22-12-2025, 08:08 PM
वो गंदा सवाल: "कब से चाट रहा है?"
तारा ने अपना हाथ राहुल की जेब की ओर बढ़ाया और धीरे से वो सफ़ेद, गीली और गंदी पैंटी बाहर निकाल ली। उसने उस पैंटी को अपनी उंगली पर लपेटा और राहुल की नाक के पास ले गई।
"बता न रे मादरचोद... कब से मेरी इस चूत के पानी को चाट रहा है?" तारा ने उसके कान को अपने दांतों से हल्का सा काटते हुए पूछा। "जब मैं ऊपर अपने मंगेतर को अपना पानी दिखा रही थी, तब तू बाहर खड़ा होकर मुठ मार रहा था न? बोल!"
राहुल की आँखें फटी रह गईं। तारा उसे 'बेटा' कहकर सहला भी रही थी और साथ ही साथ उसे दुनिया की सबसे गंदी गालियाँ भी दे रही थी।
"तारा... वो... तेरी पैंटी की खुशबू... बहुत नशीली थी," राहुल ने दबी आवाज़ में कबूल किया।
तारा खिलखिलाकर हँसी, एक ऐसी हँसी जिसमें सिर्फ हवस थी। उसने राहुल का हाथ पकड़कर सीधा अपनी पटियाला सलवार के ऊपर, अपनी जांघों के बीच रख दिया। राहुल को महसूस हुआ कि तारा अंदर से पूरी तरह नग्न (No panty) है और उसका पानी सलवार के कपड़े को भी गीला कर चुका है।
"सिर्फ कपड़ा चाटकर क्या होगा राहुल? जब असली माल यहाँ बह रहा है," तारा ने उसे उकसाते हुए कहा। "बता, क्या तुझे मम्मी की भी पैंटी ऐसे ही पसंद है? क्या तू हम दोनों माँ-बेटियों को एक साथ अपनी रातों के खेल में सोचता है?"
राहुल अब पूरी तरह से तारा के वश में था। स्टोर रूम का वो कोना अब गुनाहों के एक ऐसे दलदल में बदल चुका था जहाँ से वापसी का कोई रास्ता नहीं था
स्टोर रूम की उस घुटन भरी गर्मी में राहुल का हाथ तारा की गीली सलवार पर जमा हुआ था। तारा ने राहुल की आँखों में आँखें डालीं और उसकी हवस भरी मुस्कान और भी गहरी हो गई। उसने राहुल के गाल को सहलाया, जैसे कोई माँ अपने बच्चे को दुलारती है, पर उसके शब्द आग लगा देने वाले थे।
तारा का ऑफर: "मुझे लंड चाहिए और तुझे चूत"
तारा ने राहुल के गले में अपनी बाहें डाल दीं और बिल्कुल सटकर खड़ी हो गई। राहुल को उसके उभरे हुए अंगों का दबाव अपने सीने पर महसूस हो रहा था।
तारा फुसफुसाते हुए बोली, "यार राहुल, अब सच सुन... मेरी शादी में अभी वक्त है और वो मंगेतर साला सिर्फ फोन पर बेंचोद-रण्डी बोलकर मेरा पानी निकाल देता है। पर अब मुझसे और कंट्रोल नहीं होता। मेरा बदन प्यासा है और तुझे तो पता ही है कि मुझे क्या चाहिए।"
उसने राहुल के उभार (लुंड) को अपनी मुट्ठी में ज़ोर से भींचा, जिससे राहुल के मुँह से एक कराह निकल गई।
"तुझे मेरी चूत चाहिए न? तू तड़प रहा है न इसे चखने के लिए? और सच कहूँ तो मुझे भी एक असली लंड चाहिए जो मुझे बेड पर पटककर मेरी चीखें निकाल दे। बता, क्या तू अपनी बड़ी बहन की ये प्यास बुझाएगा?"
राहुल की धड़कनें रुक सी गईं। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी सगी बहन उसके सामने अपनी हवस का सौदा कर रही है।
तारा ने अपनी गंदी बातों का सिलसिला जारी रखा, "देख राहुल, ड़र मत। मैं किसी को कुछ नहीं बोलूंगी। ये हमारे बीच का गंदा राज़ होगा। तू मेरा भाई भी रहेगा और मेरा सांड भी। जब मन करेगा, तू मेरी इस सफ़ेद चूत को फाड़ देना और मैं तेरा वो गर्म पानी पी जाऊंगी। बोल मंजूर है?"
स्टोर रूम में शुरू हुआ असली खेल
राहुल ने बिना कुछ बोले अपनी बहन को कमर से पकड़कर अपनी ओर खींच लिया। उसका जवाब उसकी आँखों की वहशी चमक में था। तारा ने एक गंदी गाली दी, "चल तो फिर, देर किस बात की मादरचोद? शुरू हो जा।"
तारा ने अपना हाथ राहुल की जेब की ओर बढ़ाया और धीरे से वो सफ़ेद, गीली और गंदी पैंटी बाहर निकाल ली। उसने उस पैंटी को अपनी उंगली पर लपेटा और राहुल की नाक के पास ले गई।
"बता न रे मादरचोद... कब से मेरी इस चूत के पानी को चाट रहा है?" तारा ने उसके कान को अपने दांतों से हल्का सा काटते हुए पूछा। "जब मैं ऊपर अपने मंगेतर को अपना पानी दिखा रही थी, तब तू बाहर खड़ा होकर मुठ मार रहा था न? बोल!"
राहुल की आँखें फटी रह गईं। तारा उसे 'बेटा' कहकर सहला भी रही थी और साथ ही साथ उसे दुनिया की सबसे गंदी गालियाँ भी दे रही थी।
"तारा... वो... तेरी पैंटी की खुशबू... बहुत नशीली थी," राहुल ने दबी आवाज़ में कबूल किया।
तारा खिलखिलाकर हँसी, एक ऐसी हँसी जिसमें सिर्फ हवस थी। उसने राहुल का हाथ पकड़कर सीधा अपनी पटियाला सलवार के ऊपर, अपनी जांघों के बीच रख दिया। राहुल को महसूस हुआ कि तारा अंदर से पूरी तरह नग्न (No panty) है और उसका पानी सलवार के कपड़े को भी गीला कर चुका है।
"सिर्फ कपड़ा चाटकर क्या होगा राहुल? जब असली माल यहाँ बह रहा है," तारा ने उसे उकसाते हुए कहा। "बता, क्या तुझे मम्मी की भी पैंटी ऐसे ही पसंद है? क्या तू हम दोनों माँ-बेटियों को एक साथ अपनी रातों के खेल में सोचता है?"
राहुल अब पूरी तरह से तारा के वश में था। स्टोर रूम का वो कोना अब गुनाहों के एक ऐसे दलदल में बदल चुका था जहाँ से वापसी का कोई रास्ता नहीं था
स्टोर रूम की उस घुटन भरी गर्मी में राहुल का हाथ तारा की गीली सलवार पर जमा हुआ था। तारा ने राहुल की आँखों में आँखें डालीं और उसकी हवस भरी मुस्कान और भी गहरी हो गई। उसने राहुल के गाल को सहलाया, जैसे कोई माँ अपने बच्चे को दुलारती है, पर उसके शब्द आग लगा देने वाले थे।
तारा का ऑफर: "मुझे लंड चाहिए और तुझे चूत"
तारा ने राहुल के गले में अपनी बाहें डाल दीं और बिल्कुल सटकर खड़ी हो गई। राहुल को उसके उभरे हुए अंगों का दबाव अपने सीने पर महसूस हो रहा था।
तारा फुसफुसाते हुए बोली, "यार राहुल, अब सच सुन... मेरी शादी में अभी वक्त है और वो मंगेतर साला सिर्फ फोन पर बेंचोद-रण्डी बोलकर मेरा पानी निकाल देता है। पर अब मुझसे और कंट्रोल नहीं होता। मेरा बदन प्यासा है और तुझे तो पता ही है कि मुझे क्या चाहिए।"
उसने राहुल के उभार (लुंड) को अपनी मुट्ठी में ज़ोर से भींचा, जिससे राहुल के मुँह से एक कराह निकल गई।
"तुझे मेरी चूत चाहिए न? तू तड़प रहा है न इसे चखने के लिए? और सच कहूँ तो मुझे भी एक असली लंड चाहिए जो मुझे बेड पर पटककर मेरी चीखें निकाल दे। बता, क्या तू अपनी बड़ी बहन की ये प्यास बुझाएगा?"
राहुल की धड़कनें रुक सी गईं। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी सगी बहन उसके सामने अपनी हवस का सौदा कर रही है।
तारा ने अपनी गंदी बातों का सिलसिला जारी रखा, "देख राहुल, ड़र मत। मैं किसी को कुछ नहीं बोलूंगी। ये हमारे बीच का गंदा राज़ होगा। तू मेरा भाई भी रहेगा और मेरा सांड भी। जब मन करेगा, तू मेरी इस सफ़ेद चूत को फाड़ देना और मैं तेरा वो गर्म पानी पी जाऊंगी। बोल मंजूर है?"
स्टोर रूम में शुरू हुआ असली खेल
राहुल ने बिना कुछ बोले अपनी बहन को कमर से पकड़कर अपनी ओर खींच लिया। उसका जवाब उसकी आँखों की वहशी चमक में था। तारा ने एक गंदी गाली दी, "चल तो फिर, देर किस बात की मादरचोद? शुरू हो जा।"


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