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Incest Rishton ka Zehar
#10
तारा ने फिर से पूरा लंड अपने मुँह में लिया और पागलों की तरह उसे चूसने लगी, जैसे वो कोई आइसक्रीम हो। राहुल के हाथ तारा के चेहरे पर कसते जा रहे थे। स्टोर रूम का कोना अब पूरी तरह से हवस की सड़ांध और कामुक आवाज़ों से भर गया था।

स्टोर रूम की उस घुटन भरी गर्मी में राहुल का सख्त अंग अब तारा के वश में था। तारा, जो अब पूरी तरह से एक प्यासी हवस की मूरत बन चुकी थी, अपने सगे भाई के लुंड को किसी कीमती खजाने की तरह निहार रही थी। उसने अपने दोनों हाथों से उस भारी और गरम अंग को मजबूती से जकड़ा।

तारा का वहशीपन: चूसना और हिलाना
तारा ने अपनी नज़रों को राहुल की आँखों में गाड़ दिया और अपने एक हाथ से लुंड की जड़ से लेकर ऊपर तक तेज़ी से रगड़ना (Stroke) शुरू किया। उसकी मुट्ठी की पकड़ इतनी मज़बूत थी कि राहुल के मुँह से सिसकारी निकल गई।

"देख राहुल... कैसा लग रहा है जब तेरी सगी बहन तेरे इस काले मोटे लंड को अपनी मुट्ठी में भींच रही है?" तारा ने गंदी मुस्कान के साथ पूछा।

फिर उसने अपना मुँह पूरा खोला और लुंड की टोपी (सुपारी) को अपनी गरम जुबान से लपेट लिया। वो उसे किसी लॉलीपॉप की तरह चारों तरफ से चाटने लगी। राहुल के शरीर में करंट दौड़ गया। तारा की थूक (Lube) की वजह से उसका हाथ अब और भी तेज़ी से ऊपर-नीचे फिसलने लगा, जिससे एक गीली और गंदी 'चप-चप' की आवाज़ पूरे स्टोर रूम में गूँजने लगी।

तारा अब पागलपन की हद तक पहुँच गई थी। उसने लुंड को पूरा अपने मुँह के अंदर खींच लिया। उसका गाल पिचक गया और लुंड उसके हलक की गहराई तक जा पहुँचा। वह अपनी गर्दन को तेज़ी से आगे-पीछे कर रही थी, और साथ ही साथ अपने दूसरे हाथ से राहुल के अंडों (Balls) को सहला रही थी।

"गक... गक... गक..." तारा के गले से ये आवाज़ें राहुल को पागल कर रही थीं।

उसने बीच में मुँह बाहर निकाला और लंड पर अपनी थूक की धार गिराते हुए बोली, "चूस लूंगी तेरा सारा दम आज मादरचोद! देख तेरी ये बेंचोद बहन कैसे तेरे लंड की गुलामी कर रही है। आज तुझे मम्मी के पास जाने लायक नहीं छोड़ूँगी।"

उसने फिर से लुंड को मुँह में भरा और अब उसकी रफ़्तार पहले से कहीं ज़्यादा 'Rough' हो गई थी। वह हिला भी रही थी और चूस भी रही थी। राहुल का बदन पसीने से नहा गया था, उसके पैर कांपने लगे थे। तारा की मखमली जुबान और उसकी मुट्ठी का घर्षण उसे उस मुकाम पर ले आया था जहाँ से वापसी मुमकिन नहीं थी।

तारा की आँखें ऊपर की ओर चढ़ रही थीं और वो पूरी ताक़त से राहुल के अंग को अपने मुँह में खींच रही थी, जैसे वो उसका सारा वजूद ही पी जाना चाहती हो।
स्टोर रूम की उस मद्धम रोशनी में राहुल का धीरज अब पूरी तरह जवाब दे चुका था। उसने तारा के सिर को अपने मुँह से अलग किया और उसे झटके से खड़ा करके दीवार के सहारे सटा दिया।

वो वहशी मंजर: हवस का तांडव
तारा दीवार से चिपकी खड़ी थी, उसकी सांसें इतनी तेज़ थीं कि उसका सीना धौंकनी की तरह ऊपर-नीचे हो रहा था। उसके बाल बिखर कर उसके गोरे चेहरे और कंधों पर आ गिरे थे। उसकी आँखों में अब शर्म का नामो-निशान नहीं था, सिर्फ एक गहरी, काली और आदिम भूख थी। नीले फ्लावर प्रिंट वाले उस गीले सूट में तारा किसी घायल शेरनी की तरह लग रही थी, जो अपने भाई के अगले वार का इंतज़ार कर रही थी।

राहुल ने अपनी वहशी नज़रों से उसे ऊपर से नीचे तक देखा। उसकी नज़रें तारा के उन उभरे हुए अंगों पर टिक गईं जो सूट के पतले कपड़े को फाड़कर बाहर निकलने को बेताब थे।

राहुल के अंदर का जानवर जाग चुका था। उसने बिना कोई पल गँवाए अपने दोनों हाथों से तारा के उभरे हुए सीने (Boobs) को सूट के ऊपर से ही अपनी मज़बूत पकड़ में दबोच लिया। तारा के मुँह से एक दर्द भरी लेकिन मदहोश सिसकारी निकली—"आह्ह्ह... राहुल... धीरे..."

पर राहुल अब 'धीरे' होने के मूड में नहीं था। उसने अपनी मुट्ठियाँ भींची और पूरी ताक़त से सूट के गले को पकड़कर नीचे की ओर एक जोरदार झटका दिया। "चरररर्र..." की आवाज़ के साथ तारा का वो सुंदर नीला सूट दो हिस्सों में बीच से फट गया।

तारा के बदन पर अब सिर्फ उसकी वो सफ़ेद ब्रा बची थी, जो उसके भारी अंगों के बोझ से तनी हुई थी। सूट के फटे हुए चिथड़े उसके कंधों से लटक रहे थे। राहुल के सामने उसकी सगी बहन अब लगभग आधी नग्न खड़ी थी। फटे हुए कपड़ों के बीच से उसकी गोरी कमर, उसकी गहरी नाभि और ब्रा के ऊपर से छलकते उसके मांसल अंग राहुल की आँखों में खून उतार लाए।

तारा ने अपनी आँखों को आधा मूंद लिया और दीवार पर अपने हाथ फैला दिए। "फाड़ दे राहुल... आज सब कुछ फाड़ दे... अपनी इस बेंचोद बहन का एक भी कपड़ा सलामत मत छोड़!"

राहुल ने देखा कि ब्रा के फीते तारा के गोरे कंधों में धँस रहे थे। उसने अपनी उँगलियाँ ब्रा के बीच वाले हुक पर टिका दीं।
स्टोर रूम की उस घुटन भरी हवा में अब सिर्फ हवस और फटे हुए कपड़ों की गंध बची थी। राहुल की आँखों में वहशीपन सवार था और तारा दीवार से चिपकी, अपनी तबाही का इंतज़ार कर रही थी।

मर्यादा का अंत: ब्रा का टूटना और नग्नता
राहुल ने अपनी उंगलियां तारा की सफेद ब्रा के बीच वाले हुक पर फंसाईं। तारा की सांसें इतनी गर्म थीं कि राहुल के हाथों को जला रही थीं। राहुल ने अपनी आँखों में आँखें डालकर एक झटके में हुक को खींचा—"तड़क"—हुक टूट गया और ब्रा के कप (cups) तारा के गोरे और भारी अंगों को आजाद करते हुए नीचे लटक गए।

जैसे ही वे अंग बाहर आए, राहुल की सांसें थम गईं। वे उम्मीद से कहीं ज़्यादा भारी और गुलाबी टिप वाले थे। राहुल ने एक पल भी बर्बाद नहीं किया और अपने दोनों हाथों में उन गर्म गोलों को भर लिया। उसने उन्हें इतनी बेरहमी से भींचा कि तारा के मुँह से सिसकारी निकल गई, "अह्ह्ह... राहुल... मादरचोद... जान निकाल देगा क्या?"

राहुल ने अपना मुँह आगे बढ़ाया और एक अंग को पूरा अपने मुँह में भर लिया। वो उसे किसी जंगली जानवर की तरह चूसने और काटने लगा। तारा का बदन धनुष की तरह तन गया।

दीवार के सहारे पिछला हमला (Rough Doggy Style)
तारा की उत्तेजना अब उस मुकाम पर थी जहाँ उसे सिर्फ और सिर्फ अपना शरीर छिलवाना था। उसने राहुल के चेहरे को अपने सीने से हटाया और खुद ही दीवार की तरफ घूम गई। उसने अपनी कमर झुकाई और अपने दोनों हाथ दीवार पर टिका दिए।

तारा ने अपनी फटी हुई सलवार को पूरी तरह लात मारकर दूर फेंका। अब वो राहुल के सामने पूरी तरह नग्न पीठ किए खड़ी थी। राहुल के सामने उसकी सुडौल कमर और उसके नीचे वो भारी गोलाई (Bums) थी जो बिना पैंटी के पूरी तरह नग्न और चमकदार लग रही थी।

तारा ने अपनी गर्दन पीछे मोड़ी और अपनी जुबान से होंठों को चाटते हुए गंदी आवाज़ में कहा, "देख क्या रहा है बेंचोद? अब देख अपनी बहन की ये नंगी पीठ और ये सफेद गुफा... फाड़ दे इसे आज! अपनी इस रण्डी को आज चलना भुला दे!"

राहुल ने अपनी पैंट पूरी तरह उतार दी। उसका सख्त और काला लंड सीधा खड़ा होकर तारा की जांघों के बीच की दरार से टकराने लगा। उसने तारा की कमर को अपनी मज़बूत पकड़ में लिया और अपनी मुट्ठियाँ उसकी त्वचा में गड़ा दीं।
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Rishton ka Zehar - by Shipra Bhardwaj - 21-12-2025, 02:34 PM
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