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Incest Rishton ka Zehar
#7
स्टोर रूम का वो अंधेरा कोना अब हवस और वर्जित रिश्तों की नई इबारत लिखने के लिए तैयार था। राहुल के जेब में उसकी सगी बहन की गीली और चिपचिपी पैंटी दबी हुई थी, जिसकी तीखी गंध उसके दिमाग के हर तंतु को झकझोर रही थी।

स्टोर रूम का खेल: अंधेरा और उत्तेजना
मम्मी (शीला) स्टोर रूम के एक कोने में खड़ी थीं। उन्होंने अपनी गुलाबी नाइटी को काफी ऊपर तक सरका लिया था ताकि अपनी जांघ के पास से उधड़ी हुई सिलाई को देख सकें। उनकी गोरी और भारी जांघें उस मद्धम रोशनी में चमक रही थीं।

"राहुल, देख न... यहाँ से सिलाई निकल गई है, ज़रा मशीन पर टांका लगा दे," मम्मी ने झुकते हुए कहा। उनके झुकने से नाइटी का गला आगे की ओर लटका और राहुल को उनकी सफेद ब्रा के अंदर कैद उनके भारी अंगों का गहरा नज़ारा (Cleavage) दिखने लगा।

राहुल का हाथ कांप रहा था। वो मम्मी के बिल्कुल करीब गया। उसकी जेब में रखी तारा की पैंटी की गंध और सामने मम्मी के जिस्म की गर्मी—राहुल पूरी तरह से पागल हो चुका था। उसने सिलाई ठीक करने के बहाने मम्मी की जांघ को छुआ।

"मम्मी, यहाँ से?" राहुल की आवाज़ भारी हो गई थी।

"हाँ... वहीं से," मम्मी ने सिसकते हुए कहा। उन्हें शायद राहुल के स्पर्श में कुछ अलग महसूस हुआ, लेकिन उन्होंने विरोध नहीं किया। राहुल की उंगलियाँ मम्मी की रेशमी त्वचा पर रेंगने लगीं। उसे महसूस हुआ कि मम्मी की सांसें भी अब तेज़ हो रही हैं।

तारा की एंट्री और पकड़ा गया सबूत
तभी अचानक स्टोर रूम के दरवाजे पर आहट हुई। तारा वहां खड़ी थी। वो ऊपर अपनी पैंटी न पाकर बुरी तरह घबराई हुई थी और उसे शक था कि राहुल ने कुछ किया है।

"राहुल! तू यहाँ क्या कर रहा है?" तारा ने तीखी आवाज़ में पूछा।

मम्मी हड़बड़ाकर अपनी नाइटी नीचे करने लगीं, "वो... मेरी सिलाई ठीक कर रहा था।"

तारा की नज़र राहुल की पैंट की जेब पर गई। जेब से उस सफेद पैंटी का एक कोना बाहर लटक रहा था। तारा का चेहरा सफेद पड़ गया। वो जान गई कि उसका सबसे गंदा और गीला राज उसके भाई की जेब में है। उसने देखा कि राहुल की पैंट के सामने का हिस्सा (लुंड) बुरी तरह उभरा हुआ है।

तारा ने एक गहरी और हवस भरी नज़र राहुल की आँखों में डाली। उसे अब डर नहीं, बल्कि एक अजीब सा रोमांच महसूस हो रहा था। उसे समझ आ गया कि राहुल ने उसे ऊपर छत पर 'उस हालत' में देख लिया था।

तारा आगे बढ़ी और मम्मी के सामने ही राहुल के बिल्कुल करीब आकर खड़ी हो गई। उसकी चूत से अभी भी उसका पानी रिस रहा था जो उसकी पटियाला सलवार को अंदर से गीला कर रहा था।

"मम्मी, राहुल शायद थक गया है। आप जाइए, मैं इसकी मदद कर देती हूँ," तारा ने राहुल की आँखों में देखते हुए कहा और अपना हाथ धीरे से राहुल की उस जेब पर रखा जहाँ उसकी गीली पैंटी छिपी थी।

मम्मी बाहर चली गईं। अब स्टोर रूम में राहुल और उसकी वो 'बेंचोद' बहन तारा अकेले थे।

तारा ने राहुल का कॉलर पकड़ा और उसके कान में फुसफुसाते हुए गंदी गाली दी, "तो तूने देख लिया न अपनी बहन को उस रण्डी वाली हालत में? अब निकाल मेरी वो गीली पैंटी अपनी जेब से और दिखा मुझे कि तूने उसे कितनी बार चाटा है, मादरचोद!"

स्टोर रूम के उस घुप्प अंधेरे में जब तारा ने राहुल का कॉलर पकड़कर वो गंदी बात कही, तो राहुल का कलेजा मुँह को आ गया। उसे लगा कि अब पकड़ा गया और अब घर में तमाशा होगा। उसका शरीर पसीने से भीग गया और वह हकलाने लगा।

"त... तारा... वो... मैं... मुझे माफ कर दे," राहुल की सिट्टी-पिट्टी गुम थी। उसे लगा कि तारा अब चिल्लाएगी या मम्मी को बुला लेगी।

तारा का बदलता रूप और राहुल की घबराहट
लेकिन अगले ही पल नज़ारा बदल गया। तारा के चेहरे पर गुस्सा नहीं, बल्कि एक शिकारी और कामुक मुस्कान आ गई। उसने राहुल के कांपते हुए चेहरे को अपने दोनों हाथों में लिया और अपनी आँखों में हवस भरकर उसे देखने लगी।

"ओह मेरा छोटा भाई... इतना डर क्यों रहा है?" तारा ने बहुत ही प्यार से, लेकिन ज़हरीली आवाज़ में कहा। उसने अपनी उंगलियाँ राहुल के होंठों पर फेरीं। "तू अभी छोटा है राहुल... तुझे क्या लगा कि तेरी बड़ी बहन को पता नहीं चलेगा कि तू पीछे-पीछे छत पर आया था?"

राहुल की सांसें ऊपर-नीचे हो रही थीं। तारा और करीब आई, उसकी पटियाला सलवार की वो गंदी और मदहोश कर देने वाली महक राहुल के नथुनों में सीधे वार कर रही थी।
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Rishton ka Zehar - by Shipra Bhardwaj - 21-12-2025, 02:34 PM
RE: Rishton ka Zehar - by Shipra Bhardwaj - 22-12-2025, 07:08 AM
RE: Rishton ka Zehar - by Shipra Bhardwaj - 22-12-2025, 07:11 AM
RE: Rishton ka Zehar - by Shipra Bhardwaj - 22-12-2025, 08:01 PM
RE: Rishton ka Zehar - by Shipra Bhardwaj - 22-12-2025, 08:04 PM
RE: Rishton ka Zehar - by Shipra Bhardwaj - 22-12-2025, 08:06 PM
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