18-12-2025, 06:27 PM
सारी रात जय और बाकी नौकरों की बातें दिमाग में घूम रही थीं....
उनकी वो अश्लील कल्पनाएँ,
वो हँसी-मजाक,
वो सब कुछ जो मुझे फ्रस्ट्रेट कर रहा था।
मैं गद्दे पर करवटें बदलता रहा,
गुस्से से भरा हुआ।
‘क्यों मैं नीचे सो रहा हूँ? ये मेरा हनीमून है…
खुशबू ऊपर असलम के साथ…
लेकिन वो बेचारी अपशकुन के डर से एडजस्ट कर रही है… मैं क्यों नहीं ऊपर हूँ?’
असमंजस इतना था कि मन करता था ऊपर जाकर सब पूछ लूँ,
लेकिन डर लगता था कि कहीं खुशबू नाराज़ न हो जाए।
रात भर नींद नहीं आई, बस सोचता रहा कि सुबह क्या होगा।
सुबह 6 बजे के आसपास,
मैं असमंजस और गुस्से की मिली-जुली हालत में ऊपर असलम और खुशबू के कमरे की तरफ चला गया।
ट्रे में कॉफी और ब्रेकफास्ट तैयार करके ले गया था,
जैसे कि ये मेरा काम हो।
मन में सोच रहा था, ‘कम से कम खुशबू से बात तो कर लूँगा…
देख लूँगा क्या हुआ रात में…’
लेकिन अंदर से डर भी लग रहा था।
दरवाज़ा हल्का-सा खुला था, मैंने नॉक किया और अंदर दाखिल हुआ।
खुशबू को जैसे पहले से ही अंदाजा था कि मैं आऊँगा
वो इतनी शातिर थी कि मेरी हर हरकत पढ़ लेती थी।
वो बेड पर लेटी हुई थी,
लेकिन जैसे ही मुझे देखा, मुस्कुराकर उठी और बड़े प्यार से वेलकम किया।
“अरे अमित… आ गए तुम… गुड मॉर्निंग जान… कॉफी लाए हो? कितने अच्छे हो तुम… आओ ना, बैठो मेरे पास…”
उसकी आवाज़ में वो शुगर-कोटेड मिठास थी, जैसे वो सच में मेरे आने से खुश हो।
वो मेरे करीब आई, गाल पर हाथ फेरा, और मुझे बेड के किनारे बिठा दिया।
असलम भी वहाँ था, लेकिन खुशबू ने मुझे इतना प्यार दिया कि मेरा गुस्सा थोड़ा कम हो गया।
मैं मुश्किल से खुद को खोल पाया। गला सूख रहा था,
लेकिन आखिरकार सवाल निकल ही गए।
“खुशबू जी… रात में… इतनी चिल्लाने की आवाज़ क्यों आ रही थी तुम्हारी?
मुझे वह नीचे सब नोकर जए बनाकर वगैरह बता रहे थे!????
और… और ये तुम्हारी ब्रा-पैंटी… फर्श पर क्यों पड़ी हुई थीं? .....क्या… क्या हुआ रात में?”...
खुशबू ने पहले तो मेरी आँखों में देखा,
जैसे स्थिति की गंभीरता समझ रही हो।
फिर असलम की तरफ मुड़ी और बोली,
“असलम जी… आप थोड़ा वॉक करके आइए ना… फ्रेश हवा लीजिए…
मैं अमित से थोड़ी बात कर लूँ…
वो परेशान लग रहा है…”
असलम ने हल्के से मुस्कुराकर सिर हिलाया और कमरे से बाहर चला गया
खुशबू चाहती थी कि अकेले में अमित को अच्छे से हैंडल कर ले, ताकि वो फिर से उसके कंट्रोल में आ जाए।
अब हम अकेले थे।
खुशबू ने मेरे हाथ पकड़े, बहुत प्यार से, लेकिन फिर अचानक गुस्से वाली टोन में बोली,
“अमित… तुम्हें क्या लगता है? मैं रात क्यों सारी रात चिल्ला रही थी?
और ब्रा-पैंटी फर्श पर?
ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है!
तुम ही तो नीचे सो रहे थे…
तुम्हारी वजह से मुझे इतना एडजस्ट करना पड़ रहा है!
सुनो… मुझे पता था कि जय और बाकी नौकर नीचे तुम्हारे साथ हमारी बातें कर रहे होंगे…
वो सब हमें पति-पत्नी मानते हैं,
लेकिन अगर उन्हें शक हो गया तो?
इसलिए जब भी वो कमरे के आसपास होते थे, मैं जानबूझकर ज़ोर-ज़ोर से चीखती और चिल्लाती थी…
ताकि उन्हें लगे कि हम… मतलब… पति-पत्नी वाली बातें कर रहे हैं… समझे?
और ब्रा-पैंटी?
वो तो सुबह मैंने फैलाई थीं…
क्योंकि तुम्हें फोन किया था ना?
सुबह 5:30 पर…
कॉफी और सफाई के लिए…
लेकिन तुमने उठाया नहीं!
थक गए थे ना तुम? ..... मुझे तो समझ में नहीं आया तुम क्यों और कैसे थक गए ......सारी रात मैं यहां जागती रही .....तुम्हारे दोस्त असलम के साथ बिस्तर शेयर मुझे करना पड़ा.......
उन नौकरों को शक ना हो इसलिए मुझे चीखना और चिल्लाना पड़ा
और तुम बिना किसी मेहनत के नीचे आराम से सो गए थे .......
इसलिए मुझे जय को बुलाना पड़ा…
और उन्हें यकीन दिलाने के लिए कि हम पति-पत्नी हैं,
मैंने जानबूझकर कपड़े इधर-उधर फैला दिए…
सब तुम्हारी वजह से!
अगर तुम फोन उठाते तो ये सब नहीं होता…
तुम्हारी वजह से मुझे इतना झूठ बोलना पड़ रहा है…”
उसकी बातों में इतना तर्क था कि मुझे विश्वास हो गया।
‘हाँ… वो बेचारी मेरे लिए ही तो ये सब कर रही है… अपशकुन से बचाने के लिए… और मैं फोन नहीं उठाया… मेरी गलती है…’
मैंने माफी माँगी,
“सॉरी खुशबू जी… मैं थक गया था… और हमारे ही हनीमून पर मैं या वहां नीचे सब लोगों के साथ अकेला था इसलिए थोड़ा फर्स्टरेट भी हो गया था..
इसलिए बिना मतलब आपके ऊपर शक कर दिया मैंने तो दूर का सोचा ही नहीं जितना आपने सोचा था...
.
खुशबू ने फिर प्यार से मुस्कुराकर कहा,
“हाँ जान… मैं समझ रही हूं तुम्हारी हालत लेकिन तुम भी तो मेरी हालत समझो
अब हर छोटी बड़ी बात पर तुम मुझे सवाल करके मेरे ऊपर शक करने लगोगे तो फिर ऐसे तो कैसे कटेगी हमारी....
तुम ही सोचो
तुम ne हीं सजेस्ट किया था ना
मुझे और असलम जी को एक साथ चेकिंग करने के लिए
अब इतनी छोटी बड़ी बात पर तुम issues बनाकर तुम्हारा भी दिमाग खराब करोगे
और मेरा मूड और मेरा हनीमून भी खराब करोगे तो कैसे चलेगा यार!???
( खुशबू अपनी बात इतनी चालाकी से करती है कि वह एक ही बार में आगे हो मुझे होने वाले शौक या सवाल को खत्म करने देने की कोशिश करती है)
(और मैं मन ही मन अपने आप को koshne लगा कि एक तो बिचारी मेरे लिए इतना सब कुछ कर रही है .....होटल के पैसे बचाने के लिए .....और डिस्काउंट मिल जाए इसलिए इतना एडजस्ट कर रही है ....ऊपर से मैं ही उसके ऊपर बिना मतलब शक कर रहा हूं.....)
"माफ करिएगा खुशबू जी लेकिन यार हमारा हनीमून है और मैं कुछ इंजॉय ही नहीं कर पा रहा हूं आपके साथ इसलिए मेरे से यह सारी बातें हो गई....!!!
खुशबू को बड़े अच्छे से पता था कि मुजे को खुश करने के लिए उसे कौन-सी हड्डी डालनी है।
वो मुस्कुराई और बोली,
“अरे जान… मैं समझती हूँ… तुम रात भर नीचे सर्वेंट क्वार्टर में अकेले थे…
मैं अभी अंदर फ्रेश होने जा रही हूँ वॉशरूम में… और वो बिकिनी ट्राई करने वाली हूँ… तुम्हारे लिए.... तुम्हें बड़ा शौक था ना मुझे बिकनी में देखने का इसलिए तो हमने गोवा पसंद किया था ना डेस्टिनेशन के लिए.....
अगर ऐसा हो और तुम्हें अपने आप को संतुष्ट करना हो तो…
वो दरमियान तुम मुझे देखकर अपना… हिला लेना… ठीक है?
मैं तुम्हें रोकूँगी नहीं…
आखिरकार मैं भी समझता हूं तुम मेरे पति हो और तुम्हें भी मजा करना मेरा धर्म है....
बस देखना कितनी देर टिक पाते हो… ये एक छोटा-सा चैलेंज रहेगा… मेरे प्यारे को खुश करने के लिए…”
उसकी ये बात सुनकर मेरी एक्साइटमेंट का ठिकाना नहीं रहा।
‘वाह… खुशबू जी कितनी अच्छी हैं… मुझे देखकर हिलाने की परमिशन दे रही हैं…
बिकिनी में…
वो भी चैलेंज…’
मैं पालतू कुत्ते की तरह खुश हो गया,
और उसके पीछे-पीछे वॉशरूम की तरफ़ चल पड़ा।
उसकी मटकती हुई गांड देखते हुए
—वो नाइटी में कितनी सेक्सी लग रही थी, हर कदम पर हिल रही थी—
मैं जैसे मंत्रमुग्ध हो गया था। वो जानबूझकर धीरे चल रही थी,
जैसे मुझे चिढ़ा रही हो।
वॉशरूम में दाखिल होते ही मैं दरवाज़ा बंद करके खड़ा हो गया,
इंतज़ार करने लगा उसकी बिकिनी वाली झलक का।
खुशबू ने हँसकर कह, “
बैठो ना जान… आराम से देखो…”
वो धीरे-धीरे तैयार होने लगी, और मैं अपना छोटा-सा लंड निकालकर हिलाने लगा,
लेकिन वो इतनी शातिर थी कि मुझे पूरा मौका नहीं देती
बस झलक दिखाती, फिर छुपाती।
वो मिरर के सामने खड़ी थी
, और मैं दीवार से सटकर खड़ा हो गया,
मेरी साँसें तेज़ हो रही थीं।
“मैं ट्राई करती हूँ बिकिनी…”
उसने मीठी आवाज़ में कहा,
जैसे कोई बच्चे को लॉलीपॉप दे रही हो
। मैं फर्श पर ही बैठ गया, जैसे कोई पालतू कुत्ता अपनी मालकिन की हरकतें देख रहा हो।
मन ही मन प्रार्थना कर रहा था कि काश… काश वो पूरी तरह से दिख जाए… ब्रा-पैंटी में…
वो गोरी जाँघें… वो सुडौल छाती…
लेकिन खुशबू इतनी शातिर थी कि वो मेरी इस भूख को अच्छे से जानती थी
—वो मुझे बस इतना ही देगी जितना मैं और भूखा हो जाऊँ।
पहले तो खुशबू ने धीरे-धीरे अपनी नाइटी के स्ट्रैप्स नीचे सरकाए।
वो सफ़ेद रेशमी नाइटी थी, जो उसके शरीर पर इतनी टाइट चिपकी हुई थी कि उसकी हर कर्व साफ़ दिख रही थी।
वो एक कंधे से स्ट्रैप नीचे खिसकाती, फिर दूसरे से—धीरे-धीरे, जैसे कोई स्ट्रिपटीज शो चल रहा हो
। नाइटी नीचे सरकती गई, और उसकी गोरी, चिकनी पीठ दिखने लगी…
फिर कमर…
और आखिरकार वो पूरी तरह से फर्श पर गिर गई। अब वो सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी
वो लाल वाली, जो सलीम की शॉप से ली थी
। ब्रा इतनी पतली कि उसके निप्पल्स की शेप साफ़ नज़र आ रही थी,
और पैंटी इतनी छोटी कि उसकी गांड का आधा हिस्सा बाहर निकला हुआ था।
मैं तो बस देखता रह गया—मेरी दू पत्नी का ये फिगर…
इतना परफेक्ट, इतना सेक्सी…
जैसे कोई देवी हो,
लेकिन मेरे लिए सिर्फ़ देखने की… छूने की नहीं,
सेक्स करने की तो दूर की बात। मन में एक दर्द-सा उठा—
‘ये मेरी बीवी है… लेकिन मैं बस देख सकता हूँ…
असलम तो छूता होगा… लेकिन मैं…’
मेरी साँसें तेज़ हो गईं, और नीचे लंड में हलचल होने लगी।
वो दर्द मजा बन गया, जैसे अपमान में ही खुशी मिल रही हो।
खुशबू मिरर में खुद को देख रही थी, मन ही मन सोच रही थी,
‘वाह… मेरा ये फिगर… कितना गर्व है मुझे इस पर
असलम तो पागल हो जाता है इसे देखकर…
और ये अमित… बेचारा… बस देखता रहता है…
उसका छोटा-सा लंड… हा हा… कितना क्यूट है…
जैसे कोई बच्चे का खिलौना…’
वो हल्के से मुस्कुराई, लेकिन बाहर से बोली,
“जान… कैसी लग रही हूँ? ये ब्रा-पैंटी…
तुम्हारे लिए ही ली थी ना…”
उसकी आँखों में वो शैतानी थी, लेकिन मुझे लगा वो प्यार से कह रही है।
फिर वो बैग से नई बिकिनी निकालती है
एक ब्राइट green कलर की,
जो बहुत ही सेक्सी डिज़ाइन वाली थी।
टॉप इतना छोटा कि बस उसके निप्पल्स को ढकने लायक, स्ट्रिंग्स वाली,
जो पीछे से टाई होती थी
फिटिंग इतनी टाइट कि उसकी छाती उभरकर बाहर आ रही थी।
बॉटम पैंटी स्टाइल की, लेकिन बहुत लो-कट,
जो उसकी जाँघों को पूरा एक्सपोज करती थी,
और पीछे थोंग जैसी,
जो गांड को बस हल्का-सा कवर करती थी।
मटेरियल शाइनी और स्ट्रेची था, जैसे वो गीली होने पर और ट्रांसपेरेंट हो जाएगी
। वो धीरे-धीरे ब्रा उतारती है
पहले स्ट्रैप्स नीचे, फिर क्लैस्प खोलकर
और टॉप पहनती है।
फिर पैंटी उतारकर बॉटम पहनती है।
हर स्टेप में वो मिरर की तरफ़ घूमती,
जैसे मुझे दिखा रही हो,
लेकिन जानबूझकर इतनी तेज़ कि पूरा न दिखे।
मैं तो देखकर पागल हो गया
उनकी वो अश्लील कल्पनाएँ,
वो हँसी-मजाक,
वो सब कुछ जो मुझे फ्रस्ट्रेट कर रहा था।
मैं गद्दे पर करवटें बदलता रहा,
गुस्से से भरा हुआ।
‘क्यों मैं नीचे सो रहा हूँ? ये मेरा हनीमून है…
खुशबू ऊपर असलम के साथ…
लेकिन वो बेचारी अपशकुन के डर से एडजस्ट कर रही है… मैं क्यों नहीं ऊपर हूँ?’
असमंजस इतना था कि मन करता था ऊपर जाकर सब पूछ लूँ,
लेकिन डर लगता था कि कहीं खुशबू नाराज़ न हो जाए।
रात भर नींद नहीं आई, बस सोचता रहा कि सुबह क्या होगा।
सुबह 6 बजे के आसपास,
मैं असमंजस और गुस्से की मिली-जुली हालत में ऊपर असलम और खुशबू के कमरे की तरफ चला गया।
ट्रे में कॉफी और ब्रेकफास्ट तैयार करके ले गया था,
जैसे कि ये मेरा काम हो।
मन में सोच रहा था, ‘कम से कम खुशबू से बात तो कर लूँगा…
देख लूँगा क्या हुआ रात में…’
लेकिन अंदर से डर भी लग रहा था।
दरवाज़ा हल्का-सा खुला था, मैंने नॉक किया और अंदर दाखिल हुआ।
खुशबू को जैसे पहले से ही अंदाजा था कि मैं आऊँगा
वो इतनी शातिर थी कि मेरी हर हरकत पढ़ लेती थी।
वो बेड पर लेटी हुई थी,
लेकिन जैसे ही मुझे देखा, मुस्कुराकर उठी और बड़े प्यार से वेलकम किया।
“अरे अमित… आ गए तुम… गुड मॉर्निंग जान… कॉफी लाए हो? कितने अच्छे हो तुम… आओ ना, बैठो मेरे पास…”
उसकी आवाज़ में वो शुगर-कोटेड मिठास थी, जैसे वो सच में मेरे आने से खुश हो।
वो मेरे करीब आई, गाल पर हाथ फेरा, और मुझे बेड के किनारे बिठा दिया।
असलम भी वहाँ था, लेकिन खुशबू ने मुझे इतना प्यार दिया कि मेरा गुस्सा थोड़ा कम हो गया।
मैं मुश्किल से खुद को खोल पाया। गला सूख रहा था,
लेकिन आखिरकार सवाल निकल ही गए।
“खुशबू जी… रात में… इतनी चिल्लाने की आवाज़ क्यों आ रही थी तुम्हारी?
मुझे वह नीचे सब नोकर जए बनाकर वगैरह बता रहे थे!????
और… और ये तुम्हारी ब्रा-पैंटी… फर्श पर क्यों पड़ी हुई थीं? .....क्या… क्या हुआ रात में?”...
खुशबू ने पहले तो मेरी आँखों में देखा,
जैसे स्थिति की गंभीरता समझ रही हो।
फिर असलम की तरफ मुड़ी और बोली,
“असलम जी… आप थोड़ा वॉक करके आइए ना… फ्रेश हवा लीजिए…
मैं अमित से थोड़ी बात कर लूँ…
वो परेशान लग रहा है…”
असलम ने हल्के से मुस्कुराकर सिर हिलाया और कमरे से बाहर चला गया
खुशबू चाहती थी कि अकेले में अमित को अच्छे से हैंडल कर ले, ताकि वो फिर से उसके कंट्रोल में आ जाए।
अब हम अकेले थे।
खुशबू ने मेरे हाथ पकड़े, बहुत प्यार से, लेकिन फिर अचानक गुस्से वाली टोन में बोली,
“अमित… तुम्हें क्या लगता है? मैं रात क्यों सारी रात चिल्ला रही थी?
और ब्रा-पैंटी फर्श पर?
ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है!
तुम ही तो नीचे सो रहे थे…
तुम्हारी वजह से मुझे इतना एडजस्ट करना पड़ रहा है!
सुनो… मुझे पता था कि जय और बाकी नौकर नीचे तुम्हारे साथ हमारी बातें कर रहे होंगे…
वो सब हमें पति-पत्नी मानते हैं,
लेकिन अगर उन्हें शक हो गया तो?
इसलिए जब भी वो कमरे के आसपास होते थे, मैं जानबूझकर ज़ोर-ज़ोर से चीखती और चिल्लाती थी…
ताकि उन्हें लगे कि हम… मतलब… पति-पत्नी वाली बातें कर रहे हैं… समझे?
और ब्रा-पैंटी?
वो तो सुबह मैंने फैलाई थीं…
क्योंकि तुम्हें फोन किया था ना?
सुबह 5:30 पर…
कॉफी और सफाई के लिए…
लेकिन तुमने उठाया नहीं!
थक गए थे ना तुम? ..... मुझे तो समझ में नहीं आया तुम क्यों और कैसे थक गए ......सारी रात मैं यहां जागती रही .....तुम्हारे दोस्त असलम के साथ बिस्तर शेयर मुझे करना पड़ा.......
उन नौकरों को शक ना हो इसलिए मुझे चीखना और चिल्लाना पड़ा
और तुम बिना किसी मेहनत के नीचे आराम से सो गए थे .......
इसलिए मुझे जय को बुलाना पड़ा…
और उन्हें यकीन दिलाने के लिए कि हम पति-पत्नी हैं,
मैंने जानबूझकर कपड़े इधर-उधर फैला दिए…
सब तुम्हारी वजह से!
अगर तुम फोन उठाते तो ये सब नहीं होता…
तुम्हारी वजह से मुझे इतना झूठ बोलना पड़ रहा है…”
उसकी बातों में इतना तर्क था कि मुझे विश्वास हो गया।
‘हाँ… वो बेचारी मेरे लिए ही तो ये सब कर रही है… अपशकुन से बचाने के लिए… और मैं फोन नहीं उठाया… मेरी गलती है…’
मैंने माफी माँगी,
“सॉरी खुशबू जी… मैं थक गया था… और हमारे ही हनीमून पर मैं या वहां नीचे सब लोगों के साथ अकेला था इसलिए थोड़ा फर्स्टरेट भी हो गया था..
इसलिए बिना मतलब आपके ऊपर शक कर दिया मैंने तो दूर का सोचा ही नहीं जितना आपने सोचा था...
.
खुशबू ने फिर प्यार से मुस्कुराकर कहा,
“हाँ जान… मैं समझ रही हूं तुम्हारी हालत लेकिन तुम भी तो मेरी हालत समझो
अब हर छोटी बड़ी बात पर तुम मुझे सवाल करके मेरे ऊपर शक करने लगोगे तो फिर ऐसे तो कैसे कटेगी हमारी....
तुम ही सोचो
तुम ne हीं सजेस्ट किया था ना
मुझे और असलम जी को एक साथ चेकिंग करने के लिए
अब इतनी छोटी बड़ी बात पर तुम issues बनाकर तुम्हारा भी दिमाग खराब करोगे
और मेरा मूड और मेरा हनीमून भी खराब करोगे तो कैसे चलेगा यार!???
( खुशबू अपनी बात इतनी चालाकी से करती है कि वह एक ही बार में आगे हो मुझे होने वाले शौक या सवाल को खत्म करने देने की कोशिश करती है)
(और मैं मन ही मन अपने आप को koshne लगा कि एक तो बिचारी मेरे लिए इतना सब कुछ कर रही है .....होटल के पैसे बचाने के लिए .....और डिस्काउंट मिल जाए इसलिए इतना एडजस्ट कर रही है ....ऊपर से मैं ही उसके ऊपर बिना मतलब शक कर रहा हूं.....)
"माफ करिएगा खुशबू जी लेकिन यार हमारा हनीमून है और मैं कुछ इंजॉय ही नहीं कर पा रहा हूं आपके साथ इसलिए मेरे से यह सारी बातें हो गई....!!!
खुशबू को बड़े अच्छे से पता था कि मुजे को खुश करने के लिए उसे कौन-सी हड्डी डालनी है।
वो मुस्कुराई और बोली,
“अरे जान… मैं समझती हूँ… तुम रात भर नीचे सर्वेंट क्वार्टर में अकेले थे…
मैं अभी अंदर फ्रेश होने जा रही हूँ वॉशरूम में… और वो बिकिनी ट्राई करने वाली हूँ… तुम्हारे लिए.... तुम्हें बड़ा शौक था ना मुझे बिकनी में देखने का इसलिए तो हमने गोवा पसंद किया था ना डेस्टिनेशन के लिए.....
अगर ऐसा हो और तुम्हें अपने आप को संतुष्ट करना हो तो…
वो दरमियान तुम मुझे देखकर अपना… हिला लेना… ठीक है?
मैं तुम्हें रोकूँगी नहीं…
आखिरकार मैं भी समझता हूं तुम मेरे पति हो और तुम्हें भी मजा करना मेरा धर्म है....
बस देखना कितनी देर टिक पाते हो… ये एक छोटा-सा चैलेंज रहेगा… मेरे प्यारे को खुश करने के लिए…”
उसकी ये बात सुनकर मेरी एक्साइटमेंट का ठिकाना नहीं रहा।
‘वाह… खुशबू जी कितनी अच्छी हैं… मुझे देखकर हिलाने की परमिशन दे रही हैं…
बिकिनी में…
वो भी चैलेंज…’
मैं पालतू कुत्ते की तरह खुश हो गया,
और उसके पीछे-पीछे वॉशरूम की तरफ़ चल पड़ा।
उसकी मटकती हुई गांड देखते हुए
—वो नाइटी में कितनी सेक्सी लग रही थी, हर कदम पर हिल रही थी—
मैं जैसे मंत्रमुग्ध हो गया था। वो जानबूझकर धीरे चल रही थी,
जैसे मुझे चिढ़ा रही हो।
वॉशरूम में दाखिल होते ही मैं दरवाज़ा बंद करके खड़ा हो गया,
इंतज़ार करने लगा उसकी बिकिनी वाली झलक का।
खुशबू ने हँसकर कह, “
बैठो ना जान… आराम से देखो…”
वो धीरे-धीरे तैयार होने लगी, और मैं अपना छोटा-सा लंड निकालकर हिलाने लगा,
लेकिन वो इतनी शातिर थी कि मुझे पूरा मौका नहीं देती
बस झलक दिखाती, फिर छुपाती।
वो मिरर के सामने खड़ी थी
, और मैं दीवार से सटकर खड़ा हो गया,
मेरी साँसें तेज़ हो रही थीं।
“मैं ट्राई करती हूँ बिकिनी…”
उसने मीठी आवाज़ में कहा,
जैसे कोई बच्चे को लॉलीपॉप दे रही हो
। मैं फर्श पर ही बैठ गया, जैसे कोई पालतू कुत्ता अपनी मालकिन की हरकतें देख रहा हो।
मन ही मन प्रार्थना कर रहा था कि काश… काश वो पूरी तरह से दिख जाए… ब्रा-पैंटी में…
वो गोरी जाँघें… वो सुडौल छाती…
लेकिन खुशबू इतनी शातिर थी कि वो मेरी इस भूख को अच्छे से जानती थी
—वो मुझे बस इतना ही देगी जितना मैं और भूखा हो जाऊँ।
पहले तो खुशबू ने धीरे-धीरे अपनी नाइटी के स्ट्रैप्स नीचे सरकाए।
वो सफ़ेद रेशमी नाइटी थी, जो उसके शरीर पर इतनी टाइट चिपकी हुई थी कि उसकी हर कर्व साफ़ दिख रही थी।
वो एक कंधे से स्ट्रैप नीचे खिसकाती, फिर दूसरे से—धीरे-धीरे, जैसे कोई स्ट्रिपटीज शो चल रहा हो
। नाइटी नीचे सरकती गई, और उसकी गोरी, चिकनी पीठ दिखने लगी…
फिर कमर…
और आखिरकार वो पूरी तरह से फर्श पर गिर गई। अब वो सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी
वो लाल वाली, जो सलीम की शॉप से ली थी
। ब्रा इतनी पतली कि उसके निप्पल्स की शेप साफ़ नज़र आ रही थी,
और पैंटी इतनी छोटी कि उसकी गांड का आधा हिस्सा बाहर निकला हुआ था।
मैं तो बस देखता रह गया—मेरी दू पत्नी का ये फिगर…
इतना परफेक्ट, इतना सेक्सी…
जैसे कोई देवी हो,
लेकिन मेरे लिए सिर्फ़ देखने की… छूने की नहीं,
सेक्स करने की तो दूर की बात। मन में एक दर्द-सा उठा—
‘ये मेरी बीवी है… लेकिन मैं बस देख सकता हूँ…
असलम तो छूता होगा… लेकिन मैं…’
मेरी साँसें तेज़ हो गईं, और नीचे लंड में हलचल होने लगी।
वो दर्द मजा बन गया, जैसे अपमान में ही खुशी मिल रही हो।
खुशबू मिरर में खुद को देख रही थी, मन ही मन सोच रही थी,
‘वाह… मेरा ये फिगर… कितना गर्व है मुझे इस पर
असलम तो पागल हो जाता है इसे देखकर…
और ये अमित… बेचारा… बस देखता रहता है…
उसका छोटा-सा लंड… हा हा… कितना क्यूट है…
जैसे कोई बच्चे का खिलौना…’
वो हल्के से मुस्कुराई, लेकिन बाहर से बोली,
“जान… कैसी लग रही हूँ? ये ब्रा-पैंटी…
तुम्हारे लिए ही ली थी ना…”
उसकी आँखों में वो शैतानी थी, लेकिन मुझे लगा वो प्यार से कह रही है।
फिर वो बैग से नई बिकिनी निकालती है
एक ब्राइट green कलर की,
जो बहुत ही सेक्सी डिज़ाइन वाली थी।
टॉप इतना छोटा कि बस उसके निप्पल्स को ढकने लायक, स्ट्रिंग्स वाली,
जो पीछे से टाई होती थी
फिटिंग इतनी टाइट कि उसकी छाती उभरकर बाहर आ रही थी।
बॉटम पैंटी स्टाइल की, लेकिन बहुत लो-कट,
जो उसकी जाँघों को पूरा एक्सपोज करती थी,
और पीछे थोंग जैसी,
जो गांड को बस हल्का-सा कवर करती थी।
मटेरियल शाइनी और स्ट्रेची था, जैसे वो गीली होने पर और ट्रांसपेरेंट हो जाएगी
। वो धीरे-धीरे ब्रा उतारती है
पहले स्ट्रैप्स नीचे, फिर क्लैस्प खोलकर
और टॉप पहनती है।
फिर पैंटी उतारकर बॉटम पहनती है।
हर स्टेप में वो मिरर की तरफ़ घूमती,
जैसे मुझे दिखा रही हो,
लेकिन जानबूझकर इतनी तेज़ कि पूरा न दिखे।
मैं तो देखकर पागल हो गया


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