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Adultery रीमा की दबी वासना
उधर रीमा प्रियम को ढूंढते ढूंढते रोहित के घर पहुंच गई क्योंकि सबसे ज्यादा प्रियम के अपने घर में होने के ही चांस थे रात हो चुकी थी इसलिए वह इधर उधर कहीं नहीं जा सकता था रात में इस वक्त रीमा को देखकर अनिल और रोहिणी दोनों ही चौक गए हालांकि रीमा ने जाते ही जाते बता दिया प्रियम उसका फ़ोन नहीं उठा रहा था इसलिए वो वह ये पता करने आई है की प्रियम घर पर ही है या नहीं और उसे एक जरुरी काम भी था प्रियम से  | हालांकि रोहिणी ने जानना चाहा इस समय इतनी रात को कौन सा जरूरी काम हो सकता है 
रीमा ने बहाना मार दिया - उसकी टीचर का फोन आया था और इसी सिलसिले में उससे बात करनी है यह उसकी पढ़ाई से रिलेटेड है |


अनिल अनुभवी इंसान से उन्हें पता था कि रीमा सरासर झूठ बोल रही है लेकिन उनको क्या लेना देना है इसलिए उन्होंने आगे कोई सवाल नहीं किए 
रीमा दरवाजे से घुसते हुई प्रियम के कमरे की तरफ चली गई | रोहिणी ने सवाल भरी नजरों से अनिल की तरफ देखा लेकिन अनिल ने उन्हें रिलैक्स रहने को कहा |
रीमा ने प्रियम के कमरे के सामने जाते ही कमरे को नाक किया - अंदर से आवाज आई कि मुझे भूख नहीं है| 

 इस रीमा बोली - भूख नहीं है तो क्या बात भी नहीं कर सकते फोन मिला रही थी फ़ोन क्यों नहीं उठा रहे हो, बस एक ही झटके में मेरा फोन उठाने में शर्म आने लगी |  प्रियम दरवाजा खोलो | 

प्रियम हैरान था इस वक्त रीमा कहां से आ गई इस वक्त अब उसे क्या काम है  इतना सब करने के बाद भी उसकी चाची का पेट नहीं भरा जो यहां तक चली आई अब क्या चाहती है मेरी जान ही ले लेंगी क्या | प्रियम ने  मन मसोस कर के अपने बिस्तर से उठा उसने दरवाजा खोल दिया,  दरवाजा खुलते ही रीमा अन्दर घुस गयी और  दरवाजे को अंदर से बंद कर लिया और सवाल भरी नजरों से प्रियम को घूरने लगी | प्रियम ने उसकी तरफ नजरें ही नहीं उठाई और वह सर झुका कर चुपचाप अपने बिस्तर पर जाकर बैठ गया |
रीमा - फोन क्यों नहीं उठा रहे थे |
 प्रियम चुप रहा | रीमा - मुझसे बात करो प्रियम जो हुआ वह तुम लोगों की गलती की वजह से ही हुआ है आज तक मैंने तुम्हें कभी नुकसान पहुंचाने की कोशिश नहीं करी है लेकिन तुम हो कि अपनी हरकतों से बाज ही नहीं आते | रोहित तुम्हारी जिम्मेदारी मुझे देकर गया है तो कान खोल कर सुन लो  जो कुछ भी बातचीत होगी वह हमारे बीच रहेगी समझ गए | तुम उसकी अनुपस्थिति में मेरी जिम्मेदारी हो लेकिन तुम्हे तो पता नहीं मेरे शरीर की कौन सी सनक सवार है  हर बार कुछ ऐसा करते हो जिससे मुझे कुछ ऐसा करने पर मजबूर कर देते हो ....................................इसीलिए तुम्हारा यह हाल है |  मैंने जो किया है मुझे उसका कोई अफसोस नहीं है लेकिन एक बात कान खोलकर सुन ले कुछ भी उल्टा सीधा करने की मत सोचना समझ गए | तुम्हें कोई मदद चाहिए , मुझसे आकर बतावो ..... किसी तरह की कोई  समस्या है वह भी तुम मुझे बता सकते हो मैं तुम्हारे लिए हमेशा मौजूद रहूंगी | भूल जावो जो कुछ अभी कुछ देर पहले हुआ मै तुम्हारी वही रीमा चाची हूं  जो पहले थी और मैं तुम्हारा वैसे ही ख्याल रखूंगी जैसा पहले करती थी लेकिन एक चीज कान खोल कर सुन लो आज के बाद किसी तरह की कोई उल्टी-सीधी हरकत हुई तो इस बार सीधा सीधा सब कुछ में रोहित को बता  दूंगी | अब बहुत हो चुका है और तुमने अपनी सारी हदें पार कर दी है | तूम मेरे भतीजे हो और हमेशा रहोगे और मुझे तुमसे उतना ही प्यार है जितना कि कोई अपने बेटे से करता है लेकिन एक चीज याद रखना हर उस रिश्ते की एक मर्यादा होती है अब तुम उस मर्यादा के अंदर ही रहोगे तभी ठीक रहेगा |  ज्यादा रोने धोने की जरूरत नहीं है उसको एक नॉर्मल बात मान कर भूल जाओ, क्योंकि दुबारा ऐसा कुछ किया न तो तुम्हे अच्छे से पता है की मै क्या क्या कर सकती हूँ | 
प्रियम सिबुकने लगा | एक डरा सहमा हुआ कमजोर बालक देख  रीमा के अन्दर का सारा वात्सल्य उमड़ आया- उसके पास आई और उसे बांहों में भरकर सीने से चिपका लिया | कुछ देर तक उसके बाल सहलाती रही, प्रियम रीमा के आँचल में सिबुक सिबुक कर थम गया | रीमा - चलो तुम्हे भूख लगी होगी, आज पार्क स्ट्रीट के डोमिनोस का पिज़्ज़ा खाते है | 
प्रियम दुखी स्वर में बोला - मुझे भूख नहीं है मुझे कुछ नहीं खाना........ मुझे अकेला छोड़ दो | 
रीमा उसकी आँखों से लुढ़कते आंसू पोछकर - मै कैसे तुझे अकेला छोड़ दू, जब तक रोहित नहीं है यहाँ तुझे कैसा अकेला छोड़ दू | 
प्रियम - पता नहीं कौन तेरे दिमाग में वो सारे फितूर भारत है | एक बात दिल पर हाथ रख बता, क्या तुझे कभी मैंने चोट पंहुचाने की कोशिश की है | कभी भी अब्जाने में भी फिर भी तुम अपनी हरकतों से बाज नहीं आते तो मुझे भी गुस्सा आ जाता है | भूल गया वो पहली चुसाई | क्यों तू वो पहले जैसा प्रियम नहीं बन सकता | सब कुछ तो तेरा ही था, सिवाय मेरी एक लक्षमण रेखा के | कभी तुझे मना किया | मै तो तेरा भला ही चाहती हूँ | अपनी पढाई पर ध्यान दे, बस इतना ही तो चाहती थी लेकिन तुझे तो जिसे नशा चढ़ा हुआ था | इतना समझती हूँ फिर भी तू अपनी हरकतों से बाज नहीं आता | 
[Image: 8ad4e14d908198b09d2b07da539cdf5e--parent...ticles.jpg]

प्रियम चुपचाप सब सुनता रहा | रीमा को लगा उसे शब्द प्रियम को मरहम लगा रहे है | 
रीमा - हम पहले जैसे क्यों नहीं हो सकते मेरे बच्चे | मासूम से , निश्चल कपट से परे | प्रियम ने कोई रिएक्शन नहीं दिया |
रीमा ने प्रियम का मूड जानने के लिए उसको गुदगुदी करी | प्रियम एक मासूम बच्चे की तरह खनक उठा | 
रीमा वात्सल्य से खुश होकर बोली - ये हुई न बात मेरे लाल | 
रीमा ने अनायास ही  प्रियम के ओंठो पर अपने ओंठ जमा दिए | और एक लम्बा चुम्बन लेकर बोली - क्यों करता हाउ ये सब, तुझे जिंदगी का हर राज समझना है तो मै हूँ न लेकिन इन राक्षसों की सोच वालो के साथ उठाना बैठना बंद कर | अगर मुझसे दोस्ती करनी है तो अपने उन चुतिया दोस्तों से दूर हो जा | याद रखा अगर दुबारा ऐसा कुछ हुआ तो तेरे लिए जानलेवा होगा |
प्रियम को जैसे तपते रेगिस्तान में छाव मिल गयी हो | वो रीमा के आंचल में ही खुस को समेत देना चाहता था | रीमा ने भी उसे कसकर अपने सीने में छुपा लिया | 
प्रियम के दिमाग का सारा जहर, सारा दर्द , सारी हीनता एक पल में छूमंतर हो गयी - रीमा ने बस एक झप्पी से उसके अन्दर की सारी कर्कशता निकाल कर बाहर कर दी | अब वो वही निश्छल निष्कपट प्रियम था | प्रियम के दिमाग में बस यही एक विचार था - रीमा चाची इतनी अच्छी है, पता नहीं मेरी ही बुद्धि को डंक मार गया था | रमा के वात्सल्य के समुद्र में प्रीयम गहराई तक गोते लगाने लगा | 
कुछ देर बाद रीमा भावनाओं के ज्वार से बाहर निकली, जब नीचे से उसे रोहिणी की आवाज सुनाई पड़ी | उसका और प्रियम का  स्वप्न टुटा |
 रीमा ने खुस को संभाला और प्रियम से अलग किया और बिलकुल ही एक नयी टोन में - एक चीज का वादा करो तुम कुछ भी उल्टा-सीधा नहीं करोगे........... तुम्हें कुछ चाहिए तो तुम मेरे पास आते क्यों नहीं ................मैंने तुम्हें कभी मना किया है लेकिन एक चीज याद रखो तुम जरूरत से ज्यादा आगे मत बढ़ना  हर चीज की एक लिमिट होती है और उस लिमिट के अंदर रह करके ही हमारा रिश्ता आगे तक आगे जा पाएगा इसलिए याद रखो जो कुछ भी चाहते हैं वह सब नहीं हो सकता है लेकिन फिर भी मैं तुमसे प्यार करती हूं और हमेशा करती रहूंगी और तुम्हारा ख्याल भी रखूंगा कम से कम तब तक जब तक रोहित नहीं आ जाता |  बस मैं यही कहने आई थी फोन नहीं उठाना मत उठाओ लेकिन एक चीज याद रखना किसी तरह का कुछ उल्टा सीधा सोचने की जरूरत नहीं है नहीं किसी को कुछ बताने की जरूरत है | मै हमेशा तुमारे लिए मौजूद हूँ कभी भी कंही भी | 
इतना कहकर रीमा कमरे से बाहर निकल आई | अनिल और रोहिणी से जाने का शिष्टाचार निभाया...उसने अनिल और रोहिणी के साथ बैठकर कुछ देर बात करी और उसके बाद चली गई | प्रियम भी बिलकुल नार्मल तरीके से बाहर आया और सभी खाना खाने की तयारी करने लगे | रीमा के अन्दर का डर और आशंकाए ख़त्म हो चुकी थी | प्रियम को लेकर वो निश्चिन्त हो गयी थी | 
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RE: रीमा की दबी वासना - by vijayveg - 06-07-2019, 05:25 PM



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