22-12-2025, 08:06 PM
तारा अपनी उंगली से उस रस को उठाकर अपने होंठों से चाटने लगी और बोली, "आ जाओ न... पी लो इसे। ये सिर्फ तुम्हारे लिए है। मैं तुम्हारी वो बेंचोद औरत हूँ जो तुम्हारे लंड के एक इशारे पर अपनी मर्यादा भूल जाती है।" दोनों के बीच गालियों और गंदी बातों का दौर अपनी सारी हदें पार कर चुका था।
मम्मी की आवाज़ और अफरा-तफरी
तभी अचानक नीचे से मम्मी की ऊँची आवाज़ गूँजी— "तारा! राहुल! कहाँ मर गए दोनों? जल्दी नीचे आओ, खाना लग गया है!"
मम्मी की आवाज़ सुनते ही जैसे बिजली गिर गई हो। राहुल का दिल गले तक आ गया। उसने जल्दी से अपना अंग अंदर किया और पागलों की तरह पसीना पोंछकर नीचे की ओर भागा। अंदर तारा के भी होश उड़ गए। वो हड़बड़ाहट में बिस्तर से उठी।
उसने जल्दी-जल्दी अपनी सफेद ब्रा पहनी, फिर बिना बदन पोंछे ही अपना नीला सूट ऊपर से डाल लिया। पसीने और काम-रस की वजह से सूट उसके बदन पर चिपक रहा था। उसने जल्दी से अपनी पटियाला सलवार चढ़ाई और नाड़ा कस लिया। लेकिन उस जल्दबाज़ी और घबराहट में उससे एक बहुत बड़ी चूक हो गई।
उसकी वो सफेद पैंटी, जो पूरी तरह से उसके काम-रस (पानी) से भीग चुकी थी और जिससे एक तीखी और उत्तेजक गंध आ रही थी, वो बिस्तर के एक कोने में चादरों के बीच दबी रह गई। तारा को इसका अंदाज़ा भी नहीं था कि वो अपना सबसे निजी और गंदा सबूत वहीं छोड़कर नीचे जा रही है।
तारा सीढ़ियों से नीचे उतरी, उसका चेहरा अभी भी लाल था और उसकी आँखों में हवस की चमक बाकी थी। नीचे राहुल और मम्मी उसकी राह देख रहे थे। राहुल की नज़र सीधे तारा के चेहरे पर गई, वो जानता था कि इस वक्त उस नीले सूट के नीचे तारा ने अपनी पैंटी भी नहीं पहनी है।
राहुल ने नीचे पहुँचकर देखा कि मम्मी साड़ी उतार चुकी थीं और अब एक ढीली-ढाली गुलाबी नाइटी में थीं। नाइटी के पतले कपड़े से उनकी सफेद ब्रा की छाप साफ़ दिख रही थी। राहुल का दिमाग पहले ही ऊपर का नज़ारा देख कर फटा जा रहा था, और अब मम्मी का ये रिलैक्स्ड रूप उसके लिए किसी टॉर्चर से कम नहीं था।
भाग 3: डाइनिंग टेबल का तनाव और वो गंदा सबूत
मम्मी ने मेज पर रोटियाँ रखीं और हम तीनों खाने बैठ गए। राहुल की बगल में ही तारा बैठी थी। तारा की पटियाला सलवार से अभी भी उसके शरीर की वह तीखी और मदहोश कर देने वाली खुशबू आ रही थी। राहुल जानता था कि इस वक्त तारा के सूट के नीचे उसकी जांघों के बीच कोई कपड़ा नहीं है, वो पूरी तरह से नीचे से नग्न (No panty) बैठी है।
मम्मी ने अचानक तारा की तरफ देखा और टोका, "तारा, तेरा चेहरा इतना लाल क्यों है? और ये पसीना... ऊपर पंखा नहीं चल रहा था क्या?"
तारा हड़बड़ा गई, "वो... वो मम्मी मंगेतर का फोन था, थोड़ी बहस हो गई तो बस गर्मी लग रही है।" राहुल ने अपनी थाली में सिर झुका लिया, उसे पता था कि वो 'बहस' नहीं, बल्कि 'बेंचोद और रण्डी' वाली गंदी बातें थीं।
सफ़ेद पैंटी का लालच:
जैसे ही खाना खत्म हुआ, राहुल का दिमाग ऊपर बिस्तर पर छूटी उस गीली सफ़ेद पैंटी की तरफ भागने लगा। उसने बहाना बनाया, "मम्मी, मैं ऊपर छत पर टहलने जा रहा हूँ, गर्मी लग रही है।"
राहुल दबे पाँव वापस ऊपर तारा के कमरे में घुसा। कमरे में अभी भी वही हवस भरी गंध मौजूद थी। उसने झपटकर बिस्तर की चादर हटाई। वहाँ वह पैंटी पड़ी थी—सफ़ेद, पुरानी और बीच से पूरी तरह से तारा के चूत के पानी (काम-रस) से भीगी हुई।
राहुल ने उस पैंटी को उठाया। वो अभी भी तारा के शरीर की गर्मी से गुनगुनी थी। उसने उसे अपने चेहरे पर चिपका लिया। उस पर तारा के चिपचिपे पानी की सड़न और इत्र की मिली-जुली ऐसी गंदी महक थी कि राहुल का अंग फिर से पत्थर की तरह खड़ा हो गया। उसने उस पैंटी के गीले हिस्से को अपनी जुबान से चाटा। उसे लग रहा था जैसे वो अपनी सगी बहन की चूत को ही चख रहा हो।
तभी नीचे से मम्मी की फिर आवाज़ आई, "राहुल! ज़रा स्टोर रूम से सिलाई वाली मशीन निकाल देना, मुझे अपनी नाइटी की सिलाई ठीक करनी है।"
राहुल ने जल्दी से वो गीली पैंटी अपनी जेब में ठूंस ली और नीचे भागा। स्टोर रूम में अंधेरा था। मम्मी वहाँ पहले से खड़ी अपनी नाइटी को ऊपर सरकाकर अपनी जांघ देख रही थीं जहाँ से सिलाई उधड़ी थी।
मम्मी की आवाज़ और अफरा-तफरी
तभी अचानक नीचे से मम्मी की ऊँची आवाज़ गूँजी— "तारा! राहुल! कहाँ मर गए दोनों? जल्दी नीचे आओ, खाना लग गया है!"
मम्मी की आवाज़ सुनते ही जैसे बिजली गिर गई हो। राहुल का दिल गले तक आ गया। उसने जल्दी से अपना अंग अंदर किया और पागलों की तरह पसीना पोंछकर नीचे की ओर भागा। अंदर तारा के भी होश उड़ गए। वो हड़बड़ाहट में बिस्तर से उठी।
उसने जल्दी-जल्दी अपनी सफेद ब्रा पहनी, फिर बिना बदन पोंछे ही अपना नीला सूट ऊपर से डाल लिया। पसीने और काम-रस की वजह से सूट उसके बदन पर चिपक रहा था। उसने जल्दी से अपनी पटियाला सलवार चढ़ाई और नाड़ा कस लिया। लेकिन उस जल्दबाज़ी और घबराहट में उससे एक बहुत बड़ी चूक हो गई।
उसकी वो सफेद पैंटी, जो पूरी तरह से उसके काम-रस (पानी) से भीग चुकी थी और जिससे एक तीखी और उत्तेजक गंध आ रही थी, वो बिस्तर के एक कोने में चादरों के बीच दबी रह गई। तारा को इसका अंदाज़ा भी नहीं था कि वो अपना सबसे निजी और गंदा सबूत वहीं छोड़कर नीचे जा रही है।
तारा सीढ़ियों से नीचे उतरी, उसका चेहरा अभी भी लाल था और उसकी आँखों में हवस की चमक बाकी थी। नीचे राहुल और मम्मी उसकी राह देख रहे थे। राहुल की नज़र सीधे तारा के चेहरे पर गई, वो जानता था कि इस वक्त उस नीले सूट के नीचे तारा ने अपनी पैंटी भी नहीं पहनी है।
राहुल ने नीचे पहुँचकर देखा कि मम्मी साड़ी उतार चुकी थीं और अब एक ढीली-ढाली गुलाबी नाइटी में थीं। नाइटी के पतले कपड़े से उनकी सफेद ब्रा की छाप साफ़ दिख रही थी। राहुल का दिमाग पहले ही ऊपर का नज़ारा देख कर फटा जा रहा था, और अब मम्मी का ये रिलैक्स्ड रूप उसके लिए किसी टॉर्चर से कम नहीं था।
भाग 3: डाइनिंग टेबल का तनाव और वो गंदा सबूत
मम्मी ने मेज पर रोटियाँ रखीं और हम तीनों खाने बैठ गए। राहुल की बगल में ही तारा बैठी थी। तारा की पटियाला सलवार से अभी भी उसके शरीर की वह तीखी और मदहोश कर देने वाली खुशबू आ रही थी। राहुल जानता था कि इस वक्त तारा के सूट के नीचे उसकी जांघों के बीच कोई कपड़ा नहीं है, वो पूरी तरह से नीचे से नग्न (No panty) बैठी है।
मम्मी ने अचानक तारा की तरफ देखा और टोका, "तारा, तेरा चेहरा इतना लाल क्यों है? और ये पसीना... ऊपर पंखा नहीं चल रहा था क्या?"
तारा हड़बड़ा गई, "वो... वो मम्मी मंगेतर का फोन था, थोड़ी बहस हो गई तो बस गर्मी लग रही है।" राहुल ने अपनी थाली में सिर झुका लिया, उसे पता था कि वो 'बहस' नहीं, बल्कि 'बेंचोद और रण्डी' वाली गंदी बातें थीं।
सफ़ेद पैंटी का लालच:
जैसे ही खाना खत्म हुआ, राहुल का दिमाग ऊपर बिस्तर पर छूटी उस गीली सफ़ेद पैंटी की तरफ भागने लगा। उसने बहाना बनाया, "मम्मी, मैं ऊपर छत पर टहलने जा रहा हूँ, गर्मी लग रही है।"
राहुल दबे पाँव वापस ऊपर तारा के कमरे में घुसा। कमरे में अभी भी वही हवस भरी गंध मौजूद थी। उसने झपटकर बिस्तर की चादर हटाई। वहाँ वह पैंटी पड़ी थी—सफ़ेद, पुरानी और बीच से पूरी तरह से तारा के चूत के पानी (काम-रस) से भीगी हुई।
राहुल ने उस पैंटी को उठाया। वो अभी भी तारा के शरीर की गर्मी से गुनगुनी थी। उसने उसे अपने चेहरे पर चिपका लिया। उस पर तारा के चिपचिपे पानी की सड़न और इत्र की मिली-जुली ऐसी गंदी महक थी कि राहुल का अंग फिर से पत्थर की तरह खड़ा हो गया। उसने उस पैंटी के गीले हिस्से को अपनी जुबान से चाटा। उसे लग रहा था जैसे वो अपनी सगी बहन की चूत को ही चख रहा हो।
तभी नीचे से मम्मी की फिर आवाज़ आई, "राहुल! ज़रा स्टोर रूम से सिलाई वाली मशीन निकाल देना, मुझे अपनी नाइटी की सिलाई ठीक करनी है।"
राहुल ने जल्दी से वो गीली पैंटी अपनी जेब में ठूंस ली और नीचे भागा। स्टोर रूम में अंधेरा था। मम्मी वहाँ पहले से खड़ी अपनी नाइटी को ऊपर सरकाकर अपनी जांघ देख रही थीं जहाँ से सिलाई उधड़ी थी।


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