Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery नेहा का परिवार : लेखिका सीमा Completed!
#15
Update 11

मेरी चूत समरक्त व्यभिचार की अश्लील सिनेमा देख कर गीली हो गयी. मेरे नन्हे मुलायम हाथ बड़े मामा के प्रचंड विशाल लंड को सहला कर उसे और भी प्रचंड बनाने लगे। बड़े मामा का लंड फिल्म के ससुर से बहुत मोटा और कम से कम दो-तीन इंच लंबा था. "नेहा बेटा, हम लोग बिस्तर में चलें?| बड़े मामा ने मेरी कामवासना लिप्त चेहरा देख कर शरारत से पूछा. शयनकक्ष में पहुँचते ही बड़े मामा ने मुझे प्यार से वस्त्रहीन कर दिया। शीघ्र ही मैं निवस्त्र बिस्तर में लेती बड़े मामा को कपड़े उतारते हुए देख रही थी. बड़े मामा भी निवस्त्र हो कर मेरे साथ बिस्तर में लेट गए. हम दोनों ने एक दुसरे को बाँहों में भर कर खुले मुंह से चूमने लगे. बड़े मामा ने मेरे गुदाज़ नितिम्बों को मसलते हुए मेरे मुंह में अपनी जीभ डाल कर मेरे सारे मुंह के अंदर सब तरफ घूमा दी. मैंने भी अपने जीभ बड़े मामा की जीभ से भीड़ा कर उनके मीठे मुंह के स्वाद का आनंद लेने लगी. बड़े मामा ने मुझे चित लिटा कर मेरे मुलायम बड़ी चूचियों को अपने मूंह से उत्तेजित करने लगे. बड़े मामा ने मेरे चूचुक अपने मूंह में भर कर उनको पहले धीरे-धीरे फिर ज़ोर से चूस-चूस कर मेरी सिसकारी निकल दी. बड़े मामा ने मेरे गोल भरे हुए पेट को चूमते हुए मेरी गीली चूत के ऊपर अपना मूंह रख कर मेरी हल्की सुनहरी झांटों को अपने जीभ से भाग कर मेरी चूत के द्वार के अंदर डाल दी. मेरी ज़ोर की सिसकारी ने बड़े मामा को भी उत्तेजित कर दिया. बड़े मामा ने मेरी चूत और भगशिश्निका को अपनी जीभ और मुंह से सता कर मेरी वासना को चरम सीमा तक पहुंचा दिया. बड़े मामा ने अपनी खुरदुरी जीभ से मेरे क्लीटोरिस को चाट कर मुझे बिलकुल पागल सा कर दिया। उनकी एक उंगली अहिस्ता से मेरी गीली मचलती चूत में फिसल कर अंदर चली गयी। उन्होंने अपनी उंगली को टेड़ा कर के मेरी योनी के सुरंग के आगे की दीवार को रगड़ने लगे। उनकी जीभ और उंगली दोनों ही मुझे एक बराबर का आनंद दे रहीं थीं। अचानक बड़े मामा ने अपने होंठों में मेरा भग-शिश्न को भींच कर अपनी उंगली को तेजी से मेरी चूत की दीवार को रगड़ना शुरू कर दिया। उनकी अभ्यस्त जीभ और उंगली ने मेरे कमसिन कच्चे शरीर को वासना के समुन्द्र में फैंक दिया। मैं ज़ोर से सिसक उठी। मैं अब झड़ने के लिए व्याकुल थी। यदि बड़े मामा मेरे क्लिटोरिस अपने दाँतों से चबा भी डालते तो मैं कोई शिकायत नहीं करती। "आह...मामाजी...आंह ...ऊम्म्म्म...हं..हं.. आ..आ...आह्ह्ह मेरी चू..ऊ..ऊ...त आह्ह.मैं आने वाली हूँ," मेरी सिस्कारियों ने बड़े मामा को मेरे सन्निकट रति-निष्पत्ति की घोषणा कर दी. बड़े मामा ने मेरी चूत चूसना रोक दिया. बड़े मामा ने मुझे मेरे यौन चरमोत्कर्ष के द्वार से पीछे खींच कर मुझे आश्चर्यचकित कर दिया. मैं वासना के अतिरेक से बिलबिला रही थी। बड़े मामा ने मेरी दोनों भरी-भरी गोल झांघें उठा कर फैला दीं. बड़े मामा ने अपना मूंह मेरी गांड के ऊपर रख उसको प्यार से चूमा. मेरे मूंह से घुटी-घुटी सिसकारी निकल पड़ी. बड़े मामा की जीभ शीघ्र ही मेरी गांड के छिद्र को तड़पाने तरसाने लगी.
मेरी गांड का छल्ला बारी-बारी से शिथिल और संकुचित होने लगा. बड़े मामा ने मेरी गांड के मलद्वार को अपनी जीभ से चूम कर मेरी वासना को और भी प्रज्ज्वलित कर दिया. बड़े मामा की जीभ की नोक आखिरकार मेरी गुदा-द्वार के अंदर दाखिल हो गयी. मेरी सिस्कारियों ने बड़े मामा को मेरी गांड को और भी चूसने-चूमने का निमंत्रण भेजा. मेरा कुछ देर पहले का सन्निकट चरम-आनंद मेरे अविकसित शरीर को फिर से उमेठने लगा. मेरी गांड स्वतः बड़े मामा के मूंह से चुपकने का प्रयास करने लगी. बड़े मामा ने पहले की तरह मेरे चूत को रति-निष्पत्ति होने से पहले ही मेरी गांड से अपना मूंह हटा लिया. मेरी वासना के अनबुझी आग ने मेरे मस्तिष्क को पागल कर दिया. मैं बड़े मामा के सामने गिड़गिड़ाने लगी,"बड़े मामा आप मुझे इतना क्यों तरसा रहें हैं? मेरी चूत झाड़ दीजिये. प्लीज़." मैं अपने चूतड़ पलंग से उठा कर अपनी गांड और चूत अपने बड़े मामा के मुंह के पास ले जाने का प्रयास कर रही थी। बड़े मामा ने अपने तने हुए हल्लवी लंड से मेरी चूत रगड़ और *मेरे ऊपर नीचे गिरते-उठते पेट पर को अपने हाथ से मसल कर बोले, "नेहा बेटा मुझे आपकी गांड मारनी है." "बड़े मामा, मुझे बहुत दर्द होगा?" बड़े मामा ने गौर किया होगा िक मैंने मना नहीं किया. इस वक़्त मैं बड़े मामा की हर शर्त मान लेती. मेरी वासना की संतुष्टी की चाभी बड़े मामा का महाकाय लंड था. मेरी छोटी सी गांड के अंदर बड़े मामा के विकराल स्थूल लंड के जाने के विचार से ही मैं सिहर गयी। बड़े मामा ने आश्वासन दिया,"नेहा बेटा दर्द तो होगा. दर्द तो चूत मरवाने में भी हुआ था. पर अब आप चूत मरवाने से कितने खुश हैं." बड़े मामा मेरे दोनों उरोज़ों को हलके हलके सहलाने लगे। मैंने अपना निचला होंठ वासना के उबलते ज्वार को नियंत्रित करने के प्रयास करते हुए अपने दांतों के बीच में भींच लिया। बड़े मामा ने अपने विशाल लंड को मोटे डंडे की तरह मेरी चूत के द्वार के उपर रगड़ने लगे। मेरा जलता हुआ अल्पव्यस्क शरीर चर्मॉनन्द की खोज में भभक उठा। बड़े मामा का रेशम जैसा चिकना पर लोहे जैसा सख्त वृहत लिंग मेरे भाग-शिश्न को रगड़ कर मेरी काम वासना की प्रज्जवलित अग्नि को और भी भड़काने लगा। "नेहा बेटी, जब तक आप स्वयं हमसे अपनी गांड मारने को नहीं कहेंगी हम तब तक कुछ भी नहीं करेंगें," बड़े मामा के मर्दाने हाथ मेरी चूचियों को प्यार भरा अमरदान कर रहे थे। मेरा मस्तिष्क बड़े मामा के विकराल लंड से गांड मरवाने के विचार से डर के मारे कांप रहा था। पर मेरा विश्वासघाती सम्भोग कामना से कम्पित शरीर बड़े मामा के अविश्वसनीय अमानवीय लंड से गान मरवाने के लिए उत्सुक हो उठा था। मेरे कमसिन नाबालिग शरीर में जलती आग भुजाने का यंत्र बड़े मामा की विशाल झांगों के बीच में मोटे खम्बे की तरह फड़क रहा था। मेरे शरीर की वासना और उसकी संतुष्टि की कामना ने मेरे मस्तिष्क के भीतर भरे भय के उपर विजय पा ली। मैंने कम्पित स्वर में बड़े मामा की वासना भरे प्यार से चमकती हल्की भूरी आँखों में देख कर हलके से कहा, "बड़े मामा आप मेरी गांड मार लीजिये। पर प्लीज़ मुझे बहुत दर्द नहीं कीजिएगा।" बड़े मामा ने निर्ममता से उत्तर दिया, "नेहा बेटी दर्द तो होगा और उसे आपको सेहना पड़ेगा। पर मुझसे जितना हो सकेगा उतना प्रयास मैं ज़रूर करूंगा।" मेरा भय और वासना से कम्पित अल्पव्यस्क शरीर अब बड़े मामा की कृपा के उपर निर्भर था। बड़े मामा ने अपना लंड को मेरे गीली चूत में डाल कर मेरे यौन-रस से लेप लिया.बड़े मामा ने अपना मुंह को थूक से भर मेरी गांड पर रख कर अपनी लार गांड पर डाल दी. बड़े मामा ने अपना विशाल लंड को मेरी गांड के छोटे तंग छल्ले के ऊपर रख कर दबाया,"नेहा बेटा, अपनी गांड पूरी ढीली छोड़ दो. जब मैं अपना लंड अंदर की तरफ डालूँ तो आप अपनी गांड को मेरे लंड के ऊपर नीचे की तरफ ज़ोर लगायें. जैसे आप बड़ी सख्त टट्टी निकालते हुए करती हैं." मैंने वासना में जलते अपने अविकसित शरीर से परेशान हो कर बड़े मामा के सुझाव को ठीक से समझे बिना अपना सर हिला कर समर्थन दे दिया. बड़े मामा ने मुझे अपने बड़े हाथों से जकड़ कर मुझे बिस्तर पर दबा दिया. बड़े मामा ने अपने विशाल लंड के विकराल सुपाड़े को मेरी नन्ही सी गांड के छिद्र पर दबाना शुरू कर दिया। मेरी तंग कसी गांड का छल्ला बड़े मामा के लंड के प्रविष्टी के रास्ते में था। मेरी गांड की कसी हुई वलय ने बड़े मामा के भीमकाय लिंग के आक्रमण को पीछे धकेलने का निरर्थक प्रयास किया। बड़े मामा के विशाल लंड का सुपाड़ा मेरी गांड के छोटे से छेद को खोलने के लिए बेचैन था. बड़े मामा ने हचक कर एक ज़ोर से धक्का लगाया. बड़े मामा के, छोटे सेब जितने बड़े लंड के सुपाड़े ने मेरी गांड के छिद्र को बेदर्दी से चौड़ा कर दिया. मेरे गले से निकली दर्द भरी चीख से कमरा गूँज उठा.
बड़े मामा ने मौका देख कर अपने लोहे जैसे सख्त मोटे लंड की तीन इंच मेरी गांड में बलपूर्वक ठूंस दीं. मैं दर्द से बिलबिला कर चीख पड़ी. मेरे नाखून बड़े मामा की बाँहों में गड़ गए. मैंने बड़े मामा की बाँहों की खाल से अपने नाखूनों से खरोंच कर खून निकाल दिया. बड़े मामा ने एक बार भी उफ तक नहीं की. मेरी चीख रोने में बदल गयी.मेरी आँखों से आंसूं बहने लगे. मुझे ऐसा लगा जैसे किसीने मेरी गांड के ऊपर चाक़ू चला दिया हो. मैं सुबक-सुबक कर रो रही थी. बड़े मामा बेदर्दी से मेरी गांड में अपने अमानवीय विशाल लंड की एक इंच के बाद दूसरी इंच मेरी दर्द से बिलखती गांड की गहराइयों में डालते रहे जब तक उनके पेड़ के तने जितना मोटा लंड जड़ तक मेरी गांड में नहीं समा गया. मेरी गांड में उठे भयंकर दर्द से से बिलबिला उठी. मेरा शरीर पानी से बाहर फिकी मछली के समान तड़प रहा था. बड़े मामा के विशाल भारी शरीर ने मेरे थरथराते हुए नाबालिग शरीर को अपने नीचे कस दबा लिया. मैं सुबकियां और हिचकी मार मार कर रो रही थी. "नहीं...नहीं...बड़े..मा..आ..मा..मेरी गांड फट गयी..ई...अपना लंड बाहर निका..आ..ल..लिजी ..आ..आ..ये. मैं मर जाऊंगी , मामाजी,” मैं सुबक सुबक कर हिचकियों के बीच में से बड़ी मुश्किल से बोल पा रही थी, “मुझे हुंह ....नहीं आन्नंह ....मरवानी ....अपनी गांड।” बड़े मामा ने अपने मुंह से मेरा मुंह दबोच लिया. मामाजी ने बेदर्दी से मेरे रोने की उपेक्षा कर मेरी गांड अपने लंड से मारने लगे. मेरी घुटी-घुटी चीखों और सिस्कारियों कमरे की दीवारों से टकरा कर मेरे कानों में गूँज रहीं थी. बड़े मामा ने अपने विशाल लंड की आधी लम्बाई अंदर बाहर कर मेरी गांड की चुदाई शुरू कर दी. बड़े मामा की बेरहमी ने मुझे दर्द से व्याकुल कर दिया। मेरे आंसूओं ने मेरे चेहरे को बिलकुल भिगो दिया। मुझे पता नहीं की कितनी देर तक मैं रो रो कर अपनी गांड फटने की दुहाई देती रही पर बड़े मामा का विशाल लंड मेरी मेरी गांड को निरंतर चोदता रहा. मेरे आंसूओं ने मेरा चेहरा गीला कर दिया. थोड़ी देर में मेरी नाक बहने लगी. मेरी सुबकिया मेरे दर्द की कहानी सुना रहीं थीं। बड़े मामा ने मेरा मुंह अभी भी अपने मुंह से दबा रखा था. बड़े मामा ने मेरी गांड मारना एक क्षण के लिए भी बंद नहीं किया. मैं न जाने कितनी देर तक दर्द से बिलबिलाती हुई बड़े मामा के विशाल शरीर के नीचे दबी सुबकती रही। मुझे लगा कि एक जनम जितने समय के बाद मेरी सुबकियां थोड़ी हल्की होने लगीं। मुझे बड़ी देर लगी समझने में कि मैंने रोना बंद कर दिया था। मेरा हिचकियाँ ले कर सुबकना भी बंद हो गया था। जब बड़े मामा को लगा िक मैंने रोना बंद कर दिया था तो उन्होंने मेरा मुंह मुक्त कर मेरे आंसू और नाक से गंदे चेहरे को चाट कर साफ़ करने लगे. बड़े मामा की जीभ मेरी नाक के अंदर समा गयी. बड़े मामा का लंड अभी भी मेरी गांड के अंदर-बाहर जा रहा था.मुझे विश्वास नहीं हुआ कि मेरी गांड अब बड़े मामा के लंड को बिना तीव्र पीढ़ा के संभाल रही थी. बड़े मामा ने मेरी नाक को अपने मूंह में भर कर ज़ोर से चूसा. मामाजी ने मेरे दोनों नथुनों में अपने जीभ अंदर डाल कर मुझे हंसा दिया. "नेहा बेटा, अब कितना दर्द हो रहा है?" बड़े मामा ने चेहरे पर शैतानी भरी मुस्कान थी. मैं शर्मा गयी, "बड़े मामा मेरी गांड में बहुत दर्द हो रहा था. आप कितने बेदर्द हैं. एक क्षण भी आप ने अपना लंड को मेरी गांड मारने से नहीं रोका." "नेहा बेटा, ऐसा दर्द तो सिर्फ पहली बार ही होता है. मुझे लगा कि जितनी जल्दी आपकी गांड मेरे लंड की आदी हो जाये आपका दर्द उतनी ही जल्दी कम हो जाएगा." बड़े मामा ने प्यार से मेरी नाक की नोक को अपने दाँतों से काटा. मैंने बड़े मामा की बाँहों पर गहरे खरोंचो को प्यार से चूम कर खून चाट लिया, "सॉरी मामाजी, मैंने आपके बाहें खरोंच डाली." बड़े मामा ने मुस्कुरा कर मुझे प्यार से चूम लिया। बड़े मामा ने मुझे चूम कर मेरी गांड मारनी शुरू कर दी. मेरी गांड अब बड़े मामा के विशाल लंड के अनुकूल रूप से चौड़ गयी थी. उनका अमानवीय लंड मेरी गांड के छेड़ को रगड़ कर अंडर बाहर जा रहा था। मेरे गांड मानों सुन्न हो चुकी थी। मेरी गांड का दर्द पूरा तो ठीक नहीं हुआ पर मुझे अब उस दर्द से कोई बहुत परेशानी नहीं हो रही थी। बड़े मामा ने अपने भीमाकार लंड को अविरत मेरी गांड के भीतर-बाहर करते रहे। मामू मेरी गांड को अपने लंड से बहुत जल्दी परिचित कराने के लिये उत्सुक थे। बड़े मामा ने अपने भारीभरकम कूल्हों का इस्तमाल कर अपनी कच्ची भांजी की गांड का मरदन निर्ममता से करना शुरू कर दिया। बड़े मामा अपने वृहत्काय लंड के सुपाड़े को छोड़ कर पूरा बाहर निकालने के बाद एक भीषण धक्के से उसे वापस मेरी गांड में ठूंस रहे थे। उनके जोरदार धक्कों से मेरी पूरा शरीर हिल रहा था। मेरी सिसकियाँ उनके मुंह में संगीत सा बजा रहीं थी। मैं अपनी गांड में बड़े मामा के लंड के हर धक्के को अपनी सिसकारी से स्वागत कर रही थी. बड़े मामा ने मेरी गांड की चुदाई के गति बड़ा दी. बड़े मामा अपना लंड सिवाय मोटे सुपाड़े को छोड़ कर पूरा बाहर निकाल कर एक भयंकर ठोकर से मेरी गांड की भीतरी गहराइयों में ठूंस रहे थे. कमरे की हवा मेरी गांड की मधहोश सुगंध से भर गयी. बड़े मामा का लंड मेरी गांड को चौड़ा कर आराम से अंदर बाहर जा रहा था. बड़े मामा ने मेरे दोनों चूचियों को मसलना शुरू कर दिया. मेरी सिस्कारियां अब अविरत मेरे मूंह से उबल रहीं थीं.बड़े मामा का लंड डेढ़ घंटे से मेरी गांड मार रहा था. अचानक मेरी सिसकारी मेरे दर्द भरे यौन चरमोत्कर्ष के तूफ़ान से और भी ऊंची हो गयी. बड़े मामा का वृहत्काय लंड अब मेरी गांड में रेल के इंजन की गति से अंदर बाहर हो रहा था. बड़े मामा ने मेरे दोनों उरोज़ों को बेदर्दी से मसल कर अपना लंड मेरी गांड में जड़ तक अंदर दबा कर मेरे ऊपर लेट गए. मैंने अपनी गुदाज़ गोल जांघें बड़े मामा की कमर इर्दगिर्द डाल कर अपनी एड़ियां मामाजी के विशाल कूल्हों पर कस कर दबा दीं.
बड़े मामा ने मेरे मुंह को चूमते हुए मेरी गांड मारना फिर से शुरू कर दिया. बड़े मामा का लंड ने मेरी गांड को फिर से मथ कर मेरे दुसरे कामोन्माद को परवान चड़ा दिया. बड़े मामा और मैं एक साथ अपने आनंद की पराकाष्ठा पर पहुँच गए. मेरा सारा शरीर कामुकता की मदहोशी में अकड़ गया. बड़े मामा का लंड मेरी गांड में झटके मार-मार कर स्खलित होने लगा. मेरी आँखे मादक चरम-आनंद की उन्मत्तता से बंद हो गयीं. बड़े मामा और मैं बड़ी देर तक अपने यौन स्खलन के आनंद से एक दुसरे की बाँहों में लेते रहे.
आखिरकार बड़े मामा ने अपना मुश्किल से थोड़ा नरम हुए लंड को मेरी अत्यंत चौड़ी हुई गांड में से निकाल कर मेरी गांड चाटने लगे. मेरे नथुने मेरी गांड की खुशबू से भर गए. बड़े मामा ने प्यार मेरी सूजी गांड को चाट कर साफ़ किया. मामाजी की जीभ मेरी बेदर्दी से चुदी थोड़ी ढीली खुली गांड में आसानी से अंदर चली गयी. मेरी गांड साफ़ कर बड़े मामा बोले, "नेहा बेटा, अब हम आपकी गांड पीछे से मारेंगें." मैं अब गांड मारने के आनंद की कामुकता से प्रभावित हो गयी थी. मैं पलट कर घोड़ी की तरह अपने हाथों और घुटनों पर हो गयी. बड़े मामा का तना हुआ लंड मेरी गांड के मल के लेप से भूरे रंग का हो गया था. मैंने जल्दी से बड़े मामा के लंड तो अपने मूंह और जीभ से चाट कर साफ़ किया. मुझे अपनी गांड और बड़े मामा के वीर्य का मिला-जुला का स्वाद अत्यंत अच्छा लगा. बड़े मामा ने अपना लंड मेरी गांड में पीछे से हौले-हौले अंदर डाल दिया. मेरी गांड इतनी देर में फिर से तंग हो गयी थी. पर मुझे इस बार बहुत थोड़ा दर्द हुआ. बड़े मामा ने मेरी गांड शीघ्र तेज़ी से चोदना शुरू कर दिया. हमारा कमरा मामा और भांजी के बीच अवैध अगम्यागमन गांड-चुदाई से उपजी मेरी सिस्कारियों से भर गया. बड़े मामा के हर भीषण धक्के से मेरा शरीर फिर से कांप उठा। उनकी बलवान मांसल झांगें हर धक्के के अंत में मेरे कोमल मुलायम भरे भरे चूतड़ों से टकरा रहीं थीं। हमारे शरीर के टकराने की आवाज़ कमरे में ' थप्पड़ ' की तरह गूँज रही थी। बड़े मामा ने मेरी गांड की चुदाई पहली बार की तरह बेदर्दी से की. मुझे पांच बार झाड़ कर बड़े मामा दूसरी बार मेरी गांड में स्खलित हो गए. मामाजी का गरम गाड़ा वीर्य मेरी गांड की नाज़ुक दीवारों से टकरा कर मेरी गांड में मथे हुए मल के साथ मिल गया. बड़े मामा मेरी गांड से अभी भी संतुष्ट नहीं हुए थे. उन्होंने अपना मेरे मल से रंगा हुआ गन्दा लंड मेरे मूंह से साफ़ कराया और एक बार फिर मेरी गांड के मंथन के लिए तैयार हो गए. उस रात बड़े मामा के स्थूल विशाल लंड ने मेरी गांड तीन बार और मारी. मैं बड़े मामा के साथ लम्बी रतिक्रिया में बार बार झड़ने की मदहोशी से बेहोशी की अवस्था में पहुँच गयी. मैं अपने निरंतर रति-निष्पत्ति की गिनती भी नहीं रख पाई. बड़े मामा ने मेरी गांड पांचवी बार अपने जनन-क्षम वीर्य से भर दी. मैं बिकुल थक कर चूर हो गयी थी. बड़े मामा मेरी गांड चार घंटों से मथ रहे थे. मैंने बड़े मामा के मुंह और गालों को प्यार से चूम चूम कर गीला कर दिया. बड़े मामा ने अपना लंड मेरी गांड से बाहर निकाल लिया.मुझे लगा जैसे मेरा पखाना निकलने वाला था, "बड़े मामा मुझे शौचालय जाना है. आपके लंड ने मेरी टट्टी मथ दी. मैं उसे अब रोक नहीं पा रही." "नेहा बेटा, गांड मरवाने के बाद ऐसा लगता है पर फ़िक्र नहीं करो कुछ बाहर नहीं निकलेगा," बड़े मामा ने अपने अनुभव से मुझे आश्वासन दिया, पर मेरी गुदा में बड़ते दबाव ने मेरे संयम को हरा दिया. बड़े मामा ने हँसते हुए मुझे बाँहों में भर कर शौचालय में ले गए. बड़े मामा ने मुझे कमोड [शौचासन] के ऊपर बैठाने के बजाय मुझे नहाने के टब में ले गए. बड़े मामा ने मुझे आगे झुका कर मेरी गुदाज़ चूतड़ों को चौड़ा कर अपना मुंह मेरी गांड से लगा दिया. "मामाजी मेरी गांड खुलने वाली है, प्लीज़ मुझे शौचासन पर जाने दीजिये," मैंने बड़े मामा से अनुरोध किया. "नेहा बेटा, अपनी बेटी की पहली बार गांड मारने के प्रसाद को हम हाथ से नहीं निकलने देंगें." "बड़े मामा पता नहीं मेरी गांड से क्या निकल जाये?" बड़े मामा की मेरी गांड के मंथन के फल को चखने की कामुक इच्छा ने मुझे भी मदहोश कर दिया. मैंने अपनी गांड को ढीला कर दिया. मेरी गुदा से मामाजी का गाड़ा जनन-क्षम वीर्य और मेरे मथे मल का मिश्रण फिसल कर कर मामाजी के मुंह में टपकने लगा. मेरी मलाशय की सुगंध सारे स्नानगृह में समा गयी. मैंने ज़ोर लगा कर अपने मलाशय के भीतर जमे मिश्रण को मामाजी के आनंद के लिए निकालने का प्रयास करने लगी. मेरे ज़ोर लगाने से मेरा पाद निकल गया. मैं शर्मा कर दबी हंसी से बोली, "सॉरी मामाजी." बड़े मामा ने मेरी गांड को चूम कर मुझे आश्वासित किया. मेरी गांड से अचानक गीले मल और वीर्य मिश्रण के अलावा कुछ ठोस पदार्थ भी फिसल कर बड़े मामा के मुंह में टपक गया. बड़े मामा ने उसे भी बेसब्री और क्षुधातुर प्रकार से स्वीकार किया. बड़े मामा ने अपना मुंह मुझे सीधा करके मेरी चूत पर लगा कर मेरे मूत्र की मांग की. मैंने अपना पेशाब धीरे-धीरे बड़े मामा के मुंह में बहने दिया. बड़े मामा ने मेरा मूत्र प्यार से पी लिया. मैं उसके बाद शौचासन पर बैठ कर ठीक से अपना मलाशय खोल दिया. बड़े मामा का मेरे मल से सना लंड मेरे मूंह के सामने था. मैंने मामाजी का लंड चूस, चाट कर साफ़ कर दिया. मुझे अपने मल का स्वाद बड़े मामा के वीर्य से मिश्रित और भी स्वादिष्ट लगा. मैंने बड़े मामा की ओर प्रत्याशा से देखा, बड़े मामा ने मेरा आश्रय समझ गए. बड़े मामा ने अपने शिथिल पर भारी लंड के सुपाड़े को मेरे खुले मुंह में डाल कर अपना मूत्र हौले-हौले खोलने लगे. मामाजी का मूत्र तीखा पर बहुत स्वादिष्ट था. बड़े मामा ने अपने पेशाब की धारा को नियंत्रित प्रकार से मेरे मुंह में प्रवाहित किया. मामाजी मुझे अपने मुंह में भरे पेशाब को पीने का समय देकर फिर से मेरा मुंह अपने मूत्र से भर देते थे. बड़े मामा का लंड जब तक मैंने उनका पूरा मूत पिया
जब मैंने अपना मलोत्सर्ग समाप्त कर दिया तो मामाजी ने मुझे उठा कर शौचासन के कुंड पर हाथ रख कर आगे झुका दिया. मेरा मूंह मेरे अपने मल से भरे कमोड के ठीक ऊपर था. बड़े मामा ने पहले मेरी गांड चाट कर साफ़ की फिर मुझसे पूछा,"नेहा बेटा, पहले क्या मरवानी है- चूत या गांड?" मैं तो अब बड़े मामा के महाकाय विशाल अतृप्य लंड की दीवानी हो गयी थी, "बड़े मामा आज आपने मेरी चूत बिलकुल भी नहीं मारी. पहले चूत मारिये, प्लीज़," मैंने मामाजी से अनुरोध किया. बड़े मामा ने अपना विशाल स्थूल लंड मेरी चूत में चार भयंकर धक्कों से जड़ तक ठूंस दिया. मेरे गले से स्वतः चीख निकल पड़ी. शीघ्र ही बड़े मामा का विकराल लंड मेरी रति-रस से भरी मखमली चूत में वैद्युत मूसल की भांति मेरी चूत की गहरायी नापने लगा । मेरी काम वासना से भरी सिस्कारियां स्नानगृह में गूँज उठीं । बड़े मामा का लंड 'चपक-चपक' की आवाजें बनाते हुए मेरी चूत का प्यार भरा मर्दन करने लगा। मैंने अपने सूजे होंठ को चबा कर अपनी सिस्कारियों को दबाने का निष्फल प्रयास करने के बाद खुल कर ऊंचीं ऊंचीं सीत्कारियां से मामाजी को मेरी चूत निर्मम प्राहरों से मारने के लिए उत्साहित कर दिया । बड़े मामा ने मेरी चूत मार कर मुझे तीन बार झाड़ दिया. मैं अपने आखिरी रति-निष्पत्ति से अभी संभल भी नहीं पाई थी कि बड़े मामा ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकल कर मेरी गांड के छोटे तंग छल्ले पर रख कर अंदर दबा दिया. जैसे ही मेरा गुदा-द्वार बड़े मामा के विशाल लंड के सेब सामान मोटे सुपाड़े के अकार के अनुरूप चौड़ा हुआ हुआ तो मेरी दर्द से भरी चीत्कार स्नानगृह में गूँज उठी. पर बड़े मामा ने पहले के अनुभव से मेरी चीत्कार की उपेक्षा कर मेरी गांड में अपना लंड तीन लम्बी विध्वंसक धक्कों से जड़ तक डाल दिया. बड़े मामा ने मेरी गांड का मंथन एक बार शुरू किया तो डेढ़ घंटे तक निरंतर मेरे गुदाभंजन से मुझे बिलकुल पस्त कर दिया. बड़े मामा और मेरा गुदामैथुन मेरी बेहोशी की अवस्था में समाप्त हुआ. मेरे अनगिनत यौन-चरमोत्कर्ष ने मुझे निढाल कर दिया. बड़े मामा ने मेरी गांड में अपना लंड खोल दिया. यदि बड़े मामा ने मुझे नहीं सम्भाला होता तो मैं शौचासन पर गिर जाती, बड़े मामा के साथ अवैध कौटुंबिक व्यभिचार के आधिक्य ने मुझे मदहोश कर दिया. मुझे याद नहीं कि कब बड़े मामा ने अपना स्खलित लंड मेरी दुखती गांड में से बाहर निकाला, कब मुझे अपनी बाँहों में उठा कर बिस्तर में ले गए.
बड़े मामा और मैं देर रात को अचानक गहरी नींद से उठ गए. बड़े मामा का लंड चुदाई के लिए तैयार तना हुआ खड़ा था. मैं अभी नींद में थी पर बड़े मामा ने मेरे ऊपर चढ़ कर मेरी चूत में अपना लंड तीन-चार धक्कों में पूरा अंदर डाल कर मेरी चूत को आधे घंटे तक चोद कर तीन बार झाड़ दिया. हम दोनों उसके बाद देर सुबह तक सोते रहे. हम दोनों को जानकी दीदी ने उठाया, "नेहा, चाचू. चलो दोनों उठो. सारे नौकर घर में हैं. कमरे की सफाई करने के लिए मैंने उन्हें रोका कि आप दोनों अपने कमरों में सो रहे होंगे. चलिए दोनों तैयार हो जाइये. मैं कमरा और बिस्तर साफ़ कर देतीं हूँ," जानकी दीदी ने चादर पर लगे भूरे दागों को देख कर हम दोनों* चिड़ाया, "चाचू लगता है आपने कल रात नेहा की गांड की अच्छे से सेवा की!" मैं शर्मा गयी. बड़े मामा ने जानकी दीदी को बाँहों में भर कर चूमा और फिर शैतानी से उनके दोनों विशाल नर्म*उरोज़ों को कस कर मसल दिया. जानकी दीदी चीख कर बड़े मामा की बाँहों से निकल गयीं. बड़े मामा ने हँसते हुए मुझे अपनी बाँहों में उठा कर स्नानगृह की तरफ चल दिए, "जानकी बेटी, यदि आपकी चूत और गांड खुजलाने लगे तो स्नानगृह खुला है." "इस बार आप सिर्फ नेहा की सेवा करें. पापा* के लंड ने कल रात मेरी दोनों छेदों की तौबा मचा दी." जानकी दीदी ने इठला कर कहा. मेरे मूंह खुला का खुला रह गया. जानकी दीदी और उनके पिताजी, गंगा बाबा भी कौटुम्बिक व्यभिचार में संलग्न थे. बड़े मामा ने मुझे दोनों की कहानी, जब मैं उनका सुबह सवेरे का ताज़ा पेशाब पी रही थी, सुनाई. बड़े मामा को जानकी दीदी ने इस घटना को पूरे विस्तार से सुनाया था.

*****************************************
*****************************************
*****************************************
[+] 1 user Likes thepirate18's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: नेहा का परिवार :लेखिका सीमा do not comment till posting complete story within fewmin - by thepirate18 - 09-07-2019, 04:45 PM



Users browsing this thread: 2 Guest(s)