22-12-2025, 08:15 PM
राहुल का गला सूख गया, वो हकबकाते हुए बोला, "वो... मम्मी... मशीन भारी थी और कोने में दबी थी... बस वही निकाल रहा था।"
मम्मी ने चारों तरफ नज़र दौड़ाई, उनकी पारखी नज़रें कुछ तलाश रही थीं। "और तेरी बहन तारा कहाँ है? वो भी तो मशीन की सिलाई ठीक करवाने में मदद करने की बात कर रही थी।"
राहुल का दिल सीने को चीरकर बाहर आने को था, "वो... वो तो... वो तो तभी चली गई थी जब आपने आवाज़ दी थी। शायद ऊपर अपने कमरे में गई होगी।"
मम्मी का शक और मशीन का ले जाना
मम्मी ने एक गहरी सांस ली और मशीन के पास पहुँचीं। "बड़ी अजीब महक है यहाँ... तूने कुछ गिराया है क्या?" उन्होंने अपनी गुलाबी नाइटी को हल्का सा ऊपर उठाते हुए मशीन को पकड़ा।
टंकी के पीछे छिपी तारा ने देखा कि मम्मी की नाइटी के नीचे से उनकी गोरी पिंडलियाँ चमक रही थीं। राहुल की नज़रें भी वहीं टिक गईं। उसे याद आया कि अभी कुछ मिनट पहले वो अपनी बहन की चूत का रस पी रहा था और अब उसकी माँ उसके सामने उसी अंदाज़ में खड़ी थी।
"चलो, ये मशीन उठा और मेरे कमरे में चल। मुझे अपनी नाइटी ठीक करनी है, यहाँ गर्मी बहुत है," मम्मी ने हुक्म दिया और मशीन लेकर बाहर की तरफ मुड़ गईं।
जैसे ही मम्मी बाहर निकलीं, राहुल ने पीछे मुड़कर टंकी की तरफ देखा। वहां से तारा ने अपना मुँह बाहर निकाला, उसके होंठों पर अभी भी राहुल के वीर्य का हल्का सा निशान था। उसने राहुल को आँख मारी और अपनी उंगली से 'मम्मी के कमरे' की तरफ इशारा किया, जैसे वो कह रही हो कि "अब अगली बारी उनकी है।"
मम्मी के स्टोर रूम से बाहर निकलते ही सन्नाटा छा गया। तारा धीरे से टंकी के पीछे से बाहर निकली। वो पूरी तरह नग्न थी, एक हाथ में अपना फटा हुआ नीला सूट और दूसरे हाथ में वो टूटी हुई सफेद ब्रा थामे हुए। उसका गोरा बदन पसीने से चमक रहा था और जांघों पर अभी भी राहुल के साथ किए हुए गंदे खेल के निशान बाकी थे।
तारा दबे पाँव राहुल के पास आई और उसके कान के पास अपना मुँह ले जाकर शरारत से बोली, "क्यों भाई... बड़ा मज़ा आया न अपनी बहन की सील तोड़ने में? अब बता, मम्मी के पीछे-पीछे रूम में जा रहा है... क्या अब मम्मी को भी चोदेगा क्या?"
राहुल ने तारा की नंगी कमर पर हाथ फेरा और मुस्कुराते हुए बोला, "तू तो बड़ी तेज़ निकली रे... लेकिन मम्मी की बात ही अलग है।"
तारा ने अपना फटा हुआ सूट दिखाते हुए गुस्से से कहा, "अरे मादरचोद, तूने तो मेरा पूरा सूट बीच से फाड़ दिया, अब मैं इस हालत में बाहर कैसे निकलूँ? अगर मम्मी ने देख लिया कि मैं बिना कपड़ों के यहाँ घूम रही हूँ, तो दोनों धर लिए जाएंगे।"
राहुल ने दबे पाँव दरवाजे से बाहर झांका और तारा की तरफ पलट कर बोला, "मम्मी अपने रूम में मशीन लेकर गई हैं और वो वहां काम में लग गई हैं। ये सही मौका है, तू बिना आवाज़ किए सीधा ऊपर अपने कमरे में भाग जा। मैं थोड़ी देर में वहां आता हूँ, फिर तेरा ये फटा हुआ सूट भी ठिकाने लगाना है।"
तारा ने एक बार फिर राहुल का लंड पकड़ कर हल्का सा दबाया और बोली, "ठीक है, मैं ऊपर जा रही हूँ... लेकिन याद रखना, अभी तो तूने सिर्फ मेरी चूत का स्वाद चखा है, वो काली गाँड अभी भी तेरा इंतज़ार कर रही है।"
तारा बिना कोई कपड़ा पहने, नग्न ही दबे पाँव स्टोर रूम से बाहर निकली और सीधा सीढ़ियों की तरफ लपकी, जबकि राहुल अपनी शर्ट ठीक करता हुआ मम्मी के कमरे की तरफ बढ़ गया, जहाँ मम्मी अपनी गुलाबी नाइटी की सिलाई ठीक करने का इंतज़ार कर रही थीं।
स्टोर रूम का वह गंदा खेल खत्म होने के बाद, तारा ऊपर अपने कमरे में पहुँच कर सीधे बाथरूम में घुसी। गरम पानी से नहाते हुए भी उसे राहुल के लंड का स्पर्श और अपनी चूत में हुई वह चीरफाड़ याद आ रही थी। शरीर पर अभी भी राहुल के हाथों के लाल निशान और दाँतों के हल्के निशान थे, जो उसे एक अजीब सा दर्द भरा सुख दे रहे थे।
नए रूप में तारा: अतीत की यादें और छत पर इंतज़ार
नहाने के बाद, तारा ने अपनी अलमारी खोली। आज उसे कुछ अलग पहनने का मन हुआ। उसने अपनी सबसे खूबसूरत सफेद सलवार और उसके ऊपर एक गुलाबी टॉप निकाला। सलवार इतनी पतली थी कि उसके अंदर से उसकी टांगों की बनावट साफ दिख रही थी।
कपड़े पहनते हुए उसे एक अजीब सी खुशी महसूस हुई। उसे अपने कॉलेज के दिनों का एक्स-बॉयफ्रेंड (Ex-boyfriend) याद आ गया, जो उसे अक्सर ऐसे ही छेड़ता था और छत पर ले जाकर ज़बरदस्ती चोदता था। तारा के मन में आया कि काश राहुल भी उसे ऐसे ही जंगली तरीके से प्यार करे।
वह अपने कमरे से निकलकर छत पर आ गई। ठंडी हवा उसके खुले बालों से गुज़र रही थी। छत पर लगे गमलों के पास खड़ी, वह खुली हवा में गहरी सांस ले रही थी, उसके होंठों पर एक शैतानी मुस्कान थी। उसे लग रहा था जैसे आज वह किसी बड़ी जंग को जीतकर आई हो, और इस जीत का नशा उसके रग-रग में दौड़ रहा था।
राहुल का वहशी स्पर्श: छत पर हवस का नया खेल
अभी तारा छत पर अपनी हँसी में खोई हुई थी कि अचानक उसके पीछे से दो मज़बूत हाथ आए और उसकी सफेद सलवार के ऊपर से ही उसके कूल्हों (Hips) को कसकर दबोच लिया। राहुल ने अपने शरीर को तारा की पीठ से सटा दिया, जिससे तारा को उसके लंड का कड़ा उभार अपनी कमर पर महसूस हुआ।
तारा चौंक उठी, लेकिन उसकी आवाज़ में डर नहीं, बल्कि एक अजीब सी उत्तेजना थी। "राहुल! क्या कर रहे हो?" उसने गर्दन मोड़ी और उसकी आँखों में हवस की वही आग दिखी जो राहुल ने अभी कुछ देर पहले ही स्टोर रूम में जगाई थी।
राहुल ने अपनी जुबान तारा के कान पर फेरी और फुसफुसाते हुए बोला, "क्या करूं दीदी... अभी तो आपकी चूत का स्वाद मेरे मुँह से गया भी नहीं है। और ऊपर से आपकी ये पतली सलवार और ये फूले हुए कूल्हे... मुझे तो पागल कर रहे हैं।"
उसने अपनी उंगलियों को तारा की सलवार के अंदर डालने की कोशिश की, जहाँ से उसकी चूत की गीली गर्माहट महसूस हो रही थी। तारा ने एक गहरी सांस ली। छत पर, खुले आसमान के नीचे, अब एक और गंदा खेल शुरू होने वाला था।
मम्मी ने चारों तरफ नज़र दौड़ाई, उनकी पारखी नज़रें कुछ तलाश रही थीं। "और तेरी बहन तारा कहाँ है? वो भी तो मशीन की सिलाई ठीक करवाने में मदद करने की बात कर रही थी।"
राहुल का दिल सीने को चीरकर बाहर आने को था, "वो... वो तो... वो तो तभी चली गई थी जब आपने आवाज़ दी थी। शायद ऊपर अपने कमरे में गई होगी।"
मम्मी का शक और मशीन का ले जाना
मम्मी ने एक गहरी सांस ली और मशीन के पास पहुँचीं। "बड़ी अजीब महक है यहाँ... तूने कुछ गिराया है क्या?" उन्होंने अपनी गुलाबी नाइटी को हल्का सा ऊपर उठाते हुए मशीन को पकड़ा।
टंकी के पीछे छिपी तारा ने देखा कि मम्मी की नाइटी के नीचे से उनकी गोरी पिंडलियाँ चमक रही थीं। राहुल की नज़रें भी वहीं टिक गईं। उसे याद आया कि अभी कुछ मिनट पहले वो अपनी बहन की चूत का रस पी रहा था और अब उसकी माँ उसके सामने उसी अंदाज़ में खड़ी थी।
"चलो, ये मशीन उठा और मेरे कमरे में चल। मुझे अपनी नाइटी ठीक करनी है, यहाँ गर्मी बहुत है," मम्मी ने हुक्म दिया और मशीन लेकर बाहर की तरफ मुड़ गईं।
जैसे ही मम्मी बाहर निकलीं, राहुल ने पीछे मुड़कर टंकी की तरफ देखा। वहां से तारा ने अपना मुँह बाहर निकाला, उसके होंठों पर अभी भी राहुल के वीर्य का हल्का सा निशान था। उसने राहुल को आँख मारी और अपनी उंगली से 'मम्मी के कमरे' की तरफ इशारा किया, जैसे वो कह रही हो कि "अब अगली बारी उनकी है।"
मम्मी के स्टोर रूम से बाहर निकलते ही सन्नाटा छा गया। तारा धीरे से टंकी के पीछे से बाहर निकली। वो पूरी तरह नग्न थी, एक हाथ में अपना फटा हुआ नीला सूट और दूसरे हाथ में वो टूटी हुई सफेद ब्रा थामे हुए। उसका गोरा बदन पसीने से चमक रहा था और जांघों पर अभी भी राहुल के साथ किए हुए गंदे खेल के निशान बाकी थे।
तारा दबे पाँव राहुल के पास आई और उसके कान के पास अपना मुँह ले जाकर शरारत से बोली, "क्यों भाई... बड़ा मज़ा आया न अपनी बहन की सील तोड़ने में? अब बता, मम्मी के पीछे-पीछे रूम में जा रहा है... क्या अब मम्मी को भी चोदेगा क्या?"
राहुल ने तारा की नंगी कमर पर हाथ फेरा और मुस्कुराते हुए बोला, "तू तो बड़ी तेज़ निकली रे... लेकिन मम्मी की बात ही अलग है।"
तारा ने अपना फटा हुआ सूट दिखाते हुए गुस्से से कहा, "अरे मादरचोद, तूने तो मेरा पूरा सूट बीच से फाड़ दिया, अब मैं इस हालत में बाहर कैसे निकलूँ? अगर मम्मी ने देख लिया कि मैं बिना कपड़ों के यहाँ घूम रही हूँ, तो दोनों धर लिए जाएंगे।"
राहुल ने दबे पाँव दरवाजे से बाहर झांका और तारा की तरफ पलट कर बोला, "मम्मी अपने रूम में मशीन लेकर गई हैं और वो वहां काम में लग गई हैं। ये सही मौका है, तू बिना आवाज़ किए सीधा ऊपर अपने कमरे में भाग जा। मैं थोड़ी देर में वहां आता हूँ, फिर तेरा ये फटा हुआ सूट भी ठिकाने लगाना है।"
तारा ने एक बार फिर राहुल का लंड पकड़ कर हल्का सा दबाया और बोली, "ठीक है, मैं ऊपर जा रही हूँ... लेकिन याद रखना, अभी तो तूने सिर्फ मेरी चूत का स्वाद चखा है, वो काली गाँड अभी भी तेरा इंतज़ार कर रही है।"
तारा बिना कोई कपड़ा पहने, नग्न ही दबे पाँव स्टोर रूम से बाहर निकली और सीधा सीढ़ियों की तरफ लपकी, जबकि राहुल अपनी शर्ट ठीक करता हुआ मम्मी के कमरे की तरफ बढ़ गया, जहाँ मम्मी अपनी गुलाबी नाइटी की सिलाई ठीक करने का इंतज़ार कर रही थीं।
स्टोर रूम का वह गंदा खेल खत्म होने के बाद, तारा ऊपर अपने कमरे में पहुँच कर सीधे बाथरूम में घुसी। गरम पानी से नहाते हुए भी उसे राहुल के लंड का स्पर्श और अपनी चूत में हुई वह चीरफाड़ याद आ रही थी। शरीर पर अभी भी राहुल के हाथों के लाल निशान और दाँतों के हल्के निशान थे, जो उसे एक अजीब सा दर्द भरा सुख दे रहे थे।
नए रूप में तारा: अतीत की यादें और छत पर इंतज़ार
नहाने के बाद, तारा ने अपनी अलमारी खोली। आज उसे कुछ अलग पहनने का मन हुआ। उसने अपनी सबसे खूबसूरत सफेद सलवार और उसके ऊपर एक गुलाबी टॉप निकाला। सलवार इतनी पतली थी कि उसके अंदर से उसकी टांगों की बनावट साफ दिख रही थी।
कपड़े पहनते हुए उसे एक अजीब सी खुशी महसूस हुई। उसे अपने कॉलेज के दिनों का एक्स-बॉयफ्रेंड (Ex-boyfriend) याद आ गया, जो उसे अक्सर ऐसे ही छेड़ता था और छत पर ले जाकर ज़बरदस्ती चोदता था। तारा के मन में आया कि काश राहुल भी उसे ऐसे ही जंगली तरीके से प्यार करे।
वह अपने कमरे से निकलकर छत पर आ गई। ठंडी हवा उसके खुले बालों से गुज़र रही थी। छत पर लगे गमलों के पास खड़ी, वह खुली हवा में गहरी सांस ले रही थी, उसके होंठों पर एक शैतानी मुस्कान थी। उसे लग रहा था जैसे आज वह किसी बड़ी जंग को जीतकर आई हो, और इस जीत का नशा उसके रग-रग में दौड़ रहा था।
राहुल का वहशी स्पर्श: छत पर हवस का नया खेल
अभी तारा छत पर अपनी हँसी में खोई हुई थी कि अचानक उसके पीछे से दो मज़बूत हाथ आए और उसकी सफेद सलवार के ऊपर से ही उसके कूल्हों (Hips) को कसकर दबोच लिया। राहुल ने अपने शरीर को तारा की पीठ से सटा दिया, जिससे तारा को उसके लंड का कड़ा उभार अपनी कमर पर महसूस हुआ।
तारा चौंक उठी, लेकिन उसकी आवाज़ में डर नहीं, बल्कि एक अजीब सी उत्तेजना थी। "राहुल! क्या कर रहे हो?" उसने गर्दन मोड़ी और उसकी आँखों में हवस की वही आग दिखी जो राहुल ने अभी कुछ देर पहले ही स्टोर रूम में जगाई थी।
राहुल ने अपनी जुबान तारा के कान पर फेरी और फुसफुसाते हुए बोला, "क्या करूं दीदी... अभी तो आपकी चूत का स्वाद मेरे मुँह से गया भी नहीं है। और ऊपर से आपकी ये पतली सलवार और ये फूले हुए कूल्हे... मुझे तो पागल कर रहे हैं।"
उसने अपनी उंगलियों को तारा की सलवार के अंदर डालने की कोशिश की, जहाँ से उसकी चूत की गीली गर्माहट महसूस हो रही थी। तारा ने एक गहरी सांस ली। छत पर, खुले आसमान के नीचे, अब एक और गंदा खेल शुरू होने वाला था।


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