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Adultery बदलाव, मजबूरी, सेक्स या जिंदगी.....
#44
नहाकर और दिमाग व मन को शांत आरोही परिधि और इंद्रावती के पास जाती है, और पूरी बात बताती है। ऐसे में इंद्रावती रोते हुए मना कर देती है। वहीं गुस्से में ही सही परिधि साथ चलने को तैयार हो जाती है।

 
मॉल से पहले दोनों बैंक पहुंचती हैं और सबसे पहले कर्जे की ईएमआई का चेक जमा करती हैं। और फिर मॉल पहुँचकर कपड़े खरीदती हैं। इसी बीच राहुल आरोही को फोन करके कुछ कपड़ों और ब्रा-पैंटी के बारे में बताता है।
 
पूरी शॉपिंग के बाद करीब पाँच हजार से अधिक रूपए बच जाते हैं। तो आरोही कहती है दीदी आपको कुछ लेना है। तो परिधि बोलती है, “देख आरोही मुझे देंह बेचकर नहीं सजना है। मुझे कुछ नहीं लेना है।”
 
आरोही कहती है, “दीदी बेघर होकर देंह बेचने से तो घर में रहते हुए बेच लेते हैं। आपके पास तो एक भी ठीक पैंटी तक नहीं बची है। क्या कहा जाए, हम तो इस हाल में हैं कि हम दोनों की चड्ढियाँ तक फटी हुई हैं। बस बाहरी कपड़ों का पर्दा ही है। उसी को फटने से बचाने की कोशिश कर रही हूँ।

नाराज मत होइए। बाबू के लिए कुछ ले लेते हैं, आइए।”

 
परिधि के ना चाहने के बावजूद भी आरोही उसके बच्चे के लिए कपड़े और कुछ खिलौने खरीद लेती है।
 
दोनों घर लौटती हैं और घर में कोई किसी से बात नहीं करता है। शाम को आरोही हॉस्पिटल भी जाती है अपने पति को देखती है। और कुछ पैसे जमा करती है। आरोही अमित को राहुल के यहाँ नौकरी की बात बताती है। लेकिन जाहिर है बाकी बातें छिपा जाती है।
 
अगले दिन सुबह का इंतजार करते-करते आरोही को नींद ही नहीं आती है। उसके दिमाग में वह सपना भी चल रहा था कि कहीं लेट हो जाने पर राहुल उसकी गांड़............ नहीं, नहीं याद करते हुए आरोही सहम सी जाती। लेकिन फिर भी एक सनसनी महसूस होती।

खैर सुबह करेक्ट छह बजे आरोही राहुल के घर की घंटी बजा देती है। और आरोही को दिमाग में चल रहे तमाम ख्यालों के कारण नींद ही नहीं आई। तो कुछ थकी-थकी सी थी ही।

 
“अरे तुम्हारे पास चाबी तो थी, घंटी बजाने की क्या जरूरत थी?” दरवाजा खोलते हुए राहुल ने पूछा।
 
“वो, अजीब सा लग रहा था। इसलिए घंटी बजा दी। आपको जगा दिया क्या?” आरोही ने अंदर आते हुए पूछा।
 
“नहीं, मैं तो पांच बजे ही जाग जाता हूँ। आओ तुम्हें लॉग बुक दिखाता हूँ।” कहते हुए अपने कमरे में जाता है पीछे-पीछे आरोही भी आती है। और वहाँ एक रजिस्टर होता है जिस राहुल टाइम डालता है और साइन करता है। और आरोही से भी यही करने के लिए कहता है।
 
उसके बाद उसे अगले कमरे में ले जाता है, और कहता है, “देखो यहाँ अलमारी तो तुम्हें पता ही होगी। घर ही तुम लोगों का है। तो इसी में तुम्हारे कपड़े रहेंगे। आकर यहीं बदल लेना। और हाँ दरवाजा बंद कर सकती हो लेकिन लॉक नहीं करोगी।”
 
बाहर निकलता हुआ राहुल बोल पड़ता है, “सुनो बाथरूम मेरे कमरे का ही इस्तेमाल करोगी। लेकिन बिना पूछे नहीं चाहें कुछ भी हो जाए। नहाई हो ना?” राहुल ने पूछा।
 
आरोही ने हाँ में सिर हिलाया। तब राहुल ने कहा, “गुड” और चला गया। थोड़ी देर में आरोही कपड़े बदलकर आती है। उसने मैरून रंग का ड्रेस पहना था उसकी चूचियाँ एकदम बाहर निकली हुई गजब ढा रही थीं।
 
“उधर झाड़ू, वैक्यूम क्लीनर और मॉप पड़ा है। शुरू हो जाओ। साथ ही किचन में भी देख और समझ लो। मैं अभी आता हूँ।” कहता हुआ राहुल बाथरूम में चला गया।
 
आरोही किचन का सामान देखने लगती है। राहुल ने घर को बहुत व्यवस्थित रखा हुआ था। किचन में हर नई मशीन मौजूद थी। टोस्टर से लेकर नए स्टाइल के चूल्हे तक जिनको उठाकर साफ किया जा सकता था।
 
आरोही फ्रिज में देख रही थी कि तभी पीछे से राहुल की आवाज आती है, “मुझे पता है तुम लोग शुद्ध शाकाहारी हो इसीलिए मैंने अंडे नहीं रखे हैं और फ्रिज की कल ही सफाई करके गंगाजल छिड़क दिया है।”
 
गंगाजल की बात पर आरोही को हंसी आ गई।

राहुल बोला है, “हंस लो, लेकिन हमें तो सबका ख्याल रखना ही पड़ता है।”

 
आरोही थोड़ी हैरान थी कि कल तक जो मुझे सेक्स स्लेव बनाने के लिए आमादा था। और सारे तमाशे रचे वह इतना नॉर्मल कैसे।

आरोही ने मन में कहा, “गिरगिट के जैसा है अभी देखो और दो दिन पहले देखो कैसा था।”

 
खैर राहुल के पास जैसे हर काम के लिए टेक्निकल साधन थे, उससे काम फटाफट हो गया। अभी बस पौने सात हुए थे और काम हो गया।

राहुल ने आरोही से कहा, “कुछ खाना-पीना हो तो पी सकती हो अभी तो मेरे एक्सरसाइज का टाइम है। मैं इसके बाद ही कुछ खाता हूँ।”

 
आरोही न कहा, “नहीं, इतनी जल्दी मैं भी कुछ नहीं खाती चाय तो पीती नहीं हूँ। ”
 
“हाँ, खूबसूरत लड़कियाँ चाय कहाँ पीती हैं, गैस जो हो जाती है,” राहुल ने कहा।

और बोला, “ठीक है, चाहो तो आराम करो या टीवी देखो। मुझे तो अभी यहाँ एक घंटा लगेगा।”

 
इतना कहकर उसने कान में लीड लगा ली और ट्रेडमिल पर दौड़ने लगा। आरोही के समझ में नहीं आया कि वह क्या करे। उसने तो सोचा था अभी उसके साथ राहुल जानवरों के जैसा सेक्स करेगा।

या जैसा उसके सपने हुआ था वैसे कुछ बलात्कार करेगा। लेकिन राहुल तो बहुत सामान्य था।

 
थोड़ी देर वहीं बैठने के बाद आरोही धीरे से पेपर उठाकर पढ़ने लगती है। और फिर धीरे-धीरे वहीं उंघने लगती है। उसकी झपकी तब टूटती है जब राहुल अपना एक्सरसाइज और योग पूरा करके आता है।

और उसे जगाता है, “आरोही, नींद आ रही थी तो पूछकर अंदर जाकर सो लेती। चलो उठो।”

 
राहुल उसे उठाता है। करीब सवा आठ बज गए होते हैं। “आओ कुछ देर ड्राइंगरूम में आराम करते हैं” यह कहकर वह ड्राइंगरूम में चल देता है।

पीछे-पीछे आरोही भी चलते हुए सोचती है, “ओह, तो अब यह कमीना वहाँ मुझे नोचने के लिए सोचकर ले जा रहा है।”

 
वहाँ चार रेक्लाइनर सोफे पड़े होते हैं। एक पर आरोही को बैठने के लिए कहकर राहुल दूसरे पर बैठ जाता है और टीवी चालू कर देता है। और आरोही से चैनल बदलते हुए टीवी पर चल रहे शो और न्यूज के बारे में बातें करने लगता है।
 
राहुल, आरोही से उसके परिवार और मायके की बातें करता है। और धीरे-धीरे उसकी बातों को सुनता रहता है। आरोही को भी अच्छा लगने लगता है।
 
बातें करते हुए आरोही को पेशाब लगने लगती है वह सोचती है, “अरे यार, बाथरूम जाना है। लेकिन इसने कहा था बिना इसके पूछे नहीं जाना है। कैसे पूछूँ शर्म लग रही है।

लेकिन बिना पूछे तो जा नहीं सकती हूँ।” आरोही ने सकुचाते हुए पूछा, “सर, मुझे बाथरूम जाना है।”


“अच्छा ठीक है चली जाओ लेकिन दरवाजा बंद मत करना, समझी?” राहुल ने कहा।
 
आरोही चुपचाप वहाँ से बाथरूम चली जाती है। और राहुल के कहे अनुसार बिना दरवाजा बंद किए पेशाब करती है। उसे अजीब सा डर और रोमांच तो लगता है। लेकिन उसे पेशाब तो करना ही था। फिर जब वह वापस आती है तो राहुल उसे किचन में चलने को कहता है।
 
और वहाँ राहुल वहाँ नाश्ता बनाने में आरोही की मदद करता है और दोनों फिर नाश्ता करते हैं। उसके बाद राहुल अपना कुछ काम करता है। और आरोही से सफाई करने के लिए बोल देता है।
 
करीब एक दो घंटे घर की सफाई में लगे और फिर राहुल ने उसे अपने पास बुला लिया। आरोही डर रही थी कि अब राहुल कुछ करेगा, लेकिन उसने कुछ भी नहीं किया।
 
वह कोई एनर्जी ड्रिंक पी रहा था। हर्बल जूस था उसने पूछा और आरोही को एक मग दे दिया। फिर वह आरोही के पास बैठकर उससे बातें करने लगा। राहुल के शांत होकर सुनते रहने से धीरे-धीरे आरोही अपने मन की गांठें खोलने लगी।
 
फिर इसी तरह से दोपहर के खाने का समय हो गया। और दोनों ने खाना बनाया और खाना खाया फिर बर्तन साफ करके लगा दिए। इतने में दो बज गए और आरोही के जाने का टाइम हो गया।

घर पर पहुँचते ही इंद्रावती और परिधि की सवालिया निगाहें आरोही को देख रही थीं। लेकिन आरोही ने कुछ नहीं कहा और उन लोगों ने भी कुछ पूछा नहीं। क्योंकि अब आरोही ने अपनी नियति से समझौता कर लिया था वे सब कुछ हार ही चुके थे।

 
ऐसे ही चार दिन बीत गए। आरोही आती और काम करती, राहुल भी साथ देता और दोनों बातें करते। धीरे-धीरे आरोही राहुल से बातों में खुलती जा रही थी। अपने मन के गुबार को वह बात करके निकाल रही थी।
 
पिछले चार दिनों से वह आती कुछ ऐसा ही रूटीन फॉलो होता। राहुल उससे बातें करता और उसकी बातों को सुनता। धीरे-धीरे आरोही अपने मन की बातें उससे कहने लगी।
 
ऐसे ही एकदिन आरोही आई और अपना काम करने लगी। बाद में नाश्ते के बाद और उसे पेशाब लगी। उसने राहुल से पूछा तो राहुल ने कहा अभी बाद में जाना पहले काम करो।

“राहुल ने उसे रोका क्यों? क्या कोई कारण है?” आरोही सोचती है।

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क्या कुछ नया घटने वाला है?
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RE: बदलाव, मजबूरी, सेक्स या जिंदगी..... - by ramlal_chalu - 09-12-2025, 07:41 PM



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