10-12-2025, 01:21 PM
उसके चेहरे पर वो मादक मुस्कान थी, आँखें असलम की तरफ़—जैसे कह रही हो, ‘देखो… मैं कितनी अच्छी बीवी हूँ तुम्हारी…’
असलम से रहा नहीं गया। दो मिनट में ही वो झड़ गया—ढेर सारा गाढ़ा वीर्य खुशबू के मुंह में। वो एक बूंद भी वेस्ट नहीं होने दी, सब चाटकर साफ़ किया। असलम हाँफते हुए लेट गया, “जान… तुम… कमाल हो… मैं तो… थक गया…” वो दो मिनट रेस्ट लेने लगा, आँखें बंद करके।
खुशबू मुस्कुराई, फिर उसे अमित याद आया। वो मन ही मन हँसी—‘बेचारा… नीचे इंतज़ार कर रहा होगा… अब थोड़ा और मज़ा लेती हूँ उसका…’ वो फोन उठाती है, अमित का नंबर डायल करती है।
नीचे, सर्वेंट क्वार्टर में—मेरा फोन बजा। स्क्रीन पर “मालकिन” लिखा देखकर मेरी एक्साइटमेंट का ठिकाना नहीं रहा। दिल धड़कने लगा—ना जाने क्या स्पेशल भेजने वाली है… या बुला रही है… मैं तुरंत अकेले में गया, फोन उठाया।
“हेलो… अमित…?” खुशबू की आवाज़ मादक थी, जैसे वो साँसें दबाकर बोल रही हो।
“हाँ खुशबू जी… मैं हूँ… सब ठीक है ना?”
“हाँ जान… सब बहुत ठीक है… लेकिन सुनो… तुम अकेले में हो ना? मैं थोड़ी स्पेशल बात करनी है…”
मैंने हाँ कहा, एक्साइटेड।
खुशबू ने शुगर-कोटेड, बहुत प्यार भरी आवाज़ में शुरू किया,
“जान… तुम्हें याद है ना… घर से निकलते वक्त मम्मी ने क्या कहा था?
कि नई नवेली जोड़ी हनीमून की रात अलग-अलग सोए तो बहुत बड़ा अपशकुन होता है…
शादी की उम्र कम हो जाती है…
या घर में प्रॉब्लम आती हैं…
मैं तो बस तुम्हारी और हमारी शादी की खुशी के लिए सोच रही हूँ…
अगर तुम कहो… तो मैं आज रात असलम जी के साथ… उनके बिस्तर पर सो जाऊँ?
ताकि अपशकुन न हो… तुम्हारी लंबी उम्र के लिए… हमारी शादी के लिए… प्लीज जान… परमिशन दे दो ना…”
पहले तो जब खुशबू ने मेरे साथ यह बात कि मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि मैं क्या रिएक्ट करूं....!??? ऐसे कैसे मैं खुद सामने से अपनी पत्नी को यह कह दूं कि वह मेरे दोस्त के साथ अपना बिस्तर शेर कर ले !!!!! लेकिन अगर सोचा जाए तो उसका कारण लाजमी था..... मैं नहीं चाह रहा था कि मेरी और खुशबू की शादीशुदा जिंदगी में कोई परेशानी आए ....हमारा प्यार कम हो या.... कोई अपशगुन हो.......
मेरी आवाज में मेरी कन्फ्यूजन खुशबू ने तुरंत ही बाप ली.....
मुझे रिलैक्स करते हुए और ऐसा जताते हुए उसने कहां जैसे इसमें कोई बड़ी बात नहीं है....
"अरे बाबा जानू ....इसमें इतना तुम क्या सोच रहे हो ......भूल गए अभी जब ट्रेन में हम लोग आए थे..... तब भी मैं असलम के साथ सो कर ही तो आई थी!!!!
तो जब अब असलम के साथ अकेले कमरे में रह रही हूं तो उनके साथ biस्टर शेयर करने में क्या परेशानी होगी ભલા!????
अगर देखा जाए तो खुशबू की बात गलत नहीं थी मेरे दिलो दिमाग में भी बहुत दृश्य आ गया जब बहुत छोटी सी स्कर्ट में ट्रेन में असलम के साथ एक ही बर्थ पर सोई थी न जाने क्यों वह दृश्य मुझे बहुत ही रोमांचित कर रहा था.....
उसकी आवाज़ में इतना प्यार, इतनी चिंता थी कि मेरा दिल पिघल गया।
‘बेचारी… मेरे लिए कितना सोचती है… नीचे होने के बावजूद भी मेरी खुशी का ख्याल…’
मैंने तुरंत कहा, “हाँ खुशबू जी… बिल्कुल… तुम असलम जी के साथ ही सो जाना… अपशकुन नहीं होना चाहिए… मैं खुश हूँ कि तुम इतना सोच रही हो…”.....
खुशबू ने हल्के से थैंक यू कहा और फोन रख दिया।
दूसरी तरफ़, फोन रखते ही खुशबू और असलम एक-दूसरे की तरफ़ देखकर हल्के से हँस पड़े।
खुशबू (मुस्कुराते हुए): “देखा… कितना भोला है… खुद ही परमिशन दे दी… जैसे मैं सच में अपशकुन से डर रही हूँ… हा हा…”
असलम (उसके करीब आकर): “हाँ जान… वो तो तेरा पालतू है… हमारी खुशी में ही खुश रहता है… अब आ… मुझे फिर से उठा…”
उधर दूसरी तरफ में मन ही मन सोच रहा था कि खुशबू कितनी अच्छी है
बेचारी को कितना एडजस्ट करना पड़ रहा है।
ऊपर असलम के साथ बिस्तर शेयर करने का फैसला भी सिर्फ अपशकुन के डर से लिया,
मेरी लंबी उम्र और हमारी शादी की खुशी के लिए
। अगर वो अलग सोती तो क्या होता?
रिसोर्ट वाले शक करते,
डिस्काउंट चला जाता,
फाइन लगता।
लेकिन अब सब ठीक है
वो दोनों एक ही बिस्तर पर सोएंगे, और सुबह जब जय जैसे लोग साफ-सफाई करने जाएंगे,
तो उन्हें लगेगा कि ये सच में पति-पत्नी हैं
वो सब बातें कर रहे थे कि सुबह देखेंगे कैसे मैडम साहब के साथ पड़ी रहती हैं,
लेकिन अब वो शक नहीं होगा।
ये तो प्लस पॉइंट ही है
कम से कम हमारा प्लान सेफ रहेगा।
मैं खुद को ये समझा रहा था, और कहीं न कहीं ये सोचकर खुश भी हो रहा था कि खुशबू मेरे लिए कितना सोचती है।
खुशबू की आँखें चमक उठीं।
पहली बार था जब वो शादी के तीन महीने बाद किसी रियल मर्द से चुदने वाली थी
उसका शरीर पहले से ही सुलग रहा था
ट्रेन की वो छुअन
गोवा की वो घुमाई,
और अब ये कमरा—सब कुछ उसे और ज़्यादा भूखी बना रहा था।
वो असलम के ऊपर चढ़ गई, उसके लंड को फिर से सहलाने लगी।
“असलम जी… ये… कितना ताकतवर है… मैं तो… इसके बिना रह ही नहीं सकती अब…”
असलम ने उसकी कमर पकड़ी, उसे नीचे दबाया।
“जान… आज मैं तुझे पूरा अपना बना दूँगा…”
खुशबू ने आँखें बंद कीं, असलम का लंड अपनी चूत पर रगड़ा।
फिर धीरे से अंदर लिया
“उफ्फ्फ… असलम जी… इतना बड़ा… फट जाऊँगी…”
असलम ने नीचे से धक्का मारा, धीरे-धीरे लेकिन गहरा।
खुशबू की कराह निकली — “आह्ह्ह… हाँ… जोर से…”
वो ऊपर-नीचे होने लगी, जैसे घोड़ी की सवारी कर रही हो।
असलम के हाथ उसकी छाती पर थे, निप्पल्स को मसल रहे थे।
खुशबू की साँसें तेज़, चेहरा पसीने से भरा, लेकिन आँखों में वो भूख—जैसे वो असलम को पूरा निचोड़ना चाहती हो।
असलम ने उसे पलटा, अब वो ऊपर था।
उसकी टाँगें कंधों पर रखीं, और फिर ज़ोरदार धक्के शुरू।
हर धक्के के साथ कमरा गूँज रहा था
बेड की चरमराहट,
खुशबू की चीख़ें।
“असलम जी… बस… अब… नहीं…”
लेकिन वो रुकी नहीं,
उल्टा और चिपक गई।
असलम बोला, “जान… अमित नीचे सोच रहा होगा… हम सो गए होंगे… लेकिन वो क्या जाने… उसकी बीवी आज रात मेरी है…”
खुशबू ने हाँफते हुए हँसी, “हाँ… बेचारा… वो तो नीचे… हमारी सर्विस करता रहेगा…”
और फिर दोनों पूरी तरह से खो गए — असलम के धक्के तेज़, खुशबू की कराहटें गहरी।
रात गहराती गई, और वो दोनों एक-दूसरे में समा गए।
पहली बार, लेकिन जैसे सालों का साथ हो।
अब सिर्फ वो दोनों थे
खुशबू और असलम,
एक-दूसरे की बाहों में,
एक-दूसरे की बॉडी को एक्सप्लोर करते हुए
जैसे दुनिया में और कुछ बचा ही न हो।
असलम का शरीर अभी भी गर्म था,
उसका लंड फिर से तनने लगा था।
खुशबू ने मुस्कुराकर उसे देखा, “असलम जी… लगता है तुम्हें अभी भूख लगी हुई है… मैं तो सोच रही थी थोड़ा रेस्ट कर लें…”
असलम ने उसे अपनी तरफ खींचा, उसकी कमर पर हाथ फेरते हुए बोला,
“जान… तुम्हारे साथ रेस्ट? वो तो सुबह होगा…
अभी तो बस शुरूआत है…
तुम्हारी ये बॉडी… मैं तो बस छूता रहूँ…”
उसने धीरे से खुशबू को बेड पर लिटाया, उसके ऊपर चढ़ गया।
खुशबू ने हल्के से हँसकर उसके सीने पर उँगलियाँ घुमाईं, “अच्छा जी? तो दिखाओ ना… कितनी भूख है तुम्हें…”
वो मजाक में बोली, लेकिन उसकी आँखें पूरी तरह से वासना से भरी थीं।
असलम ने पहले मिशनरी पोज़िशन से शुरू किया
वो खुशबू के ऊपर था, उसके दोनों हाथ उसकी कलाइयों पर कसे हुए, जैसे उसे बाँध रखा हो
धीरे से अपना तगड़ा लंड उसकी चूत पर रगड़ा, फिर एक ही झटके में अंदर घुसा दिया
खुशबू की चीख निकल गई—“आह्ह्ह… असलम जी… धीरे… उफ्फ्फ… कितना… बड़ा है…”
लेकिन वो चीख मस्ती वाली थी, जैसे वो एंजॉय कर रही हो
असलम ने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए, हर धक्के के साथ उसकी छाती उछल रही थी
“जान… तुम्हारी ये चूत… इतनी गर्म… इतनी टाइट… मैं तो पागल हो रहा हूँ…” वो बोला
, और खुशबू ने हँसकर जवाब दिया, “हाँ… तुम्हारे लिए ही तो… और ज़ोर से… दिखाओ ना अपनी ताकत…” वो चिल्ला रही थी,
लेकिन हँसी दबाकर, जैसे खेल रही हो
असलम ने स्पीड बढ़ाई, उसके कंधों पर किस करते हुए, “तुम्हारी ये कराहटें… मुझे और भड़का रही हैं… चिल्लाओ… और चिल्लाओ…”
खुशबू ने अपनी टाँगें उसकी कमर पर लपेट लीं,
असलम से रहा नहीं गया। दो मिनट में ही वो झड़ गया—ढेर सारा गाढ़ा वीर्य खुशबू के मुंह में। वो एक बूंद भी वेस्ट नहीं होने दी, सब चाटकर साफ़ किया। असलम हाँफते हुए लेट गया, “जान… तुम… कमाल हो… मैं तो… थक गया…” वो दो मिनट रेस्ट लेने लगा, आँखें बंद करके।
खुशबू मुस्कुराई, फिर उसे अमित याद आया। वो मन ही मन हँसी—‘बेचारा… नीचे इंतज़ार कर रहा होगा… अब थोड़ा और मज़ा लेती हूँ उसका…’ वो फोन उठाती है, अमित का नंबर डायल करती है।
नीचे, सर्वेंट क्वार्टर में—मेरा फोन बजा। स्क्रीन पर “मालकिन” लिखा देखकर मेरी एक्साइटमेंट का ठिकाना नहीं रहा। दिल धड़कने लगा—ना जाने क्या स्पेशल भेजने वाली है… या बुला रही है… मैं तुरंत अकेले में गया, फोन उठाया।
“हेलो… अमित…?” खुशबू की आवाज़ मादक थी, जैसे वो साँसें दबाकर बोल रही हो।
“हाँ खुशबू जी… मैं हूँ… सब ठीक है ना?”
“हाँ जान… सब बहुत ठीक है… लेकिन सुनो… तुम अकेले में हो ना? मैं थोड़ी स्पेशल बात करनी है…”
मैंने हाँ कहा, एक्साइटेड।
खुशबू ने शुगर-कोटेड, बहुत प्यार भरी आवाज़ में शुरू किया,
“जान… तुम्हें याद है ना… घर से निकलते वक्त मम्मी ने क्या कहा था?
कि नई नवेली जोड़ी हनीमून की रात अलग-अलग सोए तो बहुत बड़ा अपशकुन होता है…
शादी की उम्र कम हो जाती है…
या घर में प्रॉब्लम आती हैं…
मैं तो बस तुम्हारी और हमारी शादी की खुशी के लिए सोच रही हूँ…
अगर तुम कहो… तो मैं आज रात असलम जी के साथ… उनके बिस्तर पर सो जाऊँ?
ताकि अपशकुन न हो… तुम्हारी लंबी उम्र के लिए… हमारी शादी के लिए… प्लीज जान… परमिशन दे दो ना…”
पहले तो जब खुशबू ने मेरे साथ यह बात कि मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि मैं क्या रिएक्ट करूं....!??? ऐसे कैसे मैं खुद सामने से अपनी पत्नी को यह कह दूं कि वह मेरे दोस्त के साथ अपना बिस्तर शेर कर ले !!!!! लेकिन अगर सोचा जाए तो उसका कारण लाजमी था..... मैं नहीं चाह रहा था कि मेरी और खुशबू की शादीशुदा जिंदगी में कोई परेशानी आए ....हमारा प्यार कम हो या.... कोई अपशगुन हो.......
मेरी आवाज में मेरी कन्फ्यूजन खुशबू ने तुरंत ही बाप ली.....
मुझे रिलैक्स करते हुए और ऐसा जताते हुए उसने कहां जैसे इसमें कोई बड़ी बात नहीं है....
"अरे बाबा जानू ....इसमें इतना तुम क्या सोच रहे हो ......भूल गए अभी जब ट्रेन में हम लोग आए थे..... तब भी मैं असलम के साथ सो कर ही तो आई थी!!!!
तो जब अब असलम के साथ अकेले कमरे में रह रही हूं तो उनके साथ biस्टर शेयर करने में क्या परेशानी होगी ભલા!????
अगर देखा जाए तो खुशबू की बात गलत नहीं थी मेरे दिलो दिमाग में भी बहुत दृश्य आ गया जब बहुत छोटी सी स्कर्ट में ट्रेन में असलम के साथ एक ही बर्थ पर सोई थी न जाने क्यों वह दृश्य मुझे बहुत ही रोमांचित कर रहा था.....
उसकी आवाज़ में इतना प्यार, इतनी चिंता थी कि मेरा दिल पिघल गया।
‘बेचारी… मेरे लिए कितना सोचती है… नीचे होने के बावजूद भी मेरी खुशी का ख्याल…’
मैंने तुरंत कहा, “हाँ खुशबू जी… बिल्कुल… तुम असलम जी के साथ ही सो जाना… अपशकुन नहीं होना चाहिए… मैं खुश हूँ कि तुम इतना सोच रही हो…”.....
खुशबू ने हल्के से थैंक यू कहा और फोन रख दिया।
दूसरी तरफ़, फोन रखते ही खुशबू और असलम एक-दूसरे की तरफ़ देखकर हल्के से हँस पड़े।
खुशबू (मुस्कुराते हुए): “देखा… कितना भोला है… खुद ही परमिशन दे दी… जैसे मैं सच में अपशकुन से डर रही हूँ… हा हा…”
असलम (उसके करीब आकर): “हाँ जान… वो तो तेरा पालतू है… हमारी खुशी में ही खुश रहता है… अब आ… मुझे फिर से उठा…”
उधर दूसरी तरफ में मन ही मन सोच रहा था कि खुशबू कितनी अच्छी है
बेचारी को कितना एडजस्ट करना पड़ रहा है।
ऊपर असलम के साथ बिस्तर शेयर करने का फैसला भी सिर्फ अपशकुन के डर से लिया,
मेरी लंबी उम्र और हमारी शादी की खुशी के लिए
। अगर वो अलग सोती तो क्या होता?
रिसोर्ट वाले शक करते,
डिस्काउंट चला जाता,
फाइन लगता।
लेकिन अब सब ठीक है
वो दोनों एक ही बिस्तर पर सोएंगे, और सुबह जब जय जैसे लोग साफ-सफाई करने जाएंगे,
तो उन्हें लगेगा कि ये सच में पति-पत्नी हैं
वो सब बातें कर रहे थे कि सुबह देखेंगे कैसे मैडम साहब के साथ पड़ी रहती हैं,
लेकिन अब वो शक नहीं होगा।
ये तो प्लस पॉइंट ही है
कम से कम हमारा प्लान सेफ रहेगा।
मैं खुद को ये समझा रहा था, और कहीं न कहीं ये सोचकर खुश भी हो रहा था कि खुशबू मेरे लिए कितना सोचती है।
खुशबू की आँखें चमक उठीं।
पहली बार था जब वो शादी के तीन महीने बाद किसी रियल मर्द से चुदने वाली थी
उसका शरीर पहले से ही सुलग रहा था
ट्रेन की वो छुअन
गोवा की वो घुमाई,
और अब ये कमरा—सब कुछ उसे और ज़्यादा भूखी बना रहा था।
वो असलम के ऊपर चढ़ गई, उसके लंड को फिर से सहलाने लगी।
“असलम जी… ये… कितना ताकतवर है… मैं तो… इसके बिना रह ही नहीं सकती अब…”
असलम ने उसकी कमर पकड़ी, उसे नीचे दबाया।
“जान… आज मैं तुझे पूरा अपना बना दूँगा…”
खुशबू ने आँखें बंद कीं, असलम का लंड अपनी चूत पर रगड़ा।
फिर धीरे से अंदर लिया
“उफ्फ्फ… असलम जी… इतना बड़ा… फट जाऊँगी…”
असलम ने नीचे से धक्का मारा, धीरे-धीरे लेकिन गहरा।
खुशबू की कराह निकली — “आह्ह्ह… हाँ… जोर से…”
वो ऊपर-नीचे होने लगी, जैसे घोड़ी की सवारी कर रही हो।
असलम के हाथ उसकी छाती पर थे, निप्पल्स को मसल रहे थे।
खुशबू की साँसें तेज़, चेहरा पसीने से भरा, लेकिन आँखों में वो भूख—जैसे वो असलम को पूरा निचोड़ना चाहती हो।
असलम ने उसे पलटा, अब वो ऊपर था।
उसकी टाँगें कंधों पर रखीं, और फिर ज़ोरदार धक्के शुरू।
हर धक्के के साथ कमरा गूँज रहा था
बेड की चरमराहट,
खुशबू की चीख़ें।
“असलम जी… बस… अब… नहीं…”
लेकिन वो रुकी नहीं,
उल्टा और चिपक गई।
असलम बोला, “जान… अमित नीचे सोच रहा होगा… हम सो गए होंगे… लेकिन वो क्या जाने… उसकी बीवी आज रात मेरी है…”
खुशबू ने हाँफते हुए हँसी, “हाँ… बेचारा… वो तो नीचे… हमारी सर्विस करता रहेगा…”
और फिर दोनों पूरी तरह से खो गए — असलम के धक्के तेज़, खुशबू की कराहटें गहरी।
रात गहराती गई, और वो दोनों एक-दूसरे में समा गए।
पहली बार, लेकिन जैसे सालों का साथ हो।
अब सिर्फ वो दोनों थे
खुशबू और असलम,
एक-दूसरे की बाहों में,
एक-दूसरे की बॉडी को एक्सप्लोर करते हुए
जैसे दुनिया में और कुछ बचा ही न हो।
असलम का शरीर अभी भी गर्म था,
उसका लंड फिर से तनने लगा था।
खुशबू ने मुस्कुराकर उसे देखा, “असलम जी… लगता है तुम्हें अभी भूख लगी हुई है… मैं तो सोच रही थी थोड़ा रेस्ट कर लें…”
असलम ने उसे अपनी तरफ खींचा, उसकी कमर पर हाथ फेरते हुए बोला,
“जान… तुम्हारे साथ रेस्ट? वो तो सुबह होगा…
अभी तो बस शुरूआत है…
तुम्हारी ये बॉडी… मैं तो बस छूता रहूँ…”
उसने धीरे से खुशबू को बेड पर लिटाया, उसके ऊपर चढ़ गया।
खुशबू ने हल्के से हँसकर उसके सीने पर उँगलियाँ घुमाईं, “अच्छा जी? तो दिखाओ ना… कितनी भूख है तुम्हें…”
वो मजाक में बोली, लेकिन उसकी आँखें पूरी तरह से वासना से भरी थीं।
असलम ने पहले मिशनरी पोज़िशन से शुरू किया
वो खुशबू के ऊपर था, उसके दोनों हाथ उसकी कलाइयों पर कसे हुए, जैसे उसे बाँध रखा हो
धीरे से अपना तगड़ा लंड उसकी चूत पर रगड़ा, फिर एक ही झटके में अंदर घुसा दिया
खुशबू की चीख निकल गई—“आह्ह्ह… असलम जी… धीरे… उफ्फ्फ… कितना… बड़ा है…”
लेकिन वो चीख मस्ती वाली थी, जैसे वो एंजॉय कर रही हो
असलम ने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए, हर धक्के के साथ उसकी छाती उछल रही थी
“जान… तुम्हारी ये चूत… इतनी गर्म… इतनी टाइट… मैं तो पागल हो रहा हूँ…” वो बोला
, और खुशबू ने हँसकर जवाब दिया, “हाँ… तुम्हारे लिए ही तो… और ज़ोर से… दिखाओ ना अपनी ताकत…” वो चिल्ला रही थी,
लेकिन हँसी दबाकर, जैसे खेल रही हो
असलम ने स्पीड बढ़ाई, उसके कंधों पर किस करते हुए, “तुम्हारी ये कराहटें… मुझे और भड़का रही हैं… चिल्लाओ… और चिल्लाओ…”
खुशबू ने अपनी टाँगें उसकी कमर पर लपेट लीं,


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