10-12-2025, 01:23 PM
उधर दूसरी તરફ
अब रात के 3 बज चुके थे।
ऊपर कमरे में असलम और खुशबू का दूसरा राउंड खत्म हो चुका था।
दोनों हाँफते हुए बेड पर लेटे थे,
लेकिन अभी भी एक-दूसरे से चिपके हुए।
खुशबू ने असलम की छाती पर सिर रखा,
और अचानक उसे एक शैतानी आईडिया आया। वो मुस्कुराई और बोली,
“असलम जी… तुम्हें पता है… मुझे थोड़ा थकान महसूस हो रही है… लेकिन अगर तुम्हारा टेस्टोस्टेरोन बढ़ जाए… तो शायद मैं और मजा कर पाऊँ… क्या पाइनएप्पल जूस मंगवाएँ?
वो तो नेचुरल बूस्टर है ना…
या केसर वाला दूध? वो भी एनर्जी देता है…”
असलम ने हल्के से हँसकर कहा,
“जान… तुम्हारी ये शैतानी… मुझे पसंद है… लेकिन कौन लाएगा इतनी रात को?”
खुशबू ने आँख मारकर फोन उठाया।
“मेरा पर्सनल नौकर है ना… अमित… वो तो इंतज़ार ही कर रहा होगा मेरी कॉल का…”
वो जानबूझकर अमित को चिढ़ाने और hint देने के लिए ये प्लान बना रही थी
एक ऐसा बहाना जो इनडायरेक्ट हो, लेकिन अमित की कल्पना को भड़काए। वो अमित को कॉल लगाती है।
नीचे सर्वेंट क्वार्टर में मैं लेटा हुआ था, फोन पास में। रिंग बजी—
“मालकिन”। दिल धड़का।
मैंने तुरंत उठाया,
“हेलो… खुशबू जी… सब ठीक है ना?”
खुशबू की आवाज़ आई—बहुत थकी हुई, लेकिन प्यार भरी,
“जान… हाँ… सब ठीक है… लेकिन सुनो… असलम जी को थोड़ी थकान हो गई है…
उन्होंने थोड़ी मेहनत की ना… तो मैं सोच रही हूँ… केसर वाला दूध या पाइनएप्पल जूस मंगवा लूँ…
वो टेस्टोस्टेरोन बढ़ाता है… एनर्जी देता है… तुम ऊपर आ जाओ ना… किचन से लेते आना… प्लीज़…?”
मैं असमंजस में पड़ गया
थकान? मेहनत?
फिर दिमाग में आया कि हां बेचारे सुबह से तो असलम की खुशबू के साथ यहां वहां घूम रहे हैं तो थकान तो होगी ही. . ...
लेकिन हकीकत से अनजान,
में ऊपर ट्रे तैयार करके चढ़ गया कि
कम से कम इसी बहाने अपनी पत्नी को देखने को मिलेगा।
ट्रे में केसर वाला दूध और पाइनएप्पल जूस रखा,
और मन ही मन प्रार्थना कर रहा था कि काश… एक पल के लिए भी खुशबू को ब्रा-पैंटी में देख लूँ…
वो छोटी-छोटी लिंगरी… उफ्फ…
ऊपर पहुँचा।
दरवाज़ा हल्का-सा खुला था।
मैंने नॉक किया और अंदर आया।
रात का अंधेरा, सिर्फ़ एक हल्की-सी साइड लैंप जल रही थी
कमरे को एक रहस्यमय, कामुक ग्लो दे रही थी। पूरा कमरा अस्त-व्यस्त था:
फर्श पर खुशबू की ब्रा और पैंटी इधर-उधर पड़ी हुई
(मैंने सोचा शायद चेंज करते हुए गिर गई होंगी),
ग्लास टेबल पर पड़े हुए
एक में शैंपेन की कुछ बूंदें बाकी,
बेडशीट उलझी हुई,
पंखुड़ियाँ बिखरी हुईं,
हवा में एक अजीब-सी महक—पसीने,
परफ्यूम और कुछ और की मिली हुई
(मैंने सोचा शायद कैंडल्स की वजह से)।
असलम थक-हारकर बेड पर उल्टा पड़ा था,
अंदर से पूरा नंगा लेकिन सफ़ेद चादर से ढका हुआ
सिर्फ़ उसकी पीठ और कमर का हिस्सा दिख रहा था।
वो सो रहा लग रहा था, लेकिन शायद नहीं।
खुशबू भी थकी-हारी लेटी हुई थी,
अंदर ब्रा-पैंटी पहने लेकिन पूरा खुद को चादर से ढक रखा था
सिर्फ़ मुंह बाहर।
उसके बाल बिखरे,
चेहरा लाल,
आँखें थकी लेकिन चमकदार।
वो मुस्कुराकर उठी (चादर को कसकर पकड़े हुए), और बोली,
“अमित… आ गए तुम… थैंक यू जान… असलम जी थोड़ी मेहनत करके थक गए हैं… इसलिए ये दूध और जूस मंगवाया… एनर्जी आएगी… तुम ट्रे रख दो ना…”
मैं ट्रे रखते हुए कल्पना कर रहा था
प्रार्थना कर रहा था कि काश चादर हट जाए…
काश एक झलक मिल जाए उसकी ब्रा-पैंटी में…
वो गोरी जाँघें… उफ्फ… लेकिन खुशबू बड़ी अच्छे से वाकिफ थी मेरी इस छिपी चाहत से।
वो जानबूझकर चादर नहीं हटाती,
बल्कि और कसकर पकड़ती, जैसे कह रही हो—“ये सब असलम के लिए है, तुम सिर्फ़ देखो”।
मैंने पूछा, “खुशबू जी… सब ठीक है ना? कमरा इतना… उलझा हुआ क्यों है?”
खुशबू ने हल्के से हँसकर कहा, “अरे जान… हम सोने की कोशिश कर रहे थे… लेकिन थोड़ी मस्ती हो गई… मतलब… बातें करते-करते… ग्लास गिर गए…
कपड़े इधर-उधर हो गए…
बस… तुम चिंता मत करो… असलम जी को थकान हो गई… उन्होंने थोड़ी मेहनत की ना… सोने की तैयारी में…”
वो जानबूझकर “मेहनत” पर जोर देती, लेकिन इतने मासूम तरीके से कि मुझे लगा शायद बेड सेट करने में।
असलम ने हल्का-सा करवट ली (चादर से ढका रहा), और बोला,
“भाई अमित… थैंक यू… ये दूध… एनर्जी देगा… ताकि रात अच्छी कटे…”
वो थका हुआ लग रहा था, लेकिन आँखों में वो चमक थी।
मैंने ट्रे रखी, और खुशबू ने मुझे अलविदा कहा, “जान… अब तुम नीचे जाओ… सो जाओ… कल सुबह मिलते हैं… थैंक यू आने के लिए…” वो प्यार से मेरे गाल पर हाथ फेरती है, लेकिन दरवाज़े तक छोड़कर मुझे बाहर धकेल देती।
असलम और खुशबू के बीच में रात भर में दो और राउंड हुए
पहले राउंड में असलम ने खुशबू को नीचे दबाकर मिशनरी में लिया,
धीरे-धीरे लेकिन गहराई से,
दोनों की साँसें मिलती रहीं;
दूसरे में खुशबू ऊपर चढ़कर काउगर्ल में राइड की, इतनी तेज़ कि बेड हिल गया, और दोनों थककर सो गए।
अर्ली मॉर्निंग, तकरीबन 5:30 बजे। ऊपर कमरे में खुशबू की आँख खुली।
वो असलम की बाहों में लिपटी हुई थी,
लेकिन उसका दिमाग अभी भी शैतानी से भरा था। वो जानबूझकर अमित को एक ही रिंग मारती है
—फोन उठाया,
अमित का नंबर डायल किया,
और जैसे ही रिंग बजी, कट कर दिया।
वो नहीं चाहती थी कि अमित जागे या उठे;
बस इतना कि अमित का फोन वाइब्रेट हो,
और वो नींद में ही सोचे कि कुछ हुआ होगा। फिर वो उठी,
एक सेक्सी ब्लैक नाइटी पहनी—इतनी ट्रांसपेरेंट कि उसकी ब्रा-पैंटी की आउटलाइन साफ दिख रही थी,
लेकिन इतनी लंबी कि हल्का-सा ढकाव दे रही थी।
वो जय और उसके साथी (कमल) को कॉफी और सफाई के लिए बुलाती है
शैतानी मकसद ये कि वो दोनों नीचे जाकर अमित से सब बताएँगे, अमित को शक भी होगा और मजा भी आएगा, लेकिन शर्म से वो कुछ पूछ नहीं पाएगा।
जय और कमल ऊपर आए।
कमरा अंधेरे में था, सिर्फ़ एक हल्की-सी साइड लैंप जल रही थी
माहौल इतना कामुक कि हवा में पसीने,
परफ्यूम
और वीर्य की मिली-जुली महक फैली हुई थी।
फर्श पर खुशबू की ब्रा-पैंटी बिखरी पड़ी,
असलम की शर्ट और पैंट इधर-उधर,
ग्लास टेबल पर पड़े—एक में शैंपेन की बूंदें बाकी,
बेडशीट उलझी हुई,
पंखुड़ियाँ चिपकी हुईं,
और कमरे में वो चिपचिपी महक जो बता रही थी कि रात भर क्या हुआ।
असलम थक-हारकर बेड पर उल्टा पड़ा था,
अंदर पूरा नंगा लेकिन सफ़ेद चादर से ढका
सिर्फ़ उसकी पीठ और कमर का हिस्सा दिख रहा था, जैसे वो गहरी नींद में हो।
खुशबू थकी-हारी लेटी हुई थी, लेकिन मुस्कुराकर उठी और जय-कमल को ग्रेट किया,
“आ गए तुम लोग… कॉफी अच्छी बनी है? और कमरा साफ कर दो ना… रात भर थोड़ी मस्ती हुई… मतलब बातें करते-करते सब बिखर गया…”
जय और कमल की आँखें खुशबू की नाइटी पर टिक गईं—
वो इतनी सेक्सी थी कि उनकी कल्पना भड़क गई। जय मन ही मन सोचा:
‘वाह रे… मैडम की ये नाइटी… नीचे ब्रा-पैंटी की शेप साफ़ दिख रही है… रात भर साहब ने चोदा होगा… गांड लाल हो गई होगी… उफ्फ… अगर मैं होता तो…’
कमल सोच रहा था:
‘साली कितनी हॉट है… सुबह-सुबह भी ये महक… साहब ने पूरी रात मैडम की चूत फाड़ी होगी… चीखें निकाली होंगी… हम तो बस साफ करेंगे…’
वे दोनों मुस्कुराकर बोले, “हाँ मैडम… कॉफी तैयार है… कमरा साफ कर देंगे…”
फिर खुशबू ने असलम से बात की, जानबूझकर जय-कमल को सुनाई दे ऐसा जोर से,
“असलम जी… आज सुबह का प्लान क्या है? मैं तो सोच रही हूँ… अपने प्यारे पति के लिए बिकिनी पहन लूँ… वो तो बहुत एक्साइटेड था मुझे बिकिनी में देखने के लिए… बीच पर चलें? वो खुश हो जाएगा…”
असलम ने हल्के से हँसकर कहा, “हाँ जान… चलो… अमित को भी बुला लो… वो फोटोज लेगा… और देखेगा भी…”
जय और कमल ने ये सुनकर मन ही मन हँसे
वाह… मैडम बिकिनी में… साहब के साथ… अमित बेचारा फोटोज लेगा… जैसे नौकर…’
वे नीचे आए, और अमित के पास जाकर सब बताने लगे। जय बोला,
“भाई अमित… ऊपर क्या हाल है देखा? कमरा तहस-नहस… मैडम की ब्रा-पैंटी फर्श पर…
साहब नंगे लेटे हुए…
महक तो ऐसी जैसे पूरी रात चुदाई हुई हो…
मैडम थकी हुई लग रही थी…
चेहरा लाल, बाल बिखरे…
और वो कह रही थी आज बिकिनी पहनकर बीच पर जाएगी… … साहब के साथ…
हा हा… तू तो फोटोज लेगा…
और देखेगा कैसे साहब मैडम को छुएंगे…”
कमल ने जोड़ा, “हाँ भाई… सुबह मैडम बोली—‘अपने प्यारे पति के लिए बिकिनी पहनूँगी’…
लेकिन वो साहब से चिपकी हुई थी… रात भर साहब ने मैडम को चोदा होगा… चीखें निकाली होंगी… तू नीचे सो रहा था… बेचारा…”
मैं सुनकर असमंजस में पड़ गया—शक हुआ, लेकिन मजा भी आया। शर्म से कुछ पूछ नहीं पाया, बस मुस्कुराकर सिर हिलाया।
अब रात के 3 बज चुके थे।
ऊपर कमरे में असलम और खुशबू का दूसरा राउंड खत्म हो चुका था।
दोनों हाँफते हुए बेड पर लेटे थे,
लेकिन अभी भी एक-दूसरे से चिपके हुए।
खुशबू ने असलम की छाती पर सिर रखा,
और अचानक उसे एक शैतानी आईडिया आया। वो मुस्कुराई और बोली,
“असलम जी… तुम्हें पता है… मुझे थोड़ा थकान महसूस हो रही है… लेकिन अगर तुम्हारा टेस्टोस्टेरोन बढ़ जाए… तो शायद मैं और मजा कर पाऊँ… क्या पाइनएप्पल जूस मंगवाएँ?
वो तो नेचुरल बूस्टर है ना…
या केसर वाला दूध? वो भी एनर्जी देता है…”
असलम ने हल्के से हँसकर कहा,
“जान… तुम्हारी ये शैतानी… मुझे पसंद है… लेकिन कौन लाएगा इतनी रात को?”
खुशबू ने आँख मारकर फोन उठाया।
“मेरा पर्सनल नौकर है ना… अमित… वो तो इंतज़ार ही कर रहा होगा मेरी कॉल का…”
वो जानबूझकर अमित को चिढ़ाने और hint देने के लिए ये प्लान बना रही थी
एक ऐसा बहाना जो इनडायरेक्ट हो, लेकिन अमित की कल्पना को भड़काए। वो अमित को कॉल लगाती है।
नीचे सर्वेंट क्वार्टर में मैं लेटा हुआ था, फोन पास में। रिंग बजी—
“मालकिन”। दिल धड़का।
मैंने तुरंत उठाया,
“हेलो… खुशबू जी… सब ठीक है ना?”
खुशबू की आवाज़ आई—बहुत थकी हुई, लेकिन प्यार भरी,
“जान… हाँ… सब ठीक है… लेकिन सुनो… असलम जी को थोड़ी थकान हो गई है…
उन्होंने थोड़ी मेहनत की ना… तो मैं सोच रही हूँ… केसर वाला दूध या पाइनएप्पल जूस मंगवा लूँ…
वो टेस्टोस्टेरोन बढ़ाता है… एनर्जी देता है… तुम ऊपर आ जाओ ना… किचन से लेते आना… प्लीज़…?”
मैं असमंजस में पड़ गया
थकान? मेहनत?
फिर दिमाग में आया कि हां बेचारे सुबह से तो असलम की खुशबू के साथ यहां वहां घूम रहे हैं तो थकान तो होगी ही. . ...
लेकिन हकीकत से अनजान,
में ऊपर ट्रे तैयार करके चढ़ गया कि
कम से कम इसी बहाने अपनी पत्नी को देखने को मिलेगा।
ट्रे में केसर वाला दूध और पाइनएप्पल जूस रखा,
और मन ही मन प्रार्थना कर रहा था कि काश… एक पल के लिए भी खुशबू को ब्रा-पैंटी में देख लूँ…
वो छोटी-छोटी लिंगरी… उफ्फ…
ऊपर पहुँचा।
दरवाज़ा हल्का-सा खुला था।
मैंने नॉक किया और अंदर आया।
रात का अंधेरा, सिर्फ़ एक हल्की-सी साइड लैंप जल रही थी
कमरे को एक रहस्यमय, कामुक ग्लो दे रही थी। पूरा कमरा अस्त-व्यस्त था:
फर्श पर खुशबू की ब्रा और पैंटी इधर-उधर पड़ी हुई
(मैंने सोचा शायद चेंज करते हुए गिर गई होंगी),
ग्लास टेबल पर पड़े हुए
एक में शैंपेन की कुछ बूंदें बाकी,
बेडशीट उलझी हुई,
पंखुड़ियाँ बिखरी हुईं,
हवा में एक अजीब-सी महक—पसीने,
परफ्यूम और कुछ और की मिली हुई
(मैंने सोचा शायद कैंडल्स की वजह से)।
असलम थक-हारकर बेड पर उल्टा पड़ा था,
अंदर से पूरा नंगा लेकिन सफ़ेद चादर से ढका हुआ
सिर्फ़ उसकी पीठ और कमर का हिस्सा दिख रहा था।
वो सो रहा लग रहा था, लेकिन शायद नहीं।
खुशबू भी थकी-हारी लेटी हुई थी,
अंदर ब्रा-पैंटी पहने लेकिन पूरा खुद को चादर से ढक रखा था
सिर्फ़ मुंह बाहर।
उसके बाल बिखरे,
चेहरा लाल,
आँखें थकी लेकिन चमकदार।
वो मुस्कुराकर उठी (चादर को कसकर पकड़े हुए), और बोली,
“अमित… आ गए तुम… थैंक यू जान… असलम जी थोड़ी मेहनत करके थक गए हैं… इसलिए ये दूध और जूस मंगवाया… एनर्जी आएगी… तुम ट्रे रख दो ना…”
मैं ट्रे रखते हुए कल्पना कर रहा था
प्रार्थना कर रहा था कि काश चादर हट जाए…
काश एक झलक मिल जाए उसकी ब्रा-पैंटी में…
वो गोरी जाँघें… उफ्फ… लेकिन खुशबू बड़ी अच्छे से वाकिफ थी मेरी इस छिपी चाहत से।
वो जानबूझकर चादर नहीं हटाती,
बल्कि और कसकर पकड़ती, जैसे कह रही हो—“ये सब असलम के लिए है, तुम सिर्फ़ देखो”।
मैंने पूछा, “खुशबू जी… सब ठीक है ना? कमरा इतना… उलझा हुआ क्यों है?”
खुशबू ने हल्के से हँसकर कहा, “अरे जान… हम सोने की कोशिश कर रहे थे… लेकिन थोड़ी मस्ती हो गई… मतलब… बातें करते-करते… ग्लास गिर गए…
कपड़े इधर-उधर हो गए…
बस… तुम चिंता मत करो… असलम जी को थकान हो गई… उन्होंने थोड़ी मेहनत की ना… सोने की तैयारी में…”
वो जानबूझकर “मेहनत” पर जोर देती, लेकिन इतने मासूम तरीके से कि मुझे लगा शायद बेड सेट करने में।
असलम ने हल्का-सा करवट ली (चादर से ढका रहा), और बोला,
“भाई अमित… थैंक यू… ये दूध… एनर्जी देगा… ताकि रात अच्छी कटे…”
वो थका हुआ लग रहा था, लेकिन आँखों में वो चमक थी।
मैंने ट्रे रखी, और खुशबू ने मुझे अलविदा कहा, “जान… अब तुम नीचे जाओ… सो जाओ… कल सुबह मिलते हैं… थैंक यू आने के लिए…” वो प्यार से मेरे गाल पर हाथ फेरती है, लेकिन दरवाज़े तक छोड़कर मुझे बाहर धकेल देती।
असलम और खुशबू के बीच में रात भर में दो और राउंड हुए
पहले राउंड में असलम ने खुशबू को नीचे दबाकर मिशनरी में लिया,
धीरे-धीरे लेकिन गहराई से,
दोनों की साँसें मिलती रहीं;
दूसरे में खुशबू ऊपर चढ़कर काउगर्ल में राइड की, इतनी तेज़ कि बेड हिल गया, और दोनों थककर सो गए।
अर्ली मॉर्निंग, तकरीबन 5:30 बजे। ऊपर कमरे में खुशबू की आँख खुली।
वो असलम की बाहों में लिपटी हुई थी,
लेकिन उसका दिमाग अभी भी शैतानी से भरा था। वो जानबूझकर अमित को एक ही रिंग मारती है
—फोन उठाया,
अमित का नंबर डायल किया,
और जैसे ही रिंग बजी, कट कर दिया।
वो नहीं चाहती थी कि अमित जागे या उठे;
बस इतना कि अमित का फोन वाइब्रेट हो,
और वो नींद में ही सोचे कि कुछ हुआ होगा। फिर वो उठी,
एक सेक्सी ब्लैक नाइटी पहनी—इतनी ट्रांसपेरेंट कि उसकी ब्रा-पैंटी की आउटलाइन साफ दिख रही थी,
लेकिन इतनी लंबी कि हल्का-सा ढकाव दे रही थी।
वो जय और उसके साथी (कमल) को कॉफी और सफाई के लिए बुलाती है
शैतानी मकसद ये कि वो दोनों नीचे जाकर अमित से सब बताएँगे, अमित को शक भी होगा और मजा भी आएगा, लेकिन शर्म से वो कुछ पूछ नहीं पाएगा।
जय और कमल ऊपर आए।
कमरा अंधेरे में था, सिर्फ़ एक हल्की-सी साइड लैंप जल रही थी
माहौल इतना कामुक कि हवा में पसीने,
परफ्यूम
और वीर्य की मिली-जुली महक फैली हुई थी।
फर्श पर खुशबू की ब्रा-पैंटी बिखरी पड़ी,
असलम की शर्ट और पैंट इधर-उधर,
ग्लास टेबल पर पड़े—एक में शैंपेन की बूंदें बाकी,
बेडशीट उलझी हुई,
पंखुड़ियाँ चिपकी हुईं,
और कमरे में वो चिपचिपी महक जो बता रही थी कि रात भर क्या हुआ।
असलम थक-हारकर बेड पर उल्टा पड़ा था,
अंदर पूरा नंगा लेकिन सफ़ेद चादर से ढका
सिर्फ़ उसकी पीठ और कमर का हिस्सा दिख रहा था, जैसे वो गहरी नींद में हो।
खुशबू थकी-हारी लेटी हुई थी, लेकिन मुस्कुराकर उठी और जय-कमल को ग्रेट किया,
“आ गए तुम लोग… कॉफी अच्छी बनी है? और कमरा साफ कर दो ना… रात भर थोड़ी मस्ती हुई… मतलब बातें करते-करते सब बिखर गया…”
जय और कमल की आँखें खुशबू की नाइटी पर टिक गईं—
वो इतनी सेक्सी थी कि उनकी कल्पना भड़क गई। जय मन ही मन सोचा:
‘वाह रे… मैडम की ये नाइटी… नीचे ब्रा-पैंटी की शेप साफ़ दिख रही है… रात भर साहब ने चोदा होगा… गांड लाल हो गई होगी… उफ्फ… अगर मैं होता तो…’
कमल सोच रहा था:
‘साली कितनी हॉट है… सुबह-सुबह भी ये महक… साहब ने पूरी रात मैडम की चूत फाड़ी होगी… चीखें निकाली होंगी… हम तो बस साफ करेंगे…’
वे दोनों मुस्कुराकर बोले, “हाँ मैडम… कॉफी तैयार है… कमरा साफ कर देंगे…”
फिर खुशबू ने असलम से बात की, जानबूझकर जय-कमल को सुनाई दे ऐसा जोर से,
“असलम जी… आज सुबह का प्लान क्या है? मैं तो सोच रही हूँ… अपने प्यारे पति के लिए बिकिनी पहन लूँ… वो तो बहुत एक्साइटेड था मुझे बिकिनी में देखने के लिए… बीच पर चलें? वो खुश हो जाएगा…”
असलम ने हल्के से हँसकर कहा, “हाँ जान… चलो… अमित को भी बुला लो… वो फोटोज लेगा… और देखेगा भी…”
जय और कमल ने ये सुनकर मन ही मन हँसे
वाह… मैडम बिकिनी में… साहब के साथ… अमित बेचारा फोटोज लेगा… जैसे नौकर…’
वे नीचे आए, और अमित के पास जाकर सब बताने लगे। जय बोला,
“भाई अमित… ऊपर क्या हाल है देखा? कमरा तहस-नहस… मैडम की ब्रा-पैंटी फर्श पर…
साहब नंगे लेटे हुए…
महक तो ऐसी जैसे पूरी रात चुदाई हुई हो…
मैडम थकी हुई लग रही थी…
चेहरा लाल, बाल बिखरे…
और वो कह रही थी आज बिकिनी पहनकर बीच पर जाएगी… … साहब के साथ…
हा हा… तू तो फोटोज लेगा…
और देखेगा कैसे साहब मैडम को छुएंगे…”
कमल ने जोड़ा, “हाँ भाई… सुबह मैडम बोली—‘अपने प्यारे पति के लिए बिकिनी पहनूँगी’…
लेकिन वो साहब से चिपकी हुई थी… रात भर साहब ने मैडम को चोदा होगा… चीखें निकाली होंगी… तू नीचे सो रहा था… बेचारा…”
मैं सुनकर असमंजस में पड़ गया—शक हुआ, लेकिन मजा भी आया। शर्म से कुछ पूछ नहीं पाया, बस मुस्कुराकर सिर हिलाया।


![[+]](https://xossipy.com/themes/sharepoint/collapse_collapsed.png)