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Fantasy समय की ताकत
#7
अपडेट - 5


मोसी: नहीं बेटा में तुझे आज़ाद कर रही हूँ । तू मेरी लाड़ली है। तुझे जो पाना है उसके लिए तुझे कोठे की छाया से भी दूर जाना पड़ेगा।तू एक काम कर तू न दिल्ली चली जा वह तेरी मोसी ने एक फ्लेट ले रखा तू वह रह लेना और कोई अच्छा इज्जत वाला काम धंधा ढूंढलेना । और तेरे खाते में में 250000 रुपए डलवा दूँगी । तुझे तेरा प्यार ऐसे ही मिल सकता है धंधा करके नहीं ।

आयशा रोते हुये मोसी के गले लग जाती है ।

वहीं दूसरी और रघु और उसके घर वाले भी दिल्ली शिफ्ट हो रहे थे क्यूकी यहाँ का घर तो वो बेच रहे थे और रघु की माँ को किसी सरकारी कॉलेज में जॉब मिल रही थी ।अब किशमत देखो एक ही ट्रेन के दो अलग अलग डिब्बों में एक में आयशा और दूसरे में रघु और उसकी मम्मी ओर उसकी दोनों बहन एक साथ दिल्ली जा रहे थे और दोनों को एक दूसरे का पता नहीं था ।



अब आगे .............



अब कहानी को वह से बताना शुरू करते है जहां से कहानी शुरू हुयी। दर असल दिल्ली में आयशा और रघु दोनों आ चुके थे आयशा अपने फ्लॅट में रह रही थी वही रघु और उसकी माँ एक वी वी आई पी एरिया में रह रहे थे रघु को लगभग 2 साल हो चुके थे काम सुख से वंचित रहते । आयशा जहां शहर की लाइब्रेरी “ पुराना इतिहास ” में काम करती थी वही दीपिका शहर के नामी कॉलेज में इतिहास की प्रोफेसर के तौर पर नियुक्त कर दी गयी थी। एक दिन दीपिका अपने स्टूडेंट्स के लिए नया इतिहास ढूँढने के लिए शहर की लिब्रेरी में जाती है जहां दीपिका की जान पहचान आयशा से होती है।

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 आयशा यह नहीं जानती थी की दीपिका रघु की माँ है और दीपिका को इस बात का इल्म नही था की आयशा रघु की प्रेमिका है। दीपिका और आयशा दोनों एक दूसरे से बात करते हुये फ्रेंडली हो गए थे। हालांकि ये दोनों की पहली मुलाक़ात थी लेकिन फिर भी दीपिका को आयशा पसंद आती है। और आयशा को भी दीपिका अछि लकग्थि लगती है तो दोनों में दोस्ती हो जाती है । दीपिका आयशा से कुछ किताबों और इतिहास के बारे मे पूछती है । तो आयशा अपने पिछले एक साल के अनुभव का सही इस्तेमाल करते हुये दीपिका को सही सेक्शन में ले जाती है जहां दीपिका घंटों बैठ कर पढ़ाई करती है और वही पढ़ाई का ज्ञान अपने स्टूडेंट्स के साथ शेर करती है। आयशा भी लाइब्ररी में बैठे बैठे किताबे पढ़ने लगी थी और पढ़ते पढ़ते आयशा में जिज्ञासा इतनी बढ़ गयी की उसने पिछले एक साल में पूरी लाइब्ररी के 80% भाग की सारी किताबें पढ़ ली थी। अब आयशा एक हल्का सा चश्मा भी लगाने लगी थी। दीपिका और आयशा एक दूसरे की नॉलेज (ज्ञान) से प्रभावित होकर एक दूसरे की नजदीकी दोस्त बन गयी थी। तभी दीपिका आयशा को अपने घर आने का न्योता देती है। आयशा के जीवन में ये पहली बार था की कोई औरत एक रांड को अपने घर आने का न्योती सामने से दे रही थी तभी आयशा को याद आता है की अब वो कोई रांड नहीं है बल्कि एक इज्जतदार औरत है जो लाइब्ररी चलती है। आयशा को आज अनुभव हुआ था की उसने एक नयी ज़िंदगी जीना शुरू कर दी थी। मोसी ने आयशा का बहुत साथ दिया था इसलिए आयशा मोसी के प्रति हमेशा अपने आपको कृतज्ञ मानती आई थी। खैर में क्फ़िर कहानी से भटक गया। आयशा दीपिका के आमंत्रण को स्वीकार कर लेती है। अभी सुबह 8 ही बजे थे दीपिका ने आयशा को खुद लाइब्ररी आकार शाम का न्योता दे दिया था जिसे आयशा ने स्वीकार कर लिया था।

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आयशा आज शाम को दीपिका के साथ उसके घर जाने वाली थी चाय पर इसी एक्साइटमेंट में आयशा का दिन काटना मुश्किल हो गया था तो आयशा ने कुछ और किताबें पढ़ने की सोची लेकिन मोस्टली किताबे तो आशा की पढ़ी हुयी थी। तभी आयशा की नज़र एक पुरानी अलमारी पर पड़ती है जहां की किताबों को आशा ने आज तक नहीं पढ़ा था। आयशा ने वो अलमारी खोली और दोपहर लगभग 3 बजे तक करीब 3-4 किताबें पढ़ ली। ये अलमारी प्राचीन तंत्र से से जुड़ी हुयी किताबें थी। शुरू में तो आशा को ये सभी किताबे सिर्फ छलावा लग रही थी लेकिन धीरे धीरे आयशा को इंटरेस्ट आने लगा तो कब 3-4 किताबें पढ़ डाली आयशा को पता भी नहीं चला।आशा एक अंगड़ाई लेते हुये 

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चाय के लिए बैल बजाती है और एक चाय का ऑर्डर देती है और फिर से अलमारी की ओर जाने लगती है तभी अचानक से अलमारी से एक बॉक्स गिरता है 

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जिसमे एक सुंदर सा गोल्डेन लॉकेट था आशा को लॉकेट पसंद आता है ये कोई सोने का लॉकेट तो था नहीं लेकिन गोल्डेन पोलिशेड है ये पक्का था उसके साथ एक पत्र भी थी। जिसमे लिखा था.......

समय का धारक सबसे शक्ति शाली होता है लेकिन सावधान समय में गुम मत हो जाना,

करना सके सो कर जाना खुद पे इतना अड़ जाना धारा समय की तुम बह मत जाना,

भूत भविष्य वर्तमान का अधिकारी जीवन मरण से परे हो हो जाना समय का मत हो जाना,

रक्त रिश्तों की धार पर काम क्रिया आधार बनेगी, उम्र घाट जाएगी उम्र कट जाएगी,

हर काँटा कुछ कहता है सबकी सुनना समझ आये तो 7 की सुनना भूल मत जाना।

ये एक अजीब सी पहले थी आयशा वो लॉकेट पहन लेती है और फिर वापस पढ़ने बैठती है आयशा किताब पढ़ते पढ़ते ही दीपिका और उसके आमंत्रण के बारे में सोचने लगती है की अचानक से सुबह के 8 बजे होते है और दीपिका आयशा को फिर से चाय का न्योता देने लगती है।

आयशा : हाँ आऊँगी बाबा लेकिन इसके लिए बार बार तुम्हें आकर बोलने की ज़रूरत नहीं है।
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दीपिका: बार-बार ? अरे में अभी तो बोला क्या तुमने सपने में देखा की में तुम्हें चाय के लिए बोलुंगी तुम्हें कैसे पता चला? (हँसते हुये)

आयशा: (हँसते हुये ) तुम भी अच्छा मज़ाक कर लेती हो में आधे घंटे में तैयार हो कर आ जाऊँगी।
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दीपिका : अरे नहीं नहीं ... अभी नहीं अभी तो में कॉलेज जा रही हूँ तुम शाम को आना?

आयशा: अरे इस वक़्त ? शाम के 4 बजे कोलेज?

दीपिका: आयशा ??? तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना ?

आयशा :??? क्यू मुझे क्या हुआ है ?

दीपिका : तो क्या मज़ाक कर रही हो?

आयशा: कैसा मज़ाक ?

दीपिका : और नहीं तो क्या अभी सुबह के 8 बजे है और तुम कह रही हो चार बजे वो भी शाम के रात को सोयी नहीं थी क्या?

आयशा : क्या? सुबह के 8 बजे ???? आयशा पलट कर घड़ी देखती है तो सच मे सुबह के 8 बज रहे होते है तभी आयशा फिर से वो समय याद करती है जब वह लाइब्ररी में शाम के 3 बजे किताब पढ़ रही थी अचानक से आयशा सही समय पर आ जाती है।

आयशा फिर से घड़ी देखती है तो 3 बज रहे होते है तभी वह पलट कर दीपिका को बोलने लगती है अरे यार 3 ही तो बज रहे है ?

जी मां शाब 3 बज रहे है और ये आपका चाय पूरा दिन पढ़ोगे तो ऐसे पागल हो जाओगे न ?

आयशा: छोटू तुम?
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छोटु चाय वाला: जी मां शाब? मै , आपका चाय लेकर आया ?

आयशा दीपिका को देखते बाहर की तरफ झांक कर मगर आयशा को दीपिका नहीं दिखती। आयशा को लगता है शायद वहां हुआ होगा ऐसा सोच कर अपनी चाय लेकर वापस टेबल पर पहुँच जाती है।
बर्बादी को निमंत्रण
https://xossipy.com/thread-1515.html

Hawas ka ghulam
https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750

द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) ( Unexpected Desire of Darkness ) PART-II 
https://xossipy.com/thread-70677-post-60...pid6048878
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समय की ताकत - by Rocksanna999 - 15-12-2025, 01:01 PM
RE: समय की ताकत - by sarit11 - 15-12-2025, 01:48 PM
RE: समय की ताकत - by Rocksanna999 - 15-12-2025, 06:06 PM



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