19-12-2025, 10:51 AM
एक दिन लाला ने रिशा से कहा- राजू के कमरे में हिसाब किताब का लेजर रखा होगा, वह ले आओ.
उस वक्त अजय कहीं गया हुआ था.
कमरे में लेजर देखते समय रिशा को उसके बिस्तर के नीचे एक छोटा रूमाल सा मिला जो कलफ लगे कपड़े जैसा कड़क हो रहा था.
फिर बिस्तर के गद्दे के नीचे दो तीन अश्लील किताबें दिखीं.
उनमें से एक किताब रिशा ने छिपा कर अपने साथ रख ली.
वह रुमाल के कड़कपन का राज भी समझ गई कि राजू मुठ मारता है.
अब उसके जेहन में राजू का बांकापन आया.
उसने महसूस किया कि राजू के बारे में सोचने से उसकी चूत में गुलगुली सी हो रही है.
वह लाला को लेजर देकर अपने कमरे में आ गयी और किवाड़ बंद करके किताब के पन्ने देखने लगी.
उसमें सेक्स की ढेरों फ़ोटोज़ थीं.
रिशा की उंगली अपनी चूत में पहुंच गई और वह राजू के लंड का ख्वाब देखती चूत मसलने लगी.
रात को रिशा की चूत जब ज्यादा ही चुलबुलाने लगी तो वह पता नहीं क्या सोचकर दबे पाँव नीचे सरिता के कमरे के बाहर पहुंची और दरवाजे की दरार से अन्दर का नजारा देखने लगी.
अन्दर लाला और सरिता दोनों नंगे थे.
सरिता लाला के ऊपर बैठ उसका लंड अन्दर करने की नाकाम कोशिश कर रही थी.
पर लाला उसके मांसल मम्मों को मसल रहा था.
रिशा की इच्छा हुई कि वह भी नंगी होकर कमरे में घुस जाए.
पर कुछ भी हो आखिर लाला उसका ससुर था.
वह गर्म सांसों के साथ वापिस ऊपर आ गयी.
ऊपर उसने राजू के कमरे में लाईट जलती देखी तो अन्दर झांकने की कोशिश की.
वहां भी वही नजारा था.
राजू नंग धड़ंग वही अश्लील किताब पढ़ रहा था.
उसके हाथों में उसका मूसल जैसा लंड था, जिसे वह मसल रहा था.
अब मामला रिशा के काबू से बाहर था.
उसने तय कर लिया कि अब चाहे जो भी हो जाए, उसे भी लंड चाहिए.
उसने अपने कमरे से आकर राजू को फोन किया कि उसके पैरों में बहुत दर्द है, क्या वह आ सकता है. पर बिना आवाज के आए क्योंकि नीचे लाला ज़ी सो रहे हैं, वे न उठ जाएँ.
राजू बहुत हरामी था.
वह सही मायनों में रिशा को सोच सोच कर ही मुठ मारता था.
वह समझ गया कि आज भाभी की चूत मिल सकती है क्योंकि केवल आने से कितनी आवाज होनी थी.
उसने बहुत ही मीठे ढंग से कहा- भाभी, अभी आया.
राजू जब कमरे में आया तो रिशा ने उससे कहा- आज मैं दिन में सीढ़ी से फिसल गयी थी, तो क्या तुम मेरे पैरों पर तेल लगा दोगे?
राजू की तो मानो लॉटरी लग गयी.
वह फटाफट तेल की शीशी निकाल लाया.
रिशा से रुका नहीं जा रहा था.
उसने कहा- राजू कमरे की लाइट हल्की कर दो. वर्ना लाइट जलती देख, दीदी ऊपर आ जाएँगी.
राजू ने लाइट धीमी कर दी.
वह नीचे बैठ कर धीरे धीरे रिशा की तलवों की मालिश करता रहा.
रिशा बोली कि सीढ़ी पर लुढ़कने से चोट ऊपर को लगी है. कुछ कमर की तरफ भी है, तो घुटने के ऊपर तक और कमर की भी मालिश कर दे.
ऐसा कह कर बिना उसके उत्तर का इंतज़ार किए रिशा औंधी होकर लेट गयी.
उसकी चिकनी टांगें और पाजेब राजू का ईमान डिगा गयीं.
पर उसकी ज्यादा हिम्मत नहीं हो रही थी.
वह नीचे खड़ा मालिश करता रहा.
रिशा अब उस पर झुंझलाई और बोली- करना है, तो ढंग से कर … वरना जा!
यह कह कर रिशा ने उसका हाथ अपनी जांघों पर रख दिया और कहा- यहां अच्छे से मालिश करो … और ऊपर बेड पर आकर बैठ कर मालिश करो.
राजू का तो लंड तम्बू बना हुआ था.
खैर … उसने हिम्मत करके रिशा की नाइटी को ऊपर करके उसकी चिकनी पिंडलियों पर मालिश शुरू की.
उसकी सांसें तेज चलनी शुरू हो गयी थीं.
तभी रिशा पलट गयी और उसकी टी-शर्ट का कॉलर पकड़कर उसे नीचे खींच कर बोली- साले हरामी, तू कैसी कैसी किताबें पढ़ रहा था और अपने मूसल को मसल रहा था, तेरी वीडियो बना ली है मैंने … सुबह लाला ज़ी को दिखाऊंगी.
राजू घबरा कर बोला- नहीं भाभी, ऐसा कुछ नहीं कर रहा था.
रिशा ने उसके बरमूडा के ऊपर से उसका लंड पकड़ लिया और कहा- फिर ये कैसे बंबू बना हुआ है! चल अब ढंग से मेरी मालिश कर!
यह कह कर रिशा सीधी लेट गयी और अपनी नाइटी के अन्दर उसका हाथ सीधी अपनी चूत पर रख दिया.
वह बोली- अब इधर की कर मालिश. हाथ, उंगली, जीभ और अपना औज़ार सब इस्तेमाल कर!
राजू की हिम्मत अब खुल गयी.
वह रिशा की जांघों के ऊपर उसकी मखमली चूत की फांकों को मसलने लगा.
उसने सपने में ऐसा नसीब नहीं सोचा था.
रिशा की गर्म सांसें अब बढ़ने लगीं.
उसने अपनी नाइटी उतार फेंकी और राजू को भी नंगा कर दिया.
राजू को उसने बालों से पकड़ कर खींचा और उसका मुँह अपने मांसल मम्मों पर रख दिया.
वह किसी भूखे बच्चे की तरह अपनी भाभी के मम्मे चूसने लगा.
रिशा ने उसका लंड पकड़ लिया और लगी मसलने.
राजू का लंड अजय के लंड के मुकाबले मजबूत था.
रिशा की चूत में चीटियां रेंग रही थीं.
उसने राजू से कहा- ज़रा मेरी मुनिया को चूस तो दे!
राजू नीचे हुआ तो रिशा ने अपनी टांगें फैला दीं.
तब राजू ने उसकी फांकों को चौड़ाया और अपनी जीभ घुसा दी.
राजू ने अब तक जो भी दो चार चूत चोदी थीं, वह सब गाँव की गंवार औरतों की गंदी चूतें थीं.
इतनी चिकनी और मखमली चूत तो उसने केवल मोबाइल में पोर्न मूवी में देखी थी.
उसने अपनी जीभ पूरी अन्दर तक घुसा दी.
रिशा की आहें निकलनी शुरू हो गयीं.
उसने अपनी उंगलियों से फाँकों को और चौड़ा कर दिया और राजू के बाल खींचकर उसका सर अपनी चूत में और नजदीक कर दिया.
अब रिशा राजू के लंड का स्वाद भी लेना चाह रही थी.
तो उसने राजू को ऊपर खींचा और उसका लंड अपने मुँह के पास कर दिया.
पहले तो उसने उसके टोपे को चूमा, थोड़ा थूक लगाया और हाथों से मालिश करते हुए उसे मुँह में ले लिया.
मुँह में लेते ही रिशा ने उसे बाहर निकाल दिया और बोली- साले, कब से नहीं धोया है इसे … जा धो कर आ!
अब राजू क्या कहता, उससे रिशा ने बुलाते समय थोड़े ही यह कहा था कि उसे अपनी चूत चुदवाना है, लंड धोकर आना.
राजू झट से खड़ा हुआ और खींसें निपोरता हुआ बगल के स्नानघर में जाकर धो आया.
अब आकर रिशा ने उसे नीचे लिटाया और फिर उसका लंड लपर लपर करती हुई चूसने लगी.
राजू कोई भी पहल करने में हिचक रहा था; उसे तो सब सपना सा लग रहा था.
रिशा बार बार उसे झिड़कती. कभी उसके हाथ अपने मम्मों पर रखती कि मसल डाल इन्हें.
अब रिशा की चूत भी लंड को अन्दर लेना चाहती थी तो रिशा ने ढेर सारा थूक राजू के लंड पर और अपनी चूत के मुहाने पर लगाया और बैठ गयी राजू के ऊपर … और अपने हाथ से उसका लंड अपनी गुफा के महाने पर रख दिया.
अब वह राजू से बोली- पेल दे!
नीचे से राजू ने धक्का लगाया, ऊपर से रिशा ने हाथ का सहारा दिया, तो लंड सीधा अन्दर गहराई तक उतर गया.
रिशा की जान निकल गयी.
इतना कड़क मर्दाना लंड पहली बार उसकी चूत ने लिया था.
उसकी तो चीख निकलते निकलते रह गयी.
वह नीचे हो गयी और राजू से बोली- आह दर्द होने लगा है साले … धीरे धीरे चोद मादरचोद!
राजू ने गाली को भी भाभी का प्यार समझा और बड़ी नफासत से अपना लंड रिशा की चूत में घुसेड़ कर धीरे से निकाला.
इस तरह से धीरे धीरे चुदाई शुरू हो गई.
अब रिशा लंड को प्यार से लेने लगी थी.
उसका दर्द भी जाता रहा था, मजा आने लगा था.
रिशा अब अपनी जोरदार चुदाई चाह रही थी.
उसने अपने लम्बे नाख़ून राजू की पीठ में गड़ा दिए और उसे अपने सीने से भींच लिया.
अब तक राजू का लंड पूरी गहराई में उतर चुका था.
रिशा ने थोड़ा ढीला छोड़ा और बोली- अब रेलगाड़ी तेज चला, देखूं कितना मर्द है तू!
अपनी मर्दानगी की बात आने से राजू भी तन गया और उसने जोरदार पेलम पाली शुरू कर दी.
अब दोनों की आहें निकल रही थीं.
रिशा को डर था कि कहीं आवाज़ नीचे न चली जाए; उसने अपनी आवाज पर काबू किया.
राजू ने स्पीड पकड़ ली थी.
रिशा की दोनों टांगें ऊपर पंखे की ओर थीं, रिशा के मम्मे राजू की गिरफ्त में थे.
उसके गोरे गोरे कबूतरों को राजू ने मसल मसल कर लाल कर दिया था.
राजू का स्खलन होने वाला था.
उसने पूछा- कहां निकालूं?
रिशा ने कॉपर-टी लगवाई हुई थी तो उसने कहा कि अन्दर ही निकाल ले.
राजू ने ढेर सारा वीर्य उसकी चूत और पेट पर निकाल दिया.
अब रिशा ने उससे कहा- चुपचाप यहां से निकल ले … और हां ये बात किसी को कानों कान भी खबर हुई तो घर से निकलवा दूँगी.
राजू अपने कपड़े पहन कर वहां से रपट लिया.
रिशा उठी और अपने को साफ़ करके सो गयी.
उस वक्त अजय कहीं गया हुआ था.
कमरे में लेजर देखते समय रिशा को उसके बिस्तर के नीचे एक छोटा रूमाल सा मिला जो कलफ लगे कपड़े जैसा कड़क हो रहा था.
फिर बिस्तर के गद्दे के नीचे दो तीन अश्लील किताबें दिखीं.
उनमें से एक किताब रिशा ने छिपा कर अपने साथ रख ली.
वह रुमाल के कड़कपन का राज भी समझ गई कि राजू मुठ मारता है.
अब उसके जेहन में राजू का बांकापन आया.
उसने महसूस किया कि राजू के बारे में सोचने से उसकी चूत में गुलगुली सी हो रही है.
वह लाला को लेजर देकर अपने कमरे में आ गयी और किवाड़ बंद करके किताब के पन्ने देखने लगी.
उसमें सेक्स की ढेरों फ़ोटोज़ थीं.
रिशा की उंगली अपनी चूत में पहुंच गई और वह राजू के लंड का ख्वाब देखती चूत मसलने लगी.
रात को रिशा की चूत जब ज्यादा ही चुलबुलाने लगी तो वह पता नहीं क्या सोचकर दबे पाँव नीचे सरिता के कमरे के बाहर पहुंची और दरवाजे की दरार से अन्दर का नजारा देखने लगी.
अन्दर लाला और सरिता दोनों नंगे थे.
सरिता लाला के ऊपर बैठ उसका लंड अन्दर करने की नाकाम कोशिश कर रही थी.
पर लाला उसके मांसल मम्मों को मसल रहा था.
रिशा की इच्छा हुई कि वह भी नंगी होकर कमरे में घुस जाए.
पर कुछ भी हो आखिर लाला उसका ससुर था.
वह गर्म सांसों के साथ वापिस ऊपर आ गयी.
ऊपर उसने राजू के कमरे में लाईट जलती देखी तो अन्दर झांकने की कोशिश की.
वहां भी वही नजारा था.
राजू नंग धड़ंग वही अश्लील किताब पढ़ रहा था.
उसके हाथों में उसका मूसल जैसा लंड था, जिसे वह मसल रहा था.
अब मामला रिशा के काबू से बाहर था.
उसने तय कर लिया कि अब चाहे जो भी हो जाए, उसे भी लंड चाहिए.
उसने अपने कमरे से आकर राजू को फोन किया कि उसके पैरों में बहुत दर्द है, क्या वह आ सकता है. पर बिना आवाज के आए क्योंकि नीचे लाला ज़ी सो रहे हैं, वे न उठ जाएँ.
राजू बहुत हरामी था.
वह सही मायनों में रिशा को सोच सोच कर ही मुठ मारता था.
वह समझ गया कि आज भाभी की चूत मिल सकती है क्योंकि केवल आने से कितनी आवाज होनी थी.
उसने बहुत ही मीठे ढंग से कहा- भाभी, अभी आया.
राजू जब कमरे में आया तो रिशा ने उससे कहा- आज मैं दिन में सीढ़ी से फिसल गयी थी, तो क्या तुम मेरे पैरों पर तेल लगा दोगे?
राजू की तो मानो लॉटरी लग गयी.
वह फटाफट तेल की शीशी निकाल लाया.
रिशा से रुका नहीं जा रहा था.
उसने कहा- राजू कमरे की लाइट हल्की कर दो. वर्ना लाइट जलती देख, दीदी ऊपर आ जाएँगी.
राजू ने लाइट धीमी कर दी.
वह नीचे बैठ कर धीरे धीरे रिशा की तलवों की मालिश करता रहा.
रिशा बोली कि सीढ़ी पर लुढ़कने से चोट ऊपर को लगी है. कुछ कमर की तरफ भी है, तो घुटने के ऊपर तक और कमर की भी मालिश कर दे.
ऐसा कह कर बिना उसके उत्तर का इंतज़ार किए रिशा औंधी होकर लेट गयी.
उसकी चिकनी टांगें और पाजेब राजू का ईमान डिगा गयीं.
पर उसकी ज्यादा हिम्मत नहीं हो रही थी.
वह नीचे खड़ा मालिश करता रहा.
रिशा अब उस पर झुंझलाई और बोली- करना है, तो ढंग से कर … वरना जा!
यह कह कर रिशा ने उसका हाथ अपनी जांघों पर रख दिया और कहा- यहां अच्छे से मालिश करो … और ऊपर बेड पर आकर बैठ कर मालिश करो.
राजू का तो लंड तम्बू बना हुआ था.
खैर … उसने हिम्मत करके रिशा की नाइटी को ऊपर करके उसकी चिकनी पिंडलियों पर मालिश शुरू की.
उसकी सांसें तेज चलनी शुरू हो गयी थीं.
तभी रिशा पलट गयी और उसकी टी-शर्ट का कॉलर पकड़कर उसे नीचे खींच कर बोली- साले हरामी, तू कैसी कैसी किताबें पढ़ रहा था और अपने मूसल को मसल रहा था, तेरी वीडियो बना ली है मैंने … सुबह लाला ज़ी को दिखाऊंगी.
राजू घबरा कर बोला- नहीं भाभी, ऐसा कुछ नहीं कर रहा था.
रिशा ने उसके बरमूडा के ऊपर से उसका लंड पकड़ लिया और कहा- फिर ये कैसे बंबू बना हुआ है! चल अब ढंग से मेरी मालिश कर!
यह कह कर रिशा सीधी लेट गयी और अपनी नाइटी के अन्दर उसका हाथ सीधी अपनी चूत पर रख दिया.
वह बोली- अब इधर की कर मालिश. हाथ, उंगली, जीभ और अपना औज़ार सब इस्तेमाल कर!
राजू की हिम्मत अब खुल गयी.
वह रिशा की जांघों के ऊपर उसकी मखमली चूत की फांकों को मसलने लगा.
उसने सपने में ऐसा नसीब नहीं सोचा था.
रिशा की गर्म सांसें अब बढ़ने लगीं.
उसने अपनी नाइटी उतार फेंकी और राजू को भी नंगा कर दिया.
राजू को उसने बालों से पकड़ कर खींचा और उसका मुँह अपने मांसल मम्मों पर रख दिया.
वह किसी भूखे बच्चे की तरह अपनी भाभी के मम्मे चूसने लगा.
रिशा ने उसका लंड पकड़ लिया और लगी मसलने.
राजू का लंड अजय के लंड के मुकाबले मजबूत था.
रिशा की चूत में चीटियां रेंग रही थीं.
उसने राजू से कहा- ज़रा मेरी मुनिया को चूस तो दे!
राजू नीचे हुआ तो रिशा ने अपनी टांगें फैला दीं.
तब राजू ने उसकी फांकों को चौड़ाया और अपनी जीभ घुसा दी.
राजू ने अब तक जो भी दो चार चूत चोदी थीं, वह सब गाँव की गंवार औरतों की गंदी चूतें थीं.
इतनी चिकनी और मखमली चूत तो उसने केवल मोबाइल में पोर्न मूवी में देखी थी.
उसने अपनी जीभ पूरी अन्दर तक घुसा दी.
रिशा की आहें निकलनी शुरू हो गयीं.
उसने अपनी उंगलियों से फाँकों को और चौड़ा कर दिया और राजू के बाल खींचकर उसका सर अपनी चूत में और नजदीक कर दिया.
अब रिशा राजू के लंड का स्वाद भी लेना चाह रही थी.
तो उसने राजू को ऊपर खींचा और उसका लंड अपने मुँह के पास कर दिया.
पहले तो उसने उसके टोपे को चूमा, थोड़ा थूक लगाया और हाथों से मालिश करते हुए उसे मुँह में ले लिया.
मुँह में लेते ही रिशा ने उसे बाहर निकाल दिया और बोली- साले, कब से नहीं धोया है इसे … जा धो कर आ!
अब राजू क्या कहता, उससे रिशा ने बुलाते समय थोड़े ही यह कहा था कि उसे अपनी चूत चुदवाना है, लंड धोकर आना.
राजू झट से खड़ा हुआ और खींसें निपोरता हुआ बगल के स्नानघर में जाकर धो आया.
अब आकर रिशा ने उसे नीचे लिटाया और फिर उसका लंड लपर लपर करती हुई चूसने लगी.
राजू कोई भी पहल करने में हिचक रहा था; उसे तो सब सपना सा लग रहा था.
रिशा बार बार उसे झिड़कती. कभी उसके हाथ अपने मम्मों पर रखती कि मसल डाल इन्हें.
अब रिशा की चूत भी लंड को अन्दर लेना चाहती थी तो रिशा ने ढेर सारा थूक राजू के लंड पर और अपनी चूत के मुहाने पर लगाया और बैठ गयी राजू के ऊपर … और अपने हाथ से उसका लंड अपनी गुफा के महाने पर रख दिया.
अब वह राजू से बोली- पेल दे!
नीचे से राजू ने धक्का लगाया, ऊपर से रिशा ने हाथ का सहारा दिया, तो लंड सीधा अन्दर गहराई तक उतर गया.
रिशा की जान निकल गयी.
इतना कड़क मर्दाना लंड पहली बार उसकी चूत ने लिया था.
उसकी तो चीख निकलते निकलते रह गयी.
वह नीचे हो गयी और राजू से बोली- आह दर्द होने लगा है साले … धीरे धीरे चोद मादरचोद!
राजू ने गाली को भी भाभी का प्यार समझा और बड़ी नफासत से अपना लंड रिशा की चूत में घुसेड़ कर धीरे से निकाला.
इस तरह से धीरे धीरे चुदाई शुरू हो गई.
अब रिशा लंड को प्यार से लेने लगी थी.
उसका दर्द भी जाता रहा था, मजा आने लगा था.
रिशा अब अपनी जोरदार चुदाई चाह रही थी.
उसने अपने लम्बे नाख़ून राजू की पीठ में गड़ा दिए और उसे अपने सीने से भींच लिया.
अब तक राजू का लंड पूरी गहराई में उतर चुका था.
रिशा ने थोड़ा ढीला छोड़ा और बोली- अब रेलगाड़ी तेज चला, देखूं कितना मर्द है तू!
अपनी मर्दानगी की बात आने से राजू भी तन गया और उसने जोरदार पेलम पाली शुरू कर दी.
अब दोनों की आहें निकल रही थीं.
रिशा को डर था कि कहीं आवाज़ नीचे न चली जाए; उसने अपनी आवाज पर काबू किया.
राजू ने स्पीड पकड़ ली थी.
रिशा की दोनों टांगें ऊपर पंखे की ओर थीं, रिशा के मम्मे राजू की गिरफ्त में थे.
उसके गोरे गोरे कबूतरों को राजू ने मसल मसल कर लाल कर दिया था.
राजू का स्खलन होने वाला था.
उसने पूछा- कहां निकालूं?
रिशा ने कॉपर-टी लगवाई हुई थी तो उसने कहा कि अन्दर ही निकाल ले.
राजू ने ढेर सारा वीर्य उसकी चूत और पेट पर निकाल दिया.
अब रिशा ने उससे कहा- चुपचाप यहां से निकल ले … और हां ये बात किसी को कानों कान भी खबर हुई तो घर से निकलवा दूँगी.
राजू अपने कपड़े पहन कर वहां से रपट लिया.
रिशा उठी और अपने को साफ़ करके सो गयी.


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