07-12-2025, 05:34 AM
रूही की नींद टूटी तो कमरे में हल्की-हल्की सुबह की रोशनी आ रही थी। वो अभी भी पूरी तरह नंगी थी, और रामू जी की भारी-भरकम बाहों में कैद थी। उनकी मोटी छाती से उसकी नाजुक पीठ चिपकी हुई थी, और रामू जी का एक हाथ उसकी नंगी कमर को कस के पकस के पकड़े हुए था। नीचे उनकी सुबह की सख्ती अभी भी उसकी गांड के बीच फँसी थी।
रूही का चेहरा एकदम लाल हो गया। उसने बहुत धीरे से, शरमाते हुए, रामू जी के हाथ को अपनी कमर से हटाने की कोशिश की। उंगलियाँ हिलाईं, पर रामू जी ने नींद में ही और कस लिया। “उफ्फ…” रूही ने मन ही मन सोचा, “ये तो सोते में भी नहीं छोड़ते।”
फिर उसने बहुत प्यार से, एकदम धीरे-धीरे अपना बदन सरकाया। पहले अपना कूल्हा थोड़ा साइड किया, ताकि वो सख्त चीज बाहर निकल जाए… फिर एक पैर धीरे से बिस्तर के किनारे पर टिकाया। रामू जी का हाथ अब भी उसकी चूची पर था। रूही ने अपनी साँस रोके हुए, दो उंगलियों से उनका हाथ उठाया और बहुत नाजुक तरीके से हटाया। जैसे ही वो हाथ हटा, उसकी चूची हल्की सी हिली और ठंडी हवा लगी… रूही ने तुरंत दोनों हाथों से अपनी छाती ढक ली और “हाय राम…” कहते हुए बिस्तर से उतर गई।
पैर जैसे ही फर्श पर पड़े, उसकी नजर चारों तरफ बिखरे कपड़ों पर गई। उसकी लाल चुनरी एक कोने में उलझी हुई थी, घाघरा इधर-उधर फटा हुआ पड़ा था, ब्लाउज के हुक टूटे हुए बिखरे थे, और उसकी पायल अभी भी एक पैर में थी। सबसे शर्मनाक था उसका छोटा सा लाल पैंटी… जो बिस्तर के ठीक नीचे लटक रहा था, और उस पर सफेद-सफेद धब्बे साफ दिख रहे थे।
रूही का चेहरा एकदम टमाटर हो गया। वो झट से झुक कर पैंटी उठाने गई, पर जैसे ही झुकी, उसकी गांड पूरी खुल गई और ठंडी हवा अंदर तक लगी। वो “आह…” करके सीधी खड़ी हो गई, दोनों हाथों से अपनी गांड और चूत ढकते हुए इधर-उधर देखने लगी।
अचानक दरवाजे पर जोर से दस्तक हुई… टक-टक-टक!
फिर बाहर से मधुर पर उतावली आवाज आई, “भाभी… मैं शीला… दरवाजा खोलिए ना…!”
रूही एकदम से काँप गई। उसका दिल धक-धक करने लगा। अभी वो पूरी नंगी थी, सिर्फ हाथों से चूचियाँ और चूत ढके हुए, और कमरे में चारों तरफ कपड़े बिखरे पड़े थे।
“हाय राम… ये शीला अभी आई…!” उसने घबराते हुए चारों तरफ देखा। चुनरी बाथरूम में फँसी थी, घाघरा फटा हुआ था, पैंटी तो गीली पड़ी थी।
तभी उसकी नजर रामू जी की पसीने वाली सफेद कुर्ती पर पड़ी, जो बिस्तर के सिरहाने लटक रही थी। बिना कुछ सोचे रूही ने झट से वो कुर्ती उठाई और सिर के ऊपर से पहन ली। कुर्ती बहुत बड़ी थी, रामू जी की, उसमें रूही पूरी डूब गई। नीचे तक घुटनों से भी नीचे आ रही थी, पर आगे के बटन खुले थे, तो उसकी चूचियाँ आधी दिख रही थीं।
रामू जी बिस्तर पर लेटे-लेटे हँस रहे थे। रूही ने उन्हें घूरा, “चुप रहिए आप!” फिर जल्दी-जल्दी दो बटन लगाए, पर तीसरा बटन टूटा हुआ था, तो एक चूची अभी भी उछल-उछल कर झाँक रही थी।
दरवाजे पर फिर दस्तक हुई, “भाभी… आप सो रही हैं क्या?”
रूही ने घबराते हुए कुर्ती को दोनों हाथों से खींचकर छाती पर दबाया और दौड़कर दरवाजे की तरफ गई। रास्ते में उसका पैर फिसला, वो लड़खड़ाई, कुर्ती ऊपर उठ गई और उसकी पूरी नंगी गांड एक पल को चमक गई।
आखिरकार उसने दरवाजा सिर्फ थोड़ा सा खोला, सिर्फ अपना चेहरा बाहर निकाला। रूही का चेहरा पूरा लाल, साँसें तेज, बाल बिखरे हुए। शीला बाहर खड़ी थी। हाथ में चाय का कप, और आँखों में शरारत भरी मुस्कान। उसने ऊपर से नीचे तक रूही को देखा: बिखरे बाल, लाल गाल, गले पर लाल-लाल चूमने के निशान, और रामू जी की पसीने वाली कुर्ती जो मुश्किल से उसकी जाँघें ढक रही थी।
शीला ने धीरे से हँसते हुए कहा, “भाभी… आप तो बिल्कुल दुल्हन लग रही हैं… अरे, ये कुर्ता तो भैया का है ना?”
रूही का चेहरा आग हो गया। वो कुछ बोल नहीं पाई, बस शरमाते हुए हाथ बढ़ाया और कप ले लिया। कप लेते वक्त उसकी कुर्ती थोड़ी ऊपर उठ गई और शीला की नजर उसकी जाँघों पर बहते हुए सफेद रस पर चली गई।
शीला ने होंठ दबाकर हँसी रोकते हुए कहा, “भाभी… चाय में इलायची डाली है… पी लीजिएगा… और भैया को भी दे दीजिएगा… लगता है उन्हें भी बहुत गर्मी लग रही है।”
रूही कुछ बोल पाती, उससे पहले शीला ने आँख मारी और मुड़कर चली गई।
और रूही झट से दरवाजा बंद कर दिया। पीछे मुड़कर देखा तो रामू जी बिस्तर पर लेटे हँस रहे थे।कप में चाय हिल रही थी, ठीक वैसे ही जैसे उसकी टाँगें अभी भी हिल रही थीं।
रूही ने शरमाते हुए कहा, “अब खुश? सब देख लिया ना आपने!”
रामू जी ने आँख मारते हुए बोले, “अभी तो सिर्फ ट्रेलर देखा है बहू… पिक्चर अभी बाकी है।
रामू जी बिस्तर से बोले, “क्या कहा शीला ने?”
रूही ने शरमाते हुए कप उनके पास रखा और धीरे से बोली, “कह रही थी… इलायची वाली चाय है… और आपको भी गर्मी लग रही है…”
रामू जी जोर से हँसे और रूही को फिर से अपनी बाहों में खींच लिया।
रामू जी की कुर्ती उसकी जाँघों पर चिपकी हुई थी, भीगी हुई, और हर कदम पर उसकी चूत से रिसता हुआ रस कुर्ती को और भी गीला कर रहा था।
रामू जी बिस्तर पर आधे लेटे थे, चादर सिर्फ कमर तक। उनका मोटा लण्ड अभी भी आधा खड़ा था, टिप पर चमकती हुई बूंद। वो रूही को भूखी नजरों से देख रहे थे।
रूही ने शरमाते हुए कप टेबल पर रखा और धीरे से बोली, “रामू जी… शीला ने… सब देख लिया… मेरी जाँघों पर… आपका… आपका माल बह रहा था…”
रामू जी ने होंठ चाटते हुए कहा, “देखने दे … सबको पता चलना चाहिए कि मेरी नई सुहागरात कितनी गर्म थी… और अभी भी खत्म नहीं हुई।”
रूही ने दोनों हाथों से अपना चेहरा ढक लिया। “हाय… मैं मर जाऊँगी शर्म से… वो बोली, ‘भैया को बहुत गर्मी लग रही है’… सब समझ गई वो!”
रामू जी ने एक झटके में उसे बिस्तर पर खींच लिया। रूही उनके ऊपर गिर पड़ी, कुर्ती फिर ऊपर सरक गई और उसकी नंगी चूत सीधे रामू जी के लण्ड पर जा लगी।
रामू जी ने उसकी गांड दबाते हुए फुसफुसाया, “गर्मी तो अभी और बढ़ने वाली है, मेरी रानी… तेरी चूत अभी भी मेरे रस से भरी पड़ी है… और मेरा लण्ड फिर से तड़प रहा है तेरे अंदर जाने को…”
रूही ने कराहते हुए कहा, “रामू जी… अब नहीं… कोई आ जाएगा… उफ्फ… पर आपका ये… इतना मोटा… फिर से खड़ा हो गया…”
रामू जी ने उसकी चूची मुँह में ले ली और बोले, “आने दे किसी को… मैं दरवाजा नहीं खोलूँगा… बस तुझे चोदता रहूँगा… सुबह से शाम तक… बोल, कितनी बार और चाहिए मेरी जान?”
रूही की आँखें बंद हो गईं, वो बस हल्के से सिर हिलाकर बोली, “जितनी बार आपकी मर्जी… बस… धीरे से… मेरी चूत अभी भी दुख रही है…”
रामू जी ने हँसते हुए उसे पलट दिया और बोले, “अच्छा? दुख रही है? तो फिर मैं मालिश कर देता हूँ… अपने लण्ड से…”
रामू जी ने रूही को अपनी गोद में बिठा लिया। कुर्ती अब पूरी तरह ऊपर तक चढ़ चुकी थी, रूही की नंगी गांड रामू जी की जाँघों पर थी। उनका लण्ड अभी भी आधा खड़ा, रूही की चूत के नीचे दबा हुआ था।
रामू जी ने टेबल से वही एक कप चाय उठाया, जिसमें इलायची की खुशबू फैल रही थी। कप को होंठों से लगाया, एक घूँट पिया… फिर रूही की तरफ बढ़ाया।
रूही शरमाते हुए बोली, “रामू जी… एक ही कप में…?”
रामू जी ने मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ मेरी जान… आज से सब कुछ एक ही में… चाय भी… रात भी… और तेरा रस भी।”
रूही ने कप लिया, पर रामू जी ने अपना हाथ उसके हाथ के ऊपर रख दिया। फिर धीरे से कप को रूही के होंठों तक ले गए।
रूही ने घूँट भरा… तभी रामू जी ने अपना मुँह रूही के होंठों के पास लाया और हल्के से थूक दिया, गरम-गरम, मीठा-मीठा थूक सीधे रूही के मुँह में।
रूही चौंकी, पर उसने निगल लिया… और शरमाते हुए बोली, “रामू जी… आप बहुत गंदे हैं…”
रामू जी हँसे, फिर कप से एक और घूँट लिया और इस बार रूही के मुँह में डाल दिया, थूक के साथ।
रूही ने भी अब शरम छोड़ दी। वो खुद कप से पीती, फिर रामू जी के मुँह में उड़ेलती… और दोनों के होंठ आपस में मिल जाते। चाय का स्वाद, इलायची का स्वाद, और एक-दूसरे का थूक, सब मिलकर एक अजीब सी मिठास बन गया।
कप खाली होने तक दोनों के होंठ एक-दूसरे से चिपके रहे। चाय की आखिरी बूंद रामू जी ने अपने मुँह में ली और रूही को किस करते हुए उसके मुँह में डाल दी।
रूही ने निगलते हुए, कराहते हुए कहा, “रामू जी… अब तो चाय भी आपकी तरह गर्म और नमकीन लग रही है…”
रामू जी ने उसकी गांड पर जोर से चपत मारी और बोले, “अभी तो सिर्फ चाय पी है रूही… अब असली नाश्ता करवाता हूँ।”
रूही ने शरमाते हुए, कराहते हुए कहा, “रामू जी… नाश्ता…? अरे… अभी तो मैं चल भी नहीं पा रही… आपने तो रात भर मेरी चूत का कीमा बना दिया…”
रात भर… अब फिर…?”
रामू जी ने उसकी गांड पर फिर एक हल्की चपत मारते हुए हँसे, “कीमा? अभी तो पूरा चिकन बाकी है मेरी जान… तेरी ये गोल-गोल चूचियाँ… ये मक्खनी जाँघें… और ये तंग-तंग गांड… सब अभी-अभी टेस्ट करना बाकी है।”
रूही ने दोनों हाथों से अपनी गांड ढकते हुए बोली, “हाय राम… गांड में नहीं रामू जी… वो तो बहुत छोटी है… आपका तो… वो… इतना मोटा… फट जाएगी मेरी…”
रामू जी ने उसे अपनी छाती से चिपका लिया, उसकी निप्पल को होंठों में लेकर बोले, “फटेगी तो फटने दे… मैं धीरे-धीरे फैलाऊँगा… तेरी हर छेद आज से मेरी है रूही… सुबह-शाम, जब मन करेगा, तब चोदूँगा… बोल, तैयार है मेरी रंडी?”
रूही ने शरमाते हुए सिर झुका लिया और फुसफुसाई, “हाँ… आपकी हूँ… जहाँ मन करे, जब मन करे… बस… थोड़ा प्यार से… आप बहुत बड़े हो…”
रामू जी ने उसे गोद में उठाया, बिस्तर पर लिटाया, और बोले, “ मैं भी दो घंटे सो लूँ… फिर उठूँगा तो तेरी गांड का नाश्ता करूँगा… और तू चुपचाप लेटी रहना… तैयार रहियो।”
रूही ने हल्के से सिर हिलाया, उसकी आँखें कामुकता से भारी थीं।
रामू जी ने उसे अपनी बाहों में लिया, दो मिनट में ही उनकी खर्राटे शुरू हो गए।
रूही हाँफ रही थी। उसकी चूत से गाढ़ा माल रिस रहा था, जाँघें चिपचिपी थीं, चूचियों पर चाय और थूक के धब्बे सूख रहे थे। वो धीरे से उठी, कुर्ती उतारी और पूरी नंगी ही खड़ी हो गई।
पहले उसने रामू जी को देखा, वो गहरी नींद में थे, लण्ड अब भी आधा तना हुआ चादर पर लेटा था। रूही ने मुस्कुराते हुए चादर ठीक की और उनके माथे पर हल्का सा चूम लिया।
फिर उसने काम संभाला।
रूही का चेहरा एकदम लाल हो गया। उसने बहुत धीरे से, शरमाते हुए, रामू जी के हाथ को अपनी कमर से हटाने की कोशिश की। उंगलियाँ हिलाईं, पर रामू जी ने नींद में ही और कस लिया। “उफ्फ…” रूही ने मन ही मन सोचा, “ये तो सोते में भी नहीं छोड़ते।”
फिर उसने बहुत प्यार से, एकदम धीरे-धीरे अपना बदन सरकाया। पहले अपना कूल्हा थोड़ा साइड किया, ताकि वो सख्त चीज बाहर निकल जाए… फिर एक पैर धीरे से बिस्तर के किनारे पर टिकाया। रामू जी का हाथ अब भी उसकी चूची पर था। रूही ने अपनी साँस रोके हुए, दो उंगलियों से उनका हाथ उठाया और बहुत नाजुक तरीके से हटाया। जैसे ही वो हाथ हटा, उसकी चूची हल्की सी हिली और ठंडी हवा लगी… रूही ने तुरंत दोनों हाथों से अपनी छाती ढक ली और “हाय राम…” कहते हुए बिस्तर से उतर गई।
पैर जैसे ही फर्श पर पड़े, उसकी नजर चारों तरफ बिखरे कपड़ों पर गई। उसकी लाल चुनरी एक कोने में उलझी हुई थी, घाघरा इधर-उधर फटा हुआ पड़ा था, ब्लाउज के हुक टूटे हुए बिखरे थे, और उसकी पायल अभी भी एक पैर में थी। सबसे शर्मनाक था उसका छोटा सा लाल पैंटी… जो बिस्तर के ठीक नीचे लटक रहा था, और उस पर सफेद-सफेद धब्बे साफ दिख रहे थे।
रूही का चेहरा एकदम टमाटर हो गया। वो झट से झुक कर पैंटी उठाने गई, पर जैसे ही झुकी, उसकी गांड पूरी खुल गई और ठंडी हवा अंदर तक लगी। वो “आह…” करके सीधी खड़ी हो गई, दोनों हाथों से अपनी गांड और चूत ढकते हुए इधर-उधर देखने लगी।
अचानक दरवाजे पर जोर से दस्तक हुई… टक-टक-टक!
फिर बाहर से मधुर पर उतावली आवाज आई, “भाभी… मैं शीला… दरवाजा खोलिए ना…!”
रूही एकदम से काँप गई। उसका दिल धक-धक करने लगा। अभी वो पूरी नंगी थी, सिर्फ हाथों से चूचियाँ और चूत ढके हुए, और कमरे में चारों तरफ कपड़े बिखरे पड़े थे।
“हाय राम… ये शीला अभी आई…!” उसने घबराते हुए चारों तरफ देखा। चुनरी बाथरूम में फँसी थी, घाघरा फटा हुआ था, पैंटी तो गीली पड़ी थी।
तभी उसकी नजर रामू जी की पसीने वाली सफेद कुर्ती पर पड़ी, जो बिस्तर के सिरहाने लटक रही थी। बिना कुछ सोचे रूही ने झट से वो कुर्ती उठाई और सिर के ऊपर से पहन ली। कुर्ती बहुत बड़ी थी, रामू जी की, उसमें रूही पूरी डूब गई। नीचे तक घुटनों से भी नीचे आ रही थी, पर आगे के बटन खुले थे, तो उसकी चूचियाँ आधी दिख रही थीं।
रामू जी बिस्तर पर लेटे-लेटे हँस रहे थे। रूही ने उन्हें घूरा, “चुप रहिए आप!” फिर जल्दी-जल्दी दो बटन लगाए, पर तीसरा बटन टूटा हुआ था, तो एक चूची अभी भी उछल-उछल कर झाँक रही थी।
दरवाजे पर फिर दस्तक हुई, “भाभी… आप सो रही हैं क्या?”
रूही ने घबराते हुए कुर्ती को दोनों हाथों से खींचकर छाती पर दबाया और दौड़कर दरवाजे की तरफ गई। रास्ते में उसका पैर फिसला, वो लड़खड़ाई, कुर्ती ऊपर उठ गई और उसकी पूरी नंगी गांड एक पल को चमक गई।
आखिरकार उसने दरवाजा सिर्फ थोड़ा सा खोला, सिर्फ अपना चेहरा बाहर निकाला। रूही का चेहरा पूरा लाल, साँसें तेज, बाल बिखरे हुए। शीला बाहर खड़ी थी। हाथ में चाय का कप, और आँखों में शरारत भरी मुस्कान। उसने ऊपर से नीचे तक रूही को देखा: बिखरे बाल, लाल गाल, गले पर लाल-लाल चूमने के निशान, और रामू जी की पसीने वाली कुर्ती जो मुश्किल से उसकी जाँघें ढक रही थी।
शीला ने धीरे से हँसते हुए कहा, “भाभी… आप तो बिल्कुल दुल्हन लग रही हैं… अरे, ये कुर्ता तो भैया का है ना?”
रूही का चेहरा आग हो गया। वो कुछ बोल नहीं पाई, बस शरमाते हुए हाथ बढ़ाया और कप ले लिया। कप लेते वक्त उसकी कुर्ती थोड़ी ऊपर उठ गई और शीला की नजर उसकी जाँघों पर बहते हुए सफेद रस पर चली गई।
शीला ने होंठ दबाकर हँसी रोकते हुए कहा, “भाभी… चाय में इलायची डाली है… पी लीजिएगा… और भैया को भी दे दीजिएगा… लगता है उन्हें भी बहुत गर्मी लग रही है।”
रूही कुछ बोल पाती, उससे पहले शीला ने आँख मारी और मुड़कर चली गई।
और रूही झट से दरवाजा बंद कर दिया। पीछे मुड़कर देखा तो रामू जी बिस्तर पर लेटे हँस रहे थे।कप में चाय हिल रही थी, ठीक वैसे ही जैसे उसकी टाँगें अभी भी हिल रही थीं।
रूही ने शरमाते हुए कहा, “अब खुश? सब देख लिया ना आपने!”
रामू जी ने आँख मारते हुए बोले, “अभी तो सिर्फ ट्रेलर देखा है बहू… पिक्चर अभी बाकी है।
रामू जी बिस्तर से बोले, “क्या कहा शीला ने?”
रूही ने शरमाते हुए कप उनके पास रखा और धीरे से बोली, “कह रही थी… इलायची वाली चाय है… और आपको भी गर्मी लग रही है…”
रामू जी जोर से हँसे और रूही को फिर से अपनी बाहों में खींच लिया।
रामू जी की कुर्ती उसकी जाँघों पर चिपकी हुई थी, भीगी हुई, और हर कदम पर उसकी चूत से रिसता हुआ रस कुर्ती को और भी गीला कर रहा था।
रामू जी बिस्तर पर आधे लेटे थे, चादर सिर्फ कमर तक। उनका मोटा लण्ड अभी भी आधा खड़ा था, टिप पर चमकती हुई बूंद। वो रूही को भूखी नजरों से देख रहे थे।
रूही ने शरमाते हुए कप टेबल पर रखा और धीरे से बोली, “रामू जी… शीला ने… सब देख लिया… मेरी जाँघों पर… आपका… आपका माल बह रहा था…”
रामू जी ने होंठ चाटते हुए कहा, “देखने दे … सबको पता चलना चाहिए कि मेरी नई सुहागरात कितनी गर्म थी… और अभी भी खत्म नहीं हुई।”
रूही ने दोनों हाथों से अपना चेहरा ढक लिया। “हाय… मैं मर जाऊँगी शर्म से… वो बोली, ‘भैया को बहुत गर्मी लग रही है’… सब समझ गई वो!”
रामू जी ने एक झटके में उसे बिस्तर पर खींच लिया। रूही उनके ऊपर गिर पड़ी, कुर्ती फिर ऊपर सरक गई और उसकी नंगी चूत सीधे रामू जी के लण्ड पर जा लगी।
रामू जी ने उसकी गांड दबाते हुए फुसफुसाया, “गर्मी तो अभी और बढ़ने वाली है, मेरी रानी… तेरी चूत अभी भी मेरे रस से भरी पड़ी है… और मेरा लण्ड फिर से तड़प रहा है तेरे अंदर जाने को…”
रूही ने कराहते हुए कहा, “रामू जी… अब नहीं… कोई आ जाएगा… उफ्फ… पर आपका ये… इतना मोटा… फिर से खड़ा हो गया…”
रामू जी ने उसकी चूची मुँह में ले ली और बोले, “आने दे किसी को… मैं दरवाजा नहीं खोलूँगा… बस तुझे चोदता रहूँगा… सुबह से शाम तक… बोल, कितनी बार और चाहिए मेरी जान?”
रूही की आँखें बंद हो गईं, वो बस हल्के से सिर हिलाकर बोली, “जितनी बार आपकी मर्जी… बस… धीरे से… मेरी चूत अभी भी दुख रही है…”
रामू जी ने हँसते हुए उसे पलट दिया और बोले, “अच्छा? दुख रही है? तो फिर मैं मालिश कर देता हूँ… अपने लण्ड से…”
रामू जी ने रूही को अपनी गोद में बिठा लिया। कुर्ती अब पूरी तरह ऊपर तक चढ़ चुकी थी, रूही की नंगी गांड रामू जी की जाँघों पर थी। उनका लण्ड अभी भी आधा खड़ा, रूही की चूत के नीचे दबा हुआ था।
रामू जी ने टेबल से वही एक कप चाय उठाया, जिसमें इलायची की खुशबू फैल रही थी। कप को होंठों से लगाया, एक घूँट पिया… फिर रूही की तरफ बढ़ाया।
रूही शरमाते हुए बोली, “रामू जी… एक ही कप में…?”
रामू जी ने मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ मेरी जान… आज से सब कुछ एक ही में… चाय भी… रात भी… और तेरा रस भी।”
रूही ने कप लिया, पर रामू जी ने अपना हाथ उसके हाथ के ऊपर रख दिया। फिर धीरे से कप को रूही के होंठों तक ले गए।
रूही ने घूँट भरा… तभी रामू जी ने अपना मुँह रूही के होंठों के पास लाया और हल्के से थूक दिया, गरम-गरम, मीठा-मीठा थूक सीधे रूही के मुँह में।
रूही चौंकी, पर उसने निगल लिया… और शरमाते हुए बोली, “रामू जी… आप बहुत गंदे हैं…”
रामू जी हँसे, फिर कप से एक और घूँट लिया और इस बार रूही के मुँह में डाल दिया, थूक के साथ।
रूही ने भी अब शरम छोड़ दी। वो खुद कप से पीती, फिर रामू जी के मुँह में उड़ेलती… और दोनों के होंठ आपस में मिल जाते। चाय का स्वाद, इलायची का स्वाद, और एक-दूसरे का थूक, सब मिलकर एक अजीब सी मिठास बन गया।
कप खाली होने तक दोनों के होंठ एक-दूसरे से चिपके रहे। चाय की आखिरी बूंद रामू जी ने अपने मुँह में ली और रूही को किस करते हुए उसके मुँह में डाल दी।
रूही ने निगलते हुए, कराहते हुए कहा, “रामू जी… अब तो चाय भी आपकी तरह गर्म और नमकीन लग रही है…”
रामू जी ने उसकी गांड पर जोर से चपत मारी और बोले, “अभी तो सिर्फ चाय पी है रूही… अब असली नाश्ता करवाता हूँ।”
रूही ने शरमाते हुए, कराहते हुए कहा, “रामू जी… नाश्ता…? अरे… अभी तो मैं चल भी नहीं पा रही… आपने तो रात भर मेरी चूत का कीमा बना दिया…”
रात भर… अब फिर…?”
रामू जी ने उसकी गांड पर फिर एक हल्की चपत मारते हुए हँसे, “कीमा? अभी तो पूरा चिकन बाकी है मेरी जान… तेरी ये गोल-गोल चूचियाँ… ये मक्खनी जाँघें… और ये तंग-तंग गांड… सब अभी-अभी टेस्ट करना बाकी है।”
रूही ने दोनों हाथों से अपनी गांड ढकते हुए बोली, “हाय राम… गांड में नहीं रामू जी… वो तो बहुत छोटी है… आपका तो… वो… इतना मोटा… फट जाएगी मेरी…”
रामू जी ने उसे अपनी छाती से चिपका लिया, उसकी निप्पल को होंठों में लेकर बोले, “फटेगी तो फटने दे… मैं धीरे-धीरे फैलाऊँगा… तेरी हर छेद आज से मेरी है रूही… सुबह-शाम, जब मन करेगा, तब चोदूँगा… बोल, तैयार है मेरी रंडी?”
रूही ने शरमाते हुए सिर झुका लिया और फुसफुसाई, “हाँ… आपकी हूँ… जहाँ मन करे, जब मन करे… बस… थोड़ा प्यार से… आप बहुत बड़े हो…”
रामू जी ने उसे गोद में उठाया, बिस्तर पर लिटाया, और बोले, “ मैं भी दो घंटे सो लूँ… फिर उठूँगा तो तेरी गांड का नाश्ता करूँगा… और तू चुपचाप लेटी रहना… तैयार रहियो।”
रूही ने हल्के से सिर हिलाया, उसकी आँखें कामुकता से भारी थीं।
रामू जी ने उसे अपनी बाहों में लिया, दो मिनट में ही उनकी खर्राटे शुरू हो गए।
रूही हाँफ रही थी। उसकी चूत से गाढ़ा माल रिस रहा था, जाँघें चिपचिपी थीं, चूचियों पर चाय और थूक के धब्बे सूख रहे थे। वो धीरे से उठी, कुर्ती उतारी और पूरी नंगी ही खड़ी हो गई।
पहले उसने रामू जी को देखा, वो गहरी नींद में थे, लण्ड अब भी आधा तना हुआ चादर पर लेटा था। रूही ने मुस्कुराते हुए चादर ठीक की और उनके माथे पर हल्का सा चूम लिया।
फिर उसने काम संभाला।
- सबसे पहले उसने फर्श पर बिखरे कपड़े इकट्ठे किए। लाल घाघरा, फटी हुई चोली, पायल, और वो छोटी सी गीली पैंटी। पैंटी देखकर उसका चेहरा फिर लाल हो गया, उसने उसे जल्दी से बाथरूम की बाल्टी में डाल दिया।
- बाथरूम में जाकर उसने गुनगुना पानी चलाया। नहाते वक्त उसने अपनी चूत को अच्छे से धोया, पर जैसे ही उंगली अंदर गई, फिर से सिसकारी निकल गई। “हाय… अभी भी सूजा हुआ है…” उसने मन ही मन सोचा।
- बाहर आकर उसने साड़ी पहनी, बिना ब्लाउज, सिर्फ पेटीकोट और साड़ी। साड़ी का पल्लू बार-बार सरक रहा था, चूचियाँ झलक रही थीं, पर अब उसे शर्म कम और मस्ती ज्यादा आ रही थी।
- उसने कमरे की झाड़ू लगाई, फर्श पोछा। हर बार झुकते ही साड़ी ऊपर सरक जाती और उसकी गोल गांड दिख जाती। वो हँस पड़ती और खुद को आईने में देखकर शरमाती।
- रामू जी अभी भी सो रहे थे। रूही उनके पास बैठी, उनके बालों में उंगलियाँ फेरी और धीरे से बोली, “सोइए ना… आपने तो रात भर मेरी नींद हराम कर दी… अब मेरी बारी है घर संभालने की।”


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