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Adultery रीमा की दबी वासना
रात काफी हो गयी थी और पैग ख़त्म हो चुके थे | रोहिणी पूरी तरह से नशे में फुल हो चुकी थी | रीमा और अनिल भी कमोवेश उसी हालत में थे | अनिल को लगा अब यहाँ से चलना चाहिए नहीं तो पता नहीं नशे में फुल रोहिणी कही उनका फलूदा यही न बना डाले | 
रोहिणी ने रीमा से लिपटकर विदाई ले और जल्दी ही फिर से ऐसी ही पार्टी करने का फैसला किया | रीमा दोनों को पिछले गेट तक छोड़ने आई | रात को आगे की सड़क पर कई बार आवारा कुत्ते आ जाते है इसलिए रात में पिछले रास्ते से जाना सेफ है ये रास्ता इस कालोनी के सारे घरो को जोड़ता है और बाहर से बंद है | दोनों धीमे कदमों से टहलते हुए रोहित के घर की तरफ चल दिए | अनिल जानबूझकर अपना फ़ोन रीमा के यहाँ भूल आये थे | गेट पर पंहुचते ही रोहिणी से बोले- तुम मेरा फ़ोन लायी हो न |
रोहिणी - भला मै तुमारा फ़ोन क्यों लाऊंगी |
अनिल - अरे तो मेरा फ़ोन रीमा के यहाँ ही छोड़ दिया |
रोहिणी - तुमारा ये हमेशा का है लेकर आवो |
अनिल तेज कदमो से वापस भागे | पीछे का दरवाजा खुला हुआ था | तेजी से अन्दर घुसे और जैसे ही डाइनिंग हाल में पंहुचे | उनकी गर्दन अपने आप ही बायीं तरफ घूम गयी | रीमा ने अनिल के जाने के बाद अपने सारे कपड़े उतार फेंके थे | उसके दिमाग में बस रोहिणी की बात ही घूम रही थी | किस औरत को अपनी खूबसूरती की तारीफ अच्छी नहीं लगती| यहाँ तो औरत ने औरत की तारीफ करी थी | रीमा बस आईने के सामने खड़े होकर अपने हुस्न को निहार रही थी | रीमा हर तरह से मंत्र मुग्ध होकर बस अपने ही रूप में खोयी हुई थी | बाहर हाल में अँधेरा था और कमरे में भरपूर रोशनी | इसलिए रीमा के इस नंगे जिस्म के दर्शन अनिल को सर्वसुलभ थे लेकिन रीमा अनिल को देख पाए इसका कोई चांस नहीं था जब तक की वो बेडरूम वाले कमरे से बाहर न निकले | अनिल तो स्वर्ग जैसी अपसरा का हुस्न लिए रीमा की नंग्न देह दर्शन में दिल दिमाग और आत्मा से खो गए | क्या सौन्दर्य है, स्त्री की नंग्न देह का अद्वतीय अद्भुद, कल्पना से परे ये नग्न प्रदर्शन, वर्षो से तपस्या में लीं ऋषियों का ताप तोड़ दे, फिर अनिल तो बस एक अदना सा इंसान था | अनिल अपनी आँखों से ही अपलक रीमा के सौन्दर्य को घूट घूट अपने दिलो दिमाग में उतारने लगा | 
बिखरी बिखरी लट, चंचल हिरानी जैसे आंखे, रस टपकाते गुलाबी तीखे नुकीले ओंठ, सुराही के मुहँ जैसी पतली गोरी गर्दन, उसकी उठी हुई उभरी हुई उन्नत छातियाँ, और सीने के उभरे उन्नत उरोजो की छोटी छोटी पहाड़ियों पर स्थित हल्का भूरा गुलाबी रंग की चुचियाँ | आआहह्ह क्या बनावट थी, क्या उभार थे क्या रंग था..... सीधे स्वर्ग से उतारी नग्न अप्सरा जैसा, जितना सुना था उससे कही बढ़कर, कही उत्तम कही ज्यादा अद्भुद, सब्द नहीं थे ऐसे सौन्दर्य के लिए |   सीधा सपाट गोरा चिकना पेट, जैसे दो छोटी छोटी पहाड़ियों के बाद सपाट मैदान हो  और उस मैदान सुघढ़ गोल गहरी नाभि , नाभि के नीचे की तरफ चिकना ढलान लाइट इलाका जो जन्नत की सुरंग पर जाकर ख़तम होता है और उसकी सफाचट चिकनी चूत त्रिकोण घाटी की मखमली ढलान ...........................देखकर कोई भी मदहोश हो जाये | धवल स्वेत गुलाबी लालिमा लिए रीमा का दमकता मदहोश करता मदमस्त नंगा जिस्म | 

[Image: Dshphh6V4AAYLHY.jpg]

उसकी गोरी चिकनी नरम पीठ और नीचे की तरफ बल खाती कमर, उफ़ मुर्दे भी कब्र से निकल कर खड़े हो जाये | कमर में पड़े बल इस बात की निशानी थे की अब उसके कमर के निचले हिस्से की पहाड़ियों की चढ़ाई शुरू हो चुकी है |  उसके पिछवाड़े की ऊँची ऊँची मांसल ठोस उठी हुई पहाड़ियां, उन पहाड़ियों के  ही नरम मांस के बोझ से बल खाती उसकी जांघे, जो किसी केले के तने की तरह चिकनी और ठोस थी ................. किसी भी लंड की नसे फाड़ने का मादा रखती थी | अनिल के पेंट में अकडन जबदस्त बढ़ गयी |
ऊपर से नीचे तक बनावट में, उभारो में, कसाव में कटाव में रीमा के गुलाबी जिस्म की कोई सनी नहीं थी | रीमा के शरीर के सेंसर जबरदस्त थे | उसे अहसास हुआ बाहर कोई है लेकिन इस वक्त कौन हो सकता है | फिर कुछ सोचकर वो मुस्कुराई, असल में अनिल के जाने के बाद उसने उनका मोबाईल देख लिया था | लेकिन उसे ये नहीं पता था जीजा जी इतनी जल्दी लौट आयेगें | अपने होशो हवास में होती तो शायद कुछ और बात थी | उसने अनुमान लगाया की उसे छिपकर शायद वही देख रहे है | वो तेजी से गयी और पिछला दरवाजा बंद करके फिर से कमरे में आ गई | अनिल ने बमुश्किल खुद को एक परदे के पीछे छिपाया | फिर से आकर वैसे ही कड़ी हो गयी जैसे कुछ हुआ ही न हो | आगे पीछे ऊपर नीचे अपने जिस्म का कोना कोना खुद को नुमाइश करने लगी | बार बार खुद को शीशे में देखती मुस्कुराती, एक बार झाके से वो उस तरह को घूम गयी जहाँ से अनिल उसके अनिर्वचनीय सौन्दर्य का रसपान कर रहे थे | उसकी लहराती जुल्फे बार बार उसके चेहरे पर आ जाती | उसकी काली कजरारी आंखे और उसने कातिलाना अदा के साथ बाहर की तरफ देखना, जैसे कोई आमंत्रण हो | उसके उभरे हुए वक्षस्थल और उसकी चोटियाँ रीमा के सौंदर्य में चार चाँद लगा रहे थे | उसके उभरे हुए कुल्हे और पीछे को उठी हुए सख्त ठोस सख्त मांसल चूतड़ और उनके कटाव झुकाव बस देखते ही बनते थे | अनिल का मन तो कर रहा था जाकर उसके धवल गुलाबी उठे हुए मांसल चुताड़ो को अपने सख्त हाथ से मसल मसल कर बिलकुल टमाटर जैसा लाल कर दू | अनिल से अब बर्दाश्त से बाहर था | रीमा के नग्न साक्षात् अप्सरा स्वरुप से दर्शन के बाद उनके लंड में जो अकडन आई वो तो आई ही उनके दिलो दिमाग में रीमा के जिस्म का पोर पोर छप गया | रीमा कुछ देर तक बाहर के अँधेरे की तरफ घूरती रही, फिर समझ गयी अनिल अब आगे नहीं बढ़ेगे, इसलिए वो फिर से सीधे की तरफ सीधी होकर अपने ही सौंदर्य का अपनी ही कजरारी चंचल तीखे नैनो से रसपान करने लगी | 


[Image: Sabine-Jemeljanova-Nude-1.jpg]
 
जब रीमा को लगा अब अनिल इससे आगे नहीं बढ़ेगे और इसी तरह चोरी चोरी उसके दमकते जिस्म का अपनी आँखों से रसपान करेगें तो वो भी अपनी रेशमी जुल्फे लहराती हुई बिस्तर पर आकर लेट गयी | जब से रोहिणी ने अनिल के लंड के बारे में बताया, लालसा तो उसके मन में भी जाग उठी की एक बार जीजा जी के नाग नाथ के दर्शन तो किये ही जाये लेकिन कैसे ? वो अभी भी फुल नशे में थी इसलिए उसे अपनी कामनाओं को अपने ही मन में जाहिर करने में कोई शर्म नहीं महसूस हो रही थी, वरना और कोई वक्त होता तो शायद अब तक इस ख्याल के लिए खुद को ही 20 बार कोस चुकी होती | कैसा होगा ११ इच्नी नागनाथ | दीदी की तो चीखे उबल पड़ती होगी | अरे अब कहाँ, अब तो दीदी को इसकी आदत हो गयी होगी | कैसे एक बार में ले लेती होगी फुफकारते ललकारते भीमकाय काले नागनाथ को | मै तो मर ही जाउंगी | रीमा अपने ही ख्यालों में खोयी एक करवट हो गयी | उसके रेशमी बाल बिस्तर पर फैले हुए थे | उसकी गोरी पीठ अलग ही दमक रही थी और उसके भरी भरकम ऊँचे ऊँचे उठे हुए मांसल चुताड़ो की पहाड़ियों के उभार हाहाकारी लग रहे थे | उसके भारी भरकम चुताड़ो के पहाड़ियों की संकरी घाटी के बीच में से उसकी गुलाबी चूत के सटे हुए ओंठ नजर आ रहे थे | रीमा ने हलके से घुटने मोड़ लिए और हल्का सा गर्दन पीछे मोड़कर देखने लगी | शायद अनिल को संदेसा दें चाहती थी देख लो मेरा खूबसूरत जिस्म, देख लो मेरे चूतड़, मेरी जांघ, मेरी हाथ, मेरी पीठ और देख लो भारी भरकम चुताड़ो के बीच से झांकती मेरी चूत को | 
अनिल की हालत बहुत बुरी हो गयी | उनका शरीर पसीने पसीने हो चूका था | अपनी पेंट के अन्दर हाथ घुसेड़कर अपने नागनाथ को अब मसलने लगे थे | 

[Image: ftop.ru_109661.jpg]
 
 लगे थे रीमा ने अपने जिस्म को सहलाना शुरू कर दिया | शायद वो भी अनिल से खेलना चाहती थी, उसे नहीं परवाह थी की ये गेम कहाँ जाकर खतम होगा लेकिन फिलहाल वो अभी तो इन सब बातो के बारे में नहीं सोच रही थी | 
अनिल की हालत और बिगड़ रही थी | हालाँकि वो बंदा भी बहुत खेला खाया हुआ था इलसिए खुद को काबू करना आता था | उसे उसकी बीबी ने ही सिखाया है औरत को इतना मजबूर कर दो की खुद ही तुमारी बांहों में आकर बोले अब मुझे चोद दो |  अगर मर्द औरत के पास पहले गया तो औरत चुदने में इतने नखरे दिखाएगी की आदमी की गांड से पसीना निकाल देगी |
और आगे हमेशा के लिए इसे ही अपना ट्रेडमार्क बना लेगी | इसलिए अनिल का फंडा था अपने जिस्म में चूत की प्यास उतनी जगावो जीतनी आपके लंड में सामने वाली चूत में आग लगाने की कुव्वत हो | एक बार आपके लंड के नाम की आग किसी चूत में लग गई फिर तो आप ही का लंड असली फायर ब्रिगेड है | जब मर्जी हो जीतनी मर्जी हो उतनी आग बुझाओ, जब तक न बुझे , चूत को मसलते रहो, कुचलते रहो, हंसी ख़ुशी राजी होकर औरत चुदवाती रहेगी | लेकिन आज ऐसा लग रहा था रीमा को देखकर उनका सारा काम ज्ञान फ़ैल होने वाला है | उनसे अब काबू नहीं हो रहा था और मन कर रहा था बस जाकर रीमा की जांघे फैलाये और पेल से अपना फनफनाता नागनाथ रीमा की गुलाबी चूत की मखमली गहराइयों में | कसम से रीमा जैसी चूत से एक रात में तो मन नहीं भरेगा | इसे तो कम से कम महीने भर तक चोदना होगा | क्या करू क्या न करू उनकी कुछ समझ नहीं आ रहा था |

रीमा को पता था अब अनिल इससे आगे जाने वाले नहीं है और उसकी आँखों में भी शराब और नीद का नशा पूरी तरह से घर कर चूका था |  रीमा ने बेड पर लेटे लेटे ही हल्का सा स्लीपिंग म्यूजिक बजा दिया और सोने के लिए अपने ऊपर चादर डाल ली | इधर अनिल बहुत उधेड़बुन में थे | रीमा को चोदना उनका सपना था और रीमा बस कुछ फुट और एक दीवार की दूरी पर पूरी तरह से नंगी लेती है | उनका लंड भी बुरु तरह से अकड़ा हुआ है | अब इससे अच्छा मौका दुबारा कहाँ मिलेगा | अभी वो शराब के नशे में है इसलिए उसे भी कहाँ कुछ पता चलने वाला है | एक बार पुछुगा, हाँ बोलेगी तो ठीक नहीं बोलेगी तो ठीक | साली को अपनी जांघ के नीचे दबाकर उसकी गुलाबी चूत में लंड पेल दूगां | बाकि एक बार चूत में लंड गया तो गया फिर झड़ने से पहले तो निकलेगा  नहीं | सुबह जो भी रोना धोना होगा वो सुबह देखा जायेगा | रोहिणी के पैरो में गिर कर माफ़ी मांग लूगाँ | अपने अन्दर जमकर करके विस्वास इकठ्ठा करने के बाद अनिल ने रीमा के बेडरूम की तरफ कदम बढाया | इससे पहले वो दूसरा कदम बढ़ाते उनका फ़ोन घनघनाने लगा | गनीमत तो ये थी की वाइब्रेशन मोड में था वरना आज उनका पकड़ा जान निश्चित था | फिर के सामने ही उनकी चोरी पकड़ ली जाती | वाइब्रेशन की आवाज रीमा के कानो तक पहुँच गयी | जीजा को रंगे हाथो पकड़ने का इससे बेहतर कोई मौका नहीं था | यही सोच रीमा ने अपने जिस्म पर से हलकी चादर खिसकाई, चादर उसके कमर के नीच पहुँच गयी | उसकी चिकनी पीठ, भारी भरकम उठे हुए चूतड़ और उसका नंगा गोरा जिस्म कमरे की रौशनी में नुमाया हो गया | इससे पहले वो उठती  उसे वाइब्रेशन की आवाज दूर जाती सुनाई दी | रीमा पीठ के बल लेटे लेटे बाहर की तरह देखने लगी | जैसे अनिल को चुनती दे रही हो देख फट्टू एक नंगी चूत तेरे सामने लेती है और तू बस अपना लंड सहला रहा है | अनिल अब तक बाहर की तरफ जा चुके थे | अनिल ने आइस्ते से पिछला दरवाजा खोला और बाहर निकले और फिर कॉल रिसीव की | कॉल उनकी पत्नी की जो उनसे फ़ोन मिला या नहीं ये जानना चाह रही थी | रीमा हल्का सा मुस्कुराई, थोडा सा अपने जिस्म पर इतराई और फिर तकिये में मुहँ घुसाकर सोने की कोशिश करने लगी | 

[Image: nude-female-ass-photos-2.jpg]
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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 06-07-2019, 05:52 PM



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