदाई की. सुधा के पति, ससुर और पिता ने बारी बारी से सुधा की गांड की अविरत चुदाई की. सुधा के दोनों बेटे उसकी चूत में अपने मोटे लंड को तीन चार इंच अंदर बहर कर रहे थे. सुधा की दर्द भरी चीखें शीघ्र वासना की सिस्कारियों में बदल गयीं. जब एक मर्द सुधा की गांड में स्खलित हो जाता था तो उसकी जगह दूसरा मर्द ले लेता था. सुधा पहले मर्द का मल-लिप्त लंड चूस कर साफ़ और फिर से सख्त कर देती थी. उसके दोनों बेटे तीन बार अपनी माँ की चूत में स्खलित हो गए थे. उनके लंड एक बार भी शिथिल नहीं हुए. सुधा अनगिनत बार चरमोत्कर्ष के आनंद में डूब चुकी थी. लेकिन उसके लम्बे आनन्द की पराकाष्ठा और अनगिनत रति-विसर्जन ने उसे बिलकुल थका दिया. अंत में सुधा निढाल हो कालीन पर पसर गयी. जैसे ही उसके बेटों के मोटे लंड उसकी चूत से बाहर निकले उसकी चीख निकल गयी. उसके ऊपर जान छिड़कने को तैयार उसके पाँचों कौटुम्बिक अनाचारी प्रेमियों ने अपना आखिर बार का वीर्य स्खलन सुधा के सुंदर मुंह पर किया. सुधा का पूरा मुंह वीर्य से ढक गया. उसके ससुर और बेटों ने अपने लंड के प्रचंड वीर्य के स्फुरण से सुधा के दोनों नथुनों को वीर्य से भर दिया. सुधा थकी-मांदी सिर्फ कुनमुना ही सकी. उसके ससुर ने प्यार से अपनी बहू को अपनी बाँहों में उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया. पांचों मर्द, सुधा को कुछ देर आराम करने के लिए अकेला छोड़, आगे की चुदाई की योजना बनाते हुए नीचे मदिरापान के लिए चल पड़े.
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गंगा बाबा की पत्नी का देहांत १२ साल पहले हो गया. जानकी सिर्फ दस साल की थी. जानकी का शारीरिक विकास अत्यंत कालपूर्व हो रहा था.उस उम्र में भी उनका वक्षस्थल किसी पन्द्रह साल की लड़की के सामान गर्व से उनके ब्लाउज़ को भर देता था. गंगा बाबा और जानकी एक दुसरे के बहुत नज़दीक और संलग्न थे. बाप बेटी का रिश्ता इस दुःखद घटना के बाद, गंगा बाबा के शोक में डूब गया. जानकी अपने पिता को हर दिन ज्यादा शराब पीते देखती. तीन साल तक गंगा बाबा अपने विधुर्ता के दुःख में भूल गए कि उनकी बेटी का शोक अपनी माँ को खोने में उतना ही दुःख दाई था. जानकी के धैर्य ने अस्त्र फैंक दिये । अत्यंत में हार मान कर जानकी ने मेरे मम्मी से अपना दर्द बांटा. एक रात को जब गंगा बाबा ने काफी शराब पी रखी थी तब जानकी अपनी मम्मी की साड़ी में अपने पिता जी के कमरे गयीं. गंगा बाबा नशे में अपनी सुंदर अर्धांग्नी को देख कर पागल हो गए. गंगा बाबा ने जानकी के कपडे फाड़ कर उन्हें बिस्तर पर पटक दिया. गंगा बाबा ने अपने विशाल स्थूल लंड से जानकी की कुंवारी चूत की बेदर्दी से चुदाई की. गंगा बाबा ने जानकी को उस रात चार बार चोद कर बेहोश कर दिया. सुबह जब दोनों पिता-पुत्री जगे तो गंगा बाबा को समझने में कुछ देर नहीं लगी कि उनकी प्यारी इकलौती बेटी उन्हें कितना प्यार करती है. अपने पिता के महाकाय लंड से चुदवाने के बाद जानकी दीदी और उनका प्यार अपने पिता की तरफ और भी मज़बूत हो गया. तब से दोनों बाप-बेटी रोज़ अगम्यगामी रतिक्रिया के सुख में डूबे रहते थे. गंगा बाबा ने समाज की फ़िक्र से जानकी दीद का विवाह एक साल पहले एक अमीर घर में कर दिया. पर कुछ महीनों के बाद सब को साफ़ हो गया कि जानकी का पति आलसी और निकम्बा था. जानकी की तरफ उसका व्यवहार भी अस्वीकार्य था. तब से जानकी दीदी सिर्फ नाम के लिए विवाहित थीं.
बड़े मामा ने समाप्ती में कहा, "मैंने दोनों को सलाह दी है कि इस विवाह के नाटक में छुप कर दोनों अपना परिवार शुरू कर सकते हैं. फिर जानकी अपने पति से कानूनी तौर से अलग हो सकती है. उनके लिए इस घर से जुड़ा ५ शयनकक्ष का घर बना तैयार है." मैंने बड़े मामा के लंड तो चूस कर साफ़ कर दिया. बड़े मामा ने मेरा मूत्र्पान किया. बड़े मामा ने मेरी स्नान के बीच एक बार फिर से मनमोहक पर भयंकर चुदाई की. नाश्ते के बाद बड़े मामा और मैं झील की तरफ घूमने चल दिए. मुझे सारी रात और सुबह चोद कर भी बे मामा का मन नहीं भरा था। उन्होंने झील के किनारे की सैर के बीच मुझे तीन बार और चोदा।
गंगा बाबा ने सुरेश अंकल और नम्रता चाची के आगमन की इत्तिला दी. अंकल आंटी कमरे में अपने कपडे अलमारी में रख रहे थे. सुरेश शर्मा अंकल ६ फुट ऊंचे ४९ साल के बहुत मोटे मर्द थे. उनकी तोंद का मज़ाक हम सब लोग बनाते थे. नम्रता शर्मा आंटी भी , ५'५" के ४५ साल की उम्र की, थोड़ी मोटी स्त्री थीं.उनका गदराया हुए शरीर और अत्यंत सुंदर चेहेरा किसी भी मर्द को आकर्षित कर सकता था. मैं खुशी से चीख कर दौड़ कर सुरेश अंकल की खुली बाँहों में समा गयी. अंकल ने मुझे बाँहों में उठा कर मेरा मूंह चुम्बनों से भर दिया. बड़े मामा ने आंटी को गले लगाया,"नम्रता भाभी आप हमेशा की तरह किसी अप्सरा जैसी सुंदर लग रहीं है." आंटी शर्म से लाल हो गयीं, " रवि भैया आप तो मेरी प्रशंसा बस अपने प्यार के वजह से करते हैं." मैंने खुशी से किलकारी मारते हुए आंटी के आलिंगन में समा गयी. आंटी ने मेरे चेहरे को चूम चूम कर गीला कर दिया, फिर मेरे कान में फुसफुसा कर पूछा, "नेहा बेटी, रवि भैया ने तुम्हारी चूत की पूरी देखबाल की ना? मैं तो तुम्हे बिस्तर में कराहते हुए देखने की अपेक्षा कर रही थी." मैं शर्म से लाल हो गयी. अंकल आंटी दोनों को बड़े मामा और मेरे कौटुम्बिक व्यभिचार के बारे में पता था. मैंने शरमाते हुए पर इठला कर कहा कहा,"आंटी बड़े मामा ने हमें बहुत बेदर्दी से चोदा है." "रवि भैया, नेहा बेटी पर थोड़ा तो रहम करना था ना. अभी बेचारी कमसिन है और आपका लंड घोड़े से भी बड़ा है," नम्रता आंटी ने बड़े मामा को प्यार से धक्का दिया, "पर नेहा बेटी अब आप किसी भी लंड से चुदवाने के लिए तैयार हो." मैं शर्मा गयी. "नम्रता भाभी, नेहा बेटी ने हमसे कोई शिकायत नहीं की." बड़े मामा ने मुझे अपनी बाँहों में भर कर प्यार से चूमा. सुरेश अंकल ने बड़े मामा की तरफदारी की, "नेहा बेटी आप जैसी अप्सरा सुन्दरी का कौमार्य-भंग कर स्त्री बनाना कोई आसान काम नहीं है. मुझे विश्वास है कि रवि ने ज़रुरत से ज्यादा दर्द नहीं किया होगा."
"सुरेश अंकल आप बड़े मामा की तरफदारी क्यों कर रहें है. आंटी आप अंकल को कहें ना?" मैंने प्यार से अंकल के पेट में घूँसा मारा. अंकल ने मुझे हंस कर गले से लगा लिया. "नेहा बेटी, लगता है तुम्हारे अंकल तुम्हारी चूत में घुसने की योजना बना रहे है. इस लिए वो तुम्हारे दर्द को नज़रंदाज़ करने के कोशिश कर रहें है. ये भी रवि भैया के साथ मिल गए हैं." नम्रता आंटी बड़े मामा की बाँहों में समा कर बोलीं. मैंने शर्मा कर अपना मुंह अंकल के सीने में छुपा लिया.मुझे बड़े मामा पर तरस आ गया. मैंने अंकल के सीने से लगे हुए कहा, "नहीं मेरे बड़े मामा ने मेरी चुदाई बहुत अच्छे से की है. आंटी आप उनको कुछ नहीं कहें." "देखा भाभी नेहा बेटी ने मुझे माफ़ कर दिया है," बड़े मामा ठहाका लगा कर हंस दिए. बड़े मामा ने हम सबके सामने नम्रता आंटी को प्यार से चूम लिया. "रवि भैया,आज सिर्फ चुम्बन से काम नहीं चलेगा. मुझे आप से एक चुम्बन से बहुत ज़्यादा चाहिए." आंटी ने बड़े मामा की चौड़ी कमर के इर्द-गिर्द बाहें डाल कर उनसे कस कर लिपट गयीं. बड़े मामा ने अपने विशाल हाथों में आंटी के बड़े-बड़े गुदाज़ चूतड़ों को भर कर जोर से मसला और कहा, "भाभी, हम तो आप के देवी जैसे सौन्दर्य की सेवा करने के लिए तैयार हैं यदि सुरेश और नेहा को कोई आपत्ती नहीं हो तो." अंकल ने मेरी तरफ देखा. मैंने शर्म से लाल अपना मुंह अंकल के सीने में फिर से छुपा लिया और सिर्फ अपना सर हिला कर अनुमति दे दी. हम सब भोजन कक्ष की तरफ चल पड़े. अंकल-आंटी गंगा बाबा और जानकी दीदी से गले मिले. "आंटी, यदि आप एक दिन और रुक सकते हों तो रुक जाइये," जानकी दीदी ने आंटी से अनुरोध किया. अंकल ने जल्दी से सिर हिला कर आंटी को अपनी अनुमती देदी. आंटी ने भी हामी भर कर जानकी के चेहरा खुशी से भर दिया. खाना ख़त्म होते ही गंगा बाबा ने सब नौकरों को विदा कर दिया. हम सब मदिरापान करने बैठक में चले गए. दो गिलास मदिरा के बाद गंगा बाबा ने जानकी की बाजू पकड़ कर उठाया और विदा मांगी. "जानकी, लगता है आज रात तुम्हारी चूत की खैर नहीं है. गंगा, की बेसब्री छुप नहीं पा रही". आंटी ने जानकी की चुटकी ली. जानकी शर्मा कर लाल हो गयी,"पापा तो रोज़ मेरी हालत बुरी कर देतें है.पर मुझे भी उनके बिना चैन नहीं पड़ता." हम सब हंस दिए और दोनों को शुभ-रात्री की कामना के साथ विदा किया. अंकल 'सुधा' के कौटुम्बिक-व्यभिचार के दूसरी किश्त ले कर आये थे. हम सब चलचित्र-गृह की तरफ चल दिए. बड़े मामा ने नम्रता आंटी का हाथ खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया. आंटी ने भी अपनी बाहें बड़े मामा की गर्दन पर दाल दीं मैं बड़े मामा और आंटी के बीच खुली संभोग पूर्व क्रीड़ा से प्रभावित हो गयी. जब अंकल ने मेरा हाथ पकड़ा तो मै स्वतः उनकी गोद में समा गयी. अंकल ने रिमोट से फिल्म शुरू कर दी.
सुधा अपने ससुर की हिंसक चुदाई के बाद थोड़ी देर आराम करने के लिए लेट गयी थी. बेचारी सुधा तीन परिवार के लंड से चुदवा कर बहुत थक गयी थी और वो देर तक सोती रही. नीचे एक करीब ६० साल का एक हृष्ट-पुष्ट पुरुष सूटकेस के साथ हॉल में खड़ा था. उसकी शक्ल काफी सुधा से मिलती-जुलती थी. उसने सूटकेस फर्श पर रख कर सुधा को ढूँढने लगा. अपनी बेटी को नीचे ना पा कर सुधा के पिताजी ऊपर चल पड़े. विश्राम-गृह में उनकी प्यारी बेटी नग्न बिस्तर में सो रही थी. पिता ने प्यार भरी निगाह से अपनी सोती बेटी को निहारा. सुधा के विशाल नर्म उरोज़ उसकी गहरी सांसों से ऊपर-नीचे हो रहे थे. उसकी गोल कमर और फूले हुए बड़े नितिम्ब अत्यंत सुंदर थे. सुधा की खुली जांघों के बीच घनी झांटों से ढका योनिद्वार मानो उसके पिता को निमंत्रित कर रहा था. सुधा के पिता ने अपने कपडे जल्दी से उतार दिए. सुधा के पिता का लंड कुछ ही क्षणों में तन कर खड़ा हो गया. उनका लंड दस इंच लम्बा और बहुत मोटा था. सुधा की आँख अचानक खुल गयी. अपने पिता को कमरे में देख कर सुधा का चेहरा खुशी से खिल उठा," सॉरी, पापा में आपके लिए पूरी तैयार होना चाहती थी पर मेरी आँख ही नहीं खुली." सुधा के पिता लपक कर बिस्तर पर चढ़ गए और अपनी नग्न बेटी को बाँहों में भर लिया, "बेटा, आप इस से और अच्छी तरह मेरे लिए तैयार नहीं हो सकते थे." सुधा ने अपना आधा खुला मुंह अपने पिता को अर्पण कर दिया. सुधा के पिता अपनी बेटी के खुले मुंह से अपना भूखा मुंह लगा कर सुधा के मुंह का रसास्वादन करने लगे. उनके दोनों हाथ अपनी बेटी के उरोज़ों को मसलने में व्यस्त हो गए. सुधा ने सिसकारी मार कर अपने पिता के मूसल लंड को अपने छोटे-छोटे हाथों से सहलाना शुरू कर दिया. सुधा ने अपने पिता का विशाल शरीर को प्यार से धक्का दे कर बिस्तर पर चित लिटा दिया। सुधा ने अपना खुला मुंह अपने पिता के लोहे जसे सख्त विशाल लंड के सुपाड़े के ऊपर रख दिया। सुधा का हृदय अपने पिता की मीठी सिसकारी सुन कर प्रसन्न हो गया। उसने प्यार से धीरे-धीरे अपने जीभ से अपने पिता के पूरे सुपाड़े को चाटना शुरू कर दिया। अपनी बेटी की जीभ की मीठी यातना से उसके पिता का लंड थरथरा उठा। सुधा के पिताजी को वो दिन साफ़ साफ़ याद था जब उन्होंने अपनी बेटी की कुंवारी चूत पहली बार चोदी थी। इतने सालों के बाद भी उन्हें अपनी बेटी की चूत की भूख बिलकुल भी कम नहीं हुई थी। सुधा ने अपने पिता के लंड के सुपाड़े को चाट कर अपने जीभ की नोक उसके पेशाब-छिद्र में डाल दी। उसके पिता ने अपना भारी हाथ सुधा के सर के पीछे रख कर अपने लंड के ऊपर दबाने लगे। सुधा ने आज्ञाकारी बेटी की तरह अपना मुंह पूरा खोल कर अपने पिताजी का मोटा लंड अपने मुंह में ले लिया। पिताजी ने सिकारते हुए सुधा को और भी उत्साहित किया, "सुधा बेटी, मेरा लंड चूसो। मेरा लंड और भी अपने मुंह के भीतर डालो। सुधा ने अपने पिता का जितना हो सकता था उतना भारी-भरकम मूसल जैसा लंड अपने मुंह में ले कर अपने थूक से गीला कर दिया। उसने अपना मुंह पिता के लंड से उठा कर अपने मुंह को थूक से भर कर उनके लंड के ऊपर उलेढ़ दिया। सुधा के पिताजी का सारा वृहत लंड अपनी बेटी के मीठी लार से सराबोर हो गया। सुधा ने अपने पिताजी का भीमकाय लंड एक बार फिर से अपने मुंह में ले लिया और अपना मुंह ऊपर नीच कर उनके लंड को चूसने लगी। उसके नाज़ुक छोटे छोटे हाथ हाथ अपने पिता के थूक से गीले मोटे लंड के ऊपर नीचे फिरकने लगे। सुधा के पिता जी के मुंह से सिकारियां फूटने लगीं। उन्होंने बेसब्री से अपनी बेटी की भारी गुदगुदी गांड को अपने मजबूत हाथों से खींच कर उसकी चूत अपने मुंह के ऊपर लागा ली। जैसे ही सुधा के पिताजी की जीभ ने उसकी झांटों को फैला कर उसकी चूत की दरार को अपनी जीभ से खोल कर चाटना शुरू कर दिया। सुधा के मुंह से निकली सिसकारी अपने पिताजी के लंड के ऊपर घुट कर रह गयी। दोनों पिता और बेटी एक दुसरे को अपने मुंह से सुख देने लगे। सुधा के पिताजी ने अपनी बेटी की मीठी चूत हज़ारों बार चाट रखी थी फिर भी उसकी महक और स्वाद ने उन्हें बिलकुल पागल कर दिया। सुधा भी अपने पिताजी के मीठे लंड को मुंह में ले लालची भूखी स्त्री की तरह चूसने लगी। उसके पिता का लंड उसकी वासना को कुछ ही क्षण में भड़काने में अभ्यस्त था। पिता और बेटी बड़ी देर तक एक दुसरे के लंड और चूत को अपने मुंह से चाट और चूस कर एक दुसरे के शरीर में कामुकता के तूफ़ान को जगाने लगे।
दोनों पिता-पुत्री अगम्यागमन के अनाचार में लिप्त प्रेमी शीघ्र अत्यंत उत्तेजित हो गए, "पापा मुझे आपका लंड अपनी चूत में चाहिए. मुझे अपने घोड़े जैसे लंड से चोदिये," सुधा ने कामंग्नी में मस्त वासना भरी आवाज़ से अपने पिताजी को उसे चोदने के लिए उत्साहित किया. सुधा के पिता बेसब्री से अपनी बेटी के फ़ैली जांघों के बीच में बैठ कर अपना लंड का मोटा सुपाड़ा अपनी बेटी की योनी के दरार पर रगड़ने लगे. सुधा की सिस्कारियों ने उन्हें अपनी बेटी की चुदाई के लिए और भी उत्साहित कर दिया. आखिर में सुधा के पिता ने अपने लंड के सुपाड़े को अपनी बेटी की योनी द्वार में घुसेड़ दिया. पिता ने सुधा के दोनों उरोज़ों को कस कर अपने शक्तिशाली हाथों में भर कर तीन भयंकर धक्कों से अपना लम्बा मोटा लंड जड़ तक अपनी बेटी की चूत में दाल दिया. सुधा के वासना भरी चीख से कमरा गूँज उठा, “आह, पिताजी .. ई .. धीरे चोद ...ई आह दर्द मत कीजिये," सुधा की चूत बिलबिला उठी अपने पिताजी के मूसल को अंदर लेने से।
सुधा के पिता शीघ्र अपने मोटे लंड से अपनी बेटी को किसी वहशी की तरह चोदने लगे. सुधा के मुंह से अविरत सिस्कारियां निकलने लगी.
सुधा की चूचियां का मर्दन और उसकी भयंकर चुदाई ने मेरी चूत भी गीली कर दी. मेरे गांड में अंकल का सख्त लंड चुभ रहा था. अंकल के दोनों हाथ मेरे उरोज़ों को मसल रहे थे.
फिल्म में सुधा की चुदाई की रफ़्तार और भी तेज़ हो गयी. सुधा के सिस्कारियां और चीखें उसके पिता को और भी उत्साहित कर रहीं थी. सुधा थोड़ी देर में चरमोत्कर्ष के प्रभाव में चीख कर अपने रति-विसर्जन से कांपने लगी. सुधा के पिता अपनी बेटी के ऊपर लेट गए और उसके कांपते हुए शरीर को अपनी बाँहों में भर कर उसके भरी भरी सांस लेते आधे खुले मुंह को अपने होंठो से चूमने लगे। कुछ देर में सुधा के थोड़ा संतुलित होते ही उसके पिता ने अपनी बेटी को घोड़ी बना कर पीछे से उसकी चूत मारना शुरू कर दिया. सुधा के पिताजी ने अपने सेब जैसे सुपाड़े को एक ही झटके में अपनी बेटी की मादक रेशम से मुलायम चूत में घुसेड़ कर भयंकर धक्कों से अपना सारा लंड अपनी सिसकती हुई बेटी की चूत में डाल दिया। सुधा कराह उठी, "आह, पिताजी, आपका लंड आह ... कितना आह ... मोटा आह ... है ...आन्न्न्न्ह्ह्ह्ह्ह्ह, मार डाला आपने अपनी बेटी को आआह ....ऊन्न्नग्ग।" सुधा के विशाल उरोज़ पिता के लंड के भीषण धक्कों से बड़े-बड़े गुब्बारों जैसे हिल रहे थे. सुधा के पिताजी अपनी बेटी की वासना की परिधियों से पूरी तरह परिचित थे। उन्हें पता था कि वो चाहें जितनी ज़ोर से अपनी बेटी की चूत मार कर उसे दर्द करें उनकी बेटी अपनी चूत मरवाने से कभी भी पीछे नहीं हटेगी। सुधा के पिताजी ने अपनी बेटी के भारी, मुलायम विशाल मटकते हुए स्तनों को अपने हाथों में भर लिया और उसकी मादक चूचियों को ज़ोर से मसलने लगे। उनके अन्गुंठे और तर्जनी ने अपनी बेटी के सख्त तनतनाये हुए निप्पलों को कस कर भींच कर मड़ोड़ दिया। उन्हें अपनी बेटी के गले से दर्द और आनंद की मिली जुली चीख ने और भी उत्तेजित कर दिया। उन्होंने अपनी बेटी की कोमल चूचियों का मर्दन और भी बेदर्दी से करना आरंभ कर दिया। उनके पहले से ही भीषण लंड के धक्के और भी विध्वंसक हो चले। सुधा की सांस अब अटक अटक कर आ रही थी। वो अपने पिताजी की निर्मम वासनामयी चुदाई के कारण फिर से झड़ने वाली थी। सुधा एक घुटी घुटी चीख मार कर झड़ने लगी। उसका मीठा सुगन्धित चूतरस उसके पिता के रेल के पिस्टन के जैसे मोटे लंड को नहलाने लगा। सुधा के पिताजी अपनी बेटी को झड़ते देख कर और भी तेजी से उसकी चूत में अपना भयंकर लंड मूसल की तरह पेलने लगे। सुधा दस मिनट में फिर से स्खलित हो गयी. इस बार उसके पिता ने भी अपना लंड अपनी बेटी की चूत में खोल दिया. सुधा निढाल बिस्तर में पसर गयी.पर उसके पिता अभी पूरे संतुष्ट नहीं हुए थे. उनका लंड अभी भी खड़ा था. उन्होंने अपनी बेटी को पलट कर एक बार फिर उसकी कमर पर लिटा दिया। उन्होंने अपनी निढाल बेटी की दोनों टांगें ऊपर उठा कर अपना विशाल लंड उसकी छोटी से गांड के छिद्र पर लगा दिया. जैसे ही उसके पिता का मोटा अमानवीय लंड उसकी गांड के छल्ले के अंडर गया सुधा के गले से हल्की चीख उबल पड़ी. सुधा के पिता ने तीन-चार धक्कों में पूरा लंड बेटी की गांड में डाल दिया. सुधा की गांड की चुदाई पहले धीरे-धीरे शुरू की और थोड़ी देर में ही उसके पिता का विशाल लंड सटासट सुधा की गांड मार रहा था.
इस दौरान सुधा के दोनों बेटे वापस आ गए. दोनों तभी खेल कर वापस आ रहे थे। उहोने नीचे हाल में अपने नानाजी का सूटकेस देख के बिना देर लगाए अपनी माँ के शयनकक्ष की और दौड़ लगा दी। दोनों पसीने से भीगे हुए थे। रोज़मर्रा वाले दिन दोनों पहले नहाने जाते पर उस दिन अनिल और सुनील नानाजी को अपने मां की चुदाई करते देख कर जल्दी से नंगे हो कर बिस्तर पर कूद पड़े. नाना ने दोनों का मुस्करा कर स्वागत किया. दोनों ने जल्दी से नानजी को चूम कर नमस्ते की। अपने बेटों के पसीने की महक ने सुधा की वासना को और भी बुलंद कर दिया। दोनों भी अपनी माँ के मुंह के दोनों तरफ घुटनों पर बैठ गए। दोनों बड़ी एकाग्रता से नानाजी को अपनी माँ की गांड मारते हुए देख रहे थे। दोनों अपनी माँ की तंग गुदा को नानाजी के मोटे मूसल पर चौड़ी होते देख कर उत्तेजित हो गए। सुधा के पिताजी लम्बे जोरदार धक्कों से अपनी बेटी की गांड बड़ी तन्मयता से चोद रहे थे। उन्होंने अपने धेवतों की वासना का भी अहसास था। सुधा ने सिसकते हुए अपने बेटों के लंड को चूस कर पूरा सख्त कर दिया. सुधा के पिता ने अपना मल-लिप्त लंड अपनी बेटी की गांड से निकाल कर उसकी चूत में ढूंस दिया. सुधा के बेटे अपने माँ की चूचियों का मर्दन कर रहे थे. सुधा के पिता ने दस-बीस भयंकर धक्कों से अपने बेटी की चूत को चोदा और फिर सुधा की चूत से अपना लंड निकाल कर सुधा की गांड में हिंसक ताकत से डाल दिया. सुधा के पिता ने अपनी बेटी को जकड़ कर अपनी कमर पर पलट गए. अब सुधा की चूत उसके बेटों के लिए प्रस्तुत थी. अनिल ने अपना ८इन्च का मोटा लंड अपनी माँ की चूत में बेदर्दी से ढूंस दिया. सुधा की सिस्कारियां और चीखें अविरत कमरे में गूँज रही थी. सुनील ने अपने दोनों टाँगे अपनी माँ के सीने के दोनों तरफ रखी कर उसकी चूचियों पर बैठ गया. सुनील ने अपना मोटा लंड अपनी बिलखती माँ के खुले मुंह में डाल दिया. सुधा के तीन जान से भी प्यारे मर्द उसकी चूत और गांड को विध्वंस रूप से चोद रहे थे. सुधा का अपने परिवार के पुरुषों से प्यार का इस से अच्छा और कोई प्रमाण नहीं हो सकता था. तीनो ने सुधा को चार बार झाड़ कर अपने लंड का वीर्य-स्खलन कर दिया. चारों अनाचारी प्रेमी बिस्तर पर थोड़ी देर आराम करने को लेट गए. पर कुछ ही क्षणों में सुधा के बेटों का लंड फिर से तन गया. सुधा मुसकराई और अपने बेटों को अपनी बाँहों में भर लिया. तभी सुधा के पति और ससुर ने कमरे में प्रवेश किया. दोनों बिस्तर के दृश्य से प्रसन्न हो गए. दोनों ने अपने कपडे उतार कर अपने मोटे लम्बे लंड को तैयार करने लगे. सुधा के पिता अपनी बेटी को बाँहों में उठा कर कालीन पर ले आये, जिस से पाँचों मर्दों को सुधा को चोदने के लिए पर्याप्त जगह मिल सके.
थोड़ी देर बाद लम्बी चुदाई की थकान गायब हो गयी और सुधा अपने पांच पुरुषों को प्यार से अपनी हल्की भूरी आँखों से देख कर उन्हें चुदाई का निमंत्रण देने लगी। सुधा के ससुर कालीन पर लेट गए और उन्होंने अपनी बहु को अपने खड़े मोटे लम्बे लंड के ऊपर खींच लिया। सुधा ने जल्दी से अपनी गीली छूट को अपने ससुर के खम्बे जैसे लंड के ऊपर लगाकर अपनी गांड नीचे दबाने लगी। उसकी मीठी सिसकारी के साथ उसकी मीठी सुगन्धित चूत इंच-इंच कर के ससुरजी के विशाल लंड को निगलने लगी। जैसे ही उसकी चूत के मुलायम भगोष्ट अपने ससुर के वृहत लंड की जड़ पर पहुंचे सुधा ने उनके लंड को अपने संकरी चूत की मांसपेशियों से जकड़ लिया। ससुर जी की हल्की सिसकारी ने सुधा के अत्यंत वासना से लिप्त सुंदर चेरे पर मुस्कान ला दी। सुधा को थोड़ा अहसास था कि पीछे खड़े उसके परिवार के पुरुष क्या प्लान बना रहे थे। जैसा सुधा ने सोचा था, उसके पति, उमेश, ने अपना मोटा लम्बा लंड अपनी पत्नी की छोटी सी गांड के छल्ले पर लगा कर अंडर डालने के लिए दबाने लगे। सुधा की सिसकारी ने उसके गांड में उपजे दर्द की घोषणा कर दी। सुधा अभी अपने को अपने पति के जानदार धक्के के लिए तैयार कर रहे थी कि उसका छोटा बेटा, अनिल, उसके मुंह के सामने आ गया। सुधा ने बिना देर लगाए अपने बेटे का खड़ा मोटा लंड अपने मुंह में ले लिया। उमेश ने पूरी ताकत से अपने पत्नी की कोमल गांड को फाड़ने के काबिल भयंकर धक्के से अपनी लंड उसकी गांड में बेदर्दी से घुसेड़ दिया। अनिल के लंड ने अपनी माँ की चीख को दबा दिया अनिल ने भी अपनी माँ के चेहरे को कास कर पकड़ कर अपने लंड से सुधा के कोमल मुंह को चोदना शुरू कर दिया। सुधा के मुंह से सिर्फ 'गोंगों ' की आवाज़ें निकल पा रहीं थी। सुधा के पति का लंड अपने पिता जैसे ही लम्बा और मोटा था। सुधा को दोनों भीमकाय लंड एक साथ लेते हुए शुरू की चुदाई में बहुत दर्द होता था। पर जब उसकी गांड और चूत मोटे लंदों के इर्द-गिर्द फ़ैल जाती थी तो उसके आनंद की कोई सीमा नहीं थी। थोड़ी देर बाद लम्बी चुदाई की थकान गायब हो गयी और सुधा अपने पांच पुरुषों को प्यार से देख कर उन्हें चुदाई का निमंत्रण अपनी हल्की भूरी आँखों से देने लगी। सुधा के ससुर कालीन पर लेट गए और उन्होंने अपनी बहु को अपने खड़े मोटे लम्बे लंड के ऊपर खींच लिया। सुधा ने जल्दी से अपनी गीली छूट को अपने ससुर के खम्बे जैसे लंड के ऊपर लगाकर अपनी गांड नीचे दबाने लगी। उसकी मीठी सिसकारी के साथ उसकी मीठी सुगन्धित चूत इंच-इंच कर के ससुरजी के विशाल लंड को निगलने लगी। जैसे ही उसकी चूत के मुलायम भगोष्ट अपने ससुर के वृहत लंड की जड़ पर पहुंचे सुधा ने उनके लंड को अपने संकरी चूत की मांसपेशियों से जकड़ लिया। ससुर जी की हल्की सिसकारी ने सुधा के अत्यंत वासना से लिप्त सुंदर चेरे पर मुस्कान ला दी। सुधा को थोड़ा अहसास था कि पीछे खड़े उसके परिवार के पुरुष क्या प्लान बना रहे थे। जैसा सुधा ने सोचा था, उसके पति, उमेश, ने अपना मोटा लम्बा लंड अपनी पत्नी की छोटी सी गांड के छल्ले पर लगा कर अंडर डालने के लिए दबाने लगे। सुधा की सिसकारी ने उसके गांड में उपजे दर्द की घोषणा कर दी। सुधा अभी अपने को अपने पति के जानदार धक्के के लिए तैयार कर रहे थी कि उसका छोटा बेटा, अनिल, उसके मुंह के सामने आ गया। सुधा ने बिना देर लगाए अपने बेटे का खड़ा मोटा लंड अपने मुंह में ले लिया। उमेश ने पूरी ताकत से अपने पत्नी की कोमल गांड को फाड़ने के काबिल भयंकर धक्के से अपनी लंड उसकी गांड में बेदर्दी से घुसेड़ दिया। अनिल के लंड ने अपनी माँ की चीख को दबा दिया अनिल ने भी अपनी माँ के चेहरे को कास कर पकड़ कर अपने लंड से सुधा के कोमल मुंह को चोदना शुरू कर दिया। सुधा के मुंह से सिर्फ 'गोंगों ' की आवाज़ें निकल पा रहीं थी। सुधा के पति का लंड अपने पिता जैसे ही लम्बा और मोटा था। सुधा को दोनों भीमकाय लंड एक साथ लेते हुए शुरू की चुदाई में बहुत दर्द होता था। पर जब उसकी गांड और चूत मोटे लंदों के इर्द-गिर्द फ़ैल जाती थी तो उसके आनंद की कोई सीमा नहीं थी।
पांच दस मिनट में सुधा की बेदर्दी से चुदती गांड और चूत का दर्द बिलकुल गायब सा हो गया और वो अपनी कमर और चूतड़ को हिला-हिला कर दोनों लंदों की अपनी चूत और गांड मारने के लिए पूरी सहायता कर रही थी। सुनील और सुधा के पिताजी अपने लोहे जैसे सख्त लंडो से सुधा के कोमल हाथों को भर दिया। सुधा अपने सारे परिवार के पाँचों पुरुषों के लंडों को सुख देने लगी। सुधा अगले दस मिनट में फिर से झड़ गयी। उमेश ने अपना लंड अपनी पत्नी की गांड में से निकाल लिया और अपनी जगह अपने ससुर को दे दी। अनिल ने अपना लंड अपनी माँ के मुंह से निकाल कर उसे अपने पितजी के माँ की गांड से निकले लंड के लिए खाली कर दिया। सुधा ने अपने पति का उसकी गांड के रस से सुगन्धित लंड को अपने मुंह में भर कर चाटने और साफ़ करने लगी। अनिल ने अपने लंड अपनी माँ के खाली हाथ में भर दिया। सुधा के परिवार के पांच पुरुष सुधा की चूत और गांड को मिल कर चेन बना कर अपने विशाल लंडों से चोदने लगे। सुधा की चूत बार बार झड़ रही थी। क्योंकि हर लंड को चूत और गांड के बाहर शांत होने का अवसर मिल रहा था इसकी वजह से पाँचों लंड बिना झड़े
अगले दो घंटों तक सुधा की गांड और चूत को रगड़-रगड़ कर निर्ममता से चोदते रहे। सुधा का शरीर अनगिनत रति-विसर्जन से थकने लगा। सुधा का मुंह भी अपनी मलाशय से निकले मोटे लंडों को चूस चूस कर थक गया था। पांच मर्द अपने खड़े मोटे लंड को सहला कर और भी सख्त करनी का प्रयास कर रहे थे। सुनील ने सबको अपनी माँ की आगे की चुदाई के लिए कोई बहुत ही अच्छा सुझाव दिया। सबने उसकी पीठ थपकी। सुधा की उन दस मिनटों में साँसे काबू में होने लगीं। सुधा को पता था कि जब उसका सारा परिवार इकट्ठे हो कर चोदता था तो वो कई बार कामानंद से अभिभूत हो बेहोश हो जाते थी। इस बार सुनील और अनिल दोनों कालीन पर विपरीत दिशा में लेट गए. सुनील ने अपनी जांघें अपने भाई की जांघों पर फैला दी. इस तरह दोनों के लंड बिलकुल करीब थे. सुधा ने मुस्करा कर सिसकी भरी और अपनी चूत को अपने दोनों बेटों के लंड पर टिका कर उनके मोटे लंड को इकट्ठे अपनी यौन-द्वार में फंसा लिया. सुधा के मुंह से जोर की दर्द भरी सिसकारी निकल गयी. उसका सुंदर चेहरा दर्द से पीला पड़ गया था. सुधा के पति ने अपने बेटों के लंड को पकड़ कर सुधा की चूत में फिट करने लगे. सुधा के ससुर और पिता ने उसकी दोनों बाहें संभाल कर उसके शरीर को नीचे दबाने लगे जिस से उसके बेटों के लंड सुधा की चूत में समा जाएँ. सुनील और अनिल अपने नितिम्बो को ऊपर उठा कर अपनी माँ की चूत में दो मोटे लंड को धकेलने में मदद कर रहे थे. सुधा ने अपने होठों को दातों में दबा कर दर्द बर्दाश्त करने का प्रयास करते हुए अपने बेटों के आधे लंड इकट्ठे अपनी चूत में ले लिए. सुनील और अनिल के लंड आधार की तरफ और भी मोटे थे. सुधा का माथा पसीने की बूंदों से भर गया. सुधा के पिता ने सुधा की पीठ के पीछे खड़े हो कर अपनी बेटी की जांघों को अपने मज़बूत हाथों में भर कर उसके पैर कालीन से ऊपर उठा लिए. अब सुधा का पूरा वज़न उसके पिता के हाथों में था. उसकी चूत अपने बेटों के लंड पर स्थिर थी. सुधा के पिता ने अपने समधी और दामाद को संकेत दिया. सुधा के पति ने अपने बेटों के लंड को अपने हाथों से संभल लिया. सुधा के ससुर ने दोनों हाथ अपने बहू के कन्धों पर रख दिए.
सुधा के पिता ने अचानक अपनी बेटी का पूरा वज़न अपने हाथों से मुक्त कर दिया, उसी समय सुधा के ससुर अपना पूरा वज़न अपनी बहू के कन्धों पर डाल कर उसे नीचे धकेलने लगे. सुधा के हलक से निकली दर्द भरी चीख से कमरा गूँज उठा. एक भयंकर धक्के में सुधा की चूत में उसके बेटों के लंड जड़ तक अंदर चले गए. सुधा सुबकते हुए अपने छोटे बेटे सुनील के ऊपर गिर पड़ी. सुनील ने अपने माँ को अपनी बाँहों में भर कर उसके मुंह पर अपना मुंह लगा दिया. सब मर्दों ने सुधा को कुछ मिनट दो मोटे लंड को अपनी चूत में समायोजित करने के लिए दिए. सुधा के पति ने सुबकती पत्नी का मुंह अपने मूसल लंड से भर दिया. सुधा के ससुर ने अपना तना हुआ मोटा लंड अपने बहू की गांड में बेदर्दी से जड़ तक अंदर डाल दिया. अगले एक घंटे पांचो मर्दों ने सुधा की बेदर्दी से चुदाई की. सुधा के पति, ससुर और पिता ने बारी बारी से सुधा की गांड की अविरत चुदाई की. सुधा के दोनों बेटे उसकी चूत में अपने मोटे लंड को तीन चार इंच अंदर बहर कर रहे थे. सुधा की दर्द भरी चीखें शीघ्र वासना की सिस्कारियों में बदल गयीं. जब एक मर्द सुधा की गांड में स्खलित हो जाता था तो उसकी जगह दूसरा मर्द ले लेता था. सुधा पहले मर्द का मल-लिप्त लंड चूस कर साफ़ और फिर से सख्त कर देती थी. उसके दोनों बेटे तीन बार अपनी माँ की चूत में स्खलित हो गए थे. उनके लंड एक बार भी शिथिल नहीं हुए. सुधा अनगिनत बार चरमोत्कर्ष के आनंद में डूब चुकी थी. लेकिन उसके लम्बे आनन्द की पराकाष्ठा और अनगिनत रति-विसर्जन ने उसे बिलकुल थका दिया. अंत में सुधा निढाल हो कालीन पर पसर गयी. जैसे ही उसके बेटों के मोटे लंड उसकी चूत से बाहर निकले उसकी चीख निकल गयी. उसके ऊपर जान छिड़कने को तैयार उसके पाँचों कौटुम्बिक अनाचारी प्रेमियों ने अपना आखिर बार का वीर्य स्खलन सुधा के सुंदर मुंह पर किया. सुधा का पूरा मुंह वीर्य से ढक गया. उसके ससुर और बेटों ने अपने लंड के प्रचंड वीर्य के स्फुरण से सुधा के दोनों नथुनों को वीर्य से भर दिया. सुधा थकी-मांदी सिर्फ कुनमुना ही सकी. उसके ससुर ने प्यार से अपनी बहू को अपनी बाँहों में उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया. पांचों मर्द, सुधा को कुछ देर आराम करने के लिए अकेला छोड़, आगे की चुदाई की योजना बनाते हुए नीचे मदिरापान के लिए चल पड़े.
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