Thread Rating:
  • 22 Vote(s) - 2.5 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Adultery मेरी खूबसूरत पत्नी खुशबू भोला भाला बुद्धू सा में और बहुत सारे ,., मर्द
Ab शाम हो चुकी थी ......और वहां से विदा लेकर मैं और जय ऊपर खुशबू और असलम के सुइट की तरफ चल पड़े....... जय के साथ अब मेरी अच्छी बॉन्डिंग बन चुकी थी...... वह मुझे भाई-भाई कहकर बुलाता था...... और मैं भी उसे भाई कहकर पुकारता था....... हम दोनों का एक ही काम था कि रिसोर्ट में आए हुए मेहमानों की अच्छे से सर्विस करना...... इसलिए हम दोनों के बीच में एक भाईचारा जैसा बन गया था....... मैं भी अब जय से खुलकर बात करने लगा था....... और वह भी मेरे साथ........


हम दोनों कमरे में दाखिल हुए...... जय ने पहले तो मुझे रिसोर्ट की तरफ से मिली हुई महंगी महंगी और लग्जरियस चीजों का बड़ा सा बॉक्स दिखाया...... जो खास तौर पर हनीमून कपल्स के लिए रिजर्व रखा जाता था....... वह बॉक्स खोलकर जय ने मुझे एक-एक करके सारी चीजें दिखानी शुरू की........


सबसे पहले तो उसने एक महंगी वाली शैंपेन की बोतल निकाली...... जो फ्रांस से इंपोर्ट की हुई थी...... उसकी कीमत ही करीब 10 हजार रुपए थी....... फिर उसने दो क्रिस्टल ग्लास निकाले...... जो इतने नाजुक और शाइनिंग थे कि जैसे ही रोशनी पड़ती थी...... वह चमक उठते थे....... फिर उसने एक छोटा सा ट्रे निकाला...... जिसमें चॉकलेट कवर स्ट्रॉबेरी थी...... जो स्पेशल तरीके से तैयार की गई थी...... ताकि खाने में भी मजा आए और देखने में भी सेक्सी लगे....... फिर उसने एक बड़ा सा गुलदस्ता निकाला...... जो गुलाब की पंखुड़ियों से भरा हुआ था...... डार्क रेड कलर का...... जो पूरा बेड पर बिखेरने के लिए था....... फिर उसने कुछ सुगंधित कैंडल्स निकाली...... जो जलाने पर कमरे में एक कामुक खुशबू फैलाती थी...... जैसे लैवेंडर और वनीला का मिश्रण...... जो कपल को और रोमांटिक मूड में ले जाता था....... फिर उसने एक छोटा सा स्पा किट निकाला...... जिसमें बॉडी ऑयल, मसाज क्रीम और कुछ सेक्स टॉयज जैसे वाइब्रेटर और हैंडकफ्स थे...... जो हल्के प्ले के लिए रखे जाते थे....... और आखिर में उसने सिल्क की चादरें निकाली...... जो बेड पर बिछाने के लिए थी...... इतनी सॉफ्ट और स्लिपरी कि उस पर लेटकर कपल को अलग ही मजा आए........


जय ने मुझे सब कुछ दिखाते हुए कहा, "भाई, देख..... इस तरह की महंगी होटल में फर्स्ट नाइट के लिए कमरा ऐसे ही सजाया जाता है..... यहां आने वाले कपल अमीर होते हैं..... और उनकी फर्स्ट नाइट को यादगार बनाना हमारा काम है..... शैंपेन से शुरू करके, ये कैंडल्स जलाकर कमरा रोमांटिक बनाते हैं..... पंखुड़ियां बिखेरकर बेड को जैसे कोई स्वर्ग बना देते हैं..... और ये स्पा किट..... वो तो कपल को और करीब लाने के लिए..... मसाज, प्ले..... सब कुछ..... ताकि रात भर वो लोग एक दूसरे में खो जाएं..... कोई डिस्टर्बेंस न हो....."


मैं सब सुनकर हल्का-हल्का मुस्कुरा रहा था..... मन ही मन सोच रहा था कि यह सब कितना व्यर्थ है..... क्योंकि खुशबू और असलम तो सच में कपल थोड़े हैं..... वह तो सिर्फ दिखावा है..... डिस्काउंट के लिए..... और ऊपर से खुशबू मेरी पत्नी है..... वह असलम के साथ थोड़ी रात गुजारेगी..... लेकिन फिर भी, मैंने जय से कहा, "हां भाई, सही कह रहे हो..... चलो, शुरू करते हैं..... कमरा सजाते हैं....."


जय ने हंसकर कहा, "हां भाई, लेकिन पहले ये वॉशरूम साफ कर ले..... क्योंकि फर्स्ट नाइट में कपल को शावर लेना पड़ता है..... साथ में..... तो वो भी क्लीन और रेडी होना चाहिए..... तू कर ले ना..... मैं बाहर बेड सजाता हूं....."


मैंने हां में सिर हिलाया और वॉशरूम में चला गया..... वहां पर खुशबू का इस्तेमाल किया हुआ टॉवल पड़ा था..... उसकी खुशबू आ रही थी..... मैंने उसे साइड रखा और सिंक, शावर, टब सब साफ करने लगा..... मन ही मन सोच रहा था कि बेचारी खुशबू..... कितनी परेशानी में है..... लेकिन वह तो मेरे लिए इतना एडजस्ट कर रही है..... तो मैं भी थोड़ा बहुत कर ही सकता हूं..... वॉशरूम साफ करते हुए मैंने गौर किया कि वहां पर खुशबू की ब्रा और पैंटी भी पड़ी थी..... जो वह चेंज करके छोड़ गई थी..... मैंने उन्हें उठाया..... हल्का सा सूंघा..... और फिर साइड में रख दिया..... मन में एक हल्का सा रोमांच हुआ..... लेकिन मैंने खुद को रोका..... और वॉशरूम को चमकदार बना दिया..... जैसे कोई नया हो......


बाहर जाकर देखा तो जय ने बेड पर सिल्क की चादर बिछा दी थी..... गुलाब की पंखुड़ियां बिखेर दी थी..... कैंडल्स लगा दी थी..... शैंपेन और ग्लास टेबल पर रख दिए थे..... स्पा किट साइड में रखी थी..... पूरा कमरा जैसे किसी रोमांटिक मूवी का सेट लग रहा था..... लाइट्स डिम थी..... खुशबू वाली..... और बैकग्राउंड में हल्का सा म्यूजिक प्लेयर भी सेट कर दिया था..... जय ने मुझे देखकर कहा, "देख भाई, ऐसा सजाते हैं..... ताकि मैडम और साहब आकर सीधे मूड में आ जाएं....."


जय मन ही मन सोच रहा था..... 'वाह रे क्या माल है ये मैडम..... इतनी सेक्सी, इतनी हॉट..... आज रात तो साहब की निकल पड़ेगी..... ये साली गुजराती फटाका पूरी रात चुदवाएगी..... देखो ना कितनी छोटी ड्रेस पहनी थी..... गांड तो जैसे बाहर निकलने को तैयार थी..... और छाती..... उफ्फ..... साहब तो उनको दबाकर, चूसकर, निचोड़कर पूरा मजा लेंगे..... रात भर ये कमरा हिलेगा..... ये बेड टूटेगा..... मैडम की चीखें निकलेंगी..... 'असलम जी.... जोर से.... और जोर से....' हा हा हा..... और वो साहब का तगड़ा लंड..... मैडम की चूत को फाड़ देगा..... पूरी रात चुदाई का खेल चलेगा..... सुबह मैडम ठीक से चल भी नहीं पाएगी..... गांड लाल हो जाएगी..... छाती पर दांतों के निशान..... वाह रे क्या रात होगी..... मैं तो कल सुबह कमरा साफ करने आऊंगा तो देखूंगा..... कंडोम के पैकेट बिखरे होंगे..... वीर्य की बूंदें..... मैडम की पैंटी फटी हुई..... हा हा..... साहब तो मैडम को कुत्तिया बनाकर चोदेंगे..... पीछे से..... आगे से..... मुंह में..... हर तरह से..... मैडम तो रोएगी मजा लेकर..... 'असलम जी.... बस.... अब नहीं....' लेकिन साहब कहेंगे..... 'अभी तो शुरू हुआ है जान.....' उफ्फ..... क्या सीन होगा..... ये अमित बेचारा यहां सजा रहा है..... लेकिन आज रात तो मैडम साहब की अमानत बनेगी..... पूरी तरह से.....'


जय की इन कल्पनाओं से उसका मन मचल रहा था..... वह बार-बार कमरे की सजावट देखकर मुस्कुरा रहा था..... और मुझे देखकर सोच रहा था, 'बेचारा ये अमित..... अपनी मैडम के लिए कमरा सजा रहा है..... लेकिन आज रात तो मैडम किसी और के नीचे होगी..... चुदते हुए..... हंसते हुए..... मजा लेते हुए.....'


फिर जय ने मुझे देखकर बात शुरू की, "भाई अमित, तू तो बड़ा खुश लग रहा है..... कमरा सजाते हुए..... तेरी मैडम और साहब कितने सेक्सी लग रहे थे ना..... साथ में..... आज रात तो उनकी बल्ले-बल्ले हो जाएगी....."


मैं हल्का सा मुस्कुराया, लेकिन मन ही मन सोच रहा था कि यह सब व्यर्थ है..... खुशबू और असलम थोड़ी ना साथ सोएंगे..... वह तो अलग-अलग सोएंगे..... यह सजावट तो बस दिखावा है..... रिसोर्ट वालों को खुश करने के लिए..... मैंने जय से कहा, "हां भाई, लेकिन तू इतना एक्साइटेड क्यों है? जैसे तेरी खुद की फर्स्ट नाइट हो....."


जय हंसकर बोला, "अरे भाई, मैंने कितने कपल्स को देखा है..... इस तरह की होटल में..... फर्स्ट नाइट के लिए कमरा सजाते हुए..... लेकिन तेरी मैडम जैसी हॉट और सेक्सी लड़की..... और साहब जैसा तगड़ा मर्द..... पहली बार देखा..... आज रात तो कमरा हिलेगा..... मैडम की चीखें निकलेंगी..... साहब मैडम को पूरी रात चोदेंगे..... पीछे से, आगे से..... मैडम तो साहब के लंड पर नाचेंगी..... पूरी रात जागकर..... मजा लेकर..... सुबह मैडम की हालत देखने लायक होगी..... गांड लाल, छाती पर निशान..... हा हा..... तू सोच..... हम यहां सजा रहे हैं..... लेकिन असल मजा तो साहब लेंगे..... मैडम की चूत को फाड़कर....."


मैं हल्का सा असहज हुआ, लेकिन मन ही मन सोच रहा था कि जय कितना गलत सोच रहा है..... खुशबू थोड़ी ना असलम के साथ सोएगी..... वह तो मेरी पत्नी है..... लेकिन मैंने उसे रोकने की बजाय बस हंस दिया, "हां भाई, तू तो बड़ा एक्सपीरियंस वाला लग रहा है....."


जय बोला, "हां भाई, मैंने देखा है..... ऐसे कमरों में क्या होता है..... सुबह आकर साफ करता हूं..... कंडोम बिखरे रहते हैं..... वीर्य की बूंदें..... मैडम की पैंटी फटी हुई..... साहब मैडम को कुत्तिया बनाकर चोदते हैं..... मैडम चिल्लाती हैं..... 'जोर से.... और जोर से....'..... आज तेरी मैडम भी वैसा ही करेगी..... साहब का तगड़ा लंड लेगी..... पूरी रात..... उफ्फ..... क्या रात होगी....."


मैं मन ही मन हंस रहा था..... सोच रहा था कि बेचारा जय कितनी अश्लील कल्पना कर रहा है..... लेकिन वह क्या जाने..... कि खुशबू और असलम तो बस दिखावा कर रहे हैं..... वह थोड़ी ना एक दूसरे के साथ रात गुजारेंगे..... मैंने उसे रोकने की बजाय बस काम पर लगे रहने को कहा......


लेकिन सच्चाई यह थी कि कमरा सजाते हुए मैं भी पूरे मन, दिल और उत्साह से लगा हुआ था..... जैसे मैं कुछ समय के लिए भूल ही गया हो कि यह कमरा अपनी ही दू पत्नी और अपने ही स्लिम दोस्त के लिए सजा रहा हूं..... मेरे दिमाग में बस यह चल रहा था कि कमरा जितना अच्छा सजेगा..... रिसोर्ट वाले उतने खुश होंगे..... और हमारा डिस्काउंट सुरक्षित रहेगा..... मैंने पंखुड़ियां बिखेरी..... कैंडल्स लगाई..... शैंपेन ठंडी की..... स्पा किट को अच्छे से सेट किया..... जैसे मैं सच में किसी कपल की फर्स्ट नाइट सजा रहा हो..... मेरी गांड और जांघों की कल्पना करके भी मैं एक्साइटेड हो रहा था..... लेकिन सोच रहा था कि यह सब व्यर्थ है......


फिर सजावट खत्म हो जाने के बाद जब मैंने कमरा देखा..... तो मेरे दिलो-दिमाग में अलग ही तरह का रोमांच महसूस हुआ..... पूरा कमरा जैसे किसी सुहागरात का सेट लग रहा था..... लाल पंखुड़ियां बिखरी हुई..... कैंडल्स की रोशनी..... सुगंधित हवा..... सिल्क की चादरें..... शैंपेन चमक रही थी..... मन में एक झटका सा लगा..... कि अगर खुशबू और असलम सच में यहां रात गुजारेंगे तो..... क्या होगा..... लेकिन तुरंत ही मैंने खुद को झिड़का..... अरे नहीं..... वह तो मेरी पत्नी है..... वह ऐसा थोड़ी करेगी..... लेकिन वह रोमांच..... वह कल्पना..... मेरे मन से जा ही नहीं रही थी..... मेरे रोंगटे खड़े हो गए..... और नीचे लंड में हलचल सी हो गई..... जैसे मैं चाह रहा हो कि काश..... यह सब सच हो..... लेकिन फिर मैंने खुद को संभाला..... और जय के साथ नीचे चला गया..... इंतजार करने लगा..... शाम के डिनर के खत्म होने का.....।




(रात के दस बज चुके थे। कैंडल-लाइट डिनर खत्म हो चुका था। खुशबू और असलम हँसते-बातें करते, हाथ में हाथ डाले ऊपर सुइट की तरफ चले। मैं और जय दोनों दरवाजे के बाहर खड़े थे, जैसे दो नौकर इंतज़ार कर रहे हों कि मालिक-मालकिन का।)

दरवाज़ा खुला।

पहली नज़र में ही खुशबू की आँखें चमक उठीं।  
“ओह माय गॉड… असलम जी… देखो ना… कितना ख़ूबसूरत सजाया है!”  
उसने एकदम बच्ची जैसी चीख़ मारी और बेड की तरफ़ दौड़कर गई। लाल गुलाब की पंखुड़ियाँ सिल्क की चादर पर बिखरी थीं, कैंडल्स की हल्की-हल्की लौ कमरे को सोने-सा चमका रही थी, शैंपेन की बोतल आइस बकेट में ठंडी हो रही थी, और हवा में वो कामुक लैवेंडर-वनीला की महक फैली थी।

असलम ने धीरे से सीटी बजाई, “वाह… कमाल कर दिया भाई ने… आज तो स्वर्ग में ही सोना है।”

दोनों एक-दूसरे की तरफ़ देखकर शैतानी मुस्कान बाँटते हैं।  
मन ही मन दोनों एक ही बात सोच रहे थे:

खुशबू (अंदर से हँसते हुए): अरे वाह रे अमित… सच में कितना बड़ा बेवकूफ़ है तू…  
अपनी हदू बीवी की सुहागरात का कमरा इतने प्यार से सजा रहा है…  
और वो भी मेरे मु
स्लिम शौहर के लिए…  
जिसके नीचे मैं आज पूरी रात करवाने वाली हूँ…  
हा हा हा… बेचारा खुद पंखुड़ियाँ बिछा रहा है… जिस पर मैं चुदवाऊँगी…

असलम (अंदर से): यार अमित… तू तो साला नंबर वन का चमचा निकला…  
अपनी बीवी को मेरे बिस्तर तक पहुँचाने के लिए खुद ही रास्ता साफ़ कर रहा है…  
आज रात तो मैं तेरी बीवी को ऐसा चोदूँगा कि वो तुझे भूल ही जाए…  
और तू नीचे सर्वेंट क्वार्टर में हमारी चुदाई की फोटोज देखकर मुट्ठ मारता रहेगा…  
परफेक्ट चूतिया है साला…

बाहर खड़े हम दोनों को देखकर खुशबू ने अपना शुगर-कोटेड वाला प्यार भरा चेहरा तुरंत ऑन कर लेती है।  
वह मेरे पास आई, मेरे गाल पर प्यार से हाथ फेरा और बोली,

“अमित… सच में… तुमने कमरा इतना प्यारा सजाया है ना…  
मुझे तो सच में लगा जैसे कोई सपना देख रही हूँ…  
तुमने इतनी मेहनत की… मेरे लिए… हमारे लिए…  
थैंक यू सो मच जान…  
मैं बहुत बहुत खुश हूँ… सच में…”

उसकी आवाज़ में इतना प्यार था कि मेरा दिल पिघल गया।  
मैंने शरमाते हुए कहा, “अरे खुशबू जी… बस आप खुश रहो… बस…”

असलम ने अपना वॉलेट निकाला, दो-दो हज़ार के नोट निकाले — एक मेरे हाथ में, एक जय के हाथ में ठूँस दिया।  
“ले भाई… ले जय… आज तुम दोनों ने कमाल कर दिया…  
मूड ही बना दिया… अब तो रात यादगार होकर रहेगी…”

जय ने नोट लेते हुए शैतानी मुस्कान दी और बोला, “थैंक यू सर… बहुत बहुत शुक्रिया… आप दोनों खूब एंजॉय कीजिए… पूरी रात…”  
और आँख मारते हुए चला गया।

दरवाज़ा हल्का सा बंद हुआ। अब कमरे में सिर्फ़ हम तीन थे।

खुशबू मेरे पास आई, मेरे कंधे पर हाथ रखा और धीरे-धीरे बोली,  
“सुनो ना जान… आज रात तुम थोड़ा इंतज़ार करना ठीक है…?  
मैं तुम्हें कुछ बहुत स्पेशल भेजूँगी…  
जैसे तुम्हें बहुत पसंद है ना…?  
तुम बस थोड़ा सब्र रखना… मैं तुम्हें खुश कर दूँगी… बहुत खुश…”


और हाँ… अगर रात में मुझे तुम्हारी कोई ज़रूरत पड़े… कोई छोटा-मोटा काम… या बस बात करने का मन हो…
तो मैं तुझे ऊपर बुला लूँगी… तू तैयार रहना ना… मेरे प्यारे…
तुम तो हमेशा मेरे पास रहते हो ना…?”

उसकी आँखों में वो शैतानी चमक थी, लेकिन मैंने उसे प्यार समझ लिया।  
मैंने हँसकर सिर हिलाया, “हाँ खुशबू जी… मैं इंतज़ार करूँगा…”


खुशबू ने मुझे गले लगाया, गाल पर हल्का सा किस किया और धीरे से कान में फुसफुसाई,  
“गुड नाइट जान… आज रात तुम बहुत खुश होने वाले हो…”

फिर दोनों ने मुझे प्यार से दरवाज़े तक छोड़ा।


(दरवाज़ा हल्का-सा खुला रह गया था। मैं अभी सीढ़ी पर ही खड़ा था।
अंदर से उनकी आवाज़ें बहुत धीमी थीं, जैसे कोई राज़ की बात हो रही हो, लेकिन हवा में तैरती हुई मेरे कानों तक पहुँच रही थीं…)
असलम (धीमी, शरारती हँसी के साथ):
“सच में… बेचारा कितना प्यारा है यार…
इतनी मेहनत से सजाया है… और ऊपर से तैयार रहने को कह गया…
जैसे सच में हमारी ‘यादें’ बनाने में उसका दिल लगा है…”
खुशबू (हल्के से ठहाका दबाते हुए, बहुत नरम और मिठास भरी आवाज़ में):
“हाँ ना…
मैंने कहा ना… वो हमेशा मेरे लिए कुछ स्पेशल करता रहता है…
आज भी कर रहा है…
चलो… अब ये शैंपेन खोलो ना…
इतनी ख़ूबसूरत माहौल बनाया है…
इसका तो पूरा हक़ बनता है… कि हम इसे और भी ख़ास बना दें…”
असलम (ग्लास चटकाने की हल्की आवाज़, फिर बहुत करीब से):
“हाँ… बिल्कुल…
आज रात तो बस हम दोनों हैं…
कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा…
और जो करेगा… वो भी हमारी खुशी के लिए ही करेगा…”
खुशबू (एक लंबी, मादक साँस छोड़ते हुए, हल्के से हँसकर):
“ह्म्म… बिल्कुल…
तुम बस मेरे साथ रहो…
बाकी सब… अपने आप हो जाएगा…”
फिर एक हल्की-सी चीख़, एक गुदगुदी भरी हँसी, और बेड के स्प्रिंग की हल्की-सी आवाज़।

असलम ने दरवाज़ा धड़ाम से बंद कर दिया।  
अंदर से खुशबू की हल्की सी चीख़ और फिर ठहाका गूँजा।

मैं वहीं खड़ा रहा कुछ पल।  
कान लाल हो गए थे।  
दिल धक-धक कर रहा था।  
लेकिन नीचे लंड एकदम टाइट।

फिर मैं धीरे-धीरे सीढ़ियाँ उतरता हुआ नीचे सर्वेंट क्वार्टर की तरफ़ चल पड़ा।  
दिल में एक अजीब सी बेचैनी और बेसब्री।

जैसे कोई कुत्ता हड्डी का इंतज़ार कर रहा हो।



नीचे सर्वेंट क्वार्टर में पहुँचते ही जय ने मुझे कमरे में खींचा। वहाँ पहले से ही तीन-चार और नौकर बैठे हुए थे—सभी रिसोर्ट के स्टाफ, जो रात की शिफ्ट के बाद रिलैक्स कर रहे थे। कमरा छोटा था, चारों तरफ गद्दे बिछे हुए, हवा में पसीने और सस्ती शराब की मिली-जुली महक। वे सब चाय पीते हुए गपशप कर रहे थे, और जैसे ही हम आए, सबकी नज़रें हम पर टिक गईं।

“अरे भाई अमित आ गया… आज की रात का हीरो!”  
एक नौकर—जिसका नाम राजू था—ने ज़ोर से हँसकर कहा। वह मोटा-ताजा आदमी था, रिसोर्ट में किचन हेल्पर। बाकी सब भी हँस पड़े।

जय ने मुझे बगल में बिठाया और बोला, “भाई, बता ना… ऊपर क्या हाल है? वो मैडम और साहब… कितने खुश लग रहे थे? हमने तो कमरा ऐसा सजाया है कि आज रात तो वो लोग भूल ही जाएँगे कि बाहर दुनिया भी है…”

राजू ने तुरंत ही टांग खींची, “अरे भूल क्या… आज रात तो वो मैडम की कमर टूट जाएगी… देखा ना कितनी हॉट लग रही थी… वो छोटी-सी ड्रेस… गांड तो जैसे बाहर निकलने को तैयार… और साहब… वो तो शेर लग रहा था… आज रात मैडम को उठा-उठाकर मजे लेगा… पीछे से, आगे से… पूरी रात चुदाई का खेल चलेगा… सुबह मैडम ठीक से चल भी नहीं पाएगी…”

दूसरा नौकर—कमल—ने हँसते हुए जोड़ा, “हाँ रे… हमने कितने कपल्स देखे हैं… लेकिन ये वाली मैडम… उफ्फ… वो गोरी-गोरी जाँघें… साहब तो उन पर हाथ फेरते-फेरते ही पागल हो जाएगा… और वो छाती… दबाकर, चूसकर… मैडम तो चिल्लाएगी… ‘असलम जी… जोर से…’ हा हा हा… और हम नीचे सोएंगे… सोचकर ही मजा आ रहा है…”

तीसरा—विजय—ने चाय का घूँट भरते हुए कहा, “अरे अमित… तू तो उनका पर्सनल नौकर है ना… तुझे तो पता होगा… मैडम कितनी गर्म है? आज रात साहब मैडम को कुत्तिया बनाकर चोदेगा… पूरी रात बेड हिलेगा… हम तो कल सुबह कमरा साफ करने जाएँगे तो देखेंगे… उफ्फ… क्या सीन होगा…”

वे सब मुझे घेरकर बैठे थे, जैसे मैं उनका ही एक साथी हूँ—निचले तबके का नौकर। मुझे चिढ़ा रहे थे, मजाक में परेशान कर रहे थे, लेकिन टोन ऐसी थी जैसे वे सब मेरे भाई हैं, बस मस्ती कर रहे हैं। राजू ने मेरे कंधे पर हाथ रखा, “अरे अमित… तू क्यों चुप है? बोल ना… तेरी मैडम आज रात कितना मजा लेगी? साहब का तगड़ा लंड लेगी… चूत फाड़ देगा… मैडम रोएगी मजा लेकर… ‘बस… अब नहीं…’ लेकिन साहब कहेंगे… ‘अभी तो शुरू हुआ है…’ हा हा… हम नौकरों की किस्मत ऐसी ही है भाई… अपने मालिक-मालकिन की खुशी में ही खुश होना पड़ता है… उनके टुकड़ों पर पलना पड़ता है…”

कमल ने जोड़ा, “हाँ रे… हम जैसे नौकरों की ज़िंदगी यही है… मालिक ऊपर मजे लेते हैं… हम नीचे सोचकर खुश होते हैं… तू भी सोच… तेरी मैडम आज रात साहब के नीचे होगी… पूरी तरह से… चुदते हुए… हँसते हुए… मजा लेकर… और तू यहां हमारे साथ… उनके टुकड़े खाकर… लेकिन यही तो हमारी खुशी है ना… मालिक खुश, हम खुश…”

विजय ने हँसकर कहा, “अरे अमित… तू तो उनका स्पेशल नौकर है… कल सुबह बताना… कमरा कैसा लगेगा… मैडम की चीखें सुनी क्या रात में? साहब मैडम को हर तरह से चोदेंगे… मुंह में… पीछे से… हम तो बस कल साफ करेंगे… लेकिन तू सोच… उनकी खुशी में तेरी भी खुशी है… नौकरों की ज़िंदगी ऐसी ही होती है भाई… मालिक-मालकिन के लिए जीना… उनके टुकड़ों पर पलना…”

जय ने सबको चुप कराया और बोला, “अरे छोड़ो… अमित भाई थक गया होगा… लेकिन सच में भाई… तेरी मैडम… आज रात तो साहब की होकर रहेगी… पूरी तरह से… हम जैसे नौकर बस यही सोचकर खुश होते हैं…”

ये सब सुनकर मेरी मनोस्थिति अजीब हो गई थी। एक तरफ़ अच्छा लग रहा था—जैसे ये सब मेरी ही दुनिया है, इनकी बातों में एक अजीब-सी उत्तेजना थी। दूसरी तरफ़ अजीब भी लग रहा था—ये मेरी पत्नी और दोस्त के बारे में बात कर रहे थे… अपने आप पर गर्व भी महसूस हो रहा था कि वह मेरी ही पत्नी के बारे में और उसके फिगर के बारे में उसकी जवानी के बारे में यह सारी बातें कर रहे हैं तो मैं कितना लकी हूं कि इतने निचले टपte के मर्द लोग भी खुशबू की जवानी के पीछे इतने दीवाना है........ लेकिन फिर भी, मैं विरोध नहीं कर पाया। मैं हल्का-सा हँसा और बोला, “हाँ भाई… सही कह रहे हो… मालिक-मालकिन खुश रहें… बस…”

वे सब हँस पड़े।

और न जाने क्यों… मैं अपने रोल में इतनी शिद्दत से खो गया कि एक पल के लिए तो मैं भूल ही गया कि ये सब मेरी हदू पत्नी और स्लिम दोस्त के बारे में बात कर रहे हैं। ......
मैंने खुद को सच में उनका नौकर समझ लिया—नीचे का आदमी, जो मालिक-मालकिन की खुशी में ही अपनी खुशी ढूँढता है।  
उनके टुकड़ों पर पलता है।  
जैसे मेरी ज़िंदगी यही है—सर्विस करना, इंतज़ार करना, और उनकी मस्ती की कल्पना करके खुश होना।  
मैं बस चुपचाप चाय पीता रहा, उनकी बातें सुनता रहा… और अंदर से एक अजीब-सी शांति महसूस कर रहा था।.....

उधर ऊपर....


असलम ने दरवाज़ा बंद किया।


 कमरे की वो डिम लाइट्स, कैंडल्स की हल्की-हल्की लौ, और गुलाब की पंखुड़ियों की महक—सब कुछ जैसे उन्हें और करीब खींच रही थी। 



खुशबू ने असलम का हाथ पकड़ा और धीरे से बेड की तरफ़ ले गई



कोई जल्दबाजी नहीं थी। 


दोनों जानते थे कि रात लंबी है, लेकिन उनके सर और शरीर में वो वासना की आग धीरे-धीरे सुलग रही थी। 



शुरू में तो दोनों ने सिर्फ़ सेक्स ड्राइव मिटाने के लिए ही एक-दूसरे को चुना था—



खुशबू को असलम की मर्दाना ताकत और असलम को खुशबू की शातिर सेक्सीनेस पसंद आई थी।



 लेकिन इन दो दिनों की हनीमून वाली हालत ने कुछ बदल दिया था। 


ट्रेन की वो चिपककर सोना, 

गोवा की वो घुमाई, 


और अब ये सजाया हुआ कमरा—ये सब उन्हें रोमांटिक फीलिंग्स की तरफ़ धकेल रहा था। 



जैसे वे सच में नई नवेली शादीशुदा जोड़ी हों।

खुशबू बेड पर बैठ गई, असलम उसके बाजू में। वह शैंपेन की बोतल उठाकर बोली, “असलम जी… चलो, आज की शाम को सेलिब्रेट करते हैं… तुम्हें पता है, मैंने कभी सोचा नहीं था कि हनीमून इतना मज़ेदार होगा… तुम्हारे साथ…”

असलम ने बोतल खोली, ग्लास भरे और एक ग्लास खुशबू को थमाया। उसने हल्की-सी घूँट ली और बोला, “जान… तुम्हारे साथ तो हर शाम मज़ेदार लगती है… लेकिन आज… ये कमरा देखो… जैसे हमारे लिए ही बना हो… मैं तो कहता हूँ, आज रात हम दोनों बिल्कुल वैसे ही रहेंगे जैसे असली हसबैंड-वाइफ…”




खुशबू ने हँसते हुए उसकी छाती पर हल्का-सा थप्पड़ मारा, “अच्छा जी? असली हसबैंड-वाइफ? तो बताओ ना… तुम्हें मेरी कौन-सी बात सबसे ज़्यादा पसंद है? मेरी मुस्कान? या… ये छोटी-छोटी ड्रेसेस?” वह अपनी ड्रेस को हल्का-सा नीचे खींचकर शरारत से बोली।

असलम ने उसके कंधे पर हाथ रखा, धीरे से सहलाते हुए कहा, “सब कुछ… लेकिन सबसे ज़्यादा तुम्हारी वो शैतानी आँखें… जो कहती हैं कि तुम कितनी वाइल्ड हो… और हाँ, तुम्हारी वो हँसी… जो मुझे पागल कर देती है… अब तुम बताओ, मेरी कौन-सी बात तुम्हें पसंद है? मेरी ताकत? या… ये कि मैं तुम्हें कभी बोर नहीं होने देता?”





खुशबू ने ग्लास साइड में रखा और असलम के करीब सरक गई। 


उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं, लेकिन वो रुकना नहीं चाहती थी। 


“तुम्हारी ताकत… हाँ… वो मुझे सुरक्षित महसूस कराती है… जैसे तुम मेरे साथ हो, तो कुछ भी हो सकता है… और हाँ, 


तुम्हारी वो नज़रें… जो मुझे देखती हैं जैसे मैं दुनिया की सबसे ख़ूबसूरत चीज़ हूँ…” 



वह असलम के गाल पर हल्का-सा किस कर बैठी।






असलम ने उसे अपनी बाहों में खींच लिया, धीरे से उसकी कमर सहलाई। “जान… ये दो दिन… ट्रेन से लेकर यहाँ तक… 



मैंने कभी सोचा नहीं था कि हम इतने करीब आ जाएँगे…


 सिर्फ़ मज़े के लिए नहीं… बल्कि… कुछ और के लिए…” 



उसकी आवाज़ में एक नरमी थी, जो वासना से मिश्रित थी।





खुशबू ने असलम के कान में फुसफुसाया, “हाँ… मैं भी… लेकिन अब… मुझे थोड़ा तैयार होने दो… तुम्हारे लिए… स्पेशल…” 




वह उठी, असलम को आँख मारी और वॉशरूम की तरफ़ चली गई। असलम ने मुस्कुराकर सिर हिलाया।




वॉशरूम में खुशबू ने अपनी बैग से वो नई लिंगरी निकाली—


जो सलीम की शॉप से ली थी। 



बहाना तो अमित के लिए दिया था कि ये उसके लिए है, लेकिन अब वो असलम के लिए पहनने जा रही थी। 



गहरे लाल रंग की ब्रा और पैंटी, जो इतनी टाइट और सेक्सी थी कि उसकी बॉडी को और हाइलाइट करती थी। वह तैयार हुई, हल्का-सा परफ्यूम लगाया, और बाहर आई।





असलम की आँखें फैल गईं। “जान… ये… तुम… उफ्फ… क्या लग रही हो…” वह उठा, खुशबू को पास खींचा और उसकी कमर पर हाथ फेरा। “ये… मेरे लिए? सच में… मैं तो पागल हो जाऊँगा…”





खुशबू ने शरमाते हुए, लेकिन शैतानी से कहा, “हाँ… तुम्हारे लिए… लेकिन याद है ना… अमित सोच रहा होगा कि ये सब उसके लिए था… हा हा… बेचारा…”





असलम ने हल्के से हँसकर कहा, “हाँ… अमित… वो तो हमारा फोटोग्राफर है… लेकिन आज रात… मैं उसे एक-दो फोटोज भेज दूँगा… ताकि वो भी खुश रहे… नीचे…”

खुशबू ने असलम के सीने पर सिर रखा, “हाँ… बेचारा… इतनी मेहनत करता है… हमारे लिए… लेकिन अब… तुम्हारे साथ… मुझे कितना अच्छा लग रहा है… जैसे सच में हम…” वह रुकी, असलम को गहराई से देखा।






अब वासना हावी हो चुकी थी। असलम ने खुशबू को बाहों में भरा और धीरे से किस किया—पहले होठों पर, फिर गले पर। 



खुशबू ने अपनी आँखें बंद कीं, उसके कंधे पकड़े। दोनों जैसे भूखे शेर और शेरनी थे—



असलम ने खुशबू को उठाकर बेड पर लिटाया, उसकी लिंगरी को सहलाते हुए। “जान… तुम्हारी ये बॉडी… मैं तो बस… तुम्हें छूना चाहता हूँ… हर जगह…”





खुशबू ने उसे खींचा, “हाँ… असलम जी… धीरे-धीरे… लेकिन रुको मत… ”



खुशबू ने असलम की शर्ट उतारी, उसके सीने को चूमा।

 असलम ने उसकी ब्रा खोली, धीरे-धीरे उसके शरीर को सहलाया।


 दोनों एक-दूसरे में खो गए—किस करते, सहलाते, एक-दूसरे की बॉडी को एक्सप्लोर करते।



 खुशबू ने असलम के कान में कहा, “असलम जी… अमित को पता चलेगा तो…!???? लेकिन वो तो हमारा साथी है… बेचारा…”

असलम ने हल्के से हँसकर कहा, “हाँ… वो तो नीचे है… हमारी सर्विस करता रहेगा… लेकिन तुम… तुम मेरी हो… आज रात…”


खुशबू की साँसें तेज़ हो गईं, लेकिन वो रुकना नहीं चाहती थी। दोनों बेड पर लेट गए, असलम की शर्ट उतरी, खुशबू ने उसके सीने को सहलाया।


 “असलम जी… आज रात… मैं तुम्हें पूरा मजा दूँगी… लेकिन धीरे-धीरे…”

असलम ने हँसकर कहा, “जान… तुम्हारी ये लिंगरी… ll



वासना अब हावी हो चुकी थी, 


लेकिन रोमांटिक फीलिंग्स भी मिक्स हो गई थीं।



 असलम ने खुशबू की ब्रा उतारी, उसके निप्पल्स को धीरे से सहलाया। 


खुशबू ने आँखें बंद कीं, “उफ्फ… असलम जी… तुम्हारी उँगलियाँ… जादू कर रही हैं…” 



फिर वो नीचे सरकी, असलम की पैंट उतारी। उसका तगड़ा, तना हुआ लंड बाहर आया—काला, मोटा, और इतना बड़ा कि खुशबू की आँखें चमक उठीं।






खुशबू ने धीरे से उसे हाथ में लिया, सहलाया। “असलम जी… ये… कितना ताकतवर है… मैं तो बस… इसे महसूस करना चाहती हूँ…” 




वो नीचे झुकी, पहले टोपे पर हल्का-सा किस किया, फिर जीभ से चाटा। 




असलम की सिसकारी निकली, “जान… उफ्फ… तुम… स्वर्ग में ले जा रही हो…” 




खुशबू ने मुस्कुराकर उसे देखा, फिर धीरे-धीरे मुंह में लिया—पहले आधा, फिर पूरा। 




उसकी जीभ लंड के चारों तरफ़ घूम रही थी, जैसे वो हर इंच को चख रही हो।




 वो भूखी शेरनी की तरह थी—धीरे-धीरे, लेकिन पूरी ताकत से चूस रही थी, जैसे वो पूरा निचोड़कर ही मानेगी। 



उसके होंठ ऊपर-नीचे सरक रहे थे, सलाइवा से लंड चमक रहा था। 



वो बीच-बीच में रुकती, जीभ से टोपे को घुमाती, फिर और गहराई से लेती।






असलम को लग रहा था जैसे वो सातवें आसमान पर है



उसकी आँखें बंद थीं, हाथ खुशबू के बालों में फँसे थे। “जान… ये… मैं तो… पागल हो रहा हूँ… तुम्हारा मुंह… इतना गर्म… इतना सॉफ्ट…” 




वो कराह रहा था, लेकिन खुशबू नहीं रुकी। वो और तेज़ हो गई,



 
Like Reply


Messages In This Thread
RE: मेरी खूबसूरत पत्नी खुशबू भोला भाला बुद्धू सा में और बहुत सारे ,., मर्द - by Namard pati - 10-12-2025, 01:18 PM



Users browsing this thread: 1 Guest(s)