22-12-2025, 08:04 PM
तारा ने शर्माते हुए अपनी आँखें मूंद लीं, लेकिन उसका हाथ रुकने के बजाय और तेज़ हो गया।
मंगेतर रुकने का नाम नहीं ले रहा था, उसने और गंदा होना शुरू किया, "तेरी ये चूत देख रहा हूँ न... जब शादी होकर यहाँ आएगी, तो तुझे बिस्तर से उठने नहीं दूँगा बेंचोद। अभी तो तू उंगली कर रही है, जब मैं अपनी जुबान से तेरी इस गीली दरार को चाटूँगा, तो तू पागल हो जाएगी। बता न, कैसा लग रहा है जब मैं तुझे मादरचोद बुला रहा हूँ?"
तारा की सिसकारियां अब चीखों में बदल रही थीं। उसे ये गालियाँ और उसका मंगेतर का वो नंगापन एक अलग ही नशा दे रहा था। उसने अपनी सफेद पैंटी को पूरी तरह उतारकर अपनी टांगों से बाहर फेंक दिया और अब वो कैमरे के सामने पूरी तरह निर्वस्त्र होकर अपनी गीली और लाल होती चूत को रगड़ रही थी।
"हाँ... हाँ जान... और गाली दो... मुझे और गंदा बोलो," तारा बेकाबू होकर बेड की चादर को अपने दांतों से दबाते हुए फुसफुसा रही थी।
बाहर राहुल का पागलपन
बाहर खड़ा राहुल अपनी बहन के मुँह से ऐसे शब्द और मंगेतर की वो Rough गालियाँ सुनकर सुन्न पड़ गया था। उसका लुंड अब उसकी मुट्ठी में फटने को तैयार था। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मासूम दिखने वाली बहन अंदर एक 'रण्डी' की तरह व्यवहार कर रही है।
राहुल ने अपनी मुट्ठी की रफ़्तार इतनी बढ़ा दी कि उसे अपने अंग की चमड़ी रगड़ खाने का अहसास भी नहीं हो रहा था। वो कल्पना कर रहा था कि वो मंगेतर नहीं, बल्कि वो खुद है जो तारा को ये गालियाँ दे रहा है। उसके दिमाग में मम्मी और तारा के जिस्म की मिली-जुली गंदी तस्वीरें घूम रही थीं।
मंगेतर फिर चिल्लाया, "अपनी टांगें और फैला... और अपनी इस चूत का पानी मुझे स्क्रीन पर दिखा! तू मेरी अपनी रण्डी है तारा!"
जैसे ही तारा ने एक ज़ोरदार सिसकारी भरी और उसका शरीर ढीला पड़ा, बाहर राहुल का भी बांध टूट गया। उसने अपने दांत भींच लिए और उसका गर्म लावा उसकी मुट्ठी और फर्श पर बिखर गया। वो वहीं दीवार के सहारे टिक कर लंबी-लंबी सांसें लेने लगा, जबकि अंदर तारा अभी भी उस गंदी बातचीत के खुमार में डूबी हुई थी।
राहुल और तारा दोनों ही अपनी-अपनी वासना के शिखर को छू चुके थे। कमरे के बाहर राहुल का शरीर पसीने से तर-बतर था और उसका वीर्य फर्श पर सफेद धब्बों की तरह चमक रहा था, जबकि अंदर तारा हवस की आग में पूरी तरह जलकर अब शांत हो रही थी।
चरम सीमा और वह गंदा खेल
तारा बिस्तर पर अपनी टांगें पूरी तरह फैलाकर निढाल लेटी हुई थी। उसकी नग्न और गीली चूत से काम-रस की सफेद धार बहकर उसकी जांघों पर फैल रही थी। उसने अपना फोन अपनी जांघों के बीच ले जाकर उस दरार पर फोकस किया।
तारा हाँफते हुए बोली, "देख रहे हो न जानू... तुम्हारी इस रण्डी ने अपनी क्या हालत कर ली है? देखो कितना पानी निकल रहा है।"
उसका मंगेतर स्क्रीन पर उसे पागलों की तरह देख रहा था और चिल्लाया, "जी चाहता है स्क्रीन फाड़कर अंदर घुस जाऊँ और तेरा ये सारा सफेद पानी अपनी जुबान से चाट लूँ। तू सच में एक नंबर की मादरचोद माल है तारा, तेरा ये गीलापन देखकर मेरा फिर से खड़ा हो रहा है।"
मंगेतर रुकने का नाम नहीं ले रहा था, उसने और गंदा होना शुरू किया, "तेरी ये चूत देख रहा हूँ न... जब शादी होकर यहाँ आएगी, तो तुझे बिस्तर से उठने नहीं दूँगा बेंचोद। अभी तो तू उंगली कर रही है, जब मैं अपनी जुबान से तेरी इस गीली दरार को चाटूँगा, तो तू पागल हो जाएगी। बता न, कैसा लग रहा है जब मैं तुझे मादरचोद बुला रहा हूँ?"
तारा की सिसकारियां अब चीखों में बदल रही थीं। उसे ये गालियाँ और उसका मंगेतर का वो नंगापन एक अलग ही नशा दे रहा था। उसने अपनी सफेद पैंटी को पूरी तरह उतारकर अपनी टांगों से बाहर फेंक दिया और अब वो कैमरे के सामने पूरी तरह निर्वस्त्र होकर अपनी गीली और लाल होती चूत को रगड़ रही थी।
"हाँ... हाँ जान... और गाली दो... मुझे और गंदा बोलो," तारा बेकाबू होकर बेड की चादर को अपने दांतों से दबाते हुए फुसफुसा रही थी।
बाहर राहुल का पागलपन
बाहर खड़ा राहुल अपनी बहन के मुँह से ऐसे शब्द और मंगेतर की वो Rough गालियाँ सुनकर सुन्न पड़ गया था। उसका लुंड अब उसकी मुट्ठी में फटने को तैयार था। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसकी मासूम दिखने वाली बहन अंदर एक 'रण्डी' की तरह व्यवहार कर रही है।
राहुल ने अपनी मुट्ठी की रफ़्तार इतनी बढ़ा दी कि उसे अपने अंग की चमड़ी रगड़ खाने का अहसास भी नहीं हो रहा था। वो कल्पना कर रहा था कि वो मंगेतर नहीं, बल्कि वो खुद है जो तारा को ये गालियाँ दे रहा है। उसके दिमाग में मम्मी और तारा के जिस्म की मिली-जुली गंदी तस्वीरें घूम रही थीं।
मंगेतर फिर चिल्लाया, "अपनी टांगें और फैला... और अपनी इस चूत का पानी मुझे स्क्रीन पर दिखा! तू मेरी अपनी रण्डी है तारा!"
जैसे ही तारा ने एक ज़ोरदार सिसकारी भरी और उसका शरीर ढीला पड़ा, बाहर राहुल का भी बांध टूट गया। उसने अपने दांत भींच लिए और उसका गर्म लावा उसकी मुट्ठी और फर्श पर बिखर गया। वो वहीं दीवार के सहारे टिक कर लंबी-लंबी सांसें लेने लगा, जबकि अंदर तारा अभी भी उस गंदी बातचीत के खुमार में डूबी हुई थी।
राहुल और तारा दोनों ही अपनी-अपनी वासना के शिखर को छू चुके थे। कमरे के बाहर राहुल का शरीर पसीने से तर-बतर था और उसका वीर्य फर्श पर सफेद धब्बों की तरह चमक रहा था, जबकि अंदर तारा हवस की आग में पूरी तरह जलकर अब शांत हो रही थी।
चरम सीमा और वह गंदा खेल
तारा बिस्तर पर अपनी टांगें पूरी तरह फैलाकर निढाल लेटी हुई थी। उसकी नग्न और गीली चूत से काम-रस की सफेद धार बहकर उसकी जांघों पर फैल रही थी। उसने अपना फोन अपनी जांघों के बीच ले जाकर उस दरार पर फोकस किया।
तारा हाँफते हुए बोली, "देख रहे हो न जानू... तुम्हारी इस रण्डी ने अपनी क्या हालत कर ली है? देखो कितना पानी निकल रहा है।"
उसका मंगेतर स्क्रीन पर उसे पागलों की तरह देख रहा था और चिल्लाया, "जी चाहता है स्क्रीन फाड़कर अंदर घुस जाऊँ और तेरा ये सारा सफेद पानी अपनी जुबान से चाट लूँ। तू सच में एक नंबर की मादरचोद माल है तारा, तेरा ये गीलापन देखकर मेरा फिर से खड़ा हो रहा है।"


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