Thread Rating:
  • 0 Vote(s) - 0 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Nand ki training
#1
छोट छोट जोबना दाबे में मजा देय,
ननदी हमारी, अरे बहना तुम्हारी चोदै में मजा देय।
मैं अपने सैयां के सामने अपनी ननद डाली के लिये ली, पिंक टीन-ब्रा लहराकर उन्हें छेड़ रही थी। वो ड्राईव कर रहे थे। उनके पैन्ट में उभरते बल्ज को सहलाते हुए मैं बोली- “अरे उसकी ब्रा देखकर ये हाल हो रहा है, तो अन्दर का माल देखोगे तो क्या हाल होगा?”
“अरे वो अभी छोटी है…” प्रोटेस्ट करते हुए वो बोले।
“छोटी है या तुम्हारा मतलब है कि उसका छोटा है। अरे पन्द्रह दिन रहोगे ना अबकी तो मसल-मसलकर मींज-मींज कर बड़ा कर देना। मेरा भी तो तुमने शादी के एक साल के अंदर ही 34सी से बढ़ाकर 36डी कर दिया था…” अदा से अपना जोबन उभारकर उन्हें ललचाते हुए, उनसे और सटकर मैं बोली।
हम लोग उनकी कजिन सिस्टर नीता (जो डाली की मझली बहन थी) की शादी के लिये शापिंग करके लौट रहे थे। हमें कल सुबह ही उनके ‘मायके’ शादी के लिये जाना था। मैंने अपनी ननद डाली के लिये, शादी के लिये कुछ बहुत सेक्सी रिवीलिंग ड्रेसेज़ ली थीं, उसी के साथ एक पुश-अप, स्किन टाईट लगभग पारदर्शी लेसी ब्रा भी ली थी और उन्हें दिखाकर पूछा- क्यों पसंद है?
वह बेचारे, उन्होंने समझा कि मेरे लिये है तो हँसकर कहा- “बहुत सेक्सी लगेगी…”
“और क्या गुड्डी के (डाली का घर का नाम गुड्डी था) उभार उभरकर सामने आएंगें…” मैंने उन्हें छेड़ा। और तब से मैं उन्हें छेड़ रही थी- “क्यों क्या याद आ रही है उसकी, सोचने से इत्ता तन्ना रहा है तो कल देखने पे क्या होगा? पर इसका दोष नहीं है, वह साली माल ही इत्ती मस्त है…” उनके जीन्स पे उभरे बल्ज को मैंने अपने लंबें नाखून से कसकर रगड़ते हुए, गाल से गाल सहलाकर बोला।
राजीव से अब नहीं रहा गया। उसने कसकर मेरे टाईट कुर्ते के ऊपर से मेरे निपल्स को पकड़कर खूब कसकर मसल दिया।
“उई आईई…” मैं चिल्लाई- “गलती करे कोई, भरे कोई। याद तुम्हें मेरी ननद के जोबन की आ रही है और मसले मेरे जा रहे हैं। पर कोई बात नहीं, कल पहुंच रहे हैं ना… मैं तुमसे अपनी ननद की चुदाई करवा के रहूंगी…”
तब तक गाड़ी ड्राईव-वे के अंदर घुस गयी थी। गाड़ी रोकते हुये राजीव ने मुझे कसकर पकड़ते हुए कहा- “अभी देखो ननद की चुदाई होती है या भाभी की?”
अभी रूम के अन्दर पहुंचकर मैंने सामान के पैकेट रखे भी नहीं थे की राजीव ने पीछे से कुर्ते के ऊपर से मेरे मस्त मम्मे कसकर पकड़ लिये।
मैं- “हे हे… बेडरूम में चलते हैं ना, क्यों बेसबरे हो रहे हो। माना अपने माल की याद आ रही है…”
पर राजीव को कहां सबर थी। एक हाथ से मेरे मम्मे कस-कस के मसल रहे थे और दूसरे से वह मेरी तंग शलवार का नाड़ा खोल रहे थे। पल भर में मेरी शलवार खुलकर मेरे घुटनों में फँस गयी थी और मेरा कुर्ता भी ब्रा के ऊपर उठ गया था। मैंने झुक कर अपने दोनों हाथ सोफे पे रख दिये थे, और मेरे कसे भारी नितंब उसकी जीन्स से बल्कि उसके खुंटे से रगड़ खा रहे थे। लग रहा था कि उसका बेताब हथियार उसकी जींस और मेरी पैंटी फाड़कर अंदर घुस जायेगा। उसका एक हाथ कस-कस के मेरी लेसी हाफ-ब्रा के ऊपर से ही मेरे मम्मे खूब कस-कस के मसल रहा था और दूसरा मेरी थांग पैंटी के ऊपर से, मेरे लव होंठों को सहला रहा था।
राजीव की यह बात मुझे बहुत पसंद थी। हमारी शादी के साल भर से थोड़ा ज्यादा ही हो गये थे, पर अभी भी वह कभी भी कहीं भी, ड्राईंग रूम, बाथरूम, किचेन, पोर्च में, कार में, सुबह, शाम, दिन दहाड़े, एकदम से मेरा दिवाना था। एक बार तो हम लोग उसके एक दोस्त के यहां गये थे, दो चार पेग ज्यादा लगा लिया और… उसी के यहां बाथरूम में मैं लाख ना नुकुर करती रही पर वह कहां छोड़ने वाला था। सप्ताहांत में तो अक्सर दो-दो दिन हम दोनों कपड़े ही नहीं पहनते थे, खाना बनाते, खाते, नहाते।
मेरी फ्रांट ओपेन ब्रा उसने खोल दी थी और मेरे कड़े खड़े गुलाबी निपल कसकर मसले जा रहे थे और अब मेरी पैंटी के अंदर उँगली मेरी गीली योनि के अंदर रगड़-रगड़ के जा रही थी। मैंने अपने मस्त नितंब उसके खूंटे पे रगड़ते हुये, छेड़ा- “अभी तो अपने माल के बारे में सोच के इसका ये हाल है। कल जब वह सामने पड़ेगी तो इसका क्या हाल होगा?”
राजीव- “कल की कल देखी जायेगी, अभी तो अपनी बचाओ…”
उसकी जींस और ब्रीफ अब नीचे उतर चुकी थी और एक झटके में उसने मेरी लेसी पैंटी भी नीचे सरका दी। अब उसका मोटा लण्ड सीधे मेरी गुलाबी फुदफुदाती बुर को रगड़ रहा था। उसने मेरे नीचे वाले दोनों गीले होंठों को फैलाकर, अपने पहाड़ी आलू ऐसे मोटे सुपाड़े को, सीधे फंसा दिया और कसकर एक बार मेरे निपल और क्लिट दोनों पिंच कर लिये।
“ऊईई…ई…ई…ई…” कुछ दर्द और कुछ मजे से मैं चिल्ला पड़ी।
पर उसे कुछ फर्क नहीं पड़ना था। उसने मेरी पतली कमर अब कसकर पकड़ी और एक बार में अपना पूरा मूसल कसकर ढकेल दिया।
उइई… मैं फिर चीख पड़ी। बिना वैसलीन के अभी भी लगता था। पर मुझे अब अपने चिढ़ाने की पूरी सजा मिलनी थी। उसने मेरा चेहरा खींचकर अपनी ओर किया और कसकर मेरे गुलाबी रसीले होंठ अपने होंठों में भींच लिये और एक बार फिर दोनों हाथों से कमर को पकड़कर कसकर धक्का मारा। चार पांच जबर्दस्त धक्कों के बाद अब पूरा अंदर था। थोड़ी ही देर में मैंने महसूस किया कि मेरी जुबान, उनकी जीभ से लड़ कर मजे ले रही है, और मेरे चूतड़ धीमे-धीमे आगे पीछे हो रहे हैं। मुझे भी अब खूब रस आने लगा था। मेरी चूत उनके लण्ड को हल्के-हल्के भींच रही थी।
Like Reply
Do not mention / post any under age /rape content. If found Please use REPORT button.


Messages In This Thread
Nand ki training - by aaman298 - 07-07-2019, 07:53 AM
RE: Nand ki training - by aaman298 - 07-07-2019, 08:19 AM
RE: Nand ki training - by Nasheeliaankhein - 09-07-2019, 02:42 PM
RE: Nand ki training - by anwar.shaikh - 07-07-2019, 02:50 PM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)