08-12-2025, 09:28 AM
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फिर मैं उठकर खड़ी हो गयी और साइड में ड्रेसिंग टेबल पर रखी बोतल से पानी पीने लगी।
मैं चलकर प्रफुल्ल के पास आई और उसे भी पानी दिया। उसने भी बोतल से पानी पिया और मुझे वापस कर दी।
मैं जैसे ही बेड पर वापस आई तो वह बोला- रुको, वहीं रुको!और वह मेरे पीछे आया और बोला- एक पैर बेड पर रख लो खड़े खड़े और थोड़ा आगे झुक जाओ।
तो मैं वैसे ही झुक गयी।
प्रफुल्ल पीछे से मेरी चूत पर आया और अपना लन्ड मेरी चूत के मुंह पर रगड़ने लगा तो मुझे बड़ी बैचनी सी होने लगी।
मैं बोली- डालो न, रगड़ क्या रहे हो?
तो प्रफुल्ल ने घपाक से लन्ड घुसा दिया और मैं हल्की सी आउच की आवाज के साथ आगे को झटके से हिली.
अब प्रफुल्ल ने मेरी कमर को हाथों से पकड़ा तो धक्के मार मार के चोदने लगा। मैं आह… आह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… अहह… कर के ज़ोर ज़ोर से आवाजें कर रही थी और मेरे चूची, बाल सारा शरीर उसके धक्कों से आगे पीछे हिल रहा था।
प्रफुल्ल भी हम्म… हम्म… हम्म… कर के चोदे जा रहा था और पट्ट पट्ट की आवाज आ रही थी।
अब तक प्रफुल्ल ने बहुत स्पीड बढ़ा दी थी और 8-9 मिनट से लगातार चोदे जा रहा था। मैं भी झड़ने के करीब पहुँचने लगी थी तो बहुत ज़ोर ज़ोर से बोलने लगी ‘आहह … आहह … बेबी और तेज़ … और तेज़ …’प्रफुल्ल ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी और तेज़ तेज़ चोदने लगा, ऐसा करने से वो भी झड़ने के करीब पहुँचने लगा।
थोड़ी देर बाद ही मेरी टांगें अकड़ने सी लगी तो मैंने पीछे हाथ लगा के प्रफुल्ल को रोक लिया और फच्छ… फच्छ कर के उसके लन्ड और जांघों पर ही झड़ गयी और बेड पर उल्टी ही गिर गयी।
प्रफुल्ल उस वक़्त झड़ने के करीब था तो तुरंत मेरी चूत पर आ के पीठ की तरफ से ही आखिरी झटकों से उम्मह… ओम्महह… मह्ह… करता हुआ चोदने लगा और अपनी 3-4 पिचकारियाँ छोड़ता हुआ आहह… करते हुए चूत में झड़ गया और मेरे बगल में आकर लेट गया और हाँफने लगा।
मैं भी उल्टी पड़े पड़े उसकी तरफ देखते हुए हूंह… हूंह… हूंह… करके हाँफ रही थी। उसका लन्ड खुद के वीर्य और मेरी चूत के पानी में सना हुआ था और मेरी चूत से भी पानी और उसके वीर्य के बूंदे टपक रही थी जो उसने चूत में ही डाल दी थी।
मैं कोहनी बेड में रखते हुए सिर को हाथ के टेक लगा के उसकी तरफ घूम गयी और पूछा- मजा आया ना?
उसने लेटे लेटे ही मेरे लटके हुए बालों में हाथ फिराया और बोला- बहुत मजा आया जानू, एक बार फिर से हॅप्पी बर्थडे।
मैंने मुसकुराते हुए उसके होंठों पर एक किस की और अपनी एक टांग उसके टाँगों पर रख के लेट गयी और हम तेज़ तेज़ सांस लेते हुए दोनों सुस्ताने लगे।
लगभग आधा एक घंटा हम ऐसे ही नग्न अवस्था में एक दूसरे से चिपके पड़े रहे, मैंने अपने सर उसके सीने पर रखा हुआ था कान लगा के और हम इधर उधर की बात करते रहे। फिर मैं उठी और बाथरूम करने चली गयी और खुद को साफ भी किया। फिर कमरे में वापस आकर कपड़े पहनने लगी.
तो वह बोला- बस एक बार ही? यार प्लीज अभी मत पहनो ना, एक बार और चुदाई करेंगे।
मैं बोली- अभी दिल नहीं भरा क्या?
प्रफुल्ल बोला- जिस लड़के का तुमसे दिल भर जाए वह दुनिया का सबसे बड़ा चूतिया होगा।
मैं बोली- अच्छा बाबा लो नहीं पहनती!
और कमरे में अपने बिखरे हुए कपड़े समेटे और साइड में रख दिए।
अब तक हम दोनों को भूख भी लग चुकी थी तो डिनर करने हाल में आ गए। अब क्योंकि घर में कोई नहीं था हम दोनों के अलावा तो हम नंगे ही घूम रहे थे पूरे घर में। हमने डिनर किया और इधर उधर की बातें करते रहे। फिर मैंने और प्रफुल्ल ने मिलकर ही बर्तन भी साफ कर दिए। बीच बीच में हम एक दूसरे के जिस्म पर हाथ रख के छेड़ भी देते थे एक दूसरे को, कभी मैं उसके लन्ड को सहला देती तो कभी वह मेरी गांड को भींच देता और हम दोनों हंसने लगते।
हमें चुदाई करे हुए 2-3 घंटे हो चुके थे। मैंने कहा- चलो अब सोते हैं।
प्रफुल्ल बोला- यार, इतने वक़्त बाद तुमसे मिला हूँ आज तो बिल्कुल नहीं सोने दूंगा।
मैंने मज़ाक करते हुए कहां- सोने नहीं दोगे तो क्या करोगे?
प्रफुल्ल बोला- आज तो जी भर के प्यार करूंगा, जी भर के चोदूँगा … पता नहीं फिर कब मुलाक़ात हो।
मैंने कहा- अच्छा बाबू, कर लेना प्यार खुश, आज तुम जो चाहे मांग लो मैं मना नहीं करूंगी, पक्का प्रॉमिस।
प्रफुल्ल खुश हो गया और बोला- सोच लो, बाद में मना मत कर देना?
मैंने कहा- नहीं करूंगी यार सच्ची।
उसने कहां- ठीक है, चलो फिर बेडरूम में!
और हम बेडरूम में आ गए।
मैं बेड पर आकर बैठ गयी और वह दरवाजे पर खड़ा होकर मुझे बड़े प्यार से देखने लगा. और देखता भी क्यूँ न … उसके सपनों की रानी उसके सामने उसके बिस्तर पर बिना कपड़ों के पैर क्रॉस कर के बेड पर हाथ टिकाये बैठी थी।
मैंने पूछा- क्या हुआ, क्या देख रह हो ऐसे?
प्रफुल्ल बोला- देख रहा हूँ, कभी कभी भगवान हम पर कितना मेहरबान होता है, तुमसे मिलने से पहले मैंने सोचा भी नहीं था कि मेरी ज़िंदगी में इतना खूबसूरत दिन भी आएगा, वह भी इतनी जल्दी।
“मतलब सिर्फ दिन ही खूबसूरत है और मैं नहीं?” मैंने मज़ाक में चिढ़ सी के मुंह बना लिया।
प्रफुल्ल बोला- अरे बाबू, आप तो सबसे ज्यादा खूबसूरत हो इस दुनिया में, ये रेशम की तरह खुले हिलते और उड़ते बाल, इतनी प्यारी और बड़ी बड़ी आँखें … मन करता है इनमें ही देखता रहूँ, ये नर्म मुलायम गाल, ये सुर्ख लाल होंठ, रेशम की तरह चमकता हुआ दूध की तरह सफ़ेद बदन, ये बड़े बड़े गोल गोल चूचियां, ये भरी भरी कोमल जांघें और बीच में जन्नत जाने का रास्ता! ऐसा लगता है, भगवान ने तुम्हें बनाने में सारी मेहनत लगा दी है।
अब मैं इतनी तारीफ की उम्मीद नहीं कर रही थी तो मुस्कुरा के शर्मा के नीचे देखने लगी।
इस पर प्रफुल्ल बोला- ऊपर से जब तुम शर्मा के नजरें झुकाती हो तो इतना प्यार आता है कि बस बांहों में भर लूँ और कभी न छोड़ूँ।
मैं उठकर उसके पास गयी और बोली- तो भर लो न बांहों में … किसने रोका है. और प्रफुल्ल ने मुझे अपनी बांहों में ज़ोर से जकड़ लिया।
हमारे जिस्म एक दूसरे के संपर्क में आते ही और गर्म होने लगे और हम वासना की मदहोशी में खोने लगे. हम दोनों की आँखें बंद थी और गले लगे लगे एक दूसरे के जिस्म को जिस्म से रगड़ के आनन्द ले रहे थे।
मैंने आँखें खोली और प्रफुल्ल को देखा, प्रफुल्ल बोला- जब तुम इन खूबसूरत आंखों से ऐसे प्यार से उठाकर देखती हो तो ऐसा लगता है कि ये दुनिया यहीं रुक जाए और मैं इनमें डूब जाऊँ।
मैं इमोशनल सी हो गयी थी और शायद आँख में एक दो आँसू भी आ गया था।
प्रफुल्ल बोला- अरे अरे क्या हुआ?
मैंने शिकायत भरे लहजे में कहा- देखो तुमने मुझे रुला दिया! और नीचे देखने लगी।
प्रफुल्ल ने मेरा चेहरा अपनी तरफ उठाया और अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और हम आँखें बंद कर के उम्महह… म्न्हह… करके किस करने लगे। धीरे धीरे चुम्बन और गहन होता चला गया और मैं दीवार से सटा के करन के होंठों को ऊपर नीचे चूसे जा रही थी और वह मेरे।
अब तक प्रफुल्ल का एक हाथ मेरे चूची को मसल रहा था और मेरा एक एक हाथ उसके लन्ड तक जा पहुंचा था। मैं धीरे धीरे हथेली फैला के उसके लन्ड को ऊपर नीचे मसल रही थी और वह उत्तेजित होता जा रहा था। हम दोनों की चुम्बन करने की उम्म… उम्म… म्म्ह्ह… की आवाजें कमरे में ज़ोर ज़ोर से आ रही थी।
प्रफुल्ल मुझे चूमते हुए धकेल के बेड पर ले आया और हम दोनों बेड पर गिर गए। प्रफुल्ल मुझे किसी वहशी की तरह किस कर रहा था और मेरे जिस्म के एक एक हिस्से पर किस कर रहा था. मैं उसके चुम्बन से मछली की तरह तड़प के मचल रही थी।
अब प्रफुल्ल ने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल के हिलानी शुरू कर दी और मैं आनन्द से भरने लगी। मैं मंद मंद आवाज में उम्म्ह… अहह… हय… याह… कर रही थी.
कुछ ही देर में मेरी चूत चिकनी हो चुकी थी और लन्ड लेने को तड़प रही थी। मैंने प्रफुल्ल से कहा- अब किसका इंतज़ार कर रहे हो, डाल दो ना अपना लन्ड।
प्रफुल्ल बोला- इस बार नहीं लोगी मुंह में?
तो मैंने कहा- तुम डालो ना यार, रुका नहीं जा रहा।
प्रफुल्ल ने कहा- अच्छा बाबा, डालता हूँ एक मिनट!
फिर वह उठ के तेल लेने चला गया, तेल की बोतल लाकर अपने लन्ड को चिकना करने लगा और बोला- अब ठीक है, डालूँ क्या?
मैं बोली- इसकी जरूरत नहीं थी, चूत वैसे ही बहुत चिकनी हो चुकी है, तुम बस डालो।
लेटे लेटे ही प्रफुल्ल ने मेरी चूत पर लन्ड सेट किया और झुक के मेरे ऊपर आ गया। मैं उसकी आँखों में देख रही थी और हाँ में सिर हिला के इशारों इशारों में भीख मांग रही थी लन्ड डालने को। हल्का सा धक्का करन ने लगाया तो चिकनाहट के कारण लन्ड चूत में धीरे धीरे फिसलता चला गया और मैं सीईईई … सीईईई … सीईईई … करते हुए धीरे धीरे आँखें बंद किए ऊपर को खिसक गयी।
प्रफुल्ल शुरू में धीरे धीरे पूरा लन्ड अंदर डाल रहा था और बाहर निकाल रहा था और मैं आँखें बंद किए बेड में लेटे लेटे उम्मह… म्महह… उम्महह… करती हुई ऊपर नीचे हो रही थी। उसका लन्ड मेरी चूत की गहराई नापते हुए मेरे जी-स्पॉट तक रगड़ मार रहा था और मुझे बहुत मजा आ रहा था।
वह भी हम्ममम… हम्ममम… हम्ममम… करते हुए प्यार से चोदे जा रहा था और मेरी आँखों में देखे जा रहा था।
मैंने बेड में ऊपर नीचे हिलते हुए देखा तो पूछा- ऐसे क्या देख रहे हो?
प्रफुल्ल बोला- मैं देख रहा हूँ कि मेरी आँखों के सामने एक बला सी खूबसूरत लड़की नंगी लेटी हुई है और मेरा लन्ड उसकी चूत में जगह बनाता हुआ धीरे धीरे अंदर जाता है और जब वह आँखें बंदकर के इतनी मादक सिसकारियाँ लेती है तो कितनी खूबसूरत लगती है। शायद जन्नत यहीं पर है।
मैंने कहा- जन्नत का सुख आने में टाइम है, तुम चुदाई करते रहो।
अब प्रफुल्ल ने धीरे धीरे स्पीड बढ़ा दी थी और मैं आहह… आहह… करते हुए तेज़ तेज़ चुद रही थी। लगभग 5 मिनट बाद प्रफुल्ल की सांस फूलने लगी तो ज़ोर ज़ोर से आन्हह… उन्न्हह … करने लगा।
मैंने कहा- थक गए हो तो आराम कर लो थोड़ा सा।
तो वो मेरे बगल में आ के गिर गया।
हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ करवट ले ली और एक दूसरे की आंखों में देखते हुए बात करने लगे, साथ ही साथ मैं उसके लन्ड को सहला रही थी और वो मेरी जिस्म पर हाथ फिरा रहा था, कभी मेरे बूब्स पर से हाथ ले जाता हुआ मेरी कमर पर और फिर मेरी गांड पर ले गया.
मुझे कुछ बैचनी सी होने लगी तो मैं बोली- क्या कर रहे हो?
प्रफुल्ल बोला- चलो न पायल , पीछे से कोशिश करते हैं आज।
मेरा माथा ठनका तो मैं बोली- तुम्हारा मतलब तुम मेरी पीछे से चोदना चाहते हो?
उसने शैतानी भरी मुस्कुराहट से हाँ में सर हिलाया।
मैं बोली- नहीं यार, आगे से जितना चाहे चोद लो, पर पीछे से नहीं प्लीज।
प्रफुल्ल बोला- देखो, तुम्हारा मन नहीं है तो मैं ज़िद नहीं करूंगा पर एक बार कोशिश तो कर सकती हो न, प्लीज मेरे लिए, हम सब कुछ ट्राई कर सकते है ना, तुमने ही तो कहा था कि आज मैं कुछ भी मांग सकता हूँ।
मैं उठकर बैठ गयी और बोली- यार, समझ नहीं रहे तुम, पीछे से दर्द होता है बहुत।
प्रफुल्ल बोला- तुम्हें कैसे पता कि दर्द होता है? करवाया है क्या तुमने पहले?
प्रफुल्ल बोला- अरे तुम डर क्यूँ रही हो, मैं तुम्हें दर्द नहीं होने दूंगा, प्लीज प्लीज प्लीज!
और प्रफुल्ल अब बहुत ज़िद करने लगा।
प्रफुल्ल बहुत ज़िद करने लगा तो आखिरकार मुझे ही उसकी ज़िद के आगे झुकना पड़ा और मैं बोली- अच्छा बाबा चोद लो, खुश?
प्रफुल्ल एकदम उछल के खड़ा हो गया और बोला- झुक जाओ फिर!
मैंने कहा- ऐसे कैसे झुक जाऊँ, पहले तेल से चिकनी कर लो, गांड में चिकनाहट नहीं होती, और अपने लन्ड को भी चिकना कर लो तभी डलवाऊँगी, वरना नहीं! अब मैंने इतनी ज़िद मानी तो एक बात मेरी भी तो मानो।
प्रफुल्ल बोला- चलो बाबू, आपके लिए इतना तो कर ही सकता हूँ। चलो झुक जाओ आगे की तरफ।
मैं बेड पर आगे झुक के घोड़ी बन गयी और चूत और गांड उसके हवाले कर दी।
प्रफुल्ल ने कहा- ऐसे करो तुम मुंह शीशे की तरफ कर लो ताकि मैं तुम्हारे इस खूबसूरत चेहरे को देख सकूँ चोदते हुए।
तो मैं घूम गयी शीशे की तरफ और हम दोनों को देखने लगी।
अब थोड़ी ही देर में एक बार फिर मेरी दर्दनाक चुदाई होने वाली थी। प्रफुल्ल मेरी गांड के बाहर तेल से मालिश करने लगा अपने हाथों से।
मैंने कहा- अंदर डालो तेल … वहाँ जरूरत पड़ेगी ज्यादा।
उसने बोला- ठीक है, टांगें खोलो.
थोड़ी सी तो मैंने खोल दी। मेरी गांड का छेद अब थोड़ा खुल गया।
प्रफुल्ल ने अपनी उंगली तो तेल में तर किया और मेरी गांड पर रखी। जैसे ही उसने जरा सी उंगली अंदर डाली, मैं ऊई… सीईई… करते हुए मचल के आगे हो गयी और बोली- आराम से प्रफुल्ल !
वह बोला- ठीक है डियर!
और वह भर भर के गांड में तेल लगाने लगा और खुद को असहनीय दर्द को बर्दाश्त करने के लिए मानसिक रूप से तैयार करने लगी।
प्रफुल्ल बोला- लो जी तैयार है मैडम आपकी गांड और मेर लन्ड भी, शुरू करूँ?
मैं प्रफुल्ल की तरफ मुंह करके बोली- ठीक है … पर आराम आराम से, जंगलियों की तरह नहीं।
उसने कहा- बिल्कुल डियर!
मैंने हम्म करके सर वापस शीशे की तरफ कर लिया और हम दोनों को देखने लगी। प्रफुल्ल बहुत खुश लग रहा था जैसे किसी छोटे बच्चे को उसका मनपसंद खिलौना मिल गया हो, अब बस वह उस खिलौने से खेलना चाहता था।
प्रफुल्ल ने अपने लन्ड का मोटा सुपारा मेरी गांड के छेद पर रखा तो मैंने हुंहह… करके एक गहरी सांस ली। जैसे ही प्रफुल्ल ने अपना लन्ड का मुंह अंदर घुसाया, मुझे हल्का सा दर्द हुआ तो मेरा मुंह आ… करके खुल गया और आऊउ… की आवाज निकाल गयी और थोड़ा सा आगे बढ़ गयी।
मैंने कहा- आराम से आराम से … जल्दबाज़ी नहीं।
प्रफुल्ल बोला- ठीक है!
और फिर धीरे धीरे धकेलने की कोशिश करने लगा तो उसका लन्ड ज़बरदस्ती मेरी गांड में जगह बनाता हुआ अंदर जाने लगा। प्रफुल्ल को भी लन्ड डालने में दिक्कत हो रही थी तो वह भी हम्म… हम्म… करके ज़ोर लगा रहा था अपने लन्ड पर और मैं आँखें मीचे दर्द से आहह… आहह… कर रही थी।
प्रफुल्ल को ये देखकर पता नहीं क्या भूत चढ़ा उसके मेरी कमर पकड़ के पूरी ताकत से एक झटके में ही अपना लन्ड मेरी गांड में उतार दिया और मैं ज़ोर की आआ उम्म्ह… अहह… हय… याह… आअअअ… के साथ बेड पर आगे को झुक गयी। प्रफुल्ल मुझे ऐसे में देख रहा था शीशे में।
उस वक़्त वह प्रफुल्ल वह नहीं था उस वक़्त तो वह कोई सेक्स का शैतान था और मैं कोई गुलाम जिस पर वह अपने लन्ड का हंटर चलाये जा रहा था।
प्रफुल्ल ने कहा- उठ न रांड, ठीक से चोदने दे। मुझे उसका इस तरह मुझे रांड बुलाना बुरा सा लगा … पर मैं उठकर घोड़ी बन गयी।
अब प्रफुल्ल मेरी गांड में ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा और मैं शीशे में हम दोनों को देखते हुए चुदवाती रही। मेरी गांड में काफी दर्द हो रहा था पर शायद मैं इमोशनल होने की वजह से ज्यादा दुखी थी, और मेरी आंखों से 2-3 आँसू भी आ गए थे. पर मैंने उसे रोका नहीं और गांड में चुदवाती रही।
मैंने प्रफुल्ल की ओर सर घुमा के देखा और बोली- ठीक है चोद भोसड़ी के … जितना चोद सकता है चोद! ऐसा है तो ऐसा ही सही, देखती हूँ कितना दम है।
यह सुनकर तो मानो प्रफुल्ल की वासना की आग में जैसे पट्रोल पड़ गया हो, वह बोला- ले फिर रांड!
और उसने पूरा लन्ड बाहर निकाल के दुबारा घुसा दिया और बार बार पूरा लन्ड निकाल के पूरा डालने लगा गांड में और हम्म… हम्म… उन्नहह… उन्नहह… करते हुए आगे-पीछे धक्के मारने लगा।
मैं उसके जोरदार धक्कों से हिलने लगी, मेरा पूरा शरीर, मेरे सख्त चूची , बाल, झुमके सब ज़ोर ज़ोर से हिल रहा था और मैं मुंह खोले आहह… आहह… आह… आहह… और जो से… आहह… आहह… कर रही थी, बीच बीच में दर्द से मेरी आँखें भी मीच रही थी।
प्रफुल्ल का लन्ड सच में काफी लंबा और मोटा था, ऊपर से इतना सख्त, जो चूत की दीवारों तक हलचल कर रहा था। धीरे धीरे मुझे भी मजा आने लगा और मैं काफी तेज़ तेज़ आवाजों के चुदवाने लगी, मैं बोली- और तेज़ और तेज़।
पर प्रफुल्ल थकने लगा था तो धीरे धीरे चोद रहा था. लेकिन मैं गर्म हो चुकी थी और चाह रही थी प्रफुल्ल और तेज़ चोदे।
प्रफुल्ल रुक गया और लन्ड निकाल के साइड में बैठ गया, मैं बोली- क्या हुआ, हो गया शौक पूरा या और करना है?
प्रफुल्ल बोला- रुक जा बहन की लोड़ी … अभी फाड़ता हूँ तेरी गांड, सांस ले लेने दे फिर देख।
मैं बेड से पैर लटका के बैठ गयी और उसे हाँफते हुए देखने लगी और खुद भी सुस्ताने लगी। प्रफुल्ल का लन्ड अब भी फड़फड़ा रहा था और ऊपर नीचे।
मैं प्रफुल्ल से बोली- अब चोद भी पाओगे या बस करूँ।
प्रफुल्ल जोश में उठा और मुझे पैरों से पकड़ के बेड पर लिटा के एकदम से मेरी टांगें चौड़ी कर के खोल दी। इतने में मैं कुछ समझ पाती और ऊपर देखती, प्रफुल्ल ने मेरी गांड में फिर से लन्ड घुसा दिया घपक से।
मैंने एक ज़ोर की आआ आआहह … भरी और सिर बेड पर रख लिया वापस।
प्रफुल्ल अब अपनी पूरी ताकत से हम्म… हम्म… हम्म… हम्म… करता हुआ ज़ोर ज़ोर से मेरी गांड चोदने लगा और मेरी भी ज़ोर ज़ोर से आहह … निकल रही थी। प्रफुल्ल तो मानो रेलगाड़ी बना जा रहा था, मुझे पूरा हिला हिला के चोद रहा था और मैं बस दर्पण को देखती हुई आहह … आहह … आ … आ … आहह … कर रही थी।
ऐसे ही 2-3 मिनट तक चुदवाने के बाद मैंने प्रफुल्ल से कहा- रुको … रुको एक मिनट!
प्रफुल्ल बोला- क्या हुआ? फट गयी क्या मरवाने में? अभी तो बहुत बोल रही थी।
मैंने कहा- गांड में बाद में चोद लेना, पहले चूत में चोद लो, वरना तुम गांड में ही झड़ जाओगे तो फिर चोद नहीं पाओगे और मेरी चुदाई अधूरी रह जाएगी।
प्रफुल्ल बोला- ठीक है चल!
और प्रफुल्ल ने लन्ड निकाल के चूत में डाल दिया और दबा के चोदने लगा।
प्रफुल्ल मेरे ऊपर पूरा झुक गया था और हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देखते हुए चुदाई करने लगे। अब हम दोनों एक साथ ऊपर नीचे हो रहे थे और मैं आहह… आहह… आहह… करके सिसकारियाँ ले रही थी।
बीच बीच में हम दोनों एक दूसरे को ज़ोर ज़ोर से किस करते हुए होंठ से होंठ रगड़ रहे थे.
और 3-4 मिनट बाद मेरे झड़ने का वक़्त आने लगा, मैंने अपनी मुट्ठी से चादर को भींच लिया और मेरी आवाजें रुक रुक के आने लगी- आहह … आहह … आ…आ… आह … आहह… अहह… और ज़ोर से और ज़ोर… से, प्लीज… और तेज़… और तेज़… आहह… आ… आ…
और आखिरकार ‘ज़ोर से आआ आआहह हहह …’ करके कंपकपाते हुए ज़ोर से झड़ गयी और शांत होकर ढीली पड़ गयी।
मेरी हाथ की मुट्ठी भी खुल गयी और मैं आँखें बंद कर के ज़ोर ज़ोर से साँसें लेने लगी। प्रफुल्ल ने लन्ड निकाल के मुझे थोड़ी देर के लिए छोड़ दिया और खड़ा हो गया।
लगभग एक मिनट बाद जब मेरी साँस सामान्य हुई तो देखा कि प्रफुल्ल मुझे बड़े प्यार से देख रहा था बेड पर नंगी पड़ी हुई मछ्ली की तरह तड़पते हुए।
प्रफुल्ल अपने लन्ड को सहला रहा था और वह अब भी अपने पूरे जोश में था।
मैंने मज़ाक में प्रफुल्ल से कहा- मेरा तो हो गया, अब तुम हिला के झाड़ लो।
मेरी इस बात पर प्रफुल्ल ने कहा- अच्छा साली ये ले!
और उसने मुझे टांगें पकड़ कर उल्टा घूमा दिया तो मैं ज़ोर का आऊऊऊ… करके खिलखिला के हंसने लगी.
प्रफुल्ल ने मुस्कुराकर मुझे कमर से पकड़ के उठाकर घोड़ी बना दिया। मैं समझ चुकी थी कि प्रफुल्ल गांड में चोद के ही झड़ेगा. मैंने फिर भी अंजान बनने का नाटक करते हुए कहा- अरे अरे … ये क्या कर रहे हो?
प्रफुल्ल ने कहा- अभी बताता हूँ जानेमन! और प्रफुल्ल मेरी गांड में लंड डालने की कोशिश करने लगा पर तेल की चिकनाहट के प्रफुल्ल उसका लंड बार बार बाहर ही फिसलने लगा। मैंने उसका साथ देते हुए कहा- रुको रुको!
और अपने सर को बेड से टीका के हाथ गांड पर ले गयी और दोनों हाथों से गांड का छेद चौड़ा कर दिया और बोली- अब डालो।
प्रफुल्ल ने अपना लंड मेरी गांड के छेद पर रखा और मैं हाथ आगे लाकर फिर से घोड़ी बन गयी।
प्रफुल्ल ने थैंक यू बोला और एक ज़ोर का झटका मार के अपना पूरा लन्ड मेरी गांड में घुसा दिया।
उसके इस धक्के ने मुझे बेड पर पूरा आगे तक हिला दिया तो मैंने ज़ोर के आहहह … करी. मेरा सर ऊपर को उठ गया झटके से और मेरे बाल उछल के कमर पर आकर लटक गए। प्रफुल्ल ने बिना मेरी परवाह किए ज़ोर ज़ोर से पट्ट पट्ट चोदना शुरू कर दिया और मैं बेड पर आगे पीछे हिलती रही।
अब मुझे ज्यादा दर्द नहीं हो रहा था और मैं ‘आहह … आहह … आ…आह करते हुए मजे से चुदवाती रही। प्रफुल्ल ने मेरे खुले बालों को मुट्ठी में पकड़ के पीछे खींच लिया और मेरा सर झटके से और ऊपर उठ गया था. कमरे में बस मेरी ज़ोर की आहह … आहह … करन… आहह … करन … और तेज़ बेबी … और तेज़ … आ… आह… की सिसकारियों की आवाज़ आ रही थी और मैं उसके लन्ड के धक्कों से बेड पर आगे पीछे ज़ोर ज़ोर से हिले जा रही थी।
प्रफुल्ल किसी जानवर की तरह मेरी गांड को हम्म … हम्म … उम्महह … उम्महह … कर के चोदे जा रहा था। प्रफुल्ल भी ‘आह … पायल … आह … आहह पायल … मेरी जान … ये ले’ बोल रहा था और पट्ट पट्ट धक्के मारे जा रहा था।
ऐसे ही 2-3 मिनट तक चोदने के बाद प्रफुल्ल ने बची खुची ताकत से और तेज़ चोदना शुरू कर दिया।
मैं समझ गयी थी कि अब ये भी झड़ने वाला है इसलिए मैं भी बेड पर आगे पीछे हिल के आहह … आहह … आ … आ…आहह… करते हुए अपनी गांड में लन्ड लिए उसकी जांघों पर टक्कर मार रही थी।
कुछ ही देर में प्रफुल्ल एकदम से रुक गया और आहह … करके झड़ गया. उसके बाद उसने 2-3 झटके धीरे धीरे मारते हुए अपने बचे हुए वीर्य की पिचकारियाँ मेरी गांड में ही भर दी और मुझे आगे तो धक्का देकर छोड़ दिया।
मैं मुंह के बल बेड में आकर गिर गयी और ज़ोर ज़ोर से हाँफने लगी।
प्रफुल्ल भी मेरे बगल में सीधा आकर गिर गया, छत की तरफ देखता हुआ मुंह खोलकर हुन्हह… उनहह… हुनहह… करके हाँफने लगा।
थोड़ी देर बाद मैंने उससे पूछा- अब तो खुश हो न?
प्रफुल्ल ने मेरी तरफ देखा और मुझे होंठों पर एक प्यारी सी किस देते हुए कहा- हाँ जानू बहुत … आइ लव यू वेरी मच।
मैंने भी मुस्कुरा के कहा- आई लव यू टू।
मैंने गांड के छेद पर उंगली लगा के देखा तो वहां सब गीला और चिपचिप हुआ पड़ा था। मैंने कहा- तुम आराम करो, मैं बाथरूम जाकर आती हूँ।
मैं जैसे ही उठ के चलने लगी तो प्रफुल्ल के वीर्य की बूंदें मेरी गांड से फर्श पर टपकने लगी। मैं गांड पर हाथ रख के तेज़ तेज़ बाथरूम में घुस गयी जाकर कमोड पर बैठ गयी।
मेरी गांड में से प्रफुल्ल का वीर्य बह रहा था. मैंने ज़ोर लगाकर सारा वीर्य बाहर निकाल दिया। मैंने अपने आप को शावर के नीचे साफ किया और फर्श पर बैठ के अपनी चूत और गांड को भी साफ किया।
मैं कमरे में वापस आई तो प्रफुल्ल बाथरूम में चला गया खुद को साफ करने और मैं नंगी ही आकर बेड पर लेट गयी.
थोड़ी देर में प्रफुल्ल भी आकर नंगा ही मेरे बगल में लेट गया और बोला- थैंक यू जानू।
मैंने कहा- कोई बात नहीं!
और प्रफुल्ल ने मेरी तरफ करवट लेकर अपनी टांग मेरे ऊपर रख दी और प्रफुल्ल ने मुझे बांहों में लिए सो रहा था और मैं उसकी छाती में सर छुपाते हुए सो रही । हम कब सो गए हमें पता ही नहीं चला।
सुबह रोहित का फोन आया तो मेरी आँख खुली।
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फिर मैं उठकर खड़ी हो गयी और साइड में ड्रेसिंग टेबल पर रखी बोतल से पानी पीने लगी।
मैं चलकर प्रफुल्ल के पास आई और उसे भी पानी दिया। उसने भी बोतल से पानी पिया और मुझे वापस कर दी।
मैं जैसे ही बेड पर वापस आई तो वह बोला- रुको, वहीं रुको!और वह मेरे पीछे आया और बोला- एक पैर बेड पर रख लो खड़े खड़े और थोड़ा आगे झुक जाओ।
तो मैं वैसे ही झुक गयी।
प्रफुल्ल पीछे से मेरी चूत पर आया और अपना लन्ड मेरी चूत के मुंह पर रगड़ने लगा तो मुझे बड़ी बैचनी सी होने लगी।
मैं बोली- डालो न, रगड़ क्या रहे हो?
तो प्रफुल्ल ने घपाक से लन्ड घुसा दिया और मैं हल्की सी आउच की आवाज के साथ आगे को झटके से हिली.
अब प्रफुल्ल ने मेरी कमर को हाथों से पकड़ा तो धक्के मार मार के चोदने लगा। मैं आह… आह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… अहह… कर के ज़ोर ज़ोर से आवाजें कर रही थी और मेरे चूची, बाल सारा शरीर उसके धक्कों से आगे पीछे हिल रहा था।
प्रफुल्ल भी हम्म… हम्म… हम्म… कर के चोदे जा रहा था और पट्ट पट्ट की आवाज आ रही थी।
अब तक प्रफुल्ल ने बहुत स्पीड बढ़ा दी थी और 8-9 मिनट से लगातार चोदे जा रहा था। मैं भी झड़ने के करीब पहुँचने लगी थी तो बहुत ज़ोर ज़ोर से बोलने लगी ‘आहह … आहह … बेबी और तेज़ … और तेज़ …’प्रफुल्ल ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी और तेज़ तेज़ चोदने लगा, ऐसा करने से वो भी झड़ने के करीब पहुँचने लगा।
थोड़ी देर बाद ही मेरी टांगें अकड़ने सी लगी तो मैंने पीछे हाथ लगा के प्रफुल्ल को रोक लिया और फच्छ… फच्छ कर के उसके लन्ड और जांघों पर ही झड़ गयी और बेड पर उल्टी ही गिर गयी।
प्रफुल्ल उस वक़्त झड़ने के करीब था तो तुरंत मेरी चूत पर आ के पीठ की तरफ से ही आखिरी झटकों से उम्मह… ओम्महह… मह्ह… करता हुआ चोदने लगा और अपनी 3-4 पिचकारियाँ छोड़ता हुआ आहह… करते हुए चूत में झड़ गया और मेरे बगल में आकर लेट गया और हाँफने लगा।
मैं भी उल्टी पड़े पड़े उसकी तरफ देखते हुए हूंह… हूंह… हूंह… करके हाँफ रही थी। उसका लन्ड खुद के वीर्य और मेरी चूत के पानी में सना हुआ था और मेरी चूत से भी पानी और उसके वीर्य के बूंदे टपक रही थी जो उसने चूत में ही डाल दी थी।
मैं कोहनी बेड में रखते हुए सिर को हाथ के टेक लगा के उसकी तरफ घूम गयी और पूछा- मजा आया ना?
उसने लेटे लेटे ही मेरे लटके हुए बालों में हाथ फिराया और बोला- बहुत मजा आया जानू, एक बार फिर से हॅप्पी बर्थडे।
मैंने मुसकुराते हुए उसके होंठों पर एक किस की और अपनी एक टांग उसके टाँगों पर रख के लेट गयी और हम तेज़ तेज़ सांस लेते हुए दोनों सुस्ताने लगे।
लगभग आधा एक घंटा हम ऐसे ही नग्न अवस्था में एक दूसरे से चिपके पड़े रहे, मैंने अपने सर उसके सीने पर रखा हुआ था कान लगा के और हम इधर उधर की बात करते रहे। फिर मैं उठी और बाथरूम करने चली गयी और खुद को साफ भी किया। फिर कमरे में वापस आकर कपड़े पहनने लगी.
तो वह बोला- बस एक बार ही? यार प्लीज अभी मत पहनो ना, एक बार और चुदाई करेंगे।
मैं बोली- अभी दिल नहीं भरा क्या?
प्रफुल्ल बोला- जिस लड़के का तुमसे दिल भर जाए वह दुनिया का सबसे बड़ा चूतिया होगा।
मैं बोली- अच्छा बाबा लो नहीं पहनती!
और कमरे में अपने बिखरे हुए कपड़े समेटे और साइड में रख दिए।
अब तक हम दोनों को भूख भी लग चुकी थी तो डिनर करने हाल में आ गए। अब क्योंकि घर में कोई नहीं था हम दोनों के अलावा तो हम नंगे ही घूम रहे थे पूरे घर में। हमने डिनर किया और इधर उधर की बातें करते रहे। फिर मैंने और प्रफुल्ल ने मिलकर ही बर्तन भी साफ कर दिए। बीच बीच में हम एक दूसरे के जिस्म पर हाथ रख के छेड़ भी देते थे एक दूसरे को, कभी मैं उसके लन्ड को सहला देती तो कभी वह मेरी गांड को भींच देता और हम दोनों हंसने लगते।
हमें चुदाई करे हुए 2-3 घंटे हो चुके थे। मैंने कहा- चलो अब सोते हैं।
प्रफुल्ल बोला- यार, इतने वक़्त बाद तुमसे मिला हूँ आज तो बिल्कुल नहीं सोने दूंगा।
मैंने मज़ाक करते हुए कहां- सोने नहीं दोगे तो क्या करोगे?
प्रफुल्ल बोला- आज तो जी भर के प्यार करूंगा, जी भर के चोदूँगा … पता नहीं फिर कब मुलाक़ात हो।
मैंने कहा- अच्छा बाबू, कर लेना प्यार खुश, आज तुम जो चाहे मांग लो मैं मना नहीं करूंगी, पक्का प्रॉमिस।
प्रफुल्ल खुश हो गया और बोला- सोच लो, बाद में मना मत कर देना?
मैंने कहा- नहीं करूंगी यार सच्ची।
उसने कहां- ठीक है, चलो फिर बेडरूम में!
और हम बेडरूम में आ गए।
मैं बेड पर आकर बैठ गयी और वह दरवाजे पर खड़ा होकर मुझे बड़े प्यार से देखने लगा. और देखता भी क्यूँ न … उसके सपनों की रानी उसके सामने उसके बिस्तर पर बिना कपड़ों के पैर क्रॉस कर के बेड पर हाथ टिकाये बैठी थी।
मैंने पूछा- क्या हुआ, क्या देख रह हो ऐसे?
प्रफुल्ल बोला- देख रहा हूँ, कभी कभी भगवान हम पर कितना मेहरबान होता है, तुमसे मिलने से पहले मैंने सोचा भी नहीं था कि मेरी ज़िंदगी में इतना खूबसूरत दिन भी आएगा, वह भी इतनी जल्दी।
“मतलब सिर्फ दिन ही खूबसूरत है और मैं नहीं?” मैंने मज़ाक में चिढ़ सी के मुंह बना लिया।
प्रफुल्ल बोला- अरे बाबू, आप तो सबसे ज्यादा खूबसूरत हो इस दुनिया में, ये रेशम की तरह खुले हिलते और उड़ते बाल, इतनी प्यारी और बड़ी बड़ी आँखें … मन करता है इनमें ही देखता रहूँ, ये नर्म मुलायम गाल, ये सुर्ख लाल होंठ, रेशम की तरह चमकता हुआ दूध की तरह सफ़ेद बदन, ये बड़े बड़े गोल गोल चूचियां, ये भरी भरी कोमल जांघें और बीच में जन्नत जाने का रास्ता! ऐसा लगता है, भगवान ने तुम्हें बनाने में सारी मेहनत लगा दी है।
अब मैं इतनी तारीफ की उम्मीद नहीं कर रही थी तो मुस्कुरा के शर्मा के नीचे देखने लगी।
इस पर प्रफुल्ल बोला- ऊपर से जब तुम शर्मा के नजरें झुकाती हो तो इतना प्यार आता है कि बस बांहों में भर लूँ और कभी न छोड़ूँ।
मैं उठकर उसके पास गयी और बोली- तो भर लो न बांहों में … किसने रोका है. और प्रफुल्ल ने मुझे अपनी बांहों में ज़ोर से जकड़ लिया।
हमारे जिस्म एक दूसरे के संपर्क में आते ही और गर्म होने लगे और हम वासना की मदहोशी में खोने लगे. हम दोनों की आँखें बंद थी और गले लगे लगे एक दूसरे के जिस्म को जिस्म से रगड़ के आनन्द ले रहे थे।
मैंने आँखें खोली और प्रफुल्ल को देखा, प्रफुल्ल बोला- जब तुम इन खूबसूरत आंखों से ऐसे प्यार से उठाकर देखती हो तो ऐसा लगता है कि ये दुनिया यहीं रुक जाए और मैं इनमें डूब जाऊँ।
मैं इमोशनल सी हो गयी थी और शायद आँख में एक दो आँसू भी आ गया था।
प्रफुल्ल बोला- अरे अरे क्या हुआ?
मैंने शिकायत भरे लहजे में कहा- देखो तुमने मुझे रुला दिया! और नीचे देखने लगी।
प्रफुल्ल ने मेरा चेहरा अपनी तरफ उठाया और अपने होंठों को मेरे होंठों पर रख दिया और हम आँखें बंद कर के उम्महह… म्न्हह… करके किस करने लगे। धीरे धीरे चुम्बन और गहन होता चला गया और मैं दीवार से सटा के करन के होंठों को ऊपर नीचे चूसे जा रही थी और वह मेरे।
अब तक प्रफुल्ल का एक हाथ मेरे चूची को मसल रहा था और मेरा एक एक हाथ उसके लन्ड तक जा पहुंचा था। मैं धीरे धीरे हथेली फैला के उसके लन्ड को ऊपर नीचे मसल रही थी और वह उत्तेजित होता जा रहा था। हम दोनों की चुम्बन करने की उम्म… उम्म… म्म्ह्ह… की आवाजें कमरे में ज़ोर ज़ोर से आ रही थी।
प्रफुल्ल मुझे चूमते हुए धकेल के बेड पर ले आया और हम दोनों बेड पर गिर गए। प्रफुल्ल मुझे किसी वहशी की तरह किस कर रहा था और मेरे जिस्म के एक एक हिस्से पर किस कर रहा था. मैं उसके चुम्बन से मछली की तरह तड़प के मचल रही थी।
अब प्रफुल्ल ने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाल के हिलानी शुरू कर दी और मैं आनन्द से भरने लगी। मैं मंद मंद आवाज में उम्म्ह… अहह… हय… याह… कर रही थी.
कुछ ही देर में मेरी चूत चिकनी हो चुकी थी और लन्ड लेने को तड़प रही थी। मैंने प्रफुल्ल से कहा- अब किसका इंतज़ार कर रहे हो, डाल दो ना अपना लन्ड।
प्रफुल्ल बोला- इस बार नहीं लोगी मुंह में?
तो मैंने कहा- तुम डालो ना यार, रुका नहीं जा रहा।
प्रफुल्ल ने कहा- अच्छा बाबा, डालता हूँ एक मिनट!
फिर वह उठ के तेल लेने चला गया, तेल की बोतल लाकर अपने लन्ड को चिकना करने लगा और बोला- अब ठीक है, डालूँ क्या?
मैं बोली- इसकी जरूरत नहीं थी, चूत वैसे ही बहुत चिकनी हो चुकी है, तुम बस डालो।
लेटे लेटे ही प्रफुल्ल ने मेरी चूत पर लन्ड सेट किया और झुक के मेरे ऊपर आ गया। मैं उसकी आँखों में देख रही थी और हाँ में सिर हिला के इशारों इशारों में भीख मांग रही थी लन्ड डालने को। हल्का सा धक्का करन ने लगाया तो चिकनाहट के कारण लन्ड चूत में धीरे धीरे फिसलता चला गया और मैं सीईईई … सीईईई … सीईईई … करते हुए धीरे धीरे आँखें बंद किए ऊपर को खिसक गयी।
प्रफुल्ल शुरू में धीरे धीरे पूरा लन्ड अंदर डाल रहा था और बाहर निकाल रहा था और मैं आँखें बंद किए बेड में लेटे लेटे उम्मह… म्महह… उम्महह… करती हुई ऊपर नीचे हो रही थी। उसका लन्ड मेरी चूत की गहराई नापते हुए मेरे जी-स्पॉट तक रगड़ मार रहा था और मुझे बहुत मजा आ रहा था।
वह भी हम्ममम… हम्ममम… हम्ममम… करते हुए प्यार से चोदे जा रहा था और मेरी आँखों में देखे जा रहा था।
मैंने बेड में ऊपर नीचे हिलते हुए देखा तो पूछा- ऐसे क्या देख रहे हो?
प्रफुल्ल बोला- मैं देख रहा हूँ कि मेरी आँखों के सामने एक बला सी खूबसूरत लड़की नंगी लेटी हुई है और मेरा लन्ड उसकी चूत में जगह बनाता हुआ धीरे धीरे अंदर जाता है और जब वह आँखें बंदकर के इतनी मादक सिसकारियाँ लेती है तो कितनी खूबसूरत लगती है। शायद जन्नत यहीं पर है।
मैंने कहा- जन्नत का सुख आने में टाइम है, तुम चुदाई करते रहो।
अब प्रफुल्ल ने धीरे धीरे स्पीड बढ़ा दी थी और मैं आहह… आहह… करते हुए तेज़ तेज़ चुद रही थी। लगभग 5 मिनट बाद प्रफुल्ल की सांस फूलने लगी तो ज़ोर ज़ोर से आन्हह… उन्न्हह … करने लगा।
मैंने कहा- थक गए हो तो आराम कर लो थोड़ा सा।
तो वो मेरे बगल में आ के गिर गया।
हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ करवट ले ली और एक दूसरे की आंखों में देखते हुए बात करने लगे, साथ ही साथ मैं उसके लन्ड को सहला रही थी और वो मेरी जिस्म पर हाथ फिरा रहा था, कभी मेरे बूब्स पर से हाथ ले जाता हुआ मेरी कमर पर और फिर मेरी गांड पर ले गया.
मुझे कुछ बैचनी सी होने लगी तो मैं बोली- क्या कर रहे हो?
प्रफुल्ल बोला- चलो न पायल , पीछे से कोशिश करते हैं आज।
मेरा माथा ठनका तो मैं बोली- तुम्हारा मतलब तुम मेरी पीछे से चोदना चाहते हो?
उसने शैतानी भरी मुस्कुराहट से हाँ में सर हिलाया।
मैं बोली- नहीं यार, आगे से जितना चाहे चोद लो, पर पीछे से नहीं प्लीज।
प्रफुल्ल बोला- देखो, तुम्हारा मन नहीं है तो मैं ज़िद नहीं करूंगा पर एक बार कोशिश तो कर सकती हो न, प्लीज मेरे लिए, हम सब कुछ ट्राई कर सकते है ना, तुमने ही तो कहा था कि आज मैं कुछ भी मांग सकता हूँ।
मैं उठकर बैठ गयी और बोली- यार, समझ नहीं रहे तुम, पीछे से दर्द होता है बहुत।
प्रफुल्ल बोला- तुम्हें कैसे पता कि दर्द होता है? करवाया है क्या तुमने पहले?
प्रफुल्ल बोला- अरे तुम डर क्यूँ रही हो, मैं तुम्हें दर्द नहीं होने दूंगा, प्लीज प्लीज प्लीज!
और प्रफुल्ल अब बहुत ज़िद करने लगा।
प्रफुल्ल बहुत ज़िद करने लगा तो आखिरकार मुझे ही उसकी ज़िद के आगे झुकना पड़ा और मैं बोली- अच्छा बाबा चोद लो, खुश?
प्रफुल्ल एकदम उछल के खड़ा हो गया और बोला- झुक जाओ फिर!
मैंने कहा- ऐसे कैसे झुक जाऊँ, पहले तेल से चिकनी कर लो, गांड में चिकनाहट नहीं होती, और अपने लन्ड को भी चिकना कर लो तभी डलवाऊँगी, वरना नहीं! अब मैंने इतनी ज़िद मानी तो एक बात मेरी भी तो मानो।
प्रफुल्ल बोला- चलो बाबू, आपके लिए इतना तो कर ही सकता हूँ। चलो झुक जाओ आगे की तरफ।
मैं बेड पर आगे झुक के घोड़ी बन गयी और चूत और गांड उसके हवाले कर दी।
प्रफुल्ल ने कहा- ऐसे करो तुम मुंह शीशे की तरफ कर लो ताकि मैं तुम्हारे इस खूबसूरत चेहरे को देख सकूँ चोदते हुए।
तो मैं घूम गयी शीशे की तरफ और हम दोनों को देखने लगी।
अब थोड़ी ही देर में एक बार फिर मेरी दर्दनाक चुदाई होने वाली थी। प्रफुल्ल मेरी गांड के बाहर तेल से मालिश करने लगा अपने हाथों से।
मैंने कहा- अंदर डालो तेल … वहाँ जरूरत पड़ेगी ज्यादा।
उसने बोला- ठीक है, टांगें खोलो.
थोड़ी सी तो मैंने खोल दी। मेरी गांड का छेद अब थोड़ा खुल गया।
प्रफुल्ल ने अपनी उंगली तो तेल में तर किया और मेरी गांड पर रखी। जैसे ही उसने जरा सी उंगली अंदर डाली, मैं ऊई… सीईई… करते हुए मचल के आगे हो गयी और बोली- आराम से प्रफुल्ल !
वह बोला- ठीक है डियर!
और वह भर भर के गांड में तेल लगाने लगा और खुद को असहनीय दर्द को बर्दाश्त करने के लिए मानसिक रूप से तैयार करने लगी।
प्रफुल्ल बोला- लो जी तैयार है मैडम आपकी गांड और मेर लन्ड भी, शुरू करूँ?
मैं प्रफुल्ल की तरफ मुंह करके बोली- ठीक है … पर आराम आराम से, जंगलियों की तरह नहीं।
उसने कहा- बिल्कुल डियर!
मैंने हम्म करके सर वापस शीशे की तरफ कर लिया और हम दोनों को देखने लगी। प्रफुल्ल बहुत खुश लग रहा था जैसे किसी छोटे बच्चे को उसका मनपसंद खिलौना मिल गया हो, अब बस वह उस खिलौने से खेलना चाहता था।
प्रफुल्ल ने अपने लन्ड का मोटा सुपारा मेरी गांड के छेद पर रखा तो मैंने हुंहह… करके एक गहरी सांस ली। जैसे ही प्रफुल्ल ने अपना लन्ड का मुंह अंदर घुसाया, मुझे हल्का सा दर्द हुआ तो मेरा मुंह आ… करके खुल गया और आऊउ… की आवाज निकाल गयी और थोड़ा सा आगे बढ़ गयी।
मैंने कहा- आराम से आराम से … जल्दबाज़ी नहीं।
प्रफुल्ल बोला- ठीक है!
और फिर धीरे धीरे धकेलने की कोशिश करने लगा तो उसका लन्ड ज़बरदस्ती मेरी गांड में जगह बनाता हुआ अंदर जाने लगा। प्रफुल्ल को भी लन्ड डालने में दिक्कत हो रही थी तो वह भी हम्म… हम्म… करके ज़ोर लगा रहा था अपने लन्ड पर और मैं आँखें मीचे दर्द से आहह… आहह… कर रही थी।
प्रफुल्ल को ये देखकर पता नहीं क्या भूत चढ़ा उसके मेरी कमर पकड़ के पूरी ताकत से एक झटके में ही अपना लन्ड मेरी गांड में उतार दिया और मैं ज़ोर की आआ उम्म्ह… अहह… हय… याह… आअअअ… के साथ बेड पर आगे को झुक गयी। प्रफुल्ल मुझे ऐसे में देख रहा था शीशे में।
उस वक़्त वह प्रफुल्ल वह नहीं था उस वक़्त तो वह कोई सेक्स का शैतान था और मैं कोई गुलाम जिस पर वह अपने लन्ड का हंटर चलाये जा रहा था।
प्रफुल्ल ने कहा- उठ न रांड, ठीक से चोदने दे। मुझे उसका इस तरह मुझे रांड बुलाना बुरा सा लगा … पर मैं उठकर घोड़ी बन गयी।
अब प्रफुल्ल मेरी गांड में ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा और मैं शीशे में हम दोनों को देखते हुए चुदवाती रही। मेरी गांड में काफी दर्द हो रहा था पर शायद मैं इमोशनल होने की वजह से ज्यादा दुखी थी, और मेरी आंखों से 2-3 आँसू भी आ गए थे. पर मैंने उसे रोका नहीं और गांड में चुदवाती रही।
मैंने प्रफुल्ल की ओर सर घुमा के देखा और बोली- ठीक है चोद भोसड़ी के … जितना चोद सकता है चोद! ऐसा है तो ऐसा ही सही, देखती हूँ कितना दम है।
यह सुनकर तो मानो प्रफुल्ल की वासना की आग में जैसे पट्रोल पड़ गया हो, वह बोला- ले फिर रांड!
और उसने पूरा लन्ड बाहर निकाल के दुबारा घुसा दिया और बार बार पूरा लन्ड निकाल के पूरा डालने लगा गांड में और हम्म… हम्म… उन्नहह… उन्नहह… करते हुए आगे-पीछे धक्के मारने लगा।
मैं उसके जोरदार धक्कों से हिलने लगी, मेरा पूरा शरीर, मेरे सख्त चूची , बाल, झुमके सब ज़ोर ज़ोर से हिल रहा था और मैं मुंह खोले आहह… आहह… आह… आहह… और जो से… आहह… आहह… कर रही थी, बीच बीच में दर्द से मेरी आँखें भी मीच रही थी।
प्रफुल्ल का लन्ड सच में काफी लंबा और मोटा था, ऊपर से इतना सख्त, जो चूत की दीवारों तक हलचल कर रहा था। धीरे धीरे मुझे भी मजा आने लगा और मैं काफी तेज़ तेज़ आवाजों के चुदवाने लगी, मैं बोली- और तेज़ और तेज़।
पर प्रफुल्ल थकने लगा था तो धीरे धीरे चोद रहा था. लेकिन मैं गर्म हो चुकी थी और चाह रही थी प्रफुल्ल और तेज़ चोदे।
प्रफुल्ल रुक गया और लन्ड निकाल के साइड में बैठ गया, मैं बोली- क्या हुआ, हो गया शौक पूरा या और करना है?
प्रफुल्ल बोला- रुक जा बहन की लोड़ी … अभी फाड़ता हूँ तेरी गांड, सांस ले लेने दे फिर देख।
मैं बेड से पैर लटका के बैठ गयी और उसे हाँफते हुए देखने लगी और खुद भी सुस्ताने लगी। प्रफुल्ल का लन्ड अब भी फड़फड़ा रहा था और ऊपर नीचे।
मैं प्रफुल्ल से बोली- अब चोद भी पाओगे या बस करूँ।
प्रफुल्ल जोश में उठा और मुझे पैरों से पकड़ के बेड पर लिटा के एकदम से मेरी टांगें चौड़ी कर के खोल दी। इतने में मैं कुछ समझ पाती और ऊपर देखती, प्रफुल्ल ने मेरी गांड में फिर से लन्ड घुसा दिया घपक से।
मैंने एक ज़ोर की आआ आआहह … भरी और सिर बेड पर रख लिया वापस।
प्रफुल्ल अब अपनी पूरी ताकत से हम्म… हम्म… हम्म… हम्म… करता हुआ ज़ोर ज़ोर से मेरी गांड चोदने लगा और मेरी भी ज़ोर ज़ोर से आहह … निकल रही थी। प्रफुल्ल तो मानो रेलगाड़ी बना जा रहा था, मुझे पूरा हिला हिला के चोद रहा था और मैं बस दर्पण को देखती हुई आहह … आहह … आ … आ … आहह … कर रही थी।
ऐसे ही 2-3 मिनट तक चुदवाने के बाद मैंने प्रफुल्ल से कहा- रुको … रुको एक मिनट!
प्रफुल्ल बोला- क्या हुआ? फट गयी क्या मरवाने में? अभी तो बहुत बोल रही थी।
मैंने कहा- गांड में बाद में चोद लेना, पहले चूत में चोद लो, वरना तुम गांड में ही झड़ जाओगे तो फिर चोद नहीं पाओगे और मेरी चुदाई अधूरी रह जाएगी।
प्रफुल्ल बोला- ठीक है चल!
और प्रफुल्ल ने लन्ड निकाल के चूत में डाल दिया और दबा के चोदने लगा।
प्रफुल्ल मेरे ऊपर पूरा झुक गया था और हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देखते हुए चुदाई करने लगे। अब हम दोनों एक साथ ऊपर नीचे हो रहे थे और मैं आहह… आहह… आहह… करके सिसकारियाँ ले रही थी।
बीच बीच में हम दोनों एक दूसरे को ज़ोर ज़ोर से किस करते हुए होंठ से होंठ रगड़ रहे थे.
और 3-4 मिनट बाद मेरे झड़ने का वक़्त आने लगा, मैंने अपनी मुट्ठी से चादर को भींच लिया और मेरी आवाजें रुक रुक के आने लगी- आहह … आहह … आ…आ… आह … आहह… अहह… और ज़ोर से और ज़ोर… से, प्लीज… और तेज़… और तेज़… आहह… आ… आ…
और आखिरकार ‘ज़ोर से आआ आआहह हहह …’ करके कंपकपाते हुए ज़ोर से झड़ गयी और शांत होकर ढीली पड़ गयी।
मेरी हाथ की मुट्ठी भी खुल गयी और मैं आँखें बंद कर के ज़ोर ज़ोर से साँसें लेने लगी। प्रफुल्ल ने लन्ड निकाल के मुझे थोड़ी देर के लिए छोड़ दिया और खड़ा हो गया।
लगभग एक मिनट बाद जब मेरी साँस सामान्य हुई तो देखा कि प्रफुल्ल मुझे बड़े प्यार से देख रहा था बेड पर नंगी पड़ी हुई मछ्ली की तरह तड़पते हुए।
प्रफुल्ल अपने लन्ड को सहला रहा था और वह अब भी अपने पूरे जोश में था।
मैंने मज़ाक में प्रफुल्ल से कहा- मेरा तो हो गया, अब तुम हिला के झाड़ लो।
मेरी इस बात पर प्रफुल्ल ने कहा- अच्छा साली ये ले!
और उसने मुझे टांगें पकड़ कर उल्टा घूमा दिया तो मैं ज़ोर का आऊऊऊ… करके खिलखिला के हंसने लगी.
प्रफुल्ल ने मुस्कुराकर मुझे कमर से पकड़ के उठाकर घोड़ी बना दिया। मैं समझ चुकी थी कि प्रफुल्ल गांड में चोद के ही झड़ेगा. मैंने फिर भी अंजान बनने का नाटक करते हुए कहा- अरे अरे … ये क्या कर रहे हो?
प्रफुल्ल ने कहा- अभी बताता हूँ जानेमन! और प्रफुल्ल मेरी गांड में लंड डालने की कोशिश करने लगा पर तेल की चिकनाहट के प्रफुल्ल उसका लंड बार बार बाहर ही फिसलने लगा। मैंने उसका साथ देते हुए कहा- रुको रुको!
और अपने सर को बेड से टीका के हाथ गांड पर ले गयी और दोनों हाथों से गांड का छेद चौड़ा कर दिया और बोली- अब डालो।
प्रफुल्ल ने अपना लंड मेरी गांड के छेद पर रखा और मैं हाथ आगे लाकर फिर से घोड़ी बन गयी।
प्रफुल्ल ने थैंक यू बोला और एक ज़ोर का झटका मार के अपना पूरा लन्ड मेरी गांड में घुसा दिया।
उसके इस धक्के ने मुझे बेड पर पूरा आगे तक हिला दिया तो मैंने ज़ोर के आहहह … करी. मेरा सर ऊपर को उठ गया झटके से और मेरे बाल उछल के कमर पर आकर लटक गए। प्रफुल्ल ने बिना मेरी परवाह किए ज़ोर ज़ोर से पट्ट पट्ट चोदना शुरू कर दिया और मैं बेड पर आगे पीछे हिलती रही।
अब मुझे ज्यादा दर्द नहीं हो रहा था और मैं ‘आहह … आहह … आ…आह करते हुए मजे से चुदवाती रही। प्रफुल्ल ने मेरे खुले बालों को मुट्ठी में पकड़ के पीछे खींच लिया और मेरा सर झटके से और ऊपर उठ गया था. कमरे में बस मेरी ज़ोर की आहह … आहह … करन… आहह … करन … और तेज़ बेबी … और तेज़ … आ… आह… की सिसकारियों की आवाज़ आ रही थी और मैं उसके लन्ड के धक्कों से बेड पर आगे पीछे ज़ोर ज़ोर से हिले जा रही थी।
प्रफुल्ल किसी जानवर की तरह मेरी गांड को हम्म … हम्म … उम्महह … उम्महह … कर के चोदे जा रहा था। प्रफुल्ल भी ‘आह … पायल … आह … आहह पायल … मेरी जान … ये ले’ बोल रहा था और पट्ट पट्ट धक्के मारे जा रहा था।
ऐसे ही 2-3 मिनट तक चोदने के बाद प्रफुल्ल ने बची खुची ताकत से और तेज़ चोदना शुरू कर दिया।
मैं समझ गयी थी कि अब ये भी झड़ने वाला है इसलिए मैं भी बेड पर आगे पीछे हिल के आहह … आहह … आ … आ…आहह… करते हुए अपनी गांड में लन्ड लिए उसकी जांघों पर टक्कर मार रही थी।
कुछ ही देर में प्रफुल्ल एकदम से रुक गया और आहह … करके झड़ गया. उसके बाद उसने 2-3 झटके धीरे धीरे मारते हुए अपने बचे हुए वीर्य की पिचकारियाँ मेरी गांड में ही भर दी और मुझे आगे तो धक्का देकर छोड़ दिया।
मैं मुंह के बल बेड में आकर गिर गयी और ज़ोर ज़ोर से हाँफने लगी।
प्रफुल्ल भी मेरे बगल में सीधा आकर गिर गया, छत की तरफ देखता हुआ मुंह खोलकर हुन्हह… उनहह… हुनहह… करके हाँफने लगा।
थोड़ी देर बाद मैंने उससे पूछा- अब तो खुश हो न?
प्रफुल्ल ने मेरी तरफ देखा और मुझे होंठों पर एक प्यारी सी किस देते हुए कहा- हाँ जानू बहुत … आइ लव यू वेरी मच।
मैंने भी मुस्कुरा के कहा- आई लव यू टू।
मैंने गांड के छेद पर उंगली लगा के देखा तो वहां सब गीला और चिपचिप हुआ पड़ा था। मैंने कहा- तुम आराम करो, मैं बाथरूम जाकर आती हूँ।
मैं जैसे ही उठ के चलने लगी तो प्रफुल्ल के वीर्य की बूंदें मेरी गांड से फर्श पर टपकने लगी। मैं गांड पर हाथ रख के तेज़ तेज़ बाथरूम में घुस गयी जाकर कमोड पर बैठ गयी।
मेरी गांड में से प्रफुल्ल का वीर्य बह रहा था. मैंने ज़ोर लगाकर सारा वीर्य बाहर निकाल दिया। मैंने अपने आप को शावर के नीचे साफ किया और फर्श पर बैठ के अपनी चूत और गांड को भी साफ किया।
मैं कमरे में वापस आई तो प्रफुल्ल बाथरूम में चला गया खुद को साफ करने और मैं नंगी ही आकर बेड पर लेट गयी.
थोड़ी देर में प्रफुल्ल भी आकर नंगा ही मेरे बगल में लेट गया और बोला- थैंक यू जानू।
मैंने कहा- कोई बात नहीं!
और प्रफुल्ल ने मेरी तरफ करवट लेकर अपनी टांग मेरे ऊपर रख दी और प्रफुल्ल ने मुझे बांहों में लिए सो रहा था और मैं उसकी छाती में सर छुपाते हुए सो रही । हम कब सो गए हमें पता ही नहीं चला।
सुबह रोहित का फोन आया तो मेरी आँख खुली।
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