06-07-2019, 05:51 PM
रोहिणी - थम जा बावली बता रही हूँ सब बता रही हूँ | मेरा एक लड़के से 6 महीने से चला रहा रिलेशनशिप टूट चूका था | दूसरा बॉयफ्रेंड खोने के कारन बहुत परेशान और दुखी थी | मेरे इम्पुल्सिव नेचर के कारन कोई भी लड़का मुझे बर्दाश्त करने में असमर्थ था | उस टाइम मै खुद को किसी तोप से कम समझती नहीं थी | ऐसे ही एक दिन मै कॉलेज से घर आ रही थी, गेट पर पंहुचने पर देखा, एक आदमी मेरे घर की चाहरदीवारी के ऊपर पेशाब कर रहा है | मेरे पारा जमीं से सीधा आसमान पंहुच गया | वो अलग बात थी की बाद में मुझे महसूस हुआ की वो इन्सान मेरे चाहरदीवारी की बजाय उससे सटकर बह रही नाली में मूत रहा है | उस समय तो मुझे कुछ सुझा नहीं, ब्रेकअप से सदमे में थी | उसके पास जाते ही फट पड़ी | जमकर माँ बहन करी, वो आदमी जो इत्मिनान से हलका हो रहा था, उसका मूतना रुक गया | उसका मूत लंड में और थूक गले में अटक गया, मैंने उसे ऐसी झाड़ लगायी | वो इतना ज्यादा डर गया की अपना लम्बा काला लंड भी अपनी पतलून में घुसेड़ना भूल गया और माफ़ी मांगने लगा | मेरे तेज आवाज से लोग हमारी तरफ आना शुरू हो गए और वो आदमी सब कुछ भूलकर मुझसे माफ़ी मांगने में जुटा रहा | उसकी सिट्टी पिट्टी इस कदर गम थी की उसे याद ही नहीं उसका लम्बा काला मोटा सांप अपने बिल से बाहर झूल रहा है | आखिर हारकर मैंने ही बोला - इस काले नाग को दिखाकर किसको डराने की कोशिश कर रहा है | इससे तगड़े मोटे लम्बे काले नाग मैंने बहुत देखे है | तब जाकर इनका ध्यान नीचे पेंट की तरफ गया और फटाफट इन्होने अपने काले भुजंग को अपनी पतलून में समेटा | मेरा गुस्सा चरम पर था, आस पास भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी | मै बस चिल्लाये जा रही थी |
तब तक अन्दर से डैड बाहर आ चुके थे - क्या हो गया बेटा |
मै गरजती हुई - ये आदमी अपनी दीवाल पर मूत रहा था मैंने मना किया तो बेशर्मी से अपना काला नाग मुझे दिखाने लगा |
इससे पहले कोई कुछ कहता ये बिलकुल समर्पण की मुद्रा में आ गए - बहन जी गलती हो गयी, मुझे बहुत तेज लगी थी और यहाँ कोई ओट नहीं थी इसलिए | इतना कहते ही बिना किसी के कुछ काहे उठक बैठक लगाने लगे | डैड अनुभवी आदमी थे, इनकी रोनी सूरत देख के ही समझ गए की लड़का गाय है बस गलती कर बैठा | वो भीड़ को समझाने बुझाने लगे ताकि कही कोई हाथ न उठा दे | धीरे धीरे करके मेरे डैड ने सबको वहां से भगाया और उस लड़के से जाने को भी बोलो दिया | मेरा गुस्सा अब काफी कम हो चूका था |
ये मरी हुई आवाज में बोले - अंकल जी अगर नजर न हो तो एक गिलास पानी पिला दीजिये, यहाँ दूर दूर तक कोई नल नहीं दिखाई दे रहा है | प्यास लगी है |
मुझे हंसी आ गयी, इतनी जोर से प्यास लगी है फिर भी अपनी टंकी खाली किये जा रहा है | ये सोचकर मुझसे रहा न गया, मेरे मुहँ से ठहाका छुट गया | मेरे डैड मुझे देखकर बोले - क्या हुआ तुझे, पागल है क्या लड़की, जाकर एक गिलास पानी ले आ |
मैंने साफ़ मना कर दिया | डैड उसे गेट पर खड़े रहने को बोलकर अन्दर चले गए और एक बोतल पानी लेकर बाहर आये | उसे पानी पिलाया और उसके बारे में पूछने लगे | मै अन्दर कमरे के दरवाजे ओंट में खादों सारी बाते सुनने लगी | रोहित बार बार मुझे परेशान करने आ जाता लेकिन मुझे उस मिमियाते काले भुजंग इंसान में न जाने क्यों दिलचस्पी पैदा हो गयी | कुछ देर बाद पता चला वो यहाँ कॉलेज में PG में एडमिशन लेने आया है | किसी गाँव का रहने वाला है और ग्रेजुएशन के बाद वहां आगे पढने के लिए कोई कॉलेज नहीं है | रोहित मुझे बार बार परेशान कर रहा था इसलिए ज्यादा बाते तो मै सुन नहीं पाई और रोहित की कुटाई करने उसके पीछे भागने लगी | डैड उससे काफी देर बात करते रहे | शाम को पता चला वो अपने कॉलेज का टापर है और आफ्टर ग्रेजुएशन की पढाई के लिए एडमिशन लेने आया है | उसका बैकग्राउंड कुछ खास नहीं था पिताजी थे नहीं माताजी छोटी सी जमीन पर सब्जी भाजी पैदा करके घर का खर्च चलाती थी |
एक महीने बाद मेरे उअप्र बम तब फटा जब डैड ने उसे ऊपर वाला कमरा रहने के लिए दे दिया और भी बिना एक पैसे लिए | उसके बाद एक लम्बे समय तक मै इनसे नफरत करती रही अपने अन्दर हिकारत भरती रही, इनके कपड़ो का मजाक, इनकी बोली का मजाक, इनके गरीब होने का मजाक उड़ाती रही और ये सब बर्दाश्त करते रहे | यही सब करते करते पता नहीं कब जाने इन्ही से प्यार हो गया |
अनिल बस पैग पर ध्यान लगाये थे और रीमा के जिस्म के कटाव घुमाव को आँखों से पीने की कोशिश कर रहे थे, रोहिणी यादो के समुद्र में खोयी थी और रीमा बस रोहिणी की यादो में खुद को डुबोने की कोशिश कर रही थी | एक और पैग ख़त्म हो चूका था | रीमा नयी बोतल निकालने के लिए उठी तो रोहिणी ने उसे थाम लिया - तू बैठ, जाइये आप बोतल निकाल कर लाइए और पैग बनाइये |
रीमा ने अपनी नशीली आँखों से रोहिणी की तरफ देखा और रोहिणी ने अपनी नशीली आँखों से रीमा को देखा | फिर दोनों ने अनिल को एक साथ देखा और नशे में झूमती खिलखिला कर हंस पड़ी | अनिल औरतो के इस विनोद से अन्दर तक गदगद होते हुए नयी बोतल निकालने चल दिए |
रीमा और रोहिणी को भरपूर नशा हो चूका था | अनिल के जाने के बाद रीमा को मस्ती सूझी - दीदी एक बात पूछु बताओगी |
रोहिणी - पूछ न |
रीमा - सच्ची मेरी कसम खावो |
रोहिणी - अरी पूछ तो सही |
रीमा - जीजा जी का सच में काले नाग के इतना मोटा है क्या ?
रोहिणी शरारती आँखों से - क्यों री, तुझे भी लेना है क्या |
रीमा सकपका गयी, रोहिणी खिलखिलाकर हंस पड़ी - हाहाहाहाहाहाहाहाहा तू डरती बहुत है, पता है क्यों, क्योंकि तूने कुछ किया नहीं है | मै तो मजाक कर रही थी |
रीमा के साँस में साँस आई - तो बतावो न दीदी |
रोहिणी आंखे मटकाते हुए - तुझे मेरे पति के उसमे बड़ी दिलचस्पी है..............|
रीमा ने भी ताड़ लिया की रोहिणी उसके मजे ले रही है उसने भी बनावटी नाराजी जाहिर की - इसलिए मै नही पूछ रही थी दीदी मुझे पता था आप मेरी ही टांग खिचोगी | मै तो बस ऐसे ही पूछ रही थी आप पता नहीं उसे कहाँ से खीचकर के मेरे ऊपर चिपकाये दे रही हो |
रोहिणी गंभीर होती हुई - अच्छा एक बात का जवाब दे, तुझे कैसा पसंद है, स्माल मीडियम या लाआआआआआआअरज |
जिस तरह से रोहिणी ने लार्ज को खीचा, रीमा भी रोहिणी के साथ खिलखिलाने लगी |
रीमा को लगा को इतना भी पर्दा क्या ठीक, जब दीदी इतना खुल गयी है तो मै क्यों खुद को लिहाज के बोरे में बंद रखु |
रीमा - दीदी अब आपके इतना तो एक्सपीरियंस है नहीं, मैंने तो ये भी सुना है आपने ही सारा काम ज्ञान जीजा को दिया है |
रोहिणी - तू जीतनी सीधी' दिखाती है उतनी है नहीं, मै कुछ और पूछ रही हूँ और तू जलेबी बनाकर मुझे ही गुमाए दे रही रही है, शैतान कंही की | सच सच बचा किस किस साइज़ के खा चुकी है मुई |
रीमा थोड़ा सा शरमाते हुए झेपते हुए - सारे |
रोहिणी अपने गालो पर हाथ रख कर मुहँ फैलाते हुए - हाय हाय मेरी कट्टो तुम तो छुपी रुस्तम निकली | मुझे पता था इतनी हसीन औरत ज्यादा दिन तक चूत की खुजली बर्दाश्त ही नहीं कर सकती |
रीमा मासूमियत से - क्या मै खूबसूरत हूँ दीदी |
रोहिणी - हाय मै मर जावा इस मासूमियत पे | अरे मेंरी कट्टो रानी तू बहुत खूबसूरत है, इतनी की मुझे डर है कही ये भी तेरे नाम की मुट्ठ न मारते हो |
रीमा - दीदी छी छी छी छी छी छी कैसी बाते करती है |
रोहिणी - मुझे तो ये भी लगता है ये हमरे खसम मौनी बाबा कही तुझे चोदने के सपने भी न देखते हो |
रीमा मुहँ बनाते हुए - दीदी छी छी छी छी छी छी बस करो दीदी, वरना सारा सारा नशा यही काफूर हो जायेगा | हाय हाय हाय आप ये सब कैसे सोच लेती हो |
रोहिणी फुल नशे में थी - जब 11 इंच मोटा लम्बा तगड़ा लंड एक झटके में निगल सकती हूँ तो क्या नहीं कर सकती |
अब चौकने की बारी रीमा की थी - हाय दईय्यिया इतना बड़ा है |
रोहिणी - चौंक गयी, बोल तुझे चखना हो तो बताना, ये तो अपने पालतू है जहाँ कह दूँगी वहां चाटना शुरू कर देगें |
रीमा सवालिया लहजे - क्या ???
रोहिणी - मर्द को क्या चाहिए ...............(थोड़ा रूककर एक दुसरे की आँखों में आंखे डालकर) बोल क्या चाहिए | फिर दोनों एक साथ बोल पड़ी - चूत | इसके बाद फिर से खिलखिलाकर हँसने लगी |
रोहिणी रीमा को छेड़ते हुए - बता करेगी ११ इंच के नागनाथ के दर्शन | सबके बस का नहीं होता ११ इंच का घोटना लेकिन मुझे पूरा यकीन है तू पूरा निगल जाएगी |
रीमा - ऊऊउफ़्फ़्फ़्फ़ दीदी अब छोड़ो भी न | आप तो बात को पकड़कर ही बैठ गयी |
रोहिणी - देख कट्टो तू है तो एक नंबर की हरामन, इत्ती देर में पहचान गयी हूँ, अब खुलकर बात कर न | दीदी बोलती है तो सच बता |
रीमा - क्या बताऊ |
रोहिणी - सबसे बड़ा अब तक कितना बड़ा घोंट चुकी है | शर्मा मत, ऐसे बता जैसे अपने बचपन की सहेली के साथ बैठी हो |
रीमा थोड़ी शर्माते हुए - अब क्या बताऊ दीदी, कोई इंची टेप लेकर तो नापता नहीं |
रोहिणी उत्साह से - कोई नहीं कोई नहीं, अंदाजा |
रीमा - सात आठ इंच या ज्यादा से ज्यादा 9 होगा |
रोहिणी - हाय मै वारी जावा तेरी मासूमियत पर, हरामन 9 इंच मोटा लंड घोट चुकी है और ऐसे जता रही है जैसे अभी सील भी न टूटी हो | सोच जब 9 इंच का घोट चुकी तो २ इंच और सही |
रीमा झुंझलाकर - दीदी |
रोहिणी - अरे इसमें परेशान होने की बात क्या है, देख एक ही जिंदगी है, जी भर के जी ले | अगर मन है तो घोट ले अपने जीजा का ११ इंची नागनाथ, मुझे कोई ऐतराज नहीं है |
रीमा - क्या बात कर रही है दीदी...................भला ऐसे कही होता है |
रोहिणी - देख पगली, मुझसे छुपकर कही इधर उधर मुहँ मरेगा और दुनिया भर की बीमारी लाकर मेरी चूत में घुसेड दे इससे तो अच्छा है की मेरा पति जिसको चोद रहा हो उसके बार एमे मुझे पहले से पता हो | एक साथ रहते रहते नीम करेले जैसी जिंदगी हो जाती है | कभी कभी टेस्ट बदलने में कोई हर्ज नहीं है | और अगर घर की बात घर में ही रहे तो इससे अच्छा क्या |
रीमा - दीदी आपको चढ़ गयी है |
रोहिणी - आदमी शराब पीने के बाद ही सच बोलता है | एक रात चोदने से कोई किसी से दूर नहीं जाता और न ही कोई और किसी के पास आ जाता है | हवस है भूख है , खावो पीवो और मिटावो, जहाँ बन पड़े जिससे बन पड़े | ये सब चीजे रिश्तो में नहीं घुसानी चाहिए थी | हवस का क्या है चाँद पलो की है और रिश्ते बरसो में बनते है | जिंदगी के बाद सबसे ज्यादा कदर रिश्तो की करनी चाहिए | बाकि ये लंड चूत का खेल तो चलता रहता है, इसके लिए ज्यादा दिल से नहीं सोचना चाहिए | अगर किसी को चोदने का मन हो या किसी से चुदने का मन हो तो बात वही निपटा देनी चाहिए |
रीमा समझ गयी थी रोहिणी अब फुल नशे में जा चुकी है |
रोहिणी काफी शराब पी चुकी थी, अनिल को पता था अगर बोतल ले गयी तो जब तक बोतल ख़त्म नहीं होगी रोहिणी नहीं मानेगी | इसलिए वो बस तीन गिलास में एक एक बड़ा पैग बनाकर लाये |
पैग आते ही रोहिणी और रीमा उस पर टूट पड़ी | और आधा गिलास एक साँस में ख़त्म कर दिया | रीमा के दिमाग में रोहिणी की बाते घूमने लगी | रीमा ने अनिल की तरफ देखा, उनको देखते ही वो ११ इंच लम्बा मोटा लंड इमेजिन करने लगी | रोहिणी ने तुरंत कोहनी रीमा को कोहनी मारी | रीमा कुछ समझी नहीं | रोहिणी ने झूमते हुए उसे अपनी बांहों में भरा और उसके कान में कुछ फूसफुसाया - वरी रीमा देख तेरे जीजा को दारू चढ़ गयी है कैसे अकड़ गया है |
रीमा ने अनिल की तरफ देखा और फिर रोहिणी की तरफ सवालिया नजरो से देखने लगी | रोहिणी ने आँखों से ही उसे नीचे की तरफ देखने का इशारा किया | रीमा ने जैसे ही गर्दन घुमाकर नीचे की तरफ अनिल को देखा, अनिल के लाख छुपाने के बावजूद उनके नागनाथ पूरी तरह से अकड़े हुए थे | अब ये शराब का नशा था या रीमा का लेकिन उनके मोटे ग्यारह इंची लंड का उभर पेंट के ऊपर से साफ़ झलक रहा था | रीमा और रोहिणी को अपनी तरफ ऐसे देख अनिल थोडा सा झेंप गए | उस्न्हे पता था वो दोनों क्या देख रही है लेकिन उसे छुपाना भी तो मुश्किल हो गया था | उन्होंने झेंपते हुए एक जांघ के ऊपर दूसरी जांघ रख दी |
रोहिणी खिलखिलाने लगी - शर्माइये मत मेरे खसम जी | अब जो है सो है, मैंने तो इस कट्टो को भी आपके काले नाग का साइज़ बता दिया है | अनिल का चेहरा देखने लायक था | इतना ज्यादा असहज शायद ही उन्होंने कभी महसूस किया हो | रीमा का चांस मिलने से पहले ही उसकी मल्टी टैलेंटेड बीबी लग रहा है ख़त्म कर देगी |
अनिल - यार रोहिणी क्या गजब करती हो तुम भी, कही भी कुछ भी बोलने लगाती हो , तुम्हे चढ़ गयी है चलो घर चलते है |
रोहिणी मुट्ठी को बांधकर कोहनी से हाथ मोड़कर ऊपर की तरफ सीधा करते हुए - हद करते हो आप भी अनिल, किसका चढ़ा है वो साफ़ दिख रहा है |
इतना कहकर वो दोनों आपस में लोटपोट हो गयी और बहुर देर तक हंसती रही | अनिल बस खुद को संयत रखकर पैग सिप करते रहे | जब उन दोनों का अनिल को देखकर चिढाना बंद नहीं हुआ तो अनिल भी अपनी रौ में आ गए | आखिर वो भी तो नशे में डूब चुके थे | उन्हें पता था बीबी को छेड़ा तो यही धज्जियां उड़ा देगी इसलिए उन्होंने रीमा को कुरेदने की सोची | जो की उनका असली मकसद भी था |
अनिल - अब जब हम सब इतना खुल ही गए है तो अपने बारे में कुछ बतावो | अपना पहल प्यार, पहला क्रस, पहला सेक्स, या सेक्सुअल फैंटसी , कोई ऐसी डिजायर जो अधूरी हो .............कुछ भी ऐसा जो तुमने अभी तक किसी के साथ शेयर न किया हो |
रीमा नशे में थी फिर भी उसकी चेतना नहीं खोयी थी | सच बोल नहीं सकती थी नहीं तो पता नहीं बात कहाँ तक फ़ैल जाएगी | रीमा ने समझदारी से काम किया, बिना किसी हिचकिचाहट के आराम से बोली - जीजा जी जब इन्सान चला जाता है तो उम्मीदे भी मर जाती है जब उम्मीदें मर जाती है तो फिर क्या फैंटसी क्या डिजायर | उसके बाद ये सब चीजे बेमानी हो जाती है | अपने पति के जाने के बाद मैंने खुद को समेटकर अपने अंदर ही खत्म कर दिया |
अनिल को पता था रीमा झूट बोल रही है | सटी सावित्री थी तब थी अब तो नहीं है अब तो बस ढोंग कर रही है | इधर रोहिणी फुल नशे में टूल्ल्ल थी |
रोहिणी - माना तेरी बात इंसान के जाने के बाद बहुत कुछ ख़त्म हो जाता है मुई, लेकिन चूत तो रहती है और चूत है तो उसमे खुजली भी होगी | अब सच सच बता कितने लंड खा चुकी है अब तक मेरी कट्टो |
रीमा फंस सी गयी | अनिल ने भी रोहिणी को सपोर्ट किया - यह बात तो सच है कि एक इंसान के जाने के बाद में आदमी अंदर से टूट जाता है उसकी सारी इच्छाएं मर जाती हैं लेकिन फिर शरीर तो इच्छाओं से नहीं चलता शरीर की तो अपनी जरूरतें होती हैं | तुम अपना सुख दुःख, अपनी डीप डिजायर्स, फोर्बिडन डिजायर्स हमारे साथ शेयर कर सकती हो |
रीमा को रोहित के सिखाये लेसन याद आगये | भावनाओं के आगे दिमाग | रीमा बोली - मेरी जिंदगी तो रेगिस्तान के बगीचे की तरह है यहाँ ऐसा कुछ है ही नहीं जो बताने लायक हो |
रोहिणी रीमा को सांत्वना देती हुई - भरी जवानी में विधवा होने का दुःख और बोझ तुझसे ज्यादा कौन जान सकता है |
अनिल - कई बार हम जिंदगी भर अपनी दबी ख्वाइस का बोझ लिए मारे मारे फिरते रहते है, क्योंकि हमारे पास कोई नहीं होता जिसे हम बता सके | फिर सेक्स की फैंटसी तो ऐसी है की उन्हें तो हम खुद से भी छिपाते फिरते है | हमें तुम खुलकर बता सकती हो |
रोहिणी को अनिल का दुबारा से जोर डालकर पूछना पसंद नहीं आया - क्यों कुरेद रहे हो उसके दबे जख्मो को, एक बार उसने बोल दिया समझ नहीं आया |
रोहिणी की झिड़क से अनिल अन्दर ही अन्दर कुढ़ गए | पता नहीं क्या समझती है अपने आप को, कुत्ता बनाकर रखा हुआ है | किसी के सामने भी मेरी इज्जत का फालूदा कर देती है | अन्दर ही अन्दर कुढ़ कर रहे गए क्योंकि रोहिणी को चैलेंगे करने की हिम्मत नहीं थी | उनका स्वाभाव नहीं था औरतो पर जोर दिखाने का | उन्हें औरतो की दासता स्वीकार थी | उनका मानना था कि औरते पुरुष को न केवल नियंत्रित रखती है बल्कि उनके जीवन को भी संतुलित रखती है |
तब तक अन्दर से डैड बाहर आ चुके थे - क्या हो गया बेटा |
मै गरजती हुई - ये आदमी अपनी दीवाल पर मूत रहा था मैंने मना किया तो बेशर्मी से अपना काला नाग मुझे दिखाने लगा |
इससे पहले कोई कुछ कहता ये बिलकुल समर्पण की मुद्रा में आ गए - बहन जी गलती हो गयी, मुझे बहुत तेज लगी थी और यहाँ कोई ओट नहीं थी इसलिए | इतना कहते ही बिना किसी के कुछ काहे उठक बैठक लगाने लगे | डैड अनुभवी आदमी थे, इनकी रोनी सूरत देख के ही समझ गए की लड़का गाय है बस गलती कर बैठा | वो भीड़ को समझाने बुझाने लगे ताकि कही कोई हाथ न उठा दे | धीरे धीरे करके मेरे डैड ने सबको वहां से भगाया और उस लड़के से जाने को भी बोलो दिया | मेरा गुस्सा अब काफी कम हो चूका था |
ये मरी हुई आवाज में बोले - अंकल जी अगर नजर न हो तो एक गिलास पानी पिला दीजिये, यहाँ दूर दूर तक कोई नल नहीं दिखाई दे रहा है | प्यास लगी है |
मुझे हंसी आ गयी, इतनी जोर से प्यास लगी है फिर भी अपनी टंकी खाली किये जा रहा है | ये सोचकर मुझसे रहा न गया, मेरे मुहँ से ठहाका छुट गया | मेरे डैड मुझे देखकर बोले - क्या हुआ तुझे, पागल है क्या लड़की, जाकर एक गिलास पानी ले आ |
मैंने साफ़ मना कर दिया | डैड उसे गेट पर खड़े रहने को बोलकर अन्दर चले गए और एक बोतल पानी लेकर बाहर आये | उसे पानी पिलाया और उसके बारे में पूछने लगे | मै अन्दर कमरे के दरवाजे ओंट में खादों सारी बाते सुनने लगी | रोहित बार बार मुझे परेशान करने आ जाता लेकिन मुझे उस मिमियाते काले भुजंग इंसान में न जाने क्यों दिलचस्पी पैदा हो गयी | कुछ देर बाद पता चला वो यहाँ कॉलेज में PG में एडमिशन लेने आया है | किसी गाँव का रहने वाला है और ग्रेजुएशन के बाद वहां आगे पढने के लिए कोई कॉलेज नहीं है | रोहित मुझे बार बार परेशान कर रहा था इसलिए ज्यादा बाते तो मै सुन नहीं पाई और रोहित की कुटाई करने उसके पीछे भागने लगी | डैड उससे काफी देर बात करते रहे | शाम को पता चला वो अपने कॉलेज का टापर है और आफ्टर ग्रेजुएशन की पढाई के लिए एडमिशन लेने आया है | उसका बैकग्राउंड कुछ खास नहीं था पिताजी थे नहीं माताजी छोटी सी जमीन पर सब्जी भाजी पैदा करके घर का खर्च चलाती थी |
एक महीने बाद मेरे उअप्र बम तब फटा जब डैड ने उसे ऊपर वाला कमरा रहने के लिए दे दिया और भी बिना एक पैसे लिए | उसके बाद एक लम्बे समय तक मै इनसे नफरत करती रही अपने अन्दर हिकारत भरती रही, इनके कपड़ो का मजाक, इनकी बोली का मजाक, इनके गरीब होने का मजाक उड़ाती रही और ये सब बर्दाश्त करते रहे | यही सब करते करते पता नहीं कब जाने इन्ही से प्यार हो गया |
अनिल बस पैग पर ध्यान लगाये थे और रीमा के जिस्म के कटाव घुमाव को आँखों से पीने की कोशिश कर रहे थे, रोहिणी यादो के समुद्र में खोयी थी और रीमा बस रोहिणी की यादो में खुद को डुबोने की कोशिश कर रही थी | एक और पैग ख़त्म हो चूका था | रीमा नयी बोतल निकालने के लिए उठी तो रोहिणी ने उसे थाम लिया - तू बैठ, जाइये आप बोतल निकाल कर लाइए और पैग बनाइये |
रीमा ने अपनी नशीली आँखों से रोहिणी की तरफ देखा और रोहिणी ने अपनी नशीली आँखों से रीमा को देखा | फिर दोनों ने अनिल को एक साथ देखा और नशे में झूमती खिलखिला कर हंस पड़ी | अनिल औरतो के इस विनोद से अन्दर तक गदगद होते हुए नयी बोतल निकालने चल दिए |
रीमा और रोहिणी को भरपूर नशा हो चूका था | अनिल के जाने के बाद रीमा को मस्ती सूझी - दीदी एक बात पूछु बताओगी |
रोहिणी - पूछ न |
रीमा - सच्ची मेरी कसम खावो |
रोहिणी - अरी पूछ तो सही |
रीमा - जीजा जी का सच में काले नाग के इतना मोटा है क्या ?
रोहिणी शरारती आँखों से - क्यों री, तुझे भी लेना है क्या |
रीमा सकपका गयी, रोहिणी खिलखिलाकर हंस पड़ी - हाहाहाहाहाहाहाहाहा तू डरती बहुत है, पता है क्यों, क्योंकि तूने कुछ किया नहीं है | मै तो मजाक कर रही थी |
रीमा के साँस में साँस आई - तो बतावो न दीदी |
रोहिणी आंखे मटकाते हुए - तुझे मेरे पति के उसमे बड़ी दिलचस्पी है..............|
रीमा ने भी ताड़ लिया की रोहिणी उसके मजे ले रही है उसने भी बनावटी नाराजी जाहिर की - इसलिए मै नही पूछ रही थी दीदी मुझे पता था आप मेरी ही टांग खिचोगी | मै तो बस ऐसे ही पूछ रही थी आप पता नहीं उसे कहाँ से खीचकर के मेरे ऊपर चिपकाये दे रही हो |
रोहिणी गंभीर होती हुई - अच्छा एक बात का जवाब दे, तुझे कैसा पसंद है, स्माल मीडियम या लाआआआआआआअरज |
जिस तरह से रोहिणी ने लार्ज को खीचा, रीमा भी रोहिणी के साथ खिलखिलाने लगी |
रीमा को लगा को इतना भी पर्दा क्या ठीक, जब दीदी इतना खुल गयी है तो मै क्यों खुद को लिहाज के बोरे में बंद रखु |
रीमा - दीदी अब आपके इतना तो एक्सपीरियंस है नहीं, मैंने तो ये भी सुना है आपने ही सारा काम ज्ञान जीजा को दिया है |
रोहिणी - तू जीतनी सीधी' दिखाती है उतनी है नहीं, मै कुछ और पूछ रही हूँ और तू जलेबी बनाकर मुझे ही गुमाए दे रही रही है, शैतान कंही की | सच सच बचा किस किस साइज़ के खा चुकी है मुई |
रीमा थोड़ा सा शरमाते हुए झेपते हुए - सारे |
रोहिणी अपने गालो पर हाथ रख कर मुहँ फैलाते हुए - हाय हाय मेरी कट्टो तुम तो छुपी रुस्तम निकली | मुझे पता था इतनी हसीन औरत ज्यादा दिन तक चूत की खुजली बर्दाश्त ही नहीं कर सकती |
रीमा मासूमियत से - क्या मै खूबसूरत हूँ दीदी |
रोहिणी - हाय मै मर जावा इस मासूमियत पे | अरे मेंरी कट्टो रानी तू बहुत खूबसूरत है, इतनी की मुझे डर है कही ये भी तेरे नाम की मुट्ठ न मारते हो |
रीमा - दीदी छी छी छी छी छी छी कैसी बाते करती है |
रोहिणी - मुझे तो ये भी लगता है ये हमरे खसम मौनी बाबा कही तुझे चोदने के सपने भी न देखते हो |
रीमा मुहँ बनाते हुए - दीदी छी छी छी छी छी छी बस करो दीदी, वरना सारा सारा नशा यही काफूर हो जायेगा | हाय हाय हाय आप ये सब कैसे सोच लेती हो |
रोहिणी फुल नशे में थी - जब 11 इंच मोटा लम्बा तगड़ा लंड एक झटके में निगल सकती हूँ तो क्या नहीं कर सकती |
अब चौकने की बारी रीमा की थी - हाय दईय्यिया इतना बड़ा है |
रोहिणी - चौंक गयी, बोल तुझे चखना हो तो बताना, ये तो अपने पालतू है जहाँ कह दूँगी वहां चाटना शुरू कर देगें |
रीमा सवालिया लहजे - क्या ???
रोहिणी - मर्द को क्या चाहिए ...............(थोड़ा रूककर एक दुसरे की आँखों में आंखे डालकर) बोल क्या चाहिए | फिर दोनों एक साथ बोल पड़ी - चूत | इसके बाद फिर से खिलखिलाकर हँसने लगी |
रोहिणी रीमा को छेड़ते हुए - बता करेगी ११ इंच के नागनाथ के दर्शन | सबके बस का नहीं होता ११ इंच का घोटना लेकिन मुझे पूरा यकीन है तू पूरा निगल जाएगी |
रीमा - ऊऊउफ़्फ़्फ़्फ़ दीदी अब छोड़ो भी न | आप तो बात को पकड़कर ही बैठ गयी |
रोहिणी - देख कट्टो तू है तो एक नंबर की हरामन, इत्ती देर में पहचान गयी हूँ, अब खुलकर बात कर न | दीदी बोलती है तो सच बता |
रीमा - क्या बताऊ |
रोहिणी - सबसे बड़ा अब तक कितना बड़ा घोंट चुकी है | शर्मा मत, ऐसे बता जैसे अपने बचपन की सहेली के साथ बैठी हो |
रीमा थोड़ी शर्माते हुए - अब क्या बताऊ दीदी, कोई इंची टेप लेकर तो नापता नहीं |
रोहिणी उत्साह से - कोई नहीं कोई नहीं, अंदाजा |
रीमा - सात आठ इंच या ज्यादा से ज्यादा 9 होगा |
रोहिणी - हाय मै वारी जावा तेरी मासूमियत पर, हरामन 9 इंच मोटा लंड घोट चुकी है और ऐसे जता रही है जैसे अभी सील भी न टूटी हो | सोच जब 9 इंच का घोट चुकी तो २ इंच और सही |
रीमा झुंझलाकर - दीदी |
रोहिणी - अरे इसमें परेशान होने की बात क्या है, देख एक ही जिंदगी है, जी भर के जी ले | अगर मन है तो घोट ले अपने जीजा का ११ इंची नागनाथ, मुझे कोई ऐतराज नहीं है |
रीमा - क्या बात कर रही है दीदी...................भला ऐसे कही होता है |
रोहिणी - देख पगली, मुझसे छुपकर कही इधर उधर मुहँ मरेगा और दुनिया भर की बीमारी लाकर मेरी चूत में घुसेड दे इससे तो अच्छा है की मेरा पति जिसको चोद रहा हो उसके बार एमे मुझे पहले से पता हो | एक साथ रहते रहते नीम करेले जैसी जिंदगी हो जाती है | कभी कभी टेस्ट बदलने में कोई हर्ज नहीं है | और अगर घर की बात घर में ही रहे तो इससे अच्छा क्या |
रीमा - दीदी आपको चढ़ गयी है |
रोहिणी - आदमी शराब पीने के बाद ही सच बोलता है | एक रात चोदने से कोई किसी से दूर नहीं जाता और न ही कोई और किसी के पास आ जाता है | हवस है भूख है , खावो पीवो और मिटावो, जहाँ बन पड़े जिससे बन पड़े | ये सब चीजे रिश्तो में नहीं घुसानी चाहिए थी | हवस का क्या है चाँद पलो की है और रिश्ते बरसो में बनते है | जिंदगी के बाद सबसे ज्यादा कदर रिश्तो की करनी चाहिए | बाकि ये लंड चूत का खेल तो चलता रहता है, इसके लिए ज्यादा दिल से नहीं सोचना चाहिए | अगर किसी को चोदने का मन हो या किसी से चुदने का मन हो तो बात वही निपटा देनी चाहिए |
रीमा समझ गयी थी रोहिणी अब फुल नशे में जा चुकी है |
रोहिणी काफी शराब पी चुकी थी, अनिल को पता था अगर बोतल ले गयी तो जब तक बोतल ख़त्म नहीं होगी रोहिणी नहीं मानेगी | इसलिए वो बस तीन गिलास में एक एक बड़ा पैग बनाकर लाये |
पैग आते ही रोहिणी और रीमा उस पर टूट पड़ी | और आधा गिलास एक साँस में ख़त्म कर दिया | रीमा के दिमाग में रोहिणी की बाते घूमने लगी | रीमा ने अनिल की तरफ देखा, उनको देखते ही वो ११ इंच लम्बा मोटा लंड इमेजिन करने लगी | रोहिणी ने तुरंत कोहनी रीमा को कोहनी मारी | रीमा कुछ समझी नहीं | रोहिणी ने झूमते हुए उसे अपनी बांहों में भरा और उसके कान में कुछ फूसफुसाया - वरी रीमा देख तेरे जीजा को दारू चढ़ गयी है कैसे अकड़ गया है |
रीमा ने अनिल की तरफ देखा और फिर रोहिणी की तरफ सवालिया नजरो से देखने लगी | रोहिणी ने आँखों से ही उसे नीचे की तरफ देखने का इशारा किया | रीमा ने जैसे ही गर्दन घुमाकर नीचे की तरफ अनिल को देखा, अनिल के लाख छुपाने के बावजूद उनके नागनाथ पूरी तरह से अकड़े हुए थे | अब ये शराब का नशा था या रीमा का लेकिन उनके मोटे ग्यारह इंची लंड का उभर पेंट के ऊपर से साफ़ झलक रहा था | रीमा और रोहिणी को अपनी तरफ ऐसे देख अनिल थोडा सा झेंप गए | उस्न्हे पता था वो दोनों क्या देख रही है लेकिन उसे छुपाना भी तो मुश्किल हो गया था | उन्होंने झेंपते हुए एक जांघ के ऊपर दूसरी जांघ रख दी |
रोहिणी खिलखिलाने लगी - शर्माइये मत मेरे खसम जी | अब जो है सो है, मैंने तो इस कट्टो को भी आपके काले नाग का साइज़ बता दिया है | अनिल का चेहरा देखने लायक था | इतना ज्यादा असहज शायद ही उन्होंने कभी महसूस किया हो | रीमा का चांस मिलने से पहले ही उसकी मल्टी टैलेंटेड बीबी लग रहा है ख़त्म कर देगी |
अनिल - यार रोहिणी क्या गजब करती हो तुम भी, कही भी कुछ भी बोलने लगाती हो , तुम्हे चढ़ गयी है चलो घर चलते है |
रोहिणी मुट्ठी को बांधकर कोहनी से हाथ मोड़कर ऊपर की तरफ सीधा करते हुए - हद करते हो आप भी अनिल, किसका चढ़ा है वो साफ़ दिख रहा है |
इतना कहकर वो दोनों आपस में लोटपोट हो गयी और बहुर देर तक हंसती रही | अनिल बस खुद को संयत रखकर पैग सिप करते रहे | जब उन दोनों का अनिल को देखकर चिढाना बंद नहीं हुआ तो अनिल भी अपनी रौ में आ गए | आखिर वो भी तो नशे में डूब चुके थे | उन्हें पता था बीबी को छेड़ा तो यही धज्जियां उड़ा देगी इसलिए उन्होंने रीमा को कुरेदने की सोची | जो की उनका असली मकसद भी था |
अनिल - अब जब हम सब इतना खुल ही गए है तो अपने बारे में कुछ बतावो | अपना पहल प्यार, पहला क्रस, पहला सेक्स, या सेक्सुअल फैंटसी , कोई ऐसी डिजायर जो अधूरी हो .............कुछ भी ऐसा जो तुमने अभी तक किसी के साथ शेयर न किया हो |
रीमा नशे में थी फिर भी उसकी चेतना नहीं खोयी थी | सच बोल नहीं सकती थी नहीं तो पता नहीं बात कहाँ तक फ़ैल जाएगी | रीमा ने समझदारी से काम किया, बिना किसी हिचकिचाहट के आराम से बोली - जीजा जी जब इन्सान चला जाता है तो उम्मीदे भी मर जाती है जब उम्मीदें मर जाती है तो फिर क्या फैंटसी क्या डिजायर | उसके बाद ये सब चीजे बेमानी हो जाती है | अपने पति के जाने के बाद मैंने खुद को समेटकर अपने अंदर ही खत्म कर दिया |
अनिल को पता था रीमा झूट बोल रही है | सटी सावित्री थी तब थी अब तो नहीं है अब तो बस ढोंग कर रही है | इधर रोहिणी फुल नशे में टूल्ल्ल थी |
रोहिणी - माना तेरी बात इंसान के जाने के बाद बहुत कुछ ख़त्म हो जाता है मुई, लेकिन चूत तो रहती है और चूत है तो उसमे खुजली भी होगी | अब सच सच बता कितने लंड खा चुकी है अब तक मेरी कट्टो |
रीमा फंस सी गयी | अनिल ने भी रोहिणी को सपोर्ट किया - यह बात तो सच है कि एक इंसान के जाने के बाद में आदमी अंदर से टूट जाता है उसकी सारी इच्छाएं मर जाती हैं लेकिन फिर शरीर तो इच्छाओं से नहीं चलता शरीर की तो अपनी जरूरतें होती हैं | तुम अपना सुख दुःख, अपनी डीप डिजायर्स, फोर्बिडन डिजायर्स हमारे साथ शेयर कर सकती हो |
रीमा को रोहित के सिखाये लेसन याद आगये | भावनाओं के आगे दिमाग | रीमा बोली - मेरी जिंदगी तो रेगिस्तान के बगीचे की तरह है यहाँ ऐसा कुछ है ही नहीं जो बताने लायक हो |
रोहिणी रीमा को सांत्वना देती हुई - भरी जवानी में विधवा होने का दुःख और बोझ तुझसे ज्यादा कौन जान सकता है |
अनिल - कई बार हम जिंदगी भर अपनी दबी ख्वाइस का बोझ लिए मारे मारे फिरते रहते है, क्योंकि हमारे पास कोई नहीं होता जिसे हम बता सके | फिर सेक्स की फैंटसी तो ऐसी है की उन्हें तो हम खुद से भी छिपाते फिरते है | हमें तुम खुलकर बता सकती हो |
रोहिणी को अनिल का दुबारा से जोर डालकर पूछना पसंद नहीं आया - क्यों कुरेद रहे हो उसके दबे जख्मो को, एक बार उसने बोल दिया समझ नहीं आया |
रोहिणी की झिड़क से अनिल अन्दर ही अन्दर कुढ़ गए | पता नहीं क्या समझती है अपने आप को, कुत्ता बनाकर रखा हुआ है | किसी के सामने भी मेरी इज्जत का फालूदा कर देती है | अन्दर ही अन्दर कुढ़ कर रहे गए क्योंकि रोहिणी को चैलेंगे करने की हिम्मत नहीं थी | उनका स्वाभाव नहीं था औरतो पर जोर दिखाने का | उन्हें औरतो की दासता स्वीकार थी | उनका मानना था कि औरते पुरुष को न केवल नियंत्रित रखती है बल्कि उनके जीवन को भी संतुलित रखती है |