15-12-2025, 06:04 PM
अपडेट - 4
आयशा : अच्छा सुनो तुम्हें उसकी बहन में क्या अच्छा लगा
रघु : आप क्या बताऊं तुम्हें उसकी सूरत कितनी मासूम दिखती है उसकी आंखें ऐसे लगता हैं जाने कितनी गहरी हो उसके वह नाजुक से होट (आयशा को अपनी बाहों में पकड़ते हुए ) उसके वह छोटे छोटे से संतरे और उसकी वो गांड। दिल पर छुरिया चल देती है ।
आयशा अच्छा ठीक है बस बस इतनी भी तारीफ मत करो
रघु : क्यों तुम्हें क्या जलन हो रही है
आयशा : जले मेरी जूती और उसकी फुद्दी
दोनो एक दूसरे की तरफ देख हसने लगते है।
अब आगे....
आयशा :एक बात कहूँ राजा
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रघु: (आयशा की तरफ देखते हुये) बोल न मेरी जान
आयशा: तेरे लिए में चूतों की लाइन लगा दूँगी लेकिन वादा कर तू कभी मेरा कहा नहीं टालेगा।
![[Image: 04bc45aa40ead1e556b3d9f5cf2732b8-1.jpg]](https://i.ibb.co/G3fBXY2P/04bc45aa40ead1e556b3d9f5cf2732b8-1.jpg)
रघु : क्या मतलब तूने मुझे खरीद लिया है क्या ?
आयशा : में एक रांड हूँ लेकिन दिल मेरे सिने में भी धड़कता है।
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रघु: मतलब ?
आयशा: मुझे न तुझसे प्यार हो गया है ?
रघु : (चौकते हुये ) क्या कहा प्यार? और मुझसे?
आयशा: क्यू मुझे प्यार नहीं हो सकता क्या ?
![[Image: 311f4ae2dd368c4c4fdf92fa41ed2337.jpg]](https://i.ibb.co/5gm1Lwsd/311f4ae2dd368c4c4fdf92fa41ed2337.jpg)
रघु: अरे नहीं मेरा मतलब ये है की ?
आयशा: की एक रांड को भी किसी से प्यार हो सकता है ?
रघु: अरे नहीं तुम तो बुरा मान गयी ।
आयशा : उठ
रघु: क्या?
आयशा : उठ, खड़ा हो और निकाल यहाँ से जो एक औयार्ट के दिल को ना समझ सके उसके लिए तो कोठा भी खंडहर होता है ।
रघु : अरे जा जा ... इतनी हेकड़ी अच्छी नहीं है तू कोई एक लौटी रांड तो है नहीं और बहुत है ।
आयशा रोने लगती है रघु जाते जाते एक नज़र भर आयशा को देखता है आयशा की आँखों में वो मोती की तरह चमकते आँसू रघु की जहन मे घर कर जाते है ।
आज पूरा एक हफ्ता हो चुका था। रघु और आयशा में कोई बात नहीं हुयी थी । ना ही रघु ने किसी के साह चुदाई की थी। बात कुछ और ही थी। रघु जब भी मूठ मारने को भी जाता तो उसे आयशा का रोता हुआ चेहरा नज़र आता और रघु की सारी मस्ती उतार जाती। रघु की हालत बद से बदत्तर तो तब हो गयी जब हर किसी लड़की को देख कर उसका लंड़ तो खड़ा हो जाता लेकिन शांत नहीं हो पाता क्यूकी हर बार मूठ मारता तो उसे आयशा ही नज़र आती।
वहीं दूसरी ओर आयशा ने धंधा करना बंद कर दिया था। अब आयशा किसी और मर्द को अपने पास भी नहीं आने दे रही थी ।
कोठे की मालकिन को सब मोसी ही बोलते थे।
मोसी : क्यू रे आयशा धंधा क्यू नही करती ?
आयशा: मोसी मन नहीं है?
मोसी : बेटा तू धंधा नहीं करेगी तो ये खाएँगी क्या ? (दूसरी राँड़ों की तरफ इशारा करते हुए)
आयशा: मोसी सब हो जाएगा तू चिंता ना कर
मोसी : बेटा देख में तुझे सबसे ज्यादा प्यार करती हूँ न तो तू मुझे बता क्या परेशानी है? तबीयत खराब है ?
आयशा : नहीं मोसी ... और ( अचानक से आयशा के आँखों से आँसू बहने लगे )
मोसी: (गुस्से में ) रामू , शंभू , श्यामा इधर आओ ? किस के कारण मेरी आयशा की आँखों में आँसू आए है ?
सभी दर रहे थे और शांत थे
मोसी : (शेरनी की तरह दहाड़ते हुये ) बोलो......... कौन है तुम मे से ?
आयशा : मोसी इनमे से कौन हो सकता है जो आपकी बच्ची को रुला सके ।
मोसी : कोई नहीं । (चोंकते हुए) फिर क्यू रो रही है बेटा
आयशा : सब लोग बाहर जाओ
सभी बाहर चले जाते है और आयशा सारी बात मोसी को बता देती है। मोसी अपना सीना पकड़ कर तख्त पर बैठ जाती है ।
मोसी:- बेटा हम कोठे वालियों के नसीब में या तो दंड है या लंड़ है। तूने वो पाने की कोशिश कर ली जो हमारे नसीब मे है ही नहीं। इसे हमारे कोठे को जंग लगना कहते है ।
आयशा : जानती हूँ मोसी लेकिन ये दर्द ये पीड़ा रुकने का नाम ही नहीं ले रही ।
मोसी : बेटा तुझे कोठे को छोड़ना पड़ेगा।
आयशा : मोसी ? आप मुझे निकाल रही है ?
मोसी: नहीं बेटा में तुझे आज़ाद कर रही हूँ । तू मेरी लाड़ली है। तुझे जो पाना है उसके लिए तुझे कोठे की छाया से भी दूर जाना पड़ेगा।तू एक काम कर तू न दिल्ली चली जा वह तेरी मोसी ने एक फ्लेट ले रखा तू वह रह लेना और कोई अच्छा इज्जत वाला काम धंधा ढूंढलेना । और तेरे खाते में में 250000 रुपए डलवा दूँगी । तुझे तेरा प्यार ऐसे ही मिल सकता है धंधा करके नहीं ।
आयशा रोते हुये मोसी के गले लग जाती है ।
वहीं दूसरी और रघु और उसके घर वाले भी दिल्ली शिफ्ट हो रहे थे क्यूकी यहाँ का घर तो वो बेच रहे थे और रघु की माँ को किसी सरकारी कॉलेज में जॉब मिल रही थी ।अब किशमत देखो एक ही ट्रेन के दो अलग अलग डिब्बों में एक में आयशा और दूसरे में रघु और उसकी मम्मी ओर उसकी दोनों बहन एक साथ दिल्ली जा रहे थे और दोनों को एक दूसरे का पता नहीं था ।
आयशा : अच्छा सुनो तुम्हें उसकी बहन में क्या अच्छा लगा
रघु : आप क्या बताऊं तुम्हें उसकी सूरत कितनी मासूम दिखती है उसकी आंखें ऐसे लगता हैं जाने कितनी गहरी हो उसके वह नाजुक से होट (आयशा को अपनी बाहों में पकड़ते हुए ) उसके वह छोटे छोटे से संतरे और उसकी वो गांड। दिल पर छुरिया चल देती है ।
आयशा अच्छा ठीक है बस बस इतनी भी तारीफ मत करो
रघु : क्यों तुम्हें क्या जलन हो रही है
आयशा : जले मेरी जूती और उसकी फुद्दी
दोनो एक दूसरे की तरफ देख हसने लगते है।
अब आगे....
आयशा :एक बात कहूँ राजा
![[Image: 3585d8b79dbd12bea86b11f228dc31cd.jpg]](https://i.ibb.co/BKqr4xMS/3585d8b79dbd12bea86b11f228dc31cd.jpg)
रघु: (आयशा की तरफ देखते हुये) बोल न मेरी जान
आयशा: तेरे लिए में चूतों की लाइन लगा दूँगी लेकिन वादा कर तू कभी मेरा कहा नहीं टालेगा।
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रघु : क्या मतलब तूने मुझे खरीद लिया है क्या ?
आयशा : में एक रांड हूँ लेकिन दिल मेरे सिने में भी धड़कता है।
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रघु: मतलब ?
आयशा: मुझे न तुझसे प्यार हो गया है ?
रघु : (चौकते हुये ) क्या कहा प्यार? और मुझसे?
आयशा: क्यू मुझे प्यार नहीं हो सकता क्या ?
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रघु: अरे नहीं मेरा मतलब ये है की ?
आयशा: की एक रांड को भी किसी से प्यार हो सकता है ?
रघु: अरे नहीं तुम तो बुरा मान गयी ।
आयशा : उठ
रघु: क्या?
आयशा : उठ, खड़ा हो और निकाल यहाँ से जो एक औयार्ट के दिल को ना समझ सके उसके लिए तो कोठा भी खंडहर होता है ।
रघु : अरे जा जा ... इतनी हेकड़ी अच्छी नहीं है तू कोई एक लौटी रांड तो है नहीं और बहुत है ।
आयशा रोने लगती है रघु जाते जाते एक नज़र भर आयशा को देखता है आयशा की आँखों में वो मोती की तरह चमकते आँसू रघु की जहन मे घर कर जाते है ।
आज पूरा एक हफ्ता हो चुका था। रघु और आयशा में कोई बात नहीं हुयी थी । ना ही रघु ने किसी के साह चुदाई की थी। बात कुछ और ही थी। रघु जब भी मूठ मारने को भी जाता तो उसे आयशा का रोता हुआ चेहरा नज़र आता और रघु की सारी मस्ती उतार जाती। रघु की हालत बद से बदत्तर तो तब हो गयी जब हर किसी लड़की को देख कर उसका लंड़ तो खड़ा हो जाता लेकिन शांत नहीं हो पाता क्यूकी हर बार मूठ मारता तो उसे आयशा ही नज़र आती।
वहीं दूसरी ओर आयशा ने धंधा करना बंद कर दिया था। अब आयशा किसी और मर्द को अपने पास भी नहीं आने दे रही थी ।
कोठे की मालकिन को सब मोसी ही बोलते थे।
मोसी : क्यू रे आयशा धंधा क्यू नही करती ?
आयशा: मोसी मन नहीं है?
मोसी : बेटा तू धंधा नहीं करेगी तो ये खाएँगी क्या ? (दूसरी राँड़ों की तरफ इशारा करते हुए)
आयशा: मोसी सब हो जाएगा तू चिंता ना कर
मोसी : बेटा देख में तुझे सबसे ज्यादा प्यार करती हूँ न तो तू मुझे बता क्या परेशानी है? तबीयत खराब है ?
आयशा : नहीं मोसी ... और ( अचानक से आयशा के आँखों से आँसू बहने लगे )
मोसी: (गुस्से में ) रामू , शंभू , श्यामा इधर आओ ? किस के कारण मेरी आयशा की आँखों में आँसू आए है ?
सभी दर रहे थे और शांत थे
मोसी : (शेरनी की तरह दहाड़ते हुये ) बोलो......... कौन है तुम मे से ?
आयशा : मोसी इनमे से कौन हो सकता है जो आपकी बच्ची को रुला सके ।
मोसी : कोई नहीं । (चोंकते हुए) फिर क्यू रो रही है बेटा
आयशा : सब लोग बाहर जाओ
सभी बाहर चले जाते है और आयशा सारी बात मोसी को बता देती है। मोसी अपना सीना पकड़ कर तख्त पर बैठ जाती है ।
मोसी:- बेटा हम कोठे वालियों के नसीब में या तो दंड है या लंड़ है। तूने वो पाने की कोशिश कर ली जो हमारे नसीब मे है ही नहीं। इसे हमारे कोठे को जंग लगना कहते है ।
आयशा : जानती हूँ मोसी लेकिन ये दर्द ये पीड़ा रुकने का नाम ही नहीं ले रही ।
मोसी : बेटा तुझे कोठे को छोड़ना पड़ेगा।
आयशा : मोसी ? आप मुझे निकाल रही है ?
मोसी: नहीं बेटा में तुझे आज़ाद कर रही हूँ । तू मेरी लाड़ली है। तुझे जो पाना है उसके लिए तुझे कोठे की छाया से भी दूर जाना पड़ेगा।तू एक काम कर तू न दिल्ली चली जा वह तेरी मोसी ने एक फ्लेट ले रखा तू वह रह लेना और कोई अच्छा इज्जत वाला काम धंधा ढूंढलेना । और तेरे खाते में में 250000 रुपए डलवा दूँगी । तुझे तेरा प्यार ऐसे ही मिल सकता है धंधा करके नहीं ।
आयशा रोते हुये मोसी के गले लग जाती है ।
वहीं दूसरी और रघु और उसके घर वाले भी दिल्ली शिफ्ट हो रहे थे क्यूकी यहाँ का घर तो वो बेच रहे थे और रघु की माँ को किसी सरकारी कॉलेज में जॉब मिल रही थी ।अब किशमत देखो एक ही ट्रेन के दो अलग अलग डिब्बों में एक में आयशा और दूसरे में रघु और उसकी मम्मी ओर उसकी दोनों बहन एक साथ दिल्ली जा रहे थे और दोनों को एक दूसरे का पता नहीं था ।
बर्बादी को निमंत्रण
https://xossipy.com/thread-1515.html
Hawas ka ghulam
https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750
द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) ( Unexpected Desire of Darkness ) PART-II
https://xossipy.com/thread-70677-post-60...pid6048878
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Hawas ka ghulam
https://xossipy.com/thread-33284-post-27...pid2738750
द मैजिक मिरर (THE MAGIC MIRROR) ( Unexpected Desire of Darkness ) PART-II
https://xossipy.com/thread-70677-post-60...pid6048878


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