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Incest Rishton ka Zehar
#4
तारा स्क्रीन पर अपने मंगेतर को देखकर धीरे-धीरे अपनी उँगलियाँ अपनी कमीज के ऊपर से ही अपने सीने पर फेरने लगी। वो अपने मंगेतर के अंग को स्क्रीन पर बढ़ता देख अपनी जुबान से होंठों को चाट रही थी। राहुल ने गौर किया कि तारा की सांसें तेज हो रही थीं और उसका बदन उत्तेजना से कांप रहा था।

बाहर खड़ा राहुल यह सब देख रहा था—उसकी अपनी बहन, जिसका रिश्ता तय हो चुका था, आज अपने होने वाले पति के सामने अपनी मर्यादा की परतें खोल रही थी। राहुल का दिमाग सुन्न था, पर उसका शरीर पूरी तरह से जंगली (Rough) होने के लिए तैयार था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो अंदर जाकर तारा को रंगे हाथ पकड़े या वहीं खड़े होकर अपनी इस प्यास को और बढ़ाए।
राहुल के लिए वो पल किसी सपने जैसा था, लेकिन ये सपना बहुत गहरा और मदहोश कर देने वाला था। दरवाजे की दरार से जो वो देख रहा था, उसने उसके जिस्म के रोम-रोम में आग लगा दी थी।

कमरे का मंजर: तारा की मदहोशी
अंदर बिस्तर पर लेटी तारा अब पूरी तरह से अपने मंगेतर की बातों के जादू में थी। फोन की स्क्रीन पर उस मर्द का नग्न बदन देख तारा का संयम टूट गया। उसने कांपते हाथों से अपने नीले कुर्ते के नीचे के किनारे को पकड़ा और उसे धीरे-धीरे ऊपर उठाना शुरू किया। राहुल की नजरें उसकी दूध जैसी सफेद कमर और नाभि पर टिक गई। जैसे ही कुर्ता ऊपर सरका, तारा ने उसे अपने सिर से निकालकर एक तरफ फेंक दिया। अब वो सिर्फ अपनी सफेद ब्रा और पटियाला सलवार में थी। उसके उभरे हुए अंग ब्रा की कैद से बाहर निकलने को बेताब दिख रहे थे।

तारा ने अपनी सलवार का नाड़ा पूरी तरह खोल दिया। भारी पटियाला सलवार उसके पैरों से फिसलकर नीचे गिर गई। अब तारा के जिस्म पर सिर्फ उसकी सफेद पैंटी और ब्रा बची थी। राहुल ने देखा कि तारा की पैंटी के बीच का हिस्सा हल्का गीला हो चुका था, जो उसकी उत्तेजना की गवाही दे रहा था।

तारा ने अपनी आँखें बंद कीं और अपनी बीच वाली उंगली को पैंटी के कपड़े के ऊपर से ही अपनी चूत की दरार पर रगड़ना शुरू किया। उसके मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं—"अह्ह्ह... जान... बहुत गर्मी हो रही है।"

तारा ने धीरे से अपनी उंगली पैंटी के अंदर डाली। राहुल का दिल धक-धक कर रहा था। वो देख सकता था कि कैसे तारा की उंगली अंदर-बाहर हो रही थी, जिससे गीलेपन की हल्की 'चप-चप' की आवाज़ कमरे के सन्नाटे को चीर रही थी। तारा का चेहरा आनंद से भरा हुआ था, वो फिंगरिंग (fingering) करते हुए खुद को पूरी तरह सौंप चुकी थी।

राहुल का पागलपन
बाहर खड़ा राहुल अब खुद को रोक नहीं पाया। उसने अपनी पैंट की चेन खोली और अपना सख्त, गर्म लुंड बाहर निकाल लिया। उसका अंग तनाव से काला पड़ चुका था और उसकी नसें उभर आई थीं। राहुल ने उसे अपनी मुट्ठी में मजबूती से जकड़ा।

जैसे-जैसे अंदर तारा की उंगलियों की रफ़्तार बढ़ रही थी, बाहर राहुल की मुट्ठी का घर्षण भी तेज होता जा रहा था। वो तारा की हर सिसकारी पर अपने हाथ को ऊपर-नीचे (Stroke) कर रहा था। उसके दिमाग में गंदे विचार आ रहे थे—"आज तारा अपने मंगेतर के लिए ये कर रही है, पर देख मैं रहा हूँ।"

राहुल ने अपने हाथ को इतनी तेजी से चलाया कि उसका पूरा बदन पसीने से भीग गया। अंदर तारा अपनी चरम सीमा (Climax) के करीब थी, उसकी उंगलियाँ अब और गहराई तक जा रही थीं, और बाहर राहुल का अंग भी फटने को तैयार था। वो अपनी बहन की नग्नता और उसकी कामुक आवाज़ों के नशे में पूरी तरह डूबा हुआ था।
राहुल के कानों में तारा के मंगेतर की आवाज़ किसी पिघले हुए लोहे की तरह उतर रही थी। फोन के स्पीकर से आती वो गंदी और नग्न गालियाँ राहुल के अंदर के दरिंदे को और ज्यादा उकसा रही थीं।

हवस का चरम: गालियाँ और सिहरन
कमरे के अंदर तारा पूरी तरह से अपनी उंगलियों के खेल में डूबी हुई थी, तभी उसके मंगेतर की भारी और हवस भरी आवाज़ गूँजी, "देख क्या रही है रण्डी? अपनी उंगलियों को और अंदर डाल! आज तुझे तड़पते हुए देखना चाहता हूँ।"
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Rishton ka Zehar - by Shipra Bhardwaj - 21-12-2025, 02:34 PM
RE: Rishton ka Zehar - by Shipra Bhardwaj - 22-12-2025, 07:08 AM
RE: Rishton ka Zehar - by Shipra Bhardwaj - 22-12-2025, 07:11 AM
RE: Rishton ka Zehar - by Shipra Bhardwaj - 22-12-2025, 08:01 PM
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RE: Rishton ka Zehar - by Shipra Bhardwaj - 22-12-2025, 08:15 PM



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