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Misc. Erotica रेशमा - मेरी पड़ोसन
#11
Update5
मेरी तो हिम्मत ही नही हुई किसी लड़की से बात करने की
सबकी बाते इतनी हाइ फाइ थी कि क्या बताऊ
मेरे तो पसीने निकल रहे थे
एक लड़की तो अपने बाय्फ्रेंड को किस कर रही थी
ऐसे खुले मे किस करना थोडा अजीब लगा
बड़े शहरो मे तो ऐसा होता ही है
और मुझे कंपनी ने अच्छी सोसायटी मे अपार्टमेंट दिया था जिस से मेरे मज़े ही थे
लेकिन मैं अभी तो आया हूँ
पहले कुछ दिन यहाँ अड्जस्ट तो हो जाउ
गार्डन मे घूमने के बाद मैं ने खाने का समान और कुछ ज़रूरत का समान भी खरीद लिया
और अपार्टमेंट मे आकर आराम से खाना खा कर टीवी देखने लगा
बाल्कनी मे बैठ कर बीयर भी पी
मुंबई की हवाओं के साथ दोस्ती भी कर लूँ
बाल्कनी से मुंबई की जगमगाती दुनिया देखने लगा
कल से मुझे भी इसका हिस्सा बनना होगा
कल से मुझे कंपनी जाय्न करनी थी
अब तो मुझे अपने सारे काम भी खुद करने थे
बहुत मुश्किल होगी
कुछ दिन भारी पड़ेंगे जब तक मुझे इसकी आदत नही पड़ जाती

मुंबई मे आते ही मुझे कुछ दिन लग गये सेट्ल होने मे
शुरू शुरू मे बहुत प्राब्लम हुई
मुझे आदत नही थी खाना बनाना और खुद काम करना
घर पर तो माँ और भाभी थी जो घर काम और मुझे अच्छा अच्छा खाना बना कर खिलाती
पर यहाँ तो सब मुझे ही करना पड़ रहा था
सुबह उठ कर मुझे अपने लिए ब्रेकफास्ट बनाना पड़ता , फिर फ्रेश होकर कंपनी जाकर काम
करना ,
दोपेहर का लंच तो कंपनी मे हो जाता था
लेकिन रात का डिन्नर कभी मैं अपार्टमेंट मे बना लेता तो कभी होटेल मे जाकर खा लेता
मुंबई की भाग दौड़ लाइफ की आदत नही थी
लोकल मे धक्के खाने से परेशानी हो रही थी
पर कंपनी मे कुछ फ्रेंड बन गये उनसे कुछ बाते सीख ली
अपने काम फास्ट करने लगा
मैं तो खुद को अड्जस्ट करने मे इतना खो गया कि अपनी मस्ती मज़ाक को भूल ही गया
वहाँ मैं अपने शहर मे होता था तो गर्लफ्रेंड या फ्रेंड के साथ हसी मज़ाक हो जाती थी
पर यहाँ तो सारा दिन निकल जाता कंपनी मे
कंपनी मे तो हरियाली ही हरियाली थी
यहाँ की लड़कियो के ड्रेस देख कर तो मेरा लंड दिन भर खड़ा रहता
बड़ी मुश्किल हो जाती
एक बार तो मेरी जूनियर स्कर्ट पहन कर मेरे कॅबिन मे आई थी
उसकी चिकनी जांघे देख कर तो एसी कॅबिन मे मेरे पसीने निकल गये
बहुत दिन हो गये थे मुझे सेक्स किए हुए
जूनियर ने जब झुक कर अपनी नीचे गिरी हुई पेन उठाई तो उसकी पैंटी दिख गयी मुझे
ऐसा लग रहा था कि अभी उठ कर उसकी गंद मार दूं
जब जूनियर वापस चली गयी तो मैं ने अपने कैबन मे ही मूठ मारी
कंट्रोल ही नही हुआ था
यहाँ लड़कियो को टाइट ड्रेस मे देख कर कंट्रोल खो ही देता
मुझे मुंबई मे आए 1 महीना हो गया
अब तो उस सब की आदत पड़ गयी
अब तो मुझे मुंबई पसंद आने लगी
यहाँ तो लड़किया खुद आगे आकर बात करती है
अब तो कंपनी मे मुझे अच्छे दोस्त मिल गये
धीरे धीरे मैं सब मे घुल.मिल गया
लेकिन मेरे बिल्डिंग मे कोई जान पहचान नही बनाई
कंपनी से थक कर आने के बाद मुझ मे जान ही नही रहती
सुबह भी काम करना पड़ता जिस से मेरे पास टाइम नही था
फिर भी सोसायटी के गर्दन मे शाम को.घूमने जाता
लेकिन किसी से बात करने की हिम्मत नही होती
ऐसे मे मैं ने वॉचमन से जान पहचान बना ली
क्यूँ कि उसकी बात करने के तरीके से लग रहा था कि वो मेरे शहर के पास का है
अवी- भैया कैसे हो
वॉचमन- साब आपने कुछ कहा
अवी- तुमसे ही बात कर रहा हूँ
वॉचमन- मैं यहाँ 5 साल से हूँ पर आज तक किसी ने पूछा नही की मैं कैसा हूँ
अवी- मैं तो यहाँ नया हूँ
वॉचमन- हन देखा है आपको , आप 7 फ्लोर पर रहते हैना
अवी- हाँ वैसे तुम कहाँ से हो
वॉचमन- मैं शहर से आया हूँ
अवी- मैं भी वही से हूँ
वॉचमन- सेक्रेटरी ने बताया कि आप कहाँ से हो ,
अवी- फिर तो हम एक ही शहर के है , चलो अच्छा है कोई तो है जिस से बात हो सकती है
वॉचमन- जी , यहाँ आकर आप को कैसा लगा
अवी- धीरे धीरे आदत पड़ रही है , वैसे तुम क्या अकेले रहते हो यहाँ पर
वॉचमन- नही , मेरी बीवी भी है , वैसे आप भी अकेले हो
अवी- हां , बड़ा अपार्टमेंट है , कंपनी ने मेरे अकेले को दिया है
वॉचमन- आपसे पहले जो साब वहाँ रहते थे वो भी अच्छे थे , वो भी मुझसे बात करते थे ,
मैं उनकी मदद करता था
अवी- फिर तो तुम मेरी भी मदद कर देना ,
वॉचमन- आप तो मेरे गाओं वाले हो आपकी तो मदद करूँगा , वैसे आप यहाँ गार्डन मे लड़कियो
को देखने आए है ना
ये क्या बक रहा है
इसको कैसे पता
अवी- ये तुम क्या बोल रहे हो
वॉचमन- साब मैं यहाँ 5 साल से हूँ जब भी कोई नया आदमी यहाँ आता है तो वो ऐसे लड़कियो
को घूर्ने गार्डन मे आता है
अवी- अपने शहर मे ऐसा नज़ारा कहाँ मिलता है
वॉचमन- साब ये तो रिच लोगो का काम है , वैसे आप भी रिच ही लगते हो
अवी- रिच तो वो होता है जिस के पास गर्लफ्रेंड हो
वॉचमन- हो जाएगी साब , यहाँ गर्लफ्रेंड जल्दी बन जाती है
अवी- मेरा मतलब था कि
वॉचमन- समझ गया , टाइम पास वाली चाहिए , वो भी मिलती है
अवी- तुम तो बड़े काम के लग रहे हो
वॉचमन- मैं हर काम आ जाता हूँ
अवी- देखते है , कभी काम निकला तो तुम्हें याद करूँगा
वॉचमन- ज़रूर याद करना साब
और मैं ने एक हरी नोट वॉचमन को दे कर खुश किया
वॉचमन ने कड़क सॅलुट मारा
और मैं गार्डन मे आकर आंखसेकने लगा
काफ़ी देर गार्डन मे रुकने के बाद मैं वापस अपनी बिल्डिंग मे आ गया
सोचा कि चलो आज सीडियो से उपर जाता हूँ
इसी बहाने से पता तो चले कि कौन कहाँ रहता है
मैं सीडियो से उपर जाने लगा
पर सब के घर के डोर बंद थे , दो औरते दिखी जो बाते कर रही थी
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RE: रेशमा - मेरी पड़ोसन - by Vikram@ - 05-07-2019, 11:15 PM



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