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Adultery अनीता सिंह -- किरदार निभाना (Role Play)
#1
Below  story is inspired by work of seansean007 -- Anita Singh - Story of a Seductive Housewife. I have borrowed Initial plot but then i plan to create totally different story . 


तबादला
 
अनीता ने अपनी चिकनी, गोरी पीठ अपने पति राज की ओर घुमाई और दुलार भरे स्वर में कहा, "राज, यह ब्लाउज का हुक लगा दो।"


 
उसकी बात सुनकर राज ने एक पल के लिए अपनी नज़रें ऊपर उठाईं और अपनी खूबसूरत, जवाँ पत्नी की पीठ की ओर देखा। उसकी पीठ का अधिकांश हिस्सा लगभग पूरी तरह से खुला और नंगा था। बस एक महीन, पारदर्शी ब्रा की स्ट्रैप उसकी त्वचा पर हल्के से टिकी हुई थी, जो उसके यौवन की एक हल्की-सी झलक दे रही थी।

 
राज ने उस कोमल, चिकनी, और मलाईदार पीठ को देखा, जो इस समय उसके सामने थी। वह उसकी सुंदरता में एक पल को खो गया। फिर, उसने धीरे से अपने हाथ बढ़ाए। उसकी उँगलियों ने अनीता के ब्लाउज के छोटे से, नाज़ुक पट्टे को स्पर्श किया। कोमलता से उस स्ट्रैप को पकड़कर, राज ने कुशलता से ब्लाउज का हुक बंद कर दिया।

 
यह ब्लाउज अपनी बनावट में ही ऐसा था कि वह अनीता की पीठ को ढकने के बजाय, उसे प्रदर्शित कर रहा था। उसकी पीठ का बहुत बड़ा हिस्सा, कंधों से कमर तक, उस वस्त्र में भी लगभग पूरी तरह से अनावृत था। ब्लाउज की स्ट्रैप महज़ दो इंच चौड़ी थी; उसका एकमात्र काम उस वस्त्र को अनीता के सुडौल शरीर पर थामे रखना था, न कि उसकी साफ़-सुथरी, गोरी पीठ पर कोई पर्दा डालना। वह चिकनी त्वचा उस दो इंच के पट्टे के नीचे से झाँक रही थी, एक रूमानी आमंत्रण की तरह।

 
राज अपनी प्यारी पत्नी को साड़ी लपेटते हुए देख रहा था। उसके गोरे और चिकने पीठ पर प्यार से हाथ फेरते हुए वह बोला, "जान, जान, हम अभी एक छोटे शहर में जा रहे हैं।। मेरे हिसाब से तुम्हें थोड़े रूढ़िवादी (conservative) कपड़े पहनने चाहिए। साड़ियों पर सामान्य ब्लाउज सही रहेंगे।"

 
अनीता ने साड़ी का एक छोर अपने पेटीकोट में डाला और मुड़कर अपने पति की ओर देखा। उसकी मुस्कान में एक शरारत थी। वह बोली, "रूढ़िवादी ब्लाउज से तुम्हारा क्या मतलब है? इसमें क्या बुराई है? तुम्हें पता है न, मुझे साड़ी पहनना कितना पसंद है, और आधुनिक ब्लाउज  के बिना साड़ी पहनना मुझे बिल्कुल बेकार  लगता है। मुझे इस तरह के ब्लाउज पहनने में बहुत आरामदेह  महसूस होता है। पता नहीं तुम ऐसी बातें क्यों कर रहे हो।"

 
अपनी बात पूरी करके, अनीता ने आईने में देखा और अपनी आँचल को व्यवस्थित करने लगी। उसने साड़ी को ब्लाउज के कंधे पर पिन लगाना शुरू कर दिया।

 
राज जो खुद एक आधुनिक विचारों  का व्यक्ति था और जिसने अपनी पत्नी के पहनावे या किसी भी बात के लिए उसे कभी टोका नहीं था, उसे खुद यकीन नहीं हो रहा था कि उसने यह बात क्यों छेड़ी।

 
बात को संभालते हुए वह बोला, "कोई बुराई नहीं है, जान। तुम साड़ी में बहुत अच्छी लगती हो, और खासकर ऐसे ब्लाउज में। मैंने शादी के बाद कभी भी तुम्हें इस बारे में कुछ नहीं कहा, लेकिन हम जिस छोटे शहर में जा रहे हैं, वहाँ के लोग इतने खुले ख्यालों के नहीं हैं। वे इस तरह के रिवीलिंग कपड़ों या साड़ी को अच्छी नज़र से नहीं देखते।"

 
अनीता ने साड़ी को पिन करके, दाएँ-बाएँ घूमकर आईने में खुद को देखा और पूछा, "कैसी लग रही हूँ?"

 
फिर अपने पति की आँखों में देखते हुए उसने शरारत और थोड़े हक से कहा, "और वैसे भी, क्या तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है? मैं सब संभाल लूँगी।"

 
राज ने मुस्कुराते हुए कहा, "वैसी ही जैसी हो, बहुत खूबसूरत... और बहुत सेक्सी भी। और रही बात भरोसे की, तो बेशक मुझे तुम पर पूरा भरोसा है।"

 
उसने अनीता के पास जाकर धीरे से उसकी कमर पर हाथ रखा और उसके कान के पास झुककर फुसफुसाया, "भरोसा तुम पर है जान, पर उन लोगों की नीयत पर नहीं जो तुम्हें इस अवतार में देखेंगे।"

 
 
अनीता ने आईने में राज की चमकती आँखों को देखा। उसने पीछे मुड़कर राज के गले में अपनी बाहें डाल दीं और शरारत से अपनी साड़ी का पल्लू थोड़ा और नीचे खिसका दिया, जिससे उसके वक्षों का उभार और साफ दिखने लगा।

 
उसने राज की आँखों में आँखें डालकर कहा, "तो क्या आप चाहते हैं कि मैं इसे बदल लूँ? या फिर आप चाहते हैं कि पूरे शहर को पता चले कि राज की पत्नी कितनी हॉट है?"

 
राज ने मुस्कुराते हुए हार मानने वाले अंदाज़ में अपने हाथ खड़े कर दिए और कहा, "तुम्हारे साथ तो कोई जीत ही नहीं सकता, जान। अब चलो, हमें देर हो रही है।"

 
उसने अनीता की कमर पर हल्का सा हाथ थपथपाया, जैसे उसे चलने का इशारा कर रहा हो, लेकिन उसकी निगाहें अभी भी अनीता के उस गहरे गले के ब्लाउज और उसकी खूबसूरती पर टिकी थीं। अनीता ने एक आखिरी बार आईने में खुद को देखा, अपने बालों को ठीक किया और एक विजयी मुस्कान के साथ अपना सैंडल पहनते हुए अपना पर्स उठा लिया।

 
जैसे ही वे कमरे से बाहर निकलने लगे, राज ने एक बार फिर उसे टोका, "तैयार रहना, उस छोटे शहर में तुम्हारी ये साड़ी और ये अंदाज़ तूफान लाने वाला है।"

 
इस पर अनीता ज़ोर से खिलखिलाकर हँसी और अपनी कमर को एक हल्का सा झटका देते हुए बोली, "देखते हैं!"

 
उसकी हँसी कमरे की शांति को चीरती हुई राज के कानों में शहद की तरह घुली। उसने चलते-चलते एक बार फिर राज को चिढ़ाने के अंदाज़ में देखा, जैसे कह रही हो कि उसे अपनी खूबसूरती और राज के दिल पर अपनी पकड़ का पूरा अंदाज़ा है।
 

राज भी यह सुनकर मुस्कराने लगा। अपनी पत्नी को हँसते हुए देखना उसे अच्छा लग रहा था। वह जितनी खूबसूरत और पढ़ी-लिखी थी, उतनी ही समझदार और प्यारी भी थी। लोगों के विचारों या उनकी बातों से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था। बस उसे अपनी मर्जी से खुशी से ज़िंदगी जीना  अच्छा लगता था।

 
अनीता आधुनिक विचारों की थी और ऐसे में उसका पहनावा भी वैसा ही था। उसको न सिर्फ़ छोटे ब्लाउज पहनना पसंद था, बल्कि वह साड़ी भी अपनी नाभि के नीचे  बाँधती थी। घर पर तो नाभि के थोड़ा नीचे बाँधती थी, मगर जब दिल्ली में अपने पति राज के साथ कभी घूमने जाती थी तो साड़ी को और भी नीचे बाँधती थी। वह भले ही हर तरह से आधुनिक थी मगर अपने संस्कार  नहीं भूली थी और सबसे बहुत अच्छे से, प्यार और इज़्ज़त से बात करती थी। उसे अमीरी-गरीबी से भी कोई फ़र्क नहीं पड़ता था।

 
राज अपनी पत्नी के इन सभी गुणों के कारण उससे बहुत प्यार करता था। वह खुद को बहुत भाग्यशाली  मानता था कि उसे ऐसी पत्नी मिली थी जो न सिर्फ़ बहुत खूबसूरत और आधुनिक विचारों  की थी, बल्कि साथ ही उसमें अच्छे  संस्कार  भी थे।

 
राज के चेहरे पर अभी भी थोड़ी चिंता थी। उसने रुककर अनीता का हाथ थाम लिया और संजीदगी से पूछा, "सच में अनीता, क्या तुम श्योर हो? तुम मेरे साथ उस छोटे से शहर में जाना चाहती हो? मुझे डर है कि तुम वहाँ बोर हो जाओगी। वहाँ न वैसी पार्टियाँ हैं, न मॉल। अगर तुम चाहो, तो कुछ दिन अपने मम्मी-पापा के घर रुक सकती हो। मैं काम निपटाकर तुम्हें लेने आ जाऊँगा।"
 

अनीता ने राज की आँखों में देखा और उसके करीब आते हुए उसके कोट का कॉलर ठीक किया। उसकी आँखों में एक अलग ही चमक थी, जैसे वह बोरियत से नहीं, बल्कि किसी रोमांच की तलाश में हो।

 
उसने राज की छाती पर अपनी उँगलियाँ फिराते हुए कहा, "बोरियत? राज, जहाँ तुम हो, वहाँ मैं बोर कैसे हो सकती हूँ? और रही बात उस शहर की... तो मैं भी देखना चाहती हूँ कि वहाँ के लोग एक 'शहर की मेमसाब' को कैसे झेलते हैं।"
 
 
राज ने बस अपना सिर हिलाया और एक गहरी साँस ली। वह जानता था कि इस छोटे शहर के रूढ़िवादी माहौल में, जहाँ औरतें घूँघट और ढीले कपड़ों में सिमटी रहती हैं, अनीता का यह मॉडर्न और बोल्ड रूप किसी धमाके से कम नहीं होगा।

 
अनीता ने अपने पति को देखकर मुस्कुराते हुए कहा, "कुछ नहीं होगा, जान। चिंता मत करो, लोगों से क्या लेना-देना हमें? हम उनके कारण अपना जीवन-शैली (lifestyle) क्यों बदलें?"

 
राज ने अपनी पत्नी की बात सुनकर मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "ठीक है, जान। जैसे रहना है रहो। बस कुछ महीने या एक साल की बात है, उसके बाद कंपनी मुझे वापस किसी बड़े शहर में स्थानांतरित (transfer) कर देगी। तुम्हें अपना जीवन-शैली बदलने की ज़रूरत नहीं।"

 
राज ने यह बोलकर अनीता की सेक्सी गांड की तरफ देखा, जो कि तंग साड़ी में कैद होने के बावजूद भी अपना जलवा दिखा रही थी। राज को अनीता का सुडौल आकृति (curvy figure) बेहद पसंद था। वह 5'7" की थी और उस ऊँचाई में सेक्सी नितंब होने पर औरत की आकृति और भी मादक हो जाती है, और अनीता वैसी ही लगती थी।

 
अनीता ने राज की नज़रों का पीछा किया और समझ गई कि वह कहाँ देख रहा है। उसने शरारत से अपनी कमर को थोड़ा और झटका दिया, जिससे उसकी साड़ी का रेशमी कपड़ा उसके कर्व्स पर और भी कस गया।
 

राज ने एक गहरी सांस ली और उसके करीब आकर पीछे से उसकी कमर को अपने हाथों के घेरे में ले लिया। उसने अनीता के कान के पास धीमे से कहा, "तुम जानती हो न, इस साड़ी में तुम्हारा ये फिगर किसी को भी पागल कर सकता है? खासकर जब तुम ऐसे चलती हो..."

 
अनीता ने मुड़कर राज को देखा, उसकी आँखों में अब एक मादक चमक थी। उसने राज के होठों के करीब अपने होंठ लाते हुए कहा, "तो फिर देर किस बात की है? चलिए, सफर लंबा है और मुझे यकीन है कि रास्ते में हमें बहुत मज़ा आने वाला है।"

 
राज ने मुस्कुराते हुए कहा, "तुम्हारे साथ कोई जीत नहीं सकता, जान। पर याद रखना, यूपी के उस शहर में तुम एक 'प्रोजेक्ट मैनेजर की पत्नी' बनकर जा रही हो, वहाँ सबकी नज़रें तुम पर ही होंगी।"

 
अनीता ने अपने सैंडल की स्ट्रैप बाँधते हुए ऊपर देखा और शरारत से बोली, "तो क्या हुआ राज? नज़रें तो देखने के लिए ही होती हैं। और मुझे अच्छा लगता है जब लोग—खासकर तुम—मुझे इस तरह देखते हो।"

 
उसने खड़े होकर अपनी साड़ी को एक बार फिर नीचे की तरफ खींचा ताकि वह उसकी कमर पर ठीक से बैठ जाए। उसकी नाभि के पास से सरकती हुई साड़ी और पीठ का वह गहरा हिस्सा राज की धड़कनें बढ़ाने के लिए काफी था।

 
राज ने उसे पास खींचकर उसके माथे को चूमा और बोला, "ठीक है, फिर तैयार हो जाओ एक यादगार सफर के लिए। चलिए, गाड़ी इंतज़ार कर रही है।"


राज सिंह 30 साल का था और एक बड़ी कंपनी में सिविल इंजीनियर  के तौर पर काम करता था। उसकी कंपनी ने उसे एक फ्लाईओवर के प्रोजेक्ट के लिए उत्तर प्रदेश के इस छोटे शहर में प्रोजेक्ट मैनेजर  के तौर पर भेजा था।

 
अनीता सिंह  27  साल की, 5'7" ऊँचाई की बहुत ही खूबसूरत औरत थी और उसकी राज से शादी दो साल पहले हुई थी। उसने एक प्राइवेट कॉलेज से एमबीए किया था। अनीता एक उच्च मध्यम वर्गीय  परिवार से थी और अपने माँ-बाप की इकलौती संतान थी। इकलौती संतान होने के कारण उसे बहुत लाड़-प्यार से पाला गया था और कभी भी किसी चीज़ के लिए रोक-टोक नहीं किया गया, और उसके खुले विचारों  के पीछे यही कारण था।

 
कॉलेज में भी वह किसी कार्यक्रम के मौके पर ऐसे ही छोटे ब्लाउज और साड़ी, या फिर गहरी पीठ वाली कमीज़  पहनकर जाती थी, मगर उसके पहनावे को लेकर उसके माँ-बाप ने कभी कुछ नहीं कहा। भले ही पहनावे और घूमने-फिरने में वह बोल्ड  थी, मगर उसने कभी प्रेमी  नहीं बनाया और माँ-बाप की पसंद पर अरेंज मैरिज की।

 
राज और उसके पापा का कपड़ों का व्यापार  था और इसी ज़रिय से उनकी जान-पहचान थी, और यह जान-पहचान रिश्ते में बदल गई।
Deepak Kapoor
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अनीता सिंह -- किरदार निभाना (Role Play) - by Deepak.kapoor - Yesterday, 05:28 PM



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